एक लीक फोन कॉल ने इस महिला प्रधानमंत्री को अपने पद से सस्पेंड करवा दिया.

बैंकॉक  थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने  प्रधानमंत्री पैतोंगटर्न शिनावात्रा को उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह फैसला एक लीक हुई फोन कॉल को लेकर लिया गया है, जिसमें कथित तौर पर सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग का संकेत मिलता है। क्या है पूरा मामला? शिनावात्रा पर आरोप है कि उन्होंने एक गुप्त फोन कॉल के जरिए संवैधानिक सीमाओं से परे जाकर सरकारी हस्तक्षेप किया। इस कॉल में वे न्यायिक और प्रशासनिक संस्थाओं को प्रभावित करने की बात करती हुई सुनाई दीं। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेदों के उल्लंघन के रूप में देखा और तत्काल प्रभाव से उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया।  कौन करेगा अब काम? प्रधानमंत्री पद से निलंबन के बाद, कार्यवाहक प्रधानमंत्री का काम उप-प्रधानमंत्री को सौंपा गया है। हालांकि, कोर्ट में मामले की अंतिम सुनवाई पूरी होने तक शिनावात्रा अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकेंगी। पार्टी की प्रतिक्रिया शिनावात्रा की पार्टी, फ्यू थाई पार्टी, ने इस फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है। पार्टी समर्थकों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।   राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत उन्हें दोषी ठहराती है, तो नई सरकार बनाने या मध्यावधि चुनाव कराने की स्थिति बन सकती है। फिलहाल देश में राजनीतिक अस्थिरता गहराने के संकेत मिल रहे हैं। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए शिनावात्रा ने कंबोडिया के ताकतवर नेता हुन सेन के साथ फोन पर बातचीत की थी, जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग लीक हो गई. इस फोन कॉल के दौरान दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर चर्चा की और बातचीत में शिनावात्रा ने हुन सेन को 'अंकल' कहकर संबोधित किया. साथ ही कहा कि अगर उन्हें कुछ चाहिए तो वह उसका ख्याल रखेंगी. इसके अलावा शिनावात्रा ने थाई सैन्य कमांडर को अपना 'प्रतिद्वंद्वी' बताया, जिसके कारण पीएम की काफी आलोचना हुई और उन पर दुश्मन देश के आगे घुटने टेकने का आरोप लगा.  दुश्मन देश के आगे झुकने का आरोप रूढ़िवादी सांसदों ने उन पर कंबोडिया के सामने झुकने और सेना को कमजोर करने का आरोप लगाया है. साथ ही आरोप लगाया है कि उन्होंने मंत्रियों के बीच 'स्पष्ट ईमानदारी' और 'नैतिक मानकों' की जरूरत वाले संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ जाकर काम किया है. इसी लीक फोन कॉल के बाद पूरे देश में पीएम शिनावात्रा के खिलाफ आक्रोश फैल गया और उनको संवैधानिक जांच का सामना करना पड़ रहा है. पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने सोमवार को कहा कि वह अदालती प्रक्रिया को स्वीकार करेंगी और उसका पालन करेंगी. हालांकि वह नहीं चाहतीं कि उनके काम में कोई रुकावट आए. उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'अगर आप मुझसे पूछें कि क्या मैं चिंतित हूं, तो मैं परेशान हूं.' इससे पहले थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने मंत्रिमंडल में फेरबदल का समर्थन किया था, जो उस समय मजबूरी में किया गया था, जब लीक हुए फोन कॉल की वजह से एक प्रमुख पार्टी ने शिनावात्रा की गठबंधन सरकार से नाता तोड़ दिया था. कैबिनेट में हुआ फेरबदल इस फेरबदल में पूर्व उप प्रधानमंत्री अनुतिन चारविरकुल को पद से हटाया गया, जो भूमजैथई पार्टी के नेता थे, जिन्होंने फोन कॉल लीक के बाद सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. अनुतिन की जगह फुमथम वेचायाचाई की नियुक्ति की गई है, जो पहले रक्षा मंत्री थे और अब उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. रक्षा मंत्री का पद खाली छोड़ दिया गया और उप मंत्री को कार्यवाहक मंत्री बनाया गया है. शिनावात्रा ने खुद संस्कृति मंत्री का पद संभाला है. उन्होंने कहा कि वह वैश्विक स्तर पर थाई संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले शिनावात्रा ने थाईलैंड के भोजन, संस्कृति और खेल पर फोकस करते हुए देश की 'सॉफ्ट पावर' को बढ़ावा देने में अहम रोल निभाया था. पीएम पद भी जा सकता है संवैधानिक न्यायालय ने पिछले साल नैतिकता के उल्लंघन के कारण उनके पूर्ववर्ती श्रेथा थाविसिन को बर्खास्त कर दिया था. पूर्व पीएम थाविसिन पर एक अपराधी को मंत्री बनाने का आरोप था. थाईलैंड की अदालतों, विशेष रूप से संवैधानिक कोर्ट को राजशाही प्रतिष्ठान के एक गढ़ के रूप में देखा जाता है, जिसने राजनीतिक विरोधियों को डुबोने के लिए उनका और चुनाव आयोग जैसी नाममात्र की स्वतंत्र एजेंसियों का इस्तेमाल किया है. शिनावात्रा को राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक आयोग के कार्यालय की तरफ से कथित तौर पर नैतिकता के उल्लंघन की जांच का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसका फैसला आने पर उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया भी जा सकता है. इस कॉल पर आक्रोश विशेष तौर पर शिनावात्रा की तरफ से थाई सैन्य कमांडर पर दिए बयानों और सीमा पर तनाव कम करने के लिए कंबोडियाई नेता हुन सेन को खुश करने की कोशिशों को लेकर था. पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ देश की दूसरी महिला पीएम हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी हैं. पैटोंगटार्न अपने परिवार से थाईलैंड की पीएम बनने वाली तीसरी नेता हैं. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और बुआ यिंगलुक शिनावात्रा भी पीएम रह चुके हैं. 

