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उत्तर प्रदेश में नेपियर घास किसानों की बदलेगी किस्मत, लाभार्थी किसानाें को मुफ्त मिलेंगी घास की जड़ें

लखनऊ  घास लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को हजारों रुपये दे रही है. केवल रुपये ही नहीं, बल्कि घास लगाने के लिए घास की जड़ें भी उपलब्ध कराई जा रही है. घास भी कोई सामान्य घास नहीं है, बल्कि अफ़्रीकन प्रजाति की है. अगर आपके पास भी घास लगाने के लिए जमीन है तो सरकार आपको आर्थिक मदद करेगी. दरअसल, योगी सरकार द्वारा नेपियर घास की खेती को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की जा रही है. इस घास से बिजली उत्पादन होगा. अगर आप घास को लगाते हैं तो सरकारी मदद मिलने के साथ-साथ मोटी कमाई भी कर सकते हैं. नेपियर घास अफ्रीकन प्रजाति की घास है. नेपियर घास का वैज्ञानिक नाम Pennisetum purpureum है. नेपियर घास पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. विशेषकर दूध देने वाले पशुओं के लिए यह घास बेहद लाभदायक होती है. इस घास में प्रोटीन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. यदि पशू नेपियर घास का सेवन करते हैं तो पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ता है. साथ ही तेज़ी के साथ शारीरिक विकास होता है. मार्केट में नेपियर घास की काफी डिमांड बतायी जाती है. उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए एक और खास योजना लाने की तैयारी है। इस योजना के लागू होने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। यूपी सरकार की इस योजना के तहत हाइब्रिड नेपियर घास (इसे हाथी घास भी कहा जाता है) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की ओर से इसके लिए अनुदान भी मिलेगा। इस योजना का मकसद है कि प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़े और जानवरों को साल भर हरा चारा मिलता रहे। यूपी सरकार किसानों के साथ चारा बनाने वाली संस्थाओं को भी हाइब्रिड नेपियर घास उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अभी इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सिर्फ प्रयागराज में शुरू किया गया है। यह एक 'Buy Back' योजना है, जिसमें किसानों को 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ग्रांट मिलेगी। इस योजना के तहत सरकार की ओर से हाइब्रिड नेपियर घास की जड़ किसानों को मुहैया कराई जाएगी और उसके बाद सरकार ही दोगुने दाम पर किसानों से घास खरीदेगी। अभी इतने लोगों को मिलेगा लाभ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.एन. यादव ने बताया कि सरकार ने पहली बार प्रयागराज में यह योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को नेपियर घास उगाने के लिए 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की ग्रांट दी जाएगी। जिले में 10 लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा। ये लाभार्थी किसान, किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह या गौशाला चलाने वाले लोग हो सकते हैं। चारे की कमी नहीं होगी नेपियर घास को किसान इसे अपने जानवरों को हरे चारे के रूप में खिला सकते हैं। यह घास दूध देने वाले जानवरों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह प्रोटीन सेभरपूर हरा चारा है। इससे जानवरों का दूध बढ़ता है। डेयरी मालिक आमतौर पर 12 रुपये प्रति किलो की दर से सूखा भूसा खरीदते हैं। जबकि इस हरे चारे को उगाने का खर्च सिर्फ 50 पैसे प्रति किलो है। इन योजनाओं से किसान हर महीने हजारों रुपये कमा सकते हैं। वे यह घास डेयरी फार्म मालिकों को बेच सकते हैं। नेपियर चारा बैंक योजना: बता दें कि पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों के दुधारू पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर चारा बैंक की योजना चलायी गई है. किसान, स्वयं सहायता समूह, पंजीकृत गौशाला, गो आश्रयस्थल, FPO और स्वयंसेवी संस्था इसका लाभ ले सकते हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी के पास 0.2 हेक्टेयर सिंचित भूमि होना आवश्यक है. गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ एस पी पांडे के मुताबिक, इस योजना के तहत गाजियाबाद में 10 लाभार्थियों का चयन किया जाएगा. भारतीय चयनित लाभार्थी को खेत की तैयारी के लिए 4 हज़ार रुपए भुगतान किए जाएंगे. लाभार्थी को नैपी और घास की जड़ें उपलब्ध कराई जाएंगी. एक साल के बाद लाभार्थी से दोगुनी जड़ें ली जाएंगी, जो अगले साल चयनित लाभार्थियों को वितरित की जाएगी. यदि योजना के लिए 10 से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं तो मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा. इसके बाद पहले आओ पहले पाओ के आधार पर 10 योग्य लाभार्थियों का चयन होगा. नेपियर घास केवल पशुओं के चारे के तौर पर ही नहीं बल्कि बिजली उत्पादन के लिए भी इसका प्रयोग किया. नेपियर घास की खासियत: एक बार नेपियर घास लगाने पर कई सालों तक उपज देती है. नेपियर घास काफी तेजी के साथ बढ़ती है. जिससे साल में 5-7 बार कटाई की जा सकती है. नेपियर घास को लगाने के बाद खाद या फिर बार-बार पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है. एक एकड़ भूमि में नेपियर घास लगाने से सालाना 300 टन से अधिक की पैदावार होती है. क्या है नेपियर घास नेपियर घास गन्ने की तरह दिखती है। मूल रूप से थाईलैंड में पाई जाने वाली इस घास की खास बात है कि इसे बंजर जमीन और खेतों की सीमाओं पर भी उगाया जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह सिर्फ 20-25 दिनों में पानी की मदद से तैयार हो जाती है। एक एकड़ में लगभग 300-400 क्विंटल घास का उत्पादन होता है। कटाई के बाद इसकी शाखाएं अपने आप फिर से बढ़ने लगती हैं। इस तरह, एक बार लगाने के बाद इसे दस साल तक उगाया जा सकता है। यही मुख्य कारण है कि इसे कम लागत में अधिक आय वाली फसल कहा जाता है। यह किसानों और पशुपालकों दोनों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है।

