भोपाल में नामकरण को लेकर फिर गरमाई बहस, कोलार रोड को ‘राजा भोज मार्ग’ करने की मांग तेज

भोपाल  राजधानी भोपाल स्थित भोज मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कमलाकर सिंह ने शहर के कोलार रोड को 'राजा भोज मार्ग' के रूप में चिह्नित करने वाले साइनबोर्डों को दोबारा लगाने की मांग उठाई है.  कमलाकर सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि साल 2008 में लिए गए निर्णय के अनुसार इस सड़क पर फिर से नामपट्ट और साइनबोर्ड लगाए जाएं. राजा भोज 1010 से 1055 में अपनी मृत्यु तक मालवा क्षेत्र के परमारकालीन राजा थे.  सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र भेजकर कोलार रोड का नाम 'राजा भोज मार्ग' रखने का अनुरोध किया था, जिस पर सहमति हो गई थी.  उन्होंने आगे कहा कि चूंकि इस सड़क को छह लेन का बनाया गया था, इसलिए राजा भोज का नाम कहीं भी दिखाई नहीं देता, क्योंकि साइनबोर्ड या तो क्षतिग्रस्त हो गए थे या गलत जगह पर लगे थे. 

छत्तीसगढ़ PWD की बड़ी कार्रवाई, 16 सड़क और पुल परियोजनाओं के लिए मांगी ऑनलाइन टेंडर

छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग की ओर से प्रदेश के 16 सड़क और पुल निर्माण कार्यों की ऑनलाइन निविदा जारी छत्तीसगढ़ में 16 सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने जारी की ऑनलाइन निविदा प्रदेश में अधोसंरचना विकास को लेकर पहल, लोक निर्माण विभाग ने 16 कार्यों की निविदा की जारी छत्तीसगढ़ PWD की बड़ी कार्रवाई, 16 सड़क और पुल परियोजनाओं के लिए मांगी ऑनलाइन टेंडर रायपुर  बरसात आते ही प्रदेश के कई गांव शहरों से कट जाते थे। मरीजों का अस्पताल तक पहुंचाना मुश्किल, स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई ठप और बाजार में सब्जी-धान पहुंचाना भी मुश्किल हो जाता था। मगर अब लोक निर्माण विभाग, नवा रायपुर-अटल नगर ने इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। विभाग ने अत्याधुनिक ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली से 601.89 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले 16 सड़क और पुल निर्माण कार्यों की ऑनलाइन निविदा जारी कर दी है। वहीं, निर्माण कार्य सितंबर से प्रारंभ होने की संभावना है। इन जगहों पर बिछेगा सड़कों का जाल धमतरी, बालोद, गरियाबंद, महासमुंद, दुर्ग, बलौदाबाजार और रायपुर जिले के दूरदराज गांव, जो अब तक हर बरसात में मुख्य शहरों से कट जाते थे, वहां अब मजबूत पुलों और चौड़ी सड़कों का जाल बिछाया जाएगा। मरीजों को होती थी दिक्कत कई क्षेत्रों में बरसात के दौरान पुलिया बह जाने या कच्ची सड़कें धंस जाने से एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती थी। अब रोड का निर्माण होने पर मरीजों और गर्भवती महिलाओं को लाभ मिलेगा। अब तकनीक से होगी राहत की शुरुआत पीडब्ल्यूडी द्वारा जारी इन टेंडरों में सड़कों का मजबूतीकरण, चौड़ीकरण, सीमेंट-कांक्रीट निर्माण और उच्च क्षमता वाली पुल-पुलियों का निर्माण प्रस्तावित है। सबसे बड़ा काम छुरा से नवागांव होकर भटगांव तक 24 किमी मार्ग का है, जिसकी लागत 270.30 करोड़ रुपये तय की गई है। वहीं रायपुर-बलौदाबाजार-भाटापारा, पत्थलगांव जैसे इलाकों में भी करोड़ों की लागत से सड़कों का निर्माण होगा। चितरपुर–रेवई मार्ग पर सेमरमुड़ा नदी पर उच्चस्तरीय पुल व पहुंच मार्ग बेमेतरा–नवागढ़–मुंगेली मार्ग (एसएच-07) चौड़ीकरण व मजबूतीकरण राजनांदगांव–कवर्धा–पोंडी मार्ग (एसएच-05) चौड़ीकरण व मजबूतीकरण डोंगरगढ़–चौकी–मोहला–मानपुर मार्ग (एसएच-24) चौड़ीकरण व मजबूतीकरण पैगा से सरईकेरचा पहुंच मार्ग (5.00 किमी) पालीटेक्निक कालेज भवन निर्माण बहतराई हाकी स्टेडियम में फ्लड लाइट सप्लाई व इंस्टालेशन धनुहारपारा–नवागांव मार्ग पर बोराई नदी पर पुल सिलादेही–मौहाडीह मार्ग निर्माण (2.325 किमी) सिरगिट्टी–सरवानी–बरतोरी मार्ग उन्नयन (28.45 किमी) धारानगर हायर सेकेण्डरी स्कूल में 100 सीटर छात्रावास भवन भदरापारा–बरभांठा मार्ग निर्माण (2.70 किमी) केरापाठ–गायबुड़ा मार्ग (4.86 किमी, पुल-पुलिया सहित) भैरमगढ़ टाउन मार्ग निर्माण (5.00 किमी, शेष कार्य) चैनपुर–खम्हरिया मार्ग पर रेहण्ड नदी पर पुल व सड़क सुबरा (कटंगपारा)–सलिहापारा मार्ग पर खारून नदी पर उच्चस्तरीय पुल व सड़क गौरतलब है कि प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में भारी बारिश के कारण कई बार वहां के लोगों का संपर्क पास के शहरों के कट जाता था। अब इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर से कदम उठाया गया है। ऐसे 16 सड़कों और पुलों के निर्माण कार्य के लिए सरकार की ओर से 601.89 करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर जारी किया गया है।  

