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भारतीयों ने बैजबॉल की निकाल दी हवा, पाकिस्तान को भी छोड़ा पीछे; हासिल किया पहला स्थान

 एजबेस्टन  भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरे टेस्ट मैच का आज (3 जुलाई, 2025) दूसरा दिन था। यह मैच बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर खेला जा रहा था। 5 मैचों की सीरीज में इंग्लैंड पहले टेस्ट में 1-0 से आगे है। मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद टीम इंडिया ने 5 विकेट खोकर बोर्ड पर 310 रन लगा दिए थे। दूसरे दिन भारतीय टीम को गिल और जडेजा ने बेहतरीन शुरुआत दिलाई। रविंद्र जडेजा शतक बनाने से चूक गए और 89 रन बनाकर आउट हुए। शुभमन गिल ने दूसरे दिन 269 रन की पारी खेली और टीम इंडिया के स्कोर को 587 रन तक पहुंचा दिया। जवाब में इंग्लैंड की टीम ने दिन खत्म होने तक 77 रन पर 3 विकेट गंवा दिए हैं। बैजबॉल की शुरुआत होने के बाद टीम इंडिया ने बनाया इंग्लैंड के खिलाफ सबसे बड़ा स्कोर इंग्लैंड टीम की जून 2022 से हेड कोच के रूप में ब्रैंडन मैकुलम ने जिम्मेदारी संभाली तो वहीं टेस्ट में कप्तानी बेन स्टोक्स को मिली उसके बाद उनकी टेस्ट क्रिकेट को खेलने पूरी रणनीति बदल गई। इन दोनों ने मिलकर आक्रामक क्रिकेट खेलने की सोच के साथ टीम को आगे बढ़ाया जिसे बैजबॉल का नाम मिला। इंग्लैंड की टीम के लिए ये रणनीति काफी सफल भी रही लेकिन कुछ मौकों पर उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। वहीं भारतीय टीम अब बैजबॉल के शुरू होने के बाद से इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच की एक पारी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली टीम बन गई है। पहले इस मामले में नंबर-1 की पोजीशन पर पाकिस्तान की टीम थी जिन्होंने साल 2022 में रावलपिंडी टेस्ट मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 579 रन बनाए थे। एजबेस्टन में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन भारत ने अपनी पहली पारी में 587 रन बनाकर दमदार स्कोर खड़ा किया है. कप्तान शुभमन गिल ने 269 रन (387 गेंद) की शानदार पारी खेली, जो उनके करियर का पहला डबल सेंचुरी (200+) भी रहा. वहीं यशस्वी जायसवाल और रवींद्र जडेजा भी अपनी पार‍ियों की बदौलत एक स्पेशल ल‍िस्ट में शामिल हो गए.  गिल के अलावा यशस्वी जायसवाल ने 87 और रवींद्र द्र जडेजा ने 89 रन की अहम पारियां खेलीं. गिल ने इस दौरान कई रिकॉर्ड भी बनाए. वह इंग्लैंड में टेस्ट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय और पहले एशियाई कप्तान बन गए.   साथ ही, उन्होंने इंग्लैंड की धरती पर किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा सबसे बड़ा स्कोर भी बनाया. इससे पहले यह रिकॉर्ड सुनील गावस्कर के नाम था, उन्होंने तब 221 रन (ओवल, 1979) बनाए थे. इंग्लैंड की ओर से स्पिनर शोएब बशीर ने सबसे ज्यादा 3 विकेट लिए. जवाब में खेलने उतरी इंग्लैंड की टीम ने पहली पारी में 77 रन पर 3 विकेट गंवा दिए हैं.  एजबेस्टन में जारी एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2025 के दूसरे टेस्ट मैच में शुभमन गिल ने ऐतिहासिक पारी खेलते हुए 269 रन बनाए. इस एक पारी में उन्होंने कई बड़े रिकॉर्ड तोड़ डाले. आइए जानते हैं गिल की इस शानदार पारी से जुड़े सारे आंकड़े.  1. टेस्ट में भारतीय कप्तान का सबसे बड़ा स्कोर:  गिल का 269 रन अब भारत के किसी भी कप्तान द्वारा टेस्ट में बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर है.  उन्होंने विराट कोहली का रिकॉर्ड तोड़ा, ज‍िन्होंने 254* रन साउथ अफ्रीका के ख‍िलाफ पुणे में 2019 में बनाए थे.  2. एशिया के बाहर भारतीय का सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर: गिल ने सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ा (241* बनाम ऑस्ट्रेलिया, सिडनी, 2004).   3. विदेशी धरती पर भारतीय बल्लेबाज का तीसरा सबसे बड़ा स्कोर:  सिर्फ वीरेंद्र सहवाग (309, मुल्तान) और राहुल द्रविड़ (270, रावलपिंडी) गिल से आगे हैं.  4. इंग्लैंड में डबल सेंचुरी लगाने वाले तीसरे भारतीय:  इससे पहले सुनील गावस्कर (221, 1979) और राहुल द्रविड़ (217, 2002) ने डबल सेंचुरी लगाई थी.  5. टेस्ट में भारत के लिए सातवां सबसे बड़ा स्कोर:  गिल की 269 रन की पारी अब भारत के टेस्ट इतिहास में 7वां सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है.  6. इंग्लैंड में विदेशी बल्लेबाज द्वारा आठवां सबसे बड़ा स्कोर: शुभमन से पहले ग्रीम स्मिथ (277) और जहीर अब्बास (274) जैसे दिग्गज इस सूची में शामिल हैं.  7. पहली दो कप्तानी टेस्ट में शतक लगाने वाले सातवें बल्लेबाज: गिल से पहले भारत के विजय हजारे, सुनील गावस्कर और विराट कोहली यह कर चुके हैं। 8. टेस्ट और ODI दोनों में डबल सेंचुरी बनाने वाले पांचवें बल्लेबाज: गिल अब सचिन, सहवाग, रोहित शर्मा और क्रिस गेल की लिस्ट में शामिल हो गए हैं.   9. विपक्ष द्वारा बल्लेबाजी के लिए बुलाने के बाद भारत की सबसे बड़ी पारी: गिल की पारी के दम पर भारत ने टॉस हारने के बावजूद 587 रन बनाए, जो उनका इस ल‍िहाज से अब तक का सबसे बड़ा स्कोर है.  10. नीतीश रेड्डी के आउट होने के बाद भारत के आखिरी 5 विकेटों से बने 376 रन: टेस्ट में भारत के आखिरी 5 विकेटों से सबसे ज्यादा रन जोड़ने का रिकॉर्ड। 11. रवींद्र जडेजा की छठे विकेट या उससे नीचे की तीसरी डबल सेंचुरी पार्टनरशिप: जडेजा अब ऐसे तीन साझेदार‍ियों में शामिल हो चुके हैं, सिर्फ गिलक्रिस्ट (6), बीजे वाटलिंग (5) और धोनी (4) उनसे आगे हैं.  – वहीं रवींद्र जडेजा ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्प‍ियनशिप (WTC) के इतिहास में नया रिकॉर्ड बना दिया , वह WTC में 2000 रन और 100 विकेट पूरे करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं.  जडेजा ने ये खास मुकाम इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट के दौरान हासिल किया, जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी.  अब तक सबसे ज्यादा 50+ स्कोर (No.7 या नीचे) SENA में भारतीय बल्लेबाजों द्वारा: एमएस धोनी – 10 बार (52 पारियों में) रवींद्र जडेजा – 8 बार (37 पारियों में)* कपिल देव – 8 बार (50 पारियों में) 12. यशस्वी जायसवाल के इंग्लैंड के खिलाफ लगातार 7 टेस्ट में 50+ स्कोर: वह विव रिचर्ड्स और मार्क टेलर की बराबरी पर पहुंच गए हैं, ज‍िन्होंने अपने पहले 7 टेस्ट में इंग्लैड के ख‍िलाफ ऐसा कारनाम किया था.  बैजबॉल शुरू होने के बाद से इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में एक पारी में सबसे ज्यादा रन     भारत – 587 रन (एजबेस्टन टेस्ट, साल 2025)     … Read more

