सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से आठवीं तक की छात्राओं को भी निशुल्क साइकिल वितरण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये

भोपाल  सरकारी स्कूल की छात्राओं के लिए खुशखबरी है। स्कूल शिक्षा विभाग ने शासकीय स्कूलों में नि:शुल्क साइकिल वितरण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 में जो छात्र कक्षा 6वीं और 9वीं में अध्ययनरत हैं तथा वे जिस ग्राम के निवासी हैं उस ग्राम में शासकीय माध्यमिक विद्यालय-हाई स्कूल नहीं हैं उन्हें किसी अन्य ग्राम या शहर के शासकीय स्कूल में जाते हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। ध्यान रहे इन कक्षाओं में पुन: प्रवेश लेने पर साइकिल की पात्रता नहीं होगी। इसकी विस्तृत जानकारी 3.0 पोर्टल पर प्रदर्शित की गई हैं। नि:शुल्क साइकिल वितरण के संबंध में कक्षा 6वीं की साइकिल के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी आर के पांडे और कक्षा 9वीं के लिये योजना अधिकारी अशोक बड़गे को नोडल अधिकारी बनाया गया है। दिशा-निर्देश प्रदेश के समस्त कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जिला शिक्षाा अधिकारी और जिला शिक्षा केन्द्र समन्वयक को जारी किये गये हैं। ये छात्र होंगे पात्र     ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले विद्यार्थी, जो कि शासकीय विद्यालय में कक्षा 6वीं और 9वीं में अध्ययनरत हैं तथा वे जिस ग्राम के निवासी हैं उस ग्राम में शासकीय माध्यमिक विद्यालय-हाई स्कूल संचालित नहीं हैं वे अध्ययन के लिये किसी अन्य ग्राम या शहर के शासकीय स्कूल में जाते हैं उन छात्रों को इस योजना का लाभ कक्षा 6th एवं 9th में प्रथम प्रवेश पर एक ही बार मिलेगा।     इन कक्षाओं में पुन: प्रवेश लेने पर साइकिल की पात्रता नहीं होगी। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे विद्यार्थी जो शासकीय विद्यालयों में कक्षा 6वीं एवं 9वीं में अध्ययनरत हैं उस गांव से उनके निवास की दूरी 2 किलोमीटर की दूरी से अधिक हो उन्हें ही साइकिल की पात्रता होगी।     ग्रामीण क्षेत्र में कन्या छात्रावास में अध्ययनरत छात्राएं जिनके माध्यमिक शाला और हाई स्कूल छात्रावास से स्कूल की दूरी 2 किलोमीटर अधिक दूरी पर है यह साइकिलें छात्रावास को आवंटित की जायेंगी और छात्रावास में रहने वाली बालिकाएं इनका प्रयोग कर सकेंगी। छात्रावास छोड़ते समय साइकिलें छात्रावास में जमा कराना होंगी। कैसे साइकिल मिलेगी     योजना में कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों को 18 इंच और कक्षा 9वीं के विद्यार्थियों को 20 इंच की साइकिलें प्रदाय की जायेंगी।     यह साइकिलें छात्रावास को आवंटित की जायेंगी और छात्रावास में रहने वाली बालिकाएं इनका प्रयोग कर सकेंगी। छात्रावास छोड़ते समय साइकिलें छात्रावास में जमा कराना होंगी।     नि:शुल्क साइकिल वितरण की विस्तृत जानकारी 3.0 पोर्टल पर प्रदर्शित की गई हैं। नि:शुल्क साइकिल वितरण के संबंध में कक्षा 6वीं की साइकिल के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी आर.के. पांडे और कक्षा 9वीं के लिये योजना अधिकारी श्री अशोक बड़गे को नोडल अधिकारी बनाया गया है।     दिशा-निर्देश प्रदेश के समस्त कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जिला शिक्षाा अधिकारी और जिला शिक्षा केन्द्र समन्वयक को जारी किये गये हैं।

श्रावण मास में देशभर से महाकाल मंदिरआने वाले कांवड़ यात्रियों को सुविधा का लाभ मिलने जा रहा, अन्नक्षेत्र में निश्शुल्क महाप्रसादी

 उज्जैन  ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में अब तक नेता, अधिकारियों आदि को ही विशेष प्रवेश द्वार से प्रवेश की सुविधा मिलती है, लेकिन अब श्रावण मास में देशभर से आने वाले कांवड़ यात्रियों को इस सुविधा का लाभ मिलने जा रहा है। मंदिर समिति ने सैकड़ों किलोमीटर की पद यात्रा का भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने आने वाले कांवड़ियों के लिए चार नंबर गेट से प्रवेश की व्यवस्था की है। वर्तमान में यह द्वार 250 रुपये के शीघ्र दर्शन टिकट वाले श्रद्धालुओं के लिए आरक्षित है। कांवड़ यात्री महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र में निश्शुल्क महाप्रसादी भी ग्रहण कर