क्या है इकनॉमिक वारफेयर? एस. जयशंकर ने आतंकी हमले से जोड़ा गंभीर रिश्ता

नई दिल्ली विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहलगाम आतंकवादी हमले को इकनॉमिक वारफेयर बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यह हमला इसलिए कराया ताकि कश्मीर में पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाया जा सके, जिसके चलते वहां आर्थिक समृद्धि आ रही थी और हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम किसी भी देश की न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आर्थिक संपन्ना का एक ही माध्यम लेगों के पास है और वह है पर्यटन। ऐसे में पाकिस्तानी आतंकियों ने उसे ही टारगेट किया। इसके अलावा धर्म पूछकर लोगों को इसलिए मार डाला गया ताकि सांप्रदायिक सौहार्द देश का बिगड़ जाए। इकनॉमिक वारफेयर युद्ध की ऐसी पद्धति है, जिसमें प्रतिद्वंद्वी देश की अर्थव्यवस्था को टारगेट करने की कोशिश होती है। आर्थिक युद्ध का अर्थ है- किसी देश या समूह को आर्थिक रूप से कमजोर करने, अस्थिर करने या दंडित करने के लिए आर्थिक साधनों का प्रयोग करना। यह एक गैर-सैन्य रणनीति है, जिसमें दुश्मन पर बंदूक या बम से हमला नहीं किया जाता, बल्कि उसकी आर्थिक प्रणाली को निशाना बनाकर कमजोर किया जाता है। ऐसी रणनीति अकसर अमेरिका अपनाता रहा है, जैसे रूस, ईरान, क्यूब, वेनेजुएला जैसे देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना। इसके अलावा ऐसे हमलों को भी इस श्रेणी में शामिल किया जाता है, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हों और लोगों में डर का संचार हो। क्या हैं इकनॉमिक वारफेयर के पैंतरे किसी देश के व्यापार, निवेश या वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाना इसका सबसे प्रमुख तरीका है। जैसे रूस पर अमेरिका और यूरोप द्वारा लगाए गए प्रतिबंध। इसके अलावा किसी देश से आयात-निर्यात पर पूर्ण या आंशिक रोक। यही नहीं अपनी मुद्रा को जानबूझकर सस्ता करके दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना भी इसमें शामिल है। किसी देश या उसके नेताओं की विदेशी संपत्तियों को फ्रीज करना भी इस रणनीति में शामिल है। कई बार बैंक, शेयर बाजार और फाइनेंशियल नेटवर्क पर हमला करने की कोशिश भी इसमें शामिल है। इसके अलावा सप्लाई चेन तोड़ने की कोशिश भी इसमें शामिल है, जैसे- तेल, गैस या अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों की आपूर्ति को बाधित करना। एक और चीज इसमें अहम है, जैसे आर्थिक प्रोपेगेंडा। यानी किसी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर बताना या फिर शेयर बाजार को लेकर अफवाह फैलाना ताकि निवेशकों में डर का संचार हो। लगभग ऐसी ही रणनीति पाकिस्तान ने भी पहलगाम में अपनाई, जो एक टूरिस्ट हॉटस्पॉट है। ऐसे में पहलगाम में ही हमला करके पर्यटकों में डर का संचार करने की कोशिश की गई।  

बेंगलुरु भगदड़ पर ट्रिब्यूनल सख्त, RCB को बताया जिम्मेदार, पुलिस कोई जादूगर या भगवान नहीं’

