स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर राज्य के सभी चिकित्सकों को अपनी शुभकामनाएं दी

रायपुर : स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर दी शुभकामनाएं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डॉक्टर्स की मेहनत के कारण छत्तीसगढ़ का नाम आज चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक जाना पहचाना नाम  स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर राज्य के सभी चिकित्सकों को अपनी शुभकामनाएं दी रायपुर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर राज्य के सभी चिकित्सकों को  अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि देश के प्रसिद्ध चिकित्सक और राजनेता डॉ विधान चंद्र रॉय के नाम पर हम राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाते हैं। छत्तीसगढ़ के चिकित्सक सुदूर इलाकों में, जंगलों में, नक्सली क्षेत्रों में बहुत ही मुश्किल रास्तों को पार करके, कठिन परिस्थिति में कड़ी मेहनत करके लोगों की सेवा कर रहे हैं। कोरोना महामारी के समय चिकित्सकों ने जो काम किया उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।  मै उनके जज्बे, हौसले को सलाम करता हूं। साथ ही ये उम्मीद करता हूं कि वो ऐसे हे जनता की सेवा करते रहेंगे।  स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डॉक्टर्स की मेहनत के कारण छत्तीसगढ़ का नाम आज चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक जाना पहचाना नाम है। उनके इस योगदान के लिए पूरा राज्य उनका आभारी है। मै सभी चिकित्सकों को , सपोर्टिंग स्टाफ को डॉक्टर्स डे की बधाई देता हूं।

विस अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के प्रयासों से 242.80 करोड़ की लमती फीडर डैम परियोजना को मिली स्वीकृति, 41 गांवों की खेती को मिलेगा नया जीवन

राजनांदगांव  राजनांदगांव जिले के किसानों के लिए आज का दिन अत्यंत गर्व और उम्मीद से भरा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष एवं राजनांदगांव विधायक डॉ. रमन सिंह के सतत प्रयासों और पहल से 242.80 करोड़ रुपए की लागत से लमती फीडर डैम के माध्यम से कुल 41 गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे हजारों किसान परिवारों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होने जा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना से खैरागढ़, छुईखदान और गंडई क्षेत्र के 2 गांवों के साथ-साथ राजनांदगांव जिले के 39 गांवों को सीधे लाभ मिलेगा। इन 39 गांवों में से 10 गांव अत्यंत सूखाग्रस्त घोषित हैं, जहां किसानों को लंबे समय से जल संकट का सामना करना पड़ रहा था। इन सूखाग्रस्त गांवों में बम्हनी, धनगांव, सुकुलदैहान, गातापार, बागतराई, डिलापहरी, धर्मापुर, ढाबा, बरगाही और लिटिया शामिल हैं। डॉ. रमन सिंह जी ने इस योजना के स्वीकृति को राजनांदगांव जिले सहित समूचे अंचल के किसानों के लिए महत्वपूर्ण फैसला बताया और कहा कि "यह सिर्फ सिंचाई योजना नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य को सुरक्षित करने की एक ठोस पहल है। मेरा सदैव प्रयास रहा है कि प्रत्येक गांव, प्रत्येक खेत तक पानी पहुंचे और हर किसान के चेहरे पर संतोष की मुस्कान लौटे। इस डैम के निर्माण से 1840 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी। इससे जहां धान, गेहूं, दलहन और सब्जियों की खेती को बढ़ावा मिलेगा, वहीं कृषि आधारित आजीविका पर आश्रित परिवारों को आर्थिक मजबूती भी मिलेगी। यह परियोजना न केवल जल संसाधन प्रबंधन में एक बड़ा कदम है, बल्कि “समृद्ध गांव – सशक्त किसान” के संकल्प की दिशा में एक मजबूत आधारशिला है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह जी ने इस स्वीकृति के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार के प्रति आभार प्रकट किया है और विश्वास जताया है कि जल्द ही इस पर निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। इस परियोजना के संबंध में जल संसाधन विभाग द्वारा विस्तृत प्रस्तुतीकरण परियोजना समिति के समक्ष किया गया। विभाग द्वारा समिति को यह अवगत कराया गया कि यह डैम परियोजना खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के खैरागढ़ तहसील एवं विकासखण्ड के ग्राम लछनाटोला के समीप, आमनेर नदी पर प्रस्तावित है।

