News Aazad Bharat

विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हुई राज सैनी की पेंटिंग, मूड्स ऑफ नरेन्द्र मोदी थीम पर बनाई

 भोपाल भोपाल के वरिष्ठ चित्रकार राज सैनी का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित पेंटिंग वन कैरेक्टर, वन कैनवास, वन आर्टिस्ट के लिए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में दर्ज हुआ है। राज सैनी को यह सम्मान पिछले दिनों इंदौर में आयोजित हुए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के समारोह में दिया गया। सैनी को यह सम्मान हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्रा, पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति विष्णु सदाशिव कोकजे, भजन गायक पद्मश्री अनूप जलोटा, सांसद शंकर लालवानी, स्पेशल डीजी वरुण कपूर ने दिया। उल्लेखनीय है कि राज सैनी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केंद्रित की गई अब तक की सबसे बड़ी पेंटिंग है। पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से कला के क्षेत्र में सक्रिय राज सैनी ने अब तक देश के कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ मुलाकात, कार्यशैली, ऐतिहासिक फैसलों को पोर्ट्रेट के माध्यम से तैयार कर उन्हें भेंट किए हैं। रंग और कूची के माध्यम से कैनवास पर दिया आकार राज सैनी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2014 में इस पेंटिंग को बनाने का निर्णय लिया। इस पेंटिंग को उन्होंने मूड्स ऑफ नरेन्द्र मोदी थीम पर तैयार किया, जिसमें प्रधानमंत्री के विभिन्न देशों में किए गए दौरे, प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मुलाकात, कार्यशैली, ऐतिहासिक फैसलों को शामिल करते हुए उन्हें रंग और कूची के माध्यम से कैनवास पर आकार दिया। राज सैनी कहते हैं कि दो सौ फीट लंबी और पांच फीच चौड़ी इस पेंटिंग को बनाने में उन्हें दो वर्ष का समय लगा था, जिसमें उन्होंने कभी किसी दूसरे कलाकार का सहयोग नहीं लिया और अकेले ही यह पेंटिंग वर्ष 2016 में पूरी की। राज सैनी कहते हैं कि लगभग दो वर्ष पहले वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन की मुझे जानकारी मिली और मैंने इस पेंटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। समय-समय पर टीम के सदस्यों ने मेरे द्वारा भेजी गई तमाम जानकारियों को पुष्टि की और उसके बाद विभिन्न देशों के कुल 100 कलाकारों का चयन किया। मेरा चयन भारत में सबसे लंबी पेंटिंग बनाने की कैटेगरी में हुआ।

मध्यप्रदेश में खत्म होगा प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं का इंतजार, सीएम आज विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरित करेंगे

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज शुक्रवार 4 जुलाई को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में लैपटॉप वितरित करेंगे। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह भी मौजूद रहेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग की प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अथवा उससे अधिक अंक अर्जित करने वाले प्रति विद्यार्थी को 25 हजार रुपये की राशि लैपटॉप क्रय करने के लिये उनके बैंक खाते में अंतरित करेंगे। इस वर्ष 94 हजार 234 विद्यार्थियों को लैपटॉप के लिये 235 करोड़ 58 लाख 50 हजार रूपये की राशि दी जा रही है। कार्यक्रम में प्रदेश के 500 से अधिक विद्यार्थी और शिक्षक सहभागिता करेंगे। प्रदेश में पिछले वर्ष 2023-24 में 89 हजार 710 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बैंक खातों में 224 करोड़ 27 लाख 50 हजार रुपये की राशि अंतरित की गयी थी। प्रदेश में यह योजना वर्ष 2009-10 से संचालित हो रही है। पिछले 15 वर्षों में इस योजना में 4 लाख 32 हजार 16 विद्यार्थियों के बैंक खातों में एक हजार 80 करोड़ 4 लाख रुपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप लैपटॉप के लिये अंतरित की जा चुकी है।  