 बेंगलुरु  केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी विकास कुमार विकास के खिलाफ कर्नाटक सरकार के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है, जिन पर पिछले महीने यहां हुई भीषण भगदड़ के मद्देनजर कार्रवाई की गई थी। एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने चार जून को मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई थी। मामले में योजना और भीड़ प्रबंधन को लेकर तीखी आलोचना हुई थी। कैट ने स्टेडियम में भगदड़ के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को ही जिम्मेदार माना है।  कोर्ट ने पुलिसकर्मियों का किया बचाव कैट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरसीबी क्रिकेट टीम 4 जून को बेंगलुरु में एकत्रित हुई भारी भीड़ के लिए जिम्मेदार है। जिसके कारण मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। कैट ने स्टेडियम में तैनात पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए कहा कि वह कोई जादूगर या भगवान नहीं हैं। बिना अनुमति किया गया जश्न का ऐलान एनडीटीवी के मुताबिक, न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि RCB ने न तो पुलिस से कोई पूर्व अनुमति ली और न ही उन्हें सूचित किया. टीम ने अचानक सोशल मीडिया पर सूचना शेयर की, जिससे लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. आदेश में यह भी कहा गया कि पुलिस के पास मात्र 12 घंटे का समय था, जो इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता. CAT ने किया पुलिस का बचाव CAT ने पुलिस की आलोचना को अनुचित बताया और कहा, "पुलिसकर्मी भी इंसान होते हैं. वे न भगवान हैं, न जादूगर, और न ही उनके पास अलादीन का चिराग है जिससे किसी भी काम को तुरंत पूरा किया जा सके." ट्रिब्यूनल ने माना कि अचानक जानकारी के कारण पुलिस के पास पर्याप्त समय नहीं था, इसलिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता. आईपीएस अधिकारी विकास कुमार को राहत इस आदेश में CAT ने आईपीएस अधिकारी विकास कुमार विकास के निलंबन को भी रद्द कर दिया. केंद्र सरकार ने हादसे के दो दिन बाद उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन न्यायाधिकरण ने इसे गलत करार देते हुए कहा कि यह निलंबन अवधि उनकी सेवा में जोड़ी जाएगी. विकास कुमार उस समय बेंगलुरु वेस्ट जोन के इंस्पेक्टर जनरल और एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस थे और स्टेडियम की सुरक्षा के प्रभारी थे. 3 से 5 लाख की भीड़ के लिए जिम्मेदार है RCB अपनी टिप्पणी में ट्रिब्यूनल ने कहा, 'प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरसीबी लगभग तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ के लिए जिम्मेदार है। आरसीबी ने पुलिस से उचित अनुमति या सहमति नहीं ली। अचानक, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और उपरोक्त जानकारी के परिणामस्वरूप जनता एकत्र हो गई।' 12 घंटे के कम समय में पुलिस से ये उम्मीद नहीं की जा सकती ट्रिब्यूनल ने आरसीबी द्वारा जश्न मनाने की अंतिम समय में की गई घोषणा की आलोचना की और इसे उपद्रव भी बताया है। कोर्ट ने आदेश में कहा, 'अचानक, आरसीबी ने बिना किसी पूर्व अनुमति के उपरोक्त प्रकार का उपद्रव किया। पुलिस से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि लगभग 12 घंटे के कम समय में पुलिस, पुलिस अधिनियम या अन्य नियमों आदि में आवश्यक सभी व्यवस्थाएं कर लेगी।' पुलिस के पास 'अलाद्दीन का चिराग' नहीं- ट्रिब्यूनल आईपीएल फ्रैंचाइजी ने अपनी पहली आईपीएल जीत के अगले दिन 4 जून को विजय परेड समारोह के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। ट्रिब्यूनल ने पुलिस की भूमिका का भी बचाव करते हुए कहा, 'पुलिस कर्मी भी इंसान हैं। वे न तो 'भगवान' हैं और न ही जादूगर और न ही उनके पास 'अलाद्दीन के चिराग' जैसी जादुई शक्तियाँ हैं जो केवल उंगली रगड़ने से किसी भी इच्छा को पूरा कर सकती हैं।'

महिला प्रधानमंत्री की गुप्त बातचीत लीक, बर्खास्तगी तक पहुंचा मामला

थाईलैंड थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने कंबोडिया के एक पूर्व नेता के साथ फोन कॉल के लीक होने के मामले में जांच लंबित रहने तक प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनवात्रा को पद से निलंबित कर दिया है। न्यायाधीशों ने नैतिकता के उल्लंघन के आरोप वाली याचिका पर सर्वसम्मति से विचार किया और उन्हें पद से निलंबित करने के पक्ष में दो के मुकाबले सात मतों से मतदान किया। पेटोंगटार्न को कंबोडिया के साथ हालिया सीमा विवाद से निपटने के लिए बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें 28 मई को एक सशस्त्र टकराव शामिल है जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था। सीमा विवाद पर कूटनीतिक पहल के दौरान लीक हुए इस फोन कॉल के कारण उनके खिलाफ कई शिकायतें और सार्वजनिक विरोध सामने आए। ऑडियो कॉल में क्या था मीडिया रिपोर्ट्स के दौरान कुछ समय पहले ही एक फोन कॉल लीक हुआ था। इसमें पेटोंगटार्न कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से बात कर रही थीं। रिकॉर्डिंग में वह थाईलैंड के बड़े सैन्य अधिकारी से बात कर रही थीं और सेन को 'अंकल' बता रही थीं। साथ ही यह आश्वासन भी दे रही थीं कि सेन कुछ चाहते हैं, तो 'वह इस बात का ध्यान रखेंगी।' हो रही थी इस्तीफे की मांग थाईलैंड की राजधानी में शनिवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पेटोंगटार्न के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। यह प्रदर्शन फोन पर हुई बातचीत के लीक होने के बाद पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हो रहे थे। कंबोडिया के साथ 28 मई को हुए सीमा विवाद में सशस्त्र टकराव के बाद पेटोंगटार्न के प्रति असंतोष बढ़ गया है। कंबोडिया के एक सैनिक की विवादग्रस्त क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी। दरअसल शिनावात्रा की क्षेत्रीय सेना कमांडर के प्रति टिप्पणियां और सीमा पर तनाव कम करने के लिए कंबोडियाई सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन की कथित खुशामद के प्रयासों को लेकर लोगों में रोष है। सूरत थानी प्रांत के 47 वर्षीय गाइड तचाकोर्न श्रीसुवान ने कहा कि वह लीक बातचीत के मद्देनजर शिनावात्रा के इस्तीफे की मांग करने के लिए बैंकॉक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे पास कभी भी ऐसा कमजोर प्रधानमंत्री नहीं रहा। हम किसी पर आक्रमण नहीं करना चाहते, लेकिन हम यह कहना चाहते हैं कि हम थाई नागरिक हैं और हम थाईलैंड की संप्रभुता की रक्षा करना चाहते हैं।' दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय विवादों का एक लंबा इतिहास है। वहीं शिनावात्रा ने अपने बचाव में कहा, 'फोन कॉल से यह स्पष्ट हो गया कि मुझे इससे कोई लाभ नहीं मिलना था और मैंने देश को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।'