मोहन सरकार का एक जगह सभी ऑफिस की योजना, अरेरा हिल्स को सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर डेवलप किया जाएगा

भोपाल  करीब 43 साल पहले 9.56 करोड़ रुपए खर्च कर बनाए गए सतपुड़ा और विंध्याचल भवन को तोड़कर अरेरा हिल्स क्षेत्र को दिल्ली के सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर डेवलप किया जाएगा। री-डेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत यह जिम्मेदारी मप्र हाउसिंग बोर्ड को सौंपी गई है। करीब 4 महीने में बोर्ड ने इसका कंप्रेहेंसिव प्लान तैयार कर लिया है। हालांकि, इस प्लान पर अंतिम मुहर आज  बुधवार को वल्लभ भवन में होने वाली मुख्य सचिव की बैठक में लगेगी। फिलहाल बोर्ड का प्लान है कि वल्लभ भवन के इर्द-गिर्द अलग-अलग खंडों में कई भवन बनाए जाएंगे और इन्हीं में भोपाल के सभी एचओडी स्तर के दफ्तर संचालित किए जाएंगे। इससे पहले सतपुड़ा-विंध्याचल भवन को तोड़कर दोगुने क्षेत्र में बनाने की योजना भोपाल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (बीडीसी) ने बनाई थी। जिसे मुख्यमंत्री ने नामंजूर कर दिया था। 43 साल पहले… 9.56 करोड़ खर्च कर बनाए गए थे सतपुड़ा-विंध्याचल भवन     नगरीय विकास एवं आवास विभाग के एसीएस संजय शुक्ला ने बताया कि सतपुड़ा- विंध्याचल भवनों को तोड़कर वहां नए भवनों के निर्माण का एक समग्र (कंप्रेहेंसिव) प्लान मप्र हाउसिंग बोर्ड ने तैयार किया है। प्रस्तावित योजना पर अंतिम निर्णय आगामी बैठक के बाद लिया जाएगा।     मेट्रो का रूट भी: इस क्षेत्र को दो तरफ से ऑरेंज और ब्लू मेट्रो का रूट भी मिलेगा।     वल्लभ भवन और इसके आसपास 8 ऐसी झुग्गी बस्तियां हैं, जिनमें 32 हजार लोग रहते हैं। इनमें पत्रकार कॉलोनी के पास मालवीय नगर, ओम नगर-2,3, भीम नगर, वल्लभ नगर-1,2, राजीव नगर व अर्जुन नगर शामिल हैं। यहां 9197 हाउस होल्ड हैं।

10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा व्रत, जानें स्नान-दान और व्रत करने की सही डेट और टाइम

हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। यह दिन गुरुओं को समर्पित है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान दिया गया है, क्योंकि गुरु ही शिष्य को ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं और उसे अज्ञान के अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं, तो आइए इस आर्टिकल में इस पावन दिन (Guru Purnima 2025 Date) से जुड़ी सभी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं। गुरु पूर्णिमा 2025 डेट और टाइम  हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 01 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 11 जुलाई को रात 02 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा (Kab Hai Guru Purnima 2025) का पर्व मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी को हिंदू धर्म के सबसे महान गुरुओं में से एक माना जाता है, जिन्होंने महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना की। इस दिन उनके जन्मोत्सव को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। यह तिथि उन सभी गुरुओं के लिए है, जिन्होंने हमारे जीवन को दिशा दी है, चाहे वे माता-पिता हों, शिक्षक हों, या कोई ऐसा व्यक्ति जिसने हमें ज्ञान प्रदान किया हो। गुरु पूर्णिमा पूजा विधि      इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र स्नान करें।     इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें, अगर ऐसा मुश्किल है तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।     साफ कपड़े पहनें।     घर के मंदिर को साफ करें।     एक वेदी पर अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें।     गुरु के समक्ष घी का दीपक जलाएं।     उन्हें सफेद चंदन, अक्षत, फूल, जनेऊ, फल, मिठाई आदि चीजें चढ़ाएं।     अंत में गुरु की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें।     अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और जीवन में सही मार्ग पर चलने का संकल्प लें।     इस दिन अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जाप या 'ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः', 'ॐ ब्रह्म बृहस्पतये नमः' जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं।     इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या शिक्षा से जुड़ी वस्तुओं का दान जरूर करें।  

पीएम Modi की विदेश नीति को नई दिशा देने की तैयारी, पीएम की सबसे लंबी राजनयिक यात्रा, BRICS में लेंगे हिस्सा

