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समाजसेवी डॉक्टर एमसी डाबर का आज 80 वर्ष की उम्र में निधन, 50 वर्षों से 20 रुपए में गरीबों का इलाज करते थे

जबलपुर प्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. एम.सी. डावर का आज दुखद निधन हो गया। वे वर्षों तक मात्र 2 रुपये में गरीबों का उपचार कर जनसेवा में लगे रहे। उनके निधन की जानकारी मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने एक्स पर साझा की।मध्यप्रदेश के जबलपुर में 50 वर्षों से गरीब और जरूरतमंद मरीजों की सेवा करने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. एमसी डाबर का शुक्रवार (4 जुलाई 2025) सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और जीवन भर केवल 20 रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज किया। डॉ. एमसी डाबर लाखों मरीजों के जीवन में आशा की किरण बने रहे। उनका निधन शहर के लिए अपूरणीय क्षति है।     2 रुपये में गरीबों का इलाज करने वाले सुप्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव, पद्मश्री डॉ. एम.सी. डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। अपने एक्स पर मंत्री राकेश सिंह ने लिखा कि डॉ. एम.सी. डावर जी का जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। डॉ. डाबर जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में क्लिनिक चलाते थे, जहां दूर-दराज से मरीज इलाज के लिए आते थे. भीड़ इतनी होती थी कि रोजाना सैकड़ों मरीज उनके घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे. वे खुद ही मरीजों की जांच करते, दवा लिखते और जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करते थे. उनकी मृत्यु से चिकित्सा जगत और समाज ने एक सच्चे सेवक को खो दिया है. अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर पहुंचने लगे. कई लोगों की आंखें नम थीं. हर कोई यही कह रहा है कि डॉ डाबर जैसा डॉक्टर इस युग में मिलना मुश्किल है. जीवन परिचय: पाकिस्तान से जबलपुर तक का सफर डॉ. डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद वे अपने माता-पिता के साथ भारत आ गए। बहुत कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पंजाब के जालंधर से स्कूल की पढ़ाई पूरी कर वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और 1967 में MBBS की डिग्री प्राप्त की। सेना में सेवा और 1971 की जंग डॉ. डाबर ने 1971 की भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना में चिकित्सक के रूप में सेवा दी। उस समय उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश सीमा पर थी, जहां उन्होंने सैकड़ों घायल जवानों का इलाज किया। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले सेवा छोड़नी पड़ी, जिसके बाद उन्होंने जबलपुर में चिकित्सा सेवा शुरू की। जालंधर से की थी स्कूली पढ़ाई डॉ. एमसी डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में आकर बस गया। मात्र डेढ़ साल की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई जालंधर से की थी। उन्होंने 1967 मध्यप्रदेश के जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। डाबर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर थे। हालांकि खराब सेहत को देखते हुए उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया था। डाबर ने 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। 51 साल से 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे 1972 से वे मध्यप्रदेश के जबलपुर में मात्र 2 रुपये में लोगों का इलाज कर रहे थे। इसके बाद 1997 में 5 रुपये लेने लगे। 2012 में 10 रुपये और मौजूदा समय में 20 रुपये चार्ज करते थे। भारत सरकार ने 2023 में चिकित्सा क्षेत्र में उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। डॉ. डाबर के बारे में एक और रोचक बात थी। वे पिछले 51 साल से रोजाना 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे। उनके पास तीन-तीन पीढ़ियों के मरीज थे। डॉ. डाबर के पास न केवल जबलपुर बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी मरीज आते थे। 2 रुपए से शुरू की सेवा, कभी नहीं रोकी डॉ. एमसी डाबर ने जबलपुर में सस्ते इलाज की शुरुआत 10 नवंबर 1972 को की थी। पहले मरीजों से सिर्फ 2 रुपए शुल्क लेते थे, लेकिन महंगाई बढ़ी तो 1986 में यह फीस 3 रुपए फिर 5 और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 20 रुपए कर दिया, लेकिन कभी लाभ कमाने की कोशिश नहीं की। डॉ. डाबर हमेशा वही पुराना टेबल-कुर्सी और बेड इस्तेमाल करते रहे, जो 1972 में खरीदे थे। वह कहते थे कि सादा जीवन उच्च विचार ही मेरी पूंजी है। दिन में 200 मरीज फिर भी मुस्कान डॉ. डाबर हफ्ते में 6 दिन काम करते थे और रोज़ाना 150 से 200 मरीजों का इलाज करते थे। उनकी सादगी और समर्पण का आलम ये था कि जब 1986 में उन्हें किडनी फेलियर हुआ, तब उनके मरीज मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में दुआ करने पहुंचे। पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान भारत सरकार ने डॉ. डाबर को उनके अद्भुत सेवा कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। 2019 में वे पद्मभूषण के लिए भी नॉमिनेट किए गए। ओपी खरे ने बताया कि ऐसा डॉक्टर दोबारा जन्म नहीं लेता। डॉ. डाबर ने हजारों जानें बचाईं हैं। अंतिम यात्रा, लोगों ने दी श्रद्धांजलि उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार शाम 4 बजे, उनके निज निवास से गुप्तेश्वर मुक्तिधाम के लिए निकलेगी। जबलपुर शहर सहित पूरे मध्यप्रदेश में शोक की लहर है। जबलपुर निवासी रामू साहू पिछले 30 वर्षों से डॉ. डाबर के पास इलाज के लिए आते थे। उन्होंने बताया कि हमारे लिए वे डॉक्टर नहीं भगवान थे। उनकी फीस से ज्यादा तो आज दवाओं की रेट होती है, लेकिन उन्होंने कभी रुपए की चिंता नहीं की। सेवा, सादगी और संवेदना के मिसाल थे डॉ डाबर डॉ. एमसी डाबर सिर्फ एक डॉक्टर नहीं बल्कि सेवा, सादगी और संवेदना के प्रतीक थे। चिकित्सा सेवा जब इतनी महंगी होती जा रही है, ऐसे समय में भी डॉ. डाबर ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। उनके द्वारा दिया गया उदाहरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तंभ रहेगा।