गाइटर से जंग जीत गई ज़िंदगी! AIIMS Bhopal में बुजुर्ग महिला का सफल इलाज

भोपाल AIIMS Bhopal में डॉक्टरों की टीम ने एक जटिल सर्जरी कर 65 वर्षीय महिला को नई जिंदगी दी है। यह महिला कई सालों से गाइटर (थायराइड ग्रंथि की सूजन) की समस्या से परेशान थीं। हाल के दिनों में उनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी थी और आवाज भी साफ से नहीं निकल पा रही थी। एम्स भोपाल के जनरल सर्जरी विभाग में परामर्श के बाद की गई जांच में पता चला कि गाइटर इतना बढ़ चुका था कि उसने श्वास नली (ट्रेकिया) और गर्दन की अन्य नाजुक संरचनाओं पर दबाव डालना शुरू कर दिया था।   किन डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन? यह स्थिति गंभीर और जानलेवा हो सकती थी। प्रो. डॉ. मनीष स्वर्णकार और डॉ. कृष्ण कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सावधानीपूर्वक ऑपरेशन किया। कई घंटे चली इस सर्जरी में थायराइड ग्रंथि को हटाया गया, साथ ही यह ध्यान रखा गया कि आवाज की नसें (रिकरेंट लैरिंजियल नर्व) और पैरा-थायराइड ग्रंथियां सुरक्षित रहें। ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और अब मरीज तेजी से ठीक हो रही हैं। जानलेवा हो सकती थी बीमारी इस अवसर पर प्रो. मनीष स्वर्णकार ने बताया कि अगर इलाज में थोड़ी और देर होती तो यह महिला के लिए जानलेवा साबित हो सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि थायराइड से जुड़ी किसी भी समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, समय पर इलाज जरूरी है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ इलाज करना नहीं, बल्कि समय पर लोगों को जीवनरक्षक सेवाएं देना है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं वास्तव में जनकल्याण का माध्यम बन सकें।