इंदौर के पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण पर NHAI ने साफ किया, 90 % किसानों को मुआवजा मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा

 इंदौर  इंदौर में शिप्रा से पीथमपुर नेट्रेक्स तक बनने वाली 64 किलोमीटर लंबी पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण कार्य में अब और देरी तय है। किसानों को बढ़ी हुई मुआवजा राशि तो मंजूर हो गई है, लेकिन उनके बैंक खाता नंबर और एफआईसी कोड अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने साफ किया है कि 90 प्रतिशत किसानों को मुआवजा मिलने के बाद ही सड़क निर्माण शुरू किया जाएगा। अब तक जिले में 30 प्रतिशत किसानों के खाता नंबर ही एकत्रित हो सके है। ऐसे में बरसात बाद ही निर्माण एजेंसी की मशीने काम शुरू कर सकेगी। करीब एक साल पहले दो अलग-अलग एजेंसियों को इस सड़क का निर्माण कार्य सौंपा गया था। लेकिन किसानों के विरोध और जमीन अधिग्रहण की मुआवजा राशि में खामियों के चलते काम शुरू नहीं हो पाया। पहले इस परियोजना के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का मुआवजा तय हुआ था, लेकिन किसानों के विरोध और शासन के निर्देश के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने नई गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा बढ़वाया। अब यह राशि बढ़कर करीब एक हजार करोड़ रुपये हो गई है। जमीनों का सर्वे कर 26 मई को अवार्ड पारित कर दिए गए और 25 जून को एनएचएआइ ने फंड भी जारी कर दिया।अब तक किसानों जिले के 998 किसानों के खाता नंबर नहीं मिल सके है। इंदौर जिले की तीन तहसीलों की स्थिति 795 करोड़ इंदौर जिले में मिलेगा मुआवजा 570.5678 हेक्टेयर जमीन होगी अधिग्रहित 472.0545 हेक्टर नीजी जमीन 98.5133 हेक्टेयर शासकीय जमीन 998 किसानों की जमीन होगी अधिग्रहित 90 प्रतिशत जमीन मिलने पर शुरू होगा कार्य एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल का कहना है कि 90 प्रतिशत जमीनों का स्वामित्व मिलने के बाद ही पश्चिम रिंग रोड का निर्माण कार्य शुरू होगा। इसके लिए किसानों के खाता नंबर और एफआइसी कोड मांगे जा रहे है, ताकि उनके खाते में सिंगल क्लीक पर राशि जारी की जा सके।एसडीएम द्वारा किसानों के खाता नंबर पोर्टल पर डालने के बाद विभाग इनकी जांच कर राशि जारी कर देता है। इंदौर जिले में 795 करोड़ मुआवजा एनएचएआइ के प्रोजेक्टर डायरेक्टर बांझल के अनुसार इंदौर जिले की तीन तहसीलों के 26 गांवों में 998 किसानों को 795 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा, जबकि धार जिले की पीथमपुर तहसील में करीब 200 करोड़ रुपये का मुआवजा पारित हुआ है। इंदौर जिले में सांवेर तहसील को सबसे ज्यादा 473 करोड़ रुपये मिलेंगे। सांवेर के 9 गांवों के 512 किसानों को यह रकम दी जाएगी। देपालपुर के 5 गांवों के 153 किसानों को 140 करोड़ और हातोद तहसील के 12 गांवों के 333 किसानों को 182 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। 570 हेक्टेयर से अधिक जमीन पश्चिम रिंग रोड के लिए इंदौर जिले में 570.5678 हेक्टेयर निजी जमीन और करीब 98.5 हेक्टेयर शासकीय जमीन अधिग्रहित होगी। पहले मुआवजा पुराने गाइडलाइन पर दिया जा रहा था, लेकिन अब औसत खरीदी-बिक्री दर के हिसाब से राशि तय की गई है।इससे किसानों में नाराजगी भी दूर हुई है और अब जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया है। खाता नंबर लेने का काम किया जा रहा है     किसानों से उनके खाता नंबर लेने का कार्य किया जा रहा है। अब तक 30 प्रतिशत किसानों के खाता नंबर प्राप्त हो चुके हैं। जल्द ही सभी किसानों के खाता नंबर लेकर पोर्टल पर दर्ज किए जाएंगे। जिले में 333 किसानों के खाता नंबर लिए जाना है। पटवारी इसके लिए किसानों से संवाद कर रहे है। – रबी वर्मा, एसडीएम हातोद  

