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CM यादव की पहल पर लंबित राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिये प्रदेश में 2 चरणों में राजस्व महाअभियान संचालित

विशेष समाचार CM  यादव की पहल पर लंबित राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिये प्रदेश में 2 चरणों में राजस्व महाअभियान संचालित भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर लंबित राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिये प्रदेश में 2 चरणों में राजस्व महाअभियान संचालित किये गये। राजस्व महाअभियान में राजस्व प्रकरणों के निराकरण का क्रम राजस्व महाअभियान-2 के बाद भी जारी है। राजस्व महाअभियान-2 के बाद फरवरी-2025 से अब तक राजस्व विभाग द्वारा नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के 8 लाख 49 हजार 681 प्रकरणों का रिकॉर्ड निराकरण किया गया है। यह निराकरण राजस्व महा-अभियान के बाद जनवरी-2025 के अंत से अब तक किया गया है। राजस्व प्रकरणों के निराकरण की स्थिति, राजस्व न्यायालयों की दक्षता, पारदर्शिता और तीव्रता को दर्शाती है। राजस्व महा-अभियान से प्रकरणों के निराकरण में आयी तेजी लगातार बनी हुई है। नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के 27 जनवरी, 2025 के बाद से अब तक के प्रकरणों के निराकरण की जिलेवार स्थिति में आगर-मालवा में 10 हजार 417, अलीराजपुर में 2550, अनूपपुर में 10 हजार 690, अशोकनगर में 10 हजार 130, बालाघाट में 21 हजार 897, बड़वानी में 5 हजार 610, बैतूल में 21 हजार 407, भिण्ड में 21 हजार 964, भोपाल में 31 हजार 996, बुरहानपुर में 6 हजार 340, छतरपुर में 28 हजार 325, छिंदवाड़ा में 23 हजार 84, दमोह में 15 हजार 616, दतिया में 14 हजार 501, देवास में 16 हजार 395, धार में 13 हजार 362, डिण्डौरी में 9 हजार 203, गुना में 14 हजार 784, ग्वालियर में 26 हजार 221, हरदा में 5 हजार 704, इंदौर में 31 हजार 540, जबलपुर में 28 हजार 167, झाबुआ में 6 हजार 730, कटनी में 22 हजार 299, खण्डवा में 13 हजार 413, खरगौन में 14 हजार 37, मैहर में 8 हजार 612, मण्डला में 11 हजार 110, मंदसौर में 14 हजार 776, मऊगंज में 6 हजार 788, मुरैना में 21 हजार 538, नर्मदापुरम में 12 हजार 89, नरसिंहपुर में 9 हजार 650, नीमच में 8 हजार 710, निवाड़ी में 4 हजार 491, पांढुर्णा में 5 हजार 16, पन्ना में 11 हजार 544, रायसेन में 15 हजार 343, राजगढ़ में 15 हजार 911, रतलाम में 13 हजार 720, रीवा में 31 हजार 789, सागर में 25 हजार 841, सतना में 18 हजार 959, सीहोर में 17 हजार 112, सिवनी में 20 हजार 725, शहडोल में 12 हजार 646, शाजापुर में 14 हजार 816, श्योपुर में 5 हजार 134, शिवपुरी में 21 हजार 98, सीधी में 13 हजार 653, सिंगरौली में 17 हजार 373, टीकमगढ़ में 11 हजार 387, उज्जैन में 26 हजार 614, उमरिया में 7 हजार और विदिशा जिले में 19 हजार 854 राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया।  

विमान हादसे के डर से कांपे यात्री, 10500 फीट नीचे गिरा प्लेन, मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड हुआ हर पल

