अध्यक्ष की रेस में सबसे प्रबल दावेदार के रूप में पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम था, फिर ऐसा क्या हुआ …….

  भोपाल  एमपी में बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। हेमंत खंडेलवाल के नाम की घोषणा हो गई है। 18 साल बाद कोई विधायक एमपी में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बना है। हेमंत खंडेलवाल के पिता भी सांसद रहे हैं। इस रेस में कई लोगों के नाम आगे चल रहे थे। सबसे प्रबल दावेदार के रूप में पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम था। माना जा रहा था कि नरोत्तम मिश्रा को इस बार पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। चेहरे से चमक गायब दरअसल, नरोत्तम मिश्रा चुनाव हारने के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान काफी एक्टिव रहे थे। उन्होंने हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं को बीजेपी की सदस्यता दिलवाई थी। साथ ही केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं से लगातार मुलाकातें भी चल रही थी। इसकी वजह से रेस में उनका नाम था कि पार्टी के वे वरिष्ठ नेता हैं। मंगलवार को नामांकन के साथ ही नरोत्तम मिश्रा रेस से बाहर हो गए। बुधवार को पार्टी ऑफिस जब वह पहुंचे तो उनका चेहरा उतरा हुआ था। दिल के अरमा आंसुओं में बह गए अब नरोत्तम मिश्रा पर यह गाना बिल्कुल फिट बैठ रहा है कि दिल के अरमा आंसुओं में बह गए। बीजेपी ऑफिस में नरोत्तम मिश्रा पहुंचे तो उनका चेहरा उतरा हुआ था। साथ ही बॉडी लैंग्वेज यह बताने को काफी था कि यह मौका हाथ से निकलने का उनके मन में मसोस है। उतरे मन से वह पार्टी ऑफिस में पहुंचे थे। मंच पर बैठे नरोत्तम मिश्रा के मन में बेचैनी दिख रही थी। कभी भी उनके चेहरे पर चमक नहीं दिखी। गौरतलब है कि नरोत्तम मिश्रा एमपी में बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व के साथ भी अच्छे संबंध हैं लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह पद की उम्मीद में बैठे हैं। अब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में अब अटकलें हैं कि आगे चलकर उन्हें किसी महत्वपूर्ण बोर्ड और निगम में उन्हें एडजस्ट किया जा सकता है।

हेमंत खंडेलवाल बने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष, धर्मेंद्र प्रधान समेत कई नेता रहे मौजूद