प्रभारी सचिवों की सूची में बदलाव, 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले

 जयपुर प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रभारी सचिवों की सूची में बदलाव के आदेश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले गए हैं, जबकि 38 जिलों के प्रभारी सचिव यथावत ही रखे गए हैं। करीब डेढ़ साल बाद प्रभारी सचिवों की सूची में यह बदलाव किया गया है। इससे पहले फरवरी 2024 में प्रभारी सचिवों की सूची जारी हुई थी। इन 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले सरकार ने जिन 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले हैं, उनमें चूरू, अलवर, ब्यावर, सलूंबर, फलौदी, सवाई माधोपुर, बारां, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, करौली और बालोतरा शामिल हैं। चूरू- पर्यटन आयुक्त रुक्मणी रियार अलवर- प्रमुख सचिव, ऊर्जा विभाग, अजिताभ शर्मा ब्यावर- आजीविका परियोजनाओं की स्टेट एमडी नेहा गिरी सलूंबर- आरयूवी एंड आईटी सर्विसेज लिमिटेड के एमडी ओमप्रकाश कसेरा फलौदी- उद्योग आयुक्त रोहित गुप्ता सवाई माधोपुर- यूडीएच प्रमुख सचिव डॉ. देवाशीष प्रष्टि बारां- राजफैड एमडी, टीकमचंद बोहरा राजसमंद- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष, डॉ. रवि कुमार सुरपुर चित्तौड़गढ़- उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता करौली- समग्र शिक्षा अभियान की स्टेट मिशन निदेशक अनुपमा जोरवाल बालोतरा- स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के सीईओ हरजीलाल अटल बदले गए प्रभारी सचिवों में शामिल हैं। इस बदलाव के बाद 11 आईएएस अधिकारी जिलों के प्रभार से मुक्त हो गए। हालांकि इनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं, जो हाल में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए हैं। इसलिए इनके प्रभार वाले जिले खाली चल रहे थे। इनके अलावा सरकार आमतौर पर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसरों को जिला प्रभार नहीं देती, उनके पास पहले से ही कार्यभार अधिक होता है। इसलिए एसीएस होम भास्कर ए. सावंत को चूरू के प्रभारी सचिव व वित्त विभाग के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया को अलवर के प्रभार से मुक्त किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राष्ट्रध्वज जनक पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि पर किया नमन