इस बारे में राज्य सरकार की तरफ से जारी प्रेसनोट के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग की इस प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के तहत सालाना कार्यक्रम इस हफ्ते आयोजित होगा। जिसमें राज्य सरकार मप्र माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अथवा उससे ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को 25 हजार रुपए की राशि लैपटॉप खरीदने के लिए उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी। इस वर्ष इस योजना के अंतर्गत 94 हजार 234 विद्यार्थियों को लैपटॉप दिए जाने हैं, और इसके लिए सरकार कुल 235 करोड़ 58 लाख 50 हजार रूपए खर्च करेगी और यह रकम उनके खाते में ट्रांसफर करेगी। कार्यक्रम में प्रदेश के 500 से ज्यादा विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद रहेंगे। प्रदेश में पिछले साल 2023-24 में 89 हजार 710 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बैंक खातों में 224 करोड़ 27 लाख 50 हजार रुपए की राशि ट्रांसफर की गई थी। बता दें कि मध्य प्रदेश में यह योजना वर्ष 2009-10 से संचालित हो रही है। पिछले 15 वर्षों में इस योजना में 4 लाख 32 हजार 16 विद्यार्थियों के बैंक खातों में एक हजार 80 करोड़ 4 लाख रुपए की राशि प्रोत्साहन स्वरूप लैपटॉप के लिए ट्रांसफर की जा चुकी है। एक साल में दूसरी बार वितरण लैपटॉप(Laptop Distribution) के लिए राशि बांटने का काम साल में दूसरी बार है। 21 फरवरी को आयोजन हुआ था। इसमें 89 हजार 710 बच्चों राशि दी गई। ये वे बच्चे थे जिन्होंने 2024 में कक्षा बारहवीं पास की थी। अभी 2025 में परीक्षा पास करने वाले के लिए कार्यक्रम होगा। इसमें 94 हजार बच्चों को शामिल गया है। राजधानी के बच्चों की सूची विभाग को दे चुके हैं। बैंक खाते अपडेट कर बच्चों को सूचित कर दिया गया है।– नरेन्द्र अहिरवार, जिला शिक्षा अधिकार पिछले साल बांटे थे 224 करोड़ रुपए प्रदेश के 94 हजार छात्रों को 235 करोड़ रुपए बांटे जाएंगे। इनमें 10 करोड़ भोपाल के शामिल हैं। पिछले साल प्रदेश में 89 हजार 700 स्टूडेंट को राशि दी गई। उन्हें 224 करोड़ रुपए बांटे गए थे। योजना 2010 में शुरू हुई थी। पहले 85 प्रतिशत या इससे अधिक प्रतिशत लाने वाले बच्चों को फायदा दिया जाता था। बाद में दस प्रतिशत कम कर दिए गए।

भारत के अहमदाबाद शहर को मिल सकती है ओलंपिक मेजबानी, IOC के सामने रखा गया प्रस्ताव

 अहमदाबाद ओलंपिक 2036 की मेजबानी को लेकर इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। भारत इस वक्त ओलंपिक 2036 की मेजबानी हासिल करने की कोशिश में लगा हुआ है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने लुसाने स्थित अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (IOC) के मुख्यालय का दौरा किया। इसमें भारत के केंद्रीय खेल मंत्रालय के कई सीनियर अधिकारी शामिल थे। उस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पीटी उषा ने किया, जो इस वक्त देश की ओलंपिक संघ की अध्यक्ष