टोक्यो शंघाई से जापान की राजधानी टोक्यो जा रही जापान एयरलाइंस की एक फ्लाइट में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब बोइंग 737 विमान को अचानक 10,500 फीट नीचे उतारना पड़ा और ऑक्सीजन मास्क तैनात करने पड़े। यह हादसा 30 जून की शाम को हुआ, जब विमान ने चीन के शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी और टोक्यो के नारिता एयरपोर्ट की ओर जा रहा था। यह विमान जापान एयरलाइंस और इसकी कम लागत वाली सहयोगी एयरलाइन ‘स्प्रिंग जापान’ के कोडशेयर समझौते के तहत संचालित हो रहा था। विमान में कुल 191 लोग सवार थे। अचानक 10 मिनट में 36,000 फीट से 10,500 फीट पर आ गया विमान रिपोर्ट के अनुसार, विमान ने उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही तकनीकी खराबी का सामना किया। जापान के क्यूशू द्वीप के ऊपर उड़ान भरते समय विमान के केबिन प्रेशर सिस्टम में खराबी का अलर्ट मिला। इसके चलते विमान को तेजी से नीचे लाना पड़ा, जिसे इमरजेंसी डिसेंट कहा जाता है। महज 10 मिनट में यह लगभग 36,000 फीट से घटकर 10,500 फीट की ऊंचाई पर आ गया। यात्रियों ने बताया कि एक "मफल्ड बूम" की आवाज सुनाई दी और कुछ ही सेकंड में ऑक्सीजन मास्क गिर गए। केबिन में अराजकता का माहौल बन गया, जिसमें फ्लाइट अटेंडेंट्स जोर-जोर से यात्रियों को मास्क पहनने के लिए कह रही थीं। डर के मारे वसीयत लिखने लगे यात्री कई यात्री उस समय सो रहे थे और घबरा गए। कुछ यात्रियों ने तो इस डर से अपनी वसीयत लिख दी और अपने परिजनों को एटीएम पिन व बीमा की जानकारी भेज दी। एक यात्री ने बताया, “मैं सो रहा था, तभी अचानक ऑक्सीजन मास्क नीचे गिरने लगे। कुछ ही पलों में अफरा-तफरी मच गई। फ्लाइट अटेंडेंट रोते हुए कह रही थी कि विमान में तकनीकी खराबी आ गई है और सभी लोग मास्क पहन लें।” घबराए यात्रियों ने की रिकॉर्डिंग, वीडियो हुआ वायरल इस डरावने लम्हे को कुछ यात्रियों ने मोबाइल पर रिकॉर्ड भी किया। वीडियो में देखा जा सकता है कि यात्री ऑक्सीजन मास्क पकड़े हुए हैं और एक फ्लाइट अटेंडेंट घबराए हुए स्वर में घोषणा कर रही है। ओसाका में इमरजेंसी लैंडिंग, कोई घायल नहीं विमान के पायलट ने तत्काल एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आपात स्थिति की सूचना दी और विमान को ओसाका के कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की ओर मोड़ दिया गया। विमान ने शाम 8:50 बजे सुरक्षित लैंडिंग की। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई भी यात्री या क्रू मेंबर घायल नहीं हुआ। जांच शुरू, यात्रियों को मुआवजा एयरलाइन की ओर से यात्रियों को 15,000 येन (लगभग 93 अमेरिकी डॉलर) का परिवहन मुआवजा और एक रात के होटल ठहराव की सुविधा दी गई है। विमान की तकनीकी खराबी की जांच शुरू कर दी गई है। बोइंग विमानों पर फिर सवाल यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब बोइंग विमानों की सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ती जा रही है। पिछले महीने अहमदाबाद से लंदन जा रही एक बोइंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 241 यात्रियों समेत 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इस नई घटना ने बोइंग विमानों की सुरक्षा पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।  

अब नौकरियों में मिलेगा हक! सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लागू किया SC-ST आरक्षण

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक पदों की भर्ती में पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण लागू हुआ है। 24 जून को जारी किए गए सर्कुलर में पदों के आरक्षण की जानकारी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में हर साल 200 पदों पर भर्ती मंजूर है। इस तरह हर साल होने वाली भर्ती में 15 पर्सेंट एससी और 7.5 पर्सेंट एसटी आरक्षण लागू रहेगा। ऐसे में कुल 30 पदों को एससी आरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा 15 पद एसटी वर्ग के लिए तय किए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सामाजिक न्याय की मांग को देखते हुए अहम है। लंबे समय से मांग होती रही है कि कोर्ट की भर्तियों में भी कोटा लागू किया जाए। अदालत की ओर से दी गई भर्ती की डिटेल में बताया गया है कि सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के 94 पदों पर भर्ती में 14 एससी कोटे के लिए होंगी। इसके अलावा 6 पद एसटी कोटे के लिए आरक्षित रहेंगी। 74 पदों को अनारक्षित किया जाएगा। इसी तरह असिस्टेंट लाइब्रेरियन के 20 पदों में से 3 को एससी और एक को एसटी कोटे में रखा गया है। जूनियर कोर्ट असिस्टेंट की बात करें तो कुल 437 पद हैं, जिनमें से 65 पद एससी के लिए आरक्षित होंगे। इसके अलावा 32 पोस्ट एसटी के लिए होंगी। 340 पद अनारक्षित रहेंगे। यही नहीं जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के 20 पदों पर भी कोटा लागू रहेगा। जूनियर कोर्ट अटेंडेंट के भी 600 पदों पर आरक्षण लागू रहेगा। यही नहीं चेंबर अटेंडेंट के पद भी कोटा लागू होगा। सर्कुलर में कहा गया है कि यदि आरक्षण के नियम को लागू नहीं किया जाता है तो उसकी शिकायत रजिस्ट्रार से की जाए।  