वनाधिकार क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ की अग्रणी भूमिका—वन विभाग की सशक्त प्रतिबद्धता का प्रमाण

रायपुर  छत्तीसगढ़ वन विभाग ने अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों प्रकार के वन संसाधन अधिकारों की मान्यता एवं वितरण में देश के अग्रणी राज्यों में रहते हुए सक्रिय, सकारात्मक और सराहनीय भूमिका निभाई है। अब तक प्रदेश में 4,78,641 व्यक्तिगत अधिकार तथा 4,349 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) पत्र वितरित किए गए हैं, जिससे कुल 20,06,224 हेक्टेयर क्षेत्र पर कानूनी अधिकार प्रदान कर लाखों वनवासी परिवारों को सशक्त बनाया गया है। यह उपलब्धि प्रदेश की प्रशासनिक प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और सतत विकास के प्रति दृढ़ निष्ठा का प्रत्यक्ष प्रमाण है। वन विभाग द्वारा सीएफआरआर क्रियान्वयन के दौरान मॉड्यूल प्रबंधन योजनाओं और दिशा-निर्देशों के अभाव में फील्ड अधिकारियों को केवल एक परामर्श जारी किया गया था, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सामुदायिक प्रबंधन योजनाएं राष्ट्रीय वर्किंग प्लान कोड, 2023 से वैज्ञानिक रूप से समन्वित हों। इस परामर्श की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि बिना स्पष्ट ढांचे के फील्ड स्तर पर क्रियान्वयन में असंगति उत्पन्न हो रही थी, जिससे भविष्य में वनों की पारिस्थितिकी के क्षतिग्रस्त होने, स्वीकृत कार्य योजनाओं से टकराव और समुदाय तथा विभागीय विवाद जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका थी। कुछ संस्थाओं एवं ग्राम सभाओं द्वारा इसे अधिकार सीमित करने के प्रयास के रूप में देखा गया, जबकि वास्तव में विभाग का उद्देश्य केवल पारदर्शी, टिकाऊ और कानूनी रूप से मजबूत प्रबंधन की पूर्व तैयारी करना था। दिनांक 15.05.2025 को कार्यालय से जारी पत्र केवल एक अंतरिम प्रक्रिया-संबंधी व्यवस्था थी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि मॉडल योजना जारी होने तक केवल स्वीकृत योजनाएं ही लागू की जाएं। इस पत्र में एक टंकण त्रुटि के कारण वन विभाग को ‘नोडल एजेंसी’ लिखा गया था, जबकि वास्तविक शब्द ‘समन्वयक’ था। इस त्रुटि को 23.06.2025 के परिपत्र से विधिवत सुधार दिया गया। उक्त पत्र तथा स्पष्टीकरण के कारण उत्पन्न भ्रम को दृष्टिगत रखते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार दोनों पत्रों को दिनांक 03.07.2025 को वापस ले लिया गया है। सीएफआरआर क्रियान्वयन को और सुदृढ़ बनाने हेतु छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को औपचारिक अनुरोध भेजे गए हैं, जिनमें अनुरोध किया गया है कि राष्ट्रीय वर्किंग प्लान कोड, 2023 के अनुरूप मॉडल सामुदायिक प्रबंधन योजनाएं तथा विस्तृत क्रियान्वयन दिशा-निर्देश जल्द से जल्द जारी किए जाएं एवं ग्राम सभा प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों के लिए समग्र प्रशिक्षण मॉड्यूल / हैंडबुक प्रकाशित की जाए। छत्तीसगढ़ वन विभाग यह स्पष्ट करता है कि सीएफआरआर का क्रियान्वयन प्रदेश में पूरी पारदर्शिता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं सहभागिता के साथ किया गया है तथा आगे भी परंपरागत ज्ञान को सम्मान देते हुए सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जाता रहेगा।

मुख्यमंत्री साय का विजन – विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के लिए डिजिटल क्रांति को नई गति देने पर बल

  रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि विकसित भारत 2047 के साथ विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के लक्ष्यों को पूर्ण करने और सहज, सरल, त्वरित और पारदर्शिता के साथ सुचारू शासन की दिशा में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की गहन समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों, विशेष रूप से बस्तर और सरगुजा संभागों में नए मोबाइल टॉवर लगाने तथा फाइबर नेटवर्क लाइन बिछाने जैसे कार्यों में तेजी लाई जाए. आने वाले समय में राज्य में समय सीमा के भीतर चरणबद्ध रूप से 5,000 से अधिक मोबाइल टॉवर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-डिस्ट्रिक्ट 2.0 के माध्यम से वर्तमान में विभिन्न विभागों की 85 ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार करते हुए 250 अन्य ऑफलाइन सेवाओं को भी ऑनलाइन सेवाओं में तब्दील किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि योजनाओं का लाभ लोगों को घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त होगा, तो इससे समय की बचत होगी तथा कार्यालय आने-जाने में होने वाला खर्च भी कम होगा. इसके साथ ही टीयर-थ्री के अनुरूप स्टेट डाटा सेंटर को अपग्रेड करने की भी बात कही गई. मुख्यमंत्री साय ने बैठक में प्रदेश में विभाग द्वारा संचालित प्रमुख परियोजनाओं-अटल मॉनिटरिंग पोर्टल, नियद नेल्लानार और L.W.E. सैचुरेशन डैशबोर्ड, भारतनेट फेस-2, छत्तीसगढ़ स्टेट डाटा सेंटर (CGSDC), आधार एनरोलमेंट इन-हाउस मॉडल, ई-डिस्ट्रिक्ट 2.0, सीजी स्वान, ई-प्रोक्योरमेंट तथा कैपेसिटी बिल्डिंग सहित अन्य योजनाओं की प्रगति की जानकारी ली. इस दौरान प्रमुख सचिव निहारिका बारिक ने विगत सवा साल में विभाग द्वारा अर्जित महत्वपूर्ण उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि विगत 4 वर्षों से लंबित डाटा सेंटर के अपग्रेडेशन की निविदा प्रक्रिया पूर्ण की गई, खनिज 2.0 पोर्टल का गो लाइव किया गया, वाई-फाई मंत्रालय योजना तथा ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल सफलतापूर्वक शुरू हुए. इसके साथ ही भारतनेट फेज-2 परियोजना का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया गया और अटल मॉनिटरिंग पोर्टल डैशबोर्ड का निर्माण कर 19 विभागों की 100 योजनाओं के KPI इसमें प्रदर्शित किए गए हैं. इस बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, चिप्स के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रभात मलिक सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