हैं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वहां अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी के अधिकारियों के साथ मीटिंग की और उन्हें बताया कि ओलंपिक 2036 का आयोजन वह अहमदाबाद में करवाना चाहते हैं। इस तरह से भारत ने आधिकारिक तौर पर ओलंपिक 2036 के आयोजन की दिशा में एक कदम और आगे आगे बढ़ाया है। इस मौके पर आईओसी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को समर गेम्स की मेजबानी के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों के बारे में भी जानकारी दी। एक प्रेस रिलीज के जरिए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण चर्चा थी, जिस दौरान अहमदाबाद में ओलंपिक की मेजबानी करने के बारे में उन्हें बताया गया है। लॉस एंजेलिस में होगा 2032 ओलंपिक का आयोजन बता दें 2028 का ओलंपिक लॉस एंजेलिस में और 2032 ओलंपिक की मेजबानी ब्रिसबेन करने वाला है, ऐसे में भारत की नजरें अब 2036 में होने वाले ओलंपिक गेम्स पर है। भारत के साथ, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्की और चिली जैसे देश 2036 ओलंपिक और पैरालंपिक की मेजबानी की रेस में शामिल हैं। आपको बता दें कि हाल ही में, IOC ने मेजबान देश के सेलेक्शन प्रोसेस में कुछ बदलाव किए हैं। ऐसे में अब देखना ये होगा कि भारत को 2036 ओलंपिक गेम्स की मेजबानी मिलती है या नहीं। IOC के सामने रखी मेजबानी की रूपरेखा भारत ने 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी को लेकर अपना पसंदीदा शहर साफ कर दिया है। लुसाने में हुई बैठक के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) को बताया कि अहमदाबाद भारत की पहली पसंद है। इस घोषणा के साथ ही भारत ने ओलंपिक 2036 की मेजबानी की दिशा में एक अहम और औपचारिक कदम बढ़ा दिया है।  चयन प्रक्रिया फिलहाल स्थगित ओलंपिक 2036 की मेजबानी को लेकर भारत पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन वह अकेला देश नहीं है जो इस दौड़ में शामिल है। भारत के साथ-साथ सऊदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्की और चिली जैसे देश भी 2036 ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने मेजबान देश के चयन की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए हैं। नए IOC अध्यक्ष क्रिस्टी कोवेंट्री ने इस प्रक्रिया की विस्तृत समीक्षा के चलते इसे अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की है। इससे सभी दावेदार देशों को अब थोड़ी और प्रतीक्षा करनी होगी। पिछले साल दावेदारी पेश की थी पिछले साल एक अक्टूबर को भारत सरकार ने लेटर ऑफ इंटेंट के जरिए IOC से गेम्स का आयोजन कराने की इच्छा जाहिर की थी। अहमदाबाद को क्यों चुना गया? भारत की तरफ से ओलिंपिक में पहली बार आधिकारिक रूप से किसी शहर का नाम दिया गया है। भारत की ओलिंपिक कमेंटी ने कहा, अहमदाबाद में ओलिंपिक आयोजित करने से 60 करोड़ युवा भारतीयों को पहली बार देश में ओलिंपिक देखने का मौका मिलेगा। साथ ही भारत ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश देते हुए ओलिंपिक को दुनियाभर के लोगों के लिए एक परिवार जैसा अनुभव बनाया जाएगा। इस मुलाकात में IOC ने प्रतिनिधिमंडल को ग्रीष्मकालीन खेलों की मेजबानी के लिए जरूरी प्रक्रियाओं और मानकों की जानकारी दी। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, बैठक बेहद सकारात्मक रही और इसमें अहमदाबाद में ओलंपिक आयोजन को लेकर भारत की योजना और तैयारियों की रूपरेखा पेश की गई। ओलंपिक कमिटी के साथ मीटिंग के बाद पीटी उषा ने क्या कहा? ओलंपिक कमिटी के अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा, 'भारतीय धरती पर ओलंपिक न केवल एक यादगार आयोजन होगा, बल्कि इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी प्रभाव पड़ेगा।' आपको बता दें कि इससे पहले, भारत ने अक्टूबर 2023 में IOC को एक लेटर लिख कर ओलंपिक 2036 की मेजबानी की मांग की थी।  

