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उत्तराधिकारी तय करना तिब्बत का अधिकार! भारत ने चीन को दिखाया आईना

नई दिल्ली  भारत ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि इस मामले में केवल दलाई लामा ही निर्णय ले सकते हैं। भारत ने चीन की किसी भी दखलंदाजी को सिरे से खारिज करते हुए इसे तिब्बती बौद्ध परंपराओं का आंतरिक मामला बताया। भारत ने स्पष्ट किया कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु के उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार केवल और केवल दलाई लामा को है, न कि किसी और को। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले दलाई लामा पर निर्णय सिर्फ और सिर्फ स्थापित संस्था व दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा। रिजिजू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दलाई लामा बौद्धों के लिए ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण और परिभाषित संस्था’ हैं। उन्होंने कहा, “और दलाई लामा को मानने वाले सभी लोगों की राय ​​है कि उत्तराधिकारी का फैसला स्थापित परंपरा के और दलाई लामा की इच्छा के अनुसार होना चाहिए। उनके और मौजूदा परंपराओं के अलावा किसी और को इसे तय करने का अधिकार नहीं है।” बौद्ध धर्म के अनुयायी रिजिजू इन दिनों धर्मशाला में हैं, जहां वह केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के साथ दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के समारोहों में भारत सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में भाग ले रहे हैं। रिजिजू ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक "शुद्ध रूप से धार्मिक अवसर है" और इसे राजनीति से जोड़ना अनुचित है। दलाई लामा का रुख भी स्पष्ट इससे एक दिन पहले, दलाई लामा के आधिकारिक कार्यालय गादेन फोडरंग ट्रस्ट ने भी बयान जारी कर कहा था कि दलाई लामा की संस्था 600 साल पुरानी है और इसका अस्तित्व उनके जीवन के बाद भी बना रहेगा। अगला यानी 15वां दलाई लामा किसे बनाया जाएगा, इसका निर्णय पूरी तरह गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा। गादेन फोडरंग ट्रस्ट ने 24 सितंबर 2011 के बयान का हवाला देते हुए कहा कि "भविष्य में दलाई लामा की मान्यता की प्रक्रिया पूरी तरह ट्रस्ट के सदस्यों की जिम्मेदारी होगी।" चीन की दखल की कोशिश चीन लगातार यह दावा करता रहा है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म उसकी अनुमति और नियंत्रण में ही होना चाहिए। हाल ही में चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "दलाई लामा का उत्तराधिकारी चयन चीनी कानून, धार्मिक परंपराओं और ऐतिहासिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए।" बीजिंग का यह दावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का विषय रहा है। दलाई लामा को विश्व भर में शांति और करुणा का प्रतीक माना जाता है। लेकिन चीन उन्हें एक "विभाजनकारी व्यक्ति" बताता है, जो तिब्बत को चीन से अलग करना चाहता है। निर्वासन में जीवन और तिब्बती चिंता 1959 में तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा भारत आ गए थे और तब से वह भारत में शरण लिए हुए हैं। धर्मशाला स्थित तिब्बती निर्वासित सरकार आज करीब 1.3 लाख तिब्बतियों का प्रतिनिधित्व करती है। 2011 में दलाई लामा ने राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ दी थीं और लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी। लेकिन उन्होंने तब भी चेतावनी दी थी कि पुनर्जन्म की इस परंपरा का राजनीतिक मकसद से दुरुपयोग किया जा सकता है। तिब्बती समुदाय की चिंता तिब्बती समुदाय और मानवाधिकार कार्यकर्ता आशंका जता रहे हैं कि चीन भविष्य में एक "सरकारी दलाई लामा" नियुक्त कर सकता है, ताकि तिब्बत पर उसका नियंत्रण और मजबूत हो जाए। इस कदम को तिब्बती संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ माना जा रहा है। चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को खारिज किया, मंजूरी की जरूरत पर जोर दिया चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को बुधवार को खारिज करते हुए इस पर जोर दिया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी। इस तरह चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ तिब्बती बौद्ध के दशकों पुराने संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही दलाई लामा ने इस संबंध में अनिश्चितता को समाप्त कर दिया कि उनके बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं। गादेन फोडरंग ट्रस्ट की स्थापना दलाई लामा ने 2015 में की थी। रविवार को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन से पहले उनकी यह घोषणा बीजिंग के साथ तनाव बढ़ाने वाली है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस वार्ता में कहा, "दलाई लामा के पुनर्जन्म को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, 'स्वर्ण कलश' प्रक्रिया और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना होगा।’’ चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस वार्ता में कहा, "दलाई लामा के पुनर्जन्म को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, 'स्वर्ण कलश' प्रक्रिया और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना होगा।’’ दलाई लामा के उत्तराधिकारी को भी… दलाई लामा की तरफ दुनिया का ध्यान 1959 में उस समय गया जब वह कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी सेना द्वारा तिब्बत पर कब्जा कर लेने के बाद तिब्बतियों के एक बड़े समूह के साथ भारत में शरण लेने के लिए आए थे। तब से वह धर्मशाला में रह रहे हैं। उनकी उपस्थिति चीन और भारत के बीच विवाद का विषय बनी रही। दलाई लामा के उत्तराधिकारी को भी तिब्बती स्वायत्तता के लिए संघर्ष को जारी रखना पड़ सकता है। दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे से चीन और अमेरिका के बीच भी नए तनाव की आशंका है क्योंकि अमेरिका का तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम 2020, चीन की नीति के उलट है। अमेरिकी अधिनियम में दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए अमेरिका के दृढ़ समर्थन की पुष्टि की गई है। माओ ने कहा कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता पंचेन लामा के पुनर्जन्म के लिए 18वीं सदी के किंग राजवंश द्वारा शुरू की गई स्वर्ण कलश विधि प्रक्रिया की सदियों पुरानी परंपरा से गुजरना पड़ता … Read more