अब तक जिले में आयोजित शिविरों के माध्यम से 2340 से अधिक जनजातीय नागरिकों को आधार कार्ड बनाया

 रायपुर मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान जनजातीय समुदाय के जीवन में आशा की नई किरण बनकर उभरी है। इस योजना के अंतर्गत लगाए जा रहे शिविरों के माध्यम से दूरस्थ अंचलों तक आधार से संबंधित सेवाएं पहुँचाई जा रही हैं, जिससे हजारों नागरिकों को घर के पास ही राहत मिल रही है।          अब तक जिले में आयोजित शिविरों के माध्यम से 2340 से अधिक जनजातीय नागरिकों को आधार कार्ड बनाया, अद्यतन एवं समस्याओं का समाधान सफलतापूर्वक किया जा चुका है। इससे यह स्पष्ट होता है कि धरती आबा योजना केवल एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि जनजातीय समाज के लिए एक डिजिटल सशक्तिकरण अभियान बन गई है।          जिले के आधार सेवा संचालक श्री लखन लाल साहू को जिला अंतर्गत राज्य में Best performing Operator in Aadhaar Enrolment &Update services in LWE Districts of Chhattisgarh State यह पुरस्कार  UIDAI REGIONAL OFFICE HYDERABAD द्वारा 20 जून 2025 को रायपुर में आयोजित सम्मान समारोह में प्रदान किया गया।                          धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान अंतर्गत नागरिकों को डिजिटल सेवा आधार, आय, जाति, निवास, बिजली की बिल भुगतान, गैस रिफिलिंग, ट्रेन टिकट, बैंकिग, किसानों का फसल बीमा, किसान पंजीयन, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पेन कार्ड, आदि सेवाएं जनजातीय समुदाय के नागरिकों को धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान शिविर में ग्राम स्तर पर ही मुहैया हो रहा है।          धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान आज ग्राम विकास, जन सुविधा और डिजिटल समावेश का प्रतीक बन चुकी है। यह पहल न केवल आधार जैसी महत्वपूर्ण सेवा को सुलभ बना रही है, बल्कि जनजातीय अंचलों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही है।

युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए

: युक्तियुक्तकरण से लौटी स्कूलों की रौनक, स्कूलों में फिर सुनाई दे रहे हिंदी अंग्रेजी के पाठ और गणित के सवालों की गूंज चार साल तक एकल, फिर शिक्षकविहीन रहा स्कूल अब बन गया शिक्षा का केंद्र युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए  रायपुर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई युक्तियुक्तकरण नीति अब राज्य के दूरस्थ अंचलों के गांवों के विद्यालयों में नए उत्साह का संचार कर रही है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड के पाकरगांव स्थित प्राथमिक शाला इसका जीवंत उदाहरण बन चुकी है। लंबे समय तक शिक्षकविहीन रह चुकी यह शाला अब शिक्षा की आवाज़ से गूंज रही है। पाकरगांव का यह स्कूल पहले चार वर्षों तक एकल शिक्षक के भरोसे संचालित होता रहा। बाद में शिक्षक के अन्यत्र तबादले के कारण स्कूल पूरी तरह शिक्षकविहीन हो गया। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई और पालकों में भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ने लगी थी। कई बच्चों ने स्कूल आना तक बंद कर दिया था। सरकार द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं। इनकी नियमित उपस्थिति से विद्यालय की गतिविधियाँ फिर से सुचारू रूप से शुरू हो गई हैं। बच्चों को अब न केवल अक्षरज्ञान मिल रहा है, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों की व्यवस्थित शिक्षा भी मिल रही है। अंग्रेजी शब्दों का उच्चारण, हिंदी के पाठ, पहाड़े और गणित के सवालों के साथ कक्षा में फिर से रौनक लौट आई है। बच्चों के साथ-साथ पालकों और ग्रामवासियों में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। विद्यालय में नियमित कक्षाएं लगने से अब पालक अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए उत्साहित हैं। ग्रामवासी इस बदलाव को एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। पाकरगांव प्राथमिक शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष त्रिनाथ सतपथी ने इस पहल को सराहते हुए कहा कि युक्तियुक्तकरण के चलते हमारे गांव के बच्चों को अब फिर से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा दो शिक्षकों की पदस्थापना से शाला में शिक्षा का माहौल सशक्त हुआ है और यह विद्यालय अब वास्तव में ज्ञान का केंद्र बन चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शासन प्रशासन के प्रति गांववासियों की ओर से आभार व्यक्त किया। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से न केवल शिक्षकविहीन स्कूलों को संबल मिला है, बल्कि यह नीति ग्रामीण अंचलों में शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता को भी नई ऊंचाई दे रही है।