केंद्रीय कैबिनेट ने एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इन्सेंटिव योजना को मंजूरी दी, एक लाख करोड़ की रिसर्च स्कीम को भी हरी झंडी

नई दिल्ली केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) की तर्ज पर एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इन्सेंटिव (ELI) योजना को मंजूरी दे दी। इसके तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में संगठित और स्थायी रोजगार को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना के तहत, सरकार कुल 1.07 लाख करोड़ रुपए का प्रोत्साहन देगी। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी दी।   इसके अलावा सरकार ने रिसर्च डेवलपमेंट एंड इन्नोवेशन (DRI) स्कीम का भी ऐलान किया है। इस स्कीम के तहत सरकार एनर्जी सिक्युरिटी, डीप टेक, एआई, फार्मा, डिजिटल एग्रीकल्चर समेत 17 सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का प्रोत्साहन देगी। केंद्र सरकार ने युवाओं को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को सरकार की ओर से 15,000 रुपये मिलेंगे। रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ( Employment Linked Incentive Scheme ) को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने हरी झंडी दिखा दी है। ELI योजना का उद्देश्य युवाओं को नौकरी के लिए तैयार करना है। साथ ही उन्हें एक सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना है। इस योजना का मुख्य फोकस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर होगा। योजना के अंतर्गत पहली बार नौकरी करने वालों को 15,000 रुपये तक की एक महीने की सैलरी मिलेगी। यह पैसा दो किस्तों में मिलेगा। यही नहीं जो कंपनियां युवाओं को नौकरी देंगी, उन्हें भी सरकार की ओर से दो साल तक प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार के मुताबिक इस योजना के माध्यम से 3.5 करोड़ से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना है। केंद्र सरकार की ओर से इस पर 99,446 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बजट में किया गया था ऐलान ELI योजना को लेकर सरकार ने पिछले बजट में ऐलान किया था। यह प्रधानमंत्री के 2 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का हिस्सा है। इस पैकेज का मकसद 4.1 करोड़ युवाओं को नौकरी, ट्रेनिंग और दूसरी तरह के मौके देना है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल में 3.5 करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे, जिनमें 1.92 करोड़ पहली बार नौकरी पाने वाले होंगे। किन युवाओं को मिलेगा लाभ जो भी युवा पहली बार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में रजिस्टर होंगे, उन्हें एक महीने की एक EPF सैलरी मिलेगी। यह अधिकतम 15,000 रुपये तक होंगे। हालांकि यह पैसा एक साथ नहीं मिलेगा बल्कि दो किस्तों में दिया जाएगा। वे कर्मचारी जिनकी सैलरी 1 लाख रुपये तक या उससे कम हैं, वही इस योजना के लिए पात्र होंगे। कंपनियों हर कर्मचारी पर मिलेंगे 3000 रुपये इस योजना के तहत सरकार कंपनियों को भी आर्थिक प्रोत्साहन देगी। योजना में कंपनियों को उन कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जिनकी सैलरी 1 लाख रुपये तक है। सरकार कंपनियों को प्रति कर्मचारी के लिए 3000 रुपये हर महीने देगी। हर नए कर्मचारी के लिए यह पैसा दो साल तक मिलेगा। हालांकि इसके लिए शर्त है कि वह कर्मचारी कम से कम 6 महीने तक काम करे। जो कंपनियां EPFO में रजिस्टर हैं, उन्हें कम से कम दो नए कर्मचारी (जिन कंपनियों में 50 से कम कर्मचारी हैं) या 5 नए कर्मचारी (जिन कंपनियों में 50 या उससे ज़्यादा कर्मचारी हैं) रखने होंगे। EPF सैलरी स्लैब                                                 कंपनी को फायदा (हर महीने, हर नए कर्मचारी पर) 10,000 रुपये तक                                                  1,000 रुपये 10,000 रुपये से ज्‍यादा और 20,000 रुपये तक           2,000 रुपये 20,000 रुपये से ज्‍यादा (1 लाख रुपये तक)                3,000 रुपये कब-कब मिलेगा पैसा ईएलआई योजना के तहत पहली किस्त नौकरी लगने के 6 महीने बाद मिलेगी। जबकि दूसरी किस्त का भुगतान 12 महीने की नौकरी पूरी होने और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम में भाग लेने के बाद ही होगा। इस प्रोत्साहन राशि का कुछ हिस्सा FD अकाउंट में रखा जाएगा। युवा बाद में इस फंड से पैसा निकाल सकते हैं। पैसा कैसे मिलेगा पहली बार नौकरी करने वालों को पैसा सीधे उनके खाते में DBT के जरिए ट्रांसफर कर दिया जाएगा। बस खाता आधार कार्ड से जुड़ा होना चाहिए। कंपनियों को प्रोत्साहन राशि सीधे उनके PAN से जुड़े अकाउंट में मिलेगी।