भोपाल  बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल मध्य प्रदेश भाजपा के निर्विरोध नए प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। इसकी औपचारिक घोषणा धर्मेन्द्रप्रधान ने की और मंच पर सीएम डॉ. मोहन यादव सहित अन्य नेताओं ने खंडेलवाल को प्रमाण-पत्र देकर उनका स्वागत किया। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनका इकलौता नामांकन आया। इस पद के लिए खंडेलवाल का नाम लंबे समय से चर्चा में सबसे आगे था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद के चलते वह अध्यक्ष बने हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी खंडेलवाल के पक्ष में थे। खंडेलवाल ने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का स्थान लिया। प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार, सावित्री ठाकुर, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, प्रदेश शासन के मंत्री राकेश सिंह, प्रहलाद सिंह पटेल एवं कैलाश विजयवर्गीय की ओर से पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने हेमंत खंडेलवाल के नाम का प्रस्ताव रखा। मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में हुई भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक में निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान खंडेलवाल पहली पंक्ति में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक और विधायक गोपाल भार्गव के बीच बैठे थे। नामांकन प्रक्रिया के दौरान प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद का इशारा मिलते ही मुख्यमंत्री यादव, खंडेलवाल की पीठ पर हाथ रखकर मंच की ओर बढ़े। फिर हाथ पकड़ केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद सदस्यों के चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान, पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक सरोज पांडेय और राज्य निर्वाचन अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन-पत्र जमा कराया। नामांकन जमा करने के लिए निर्धारित समय अवधि में आधा घंटा शेष था ऐसे में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने प्रदेश कार्यालय में मंच से ही कहा कि किसी अन्य को नामांकन पत्र जमा करना हो तो आधा घंटा है, वह जमा कर सकते हैं लेकिन कोई अन्य नामांकन नहीं आया। मथुरा में जन्मे हेमंत, पिता के निधन के बाद राजनीति में आए     उत्तर प्रदेश के मथुरा में तीन सितंबर 1964 को जन्मे हेमंत खंडेलवाल को राजनीति और समाजसेवा के संस्कार पिता स्वर्गीय विजय कुमार खंडेलवाल से विरासत में मिले।     उनके पिता विजय खंडेलवाल भाजपा से बैतूल हरदा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। पिता के निधन के बाद खाली हुई इसी सीट से उप चुनाव में हेमंत खंडेलवाल कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव पांसे को हराकर निर्वाचित हुए और राजनीतिक व सामाजिक विरासत संभाली।     2008-09 तक लोकसभा सदस्य रहे। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हेमंत वागद्रे को हराकर विधायक बने और 2018 तक बैतूल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।     2018 के विस चुनाव में भाजपा ने उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार वह कांग्रेस के निलय डागा से चुनाव हार गए। वर्ष 2014 से 2018 तक मध्य प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे।     पांच साल बाद 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर खंडेलवाल पर भरोसा जताया। इस दौरान निलय डागा को हराकर उन्होंने अपनी पारिवारिक सीट पर विजय हासिल की। मालवा-निमाड़ से 8 बार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बने मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा ने सबसे ज्यादा 8 बार संगठन को नेतृत्व दिया। भाजपा के पहले प्रदेशाध्यक्ष रहे सुंदरलाल पटवा (सामान्य) मंदसौर के थे। इस पद पर वे दो बार रहे। पहली बार 1980 से 1983 तक और दूसरी बार 1986 से 1990 तक। इसके बाद रतलाम के लक्ष्मीनारायण पाण्डे (सामान्य) 1994 से 1997 तके प्रदेशाध्यक्ष रहे। मालवा क्षेत्र से धार के विक्रम वर्मा (ओबीसी) 2000 से 2002 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसी तरह देवास से पूर्व सीएम कैलाश जोशी (सामान्य) ने 2002 से 2005 तक संगठन का नेतृत्व किया। उज्जैन के सत्यनारायण जटिया (एससी) फरवरी 2006 से नवंबर 2006 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। खंडवा सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान (सामान्य) इस पद पर 2016 से 2018 तक रहे। 2019 में रहे प्रदेश चुनाव अधिकारी, प्रदेश संयोजक रहते लोकसभा चुनाव कराया संपन्न बीकाॅम-एलएलबी की शिक्षा प्राप्त हेमंत खंडेलवाल कृषि क्षेत्र से जुड़े है एवं व्यवसायी है। वर्ष 2019 में संगठन चुनाव के प्रदेश चुनाव अधिकारी रहे। वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रवासी कार्यकर्ता की जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 जिलों के 61 विधानसभा क्षेत्रों में प्रवासी कार्यकर्ता के प्रभारी का दायित्व निर्वहन किया। वर्ष 2024 में प्रदेश संयोजक रहते लोकसभा चुनाव कराया। खंडेलवाल, कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी समारोह के सचिव रहे। वर्तमान में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष है। इनके अलावा राजेंद्र शुक्ला, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह ने भी पत्र दिया। कैलाश विजयवर्गीय नहीं पहुंचे। बुधवार को रहेंगे उपस्थित। यशपाल सिसोदिया ने भी नामांकन का प्रस्ताव दिया। धर्मेंद्र प्रधान ने हेमंत खंडेलवाल के अलावा अन्य किसी अन्य के नाम के प्रस्ताव के लिए भी पूछा और इसके लिए 10 मिनट का समय दिया। इसके बाद राष्ट्रीय परिषद के नामांकन पत्र आमंत्रित किए गए। बीजेपी के लिए क्यों खास हैं खंडेलवाल? रिपोर्ट्स के अनुसार, हेमंत खंडेलवाल सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने के लिए भी जाने जाते हैं। बताया जाता है कि उनका राजनीतिक सफर उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल की देखरेख में शुरू हुआ। उनके पिता भी हमेशा बीजेपी के साथ जुड़े रहे। वह बीजेपी के एक दिग्गज नेता रहे। साल 2007 में उनका निधन हो गया था।  पिता ने सिखाई राजनीति की ABCD जानकारी के अनुसार, जब हेमंत खंडेलवाल ने अपनी बीकॉम एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर ली इसके बाद वह अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए थे। हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय कुमार खंडेलवाल साल 1996 से साल 2004 तक लगातार चार बार बैतूल से सांसद रहे। बता दें कि साल 2007 में विजय कुमार खंडेलवाल का निधन हो गया। इसके बाद हुए लोकसभा उप चुनाव में पहली बार हेमंत खंडेलवाल ने किस्मत आजमाई और सफलता भी पाई। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सुखदेव पांसे को भारी अंतर से हराया था। इस जीत के साथ ही हेमंत खंडेलवाल ने पहली बार सांसद बनकर राजनीति प्रवेश किया। बैतूल बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रहे हेमंत खंडेलवाल गौरतलब है कि साल 2008 में हुए परिसीमव के बाद बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित … Read more

अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देशभर में बैन किया जाएगा

बेंगलुरु कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने ऐलान किया है कि अगर कांग्रेस फिर से केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS को देशभर में बैन किया जाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार RSS की आलोचना करते रहे हैं और संगठन पर देश को बांटने के आरोप लगा चुके हैं. लेकिन प्रियांक खड़गे ने RSS पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध की बात कहकर एक नई बहस शुरू कर दी है. 'RSS समाज में नफरत फैला रही' उन्होंने कहा कि देश में नफरत कौन फैला रहा है, कौन सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार है, कौन है जो संविधान बदलने की बात कर रहा है? प्रियांक खड़गे ने कहा कि RSS अपनी राजनीतिक शाखा बीजेपी से जरूरी सवाल क्यों नहीं पूछती कि देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है, पहलगाम में आतंकी हमला कैसे हुआ? यह न पूछकर संघ के लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत RSS को देश में बैन किया जाएगा.  कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक ने कहा कि ईडी, आईटी सभी जांच एजेंसियां क्या सिर्फ विपक्ष के लिए हैं, सरकार आरएसएस की जांच क्यों नहीं करती, आखिर उनके पास पैसा कहां से आ रहा है, उनकी इनकम का सोर्स क्या है. प्रियांक खड़गे ने कहा कि हर बार संघ के लोग हेटस्पीच और संविधान बदलने की बात कहकर बचकर कैसे निकल जाते हैं, आर्थिक अपराध करके कैसे बच जाते हैं, इन सभी विषयों की जांच होनी चाहिए.  प्रियांक ने एक्स पर किया पोस्ट  दरअसल, प्रियांक खड़गे ने बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या को जवाब देते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया था, जिसमें सूर्या ने कांग्रेस के हाईकमान को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे पर सवाल उठाए थे. प्रियांक ने पूछा, 'बीजेपी का हाईकमान कौन है? आपके ज़्यादातर कार्यकर्ता आपकी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का नाम तक नहीं बता सकते, उनके लिए मोदी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शायद पंचायत सचिव तीनों ही हैं.' प्रियांक खड़गे ने कहा, 'जब हालात कठिन हो जाते हैं, तो प्रधानमंत्री संसद नहीं जाते, बल्कि आरएसएस को रिपोर्ट करने के लिए नागपुर चले जाते हैं.' उन्होंने तेजस्वी सूर्या को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं तुम्हें चुनौती देता हूं कि तुम इसे ऊंची आवाज में कहो- मुझे आरएसएस की ज़रूरत नहीं है, मैं चुनाव जीत सकता हूं क्योंकि मोदीजी और नड्डाजी ही मेरे एकमात्र हाईकमान हैं, अभी और हमेशा.' पहले भी कही थी बैन लगाने की बात यह पहली बार नहीं है जब प्रियांक खड़गे ने ऐसा बयान दिया है. दो साल पहले भी कर्नाटक के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि अगर कोई संगठन राज्य में शांति भंग करने या सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश करेगा तो सरकार उसपर बैन लगाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करेगी. कांग्रेस ने तो कर्नाटक में  अपने घोषणा पत्र में कहा था, राज्य में सरकार में आते ही वह बजरंग दल, पीएफआई समेत जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले सभी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए बैन लगाएगी.  प्रियांक खड़गे ने इसी घोषणापत्र पर कहा था कि हम सिर्फ कानून के मुताबिक और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं जो कानून तोड़ेंगे. जब प्रियांक से पूछा गया कि क्या सरकार RSS और बजरंग दल को भी बैन करेगी? तो इस पर उन्होंने कहा, 'शांति भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी संगठन या व्यक्ति पर कार्रवाई होगी. चाहे वह मैं ही क्यों न रहूं?' केशव बलराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन RSS की स्थापना की थी. लेकिन अब तक अलग-अलग वजहों से तीन बार इस संगठन पर बैन लग चुका है. साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर 18 महीने तक प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि बापू की हत्या को RSS से जोड़कर देखा गया. इसके बाद साल 1975 में इमरजेंसी का विरोध करने पर इंदिरा गांधी की सरकार ने RSS को बैन कर दिया, जो दो साल तक जारी रहा. तीसरी बार RSS पर पाबंदी 1992 में लगाई गई, क्योंकि अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने में संघ की भूमिका थी. लेकिन 6 महीने बाद इस बैन को हटा दिया गया था.  