30 पूर्व नक्सलियों को नया जीवन शुरू शुरू करने राजमिस्त्री का प्रशिक्षण देकर स्वालंबी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया

  सुकमा  नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में जिला प्रशासन की ओर से आत्म समर्पण कर मुख्यधारा में लौटे 30 पूर्व नक्सलियों को नया जीवन शुरू करने का अवसर प्रदान किया गया है। प्रशासन द्वारा इन युवाओं काो राजमिस्त्री का व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आर्थिक रूप से स्वालंबी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए सुनहरे भविष्य की राह तैयार की की जा रही है। जिला कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन और एसपी किरण चव्हाण के मार्गदर्शन में इस पहल की शुरूआत की गई है। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सभी लाभार्थियों को एसपी किरण चव्हाण ने कार्यालय में प्रमाण पत्र प्रदान किया। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पुनर्वास केंद्र में रखकर उनके कौशल विकास और रोजगार के अवसर सुनिश्चित कराए जा रहे हैं। इस योजना से नक्सली गतिविधियों से दूरी बनाने वालों को न केवल सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा, बल्कि उनके परिवारों को राज्य सरकार द्वारा आत्म समर्पित नक्सलियों के लिए आजीविका के साधन भी उपलब्ध होंगे। शांति और विकास की राह में सम्मानजनक पहल की जा रही है। लाइवलीहूड कालेज के तत्वाधान में आरसेटी के तहत चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में आत्मसमर्पित नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की दिशा में यह एक अहम प्रयास माना जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि इस तरह की योजनाएं बाकी सक्रिय नक्सलियों को भी हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगी। प्रशिक्षण हासिल करने वाले सभी आत्मसमर्पितों को एसपी के द्वारा प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। प्रमाण पत्र पाकर प्रशिक्षित युवाओं में आत्मविश्वास साफ नजर आया। प्रशासन ने भरोसा जताया कि इस पहल से न सिर्फ उनका भविष्य सवंरेगा बल्कि सुकमा में स्थायी शांति और स्वरोजगार स्थापित करने में मदद मिलेगी। 

राज्य के सिर्फ 1 मेंटल अस्पताल की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त, स्वास्थ्य सचिव से मांगा जवाब