सकेंगे। श्रावण मास में देशभर से हजारों कांवड़ यात्री गंगा, नर्मदा सहित अन्य प्रमुख नदियों का जल लेकर भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने उज्जैन आते हैं। इस बार भी 11 जुलाई से नौ अगस्त श्रावणी पूर्णिमा तक संपूर्ण श्रावण मास में भगवान के जलाभिषेक का सिलसिला चलेगा। दूरदराज से सैकड़ों किलोमीटर की पद यात्रा करते हुए महाकाल के दर आने वाले कांवड़ यात्रियों को भगवान के जलाभिषेक में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसलिए इनके प्रवेश की व्यवस्था चार नंबर गेट से की गई है। इस विशेष द्वार से कांवड़ यात्री मंदिर में प्रवेश कर विश्राम धाम, सभा मंडप के रास्ते गणेश व कार्तिकेय मंडपम् में पहुंचेंगे तथा यहां लगे जलपात्र से जल अर्पण कर निर्धारित व्यवस्था अनुसार मंदिर के बाहर निकलेंगे। कावड़ यात्रियों को विशेष द्वार से प्रवेश की सुविधा सप्ताह में चार दिन मंगलवार से शुक्रवार तक सुबह छह बजे से शाम 4 बजे तक मिलेगी। शनिवार, रविवार व सोमवार को अत्यधिक भीड़ होने से यह व्यवस्था स्थगित रहेगी। हालांकि कांवड़ यात्री भीड़ भरे इन दिनों में भी भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर सकेंगे। इसके लिए उन्होंने श्री महाकाल महालोक के नंदी द्वार से सामान्य दर्शनार्थियों की कतार में लगना पड़ेगा। दो स्थानों पर लगेंगे जल पात्र श्रावण में भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में दो स्थान सभा मंडप व कार्तिकेय मंडपम में जल पात्र लगाए जाएंगे। भक्त इन पात्रों में जल अर्पण करेंगे और जल पाइप के माध्यम से भगवान को अर्पित होगा। बता दें आम दिनों में भगवान महाकाल को केवल आरओ जल ही अर्पित किया जाता है। विशेष इंतजाम होंगे     महाकाल मंदिर में कांवड़ यात्रियों के लिए वीआइपी इंतजाम किए जा रहे हैं। उनके लिए चार नंबर गेट से प्रवेश की विशेष सुविधा रहेगी। बड़ी कांवड़ यात्राओं के लिए भी विशेष इंतजाम रहेंगे। भोले के भक्तों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। – मूलचंद जूनवाल, सहायक प्रशासक, महाकाल मंदिर  

मध्य प्रदेश बीजेपी को 2 जुलाई को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने जा रहा, दौड़ में हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे अधिक चर्चा में

भोपाल  मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसी कड़ी में आज एक जुलाई को केंद्रीय चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान भोपाल आएंगे। वे शाम 4 बजे भोपाल आएंगे। 2 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष चयन को लेकर बैठक होगी। बैठक में अध्यक्ष पद के लिए नाम रखा जाएगा। पार्टी सूत्रों की मानें तो आम सहमति से चुनाव प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। चुनाव प्रक्रिया के तहत चुनावी कार्यक्रम जारी । कार्यक्रम के साथ वोटर लिस्ट भी जारी हो सकती है। चुनाव के पहले कल शाम को पार्टी की अहम बैठक होगी। बैठक में वरिष्ठ नेता अध्यक्ष चयन प्रक्रिया को लेकर आपस में चर्चा करेंगे। पार्टी ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है। वैसे तो अब तक नए अध्यक्ष की दौड़ में हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे अधिक चर्चा में है, लेकिन भाजपा आदिवासी और महिला वर्ग के बीच भी प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा टटोल रही है। वर्तमान में विष्णुदत्त शर्मा सामान्य वर्ग से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और साढ़े पांच वर्ष का लंबा कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। डॉ. मोहन यादव ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग व ब्राह्मण वर्ग से दो उप मुख्यमंत्री हैं। यही वजह है कि भाजपा अब प्रदेश अध्यक्ष की कमान आदिवासी या महिला के हाथों में सौंप सकती है। दावेदारों में कड़ा मुकाबला एमपी में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके के नाम सबसे आगे चल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, हेमंत खंडेलवाल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और आरएसएस दोनों का समर्थन प्राप्त है, जिससे उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। वहीं, दुर्गादास उईके जो बैतूल से सांसद और