श्रीमंत झा ने प्रदेश का नाम किया रोशन, नेशनल पैरा आर्म-रेसलिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

त्रिशूर छत्तीसगढ़ के होनहार पैरा खिलाड़ी श्रीमंत झा ने एक बार फिर प्रदेश का नाम रोशन किया है। केरल के त्रिशूर में आयोजित नेशनल पैरा आर्म-रेसलिंग चैंपियनशिप में उन्होंने 85 किलोग्राम वजन वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। प्रतियोगिता में देशभर के शीर्ष पैरा आर्म-रेसलर खिलाड़ियों ने भाग लिया था। बता दें कि फाइनल मुकाबले में श्रीमंत ने तमिलनाडु के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता। खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी यह जीत अहमदाबाद प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाले लोगों को समर्पित की, जो उनके संवेदनशील और मानवीय पक्ष को दर्शाता है। उनकी इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ प्रदेश आम रेसलिंग एसोसिएशन ने हर्ष जताया है। संगठन के प्रेसिडेंट जी. सुरेश बाबा, जनरल सेक्रेटरी श्रीकांत, कृष्णा साहू सहित अन्य पदाधिकारियों ने श्रीमंत को शुभकामनाएं दीं और भविष्य के लिए ढेर सारी सफलताओं की कामना की। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उन्हें राजीव गांधी खेल सम्मान से नवाजा जा सकता है। श्रीमंत झा की यह सफलता न केवल छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है, बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन गई है। उनके समर्पण और संघर्ष की यह कहानी प्रदेश के अन्य खिलाड़ियों को भी अपनी मेहनत से ऊंचाइयों तक पहुंचने का हौसला देगी।

CM यादव शुक्रवार को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में लैपटॉप की राशि अंतरित करेंगे