GST : पिछले 5 साल में डबल हो गया कलेक्शन, 2024-25 में रिकॉर्ड ₹22.08 लाख करोड़ आया टैक्स

नई दिल्ली देश में 1 जुलाई 2025 को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू हुए 8 साल हो जाएंगे। यह 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 5 साल में GST कलेक्शन दोगुना हो चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। यह एक साल पहले के कलेक्शन के मुकाबले 9.4 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2020-21 में GST कलेक्शन का आंकड़ा 11.37 लाख करोड़ रुपये था। आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 में GST का एवरेज मंथली कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.68 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपये था। 5 सालों के आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कुल GST कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान GST कलेक्शन बढ़कर 14.83 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 18.08 लाख करोड़ रुपये, 2023-24 में 20.18 लाख करोड़ रुपये और 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। GST ने देश में इनडायरेक्ट टैक्सेज के मकड़जाल को हटाकर उसकी जगह एक सिंगल इंटीग्रेटेड सिस्टम को स्थापित किया। हाल ही में आई डेलॉइट की ‘GST@8’ टाइटल वाली रिपोर्ट में GST के लिहाज से पिछले वर्ष को बेहद ही सफल करार दिया गया है। GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर बढ़कर 1.51 करोड़ GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 2017 में 65 लाख थी। 8 साल में यह बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है। एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘लागू होने के बाद से, जीएसटी ने रेवेन्यू कलेक्शन और टैक्स बेस को बढ़ाने में मजबूत वृद्धि दिखाई है। इसने भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत किया है और इनडायरेक्ट टैक्सेशन को अधिक एफिशिएंट और पारदर्शी बनाया है।’’ GST परिषद तय करती है दरें भारत में GST की दरें GST परिषद तय करती है। इस परिषद में केंद्र और राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। GST में रेट के वर्तमान में 4 स्लैब हैं- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देशभर में ज्यादातर सामान और सेवाओं पर लागू होती हैं। इन स्लैब्स के अलावा 3 विशेष दरें भी हैं- – सोना, चांदी, हीरे और ज्वैलरी पर 3 प्रतिशत – कटे और पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत – कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत। तंबाकू प्रोडक्ट्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और मोटर व्हीकल जैसे चुनिंदा सामानों पर GST की अलग-अलग दरों के साथ GST कंपंजेशन सेस भी लगाया जाता है। इस सेस का इस्तेमाल राज्यों को GST सिस्टम को अपनाने के चलते रेवेन्यू में होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। खर्च में 4% बचत सरकारी बयान में कहा गया, 'GST कंस्यूमर फ्रेडली रिफॉर्म है। कई टैक्सेज को हटाने और नियमों का पालन आसान बनाए जाने से ऐवरेज टैक्स रेट घटे हैं। इससे टैक्स बेस बढ़ा है और सरकार को कई जरूरी चीजों पर रेट घटाने में मदद मिली है।' इसके मुताबिक, 'अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाइयों पर अब कम टैक्स रेट लग रहा है। फाइनैंस मिनिस्ट्री की एक स्टडी के मुताबिक, जीएसटी से परिवारों को अपने नासिक खर्च में कम से कम 4% बचत करने में मदद मिली है। उपभोक्ता अब दैनिक जरूरतों पर कम खर्च करते हैं।" लगातार सेंटिमेंट में सुधार सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'डेलॉयट की हाल में आई GST@8 रिपोर्ट में पिछले साल को जीएसटी के लिए ब्लॉकबस्टर बताया गया। इसमें कहा गया कि सरकार के समय पर किए गए सुधारों, टैक्सपेयर्स के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों और जीएसटी पोर्टल को अपग्रेड किए जाने से यह सफलता मिली।' डेलॉयट के इसी सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया कि उद्योग जगत के 85% लोगों ने अपने सकारात्मक अनुभव की जानकारी दी है। बयान में कहा गया, 'लगातार चौथे साल सेंटिमेंट में सुधार हुआ है। जीएसटी के 8 साल पूरे जीएसटी लागू होने के 8 साल पूरे हो गए हैं. 1 जुलाई 2017 को इसे लॉन्च किया गया था. इसके तहत 17 अलग-अलग स्थानीय टैक्स और 13 उपकरों (cesses) को मिलाकर पांच टैक्स स्लैब बनाए गए, जिससे टैक्स सिस्टम सरल हुआ और व्यापारियों को भी राहत मिली. अप्रैल 2025 में जीएसटी वसूली ₹2.37 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, जो किसी भी महीने में अब तक की सबसे अधिक वसूली थी. मई 2025 में यह आंकड़ा ₹2.01 लाख करोड़ रहा. जून के आंकड़े 1 जुलाई को जारी किए जाएंगे. सरकार का कहना है कि जीएसटी ने भारत की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया है और अब यह एक आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी टैक्स सिस्टम का उदाहरण बन चुका है.