कांग्रेस नेता का विवादित बयान: भारत के राज्य को कहा पड़ोसी देश, बाद में मांगी माफी

नई दिल्ली  कांग्रेस नेता अजय कुमार की सिक्किम को ‘‘पड़ोसी देश’’ बताने संबंधी टिप्पणी की राज्य के राजनीतिक दलों सहित समाज के विभिन्न वर्गों ने कड़ी आलोचना की है। कुमार ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान राज्य को बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के साथ पड़ोसी देश बताया था। हालांकि, इस मुद्दे पर विवाद उठने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मंगलवार को माफी मांगते हुए कहा कि ‘‘उनकी जबान फिसल’’ गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘कल ‘सेल (भारतीय इस्पात प्राधिकरण) 400 करोड़ का घोटाला’ पर अपनी प्रेस वार्ता में जब मैं अपने पड़ोसी देशों के साथ बिगड़ते संबंधों पर बोल रहा था तो मैंने गलती से एक राज्य का नाम ले लिया जिसके लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं क्योंकि यह सिर्फ जुबान फिसलने की वजह से हुआ… भाजपा की विपक्षी दलों के नेताओं की छोटी-छोटी गलतियों पर भी नजर रहती है।’’ सिक्किम के एकमात्र लोकसभा सदस्य इंद्र हंग सुब्बा ने कहा कि कुमार की टिप्पणी ‘‘गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक’’ है और ‘‘राज्य के लोगों का गंभीर अपमान है, जो हमेशा राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा के साथ खड़े रहे हैं’’। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी हमारी, संवैधानिक एकता के बारे में गहरी अज्ञानता को दर्शाती है और पूर्वोत्तर की गौरवशाली पहचान का अपमान करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस महान राष्ट्र से हमारे जुड़ाव पर सवाल उठाने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’ इसी तरह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सिक्किम इकाई ने इस बयान को ‘‘अपमानजनक और अज्ञानता से भरा’’ बताया। भाजपा की सिक्किम इकाई के मीडिया प्रभारी निरेन भंडारी ने कांग्रेस नेता, विशेषकर ऐसे व्यक्ति जो पूर्व में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी और संसद सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं, उनकी ‘‘भारत के इतिहास और भूगोल के बारे में जानकारी की कमी’’ पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को अपने नेताओं को शिक्षित करने और ऐसी शर्मनाक गलतियों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।’’ उन्होंने 1975 से भारत के अभिन्न अंग के रूप में सिक्किम की पहचान के प्रति जवाबदेही और सम्मान का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘सिक्किम के लोग गौरवान्वित भारतीय हैं और राज्य ने राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। इस तरह की टिप्पणी उन लोगों का अपमान करती है, जिनमें से कई ने राष्ट्र की सेवा के लिए अपना खून और पसीना बहाया है।’’ सिटिजंस एक्शन पार्टी (सीएपी) ने भी टिप्पणी की निंदा की और असंतोष व्यक्त किया।  

इलेक्ट्रॉनिक दुकान में लगी भीषण आग, लाखों का नुकसान, 1 घंटे की मशक्कत के बाद दमकल पाया आग पर काबू

दुर्ग शहर के इंदिरा मार्केट स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान और गोडाउन में बुधवार दोपहर अचानक भीषण आग लग गई. कुछ ही देर में आग दूसरे मंजिल तक जा पहुंची. घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया. सूचना पर पुलिस और दमकल वाहन मौके पर पहुंची. करीब 1 घंटे की मशक्कत के बाद आग को बुझा लिया गया, जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया. हालांकि दुकान में सारा सामान जलकर खाक हो गया, करीब 7-8 लाख रुपए के नुकसान होने की आशंका है. मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है. जानकारी के मुताबिक,  बुधवार दोपहर को भीड़भाड़ वाले इंदिरा मार्केट स्थित खत्री इलेक्ट्रॉनिक में अचानक आग लग गई. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया. सूचना के बाद मौके पर दमकल की तीन वाहन पहुंची. सूचना के बाद लगभग 1 घंटे में आग बुझा ली गई, जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया. हालांकि आग लगने के कारण दुकान का सारा सामान जलकर खाक हो गया है. करीब 7-8 लाख रुपए के नुकसान का आशंका है, फिलहाल आंकलन जारी है. पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई में जुट गई है.