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक श्रद्धेय पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज संस्कृति, विरासत, एकता, विविधता सहित मातृभूमि की पहचान को रंगों व प्रतीकों के माध्यम से तिरंगे में समाहित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया जी की पुण्यतिथि है। उन्हें सादर नमन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका योगदान राष्ट्र की स्मृति में सदैव अमिट रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पिंगली वेंकैया जी ने भारत की राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मगौरव बढ़ाने में योगदान दिया। उन्होंने न केवल राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना की, बल्कि इसमें भारतीय सभ्यता और स्वाधीनता संग्राम की भावना को भी बड़ी सुंदरता से पिरोया।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दर्शन, वेद एवं योग के माध्यम से विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले, राष्ट्रऋषि स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रसेवा के संकल्प को साकार करने के लिए श्रेष्ठ जीवन आदर्श की प्रेरणा देकर आपने युवाओं का मार्ग प्रशस्त किया। आपके प्रखर विचार एवं कृतित्व देश की अमूल्य धरोहर हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद न केवल भारत के सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक हैं, बल्कि उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा, वेदांत दर्शन और योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। उनके विचार आज भी युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए प्रेरित करते हैं।  

कोरबा में दर्दनाक सड़क हादसे में दो लोगों की मौत , तीन घायल

कोरबा कोरबा सिविल लाइन थाना क्षेत्र के आईटीआई चौक से बुधवार चौक जाने वाली मुख्य सड़क पर एक दर्दनाक सड़क हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। चालक नशे में था, उसने तेज रफ्तार व लापरवाही से गाड़ी चलाई। पुलिस ने आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। हादसा गुरुवार रात को हुआ। नशे में धुत कार चालक राहुल यादव ने पहले आईटीआई चौक से कुछ आगे एक स्कूटी और बाइक को टक्कर मार दी। जिसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद, उसने नियंत्रण खो दिया और एक साइकिल सवार को भी अपनी चपेट में ले लिया। फिर भी उसकी कार की रफ्तार कम नहीं हुई और उसने विपरीत दिशा से आ रही एक और बाइक को टक्कर मारी, जिसे वह करीब 100-150 मीटर तक घसीटता रहा। हादसे के बाद आक्रोशित भीड़ ने कार चालक राहुल यादव की जमकर पिटाई की। जिसे पुलिस ने बड़ी मशक्कत से भीड़ से छुड़ाकर हिरासत में लिया। दुर्घटना में घायल हुए 5 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिनमें से दो लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई है। कोरबा सीएसपी भूषण एक्का ने बताया कि कर चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, हादसे में पथरीपारा निवासी 75 वर्षीय मोहम्मद इसराइल और आईटीआई निवासी 21 वर्षीय छोटे लाल साहनी की मौत हो गई है। वहीं, तीन लोग घायल है, जिनका इलाज जारी है।  

फिल्म ‘रामायण’ में हनुमान जी का किरदार निभाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं सनी देओल