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार 4 जुलाई को प्रात: 11 बजे भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में लैपटॉप की राशि अंतरित करेंगे। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह और जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. विजय शाह की भी गरिमामय उपस्थिति रहेगी। स्कूल शिक्षा विभाग की प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अथवा उससे अधिक अंक अर्जित करने वाले प्रति विद्यार्थी को 25 हजार रुपये की राशि लैपटॉप क्रय करने के लिये उनके बैंक खाते में अंतरित करेंगे। इस वर्ष 94 हजार 234 विद्यार्थियों को लैपटॉप के लिये 235 करोड़ 58 लाख 50 हजार रूपये की राशि दी जा रही है। कार्यक्रम में प्रदेश के 500 से अधिक विद्यार्थी और शिक्षक सहभागिता करेंगे। प्रदेश में पिछले वर्ष 2023-24 में 89 हजार 710 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बैंक खातों में 224 करोड़ 27 लाख 50 हजार रुपये की राशि अंतरित की गयी थी। प्रदेश में यह योजना वर्ष 2009-10 से संचालित हो रही है। पिछले 15 वर्षों में इस योजना में 4 लाख 32 हजार 16 विद्यार्थियों के बैंक खातों में एक हजार 80 करोड़ 4 लाख रुपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप लैपटॉप के लिये अंतरित की जा चुकी है। प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में लैपटॉप राशि अंतरण के भोपाल में होने वाले राज्यस्तरीय आयोजन का जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रम में सीधे प्रसारण करवाने की व्यवस्था भी की गई है। जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रम में मंत्रिगण, जिला पंचायत अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होंगे मंत्रीगण जिला मुख्यालयों पर होने वाली प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में लैपटॉप राशि अंतरण समारोह में मंत्रीगण शामिल होंगे। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा देवास, उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल शहडोल, मंत्री करण सिंह वर्मा सिवनी, संपतिया उइके सिंगरौली, तुलसीराम सिलावट ग्वालियर, एंदल सिंह कंषाना दतिया, सुनिर्मला भूरिया मंदसौर, गोविंद सिंह राजपूत गुना, विश्वास सारंग हरदा, नारायण सिंह कुशवाह शाजापुर, नागर सिंह चौहान आगर-मालवा, प्रद्युम्न सिंह तोमर शिवपुरी, राकेश शुक्ला अशोकनगर, चेतन्य कुमार काश्यप राजगढ़, इंदर सिंह परमार दमोह, धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी खंडवा, दिलीप जायसवाल सीधी, गौतम टेटवाल उज्जैन, लखन पटेल विदिशा, नारायण सिंह पंवार रायसेन, नरेन्द्र शिवाजी पटेल बैतूल, श्रीमती प्रतिमा बागरी डिंडोरी, दिलीप अहिरवार अनूपपुर, श्रीमती राधा सिंह मैहर से कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम में सांसद गणेश सिंह सतना, सांसद श्रीमती लता वानखेड़े सागर, सुधीर गुप्ता नीमच, शंकर लालवानी इंदौर, गजेन्द्र पटेल बड़वानी, ज्ञानेश्वर पाटिल बुरहानपुर, शिवमंगल सिंह तोमर मुरैना, दर्शन सिंह चौधरी नर्मदापुरम, श्रीमती संध्या राय भिंड, आशीष कुमार दुबे जबलपुर, जनार्दन मिश्रा रीवा में शामिल होंगे। जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रमों में विधायकगण भी शामिल होंगे प्रदीप पटेल मऊगंज, शिवनारायण सिंह उमरिया, बृजेन्द्र प्रताप सिंह पन्ना, हरिशंकर खटीक टीकमगढ़, अनिल जैन निवाड़ी, कमलेश शाह छिंदवाड़ा, गौरव सिंह पारधी बालाघाट, श्रीमती नीना वर्मा धार के कार्यक्रम में शामिल होंगे। जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती लालाबाई शंभूलाल चंद्रवंशी रतलाम, सुसुनीता रमेश मेहरा कटनी, श्रीमती हाजरीबाई खरत अलीराजपुर, श्रीमती विद्या अग्निहोत्री छतरपुर, श्रीमती अनुबाई तंवर खरगोन, श्रीमती रचना सुरेन्द्र मेवाड़ा सीहोर, श्रीमती ज्योति काकोड़िया नरसिंहपुर, दीपक कुशराम मंडला में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके साथ ही सीताराम आदिवासी उपाध्यक्ष सहरिया विकास प्राधिकरण श्योपुर, संदीप घाटोडे अध्यक्ष नगरपालिका पांढुर्णा और श्रीमती कविता सिंगार अध्यक्ष नगर पालिका परिषद झाबुआ के कार्यक्रम में शामिल होंगे।  