गोंड समाज से ताल्लुक रखते हैं को आदिवासी वर्ग का एक मजबूत चेहरा माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में 22% आदिवासी आबादी, जिसमें 13% गोंड समाज शामिल है, को देखते हुए पार्टी उनके नाम पर विचार कर सकती है। वर्गवार दावेदारी पार्टी जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष का चयन कर रही है। विभिन्न वर्गों से प्रमुख दावेदार इस प्रकार हैं:     ब्राह्मण वर्ग: डॉ. नरोत्तम मिश्रा (पूर्व गृह मंत्री), राजेन्द्र शुक्ल (उपमुख्यमंत्री), रामेश्वर शर्मा (विधायक )     वैश्य वर्ग: हेमंत खंडेलवाल (विधायक, बैतूल), सुधीर गुप्ता (सांसद, मंदसौर)     क्षत्रिय वर्ग: अरविंद भदौरिया (पूर्व मंत्री), बृजेन्द्र प्रताप सिंह (विधायक व पूर्व मंत्री)     अनुसूचित जाति: प्रदीप लारिया (विधायक, नरयावली), लाल सिंह आर्य (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एससी मोर्चा), हरिशंकर खटीक (विधायक व प्रदेश महामंत्री, बीजेपी)     अनुसूचित जनजाति: गजेन्द्र सिंह पटेल (सांसद, खरगोन), दुर्गादास उईके (केंद्रीय राज्य मंत्री), फग्गन सिंह कुलस्ते (सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री), सुमेर सिंह सोलंकी (राज्यसभा सांसद) आदिवासी और महिला नेतृत्व पर विचार सूत्रों के अनुसार, इस दौड़ में आदिवासी वर्ग को प्राथमिकता देने की संभावना है क्योंकि मध्य प्रदेश में 47 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा, 2028 के विधानसभा चुनाव में महिला आरक्षण और नए परिसीमन को ध्यान में रखते हुए पार्टी किसी महिला नेता को भी कमान सौंपने पर विचार कर रही है। धर्मेंद्र प्रधान की निगरानी में होगी प्रक्रिया बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने संगठनात्मक चुनावों के लिए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मध्य प्रदेश का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। वे 1 जुलाई को भोपाल पहुंचेंगे और पूरी नामांकन प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। इसके बाद 2 जुलाई को होने वाली कार्यसमिति की बैठक में नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने की संभावना है। जुलाई के पहले सप्ताह में ही पूरी होगी प्रक्रिया हालांकि यह केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा, लेकिन एक जुलाई को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान का मध्य प्रदेश में दौरा इस बात का संकेत है कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। दो जुलाई को भी बैठक रखी गई है। दो दिन में नामांकन से लेकर चुनाव की सारी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। खंडेलवाल, उइके और पटेल के नाम पर भी मंथन तेज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में आदिवासी वर्ग के नेता बैतूल सीट से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके और खरगोन सीट से सांसद गजेंद्र पटेल के नाम पर भी मंथन तेज हुआ है। इधर उइके की दावेदारी इसलिए भी प्रबल दिखाई दे रही है क्योंकि गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल हैं और वह केंद्रीय मंत्री भी है। ऐसे में यह प्रयोग पार्टी मध्य प्रदेश में उइके को लेकर कर सकती है। महिला वर्ग से भी कुछ नाम चर्चा में मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन काफी मजबूत है। यहां पार्टी जो भी प्रयोग करती है वे सफल रहे हैं। इसलिए पार्टी इस बार महिला प्रदेश अध्यक्ष बनाने का प्रयोग भी कर सकती है। महिला नेत्रियों में पूर्व मंत्री व बुरहानपुर से विधायक अर्चना चिटनीस, आदिवासी नेत्री पूर्व मंत्री रंजना बघेल के नाम भी चर्चा में हैं। रंजना बघेल कई बार की विधायक रही हैं और संगठन में भी उपाध्यक्ष रही हैं। 1980 से अध्यक्षों का कार्यकाल अध्यक्ष – जिला – क्षेत्र – माह सुंदरलाल पटवा – नीमच- मालवा- 36 महीने कैलाश जोशी – देवास – मालवा – 16 महीने शिवप्रसाद – चैनपुरिया -जबलपुर – महाकौशल – 9 महीने सुंदरलाल पटवा- मालवा – 50 महीने लख्खीराम अग्रवाल – रायगढ़ – (छग) लक्ष्मीनारायण पांडे – रतलाम – मालवा – 41 महीने नंदकुमार साय – रायगढ़ (छ्ग) विक्रम वर्मा- धार- मालवा- 26 महीने कैलाश जोशी – देवास – मालवा – 32 महीने शिवराज सिंह चौहान – विदिशा – मध्य – 9 महीने सत्यनारायण जटिया – उज्जैन – मालवा – 9 महीने नरेंद्र सिंह तोमर – ग्वालियर – ग्वालियर-चंबल – 42 महीने प्रभात झा – ग्वालियर – ग्वालियर-चंबल – 20 महीने नरेंद्र सिंह तोमर – ग्वालियर – ग्वालियर-चंबल – 20 महीने नंद कुमार सिंह चौहान – खंडवा – मालवा – 17 महीने नंद कुमार सिंह चौहान – खंडवा – मालवा – 28 महीने राकेश सिंह – जबलपुर – महाकौशल – 21 महीने वीडी शर्मा – मुरैना – ग्वालियर-चंबल – 63 महीने    