कांग्रेस नेता के बेटे का बयान: केंद्र में आए तो आरएसएस पर लगाएंगे बैन, मचा बवाल

बेंगलूरु  कर्नाटक में कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही जुबानी जंग और तेज हो गई है। राज्य सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंधित लगाने का बयान देकर विवाद को हवा दे दी है। खरगे ने कहा, 'अगर केंद्र में हमारी सरकार बनती है, तो हम आरएसएस पर पाबंदी लगा देंगे।' इस बयान को लेकर दोनों दलों के बीच राजनीतिक बहस गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने आरएसएस पर धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के खिलाफ होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले भी दो बार आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे हटाने का उन्हें अफसोस है। प्रियांक खड़गे ने आरएसएस की विचारधारा को समानता और आर्थिक समता के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही आरएसएस के सिद्धांतों का विरोध करती रही है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगी। खरगे ने दावा किया कि आरएसएस को पहले भी प्रतिबंधित किया गया था, तब संगठन ने राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों से इनकार करते हुए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा, 'हमारे पास इन घटनाओं के रिकॉर्ड मौजूद हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर कठोर कदम उठा सकती है।' भाजपा ने खरगे के बयान पर किया पलटवार दूसरी ओर, भाजपा ने प्रियांक खरगे के बयान पर करारा जवाब दिया है। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने आरएसएस को लाखों स्वयंसेवकों वाला देशभक्ति संगठन बताया। उन्होंने खरगे के बयान को खाली बर्तन की आवाज करार दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक विशाल वृक्ष है, जिसे कोई भी राजनीतिक शक्ति उखाड़ नहीं सकती। विजयेंद्र ने कांग्रेस से अपनी पार्टी के भविष्य पर ध्यान देने की सलाह दी और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस का अस्तित्व भी भविष्य में बरकरार रहेगा। इस तरह कर्नाटक में आरएसएस को प्रतिबंधित करने की बहस ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।  

CM पद की लॉबिंग बेकार गई! सुरजेवाला ने शिवकुमार के सामने ही कर दी घोषणा

बेंगलुरु कर्नाटक में बीते कई दिनों से डीके शिवकुमार के समर्थक मांग कर रहे थे कि अब नेतृत्व परिवर्तन होना चाहिए। सिद्धारमैया की जगह पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग थी, लेकिन कांग्रेस हाईकमान की ओर से भेजे गए रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें बगल में बिठाकर दावा खारिज कर दिया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि आपका सवाल है कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है तो मेरा जवाब ना में है। सुरजेवाला ने कहा, 'आप मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व बदल रहा है। इस पर मेरी एक ही जवाब है कि नहीं।' रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'कई विधायकों की ओर से लीडरशिप चेंज की मांग की गई है। इस पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मैं अपने विधायकों को सलाह देता हूं कि यदि उन्हें कोई परेशानी है तो फिर मसले को मीडिया में उठाने की बजाय पार्टी फोरम पर बात करें। यदि राज्य के संगठन में कोई दिक्कत है तो फिर प्रदेश अध्यक्ष से बात कर सकते हैं। सरकार में कोई समस्या हो तो फिर मुख्यमंत्री से बात करनी चाहिए।' इस दौरान डीके शिवकुमार उनके बगल में एकदम शांत बैठे दिखे। उनके चेहरे पर उदासी का भाव दिख रहा था, जिसे वह संभालने की कोशिश कर रहे थे।  