बिलासपुर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बना एकमात्र मेंटल हॉस्पिटल फिलहाल खुद अच्छी हालत में नहीं है, क्योंकि यहां न तो मरीजों को टोकन मिल रहे हैं और न ही समय से डॉक्टर पहुंच रहे हैं, जबकि अस्पताल परिसर में साफ-सफाई की भी पर्याप्त व्यववस्था नहीं है. इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी से जवाब मांगा है. बताया जा रहा है कि अस्पताल के ओपीडी में हर दिन करीब 150 मरीज आते हैं, लेकिन टोकन सिस्टम नहीं होने की वजह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगी थी याचिका  दरअसल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बिलासपुर में बने मेंटल हॉस्पिटल को लेकर एक जनहित याचिका लगाई गई थी, जो अस्पताल की अव्यवस्था पर थी, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच हो रही है. बताया जा रहा है कि इस मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की थी, जिसमें एडवोकेट ऋषि राहुल सोनी को कोर्ट की तरफ से कमिश्नर नियुक्त कर अस्पताल की पूरी निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था, इसके बाद उन्होंने बिलासपुर के मेंटल हॉस्पिटल का निरीक्षण किया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर को पेश कर दी थी, बताया जा रहा है कि अब जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट अपना शपथ पत्र देने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होनी है.  मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों और सुविधाओं का अभाव होने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी और एक अन्य ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसपर सुनवाई लगातार चल रही है. पिछली सुनवाई में मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में यह बात लिखी थी कि उनके निर्देश पर आयुक्त सह निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य नोडल अधिकारी (एनएमएचपी) के साथ 01/04/2025 को मानसिक अस्पताल सेंदरी का दौरा कर निरीक्षण किया और रिपोर्ट पेश किया. इसके अलावा सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने खुद 08 अप्रैल 2025 को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया और कमियों को दूर करने और सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए. राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के अधीक्षक ने 17/04/2025 को प्रकाशित समाचार पत्र के संदर्भ में बिन्दुवार जवाब पत्र जारी किया था. जिसमें कहा गया "समाचार निराधार है. अस्पताल में उपलब्ध स्टाफ ड्यूटी रोस्टर और निर्धारित ड्यूटी के अनुसार काम कर रहा है. मरीजों को सुरक्षा स्टाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर रहा है. अस्पताल में फार्मासिस्ट की कोई कमी नहीं है." लेकिन सोमवार को हुई इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ऋषि राहुल सोनी ने बताया "उन्होंने कोर्ट के निर्देश पर 4 जून से लेकर 6 जून तक अस्पताल का निरीक्षण किया. स्टाफ से लेकर सभी व्यवस्थाओं पर गंभीरता से जांच की. अस्पताल की स्थिति ठीक नहीं है. अस्पताल में फिलहाल डॉक्टर उपलब्ध कराए गए हैं. हालांकि वह शासकीय सेटअप के हिसाब से कम हैं." महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सेंदरी अस्पताल को लेकर शासन गंभीर है और नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं. कोर्ट कमिश्नर ने सुनाई के दौरान बताया कि डॉक्टर और स्टाफ एक से डेढ़ घंटे अस्पताल में रहते हैं, जबकि उन्हें सुबह 8:00 से 2:00 बजे तक रहना चाहिए. इस बात की तस्दीक रजिस्टर और CCTV फुटेज से होती है. उन्होंने बताया कि वाटर कूलर सही नहीं है, साथ ही हाइजिन का भी ध्यान नहीं रखा जाता है. जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. वहीं अगली सुनवाई 16 जुलाई 2025 को तय करते हुए सचिव स्वास्थ्य से जवाब मांगा है.  

घर का बिजली बिल 90 प्रतिशत तक हुआ कम, पर्यावरण संरक्षण में निभा रहे भूमिका

प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना आमजनों के लिए आर्थिक राहत और पर्यावरण संरक्षण दोनों ही दृष्टियों से वरदान साबित हो रही प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से श्रीनिवास वर्मा को मिली बड़ी राहत घर का बिजली बिल 90 प्रतिशत तक हुआ कम, पर्यावरण संरक्षण में निभा रहे भूमिका रायपुर प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना आमजनों के लिए आर्थिक राहत और पर्यावरण संरक्षण दोनों ही दृष्टियों से वरदान साबित हो रही है। जगदलपुर के धरमपुरा क्षेत्र निवासी पुलिस सब इंस्पेक्टर श्री श्रीनिवास वर्मा इस योजना से लाभान्वित होकर न केवल अपने बिजली बिल से राहत पा रहे हैं, बल्कि ग्रीन एनर्जी अपनाकर पर्यावरण की सुरक्षा में भी सहभागी बन रहे हैं। श्री वर्मा ने बताया कि 3 किलोवाट का सोलर पैनल अपने घर की छत पर स्थापित कराया, जिसकी कुल लागत करीब दो लाख रुपये रही। इसमें केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये की सब्सिडी भी प्राप्त हुई। उन्होंने बैंक से एक लाख रुपये का ऋण लेकर पैनल स्थापना की प्रक्रिया पूरी की और सब्सिडी मिलने पर ऋण का एक बड़ा हिस्सा चुका भी चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले उनके घर का मासिक बिजली बिल 5 से 7 हजार रुपये तक आता था, खासकर गर्मी के मौसम में खपत बहुत अधिक होती थी। लेकिन अब सोलर पैनल लगवाने के बाद से बिजली बिल में 90 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से बहुत राहत मिली है। श्री वर्मा ने इस योजना को एक बेहतरीन पहल बताते हुए सभी नागरिकों से अपील की कि वे भी ग्रीन ऊर्जा को अपनाएं और बिजली बिल से राहत पाने के लिए इस योजना का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि यह योजना पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने इस दूरदर्शी योजना के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का आभार जताया। योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता राष्ट्रीय सौर ऊर्जा पोर्टल https://pmsuryaghar.gov.in/  पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए बिजली कनेक्शन नंबर, आधार कार्ड और छत की फोटो जैसी सामान्य जानकारियों को अपलोड करना होता है। इसके अतिरिक्त, इच्छुक उपभोक्ता अपने नजदीकी छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कार्यालय से संपर्क कर योजना की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सोलर पैनल स्थापना के लिए बैंक ऋण का प्रावधान भी उपलब्ध है, जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों या सहकारी बैंकों से प्राप्त किया जा सकता