नींबू का इस्तेमाल कर पाएं टूटते झड़ते बालों से मिलेगी निजात

 आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, तनाव, खानपान की गलत आदतें और प्रदूषण बालों के झड़ने की सबसे बड़ी वजह बन चुके हैं। कई बार यह झड़ना इतना बढ़ जाता है कि सिर पर गंजे पैच नज़र आने लगते हैं। ऐसे में महंगे हेयर ट्रीटमेंट से पहले प्राकृतिक उपाय अपनाना समझदारी है। नींबू एक ऐसा ही घरेलू उपचार है जो बालों की खोई ताकत वापस ला सकता है। इसमें मौजूद विटामिन सी, फाइटो न्यूट्रिएंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण स्कैल्प को हेल्दी बनाकर हेयर फॉलिकल्स को फिर से एक्टिव कर सकते हैं। इस तरह नींबू का सही इस्तेमाल गंजे हिस्से पर बाल उगाने में प्रभावी भूमिका निभा सकता है, तो आइए जानें इसके इस्तेमाल के कुछ असरदार तरीकों के बारे में- नींबू और नारियल तेल की मसाज नींबू और नारियल तेल का कॉम्बिनेशन बालों के लिए बेहद फायदेमंद है। एक चम्मच नींबू रस को दो चम्मच नारियल तेल में मिलाकर हल्का गर्म करें। फिर इससे गंजे हिस्से पर उंगलियों से सर्कुलर मोशन में 5-10 मिनट तक मसाज करें। यह ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और फॉलिकल्स को ऑक्सीजन पहुंचाता है, जिससे नई ग्रोथ में मदद मिलती है। नींबू और एलोवेरा जेल का पैक एलोवेरा स्कैल्प को ठंडक देता है और सूजन को कम करता है। एक चम्मच नींबू के रस में दो चम्मच ताज़ा एलोवेरा जेल मिलाएं, और इस पेस्ट को गंजे हिस्से पर लगाएं और 25 मिनट बाद सादे पानी से धो लें। यह न सिर्फ डैमेज्ड सेल्स को रिपेयर करता है बल्कि फॉलिकल्स को दोबारा एक्टिव करता है। नींबू और आंवला पाउडर का पेस्ट नींबू और आंवला दोनों ही हेयर ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं।एक चम्मच नींबू रस और एक चम्मच आंवला पाउडर मिलाकर पेस्ट बनाएं और गंजे पैच पर लगाएं। सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। यह उपाय बालों की जड़ों को पोषण देता है और ग्रोथ में सहायक होता है। नींबू और मेथी का हेयर मास्क पहले शुरू भीगी हुई दो चम्मच मेथी को पीसकर उसमें एक चम्मच नींबू रस मिलाएं। यह हेयर मास्क गंजे हिस्से पर लगाएं और 30 मिनट बाद वॉश करें । मेथी बालों को झड़ने से रोकती है और नींबू स्कैल्प को साफ कर फॉलिकल्स को खुलने में मदद करता है। ध्यान रखें नींबू का उपयोग कभी भी सीधे स्कैल्प पर न करें। हमेशा किसी माइल्ड कैरियर ऑयल या अन्य प्रोडक्ट के साथ मिलाकर लगाएं। हफ्ते में 2-3 बार नियमित रूप से इन नुस्खों को अपनाएं, और कुछ ही हफ्तों में फर्क महसूस करें।  