मुंबई फिल्म ‘रामायण’ के मेकर्स ने जब से फिल्म का इंट्रोडक्शन वीडियो शेयर किया है तब से ही ये चर्चा में आ गया है. वीडियो का विजुअल इफेक्ट्स लोगों को काफी पसंद आ रहा है. इस फिल्म में एक्टर रणबीर कपूर भगनान राम, एक्ट्रेस साई पल्लवी माता सीता, सनी देओल को हनुमान, यश रावन और रवि दुबे को लक्ष्मण की भुमिका में नजर आने वाले हैं. इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया स्पेशल नोट वहीं, इस इंट्रोडक्शन वीडियो को शेयर करते हुए सनी देओल ने खूबसूरत कैप्शन लिखा है. वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, ‘मैं खुद को धन्य और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मुझे उस महान कथा का हिस्सा बनने का अवसर मिला, जिसने पीढ़ियों की सोच और संस्कृति को आकार दिया है.’ अपने पोस्ट में सनी देओल ने आगे लिखा, ‘नमित मल्होत्रा की ‘रामायण’ की दिव्य दुनिया में आपका स्वागत है. ये राम और रावण के बीच की वो अमर गाथा है, जिसने हर युग को प्रेरित किया है. इस आध्यात्मिक यात्रा पर चलने और इसे आप सभी के साथ साझा करने का सौभाग्य मिला है, इसके लिए दिल से आभारी हूं. आइए हम सब मिलकर इस पवित्र कथा के साक्षी बनें और इस क्षण का साथ मिलकर जश्न मनाएं.’ बता दें कि इस फिल्म में एक्टर रणबीर कपूर और एक्ट्रेस साई पल्लवी के अलावा सनी देओल , यश , रवि दुबे भी मुख्य भुमिका में नजर आने वाले हैं. सनी देओल हनुमान के किरदार में हैं. नहीं यश रावण के रोल में हैं. रवि दुबे लक्ष्मण बने हैं. वहीं, शूर्पणखा के रोल में रकुल प्रीत सिंह नजर आएंगी. काजल अग्रवाल मंदोदरी बनी हैं. लारा दत्ता कैकई के रोल में हैं. साल 2026 में फिल्म का पहला पार्ट रिलीज किया जाएगा. वहीं दूसरा पार्ट 2027 में रिलीज होगा.

उपचारिका विदेह कुमारी पर मरीजों से अवैध वसूली आरोप मामले में किया निलंबित

लखनऊ मरीजों से अवैध वसूली के आरोपों में फर्रुखाबाद स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात उपचारिका को निलंबित कर दिया गया है। जबकि कुशीनगर मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की गई है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मेडिकल संस्थान में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है। फर्रुखाबाद स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात उपचारिका विदेह कुमारी पर मरीजों से अवैध वसूली के आरोप लगे हैं। साथ ही अस्पताल में अराजकता फैलाने के भी आरोप हैं। शिकायतों का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लिया। उपचारिका को निलंबित करते हुए बहराइच मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में तैनाती के आदेश दिए गए हैं। साथ ही प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को निर्देश दिए हैं कि उपचारिका को आरोप पत्र देकर कठोर विभागीय कार्यवाही की जाए। कुशीनगर स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में आब्स एण्ड गायनी विभाग में सहायक आचार्य के पद पर तैनात डॉ. रूचिका सिंह पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को डॉ. रूचिका के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। आजमगढ़ सीएचसी में तैनात डॉ. सुरजीत सिंह द्वारा हरदोई के जिला चिकित्सालय में तैनाती के दौरान मरीजों से दुर्व्यवहार एवं दूसरी गंभीर शिकायतें मिली हैं। डॉ. सुरजीत पर विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की गई है। बहराइच की पीएचसी गंगवल में तैनात चिकित्साधिकारी डॉ. विकास वर्मा ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र-पयागपुर में गलत मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया था। जांच के बाद डॉ. विकास की वेतन वृद्धि एक वर्ष के रोकते हुए परिनिन्दा का दंड दिया गया है। उधर, हमीरपुर मुख्य चिकित्साधिकारी, डॉ. गीतम सिंह ने महोबा में उप्र विधान परिषद की वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति की दिनांक 25 अप्रैल 2025 की बैठक में सूचना सहित प्रतिभाग न किये जाने के आरोप लगे हैं। यह शासकीय व पदीय दायित्वों में लापरवाही एवं उदासीनता है। लिहाजा डॉ. गीतम से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। मरीजों से अभद्रता, स्पष्टीकरण तलब उधर, रायबरेली के खीरों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्साधिकारी डॉ. इफ्तिखार अहमद पर महिला रोगियों से अभद्रता किये जाने के आरोप हैं। उच्च आदेशों की अवहेलना करने का भी इल्जाम है। लिहाजा डॉ. इफ्तिखार से स्पष्टीकरण मांगा गया है।  