छत्तीसगढ़ में एक सप्ताह के लिए बढ़ी ‘चावल उत्सव’ की समयसीमा, 51% लोगों को सात दिन में बांटना होगा तीन महीने का चावल

 रायपुर प्रदेश में एक साथ तीन माह का चावल वितरण करने की सरकार की योजना आधे रास्ते में अटक गई है। 30 जून वितरण की अंतिम तिथि थी, लेकिन अब तक कुल एपीएल कार्डधारियों में से सिर्फ 49 प्रतिशत लोगों को ही चावल मिल पाया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शासन ने अब वितरण की समयसीमा को सात दिन के लिए और बढ़ा दिया है। खास बात यह है कि एपीएल कार्डधारियों के लिए अधिकांश राशन दुकानों में चावल उपलब्ध ही नहीं कराया गया, जिससे हजारों लोग खाली हाथ लौटते रहे। इसके चलते राशन वितरण में भारी असंतोष फैल गया। आंकड़े कर रहे सच्चाई बयां राज्य में कुल 8,55,626 एपीएल कार्डधारी हैं, जिनमें से सिर्फ 5,23,265 कार्डधारियों को ही अब तक चावल का वितरण किया गया है। रायपुर जिले की बात करें तो 1,25,674 एपीएल कार्डधारियों में से महज 62,066 कार्डधारियों को ही राशन मिला है। यानी शहर में आधे से ज्यादा लोग अब भी चावल के इंतजार में हैं। लापरवाही पर गिरी गाज, जीएम हेलिना तिग्गा हटाई गईं चावल वितरण में लापरवाही को लेकर शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए रायपुर नागरिक आपूर्ति निगम की महाप्रबंधक हेलिना तिग्गा को मुख्यालय अटैच कर दिया है। उनकी जगह अब संजय तिवारी को रायपुर का नया महाप्रबंधक बनाया गया है। माना जा रहा है कि यह कार्रवाई वितरण व्यवस्था में बार-बार सामने आ रही गड़बड़ियों को लेकर की गई है। नईदुनिया ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा नईदुनिया ने लगातार अपनी खबर में राशन वितरण की जमीनी हकीकत को उजागर किया था। शहर की अधिकांश राशन दुकानों में एपीएल कार्डधारियों के लिए चावल उपलब्ध न होने, हितग्राहियों को बार-बार चक्कर लगाने और सिस्टम की सुस्ती की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की गई थीं। उसी का असर है कि शासन ने न केवल समय सीमा बढ़ाई, बल्कि जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई भी की। अब सात दिन और मिलेगा समय खाद्य विभाग के नियंत्रक भूपेंद्र मिश्रा के अनुसार, अब तीन माह के चावल वितरण के लिए सात जुलाई तक की समयसीमा निर्धारित की गई है। इस दौरान सभी जिलों के खाद्य अधिकारियों को लक्ष्य पूरा करने के निर्देश जारी किए गए हैं। शासन का दावा है कि इस अवधि में शेष सभी पात्र हितग्राहियों तक चावल पहुंचा दिया जाएगा। राहत की उम्मीद अब देखना होगा कि शासन के इस समयसीमा विस्तार और प्रशासनिक सख्ती के बाद वितरण कार्य कितना गति पकड़ता है। फिलहाल एपीएल कार्डधारियों में असंतोष व्याप्त है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगले सप्ताह के भीतर राशन की आपूर्ति सामान्य हो सकेगी। सुबह 10 से रात 10 बजे तक बांटना पड़ रहा है चावल तीन माह का राशन एक साथ बांटने की योजना ग्राम नरदहा में अव्यवस्था का कारण बन गई है। राजधानी से महज दो किलोमीटर दूर इस गांव में 1,773 राशन कार्डधारियों को चावल देना है, लेकिन स्टाफ और संसाधनों की भारी कमी के चलते सुबह 10 से रात 10 बजे तक वितरण चल रहा है। हर कार्डधारी को छह बार अंगूठा लगाना पड़ रहा है, जिससे प्रतिदिन सिर्फ 50-60 लोगों को ही राशन मिल पा रहा है। बाकी सैकड़ों हितग्राही खाली हाथ लौट रहे हैं। मात्र एक कर्मचारी वितरण कार्य संभाल रहा है। दुकान में जगह कम होने से चावल का स्टॉक बाहर रखना पड़ रहा है और उसे रोज लाकर तौलना पड़ता है। मशीन की स्लो स्पीड कर रही काम को बाधित मशीन की धीमी स्पीड और नेटवर्क की समस्या से काम और बाधित हो रहा है। मजदूरों की रोजी पर भी असर पड़ रहा है। काम छोड़कर लाइन में लगने से उनकी आमदनी रुक रही है। ग्राम प्रमुख अनिल टंडन ने कहा, यह संवेदनहीनता का त्योहार बन गया है। उन्होंने समय और स्टाफ बढ़ाने की मांग की है, लेकिन शासन की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है। 