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर ड्राइवरों के लिए सस्ते AC डॉरमेट्री की सुविधा शुरू, किफायती भोजन, वाईफाई, स्वच्छ शौचालय

नई दिल्ली  दिल्ली से मुंबई के बीच 1350 किलोमीटर लंबा 8-लेन एक्सप्रेसवे अब सिर्फ एक हाइवे नहीं, बल्कि ट्रक चालकों के लिए राहत की पटरी बन चुका है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पहली बार किसी एक्सप्रेसवे पर ट्रक चालकों की थकान, भूख, नींद और मरम्मत की जरूरतों को गंभीरता से लिया है। इसी सोच के तहत इस हाईवे पर हर 25-30 किलोमीटर पर "वे-साइड अमेनिटी" हब बनाए गए हैं, जो पूरी तरह से ड्राइवर-केंद्रित हैं। एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि बीते वर्षों में सामने आया कि ज्यादातर सड़क हादसे उस समय होते हैं जब ड्राइवर नींद या थकान की स्थिति में होते हैं। खासकर ट्रक और भारी वाहनों से जुड़े हादसों में यह बात बार-बार सामने आई है। दिल्ली एक्सप्रेस-वे से 172 किलोमीटर दूर अपना घर की क्षमता कुल 35 बिस्तर की है। ट्रक ड्राइवरों को इसके लिए अपना घर एप में जाकर ड्राइविंग लाइसेंस अपलोड करना होगा। इसके बाद अपना घर में ठहरने के घंटे, मोबाइल नंबर आदि दर्ज करना होगा। अपना घर के ड्रामेट्री में दो घंटे रुकने के लिए महज 56 रुपये देने होगा। यदि ड्राइवर आठ घंटे रुकते हैं तो उनको 112 रुपये अदा करने होंगे। आठ घंटे से 24 घंटे के लिए 336 रुपये किराया देना होगा। राजस्थान में एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) प्रदीप अत्री ने बताया कि अपना घर में ट्रक ड्राइवरों के हिसाब से सुविधाएं मुहैया करायी गई है। उनके लिए किचन में खुद खाना पकाने की सुविधा होगी। इसके अलावा वह अपना घर के ढाबे में भी खाना खा सकेंगे। थाली के दाम महज 130 रुपये होगी। इसमें एक सब्जी, दाल, रोटी, चावल, सलाद, पापड़ व अचार दिया जाएगा। यह ढाबा पूरी तरह से शाकाहारी होगा। इसके अलावा पूड़ी-सब्जी, छोले-भटूरे, पराठा, दाल, सब्जी, चाट, समोसा, चाय, कोल्ड ड्रिंक आदि उपलब्ध होगी। अत्री ने बताया कि उपरोक्त अपना घर को इंडियन आयल कंपनी संचालित कर रही है। वर्तमान में 50 लीटर पेट्रोल भरवाने पर ठहरना मुफ्त है। हालांकि, यह सेवा कुछ महीनों के लिए है। इसी प्रकार एक्सप्रेस-वे पर अन्य अपना घर सरकारी उपक्रमों व निजी कंपनियों की मदद से बनाए जाएंगे। पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था आरओ प्रदीप अत्री ने बताया कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर पर्यटकों-सड़क यात्रियों के लिए अलग सुविधाएं है। यहां ब्रांडेड खानपान की व्यवस्था है। लेकिन मध्यम वर्ग के ट्रक ड्राइवरों के लिए विशेष रूप से 18 हेक्टेयर में अपना घर विश्राम गृहों को बनाया जा रहा है। वर्तमान में एक्सप्रेस-वे पर चार अपना घर बनाए गए हैं। योजना है कि प्रत्येक 40 किलोमीटर की दूरी पर एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर अपना घर बनाए जाएंगे।  पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग पर नहीं है सुविधा जानकारों का कहना है कि वर्तमान में पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग पर ये सुविधाएं नहीं है। ट्रक ड्राइवर ढाबों अथवा क्षेत्रीय दुकानों में ठहरते व खाते हैं। यहां बेहतर सुविधाएं नहीं हैं। पूरा आराम व नींद नहीं मिलने के कारण ड्राइवर एकाग्रचित होकर ट्रक नहीं चला पाते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में 70 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं ड्राइवरों के कारण होती हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एनएचएआई की पहल आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, एक्सप्रेसवे पर लगभग 21 ऐसे स्टेशन बनाए गए हैं। इनमें से चार वर्तमान में चालू हैं। इन स्टेशनों