उदयपुर पिस्टल और जिंदा कारतूस के साथ एक संदिग्ध गिरफ्तार

उदयपुर उदयपुर की सवीना थाना पुलिस ने अवैध हथियारों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एक शातिर आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी से एक पिस्टल और दो जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। यह कार्रवाई एसपी योगेश गोयल के निर्देश पर की गई। थानाधिकारी अजयसिंह राव ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी का नाम मोहम्मद ताहिर उर्फ ताहिर अहमद है। वह गुजरात के साबरकांठा जिले के विजयनगर का रहने वाला है। आरोपी ने अवैध रूप से पिस्टल और कारतूस एक परिचित व्यक्ति से खरीदे थे और वह इन हथियारों का इस्तेमाल कर अपने विरोधियों की हत्या की योजना बना रहा था। पुलिस जांच में सामने आया है कि मोहम्मद ताहिर एक गिरोह बनाकर काम कर रहा था। वह नेला तालाब के पास संदिग्ध अवस्था में घूमता मिला, जहां पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया। पुलिस का मानना है कि अगर समय रहते उसे नहीं पकड़ा जाता, तो कोई गंभीर वारदात हो सकती थी। अब पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है कि उसने हथियार कहां से खरीदे और उसके साथ और कौन लोग इस साजिश में शामिल हैं। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि वह किन लोगों को निशाना बनाना चाहता था। इस पूरी कार्रवाई को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की भी तलाश में जुट गई है। सवीना थाना पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई से एक बड़ी आपराधिक घटना टल गई।

पोकरण में मूसलाधार बारिश, घरों में घुसा पानी, जनजीवन अस्त-व्यस्त

जैसलमेर जिले के पोकरण में कल दोपहर के समय आसमान में अचानक मौसम ने करवट ली और देखते ही देखते पूरे इलाके में काली घटाओं ने डेरा जमा लिया। इसके बाद दोपहर करीब 2 बजे से मूसलाधार बारिश का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि कस्बे की सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक पानी-पानी हो गया। लगातार करीब दो घंटे तक हुई इस झमाझम बारिश ने जहां लोगों को गर्मी और उमस से राहत दी, वहीं दूसरी ओर इसने आम जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। कुल 118 एमएम बारिश पोकरण के तहसील कार्यालय पर लगे रेनगेज यंत्र के अनुसार गुरुवार को कुल 118 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जो इस सीजन की सबसे भारी बारिश में से एक रही। बारिश इतनी तीव्र थी कि मुख्य सड़कों से लेकर तंग गलियों तक पानी का सैलाब बहने लगा। बारिश के कारण जगह-जगह जलभराव की स्थिति बन गई। कई इलाकों में गली-मोहल्लों में पानी का स्तर 3 से 4 फीट तक जा पहुंचा। तेज बारिश से नाले-नालियां भी ऊफान पर आ गईं, मगर उचित निकासी नहीं होने से पानी सड़कों पर ही बहता रहा। पोकरण कस्बे के कई मोहल्लों में पानी इतना ज्यादा जमा हो गया कि वह लोगों के घरों में घुस गया। जोधपुर रोड, पुरोहितों की गली, मंगलपुरा क्षेत्र और मदरसे के पास बारिश के पानी की स्थिति सबसे ज्यादा भयावह रही। यहां गलियों में पानी का बहाव इतना तेज था कि चार से पांच फीट तक पानी बहता नजर आया। तेज बहाव के चलते कई घरों में पानी घुस गया, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई दुकानों में भी पानी भर गया। व्यापारियों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। दुकानदारों ने बताया कि तेज बहाव के चलते दुकानें जलमग्न हो गईं, जिससे कई सामान भीग गया और आर्थिक नुकसान हुआ। लगभग दो घंटे तक लगातार बारिश के बाद शाम करीब 4:45 बजे बारिश की रफ्तार धीमी पड़ी और रिमझिम बारिश शुरू हो गई। इसके बावजूद आसमान में बादल छाए रहे और ठंडी हवाओं के चलते मौसम सुहावना हो गया। हालांकि बारिश के बाद भी गलियों और सड़कों में पानी जमा रहा, जिससे लोगों की मुश्किलें बरकरार रहीं।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज 29 साल के हुए ,’बंजर’ गढ़ा को बना दिया बागेश्वर धाम?