कर्नाटक की सियासत गरमाई: सिद्धारमैया का दावा – पांच साल तक मैं ही रहूंगा सीएम

बेंगलुरु कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि वह पूरे 5 साल मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उनका यह बयान डीके शिवकुमार और उनके समर्थकों के लिए झटका है, जो मंगलवार तक दावा कर रहे थे कि 100 विधायक उनके साथ हैं। शिवकुमार समर्थकों का कहना था कि यह सबसे सही समय है, जब मुख्यमंत्री बदल दिया जाए। ऐसा नहीं हुआ तो फिर अगले चुनाव में कांग्रेस के लिए जीतना मुश्किल होगा। बुधवार को सिद्धारमैया ने कहा, 'हां मैं मुख्यमंत्री हूं। आखिर आपको कोई संदेह क्यों है?' उनसे पूछा गया कि भाजपा और जेडीएस की ओर से दावा किया जा रहा है कि जल्दी ही बदलाव होना है। इस पर सिद्धारमैया ने कहा कि क्या हमारे हाईकमान ये लोग हैं। एक तरफ सिद्धारमैया ने सीएम पद पर बने रहने की बात कही है तो डीके शिवकुमार का खेमा अब नरम पड़ता दिख रहा है। यहां तक कि शिवकुमार ने अब अपने ही समर्थकों के बयान पर ऐतराज जता दिया है। उन्होंने कहा है कि वह विधायक इकबाल हुसैन को कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे। इकबाल हुसैन ने ही दावा किया था कि हमारे पास 100 विधायकों का समर्थन है, जो चाहते हैं कि डीके शिवकुमार को ही सीएम बना दिया जाए। हुसैन का कहना था कि हमारी यह मांग है और हम इस मसले को हाईकमान के सामने भी रखेंगे। हुसैन को लेकर शिवकुमार ने कहा, 'विधायकों में कोई असंतोष या खींचतान नहीं है। हम सभी विधायकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय कर रहे हैं। मैं इकबाल हुसैन को नोटिस जारी करूंगा। इसके अलावा ऐसे अन्य विधायकों से भी बात करूंगा, जो पार्टी लाइन से अलग बात कर रहे हैं।' दरअसल डीके शिवकुमार गुट की जोर-आजमाइश सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दरबार तक पहुंची थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने तो साफ कहा था कि इस पर फैसला हाईकमान लेगा। फिर मंगलवार को रणदीप सुरजेवाला पहुंचे तो उन्होंने डीके शिवकुमार को साथ बिठाकर मीडिया से बात की और अंत में सब कुछ शांत जैसा करा दिया है।  

अभनपुर-राजिम रेलखंड पर यात्री ट्रेन सेवा जल्द होगी शुरू, रेल महाप्रबंधक ने किया निरीक्षण

 रायपुर  अभनपुर-राजिम रेलखंड पर यात्री ट्रेन सेवा जुलाई महीने में शुरू होने की संभावना है. अभनपुर से धमतरी के बीच ब्रॉडगेज लाइन पर दिसंबर तक ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है. महाप्रबंधक तरुण प्रकाश ने आरएसडी यार्ड, अभनपुर स्टेशन और निर्माणाधीन राजिम स्टेशन पर सुरक्षा इंतजामों और अन्य तैयारियों का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए. गौरतलब है कि रायपुर-अभनपुर के बीच पहले से ही मेमू ट्रेन सेवा संचालित है, जो फिलहाल घाटे में चल रही है. रेलवे को उम्मीद है कि राजिम तक ट्रेन सेवा शुरू होने से यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी, जिससे सेवा अधिक लाभकारी बन सकेगी. नई ब्रॉडगेज का ट्रायल पूरा अभनपुर-राजिम के बीच ब्रॉडगेज लाइन का ट्रायल पूरा कर लिया गया है, जबकि अभनपुर-धमतरी के बीच गेज कन्वर्जन का कार्य तेजी से चल रहा है. इसे दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है. इन रेल परियोजनाओं के पूरा होने से राज्य के प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों को ब्रॉडगेज नेटवर्क से जोड़ा जा सकेगा. राजिम तक सीधी रेल कनेक्टिविटी होने से यात्रियों के लिए सुविधाजनक यात्रा विकल्प के साथ क्षेत्रीय व्यापार, कृषि, तीर्थाटन और पर्यटन को भी नई गति मिलेगी.

मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीर, 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी करने की योजना

नई दिल्ली जीएसटी (GST) को लेकर सरकार की बड़ी प्लानिंग है और इसके तहत मिडिल क्लास व लोअर इनकम ग्रुप वाले लोगों को राहत मिल सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही जीएसटी में बड़ी राहत दी जा सकती है और केंद्र सरकार जीएसटी रेट्स में कटौती (GST Rate Cut) की जा सकती है. ऐसा बताया जा रहा है कि मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी में आ सकता है.  12% की जगह 5% के स्लैब की तैयारी   सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से जीएसटी पर ऐसे सामानों पर राहत मिल सकती है, जो खासतौर पर मिडिल और लोअर इनकम वाले घरों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं और 12 फीसदी के GST Tax Slab के अंतर्गत आते हैं. सरकार अब विचार कर रही है ऐसे अधिकांश सामानों को या तो 5 फीसदी के टैक्स स्लैब में ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर इनपर लगने वाला 12 फीसदी का स्लैब ही समाप्त किया जा सकता है. गौरतलब है कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सामान इसी स्लैब में आते हैं.  कपड़ों से लेकर साबुन तक हो सकते हैं सस्ते जीएसटी काउंसिल की अगली 56वीं बैठक में इसे लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है औ ये GST Counsil Meet इसी महीने हो सकती है. अगर सरकार की ओर से ये निर्णय लिया जाता है, जो अभी तक 12 फीसदी के स्लैब में आने वाले जूते-चप्पल, मिठाई, कपड़े, साबुन, टूथपेस्ट और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कई सामान सस्ते हो सकते हैं. इसके अलावा पनीर, खजूर, सूखे मेवे, पास्ता, जैम, पैकेज्ड फ्रूट जूस, नमकीन, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी से बने फर्नीचर, पेंसिल, जूट या कपास से बने हैंडबैग, शॉपिंग बैग भी इसमें शामिल हैं. GST के भारत में कितने स्लैब साल 2017 में देश में जीएसटी लागू किया गया था और बीते कारोबारी दिन 1 जुलाई को ही इसने आठ साल पूरे किए हैं. देश में जीएसटी दरें GST Counsil द्वारा तय की जाती हैं और इनमें बदलाव के किसी भी फैसले में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहते हैं. बात करें भारत में GST Slabs के बारे में, तो अभी चार जीएसटी स्लैब हैं. 5%, 12%, 18% और 28% हैं. अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाई के अलावा सोना-चांदी और अन्य तमाम सामानों को अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से इन्ही टैक्स स्लैब में रखा गया है. सरकार की ओर से पहले से मिल रहे संकेत जीएसटी (GST) के मोर्चे पर बड़ी राहत के संकेत पहले से ही सरकार की ओर से मिल रहे हैं. बीते मार्च महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी कहा था कि जीएसटी टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने का प्रोसेस पूरा होने के बाद जीएसटी रेट्स में और भी कमी आएगी. इसके बाद से ही GST Tax Slab Change किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी और अब सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगली काउंसिल बैठक में ये बड़ा फैसला लिया जा सकता है.  

रेलवे ने लॉन्च किया RailOne सुपर ऐप, टिकट बुक करने से लेकर ट्रेन में खाना ऑर्डर करने तक, आपको कई ऐप्स की जरूरत नहीं पड़ेगी

नई दिल्ली  भारतीय रेलवे ने यात्रियों की जर्नी को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए नई ऐप RailOne लॉन्च की है। यह सुपर ऐप यात्रियों को कई सारी सुविधाएं सिर्फ एक जगह पर ऑफर करती है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सेंटर ऑफर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) के 40वें फाउंडेशन दिवस के मौके पर इस ऐप को लॉन्च किया है। RailOne ऐप: हाईलाइट्स वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म: RailOne ऐप में IRCTC रिजर्व टिकट, अनरिजर्व टिकट और प्लेटफॉर्म टिकट बुकिंग, PNR और ट्रेन स्टेटस ट्रैकिंग, कोच पोजिशन, Rail Madad और यात्रा फीडबैक जैसी सभी सुविधाएं एक ही जगह मिलेंगी। आसान इंटरफेस: इस ऐप को खासतौर पर यूजर फ्रेंडली और बिना झंझट वाला बनाया गया है, ताकि हर यात्री आसानी से इस्तेमाल कर सके। सिंगल साइन-ऑन फीचर: RailOne की एक बड़ी खासियत यह है कि इसमें सिंगल साइन-ऑन की सुविधा दी गई है। यानी यात्रियों को अलग-अलग पासवर्ड याद रखने की जरूरत नहीं होगी। यूजर पुराने RailConnect या UTSonMobile लॉगिन से भी सीधे लॉगिन कर सकते हैं। R-Wallet की सुविधा: RailOne में रेलवे का ई-वॉलेट (R-Wallet) भी जुड़ा है। यूजर mPIN या बायोमेट्रिक लॉगिन से अपने खाते में आसानी से एक्सेस कर सकेंगे। एंड्रॉइड और iOS पर उपलब्ध: RailOne ऐप एंड्रॉइड प्ले स्टोर और iOS ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है, जिससे हर प्लेटफॉर्म के यूजर इसे डाउनलोड कर सकते हैं। गेस्ट एक्सेस और आसान रजिस्ट्रेशन: नए यूजर्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बेहद आसान रखी गई है। जानकारी कम देनी होगी और केवल मोबाइल नंबर/OTP से गेस्ट एक्सेस भी मिलेगा। अनारक्षित और प्लेटफॉर्म टिकट बुकिंग पर छूट:  भारतीय रेलवे के नए सुपर ऐप ‘RailOne’ से अनारक्षित और प्लेटफॉर्म टिकट बुकिंग पर यात्रियों को अब 3 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी। यह सुविधा डिजिटल बुकिंग को बढ़ावा देने और यात्रियों का अनुभव बेहतर बनाने के लिए शुरू की गई है। अब कई ऐप्स की जरूरत नहीं! अभी तक यात्री IRCTC Rail Connect से टिकट बुक करते थे, Rail Madad से शिकायत दर्ज करते थे, UTSonMobile से अनरिजर्व टिकट खरीदते थे और National Train Enquiry System से ट्रेन स्टेटस देखते थे। अब RailOne से ये सब एक ही ऐप में हो सकेगा, जिससे डिवाइस स्टोरेज भी बचेगा और काम भी जल्दी होगा। IRCTC Rail Connect ऐप पहले ही 10 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड के साथ रेलवे का सबसे लोकप्रिय ऐप बन चुका है। कई बाहरी ट्रैवल प्लेटफॉर्म भी IRCTC से ही टिकट बुक करते हैं। ऐसे में RailOne ऐप से यात्रियों को एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलेंगी और रेलवे की डिजिटल सेवाएं और भी मज़बूत होंगी।

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों की एंट्री पर प्रतिबंध, पहले ही दिन पुलिस ने जब्त की 80 गाड़ियां

नई दिल्ली दिल्ली में पुरानी गाड़ियों की एंट्री पर प्रतिबंध का नियम 1 जुलाई से प्रभावी हो गया है. इस नए नियम के पहले दिन ही कई वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई. दिल्ली सरकार की नीति के अनुसार, 15 साल से पुराने पेट्रोल और CNG वाहनों, तथा 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को अब किसी भी पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं मिलेगा. पहले ही दिन नए नियम लागू होने के बाद लगभग 80 वाहनों को जब्त किया गया है. इसके साथ ही, ट्रैफिक पुलिस ने कई वाहन मालिकों को नोटिस भी जारी किए हैं. दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों में 67 दोपहिया, 12 कारें और 1 ऑटो रिक्शा शामिल हैं. क्या है नई फ्यूल पॉलिसी? दिल्ली सरकार के नए नियमों के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल और CNG वाहनों तथा 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों को “एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) व्हीकल” के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. ऐसे सभी वाहनों को अब दिल्ली के किसी भी फ्यूल स्टेशन से पेट्रोल, डीजल या CNG भरवाने की अनुमति नहीं होगी. राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों पर पुराने वाहनों की पहचान के लिए ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) सिस्टम स्थापित किया गया है. यह प्रणाली नंबर प्लेट को स्कैन करके वाहन की उम्र का पता लगाएगी. यदि कोई वाहन निर्धारित समय सीमा से अधिक पुराना पाया गया, तो फ्यूल स्टेशन का अटेंडेंट उसे ईंधन देने से मना कर देगा. क्या हैं तैयारियां? सरकार ने इस नियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी पेट्रोल पंप संचालकों को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है. इसके अंतर्गत सभी फ्यूल स्टेशनों पर बड़े-बड़े साइन बोर्ड लगाए जाएंगे, ताकि वाहन मालिकों को इस नियम की स्पष्ट जानकारी मिल सके. इसके साथ ही, कर्मचारियों को पुराने वाहनों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन वाहनों की एक लॉगबुक भी तैयार की जाएगी, जिन्हें ईंधन देने से मना किया गया है. ANPR टेक्नोलॉजी से होगी निगरानी दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों पर ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) तकनीक लागू कर दी है. यह प्रणाली नंबर प्लेट को स्कैन करके वाहन की उम्र की जानकारी प्रदान करेगी और पुराने वाहनों की पहचान कर उन्हें ईंधन देने से रोक देगी. SOP जारी, स्टाफ को मिला प्रशिक्षण सरकार ने इस नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी फ्यूल स्टेशनों पर मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है. इसके तहत, पेट्रोल पंपों पर सूचना बोर्ड स्थापित किए जाएंगे. अटेंडेंट्स को प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे पुराने वाहनों की पहचान कर सकें. इसके अलावा, उन पुराने वाहनों की एक लॉगबुक भी तैयार की जाएगी, जिन्हें फ्यूल भरने से मना किया जाएगा. इस आदेश को बताया AAP नेता आतिशी ने तुगलकी फरमान आतिशी ने कहा कि इस आदेश के पीछे एक स्पष्ट कारण है – भाजपा की कार और बाइक निर्माताओं के साथ साठगांठ हो गई है. यदि 62 लाख गाड़ियों को सड़क से हटाया जाता है, तो उतने ही लोगों को नई गाड़ियां खरीदनी पड़ेंगी, जिससे लाभ केवल वाहन निर्माताओं को होगा. उन्होंने भाजपा को चुनौती दी कि पिछले पांच वर्षों में उन्हें गाड़ी निर्माताओं से कितना चंदा मिला है, यह दिल्ली की जनता को बताएं. भाजपा को दिल्लीवासियों और प्रदूषण की चिंता नहीं है, बल्कि उनकी चिंता केवल उन लोगों की है, जिनसे उन्होंने करोड़ों का चंदा लिया है. गाड़ी की उम्र और प्रदूषण का कोई संबंध नहीं आतिशी ने इस आदेश पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे तुगलकी और निराधार करार दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आदेश का गाड़ियों की उम्र और प्रदूषण से कोई संबंध नहीं है. यदि गाड़ियों का सही तरीके से रखरखाव किया जाए, तो वे पुरानी होने पर भी प्रदूषण नहीं फैलातीं. इसके अलावा, यह भी जरूरी नहीं है कि कोई गाड़ी पुरानी होने के कारण अधिक उपयोग की गई हो; कई गाड़ियां ऐसी हो सकती हैं जो सात साल में तीन लाख किलोमीटर चल चुकी हैं, जबकि कुछ ऐसी भी हो सकती हैं जो पंद्रह साल में केवल पचास हजार किलोमीटर चली हों. इस संदर्भ में सरकार की नीतियों की गंभीरता पर सवाल उठता है, क्योंकि यह प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित नहीं है. 62 लाख गाड़ियां हो जाएंगी सड़कों से आउट इस तुगलकी आदेश के परिणामस्वरूप लगभग 62 लाख गाड़ियों को सड़क से हटाना पड़ेगा, जिसमें 40 लाख दोपहिया और 20 लाख कारें शामिल हैं. दिल्ली के नागरिक आमतौर पर दोपहिया वाहनों का उपयोग ऑफिस और अन्य कार्यों के लिए करते हैं, ऐसे में उनकी दैनिक गतिविधियों का संचालन कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल है. इसके अलावा, दिल्ली में कई वरिष्ठ नागरिक हैं, जो बाजार जाने के लिए गाड़ियों का सहारा लेते हैं और अक्सर लोकल उपयोग के लिए सेकेंड हैंड गाड़ियाँ खरीदते हैं. अब उनके लिए आवागमन की व्यवस्था कैसे होगी, यह चिंता का विषय है.