अचानक बढ़े दिल के दौरे: एक जिले में एक माह में 18 की जान गई, जांच शुरू

कर्नाटक  कर्नाटक के हासन जिले में दिल का दौरा पड़ने के मामलों में वृद्धि ने चिंता खड़ी कर दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने बढ़ते मामलों की जांच के लिए विशेषज्ञों से अध्ययन करवाने का आदेश दिया है। एक्स पर पोस्ट कर मंत्री ने कहा कि हासन जिले में एक महीने के भीतर दिल का दौरा पड़ने के आए 18 मामलों को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले ही विभाग के अधिकारियों को जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक के नेतृत्व में दिल का दौरा पड़ने के बढ़ते मामलों की जांच करवाने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।’ दिनेश गुंडू राव के अनुसार, राज्य सरकार ने हृदयाघात के मामलों को रोकने के लिए पुनीत राजकुमार हृदय ज्योति योजना शुरू की है। लेकिन, हाल में युवाओं में दिल का दौरा पड़ने के बढ़ते मामलों पर गहराई से शोध करने की जरूरत है। हालांकि, बदलती जीवनशैली, खानपान और गैर-संचारी बीमारियों को दिल की समस्याओं का कारण माना जाता है, लेकिन हासन में सामने आए मामलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसका समाधान तलाशने के लिए एक्सपर्ट्स की एक टीम को रिसर्च करने और 10 दिन के भीतर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। हार्ट अटैक का कारण: दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों तक रक्त प्रवाह रुक जाता है, खासतौर से कोरोनरी धमनियों में रुकावट के कारण। यह रुकावट आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल, वसा या प्लाक के जमा होने से होती है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान और मोटापा इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। तनाव, अनियमित जीवनशैली और अनुवांशिक कारक भी अहम भूमिका निभाते हैं। हानिकारक आहार (जैसे अधिक तैलीय या प्रोसेस्ड भोजन) इसकी संभावना को और बढ़ाता है। दिल के दौरे के लक्षण: हार्ट अटैक का प्रमुख लक्षण छाती में तेज दर्द या भारीपन है, जो बांह, जबड़े या पीठ तक फैल सकता है। सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना और चक्कर आना आम लक्षण हैं। कुछ लोगों को मतली, उल्टी या पेट में असहजता महसूस हो सकती है। थकान, कमजोरी या अचानक बेचैनी भी संकेत हो सकते हैं। लक्षण पुरुषों और महिलाओं में थोड़े भिन्न हो सकते हैं, जैसे महिलाओं में दर्द कम और थकान अधिक। दिल के दौरे से बचाव: स्वस्थ आहार लें, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ शामिल हों। नियमित व्यायाम हृदय को स्वस्थ रखता है। धूम्रपान और अत्यधिक शराब से बचें। नियमित स्वास्थ्य जांच से रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह को नियंत्रित करें। तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और पूरी नींद लें।  

मस्क को वापस दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ेगा… ट्रंप की खुली धमकी, बोले- बंद हो जाएगी दुकान

वॉशिंगटन अरबपति एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच लड़ाई बढ़ती जा रही है। 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' को लेकर शुरू हुए विवाद में दोनों एक दूसरे को धमकियां दे रहे हैं। एलन मस्क के वन बिग ब्यूटीफुल बिल को घटिया बताने और नई पार्टी बनाने की बात कहने के बाद ट्रंप ने पलटवार किया है। ट्रंप ने एलन मस्क की कंपनियों की सब्सिडी में कटौती की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो मस्क को बिजनेस छोड़कर दक्षिण अफ्रीका वापस जाना पड़ जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर कहा, 'एलन को शायद इतिहास में किसी भी इंसान से ज्यादा सब्सिडी मिलती है। बिना सब्सिडी के उनको अपनी दुकान बंद करके दक्षिण अफ्रीका जाना होगा। सब्सिडी रूकी तो फिर रॉकेट लॉन्च, सैटेलाइट या इलेक्ट्रिक कार उत्पादन नहीं हो सकेगा।' इतना ही नहीं ट्रंप ने DOGE के कामकाज की जांच की बात भी कह दी है, जिसका कमान उन्होंने प्रेसीडेंट बनने के बाद मस्क को सौंपी थी। ट्रंप ने मस्क को याद दिलाया जन्मस्थान डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को उनके कारोबार को चोट पहुंचाने की धमकी देने के साथ ही ये भी याद दिलाने की कोशिश की है कि वह अमेरिकी नहीं है। उन्होंने एलन मस्क को साउथ अफ्रीका लौटाने की बात कही है, जहां उनका जन्म हुआ था। मस्क साउथ अफ्रीका से कनाडा आए और फिर अमेरिका शिफ्ट हुए। हालांकि आज के समय में अमेरिका में उनका बड़ा कारोबार है और वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार हैं। डोनाल्ड ट्रंप के इस पोस्ट से पहले एलन मस्क ने कहा था कि अगर डोनाल्ड ट्रंप का 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' अमेरिकी संसद में पास हुआ तो वह अगले ही दिन नई सियासी पार्टी बना लेंगे। मस्क ने ट्रंप के इस बिल की आलोचना करते हुए इसे गुलामी वाला विधेयक बताया है। दूसरी ओर ट्रंप इस बिल को अपनी सरकार की प्रतिष्ठा की तरह देख रहे हैं। ऐसे में यह डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच तनातनी की वजह बन गया है। वन बिग ब्यूटीफुल बिल और रार एलन मस्क ने बीते साल हुए चुनाव प्रचार में डोनाल्ड ट्रंप की जमकर मदद की थी। यहां तक कि उनको 'अमेरिका का असली राष्ट्रपति' जैसे नाम सोशल मीडिया पर मिले थे। हालांकि कुछ महीनों में ही दोनों के संबंधों में दरार आ गई। दोनों के बीच विवाद की बड़ी वजह वन बिग, ब्यूटीफुल बिल बना है, जिस पर दोनों खुलकर एक-दूसरे को कोस रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप का महत्वाकांक्षी 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' टैक्स कटौती, सेना का बजट बढ़ाने और अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन के लिए खर्च बढ़ाने से जुड़ा है। इस खर्च के बढ़ने का असर देश का स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्र पर पड़ने की संभावना है। इसी बात के लिए एलन मस्क समेत एक बड़ा एक वर्ग इस बिल की आलोचना कर रहा है।