के निर्माण का उद्देश्य उन ड्राइवरों को सुरक्षा, आराम और विश्राम प्रदान करना है जो अक्सर रात में राजमार्गों पर यात्रा करते हैं। राजमार्ग प्राधिकरण ने राजस्थान में दौसा के निकट ऐसी ही एक परिचालन सुविधा विकसित की, जिसका प्रबंधन इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) द्वारा किया गया और इसका उपयुक्त नाम “अपना घर” रखा गया। अपने नाम के अनुरूप, यह स्टेशन कई सुविधाएं प्रदान करता है, जैसे ट्रक पार्किंग, सीसीटीवी निगरानी वाला परिसर, स्वच्छ शौचालय, स्नान क्षेत्र, स्वयं खाना बनाने वाली रसोई, एक ढाबा और मुफ्त वाई-फाई, जो केवल 112 रुपये में उपलब्ध है। एनएचएआई पहल पर बिजनेस मैनेजर एक आधिकारिक मीडिया आउटलेट से बात करते हुए, IOCL के बिजनेस मैनेजर राधा मोहन ने कहा, "पहले हमारे पास राजमार्गों पर 'स्वागत' आउटलेट थे जो शौचालय और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करते थे। अब, हमारे पास उनके उन्नत संस्करण हैं। हम अपने स्टेशन पर लाइव निगरानी के साथ एयर कंडीशनिंग, वाटर कूलर, वॉशिंग मशीन, स्वच्छ खुले स्नान क्षेत्र, स्वच्छ शौचालय, टीवी, मुफ़्त वाई-फाई और पार्किंग क्षेत्र में सीसीटीवी निगरानी की सुविधा दे रहे हैं।" मोहन ने कहा, "अगर कोई ड्राइवर खाना नहीं बनाना चाहता है, तो हम उसे किफ़ायती दामों पर खाना भी देते हैं। 130 रुपये से कम में हमारे ढाबे पर पूरा खाना मिलता है। कोई भी ट्रक ड्राइवर यहाँ आकर आराम कर सकता है। हम जानते हैं कि वे लंबी दूरी तय करते हैं और थकान से पीड़ित होते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए हमारा विचार राजमार्गों पर ऐसी सुविधाएँ प्रदान करना था जहाँ वे आराम कर सकें और सुरक्षित रूप से खुद को तरोताज़ा कर सकें।" बिजनेस मैनेजर ने आगे बताया, "फिलहाल हमारे यहां 35 बेड उपलब्ध हैं और इनका शुल्क 112 रुपये है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है। ड्राइवर 'अपना घर' ऐप का इस्तेमाल करके बुकिंग कर सकते हैं। अगर किसी को ऐप के बारे में नहीं पता है, तो हमारे पेट्रोल पंप कर्मचारी मदद करने के लिए प्रशिक्षित हैं। यहां तैनात हमारे मैनेजर भी ड्राइवरों को बुकिंग प्रक्रिया में मदद करते हैं। एक बार ऐप डाउनलोड और इस्तेमाल करने के बाद, ड्राइवरों को भविष्य की बुकिंग करने में कोई समस्या नहीं होती है। औसतन, लगभग 50-60 प्रतिशत बेड रोजाना बुक होते हैं, जिसका मतलब है कि बड़ी संख्या में ड्राइवर पहले से ही हर दिन इस सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं।" सुविधाजनक सेवाओं की एक श्रृंखला के साथ अच्छी तरह से सुसज्जित आवश्यक सुविधाओं के अतिरिक्त, ये सड़क किनारे स्थित सुविधा स्टेशन ईंधन पंप, रेस्तरां और ढाबे जैसी समग्र यात्रा अनुभव को बढ़ाने के लिए सुविधाजनक सेवाओं की एक श्रृंखला से सुसज्जित हैं।  यह पहल थकान से संबंधित दुर्घटनाओं को कम करने और भारत के गुमनाम राजमार्ग योद्धाओं, ट्रक ड्राइवरों के समग्र सम्मान में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आज 1 जुलाई से बदल गया तत्काल टिकट बुकिंग का नियम, उससे पहले आपको करना होगा ये जरूरी काम

नई दिल्ली अगर आप ट्रेन में सफर करने के लिए अक्सर तत्काल टिकट बुक करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। IRCTC (भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन) ने आज 1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट बुकिंग के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब से केवल वही यात्री तत्काल टिकट बुक कर पाएंगे जिनका IRCTC अकाउंट आधार कार्ड से ऑथेंटिकेटेड होगा। नया नियम क्या है? IRCTC (Indian Railways Catering and Tourism Corporation) ने आज 1 जुलाई 2025 से एक अहम बदलाव की घोषणा की है। अब यात्रियों को तत्काल टिकट बुक करने के लिए अपने IRCTC अकाउंट को आधार से लिंक करना होगा। इसके बिना, वे तत्काल टिकट बुकिंग की सुविधा का उपयोग नहीं कर पाएंगे। यह कदम भारतीय रेलवे द्वारा टिकट बुकिंग प्रणाली में सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इस नए नियम के तहत, जो यात्री तत्काल टिकट बुक करना चाहते हैं, उन्हें अपनी IRCTC अकाउंट को आधार से लिंक करना अनिवार्य होगा। इससे टिकट बुकिंग के दौरान सुरक्षा का स्तर बढ़ेगा और