फिर से एनडीए सरकार, जदयू ऑफिस में मोदी-नीतीश की साझा मौजूदगी

पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी गलियारे में पोस्टर पॉलिटिक्स चरम पर है। इस बीच पटना में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पोस्टर लगाए गए हैं। पोस्टर में एनडीए सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए दोबारा सरकार बनाने की अपील करते हुए नारे लिखे गए हैं। इन पोस्टर के जरिए बीजेपी और जेडीयू में एकजुटता को दिखाने की कोशिश की गई है। बताया जा रहा है कि यह पहला मौका है जब जेडीयू दफ्तर में औपचारिक रूप से मोदी और नीतीश के एक साथ पोस्टर लगाए गए हैं। जेडीयू कार्यालय के बाहर मंगलवार को बड़ी संख्या में पोस्टर लगाए गए हैं। कार्यालय की बाहरी दीवार इनसे पटी हुई है। पोस्टर में पीएम मोदी और सीएम नीतीश की तस्वीरें हैं। उनके साथ अलग-अलग नारे लिखे गए हैं, जैसे- महिलाओं की जय-जयकार, लग रहे उद्योग मिल रहा रोजगार, नौकरी रोजगार खुशहाल बिहार, फिर से एनडीए सरकार। जेडीयू के पोस्टरों में नीतीश के साथ मोदी का फोटो होना सियासी गलिरायों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बिहार में आगामी अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जेडीयू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही एनडीए का सीएम कैंडिडेट बता रही है। सहयोगी दल भाजपा के नेता भी नीतीश के नेतृत्व में ही आगामी चुनाव में उतरने की बात कह रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में हुई रैलियों में नीतीश अक्सर साथ नजर आए और एकजुटता का संदेश दिया। हालांकि, बीच-बीच में पार्टी के सीनियर नेताओं द्वारा चुनाव के बाद सीएम पर फैसला करने की बात कहकर थोड़ी कंफ्यूजन भी पैदा की जाती रही है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार का सीएम कौन बनेगा, इसका फैसला समय पर छोड़ दिया था। इससे बीजेपी और जेडीयू के बीच खटपट की अटकलें भी चलीं।  

उत्तराखंड बीजेपी के महेंद्र भट्ट बने लगातार दूसरी बार बने प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी

देहरादून भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर महेंद्र भट्ट का लगातार दूसरी बार चुना जाना गया है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर नामांकन की प्रक्रिया में केवल भट्ट का ही नामांकन हुआ था। राष्ट्रीय परिषद सदस्य के लिए पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह समेत आठ वरिष्ठ नेताओं का चुना गया है। आज मंगलवार को प्रांतीय परिषद की बैठक में केंद्रीय चुनाव अधिकारी हर्ष मल्होत्रा भट्ट के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के निर्वाचित होने का औपचारिक ऐलान किया। सोमवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद सदस्य के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में महेंद्र भट्ट ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र प्रदेश चुनाव अधिकारी खजान दास को सौंपा। इस पूरी संगठन चुनाव प्रक्रिया के दौरान सह चुनाव अधिकारी पुष्कर काला, मीरा रतूड़ी, राकेश गिरी के साथ सरकार में दायित्वधारी ज्योति गैरोला, सुभाष बड़थ्वाल, कुलदीप कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश कोली,प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान समेत बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद रहे। इन नेताओं ने भट्ट के नाम का किया प्रस्ताव नामांकन प्रक्रिया संपन्न होने के बाद चुनाव अधिकारी खजान दास ने कहा कि पांच सेटों में दाखिल उनके नामांकन पत्र पर 10 अलग-अलग प्रस्तावकों ने हस्ताक्षर किए थे। जिसमें सभी सेटों के मुख्य प्रस्तावक मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं गढ़वाल लोकसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल सांसद अजय भट्ट व अल्मोड़ा सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा शामिल हुए। अन्य प्रस्तावक के रूप में प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, कल्पना सैनी, टिहरी लोकसभा सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक बिशन सिंह चुफाल, विधायक विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, विनोद कंडारी, राम सिंह कैड़ा, महंत दिलीप सिंह रावत व बृजभूषण गैरोला प्रमुख थे। राष्ट्रीय परिषद के लिए ये नेता चुने गए राष्ट्रीय परिषद सदस्य के लिए कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा, पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, अजय भट्ट, माला राज्य लक्ष्मी शाह व कल्पना सैनी ने नामांकन किया था। इन सभी नेताओं का राष्ट्रीय परिषद के लिए चुना गया। महेंद्र भट्ट के अध्यक्ष बनने के बाद हमें सभी चुनाव में विजय मिली। संगठन का विस्तार हुआ। सामान्य कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक की यात्रा में उनका लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। उन्होंने सबको साथ लेकर संगठन को गति देने में बड़ा योगदान दिया है। सभी वरिष्ठ नेताओं ने आज उनके नामांकन का प्रस्ताव किया था। लगातार दूसरी बार वह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुने गए हैं।  – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री आज भाजपा का संगठन पर्व चल रहा है। भाजपा देश की अकेली ऐसी पार्टी है जहां सबसे निचली इकाई से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक चुनाव की प्रक्रिया अपनाई जाती है। चुनाव में प्रत्येक सक्रिय व आम कार्यकर्ता भाग ले सकता है। प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय परिषद सदस्य पद के लिए आज घोषणा कर दी गई है। -अनिल बलूनी, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भाजपा व गढ़वाल सांसद लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनने का भट्ट बनाया रिकार्ड मंगलवार को औपचारिक घोषणा के साथ ही महेंद्र भट्ट उत्तराखंड भाजपा के लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड बनाया। उनसे पहले किसी भी अध्यक्ष को दूसरी बार संगठन की बागडोर संभालने का अवसर नहीं मिला। भट्ट भाजपा के 10वें प्रदेश अध्यक्ष बने हैं।