छतरपुर बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज अपना 29वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके बर्थडे को खास बनाने के लिए दूर-दूर से भक्त गढ़ा ग्राम पहुंच रहे हैं। हालांकि, कल हुए हादसे के बाद उन्होंने अपना जन्मदिन बेहद साधारण तरीके से मानाने का फैसला किया है।  भक्तों से उपहार के बदले मांगी ईंट पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने जन्मदिन पर भक्तों से उपहार के बदले ईंट मांगी है। बता दें कि बागेश्वर धाम में कैंसर अस्पताल बन रहा है। इसके निर्माण के लिए उन्होंने सहयोग में एक-एक ईंट भेंट करने की अपील की है।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी दी बधाई  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी पंडित धीरेंद्र शास्त्री को जन्मदिन की बधाई दी है। सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, पूज्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। श्री बजरंग बली जी से प्रार्थना है कि सनातन संस्कृति की सेवा के लिए आप सदैव ऊर्जावान रहें, उत्तम स्वास्थ्य के साथ आप दीर्घायु हों।” बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्मदिन आज, 29 साल के हुए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, वही राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बागेश्वर बाबा को दी जन्मदिन की बधाई, सीएम भजनलाल ने कहा- बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर परम पूज्य पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के जन्मदिवस पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, श्री बालाजी महाराज की कृपा से आप सदैव स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों एवं अपने दिव्य सत्संग, प्रवचनों व आध्यात्मिक मार्गदर्शन से समाज को सत्य, धर्म और सेवा के पथ पर अग्रसर करते रहें 'बंजर' गढ़ा को पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कैसे बना दिया बागेश्वर धाम तरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को हुआ था। शास्त्री अपनी उम्र के 30वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। बागेश्वर धाम में गुरु के जन्मदिन पर हर साल हजारों की संख्या में उनके भक्त आते हैं। साथ ही भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। इस बार भी तैयारी भव्य थी लेकिन टेंट गिरने की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई। इसके बाद धाम में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। मगर बागेश्वर धाम में भक्तों की भीड़ कम नहीं हुई है। गढ़ा में भक्तों का मेला लगा हुआ। भारी बारिश के बीच भी वहां भक्त डंटे हुए हैं। आइए आपको बताते हैं कि इतने कम दिनों में बागेश्वर सरकार यह प्रसिद्धि कैसे हासिल की। साथ ही गढ़ा और उसके आसपास के अर्थव्यवस्था को उन्होंने पूरी तरह से बदल दिया है। कहां है गढ़ा गांव दरअसल, जब आप छतरपुर से खजुराहो की ओर नेशनल हाइवे पकड़कर आगे की ओर बढ़ेंगे। करीब 10 किमी आगे बढ़ने के बाद गढ़ा के लिए रास्ता जाता है। हाइवे से सटा एक मुख्य द्वार बना है, जिस पर बागेश्वर धाम जाने का रास्ता लिखा हुआ है। यही से