मोदी सरकार ने वायुसेना को अपग्रेड करने पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया

नई दिल्ली Su-30MKI Super-30 Project: पिछले 20-25 साल में डिफेंस सेक्‍टर में आमूलचूल बदलाव आए हैं. टेक्‍नोलॉजी में डेवलपमेंट के चलते कन्‍वेंशनल वॉरफेयर का महत्‍व धीरे-धीरे म हुआ है. मॉडर्न एज में एयरफोर्स और नेवी का रोल काफी अहम हो चुका है. इसके साथ ही ड्रोन पर भी काफी ध्‍यान दिया जा रहा है. रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान के बीच हुए युद्ध में इसका नजारा देखने को मिला है. कहीं भी आर्मी का व्‍यापक पैमाने पर इस्‍तेमाल नहीं किया गया. एयरफोर्स की भूमिका काफी अहम रही. एरियल स्‍ट्राइक से दुश्‍मनों को काफी नुकसान पहुंचाया गया. पहलगाम अटैक के बाद भारत की ओर से लॉन्‍च ऑपरेशन सिंदूर में भी आर्मी का सीमित इस्‍तेमाल हुआ. एयरफोर्स के साथ ही मिसाइल ऑपरेशंस की ही मुख्‍य भूमिका रही. ड्रोन भी एक अहम फैक्‍टर के तौर पर उभरा है. मॉडर्न वॉरफेयर में अब ड्रोन को नजरअंदाज करना संभव नहीं है. बदलते माहौल में हर देश के लिए जरूरी हो गया है कि वे अपने आर्म्‍ड फोर्सेज को अल्‍ट्रा मॉडर्न तकनीक से लैस करे. जो देश इस दिशा में इन्‍वेस्‍टमेंट करने में कतरा रहे हैं, वे लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान की जंग ने हर देश को अपने डिफेंस सिस्‍टम को ज्‍यादा से ज्‍यादा मजबूत करने पर मजबूर कर दिया है. आधुनिक हथियार खरीदने की होड़ सी लग गई है. बदले माहौल में भारत भी पीछे नहीं रह सकता है. भारत लगातार अपने आर्म्‍ड फोर्सेज को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रहा है. आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को मॉडर्न वेपन से लैस करने पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. फाइटर जेट से लेकर आर्टिलरी गन, एयर डिफेंस सिस्‍टम, मिसाइल सिस्‍टम, एयरक्राफ्ट कैरियर, वॉरशिप आदि पर हजारों करोड़ का निवेश किया जा रहा है. फाइटर जेट को अपग्रेड करने पर भारत का मुख्‍य फोकस है. भारत में लगातार एयरफोर्स के फाइटर जेट स्‍क्‍वाड्रन को बढ़ाने की बात कही जा रही है. मौजूदा समय में 41 से 42 स्‍क्‍वाड्रन फाइटर जेट की जरूरत है, पर मौजूद महज 31 से 32 स्‍क्‍वाड्रन ही है. ऐसे में इंडियन एयरफोर्स के पास तकरीबन 10 स्‍क्‍वाड्रन फाइटर जेट की कमी है. वायुसेना के साथ ही डिफेंस एक्‍सपर्ट्स की ओर से भी लगातार इसपर गंभीर चिंताएं जताई जाती रही हैं. भारत सरकार और डिफेंस मिनिस्‍ट्री भी इसको लेकर गंभीर हुआ है. खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब इसमें किसी तरह की कोताही बरतने की गुंजाइश न के बराबर बची है. स्‍वदेशी फाइटर जेट के साथ ही पांचवीं पीढ़ी के उन्‍नत लड़ाकू विमान खरीदने पर भी विचार किया जा रहा है हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने मल्‍टीरोल तेजस फाइटर जेट के उत्‍पादन को रफ्तार दी है. इस साल के अंत से इसकी डिलिवरी शुरू होने की उम्‍मीद जताई जा रही है. दरअसल, सुरक्षा के लिहाज से भारत की स्थिति काफी यूनीक है. एक तरफ पाकिस्‍तान है जो आतंकवाद को स्‍टेट पॉलिसी