CG में प्राचार्य पदोन्नति पर हाईकोर्ट से बड़ी राहत: डिवीजन बेंच ने हटाया स्टे, याचिकाएं खारिज, 3500 स्कूलों में अब जल्द होगी नियुक्ति

बिलासपुर  छत्तीसगढ़ में प्राचार्यों की बहुप्रतीक्षित पदोन्नति का रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो गया है। राज्य सरकार द्वारा जारी प्रमोशन सूची पर लगी हाईकोर्ट की रोक को डिवीजन बेंच ने हटा दिया है। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार की प्रमोशन नीति को वैध ठहराते हुए याचिकाकर्ताओं की तमाम आपत्तियों को खारिज कर दिया है। यह अहम फैसला मंगलवार को जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने सुनाया। इससे पहले 15 दिन पहले कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट में उठे थे बीएड और वरिष्ठता के मुद्दे प्राचार्य पदोन्नति फोरम सहित कई याचिकाकर्ताओं ने बीएड डिग्री की अनिवार्यता और वरिष्ठता को लेकर आपत्ति जताई थी। कोर्ट में दलील दी गई कि कई शिक्षकों को पहले ही नियमों के विरुद्ध प्रमोशन देकर पदस्थ किया गया था, जो न्यायालय की अवमानना है। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने पहले जारी की गई सभी ज्वॉइनिंग को अमान्य कर दिया था और स्थगन आदेश जारी किया था। हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी दरअसल, प्राचार्य पदोन्नति फोरम के साथ ही प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी। इसमें बताया गया है कि, पहले कोर्ट के आदेश के बावजूद कई शिक्षकों को प्राचार्य पद पर प्रमोशन देकर ज्वॉइन करा दिया गया है। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि, यह न्यायालय की अवमानना का मामला है। शुरुआती सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक की गई सभी ज्वॉइनिंग को अमान्य कर दिया था। बीएड की अनिवार्यता को दी थी चुनौती इस मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में बीते 11 जून से 16 जून तक लगातार हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अपनी बहस पूरी करते हुए बीएड डिग्री को प्राचार्य पद के लिए अनिवार्य बताया। इसके अलावा, उन्होंने माध्यमिक स्कूलों के प्रधान पाठकों से लेक्चरर बने शिक्षकों की वरिष्ठता का मुद्दा भी उठाया। शासन ने कहा- नियमों के अनुसार दी पदोन्नति हाईकोर्ट में चल रही याचिकाओं में एक मामला साल 2019 से जुड़ा हुआ है, जबकि अन्य याचिकाएं 2025 में बीएड और डीएलएड योग्यता से संबंधित हैं। इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रमोशन नियम को लेकर सभी कैटेगरी के शिक्षकों के हितों का ध्यान रखा गया है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। स्टे हटने के बाद तत्काल पोस्टिंग दे राज्य सरकार इधर, शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा कि व्याख्याता संवर्ग के शिक्षकों को अपने हक के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिस पर 1 मई को हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिया। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के साथ ही शिक्षक संघ और शासन ने पक्ष रखा। संजय शर्मा ने कहा कि अब हाईकोर्ट का फैसला आ गया है। जिसमें स्थगन आदेश को हटाकर सभी याचिकाएं खारिज की गई है। ऐसे में अब जारी प्रमोशन सूची के आधार पर राज्य सरकार तत्काल प्राचार्यों की पोस्टिंग आदेश जारी करे। ताकि, शिक्षा सत्र शुरू होते ही प्रदेश के 3500 स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति हो सके।

शराब घोटाले में पूर्व मंत्री लखमा के खिलाफ कोर्ट में 1200 पन्नों का चालान पेश, जानें चार्जशीट में क्या है?