रौनक की शुरुआत हो जाती है। कुछ साल पहले तक सुनसान रहने वाले इस जगह पर अब कई होटल और मार्केट खुल गए हैं। साथ ही सवारी गाड़ियों की भीड़ रहती है जो श्रद्धालुओं को धाम तक लेकर जाते हैं। यहां से गढ़ा गांव की दूरी करीब चार से पांच किमी है। गढ़ा गांव के लोग पहले पूरी तरह से खेती पर आश्रित होते थे। पहाड़ी इलाका होने की वजह से गर्मियों में भीषण पानी की किल्लत होती थी। साथ ही जमीन भी पथरीली है। गढ़ा गांव में ही धीरेंद्र शास्त्री का पैतृक गांव पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पैतृक घर भी गढ़ा में ही है। परिवार पूजा पाठ से ही जीवकोपार्जन करता था। आर्थिक स्थिति परिवार की ठीक नहीं थी। गांव में इनका खपरैल घर था। अब उसकी जगह पर पक्का मकान है। हालांकि छोटा ही है, जहां उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं। गांव से कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद पहाड़ी के करीब ही बालाजी का मंदिर है। जहां धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा गुरु की समाधि है। बालाजी का मंदिर अब भव्य बन रहा है। मंदिर के आसपास अब सैकड़ों एकड़ जमीन में धाम फैल गया है, जिसे बागेश्वर धाम कहते हैं। ऐसे बढ़ा बागेश्वर धाम दरअसल, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुरुआती दिनों मंदिर या फिर आसपास के गांवों में ही कथा सुनाते थे। साथ ही लोगों की पर्ची निकालते थे। धीरे-धीरे इनकी प्रसिद्धि बढ़ी और लोगों की भीड़ जमा होने लगी। कोविड के बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जिंदगी में 360 डिग्री का बदलाव हुआ। उनकी कथाओं की गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी। मध्य प्रदेश की सीमा को लांघकर वह देश और विदेश के अलग-अलग कोनों में जाकर कथा सुनाने लगे। इसके साथ ही बागेश्वर धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ने लगी। तेजी से उस इलाके की तस्वीर बदलने लगी। बदल गई इलाके की अर्थव्यवस्था पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जिंदगी में जितने बदलाव आए हैं, उतने ही बदलाव गढ़ा और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिला है। गढ़ा, बागेश्वर धाम और उसके आसपास के इलाकों में हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिल गया है। गांवों में होम स्टे खुल गए हैं। हजारों की संख्या में धाम में दुकान हैं। इसके साथ ही अब बड़े-बड़े होटल भी खुल रहे हैं। हजारों लोगों हर दिन धाम आते हैं औसतन 10-20 लाख से अधिक का कारोबार होता है। सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बाहर से भी लोग आकर यहां व्यापार कर रहे हैं। खपरैल घर से फाइव स्टार होटल तक का सफर वहीं, बागेश्वर धाम सरकार का बचपन खपरैल घर में बीता है। अब वह जब कथाओं के लिए जाते हैं तो भक्त फाइव और थ्री स्टार होटल में उन्हें ठहराते हैं। अंबानी के घर लग्जरी प्राइवेट जेट से जाते हैं। हालांकि धाम पर होते हैं तो अभी भी वह मंदिर के करीब बने सामुदायिक भवन के ही एक कमरे में ठहरते हैं। जन्मदिन के मौके पर उन्हें बधाई देने का सिलसिला जारी है। अब बागेश्वर धाम पर सिर्फ आम नहीं, खास श्रद्धालुओं का भी तांता लगा रहता है।