की तरह इस्‍तेमाल करता आ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ चीन है जो अपनी विस्‍तारवादी नीतियों को लगातार हवा दे रहा है. साथ ही सीमाई इलाकों में फौज के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को लगातार बढ़ा रहा है. ऐसे में भारत के लिए आर्म्‍ड फोर्सेज को सशक्‍त बनाना अनिवार्य हो गया है. भारत ने इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है. इंडियन एयरफोर्स फ्लीट की रीढ़ Su-30MKI फाइटर जेट को अपग्रेड के लिए मास्‍टरप्‍लान तैयार किया गया है. इसे सुपर-30 का नाम दिया गया है. रूस के सहयोग से Su-30MKI को अपग्रेड करने का प्रोजेक्‍ट लॉन्‍च किया गया है. सुपर-30 प्रोजेक्‍ट Su-30MKI 4.5 जेनरेशन का फाइटर जेट है. भारत ने इसे रूस से आयात किया है. समय के अनुसार इसमें अब बदलाव की जरूरत महसूस की जाने लगी है, ताकि इसे आज के जमाने के अनुरूप बनाया जा सके. शुरुआत में 84 Su-30MKI फाइटर जेट को अपग्रेड करने की प्‍लानिंग है, जिसमें 3 से 4 साल तक का वक्‍त लग सकता है. इसे सुपर-30 प्रोग्राम का नाम दिया गया है. ‘इंडिया डिफेंस न्‍यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्‍ट पर 2.4 से 7.8 बिलियन डॉलर (66829 करोड़ रुपये) का खर्च आने की संभावना है. अपग्रेडेशन के बाद Su-30MKI फाइटर जेट साल 2055 तक सेवा देने के योग्‍य हो जाएगा. इस अवधि में भारत का देसी फाइटर जेट प्रोजेक्‍ट भी अपने मुकाम तक पहुंच जाएगा और देश पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान अपने घर में ही बनाने में सक्षम हो जाएगा. बता दें कि डीआरडीओ और एचएएल 5th जेनरेशन का फाइटर जेट बनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है. इसके लिए एडवांस्‍ड मीडियन कॉम्‍बेट एयरक्राफ्ट (Advanced Medium Combat Aircraft – AMCA) प्रोजेक्‍ट लॉन्‍च किया है. अगले दस साल में भारत में पांचवीं पीढ़ी का विमान बनने की संभावना जताई गई है. Su-30MKI और होगा घातक Su-30MKI फाइटर जेट को अपग्रेड कर उसे और घातक और प्रभावी बनाने की प्‍लानिंग है. सुपर-30 प्रोग्राम के तहत Su-30MKI लड़ाकू विमान में गैलियम नाइट्राइड बेस्‍ड एक्टिव इलेक्‍ट्रॉनिकली स्‍कैन्‍ड ऐरे रडार (AESA) को इंटीग्रेट करने की योजना है. इसे विरुपाक्ष रडार के नाम से भी जानते हैं, जिसे डीआरडीओ ने डेवलप किया है. इसके माध्‍यम से 300-400 किलोमीटर दूर स्थित टारगेट को डिटेक्‍ट किया जा सकता है. युद्ध के समय में यह काफी कारगर सिद्ध होगा. इसके अलावा Su-30MKI के कॉकपिट को पुरी तरह से डिजिटल बनाया जाएगा. साथ ही 300 किलोमीटर दूर से ही दुश्‍मनों को तबाह करने वाली देसी एयर-टू-एयर मिसाइल को भी इसमें फिट किया जाएगा. अस्‍त्र MK-2 और अस्‍त्र MK-3 गांडीव जैसी मिसाइलों को Su-30MKI में इंटीग्रेट करने की योजना है. F-16 जैसे फाइटर जेट की होगी छुट्टी Su-30MKI फाइटर जेट को अपग्रेड करने के बाद पाकिस्‍तान की हालत जहां और भी खराब हो जाएगी तो वहीं चीन भी किसी तरह का दुस्‍साहस करने की कोशिश नहीं करेगा. दरअसल, साल 2019 में बालाकोट एयर स्‍ट्राइक के दौरान Su-30MKI को पाकिस्‍तानी F-16 लड़ाकू विमान से मुकाबला करने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा था. Su-30MKI के पायलट को खासतौर पर रडार लिमिटेशन की वजह से संघर्ष करना पड़ा था. ऐसे में Su-30MKI को अपग्रेड करने से एफ-16 जैसे फाइटर जेट की छुट्टी होनी तय है. दूसरी तरफ, भारत नेक्‍स्‍ट जेनरेशन फाइटर जेट बनाने की दिशा में भी व्‍यापक पैमाने पर निवेश कर रहा है.  