ज्यादातर पश्चिमी देशों में बुर्का पर प्रतिबंध लगाया, अब कजाकिस्तान ने किया बैन

कजाकिस्तान कजाकिस्तान की सरकार ने बुर्का और हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया है. महिलाएं और लड़कियां सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को पूरी तरह ढकने वाले ऐसे कपड़े अब नहीं पहन सकेंगी. कजाकिस्तान सरकार के इस फैसले से लोग आश्चर्य में पड़ सकते हैं, क्योंकि यह एक मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाला देश है. हालांकि, कजाकिस्तान ही नहीं, कई दूसरे मुस्लिम देश भी बुर्का पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. आइए जान लेते हैं कि बुर्का की परंपरा किस मुस्लिम देश से शुरू हुई और कहां इसको लेकर विवाद है? कहां-कहां इसे बैन किया जा चुका है? मिडिल ईस्ट के देश कजाकिस्तान में बुर्का और हिजाब पहनने पर राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव ने पाबंदी लगाई है. कजाकिस्तान में करीब 70 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है. इसके बावजूद वहां बुर्का बैन किया गया है. इस देश में मुस्लिमों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ईसाइयों की है. वहां 25 फीसदी ईसाई, चार फीसदी बौद्ध, यहूदी, बहाई और हिन्दू धर्म के लोग रहते हैं. कजाकिस्तान के एक से दो फीसदी नागरिक ऐसे हैं, जो खुद को नास्तिक मानते हैं. अरबी का शब्द है बुर्का बुर्का एक अरबी शब्द है, जिसका इस्तेमाल सातवीं शताब्दी से होता आया है. वास्तव में बुर्का शब्द का इस्तेमाल जानवरों को सर्दी से बचाने के लिए पूरी तरह से ढंकने वाले एक कवर या महिलाओं के शॉल के लिए किया जाता था. माना जाता है कि पहली बार बुर्का पर्शिया (ईरान) में पहना गया था. इस क्षेत्र में इस्लाम के प्रचार-प्रसार के साथ ही फारसी संस्कृति भी इस्लामी संस्कृति में समाहित हो गई. जानकार बताते हैं कि इस्लामिक धार्मिक पुस्तकों में बुर्का शब्द के स्थान पर हिजाब का इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब है पर्दा या पर्दे की क्रिया. समय के साथ फारस के मुसलमानों ने बुर्का को इस्लामी संस्कृति के रूप में अपना लिया. बुर्का किसी भी व्यक्ति को सिर से पैरों तक ढक लेता है. इसमें हाथों और देखने के लिए ही खुली जगह छोड़ी जाती है. आमतौर पर इसे हल्के कपड़ों से बनाया जाता है और काला या फिर नीला होता है. घर में परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में बुर्का पहनने की जरूरत नहीं होती है. हालांकि, बुर्का ढीला-ढाला ही होता है. यह टाइट फिटिंग का नहीं हो सकता. अरब में भी शुरू में नहीं थी पर्दा प्रथा बुर्का को लेकर अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर विवाद होता रहता है. ज्यादातर पश्चिमी देशों में इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. भारत में भी कई बार शिक्षा संस्थानों और अन्य स्थलों पर बुर्का पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विवाद हो चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स में जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब के हवाले से कहा गया है कि इस्लाम में पर्दे का चलन तो था पर इससे पहले यूनानी सभ्यता में भी पर्दादारी का ऐतिहासिक प्रमाण मिला है. इरफान हबीब की मानें तो शुरू में अरब में महिलाओं को स्वतंत्रता थी और वहां की सभ्यता में पर्दा था ही नहीं. पर्दा प्रथा वास्तव में पैगंबर मोहम्मद साहब के समय में शुरू हुई. कई मुस्लिम देश लगा चुके हैं प्रतिबंध बुर्का पर प्रतिबंध लगाने वाला कजाकिस्तान कोई पहला मुस्लिम देश नहीं है. दुनिया के कई मुस्लिम देशों में बुर्का और हिजाब आदि पर पाबंदी है. इन देशों में अल्जीरिया, तुनिशिया तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान और चाड जैसे मुस्लिम देशों के नाम शामिल हैं. तो इसके अलावा यूरोप के बहुत से देशों में बुर्का और हिजाब को लेकर विवाद होता रहा है. इसके बाद कई देशों में सख्त कानून तक बनाकर इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. यूरोप में सबसे पहले फ्रांस ने लगाया प्रतिबंध यूरोप का पहला देश फ्रांस था, जिसने सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने को पूरी तरह से बैन किया था. सबसे पहले साल 2004 में फ्रांस के सरकारी स्कूलों में छात्रों के किसी भी तरह के धार्मिक प्रतीक पर रोक लगाई गई थी. फिर अप्रैल 2011 में फ्रांस की सरकार ने पूरे चेहरे को ढकने वाले नकाब पर प्रतिबंध लगा दिया था. फ्रांस में इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 150 यूरो का जुर्माना है. वहीं, अगर कोई अन्य व्यक्ति किसी महिला को चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करता है, तो उस पर 30,000 यूरो का जुर्माना लगाया जाता है. वहीं, स्विटजरलैंड मार्च 2021 में सार्वजनिक स्थालों पर सिर पर दुपट्टा पहनने पर प्रतिबंध लगा चुका है. इस प्रतिबंध में मुस्लिम महिलाओं का बुर्का और नकाब’ भी शामिल है. इसके लिए वहां के संविधान में बाकायदा संशोधन किया जा चुका है. वहीं, कनाडा के एक राज्य क्यूबेक में अधिकारिक पदों पर बैठे सरकारी कर्मचारियों के धार्मिक प्रतीक पहनने पर प्रतिबंध है. इन देशों में विवाद के बावजूद बैन साल 2011 में बेल्जियम ने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का अथवा नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था. इसको लेकर मामला कोर्ट तक पहुंचा पर साल 2017 में यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने बेल्जियम के प्रतिबंध को सही ठहराया. अब बेल्जियम में इसका उल्लंघन करने पर जुर्माना अथवा सात दिनों की जेल हो सकती है. वहीं, डेनमार्क में अगस्त 2018 में बुर्का पर पहली बार प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बाद विवाद शुरू हो गया और सैकड़ों लोगों ने कोपेनहेगन में मार्च और प्रदर्शन किया था. हालांकि, डेनमार्क का कानून इस प्रतिबंध को तोड़ने पर जुर्माना तक लगाता है. श्रीलंका में 29 अप्रैल 2021 को नया कानून लागू कर सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार के घूंघट पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. साल 2017 में जर्मनी और ऑस्ट्रिया की संसद भी कानून बनाकर ऐसे कपड़ों पर प्रतिबंध लगा चुकी हैं. हालांकि, जर्मनी में यह प्रतिबंध केवल न्यायाधीशों, सिविल सेवकों और सैनिकों के लिए है. वहीं, साल 2017 में ही चीन भी बुर्का और घूंघट के साथ ही लंबी दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा चुका है.

आंगनबाड़ी भर्ती: 2.5 लाख से अधिक आवेदन, आज है ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि

भोपाल प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के 19,504 पदों पर भर्ती के लिए अब तक 2.70 लाख आवेदन मिल चुके हैं। शुक्रवार को आवेदन करने की अंतिम तिथि है। इस बार आवेदन की प्रक्रिया को आनलाइन रखा गया है। इनमें सुधार के लिए सात जुलाई तक का समय मिलेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पारदर्शिता के लिए भर्ती की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन रखी गई है। एमपी ऑनलाइन के चयन पोर्टल पर एक जनवरी 2025 की स्थिति में 18 से 35 वर्ष आयु तक की महिलाएं आवेदन कर सकती हैं। दस्तावेज भी इसी पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। चयन समिति विभिन्न आधारों पर मेरिट तैयार करेगी। इसके आधार पर नियुक्ति होगी। सर्वाधिक 47 हजार 116 आवेदन इंदौर संभाग से प्राप्त हुए हैं। जबलपुर संभाग में 44 हजार 258, सागर में 33 हजार 513, भोपाल में 28 हजार 850, रीवा से 28 हजार 519, ग्वालियर में 28 हज़ार 413,उज्जैन में 24 हजार 159, चंबल में 14 हजार 829, शहडोल में 10 हजार 406 में और नर्मदापुरम संभाग में 10 हजार 89 आवेदन मिले हैं।