पीएम मोदी की त्रिनिदाद व टोबैगो की ऐतिहासिक यात्रा न सिर्फ 180 वर्षों की विरासत से जुड़ी हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ दिनों के डिप्लोमैटिक दौरे पर आज रवाना होंगे, यात्रा से पहले चर्चा में ये कुर्सी  पीएम Modi की विदेश नीति को नई दिशा देने की तैयारी, पीएम की सबसे लंबी राजनयिक यात्रा, BRICS में लेंगे हिस्सा नई दिल्ली  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 2 जुलाई, 2025 से 5 देशों की यात्रा के लिए रवाना होने वाले हैं. 2 जुलाई से शुरू होने वाली पीएम की ये यात्रा 9 जुलाई को पूरी होगी. पीएम के इस दौरे में दो महाद्वीप भी शामिल हैं. इस दौरे में प्रधानमंत्री घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा करने वाले हैं. इस यात्रा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर प्रधानमंत्री 4 दिनों तक ब्राजील में रहेंगे. 11 सालों के अपने कार्यकाल में पीएम मोदी दूसरी बार 5 देशों के दौरे पर जा रहे हैं. इससे पहले साल 2016 में उन्होंने 5 देशों को दौरा किया था, जिसमें अमेरिका, स्विट्जरलैंड, अफगानिस्तान, मैक्सिको और कतर देश शामिल था. 2 जुलाई से पीएम की ये यात्रा घाना से शुरू होगी. भारत के प्रधानमंत्री 30 साल बाद घाना का दौरा करने वाले हैं. 2 से 3 जुलाई तक पीएम मोदी यहां घाना के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्धों पर चर्चा करेंगे.     ऐतिहासिक यात्रा न सिर्फ 180 वर्षों की विरासत से जुड़ी हुई पीएम मोदी का इस कैरेबियाई देश का दौरा इसलिए भी कई मायनों में अहम है, क्योंकि 180 साल पहले भारतीयों ने समुद्री रास्ते से पहली बार इस धरती पर कदम रखा था। पीएम मोदी के दौरे को लेकर प्रवासी भारतीयों में जबरदस्त उत्साह है। विदेश मंत्रालय में सचिव नीना मल्होत्रा ने सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि इस दौरे के दौरान पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू और प्रधानमंत्री कमला पर्साड-बिसेसर से मुलाकात करेंगे। वे देश की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के साथ संवाद का भी आयोजन होगा। इस देश की कुल जनसंख्या का लगभग 45% हिस्सा भारतीयों का है। जहाज पर सवार होकर पहुंचे थे 225 भारतीय करीब 180 साल पहले 30 मई 1845 को भारत से रवाना हुए 'फतेह-अल-रज़ाक' नामक जहाज ने त्रिनिदाद और टोबैगो के तट पर 225 भारतीय गिरमिटिया मजदूरों को उतारा था। भारतीयों का इस देश में यह पहला दौरा था। ये लोग गिरमिटिया मजदूर के रूप में ब्रिटिश उपनिवेश में काम करने भेजे गए थे। तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन भारत का प्रधानमंत्री उसी धरती पर आधिकारिक यात्रा पर पहुंचेगा। ब्रिटिश शासन के दौरान चीनी और कैरेबियाई गन्ना बागानों में सस्ता श्रम जुटाने के लिए भारत से मजदूरों को भेजा गया था। फतेह-अल-रज़ाक से त्रिनिदाद पहुंचे पहले भारतीयों में ज़्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से थे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों भारतवंशी पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी विशेष है, क्योंकि कैरेबियाई देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों भारतवंशी महिलाएं हैं, वे स्वयं को "भारत की बेटियां" बताती हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेता न सिर्फ भारत की विरासत से जुड़ी हैं, बल्कि भारत के साथ राजनयिक और विकास सहयोग को नई दिशा देने को लेकर उत्सुक हैं। द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा पीएम मोदी के दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्मा, अक्षय ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। इसके अलावा, खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंध भी एजेंडे में शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया, “दोनों देश एक विस्तृत सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।” प्रधानमंत्री मोदी को त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद में संयुक्त सत्र को संबोधित करने का विशेष सम्मान मिलेगा। साथ ही, प्रधानमंत्री कमला बिसेसर पीएम मोदी के सम्मान में औपचारिक रात्रिभोज का भी आयोजन करेंगी। घाना के साथ भारत के अच्छे सम्बन्ध घाना पश्चिम एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है. साथ ही घाना के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध काफी अच्छे हैं. भारत और घाना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 3,137.29 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें भारत से सोने का आयात काफी ज्यादा होता है. इसके अलावा भारत की कई कंपनियों ने घाना में कृषि, विनिर्माण, निर्माण, शिक्षा, फार्मास्यूटिकल्स, आईसीटी और ऑटोमोटिव जैसी कंपनियों में भी काफी पैसे निवेश किए हैं. घाना के बाद पीएम इस देश की करेंगे यात्रा घाना के बाद पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो का दौरा करेंगे. त्रिनिदाद और टोबैगो में लगभग 40 से 45 प्रतिशत भारतीय प्रवासी निवास करते हैं. त्रिनिदाद और टोबैगो कैरिबियन क्षेत्र का पहला देश बन गया है, जिसने भारत के यूपीआई प्लेटफॉर्म प्रोजेक्ट को अपने देश में मंजूरी दी है. 4 जुलाई को पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो से अर्जेंटिना जाएंगे. भारत का अर्जेंटिना में कुल निवेश 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर है. पीएम मोदी अर्जेंटिना में वहां के प्रमुख क्षेत्रों, जैसे आर्थिक, रक्षा, खनिज, तेल और गैस, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान पर चर्चा कर सकते हैं. 4 दिनों तक ब्राजील में रहेंगे पीएम मोदी उसके बाद 5 से 8 जुलाई तक प्रधानमंत्री ब्राजील की यात्रा पर रहेंगे और वहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. पीएम मोदी अपने कार्यकाल में चौथी बार ब्राजील की यात्रा करने वाले हैं. पीएम यहां राष्ट्रपति लूला से वैश्विक स्तर में सुधार, शांति और सुरक्षा, एआई, जलवायु परिवर्तन और हेल्थ सहित कई मुद्दों पर बात करेंगे. नामीबिया की यात्रा करेंगे पीएम मोदी अपनी यात्रा के आखिरी दौरे में पीएम मोदी नामीबिया पहुचेंगे. नामीबिया में पीएम मोदी की पहली यात्रा होगी. साथ ही मार्च में पदभार संभालने के बाद नामीबिया के राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी की भारत देश से पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी. हालांकि भारत और नामीबिया के बीच व्यापार में तेजी आई है. भारत और नामीबिया के बीच व्यापार बढ़कर 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया है, जो दोनों देशों के सम्बन्धों को मजबूत करने का काम करता है. PM मोदी की विदेश यात्रा से पहले चर्चा में क्यों ये कुर्सी इस दौरे से पहले एक कुर्सी भी चर्चा में आ गई है. खास बात यह है कि विदेशी सरजमीं के संसद में रखी इस कुर्सी पर … Read more