हॉकी एशिया कप 2025 को लेकर आई बड़ी खबर, पाकिस्तान की हॉकी टीमें भारत आएगी, खेल मंत्रालय से मंजूरी मिली

नई दिल्ली पाकिस्तान की हॉकी टीम को अगले महीने भारत में होने वाले एशिया कप में खेलने से नहीं रोका जाएगा. यह जानकारी गुरुवार को खेल मंत्रालय के एक सूत्र ने दी है. यानी पाकिस्तान की हॉकी टीम एशिया कप और जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप खेलने भारत आएगी सूत्र ने कहा- हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में किसी टीम के भारत में खेलने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन द्विपक्षीय (सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच) मुकाबलों का मामला अलग होता है.  एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट 27 अगस्त से 7 सितंबर तक बिहार के राजगीर में खेला जाएगा.  ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कारण अगले महीने एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट में पाकिस्तान की भागीदारी को लेकर संदेह था. एशिया कप के अलावा नवंबर-दिसंबर में होने वाले जूनियर विश्व कप में भी पाकिस्तान की टीम को खेलने की अनुमति दी जाएगी. एशिया कप के अलावा नवंबर-दिसंबर में होने वाले जूनियर विश्व कप में भी पाकिस्तान की टीम को खेलने की अनुमति दी जाएगी. हॉकी इंडिया के सचिव भोला नाथ सिंह ने पाकिस्तान टीम के भारत आने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा- हम सरकार के निर्देशों के अनुसार ही काम करेंगे. सरकार जो तय करेगी, वही हमारा रुख होगा.  भोला नाथ का यह बयान स्पष्ट करता है कि हॉकी इंडिया किसी भी राजनीतिक या कूटनीतिक फैसले में दखल नहीं देगा और पूरी तरह सरकार के निर्देशों का पालन करेगा.  क्रिकेट के मैदान पर भी होगी भ‍िड़ंत!  वहीं भारत-पाकिस्तान के बीच एशिया कप मेंस टी20 एशिया कप 2025 में भ‍िड़ंत हो सकती है.  यह टूर्नामेंट 4 या 5 सितंबर से शुरू हो सकता है और 21 सितंबर तक होगा. वहीं भारत और पाकिस्तान के बीच मैच यूएई (UAE) में होने की संभावना जताई गई है.   फाइनल शेड्यूल और वेन्यू का आधिकारिक ऐलान जल्द किया जाएगा.  टूर्नामेंट के लिए यूएई (UAE) को न्यूट्रल वेन्यू के तौर पर लगभग तय माना जा रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा मुकाबला 7 सितंबर को दुबई में खेला जाएगा. इसी मैदान पर दोनों टीमें हाल ही में ICC चैम्प‍ियंस ट्रॉफी 2025 में भी भिड़ी थीं.

PNB के राहत के बाद अब कई बड़े सरकारी बैंक अपने ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त से छूट दे रहे