भोपाल रियासत के अंतिम नवाब की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में हाईकोर्ट ने नए सिरे से सुनवाई करने के दिए निर्देश

भोपाल /जबलपुर  भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में दायर अपील की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा साल 2000 में पारित आदेश को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने ट्रायल कोर्ट सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए निर्देशित किया है कि सम्पत्ति उत्तराधिकारी विवाद की सुनवाई नए सिरे की जाए। एकलपीठ अपने आदेश में कहा कि है कि इसे एक साल की निर्धारित समय अवधि में किया जाए। भोपाल रियायत के वंशज का दावा करते हुए बेगम सुरैया रशीद, बेगम मेहर ताज नवाब साजिदा सुल्तान, नवाबजादी कमर ताज राबिया सुल्तान, नवाब मेहर ताज साजिदा सुल्तान एवं अन्य ने भोपाल जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में साल 2000 में दो अपील में दायर की थीं। अपील में कहा गया था कि भोपाल रियासत का भारत संध में विलय 30 अप्रैल 1949 में हुआ था। लिखित समझौते के अनुसार विलय के बाद नवाब के विशेष अधिकार जारी रहेंगे और निजी संपत्ति के पूर्ण स्वामित्व के उत्तराधिकार भोपाल सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम 1947 के तहत होंगे। नवाब की मृत्यु के बाद साजिदा सुल्तान को नवाब घोषित किया गया था। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1962 को पत्र जारी की संविधान के अनुच्छेद 366 (22) के तहत व्यक्तिगत संपत्ति का उल्लेख निजी संपत्ति के रूप में किया था। नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की मृत्यु के पश्चात उनकी निजी संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार वादीगण और प्रतिवादियों के बीच होना चाहिए था। भोपाल जिला न्यायायनल में संपत्ति उत्ताधिकारी की मांग करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिला न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय पारित निर्णय के आधार पर उनका आवेदन खारिज कर दिया था। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के अन्य पहलुओं पर विचार किए बिना इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसार प्रकरण को खारिज कर दिया था। ट्रायल कोर्ट इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विलय करने पर सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम को खारिज कर दिया गया था। विचाराधीन मामला विरासत के विभाजन का है, इसलिए सीपीसी के 14 नियम 23 ए के प्रावधान के मद्देनजर मेरी राय है कि इन मामलों को नए सिरे से तय करने के लिए ट्रायल कोर्ट में वापस भेजा जाए। ट्रायल कोर्ट बदली हुई कानूनी स्थिति के मद्देनजर पक्षों को सबूत पेश करने की अनुमति दे सकता है।  

अब मध्यप्रदेश में बिजली चोरी रोकना होगाआसान, सरकार ‘विद्युत पुलिस थानों’ की शुरुआत करने जा रही

भोपाल  अब मध्यप्रदेश में बिजली चोरी रोकना आसान होगा। गुजरात की तर्ज पर प्रदेश सरकार 'विद्युत पुलिस थानों' की शुरुआत करने जा रही है। इन थानों में प्रतिनियुक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा, जो बिजली विभाग की जांच टीमों के साथ जाकर औचक निरीक्षण करेगा, एफआईआर दर्ज करेगा और केस डायरी तैयार करेगा। पहले चरण में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और रीवा में एक-एक विद्युत थाना खोला जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। सीएम ने बिजली चोरी के मामलों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस बल की आसान उपलब्धता पर जोर दिया। बैठक में बताया गया कि 15 अगस्त से सभी सरकारी कार्यालयों में प्री-पेड मीटर लगाए जाएंगे, जिससे बकाया बिलों की समस्या खत्म हो सके। वहीं, स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को दिन के समय बिजली पर 20% सस्ती दरों का लाभ मिलेगा। यह छूट पहले से उद्योगों को मिल रही थी, अब घरेलू उपभोक्ताओं को भी दी जाएगी। फिलहाल प्रदेश में 21 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जबकि कुल 1.34 करोड़ मीटर लगाने का लक्ष्य है। इस कार्य की धीमी गति पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई और तेजी से कार्य योजना लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “स्मार्ट मीटरिंग बिजली उपयोग में अनुशासन लाएगी और उपभोक्ताओं को फायदा भी होगा।” सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि पंपों को सोलर पंप में बदला जाए, ताकि बिजली लोड कम हो और आपूर्ति बेहतर हो। इसके साथ ही घने पेड़ों के नीचे से गुजरने वाली लाइनों पर कोटिंग कराने के निर्देश भी दिए गए, ताकि बारिश या आंधी के समय बिजली बाधित न हो। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जानकारी दी कि बकाया बिल वसूली के लिए ‘समाधान योजना’ लाई जा रही है। घरेलू, औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को अधिभार में छूट दी जाएगी। यह योजना 6 महीने के लिए लागू होगी। इसके बाद भी बिल न चुकाने वालों के कनेक्शन काट दिए जाएंगे। अगले दो साल में तीनों बिजली वितरण कंपनियों को लाभ में लाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग यूनिट, सौर ऊर्जा, स्मार्ट मीटरिंग और राजस्व वृद्धि पर जोर दिया जा रहा है।