कजाकिस्तान की सरकार की नकाब और हिजाब पर सख्ती, चेहरे ढकने पर प्रतिबंध

अस्ताना  कजाकिस्तान में महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर नकाब या चेहरे को ढकने वाला कपड़ा नहीं पहन सकेंगी। कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव ने सोमवार को इस कानून पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कानून सार्वजनिक जगहों पर किसी को अपना चेहरा ढकने पर रोक लगाता है। सोवियत संघ का हिस्सा रहे कजाकिस्तान की सरकार का ये आदेश इसलिए ध्यान खींचता है क्योंकि देश की 70 फीसदी आबादी इस्लाम धर्म को मानने वाली है। दुनियाभर में मुस्लिम महिलाओं के बड़े हिस्से में हिजाब (चेहरा ढकने) पहनने का चलन देखा जाता है। ऐसे में कजाकिस्तान सरकार के फैसले को देश के धार्मिक संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कानून में सीधेतौर पर किसी धर्म या धार्मिक पोशाक का जिक्र नहीं किया गया है। मध्य एशियाई देशों में बीते कुछ समय में बुर्के और नकाब जैसे लिबास पर पाबंदी का चलन देखा गया है, कजाकिस्तान भी इसमें शामिल हो गया है। कजाकिस्तान का नया कानून कहता है कि ऐसे कपड़े, जिनसे चेहरे को पहचाना नहीं जा सके। उन्हें सार्वजनिक जगहों पर पहनने की इजाजत नहीं होगी। हालांकि कुछ मामलों में इस कानून से छूट दी जाएगी। मेडिकल कारण, खराब मौसम, खेल या सांस्कृतिक कार्यक्रम में ऐसे कपड़े पहनने की छूट होगी। राष्ट्रपति ने क्या कहा है कजाकिस्तान के राष्ट्रपति टोकायेव ने इस चेहरे ढकने संबंधी नए कानून को देश में जातीय पहचान को बढ़ावा देने की तरफ एक कदम कहा है। उन्होंने कहा कि चेहरा छिपाने वाले कपड़े पहनने के बजाय राष्ट्रीय शैली के कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर है। हमारे राष्ट्रीय कपड़े हमारी जातीय पहचान को खूबसूरती से दिखाते हैं, इसलिए हमें उन्हें खूब बढ़ावा देना चाहिए। टोकायेव ने देश की धर्मनिरपेक्षता बरकरार रखने पर भी जोर दिया है। कजाकिस्तान सरकार ने इससे पहले, 2023 में एक अहम फैसला लेते हुए स्कूलों में हिजाब और नकाब पर रोक लगा दी थी। उस समय कजाकिस्तान सरकार ने छात्राओं और शिक्षिकाओं के स्कूल में हिजाब पहनकर आने पर रोक लगाई थी।। कजाकिस्तान की सरकार के इस फैसले के खिलाफ तब लड़कियों ने अपना जोरदार विरोध दर्ज कराया था। कई देशों ने लगाई नकाब पर रोक मध्य एशियाई देशों में हालिया वर्षों में ऐसे कानून बने हैं, जो नकाब पर रोक लगाती हैं। किर्गिस्तान में पुलिस ने सड़कों पर गश्त करके नकाब पहनने पर रोक लगाई है। उज्बेकिस्तान में नकाब पहनने पर 250 डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली राखमोन ने सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर पाबंदी लगाई है।  

हिमाचल में मूसलाधार बारिश कहर बरपा रही, ब्यास नदी उफान पर, मंडी में बादल फटने से तबाही, शिमला में लैंडस्लाइड