नई दिल्ली  बैंक सेविंग अकाउंट रखने वाले करोड़ों ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। PNB के राहत के बाद अब कई बड़े सरकारी बैंक अपने ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त से छूट दे रहे हैं। इसका सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जिनकी आय सीमित है या जिनका बैंकिंग लेनदेन कम होता है। अगर आपके खाते में तय राशि से कम पैसा है, तो आप पर किसी तरह का कोई जुर्माना नहीं लगेगा।   क्या था न्यूनतम बैलेंस का नियम? बैंकों द्वारा सेविंग अकाउंट्स के लिए एक न्यूनतम राशि निर्धारित की जाती थी, जिसे खाताधारकों को हर वक्त अपने खाते में बनाए रखना होता था। यदि ग्राहक का बैलेंस तय सीमा से नीचे चला जाता, तो उस पर जुर्माना (penalty charges) लगाया जाता था। यह नियम मेट्रो, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के हिसाब से भिन्न होता था। किन बैंकों ने हटाई न्यूनतम बैलेंस की शर्त? स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)     प्रभावी तिथि: 11 मार्च 2020 (पहले से लागू)     घोषणा: सभी सेविंग्स खातों के लिए AMB की अनिवार्यता समाप्त।     पहले की स्थिति: ₹5 से ₹15 तक का जुर्माना और टैक्स लगता था। इंडियन बैंक     प्रभावी तिथि: 7 जुलाई 2025     नया नियम: सभी सेविंग अकाउंट्स पर न्यूनतम बैलेंस चार्ज पूरी तरह समाप्त     बैंक का उद्देश्य: “ग्राहक-केंद्रित पहल” और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना। पंजाब नेशनल बैंक (PNB)     प्रभावी तिथि: 1 जुलाई 2025     नया नियम: न्यूनतम औसत बैलेंस न रखने पर अब कोई जुर्माना नहीं लगेगा।   केनरा बैंक     प्रभावी तिथि: 1 जून 2025     प्रभावित अकाउंट्स:     सामान्य सेविंग अकाउंट     सैलरी अकाउंट एनआरआई अकाउंट     सीनियर सिटीजन और स्टूडेंट अकाउंट     घोषणा: “नो पेनल्टी बैंकिंग” की दिशा में कदम। ग्राहकों को क्या फायदा?     लो-बैलेंस पर कोई पेनल्टी नहीं लगेगी     छोटे खाताधारकों को राहत, खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लिए     बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा  

छत्तीसगढ़ में दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए 40 करोड़ रुपए स्वीकृत, वितरण की प्रक्रिया शुरू

बिलासपुर प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाओं से प्रभावित महिलाओं को मुआवजा न मिलने को लेकर दायर जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने  अंतिम सुनवाई की है । हाई कोर्ट ने मामले का निराकरण कर दिया है। कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िताओं को मुआवजा वितरण के लिए प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट को सूचित किया गया कि राज्य शासन ने 40 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है, जो अब जिलों के जरिए पीड़िताओं को प्रदान की जाएगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के लिए एक विशेष मुआवजा योजना लागू की थी, जिसका उद्देश्य उनके पुनर्वास और सहायता सुनिश्चित करना था। योजना के तहत प्रदेश में अब तक लगभग 6,000 आवेदन प्राप्त हुए थे, लेकिन बड़ी संख्या में पीड़ितों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया था। शासन की ओर से इस योजना को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की जिम्मेदारी बताते हुए शुरुआत में अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। केवल उन्हीं पीड़ितों को मुआवजा मिल सका जिन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। 36 मामलों के आधार पर दायर हुई थी जनहित याचिका समाजसेवी सत्यभामा अवस्थी ने अधिवक्ता देवेश कुमार के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मांग की थी कि 2018 की इस योजना का पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। याचिका में यह भी बताया गया कि प्रदेश में ऐसे 36 मामले सामने आए हैं, जिनमें पीड़िताओं को मुआवजा नहीं मिल पाया। जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उसका निराकरण किया। गृह सचिव ने बताया, प्रक्रिया हुई शुरू बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति की डिवीजन बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शासन की ओर से गृह सचिव ने एक शपथपत्र दाखिल किया। जिसमें कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (सालसा) के निर्देश पर पीड़ित महिलाओं के मुआवजे के लिए 40 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। इस राशि को अब सभी जिलों में वितरित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य शासन ने बताया कि यह राशि संबंधित जिलों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को भेज दी गई है। वे आवेदनकर्ताओं को मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया में लगे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि वर्ष 2018 से अब तक कुल 5,500 आवेदन सालसा को प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश पर अब कार्रवाई की जा रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय के बलिदान दिवस पर अर्पित की श्रद्धांजलि