कांवड़ यात्रा को लेकर गाजियाबाद में ट्रैफिक प्लान तैयार, कई रूट होंगे डायवर्ट, यात्रा को लेकर तैयारी तेज

 गाजियाबाद सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं. हर साल लाखों श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन होकर कांवड़ लेकर हरिद्वार से अपने-अपने शहरों की ओर निकलते हैं. इस दौरान सड़क पर भारी भीड़ होती है, जिसे देखते हुए ट्रैफिक और सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है. खासकर दिल्ली-मेरठ रोड पर नियम और कड़े किए जा रहे हैं. वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से जाना होगा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के अनुसार, रूट डायवर्जन प्लान लागू होने के बाद दिल्ली से आने वाले वाहन चौधरी चरण सिंह मार्ग (रोड नंबर 58) का प्रयोग कर यूपी गेट (गाजीपुर बॉर्डर) होते हुए एनएच-9 से जा सकेंगे। वहीं, दिल्ली से जिन्हें हरिद्वार, अमरोहा, मुरादाबाद और लखनऊ आदि स्थानों पर जाना है, वे यूपी गेट से प्रवेश कर एनएच-9 का प्रयोग करते हुए डासना से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे होते हुए जा सकेंगे। इसके अलावा एनएच नौ के जरिये हापुड़ होते हुए मेरठ भी जा सकेंगे। वहीं, बुलंदशहर और हापुड़ की ओर से आने वाले वाहन लालकुआं से सीधे गाजियाबाद शहर की ओर न आकर एनएच-9 का प्रयोग करते हुए दिल्ली जा सकेंगे। जीटी रोड भी बंद होगा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के मुताबिक, सावन के पहले सोमवार से जीटी रोड स्थित दूधेश्वरनाथ मंदिर के आसपास का मार्ग बंद करने की योजना है। अभी बनी योजना के अनुसार, चौधरी मोड़ से हापुड़ तिराहा या मेरठ तिराहा की ओर जाने वाले वाहन घंटाघर फ्लाईओवर से होकर भेजे जा सकते हैं।फ्लाईओवर के नीचे से किसी भी वाहन को जाने नहीं देने की योजना है। विजयनगर की तरफ से भी वाहन को गोशाला बैरियर से आगे दूधेश्वरनाथ की ओर नहीं भेजने की योजना है। हालांकि, यह व्यवस्था श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए लागू की जाएगी। मेरठ तिराहे पर कंट्रोल रूम बनाया गया नगर निगम ने कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। मेरठ तिराहे पर कांवड़ यात्रा पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम बना दिया है। 200 से ज्यादा स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। कैमरों को कंट्रोल रूम से जोड़कर कांवड़ यात्रा पर नजर रखी जाएगी। दस जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है। नगर आयुक्त ने तीन दिन पहले बैठक कर अधिकारियों को कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए। इसी क्रम में निगम के निर्माण विभाग ने मेरठ तिराहे पर कंट्रोल रूम बना दिया है। यह मुख्य कंट्रोल रूम है। कंट्रोल रूम से मेरठ रोड और जीटी रोड पर नजर रखी जाएगी। कैमरों को कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। नगर आयुक्त ने बताया कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ मार्ग पर 24 घंटे सफाई व्यवस्था रहेगी। मेरठ रोड पर दस किलोमीटर तक अस्थाई प्रकाश व्यवस्था की जाएगी। पड़ोसी राज्यों और जनपदों के अधिकारी मौजूद रहे पुलिस लाइन में हुई समन्वयक बैठक में बताया गया कि तीन मुख्य कंट्रोल रूम, एक यातायात कंट्रोल रूम के अलावा 12 सब कंट्रोल रूम के जरिए पूरे कांवड़ मार्ग और यात्रा पर नजर रखी जाएगी। बैठक में पड़ोसी राज्यों और जनपदों के अधिकारी मौजूद रहे। 11 जुलाई से भारी वाहनों पर रोक प्रशासन ने फैसला लिया है कि 11 जुलाई से दिल्ली-मेरठ रोड पर भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी जाएगी. इस दौरान ट्रक, बड़े मालवाहक और दूसरे भारी वाहन इस रास्ते पर नहीं चल सकेंगे. ये कदम कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा और ट्रैफिक जाम से बचने के लिए उठाया गया है. वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू करने की तैयारी यात्रा के दौरान ट्रैफिक को सुचारु रखने के लिए वन-वे सिस्टम भी लागू किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक 22 जुलाई से लेकर 26 जुलाई के बीच किसी भी दिन यह व्यवस्था लागू की जा सकती है. इससे रास्ते में होने वाले जाम और टकराव की स्थिति से बचा जा सकेगा. इन रास्तों पर होगा डायवर्जन दिल्ली से मेरठ, गाजियाबाद होते हुए हरिद्वार जाने वाले रास्तों पर खास ध्यान दिया जा रहा है. जहां जरूरत होगी, वहां डायवर्जन लगाया जाएगा ताकि कांवड़ियों को बिना किसी रुकावट के रास्ता मिल सके. खबर है कि चौधरी मोड़ से हापुड़ तिराहा और मेरठ तिराहा जाने वाले वाहन घंटाघर फ्लाईओवर से होकर भेजे जाएंगे. साथ ही फ्लाइओवर के नीचे से किसी भी वाहन को जाने देने की अनुमति नहीं होगी. यात्रा के बीच में पड़ने वाली टूटी सड़को की मरम्मत शुरू कर दी गई है. पुलिस और ट्रैफिक विभाग के अधिकारी लगातार रूट प्लानिंग कर रहे हैं. कांवड़ियों की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम सुरक्षा के साथ-साथ प्रशासन ने जगह-जगह आराम करने के लिए शिविर, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की भी व्यवस्था की है. साथ ही मेडिकल टीम और वॉलंटियर्स को भी मुस्तैद रखा गया है ताकि किसी भी इमरजेंसी में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके. बता दें कि यह सारी तैयारी इस बार की कांवड़ यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए की जा रही है.