फर्जी बुकिंग या टिकट के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। क्यों लिया गया यह फैसला? यह कदम फर्जी टिकट बुकिंग को रोकने के लिए उठाया गया है। साथ ही यह बदलाव यात्रियों की पहचान की पुष्टि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा असली और जरूरतमंद यात्रियों को लाभ मिल सके। यह भी पढ़ें: अब सिर्फ बोलना है और बुक हो जाएगी टिकट, IRCTC लाया कमाल का फीचर, जानिए कैसे करता है काम? IRCTC का आधार से लिंक होने के फायदे आधार से IRCTC अकाउंट को लिंक करने के कई लाभ होंगे:     सुरक्षित और तेज़ टिकट बुकिंग: आधार लिंकिंग से बुकिंग प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित हो जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वास्तविक उपयोगकर्ता ही तत्काल टिकट बुक कर पाएंगे, जिससे बुकिंग में धोखाधड़ी कम होगी।     ऑनलाइन बुकिंग की पारदर्शिता: आधार से जुड़ी जानकारी से यह सुनिश्चित होगा कि टिकट बुक करने वाले व्यक्ति का वास्तविक डेटा सत्यापित है, जिससे रेलवे टिकट के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।     तत्काल टिकट बुकिंग में आसानी: आधार लिंकिंग से बुकिंग प्रक्रिया तेज होगी, और यात्रियों को तत्काल टिकट बुक करने में कोई रुकावट नहीं आएगी।     फर्जी बुकिंग पर नियंत्रण: आधार आधारित सत्यापन प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी गैर अधिकृत व्यक्ति या एजेंट टिकट बुकिंग के लिए गलत जानकारी का इस्तेमाल न कर सके। IRCTC अकाउंट को आधार से लिंक कैसे करें?     IRCTC अकाउंट में लॉग इन करें:         सबसे पहले, IRCTC की आधिकारिक वेबसाइट (www.irctc.co.in) पर जाएं या IRCTC मोबाइल ऐप खोलें।         अपनी यूज़रनेम और पासवर्ड डालकर अकाउंट में लॉग इन करें।     प्रोफ़ाइल सेक्शन में जाएं:         लॉग इन करने के बाद, स्क्रीन के ऊपर दिए गए मेनू में “प्रोफ़ाइल” सेक्शन में जाएं।         यहां आपको “आधार लिंकिंग” का ऑप्शन मिलेगा। इसे चुनें।     आधार नंबर डालें:         आधार लिंकिंग सेक्शन में अपना आधार नंबर डालें। ध्यान रखें कि जो जानकारी आपने आधार में दी है, वही जानकारी आपके IRCTC अकाउंट में होनी चाहिए, ताकि लिंकिंग प्रक्रिया में कोई समस्या न हो।     आधार OTP सत्यापन करें:         जब आप आधार नंबर डालेंगे, तो आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक OTP (वन टाइम पासवर्ड) भेजा जाएगा।         उस OTP को सही-सही दर्ज करें और लिंकिंग प्रक्रिया को पूरा करें।     लिंकिंग की पुष्टि:         OTP के सत्यापन के बाद, आपके IRCTC अकाउंट को आधार से लिंक कर दिया जाएगा।         इसके बाद, आपको एक पुष्टि संदेश मिलेगा कि आधार लिंकिंग सफलतापूर्वक हो गई है। क्या होगा अगर आप आधार से IRCTC अकाउंट लिंक नहीं करते? यदि आप 1 जुलाई 2025 से पहले अपने IRCTC अकाउंट को आधार से लिंक नहीं करते हैं, तो आपको तत्काल टिकट बुक करने की सुविधा नहीं मिल पाएगी। हालांकि, आप सामान्य टिकट बुकिंग की प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं, लेकिन तत्काल टिकट बुकिंग के लिए आधार लिंकिंग अनिवार्य है। इस नए नियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य टिकट बुकिंग प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाना है। आधार लिंकिंग का महत्व यह बदलाव भारतीय रेलवे द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य बुकिंग प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। आधार आधारित सत्यापन से बुकिंग में धोखाधड़ी को रोका जा सकता है, और टिकट का दुरुपयोग नहीं होगा। इसके अलावा, यह कदम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं में भी आधार को एकीकृत करने में मदद करेगा। आधार लिंकिंग के लिए अन्य फायदे     सरलता और गति: आधार से IRCTC अकाउंट लिंक होने के बाद, टिकट बुकिंग की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक तेज़ और सरल हो जाएगी।     समानता: यह सुनिश्चित करेगा कि सभी यात्रियों के पास समान और सुरक्षित बुकिंग प्रक्रिया हो।     