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने परमवीर चक्र से सम्मानित मां भारती के अमर सपूत कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के बलिदान दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहीद कैप्टन पाण्डेय ने कारगिल युद्ध में तिरंगे की शान को बनाए रखते हुए मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। अदम्य साहस, अचूक रणकौशल के धनी और पराक्रमी शहीद कैप्टन पाण्डेय का जीवन सदैव युवाओं को राष्ट्र भक्ति के लिए प्रेरित करता रहेगा।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पवित्र अमरनाथ यात्रा के शुभारंभ पर की प्रदेश के मंगल की कामना

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सनातन संस्कृति की अमूल्य धरोहर श्री अमरनाथ यात्रा के शुभारंभ पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दिव्य दर्शन के लिए हर वर्ष बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं। ईश्वर से प्रार्थना है‍कि यात्रा सभी के लिए मंगलमयी और सभी मनोरथ पूर्ण करने वाली हो। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने देवाधिदेव महादेव से प्रदेशवासियों के कल्याण के लिए भी प्रार्थना की है।  

अगर आपके शरीर में विटामिन-डी कम हो गया है तो घबराइए नहीं पिए इस फल का जूस

अगर आपको मूड स्विंग्स हो रहे हैं, इम्युनिटी कमजोर हो जाए या हड्डियों में दर्द हो रहा है, तो हो सकता है कि शरीर में विटामिन-डी कम हो गया है। हालांकि, विटामिन-डी की कमी की समस्या ज्यादातर भारतीयों में देखने को मिलती है। हालांकि, इसकी कमी को पूरा किया जा सकता है। धूप इसका सबसे अच्छा सोर्स होता है, लेकिन डाइट की मदद से भी इसकी कमी को पूरा कर सकते हैं। विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए एक खास जूस पीना काफी फायदेमंंद साबित हो सकता है। आइए जानें इसके बारे में। विटामिन-डी की कमी दूर करने के लिए जूस संतरे का जूस विटामिन-डी की कमी को पूरा करने में काफी मददगार होता है। दरअसल, यह विटामिन-सी का बेहतरीन सोर्स तो होता ही है, लेकिन अब मार्केट में फोर्टिफाइड संतरे का जूस भी मिलता है। इस जूस में अलग से विटामिन-डी मिलाया जाता है, जिससे इस जूस को पीने से विटामिन-डी की कमी पूरी होती है। संतरे के जूस के फायदे-     इम्युनिटी बूस्टर- संतरे में मौजूद विटामिन-सी शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।     हड्डियों को मजबूत बनाना- विटामिन-डी कैल्शियम के अब्जॉर्प्शन में मदद करता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं।     एनर्जी बढ़ाने वाला- संतरे के जूस में नेचुरल शुगर होती है, जो तुरंत एनर्जी देती है।     स्किन और बालों के लिए फायदेमंद- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा और बालों को स्वस्थ रखते हैं। विटामिन-डी की कमी के लक्षण कैसे होते हैं?     थकान और कमजोरी     हड्डियों और जोड़ों में दर्द     बार-बार बीमार पड़ना (कमजोर इम्युनिटी)     बालों का झड़ना     डिप्रेशन और मूड स्विंग्स ऑरेंज जूस पीते वक्त रखें इन बातों का ध्यान     जूस में अलग से चीनी न मिलाएं, क्योंकि इससे फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।     डायबिटीज के मरीज संतरे का जूस डॉक्टर से पूछकर ही पिएं। इसके अलावा, रोजाना सुबह की धूप में 30 मिनट बैठें। इससे शरीर में विटामिन-डी बनता है। अगर आपको विटामिन-डी की गंभीर कमी है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं। लेकिन खुद से कोई दवा न लें।