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के पदों की पूर्ति के लिये जारी की गई ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिल रही

भोपाल महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी सहायिका के रिक्त पदों की पूर्ति के लिये जारी की गई ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिल रही है। विभाग द्वारा 19 जून को जारी विज्ञापन के तहत कुल 19,504 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है, जिसमें अब तक 2,70,152 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। भर्ती प्रक्रिया में दस संभागों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए 55,730 और आंगनवाड़ी सहायिका के लिए 2,14,422 आवेदन प्राप्त हुए हैं। आवेदन प्रक्रिया की अंतिम तिथि 4 जुलाई निर्धारित की गई है, जबकि भरे गए आवेदन में सुधार की अंतिम तिथि 7 जुलाई है। उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के कुल 19 हज़ार 504 पदों की पूर्ति के लिए इंदौर संभाग से सबसे अधिक 47 हज़ार 116 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन में 38 हज़ार 601 सहायिका के पद और 8 हज़ार 515 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए आवेदन प्राप्त हुए है। जबलपुर संभाग से कुल 44 हजार 258 आवेदन में से 34 हजार 317 सहायिका के और 9 हजार 941 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के आवेदन प्राप्त हुए है। सागर संभाग से 33 हज़ार 513 में से सहायिकाओं के पद के लिए 27 हज़ार 857 और कार्यकर्ता के लिए 5 हज़ार 656 आवेदन आए है। भोपाल में कुल 28 हज़ार 850 आवेदन प्राप्त हुए है। इनमें सहायिका के पद के लिए 22 हजार 397 और कार्यकर्ता के लिए 6 हज़ार 453 आवेदन प्राप्त हुए है। इसी प्रकार रीवा से 28 हज़ार 519 कुल आवेदन प्राप्त हुए है, जिनमें 23 हज़ार 831 आवेदन सहायिका के और 4 हज़ार 688 आवेदन कार्यकर्ता के लिए प्राप्त हुए है। ग्वालियर संभाग के 28 हज़ार 413 आवेदनों में सहायिका के 22 हज़ार 73 और कार्यकर्ताओं के 6 हज़ार 340 आवेदन प्राप्त हुए है। उज्जैन संभाग से कुल 24 हजार 159 आवेदनों में से सहायिका के 18 हज़ार 711 और कार्यकर्ता के 5 हज़ार 448, चम्बल संभाग के कुल 14 हज़ार 829 आवेदनों में 12 हज़ार 343 सहायिका के और 2 हज़ार 486 आवेदन कार्यकर्ता के पद के लिए प्राप्त हुए है। इसके अतिरिक्त शहडोल संभाग से कुल 10 हज़ार 406 आवेदन प्राप्त हुए है, जिनमें 7 हज़ार 291 सहायिका और 3 हजार 115 कार्यकर्ता के पद के लिए प्राप्त हुए है। नर्मदापुरम से सहायिका के पद के लिए 7,001 और कार्यकर्ता के लिए 3088 कुल 10 हज़ार 89 आवेदन प्राप्त हुए है।