बदनावर-पेटलावद- थांदला 4-लेन सड़क के लिए भूमिअधिग्रहण की प्रक्रिया को पूर्ण करने प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त

झाबुआ   एमपी में बदनावर-पेटलावद- थांदला मार्ग के फोरलेन निर्माण की प्रक्रिया में कदम बढ़ाए गए है। शासन प्रशासन ने उक्त मार्ग में जमीन अधिग्रहण के लिए राजपत्र में प्रकाशन कर दिया है। राजपत्र में प्रकाशन के आधार पर भूमि अधिग्रहण के लिए क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी को प्राधिकृत अधिकारी बनाया है। इनके द्वारा भूमिअधिग्रहण की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाएगा। इन गांव से ली जाएगी जमीन इस संबंध में राजपत्र में अधिग्रहीत की जाने वाले गांव और कस्बों की सूची भी प्रकाशीत की गई है। इसके अनुसार पेटलावद तहसील के पेटलावद, करड़ावद, सारंगी जैसे बड़े कस्बों सहित नाहरपुरा, उन्नई, टेमरिया, पंथबोराली, बाछीखेडा, छावनी, भाभरापाड़ा, कुंडियापाड़ा, हिंडोला, बावडी, बेंगनबर्डी, छायनपाड़ा, मोहनपुरा, कसारबर्डी, खोरिया, छोटी बोलासा आदि गांवों को भूमि अधिग्रहण करने के लिए प्राधिकारी बनाए गए हैं। इसी प्रकार बदनावर और थांदला तहसील में भी प्राधिकारी बनाए गए हैं। मार्ग बना क्षेत्र के लिए पहेली बदनावद-पेटलावद- थांदला मार्ग क्षेत्रवासियों के लिए एक पहेली बन चुका है। जिसका हल हर कोई निकालना चाहता है। इस पहेली के सुलझने पर कई लोगों को लाभ तो कई लोगों को नुकसान होगा। क्योंकि वर्तमान टू लेन के आसपास पूरे क्षेत्र का व्यवसाय जमा हुआ है। सारंगी के लोग जता चुके हैं विरोध रोड निर्माण को लेकर आ रहे बयानों को लेकर पिछले दिनों सारंगी की रहवासियों ने सारंगी चैपाटी पर ओवरब्रिज बनने पर विरोध किया था। सारंगीवासियों का कहना है कि इस प्रकार ओवरब्रिज बनने से चौपाटी का रोजगार पूरी तरह से ठप हो जाएगा। वहीं दूसरी और करडावद और पेटलावद के बीच निकलने वाले मार्ग को लेकर संभावनाएं व्यक्त की जा रही है। कहां से आखिर यह मार्ग निकलेगा।