टिकट की पुनः बिक्री पर रोक: यह कदम फर्जी टिकट बुकिंग को रोकने में भी मदद करेगा, जिससे यात्रियों को ही वास्तविक लाभ मिलेगा। IRCTC का आधार लिंकिंग नियम भारतीय रेलवे की टिकट बुकिंग प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए एक आवश्यक कदम है। इस बदलाव के लागू होने से यात्रियों को तत्काल टिकट बुकिंग के लिए अधिक सुरक्षित और तेज़ प्रक्रिया मिलेगी। अगर आप तत्काल टिकट बुकिंग की सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं, तो 1 जुलाई 2025 से पहले अपने IRCTC अकाउंट को आधार से लिंक करना जरूरी है। आप IRCTC वेबसाइट पर जाकर अपनी आधार लिंकिंग प्रक्रिया को जल्दी से पूरा कर सकते हैं, ताकि आप इस बदलाव से प्रभावित न हों। इसके साथ ही, आप IRCTC कस्टमर सपोर्ट से भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं यदि आपको कोई समस्या आती है। हमेशा याद रखें सावधानी IRCTC अकाउंट को आधार नंबर से ऑथेंटिकेट करने के लिए जरूरी है कि हमेशा ऑफिशियल ऐप और ऑफिशियल पोर्टल का ही सहारा लें. साइबर स्कैमर्स आपको धोखा देने के लिए और बैंक खाते में सेंधमारी करने के लिए फेक पोर्टल या ऐप तैयार कर सकते … Read more

भारत के पास होंगे नए हाईटेक डिफेंस सैटेलाइट्स, तैयारियों में ISRO और प्राइवेट कंपनियां

नई दिल्ली ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुश्मन के इलाके पर लगातार नजर रखने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसलिए, भारत अपनी सेना के लिए 52 नए सैटेलाइट (डिफेंस सर्विलांस सैटेलाइट) जल्दी ही लॉन्च करने की योजना बना रहा है। साथ ही एक मजबूत मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन ( अंतरिक्ष में युद्ध के नियम) भी तैयार कर रहा है। पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने स्पेस-बेस्ड सर्विलांस (SBS) प्रोग्राम के तीसरे चरण को मंजूरी दी थी। इस पर 26,968 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके तहत, इसरो (ISRO) 21 सैटेलाइट बनाएगा और तीन प्राइवेट कंपनियां 31 सैटेलाइट बनाएंगी। 2026 अप्रैल तक पहला डिफेंस सर्विलांस सैटेलाइट लॉन्च होगा इनमें से पहला डिफेंस सर्विलांस सैटेलाइट 2026 के अप्रैल तक लॉन्च हो जाएगा। 2029 के अंत तक सभी 52 सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है। यह प्रोजेक्ट डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA) की अगुवाई में चल रहा है। डीएसए रक्षा मंत्रालय के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) का हिस्सा है। एक सूत्र ने TOI को बताया, 'सैटेलाइट को जल्दी ही लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में लॉन्च करने के लिए काम चल रहा है। जिन तीन प्राइवेट कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट मिला है, उन्हें सैटेलाइट बनाने की गति बढ़ाने के लिए कहा गया है।' लो अर्थ ऑर्बिट पृथ्वी के करीब की कक्षा है, जबकि जियोस्टेशनरी ऑर्बिट पृथ्वी से बहुत दूर की कक्षा है। 2026 के अंत तक तैयार हो जाएंगे सैटेलाइट्स भारत सरकार ने तीन प्राइवेट कंपनियों—अनंत टेक्नोलॉजीज, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स और अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज को सैटेलाइट बनाने के समय को चार साल से घटाकर 12-18 महीनों में पूरा करने को कहा है। अब ये सैटेलाइट्स 2026 के अंत तक तैयार हो सकते हैं, जबकि पहले इनका प्लान 2028 का था। अनंत टेक्नोलॉजीज जिस सैटेलाइट को बना रही है, उस सैटेलाइट के इसी साल तैयार हो जाने की संभावना है। इसे ISRO के भारी रॉकेट LVM-3 या फिर एलन मस्क की कंपनी SpaceX के जरिए लॉन्च किया जा सकता है। 3 बिलियन डॉलर की योजना ये सारी प्रक्रिया 3 बिलियन डॉलर की Space-based Surveillance-3 (SBS-3) योजना के तहत हो रही है, जिसे अक्टूबर में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने मंजूरी दी थी। इसके तहत कुल 52 निगरानी सैटेलाइट बनाए जा रहे हैं। इनमें से 31 प्राइवेट कंपनियां बना रही हैं और बाकी ISRO धीरे-धीरे बनाएगा। कौन कंपनियां बना रहीं हैं ये सैटेलाइट तीनों कंपनियां—हैदराबाद की अनंत टेक्नोलॉजीज, बेंगलुरु की सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स और अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज ISRO की पुरानी पार्टनर और सप्लायर रही हैं। इन्होंने पहले भी निगरानी सैटेलाइट्स और चंद्रयान-3 जैसे मिशनों में अहम भूमिका निभाई है। अनंत टेक्नोलॉजीज़, जिसे ISRO के पूर्व साइंटिस्ट सुब्बा राव पावुलुरी लीड कर रहे हैं और सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स, जिसके चेयरमैन अप्पाराव मल्लवारपू हैं। इन दोनों कंपलियों ने चंद्रयान-3 में अहम कॉम्पोनेंट्स सप्लाई किए थे। तीसरी कंपनी, अल्फा डिजाइन को अप्रैल 2019 में अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने पूरी तरह खरीद ली थी। ये कंपनी ISRO के लिए NavIC सैटेलाइट्स बनाने में भी शामिल रही है, जो कि भारत का खुद का GPS सिस्टम है। प्राइवेट कंपनियां का संवेदनशील प्रोजेक्ट्स में बड़ी भूमिका सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स प्राइवेट स्पेस कंपनियों के लिए बहुत अहम होते हैं। स्पेस इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि प्राइवेट कंपनियां बड़े और संवेदनशील प्रोजेक्ट्स में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के स्पेस फेलो चैतन्य गिरी ने बताया कि ये कंपनियां पहले से ही ISRO की सप्लायर हैं, इसलिए इनके लिए सैटेलाइट्स बनाना और लॉन्च करना कोई नई बात नहीं है। भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से इन सैटेलाइट्स निर्माण की प्रक्रिया तेज करने का ‘सॉफ्ट ऑर्डर’ उस वक्त आया, जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की थी। चीन-पाकिस्तान से हिंद महासागर क्षेत्र तक पर रहेगी नजर सूत्र ने आगे बताया,'स्पेस-बेस्ड सर्विलांस (SBS)-3 का लक्ष्य चीन और पाकिस्तान के बड़े इलाकों के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र को भी कवर करना है। इसके लिए, सैटेलाइट कम समय में एक ही जगह की तस्वीरें ले सकेंगे और उनकी क्वालिटी भी बेहतर होगी। स्पेस डॉक्ट्रिन को भी बेहतर बनाया जा रहा है।'इसका मतलब है कि सैटेलाइट पहले से अधिक तेजी से और बेहतर तरीके से जानकारी जुटा पाएंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन की ओर से पाकिस्तान की सक्रिय सपोर्ट की रिपोर्ट आ चुकी हैं। ऐसे में अंतरिक्ष में चीन की बढ़ती ताकत को अब भारत के लिए नजरअंदाज करना नाममुकिन हो चुका है। हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम खरीदने की भी तैयारी इसके साथ ही भारतीय वायुसेना (IAF) तीन हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) एयरक्राफ्ट खरीदने की तैयारी कर रही है। HAPS एक तरह के ड्रोन होते हैं, जो बहुत ऊंचाई पर उड़ते हैं और लंबे समय तक खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोह लेने (ISR) का काम करते हैं। इन्हें 'स्यूडो-सैटेलाइट'(छद्म सैटेलाइट) भी कहा जाता है। एनबीटी ऑनलाइन पहले भी यह खबर दे चुका है। देखते ही फौरन कार्रवाई करने लायक लूप बनाने पर जोर ऑपरेशन सिंदूर (पाकिस्तान के खिलाफ 7 से 10 मई के बीच) के दौरान भारत ने कार्टोसैट जैसे घरेलू सैटेलाइट और विदेशी कमर्शियल सैटेलाइट का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी सेना की हरकतों पर नजर रखी थी। एक और सूत्र ने कहा, 'हमें अपने ऑब्जर्व, ओरिएंट, डिसाइड एंड एक्ट (OODA) लूप को छोटा करना होगा। भारत जितनी जल्दी 52 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा, उतना ही बेहतर होगा।' OODA लूप का मतलब है कि किसी भी स्थिति को देखकर, समझकर, फैसला लेकर तुरंत कार्रवाई करना। अंतरिक्ष में भी चीन की चुनौती से निपटने की तैयारी जरूरी भारत को अपनी सैटेलाइट की सुरक्षा के लिए भी एक शील्ड भी बनानी होगी। क्योंकि, चीन डायरेक्ट एसेंट एंटी-सैटेलाइट मिसाइल, को-ऑर्बिटल सैटेलाइट, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण और हाई-पावर्ड लेजर जैसे हथियार बना रहा है। इनका इस्तेमाल करके वह दूसरे देशों को अंतरिक्ष के इस्तेमाल को सीमित कर सकता है। चीन का मिलिट्री स्पेस प्रोग्राम 2010 में सिर्फ 36 सैटेलाइट से बढ़कर 2024 तक 1,000 से ज्यादा सैटेलाइट तक पहुंच गया था। इनमें से 360 सैटेलाइट ISR (खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोह लेने) मिशन के लिए हैं। रियल-टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस की आवश्यकता अहम इस महीने की शुरुआत में एक सेमिनार में आईडीएस चीफ एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने भारत के 'निगरानी दायरे' को बढ़ाने की … Read more