नेशनल पार्क में घूमना हुआ महंगा, मोहन सरकार ने 10% बढ़ाई एंट्री शुल्क, विदेशी पर्यटकों को चुकानी होगी दोगुनी फीस

भोपाल एमपी में नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में घूमना एक अक्टूबर से महंगा हो जाएगा। सरकार ने मौजूदा प्रवेश टिकट फीस में दस फीसदी की बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। विदेशी पर्यटकों को भारतीय पर्यटकों की बजाय दोगुनी टिकट फीस देनी होगी।   मध्य प्रदेश में वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए जरूरी खबर है। 1 अक्टूबर 2025 से नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व की एंट्री शुल्क 10% तक महंगी हो जाएंगी। मध्य प्रदेश सरकार हर 3 साल में यह शुल्क बढ़ाती है। भारतीय और विदेशी दोनों तरह के पर्यटकों को टिकट शुल्क में बढ़ोतरी के अनुरूप अधिक रकम चुकानी पड़ेगी। जबकि, विदेशी सैलानियों को पहले की तरह दोगुनी फीस देनी होगी। विदेशी सैलानियों पर भी असर वर्तमान में सोमवार से शुक्रवार तक छह पर्यटकों के समूह पर ₹2400 और शनिवार-रविवार को ₹3000 का शुल्क लिया जाता है। एक अक्टूबर के बाद इसमें 10% यानी ₹240 और ₹300 की बढ़ोतरी की जाएगी। यह केवल प्रवेश शुल्क है; इसमें जिप्सी का किराया शामिल नहीं होता, जो अलग से ₹2000 से ₹3500 तक पड़ता है। विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट दर दोगुनी रहेगी, यानी वे इस बढ़ी हुई राशि का भी दुगना भुगतान करेंगे। बुकिंग केवल एमपी ऑनलाइन के माध्यम से प्रदेश सरकार ने साफ किया है कि सभी टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्कों की बुकिंग एमपी ऑनलाइन पोर्टल के जरिए ही की जाएगी। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और अनधिकृत टिकटिंग पर लगाम लगेगी। तीन महीने बंद रहेंगे सभी पार्क मध्यप्रदेश के सभी नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व 1 जुलाई से 30 सितंबर तक हर साल की तरह इस बार भी बंद रहेंगे। इसका प्रमुख कारण मानसून और वन्यजीवों का ब्रीडिंग सीजन है। भारी बारिश के कारण रास्ते खराब हो जाते हैं और नदी-नालों में पानी भर जाने से सफारी खतरनाक हो जाती है। यही कारण है कि वन विभाग हर साल इन तीन महीनों में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगा देता है। टिकट दरों में बढ़ोतरी का आधार राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर 2024 को जारी एक अधिसूचना के तहत यह नीति बनाई थी, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश शुल्क में हर तीन साल में 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। यही नीति अब वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू की जा रही है। इससे पहले इसी अधिसूचना के अंतर्गत मैहर के मुकुंदपुर वाइट टाइगर सफारी, भोपाल के वन विहार, और इंदौर के रालामंडल अभयारण्य की टिकट दरों में ₹5 की वृद्धि की गई थी। राज्य के प्रमुख टाइगर रिजर्व:     कान्हा टाइगर रिजर्व (मंडला-बालाघाट)     पेंच टाइगर रिजर्व (सिवनी-छिंदवाड़ा)     सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (होशंगाबाद)     बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (उमरिया)     संजय टाइगर रिजर्व (सीधी)     पन्ना टाइगर रिजर्व (पन्ना) इन सभी पार्कों में बढ़ी हुई दरें 1 अक्टूबर 2025 से लागू होंगी।