मंडी/शिमला हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश अब कहर बरपा रही है। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। मंडी जिला में बीती रात बादल फटने की कई घटनाओं ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। करसोग उपमंडल में 45 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि दो अन्य लोग लापता हैं। करसोग के डीएसपी ने इसकी पुष्टि की है। मंडी जिला के गोहर के स्यांज गांव में नाले में आए सैलाब में नौ लोग लापता हैं। मां-बेटी को सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन अन्य की तलाश जारी है। मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में आज सभी स्कूल-कॉलजे बंद कर दिए गए हैं। सोमवार शाम तक राज्य भर में 259 सड़कें बंद थीं। भारी बारिश और बादल फटने से मंडी के अलग अलग हिस्से में तबाही जारी है. पंडोह डैम से 1 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है..जिससे पंडोह बाजार में बीती रात पानी भरने से भगदड़ जैसे हालात हो गए. आज भी मंडी में बहुत भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है. जिले के स्कूल कॉलेज आज बंद हैं. मौसम विभाग के मुताबिक जून में 37 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है. बारिश के बाद तापमान भी सामान्य से कम जा रहा है.  जिला ऊना, बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. राज्य में बीते 24 घंटे में तीन लोगों की मौत हुई है. इस मानसून सीज़न में अब तक 20 लोगों बिगड़े मौसम की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. बारिश के कारण अबतक हिमाचल प्रदेश में 800 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.  मौसम की वजह से हिमाचल में 130 इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप्प हो गयी है. कई जगह पानी की सप्लाई भी प्रभावित है. भूस्खलन की वजह से 259 सड़कें बंद हैं.  मंडी के सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाके थुनाग, करसोग और कुकलाह हैं. जहां सड़कें बह गईं, बादल फट गए और नदी-नालों में उफान के साथ अचानक बाढ़ आ गई जिससे काफ़ी नुकसान हुआ है.  हिमाचल प्रदेश के सोलन में चंडीगढ़-शिमला नेशनल हाईवे-5 पर मार्ग चक्की मोड़ पर पहाड़ी से लगातार पत्थर व मलवा गिर रहे हैं. इसके कारण बार-बार यहां ट्रैफिक बंद हो रहा है. लंबा जाम लगा हुआ है. चक्की मोड को क्रॉस करने में लोगों को कई-कई घंटे का समय लग रहा है. रविवार को भी इसी तरह की स्थिति बनी हुई थी. जिले में चारों ओर तबाही का मंजर है। पंडोह बाजार में जलभराव के चलते लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। बाखली और कुकलाह पुल टूट गए हैं और चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पूरी तरह बंद है। पटीकरी पावर प्रोजेक्ट को भी भारी नुकसान पहुंचा है। पंडोह डैम से भारी मात्रा में छोड़ा जा रहा पानी, ब्यास नदी उफान पर लगातार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। पंडोह डैम का जलस्तर 2922 फीट तक पहुंच गया है जो 2941 फीट के खतरे के निशान के करीब है। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए डेढ़ लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी ब्यास नदी में छोड़ा जा रहा है। मंडी शहर में पंचवक्त्र मंदिर तक पानी पहुंच गया। धर्मपुर की लौंगनी पंचायत के स्याठी गांव में भी कई घर, गौशालाएं और मवेशी बारिश में बह गए। मंडी इंदिरा आवास कॉलोनी और रघुनाथपधर में भी रातभर राहत-बचाव कार्य चला। हमीरपुर के सुजानपुर के खेरी गांव में फंसे लोगों का रेस्क्यू हमीरपुर जिले के सुजानपुर उपमंडल के खेरी गांव में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से 20 से अधिक लोग फंस गए, जिनमें से अब तक 15 को बचाया जा चुका है। प्रशासन व पुलिस की टीमों ने मोर्चा संभाला हुआ है। जंगलबेरी से पुलिस की बटालियन मौके पर डटी हुई है। 3 जिलों के स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी, छह जिलों में येलो अलर्ट लगातार बारिश और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में आज सभी स्कूल-कॉलजे बंद कर दिए गए हैं। उपायुक्त कांगड़ा, मंडी और हमीरपुर ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें, नदी-नालों से दूर रहें और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें। मौसम विभाग ने चंबा, मंडी, हमीरपुर, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में अगले 24 घंटों के लिए बाढ़ का येलो अलर्ट जारी किया है। बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन, ऊना जिलों में आज कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने का अनुमान है। राज्य में 6 जुलाई तक भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। 44 मौतें, 75 करोड़ की क्षति राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, 20 से 30 जून के बीच वर्षा जनित घटनाओं में 44 लोगों की जान जा चुकी है, 83 घायल हुए हैं और 5 लोग अब भी लापता हैं। सोमवार शाम तक राज्य भर में 259 सड़कें बंद थीं, 614 ट्रांसफार्मर ठप हो गए और 130 पेयजल योजनाएं बाधित हुई हैं। अब तक प्रदेश को 75 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। भारी बारिश से भूस्खलन, कई इमारतें ढहीं, सड़कें अवरुद्ध, अब तक 23 लोगों की मौत बता दें कि सोमवार को भारी बारिश के कारण राज्य में कई इमारतें ढह गईं, भूस्खलन हुआ और सड़कें अवरुद्ध हो गईं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, भारी बारिश के कारण बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन के कारण मंडी में 129 और सिरमौर जिले में 92 सहित राज्य में 259 सड़कें बंद हो गईं और 614 ट्रांसफार्मर व 130 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हो गईं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, 20 जून को मॉनसून के आगमन के बाद से अब तक राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 23 लोगों की मौत हो चुकी है. जून में 34 प्रतिशत ज्यादा बारिश हिमाचल में जून में औसत 135 मिमी बारिश हुई जबकि सामान्य बारिश 101 मिमी होती है. यह 34 प्रतिशत अधिक है. यह 1901 के बाद से राज्य में जून के महीने में 21वीं सबसे अधिक बारिश है. सबसे अधिक बारिश 252.7 मिमी है जो साल 1971 में दर्ज की गई थी. मंडी में सबसे ज्यादा बारिश पालमपुर, बैजनाथ, सुंदरनगर, मुरारी देवी, कांगड़ा, शिमला और इसके आसपास के क्षेत्र जुब्बड़हट्टी में गरज के साथ बारिश हुई. राज्य के कई हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश हुई. मंडी … Read more