भाजपा ने हिमाचल में भी चुन लिया अध्यक्ष, राजीव बिंदल को क्यों मिला फिर से मौका?

नई दिल्ली हिमाचल प्रदेश में डॉ राजीव बिंदल को एक बार फिर बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसकी घोषणा की है. ये तीसरी बार है जब बिंदल को ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. चुनाव अधिकारी राजीव भारद्वाज के मुताबिक विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक दल के नेता जयराम ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सभी भाजपा सांसदों और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर और अन्य प्रदेश पदाधिकारियों की ओर से बिंदल के नाम के तीन नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तेलंगाना, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अपने प्रदेश अध्यक्षों के नाम की घोषणा कर दी है. उत्तराखंड में महेंद्र भट्ट को लगातार दूसरी बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश में राजीव बिंदल को पार्टी की कमान सौंपी गई है तो एन. रामचंद्र राव को तेलंगाना बीजेपी प्रमुख घोषित किया गया है. वहीं, आज शाम तक मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए 3 जुलाई को चुनाव होगा. राजीव बिंदल 2002 से 2022 के बीच सोलन से तीन और नाहन से दो विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक रहे. उन्होंने 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उन्हें 10 जनवरी 2018 को सर्वसम्मति से 13वीं विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था और वे जनवरी 2020 तक इस पद पर रहे और कुछ समय के लिए राज्य भाजपा प्रमुख का पदभार संभाला और अप्रैल 2023 में उन्हें फिर से पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. हिमाचल बीजेपी प्रमुख के रूप में उनका नया कार्यकाल मंगलवार (1 जुलाई) से शुरू होगा राजीव बिंदल को क्यों मिला फिर से मौका? राजनीतिक विशेषज्ञों ने इसके पीछे की बड़ी वजह सामाजिक समीकरण साधना बताया है। राजीव बिंदल वैश्य समुदाय से आते हैं। उन्हें भाजपा ने सामाजिक समीकरण साधने के लिए फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दरअसल नेता विपक्ष जयराम ठाकुर राजपूत बिरादरी के हैं। इसके अलावा ब्राह्मण समाज के जेपी नड्डा केंद्र में मंत्री हैं। ऐसे में संतुलन बनाने के लिए बिंदल को मौका दिया गया है। जानिए बिंदल का राजनीतिक सफर राजीव बिंदल 2002 से 2022 तक पांच बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने सोलन से तीन और नाहन से दो विधानसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में भी काम किया। उन्हें 10 जनवरी, 2018 को सर्वसम्मति से 13वीं विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया और वे जनवरी 2020 तक इस पद पर रहे। अप्रैल 2023 में फिर से नियुक्त होने से पहले उन्होंने राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल पूरा किया। राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और पदेन सदस्य पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर और पार्टी महासचिव बिहारी लाल शर्मा, त्रिलोक कपूर, पवन काजल, रश्मि धर सूद, पायल वैद्य, राजीव सैजल और संजीव कटवाल को राष्ट्रीय परिषद का सदस्य चुना गया। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, लोकसभा सदस्य सुरेश कश्यप, कंगना रनौत और राजीव भारद्वाज और राज्यसभा सदस्य इंदु गोस्वामी, सिकंदर कुमार और हर्ष महाजन को राष्ट्रीय परिषद का पदेन सदस्य चुना गया।

डीके शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने बड़ा दावा-हम सभी की मांग है कि अब बदलाव हो