रायपुर  छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया है, जिसमें उनकी अहम भूमिका का उल्लेख है. यह मामला 2000 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले से जुड़ा है.  कांग्रेस नेता लखमा करीब 5 महीने से रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. चलन 1200 पन्नो समेत 66 पन्नो की समरी का है. इसे ACB/EOW की विशेष अदालत में पेश किया गया. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में हुए 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की ईडी जांच कर रही है. छत्तीसगढ़ शराब घोटाला साल 2019 से 2022 के बीच हुआ था. इस समय कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार सत्ता में थी. उस समय कवासी लखमा राज्य के आबकारी मंत्री थे. आरोपों के मुताबिक, कवासी लखमा को 36 महीनों में अवैध सिंडिकेट के माध्यम से 72 करोड़ रुपये मिले थे. यह मामला छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार से जुड़ा हुआ है और ईडी इसकी जांच कर रही है. लखमा को इसी वर्ष 15 जनवरी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. इससे पहले 28 दिसंबर 2024 को ईडी ने लखमा और उनके करीबियों के घरों पर छापेमारी की थी. 3 जनवरी और 9 जनवरी को भी कांग्रेस नेता लखमा से पूछताछ की गई थी. इसके बाद 15 जनवरी को पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. लखमा तभी से जेल में है. जांच में सामने आया है कि शराब की अवैध कमाई से लखमा को 64 करोड़ मिले। पूर्व मंत्री ने बेटे के लिए 1.4 और खुद के लिए 2.24 करोड़ में मकान बनाया। बहू-बेटियों समेत कई कारोबारियों के नाम 18 करोड़ का निवेश किया। चालान के अनुसार कवासी लखमा ने साल 2019-2023 के दौरान आबकारी मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया। घोटाले से 64 करोड़ की अवैध कमाई कवासी लखमा के हिस्से में आई है। इसमें से 18 करोड़ रुपए की राशि से संबंधित निवेश और खर्च के दस्तावेजी साक्ष्य भी जांच एजेंसी को मिले हैं। गौरतलब है कि शराब घोटाला मामले में अब तक कुल चार चार्जशीट (एक मूल और तीन पूरक चालान) स्पेशल कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आबकारी नीति-2017 को ही बदल दिया शराब घोटाले की पड़ताल के दौरान ये भी खुलासा हुआ कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भ्रष्टाचार के लिए सबसे पहले 2019 में आबकारी नीति-2017 को ही बदल दिया। इससे उन्हें सीधा लाभ मिला। उन्होंने आईएएस अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर के साथ मिलकर सिंडीकेट बनाया। इस सिंडीकेट को चलाने के लिए इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को प्रतिनियुक्ति पर आबकारी में लाए। उसके बाद अपने मंसूबे अंजाम दिए। सिंडीकेट ने 4 साल में 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। पुरैना में 2.24 करोड़ रुपए का बंगला इसमें लखमा को कमीशन के तौर पर 64 करोड़ रुपए कैश मिले। लखमा ने भ्रष्टाचार से मिले 1.4 करोड़ रुपए से बेटे हरीश के लिए सुकमा में आलीशान मकान बनाया। खुद के लिए पुरैना में 2.24 करोड़ रुपए का बंगला बनाया। जगदलपुर में 4.1 करोड़ रुपए में सीमेंट फैक्ट्री को लीज पर लिया। शराब घोटाला मामले में ये गिरफ्तार 2024 में आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह, कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप पांडेय, रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, सुनील दत्त। 2025 में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और कारोबारी विजय भाटिया को गिरफ्तार किया गया है। प्रति पेटी ऐसे कमीशन     अनिल टुटेजा- 150 रुपए     अनवर ढेबर- 150 रुपए     विकास अग्रवाल-75 रुपए     बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह- 75 रुपए     हर जिले के आबकारी अधिकारी- 150 रुपए     सीएसएमसीएल- 150 रुपए जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन 2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई। B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी।