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आज धामी सरकार ने सरकारी भूमि पर बनी पांच अवैध मजारों पर चलवाया बुलडोजर, 5 संरचनाएं ढहाई

काशीपुर उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में कुंडेश्वरी क्षेत्र में सरकारी भूमि पर बनी पांच अवैध मजारों को गुरुवार को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई अवैध धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ राज्य सरकार के अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत अब तक अवैध तरीके से बनाई 537 मजारों को हटाया जा चुका है। काशीपुर के एसडीएम अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में तड़के शुरू हुई इस कार्रवाई में प्रशासन ने कुंडेश्वरी स्थित सरकारी आम बाग की सीलिंग भूमि पर बनी इन संरचनाओं को हटाया। उनके मुताबिक, प्रशासन ने 15 दिन पहले इन मजारों के खादिमों को नोटिस जारी कर निर्माण से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा था। दस्तावेज न मिलने पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर इन संरचनाओं को पूरी तरह हटा दिया। कार्रवाई के दौरान किसी तरह के अवशेष नहीं मिले। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की नीयत से बनाई गई ऐसी संरचनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। उन्होंने कहा कि ‘देवभूमि’ में हरी-नीली चादरें डालकर जमीन हड़पने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। यह अभियान उत्तराखंड में सरकारी और सार्वजनिक जमीनों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए शुरू किया गया है। काशीपुर में हुई इस कार्रवाई को स्थानीय लोगों ने सरकार के कड़े रुख के तौर पर देखा। प्रशासन ने बताया कि भविष्य में भी ऐसी अवैध संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। इस दौरान क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल भी तैनात रहा। इससे पहले, छह अप्रैल को उत्तराखंड के हरिद्वार में अवैध मजारों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चला दिया था। इस कार्रवाई के बारे में एसडीएम अजयवीर सिंह ने बताया था कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के तहत जिले में अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने का अभियान चलाया जा रहा है। सराय क्षेत्र में बनी इस मजार को अवैध रूप से बनाया गया था, जिसके खिलाफ पहले नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का कोई जवाब न मिलने पर हरिद्वार के जिलाधिकारी ने इसे हटाने का आदेश दिया।  

केदारनाथ जाने वालों के लिए अलर्ट! मुनकटिया में लैंडस्लाइड, यात्रा अस्थायी रूप से रुकी

रुद्रप्रयाग उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते बड़े पैमाने पर मलबा और पत्थर गिरने से केदारनाथ यात्रा एक बार फिर बाधित हो गई है। सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम यात्रा को फिलहाल अस्थाई रूप से रोक दिया है। रुद्रप्रयाग के मुनकटिया स्लाइडिंग जोन में भूस्खलन के बाद पहाड़ से मलबा और पत्थर पूरी सड़क पर आ गया। एहतियातन प्रशासन ने यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया। तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया, जो रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे हैं। इसी बीच केदारनाथ धाम से लौट रहे लगभग 40 श्रद्धालुओं को एसडीआरएफ ने सोनप्रयाग भूस्खलन क्षेत्र के पास से सुरक्षित रेस्क्यू किया। ये श्रद्धालु रात में अचानक हुए भूस्खलन के कारण रास्ते में फंस गए थे। भूस्खलन सोनप्रयाग के पास हुआ, जो केदारनाथ यात्रा मार्ग का एक अहम पड़ाव है। एसडीआरएफ की टीमों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अंधेरे में ही जोखिम भरा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। वीडियो फुटेज में एसडीआरएफ टीम को खतरनाक परिस्थितियों में मलबे के बीच से रास्ता बनाकर श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालते हुए देखा गया। बाद में इन यात्रियों को सुरक्षित रूप से सोनप्रयाग ले जाया गया। उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में भी बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चमोली पुलिस के अनुसार, बदरीनाथ हाईकोर्ट उमट्टा में बद्रीश होटल के पास भूस्खलन के चलते बंद हो गया। इसी तरह यमुनोत्री हाईवे भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है, जहां सड़क का हिस्सा भारी बारिश के कारण बह गया। इस मौसम में बिजली और जल आपूर्ति जैसी जरूरी सुविधाएं भी प्रभावित हुई हैं। खराब हालातों में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और वन विभाग की टीमें मिलकर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। परिवहन सुविधाओं को जारी रखने के लिए अस्थायी रास्ते बनाए जा रहे हैं। सुरक्षित और वैकल्पिक रास्तों से लोगों को निकाला जा रहा है।  

रैपिडो ऐप की सेवाएं निशाने पर, परिवहन मंत्री ने दी कड़ी चेतावनी

मुंबई महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में रैपिडो ऐप के अवैध संचालन पर कड़ा रुख अपनाया है। राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि ओला और उबर जैसे परिवहन ऐप्स के जरिए रैपिडो प्लेटफॉर्म का अवैध उपयोग किया जा रहा है। ऐसे मामलों में संबंधित आवेदनों को बंद कर दिया गया। मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि राज्य में रैपिडो के जरिए टैक्सी सेवाएं दी जा रही थीं, लेकिन परिवहन विभाग ने ऐसी किसी सेवा को अभी तक अनुमति नहीं दी है। हमने अभी तक रैपिडो को न टैक्सी सेवा के लिए अधिकृत किया है और न ही इसके संचालन के लिए कोई नियमावली बनाई है। ऐसे में यह पूरी तरह अवैध है। जब तक प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक इसका इस्तेमाल गैरकानूनी माना जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग गैरकानूनी तरीके से इस ऐप का उपयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने राज्य में ग्रीन एनर्जी वाहनों को लेकर सरकार की नीतियों की जानकारी देते हुए बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ई-व्हीकल्स को समृद्धि महामार्ग, अटल सेतु और अन्य टोल नाकों पर टोल छूट दी जा रही है। इसके अलावा, इन वाहनों का आरटीओ में पंजीकरण मात्र 1 रुपए में किया जा रहा है। महाराष्ट्र को प्रदूषण मुक्त और ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए यह नीति राज्य की आवश्यकता बन चुकी है और सरकार इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। महाराष्ट्र में संभावित ट्रांसपोर्ट हड़ताल के मुद्दे पर मंत्री ने बताया कि 25 जून को ट्रांसपोर्टर्स के साथ बैठक की गई थी और मंत्री उदय सामंत ने भी उनसे चर्चा की है। सरकार का रवैया पूरी तरह सकारात्मक है। हमने ट्रांसपोर्ट यूनियनों से एक महीने की मोहलत मांगी है। इस दौरान हम सभी शिकायतों की निष्पक्ष समीक्षा करेंगे और कुछ ठोस एवं सकारात्मक निर्णय लेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ट्रांसपोर्टरों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, और सभी समस्याओं का हल बातचीत के जरिए ही निकाला जाएगा।  

कोयला घोटाले मामले में ED की कार्रवाई को सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया ने दी चुनौती

बिलासपुर प्रदेश के बहुचर्चित कोयला घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया सहित परिवार के लोगों की संपत्ति अटैच किए जाने को हाइकोर्ट में चुनौती दी है। वहीं केजेएसएल कोल पावर और इंद्रमणि मिनरल्स ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका लगाई है। जिस पर लगातार सुनवाई के बाद सभी 10 याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस विभू दत्त गुरु की डबल बेंच में सभी पहलुओं पर लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है। दरअसल, ईडी रायपुर ने अवैध कोयला लेवी घोटाले से संबंधित मामले में सूर्यकांत तिवारी और अन्य से संबंधित पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 30/01/2025 को कुल मिलाकर 49.73 करोड़ रुपये मूल्य की 100 से अधिक चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है, जिसमें बैंक बैलेंस, वाहन, नकदी, आभूषण और जमीन शामिल हैं। इसके साथ ही सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी, कैलाशा तिवारी, दिव्या तिवारी की भी संपति अटैच की गई है। वहीं सौम्या चौरसिया उनके भाई अनुराग चौरसिया, मां शांति देवी, समीर विश्नोई और अन्य ने अस्थायी नियंत्रण के खिलाफ याचिकाएं लगाई। कोर्ट में संबंधित अपीलकर्ताओं के वकील हर्षवर्धन परगनिहा, निखिल वार्ष्णेय, शशांक मिश्रा, अभ्युदय त्रिपाठी और अन्य को सुना। जिसके बाद प्रतिवादी के वकील डॉ. सौरभ कुमार पांडे को भी सुना गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि सौम्या चौरसिया को बीते दिनों हाइकोर्ट से जमानत मिल चुकी है और कोर्ट ने उन्हें राज्य से बाहर रहने का आदेश दिया है। वहीं सूर्यकांत तिवारी अभी भी जेल में बंद हैं। क्या है कोयला लेवी मामला ED की जांच में सामने आया कि कुछ लोगों ने राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों से मिलीभगत के बाद ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर कोयला ट्रांसपोर्ट करने वालों से अवैध वसूली की। जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयले के हर टन पर 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली गई। 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर बिश्रोई ने आदेश जारी किया था। यह परमिट कोल परिवहन में कोल व्यापारियों को दिया जाता है। पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। इसमें जो व्यापारी पैसे देता उसे ही खनिज विभाग से पीट और परिवहन पास जारी होता था, यह रकम 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा होती थी। इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपये की वसूली की गई। कहां खर्च की अवैध कमाई जांच में सामने आया है कि इस घोटाले की राशि को सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने में खर्च किया गया। साथ ही चुनावी खर्चों के लिए भी इस अवैध राशि का इस्‍तेमाल किया गया। आरोपियों ने इससे कई चल-अचल संपतियों को खरीदा।

नगरीय क्षेत्रों में उद्यानों और नगर वनों के विकास को प्रोत्साहित किया जाए: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

नगरीय क्षेत्रों में झुग्गी बस्तियों के विस्तार को नियंत्रित करने कार्य-योजना बनाई जाए : मुख्यमंत्री डॉ. यादव सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के दृष्टिगत किफायती और सुविधाजनक आवास सुविधा विकसित हो नगरीय क्षेत्रों में उद्यानों और नगर वनों के विकास को प्रोत्साहित किया जाए सभी आवासीय परियोजनाओं में पौध-रोपण को दें विशेष महत्व भोपाल के बड़े तालाब के आसपास अवैध निर्माण का करवाएं सर्वेक्षण दीनदयाल रसोई योजना के प्रबंधन में सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं को जोड़ा जाए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की नगरीय विकास एवं आवास विभाग की समीक्षा भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के नगरों में झुग्गी बस्तियों के विस्तार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से, लोगों की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए किफायती और सुविधाजनक आवास सुविधा विकसित करने कार्य-योजना बनाई जाए। नगरीय क्षेत्र में पर्यावरण की बेहतरी के लिए उद्यानों को विकसित करना और विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड सहित सभी आवासीय परियोजनाओं में पौध-रोपण को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भोपाल के बड़े तालाब के आसपास अवैध निर्माण का सर्वेक्षण करवा कर उन पर कार्रवाई के लिए अभियान चलाया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव नगरीय विकास एवं आवास विभाग की मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में हुई समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में कॉलोनियों के विकास में देश के प्रतिष्ठित बिल्डर्स एंड कॉलोनाईजस को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाली आकस्मिक घटनाओं पर नियंत्रण के लिए अग्निशमन सेवा का आधुनिकीकरण तत्काल किया जाए। अंतर्शहरी क्षेत्र में रेल सेवा के विस्तार के लिए नमो ट्रेन की योजना तैयार की जाए। जल्द ही इस पर केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से चर्चा कर मदद ली जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लाड़ली बहनों को प्राथमिकता के आधार पर आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाए। प्रदेश में मीट-मछली के दुकानदारों को व्यवस्थित करने और उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने के लिए नगरीय निकायों को शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने धार्मिक क्षेत्रों में दीनदयाल रसोई योजना के विस्तार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में सरकारी मदद के साथ स्वंयसेवी संस्थाओं और निजी दानदाताओं की मदद ली जाए। शहरी क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय के स्व-सहायता समूह तैयार कर उन्हें आधुनिक लॉण्ड्री शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी एवं अन्य योजनाओं में तैयार किए गए आवासों के आधिपत्य बनने के साथ ही सौंपे जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसके लिए जरूरी है कि शहरी क्षेत्रों में आरक्षित भूमि चयनित कर 'नगर वन' अधिक से अधिक विकसित किए जाएं और उनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी तय की जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विभागीय बैठक में प्रमोशन प्रक्रिया की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि अधिकारी-कर्मचारियों को तय समय-सीमा में प्रमोशन दिया जाए। इससे रिक्त होने वाले पदों पर अभी से भर्ती की प्रक्रिया की कार्य-योजना तैयार कर ली जाए। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि धार्मिक एवं पर्यटन शहरों के विकास में एकीकृत विकास की योजना तैयार की जा रही है। चित्रकूट नगर में 2800 करोड़ रूपए की कार्य-योजना तैयार की गई है, जिसमें नगरीय विकास विभाग द्वारा 800 करोड़ रूपए का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में रीडेंसिफिकेशन परियोजनाओं की संभावना को देखते हुए हाऊसिंग बोर्ड को निर्देश दिए गए हैं। बैठक में राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों की एक करोड़ 30 लाख लाड़ली बहनों को आर्थिक सहायता के साथ आवास दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 1.0 में 8 लाख 55 हजार आवास बनकर तैयार हो गए हैं। इस योजना के दूसरे चरण में अब तक 4 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो गए हैं। बैठक में संकल्प-पत्र के बिन्दुओं पर भी चर्चा की गई। बताया गया कि संकल्प बिन्दु के अनुसार वर्ष 2027 तक भोपाल और इंदौर मेट्रो लाईन का पूर्ण संचालन सुनिश्चित किया जाएगा। मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना में 1070 करोड़ रूपए की 1062 परियोजनाएं मंजूर हैं। बताया गया कि 183 नगरीय निकायों में महिलाओं के लिए 218 पिंक शौचालय संचालित हो रहे हैं। बैठक में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के मुद्दे पर चर्चा की गई। नगरीय क्षेत्रों में जल आपूर्ति और सीवरेज की 333 परियोजनाएं स्वीकृत हैं। इन पर करीब 11 हजार करोड़ रूपए की राशि मंजूर हुई है। ई-गवर्नेंस-ऑनलाइन नागरिक सेवाओं पर चर्चा करते हुए इसके विस्तार के संबंध में निर्देश दिए गए। बैठक में नगर तथा ग्राम निवेश की गतिविधियों पर भी चर्चा की गई। जल गंगा संवर्धन अभियान बैठक में शहरी क्षेत्रों में जल गंगा संवर्धन अभियान की प्रगति की जानकारी दी गई। प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में 36 जल संरचनाओं के पुनर्जीवन का कार्य पूर्ण किया गया है और 38 हरित क्षेत्र विकसित किए गए हैं। विभिन्न नगरीय निकायों में 3963 रैनवॉटर हार्वेस्टिंग संरचनाएं निर्मित की गई है। इसी के साथ शहरी क्षेत्रों में एक्विफायर मैनेजमेंट और गंदे पानी के शोधन के लिए 30 नालों की कार्ययोजना तैयार की गई।  

अब यात्री अडानी एयरपोर्ट्स के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे लाउंज में प्रवेश कर सकते हैं, अडानी का बड़ा तोहफा

नई दिल्ली  एयरपोर्ट पर अब यात्रियों की लाउंज में डायरेक्ट एंट्री होगी। अडानी समूह की ओर से यात्रियों को यह बड़ा तोहफा दिया गया है। समूह की कंपनी अडानी एयरपोर्ट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण बंसल ने लिंक्डइन पर इसके बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा कि अन्य ऑपरेटरों के साथ साझेदारी के तहत अब यात्रियों को लाउंज एरिया की डायरेक्ट एंट्री या एक्सेस दी जाएगी। इसका मतलब है कि अब लाउंस फैसलिटीज के लिए यात्रियों को थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं है। अब यात्री अडानी एयरपोर्ट्स के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे लाउंज में प्रवेश कर सकते हैं। बता दें कि अडानी समूह वर्तमान में मुंबई, लखनऊ, अहमदाबाद, मंगलुरु, गुवाहाटी, जयपुर और तिरुवनंतपुरम में एयरपोर्ट का संचालन करता है। कंपनी वर्तमान में नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण कर रही है। क्या कहा अधिकारी ने अरुण बंसल ने कहा- यात्री अब अन्य लाउंज ऑपरेटरों के साथ साझेदारी में हमारे प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे लाउंज तक पहुंच सकते हैं। इसका मतलब है कि कोई बिचौलिया नहीं। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर डिजिटल इनोवेशन में लीड कर रहा है। यूपीआई ने बिचौलियों को किया खत्म यूपीआई जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से शुरू की गई फिनटेक क्रांति ने सभी क्षेत्रों में बिचौलियों की जरूरत को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल इनोवेशन के मामले में वैश्विक स्तर पर सबसे आगे है। यूपीआई ने एक अरब भारतीयों के जीवन को बदल दिया है। अब हम इनोवेशन की उसी भावना को अपने सिस्टम में लेकर आए हैं। इसका नेतृत्व हमारी डिजिटल लैब टीम कर रही है। क्या होता है लाउंज एरिया लगभग हर बड़े एयरपोर्ट पर लाउंज एरिया होता है। इस जगह पर यात्रियों को सामान्य प्रतीक्षा क्षेत्र की तुलना में अधिक आरामदायक और बेहतर सुविधाएं मिलती हैं। उदाहरण के लिए यात्रियों को आरामदायक सीटिंग, मुफ्त भोजन और पेय पदार्थ, वाई-फाई और चार्जिंग स्टेशन के अलावा मीटिंग रूम और समाचार पत्र आदि की सुविधा मिलती है। बता दें कि वर्तमान में पैसेंजर्स को क्रेडिट कार्ड या सब्सक्रिप्शन के जरिए ही लाउंज एरिया में एंट्री मिलती है।  

राजीव शर्मा होंगे राजस्थान के नए डीजीपी

जयपुर राज्य सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव शर्मा प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक का पदभार सौंपा है। शाम 5 बजे वे पुलिस मुख्यालय में पदभार ग्रहण करेंगे और कार्यवाहक डीजीपी संजय अग्रवाल से चार्ज लेंगे। राजीव शर्मा को बुधवार को केंद्र सरकार से रिलीव किया गया था। वे अभी तक नई दिल्ली में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डायरेक्टर जनरल पद पर कार्यरत थे। सोमवार को राज्य सरकार ने उन्हें रिलीव करने के लिए केंद्र को पत्र लिखा था। नए डीजीपी राजीव शर्मा को पुलिस सेवा में 30 वर्षों से भी अधिक का अनुभव है। वे राजस्थान में एंटी करप्शन ब्यूरो, एसडीआरएफ और राजस्थान पुलिस अकादमी जैसे अहम पदों पर सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा जोधपुर, झालावाड़, दौसा, राजसमंद, भरतपुर और जयपुर नॉर्थ में एसपी रहे हैं। शर्मा सीबीआई जयपुर और सीबीआई दिल्ली में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। राज्य सरकार ने डीजी रैंक के 7 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम संघ लोकसेवा आयोग को भेजे थे, जिनमें राजीव शर्मा, संजय अग्रवाल, अनिल पालीवाल, राजेश आर्य, राजेश निर्वाण, गोविंद गुप्ता और आनंद श्रीवास्तव शामिल थे। यूपीएससी ने वरिष्ठता के आधार पर तीन नामों की सिफारिश की, जिनमें से राज्य सरकार ने राजीव शर्मा के नाम पर अंतिम निर्णय लिया। राजीव शर्मा उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले के निवासी हैं। उन्होंने एमए और एमफिल की पढ़ाई की है। उनकी पहली पोस्टिंग 1992 में डीएसपी जोधपुर सिटी के तौर पर हुई थी। 2006 में वे एसपी से डीआईजी बने और इसके बाद पुलिस मुख्यालय की क्राइम ब्रांच में अपनी सेवाएं दीं। राज्य के पूर्व डीजीपी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा के सेवानिवृत्त होने के बाद संजय अग्रवाल को कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब नए डीजीपी की औपचारिक नियुक्ति के बाद राजीव शर्मा प्रदेश की कानून-व्यवस्था की कमान संभालेंगे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं, डीएपी की कमी पूरा करने पुख्ता वैकल्पिक व्यवस्था

रायपुर, देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20ः20ः013) और एनपीके (12ः32ः13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे-एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।

रायपुर में स्थापित होगा अत्याधुनिक बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर: मुख्यमंत्री साय की विशेष पहल पर 20.55 करोड़ की स्वीकृति

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। भारत सरकार एवं राज्य शासन के सहयोग से रायपुर में जैव प्रौद्योगिकी पार्क परियोजना की स्थापना की जा रही है। इस परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में अत्याधुनिक बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर का निर्माण किया जाएगा। इस सेंटर की स्थापना के लिए भारत सरकार, राज्य शासन एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मध्य त्रिपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी प्रोत्साहन सोसायटी है। इस बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर का मुख्य उद्देश्य राज्य में जैव संसाधनों के दोहन के साथ-साथ नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना है। यहां युवाओं को जैव प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इस इंक्युबेशन सेंटर में कुल 23 आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी, जिनमें बीएस-4 स्तर की जैव सुरक्षा सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही दो सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन एवं एनालिटिकल टेस्टिंग लैब की भी स्थापना की जा रही है। इंक्युबेशन सेंटर में 17 सूक्ष्म एवं लघु और 6 वृहद उद्योगों के संचालन की व्यवस्था की जाएगी। कुल 23 स्टार्टअप कंपनियों के लिए कार्यालय स्थापित किए जाएंगे, जो तीन वर्षों तक सेंटर में कार्यरत रह सकेंगी। कृषि और फार्मा बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित स्टार्टअप को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर के निर्माण एवं फर्निशिंग कार्य के लिए 20 करोड़ 55 लाख रुपये की द्वितीय पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति भी प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की इस पहल से छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरेगा। इससे जहां एक ओर शोध और उद्योगों के बीच समन्वय स्थापित होगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार और उद्यमिता के नए द्वार खुलेंगे। यह परियोजना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य को भी नई दिशा देगी।