बेंगलुरु कर्नाटक में सीएम बदलने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है और इस बार तो मामला दिल्ली दरबार तक जा पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को ही इसका संकेत दिया था। इस बीच दिल्ली से आए प्रतिनिधि के तौर पर रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक के कई विधायकों से मुलाकात की है। फिलहाल सोनिया और राहुल गांधी चाहते हैं कि विधायक शांत हो जाएं और खींचतान सार्वजनिक तौर पर न दिखे। वहीं डीके शिवकुमार के समर्थक अब आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी। इस इलेक्शन के बाद चर्चा थी कि डीके शिवकुमार सीएम होंगे, लेकिन सिद्धारमैया को मौका मिला। किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा था, लेकिन तब से ही डीके शिवकुमार के समर्थक दोहरा रहे हैं कि सिद्धारमैया को ढाई साल के लिए ही सीएम बनाया गया है। इसी के चलते अब वे बदलाव की मांग कर रहे हैं। इस बीच डीके शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने बड़ा दावा किया है। हुसैन का कहना है कि करीब 100 कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार के साथ हैं और ये सभी लोग अब मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें देखना चाहते हैं। हम सभी की मांग है कि अब बदलाव हो जाए। यही नहीं उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शिवकुमार को सत्ता नहीं सौंपी गई तो फिर कांग्रेस 2028 में वापसी नहीं कर पाएगी। शिवकुमार के करीबी ने कहा कि मैं इस बारे में दिल्ली से आए रणदीप सुरजेवाला से भी बात करूंगा। उन्होंने कहा कि यदि अभी बदलाव नहीं हुआ तो फिर देर हो जाएगी। पार्टी के हित में है कि शिवकुमार को अब सत्ता दी जाए। दरअसल मल्लिकार्जुन खरगे ने बढ़ते विवाद को लेकर सोमवार को कहा था कि इस बारे में कोई फैसला पार्टी हाईकमान ही ले सकता है। इस पर हुसैन ने कहा कि हमने तो हमेशय़ा ही हाईकमान का सम्मान किया है। पार्टी में अनुशासन भी है। लेकिन हम हर बात हाईकमान को बताएंगे। कर्नाटक के बारे में सारे तथ्य उनके आगे रखेंगे। अंदर सुलग रही आग, पर सब नॉर्मल दिखाने में जुटे सिद्धारमैया कर्नाटक में डीके शिवकुमार के समर्थक विधायक ऐक्टिव हैं, लेकिन सीएम सिद्धारमैया सब नॉर्मल दिखाने की कोशिश में हैं। उन्होंने मीडिया के सवालों पर कहा कि सिद्धारमैया के साथ कोई मतभेद नहीं हैं। इसके सुरजेवाला ने भी कहा कि मैं संगठन मजबूत करने के लिए मीटिंग के लिए आया हूं। इसको किसी भी तरह के नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं से न जोड़ा जाए।  

आज फाइनल होगा मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का नाम!बैतूल का बढ़ सकता है कद