20वीं किस्त से पहले अलर्ट! ये काम किया तो पीएम किसान का पैसा नहीं, ठगी मिलेगी

नई दिल्ली  पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं अभी तक किस्त जारी नहीं हुई है। सरकार ने अभी इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, इसकी उल्टी गिनती जरूर शुरू हो गई है। हालांकि, पीएम किसान के नाम पर साइबर अपराधी सक्रिय हो गए हैं। अगर आपने सावधनी नहीं रखी तो आपका बैंक खाता खाली हो सकत है। खबर में यह जानेंगे कि ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें? कब आएगी पीएम किसान की 20वीं किस्त अभी सबसे बड़ा सवाल यह है कि सम्मन निधि का पैसा कब आ रहा है। तो जवाब है, बहुत जल्द 10 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 2000 रुपये की किस्त गिरने वाली है। इसकी वजह यह है कि पिछले ट्रेंड के मुकाबले अप्रैल-जुलाई की किस्त वैसे ही लेट हो चुकी है। हालांकि, नियमानुसार अभी इसके आने का समय 31 जुलाई तक है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को सलाना 6000 रुपये की आर्थिक सहायता देती है। यह डीबीटी के जरिए 2000 रुपये की 3 किस्त सीधे किसानों के खाते में क्रेडिट होता है। हर वित्तवर्ष की पहली किस्त 1 अप्रैल से 31 जुलाई, दूसरी किस्त 1 अगस्त से 30 नवंबर और तीसरी किस्त 1 दिसंबर से 31 मार्च के बीच किसानों के बैंक खातों में केंद्र सरकार द्वारा डाल दी जाती है। PM-KISAN रजिस्ट्रेशन अपडेट अगर आपने अभी तक ई-केवाईसी नहीं की है या बैंक डिटेल्स नहीं जोड़ी हैं, तो 20वीं किस्त से पहले अपना प्रोफाइल अपडेट करें। कुछ राज्यों (जैसे पंजाब, हरियाणा) में किसानों को भूमि रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं। पीएम किसान के नाम पर खाली हो सकता है खाता फर्जीवाड़े वाली SMS/कॉल्स से सावधान रहें। पीएम किसान के लाभार्थियों के पास आजकल बहुत सारे फेक कॉल्स और मैसेज आ रहे हैं। इनमें कहा जा रहा है, "आपकी 20वीं किस्त लंबित है, लिंक पर क्लिक करें!" जैसे मैसेज आपकी बैंक में रखी जमा-पूंजी को खत्म कर सकती है। साइबर अपराधियों की नजर इस पर है। पीएम किसान की 2000 रुपये की किस्त भुगतान सीधे बैंक खाते में आता है। ऐसे में आप सिर्फ ऑफिशियल वेबसाइट pmkisan.gov.in से ही स्टेटस चेक करें। अगर पैसा नहीं आया तो क्या करें? पोर्टल: https://pmkisan.gov.in/) अपना रजिस्ट्रेशन स्टेटस चेक करें। 2. हेल्पलाइन: 011-23381092, 155261 (Toll-free) 3. गड़बड़ी की शिकायत: pmkisan-ict@gov.in पर ईमेल करें। 4. डाउनलोड करें ऐप: सरकारी योजना का "किसान हेल्प एप" डाउनलोड करें। इससे आप सीधे अपना स्टेटस, शिकायत दर्ज कर सकते हैं और अलर्ट पा सकते हैं। पीएम किसान योजना के तहत कौन पात्र हैं इस योजना के तहत, सभी भूमिधारक किसान परिवार, जिनके नाम पर खेती योग्य भूमि है, लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। इसके अतिरिक्त, जो लोग 10,000/- रुपये या उससे अधिक की मासिक पेंशन प्राप्त करते हैं, उन्हें लाभ से बाहर रखा गया है। सभी व्यक्ति जो डॉक्टर, इंजीनियर जैसे पेशेवर हैं, उन्हें भी लाभ से बाहर रखा गया है।