भोपाल  भारतीय जनता पार्टी ने नए प्रदेश अध्यक्ष (BJP State President in Madhya Pradesh) के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रीय नेतृत्व की स्वीकृति के बाद प्रदेश चुनाव अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर ने सोमवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव कार्यक्रम की अधिसूचना जारी कर राज्य निर्वाचन मंडल की सूची का प्रकाशन भी कर दिया है। मध्यप्रदेश भाजपा को मंगलवार को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। करीब 10 महीने से चल रही चर्चा और अंदरूनी मंथन के बाद यह फैसला अंतिम चरण में पहुंच गया है। भाजपा के केंद्रीय चुनाव अधिकारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मंगलवार शाम 4 बजे भोपाल पहुंचेंगे और 4:30 बजे नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। दो जुलाई को नए अध्यक्ष के नाम की औपचारिक घोषणा की जाएगी। बैतूल से विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का नाम अब सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में उभरा है। उन्हें संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पार्टी के प्रमुख चेहरों का समर्थन मिल रहा है। हेमंत खंडेलवाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत मानी जा रही है। उनके पिता विजय खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिससे संगठन में उनका जुड़ाव और भरोसा काफी पुराना है। खंडेलवाल का संघ से जुड़ाव और उनका साफ-सुथरा राजनीतिक रिकॉर्ड उन्हें अन्य दावेदारों से आगे बढ़ा रहा है। हेमंत खंडेलवाल का नाम लगभग तय माना जा रहा हैं। खंडेलवाल वर्तमान में प्रदेश भाजपा के कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। हेमंत खंडेलवाल ने 2007 में पहली बार बैतूल लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की थी। यह सीट उनके पिता विजय खंडेलवाल के निधन के बाद खाली हुई थी। 2009 में बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई, लेकिन खंडेलवाल की भूमिका इसके बाद भी प्रभावशाली बनी रही। उन्होंने 2013 में विधायक के रूप में जीत दर्ज की, हालांकि 2018 में चुनाव हारे। 2023 में वह फिर से विधायक चुने गए। हेमंत खंडेलवाल बन सकते हैं भाजपा अध्यक्ष     पार्टी सूत्रों के अनुसार, बैतूल के विधायक हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। वहीं, मंगलवार एवं बुधवार को प्रदेश कार्यालय में भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई है। इसमें वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे। मंगलवार को शाम 4.30 से 6.30 बजे तक नामांकन पत्र जमा कराए जाएंगे। 6.30 से 7.30 बजे तक नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 7.30 से आठ बजे तक नामांकन पत्र वापस लिए जा सकेंगे और रात आठ बजे नामांकन पत्रों की अंतिम सूची की घोषणा की जाएगी। हालांकि उससे पहले धर्मेंद्र प्रधान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा करके किसी नाम पर सर्वसम्मति बनाएंगे। इसके बाद नया प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर ही बुधवार को प्रात: 11 बजे से दो बजे के बीच मतदान कराया जाएगा और मतों की गिनती के बाद परिणाम की घोषणा कर दी जाएगी। बता दें कि इस चुनाव प्रक्रिया में प्रदेश अध्यक्ष के साथ राष्ट्रीय परिषद के 44 सदस्यों को भी चुना जाएगा। मतदान में प्रदेश परिषद के सदस्यों को मिलाकर कुल 379 मतदाता हिस्सा ले सकेंगे। प्रदेश परिषद के सदस्यों में चार सांसद एवं 17 विधायक भी शामिल हैं। सांसदों में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र खटीक हैं। वहीं विधायकों में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, विजय शाह, तुलसी सिलावट, एदल सिंह कंषाना, अजय विश्नोई, संपतिया उइके, ओमप्रकाश सखलेचा, संजय पाठक, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, नारायण सिंह कुशवाह और मालिनी गौड़ शामिल हैं। अधिकतर सर्वसम्मति से ही चुना गया है प्रदेश अध्यक्ष मध्य प्रदेश में अधिकतर बार सर्वसम्मति से ही भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। अपवाद के रूप में केवल दो बार संगठन चुनाव में मतदान की स्थिति बनी है। पहली बार 1990 के दशक में पार्टी द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय प्रत्याशी लखीराम अग्रवाल के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी संगठन चुनाव में खड़े हुए थे। दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान और विक्रम वर्मा के बीच प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ था। इसमें विक्रम वर्मा ने शिवराज सिंह चौहान को हरा दिया था। हालांकि माना जा रहा है प्रदेश अध्यक्ष के लिए मतदान की स्थिति नहीं बनेगी।  हेमंत खंडेलवाल का प्रोफाइल हेमंत खंडेलवाल संघ पृष्ठभूमि से आते हैं। उनकी संघ के अलावा पार्टी संगठन में भी मजबूत पकड़ है। वह बैतूल के पूर्व सांसद एवं दो बार के विधायक हैं। उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल बैतूल लोकसभा से तीन बार सांसद रह चुके हैं, तब से ही वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा से जुड़े हुए हैं। पिता के निधन के बाद हेमंत ने बैतूल लोकसभा से उपचुनाव लड़ा और निर्वाचित होकर सांसद बने। इसके बाद वह बैतूल विधानसभा से दूसरी बार के विधायक हैं। माना जा रहा है मध्य प्रदेश में वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है, ऐसे में सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। संघ और संगठन में मजबूत पकड़ खंडेलवाल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेश सोनी का करीबी माना जाता है। दिल्ली में हुए अंतिम दौर की चर्चा में सुरेश सोनी और डॉ. यादव दोनों ने ही हेमंत खंडेलवाल के नाम की जोरदार पैरवी की थी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है। संघ और संगठन दोनों को भरोसा है कि हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बना रहेगा। अन्य नाम भी चर्चा में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, लता वानखेड़े, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, अर्चना चिटनिस और गजेंद्र पटेल के नामों पर भी चर्चा में है। सूत्रों का कहना है कि अब औपचारिक एलान ही बाकी हैं।