पुतिन के लिए तानाशाह किम जोंग का बड़ा फैसला, 30000 अतिरिक्त सैनिक भेजेगा उत्तर कोरिया

मॉस्को  यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझे रूस को उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने बड़ी मदद भेजने का फैसला किया है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया ने पुतिन की खातिर लड़ने के लिए 30,000 अतिरिक्त सैनिक भेजेगा। सीएनएन ने यूक्रेनी खुफिया दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि ये सैनिक नवम्बर तक रूस पहुंच सकते हैं। इन्हें रूसी टुकड़ी को मजबूती देने के लिए भेजा जा रहा है, जिसमें बड़े पैमाने पर आक्रामक सैन्य अभियान भी शामिल हैं। इसक साथ ही सैटेलाइट से हासिल तस्वीरों में रूस की तैयारियों के संकेत मिले हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में उत्तर कोरियाई तैनाती के लिए पहले इस्तेमाल किए गए जहाजों को रूसी बंदरगाहों में देखा गया और कार्गो विमानों के उड़ान पैटर्न से पता चला कि सैनिकों को रूस लाने वाले मार्ग सक्रिय थे। उत्तर कोरिया ने पिछले साल 11,000 सैनिकों को रूस की तरफ से लड़के लिए भेजा था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अप्रैल में उनकी मौजूदगी की पुष्टि की थी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब अमेरिकी ने यूक्रेन को वायु रक्षा मिसाइलों की खेप रोकने का फैसला किया है। रूस और यूक्रेन में शांति वार्ता रूस और यूक्रेन लंबी लड़ाई के बाद अब शांति की दिशा में कदम उठा रहे हैं। दो दौर की बातचीत लगभग सफल रही और अब क्रेमलिन को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन वार्ता के तीसरे दौर की तारीख जल्द तय हो सकती है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस पर जल्द ही सहमति बन जाएगी। उन्होंने दोहराया कि वार्ता का कार्यक्रम दोनों पक्षों की सहमति से ही तय किया जा सकता है। पेस्कोव ने स्पष्ट किया कि अभी तक कोई निश्चित तारीख तय नहीं हुई है और यह प्रक्रिया आपसी सहमति पर आधारित है। उन्होंने कहा, 'यह एक पारस्परिक प्रक्रिया है।' क्रेमलिन के प्रवक्ता के मुताबिक, अगली वार्ता प्रक्रिया की गति कीव शासन और अमेरिका के मध्यस्थता करने के प्रयासों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, 'जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उसे ध्यान में रखना जरूरी है।' रूस से पंगा क्यों ले रहा अजरबैजान? रूस और अजरबैजान के बीच हाल के दिनों में तनाव तेजी से बढ़ा है। ये दोनों देश कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे और लंबे समय तक एक-दूसरे के करीबी सहयोगी रहे, लेकिन अब एक गंभीर राजनयिक विवाद में उलझ गए हैं। इस तनाव की शुरुआत कुछ खास घटनाओं से हुई, जिन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाई है। अजरबैजान के बारे में बता दें कि इस देश के भारत के भी रिश्ते कुछ खास नहीं हैं। अजरबैजान खुलकर भारत के दुश्मन देश यानी पाकिस्तान का समर्थन करता है। आइए, समझते हैं कि ये तनाव क्यों और कैसे बढ़ा, और इसके पीछे की वजहें क्या हैं। कैसे हुई तनाव की शुरुआत? ये हैं प्रमुख वजहें- 1. येकातेरिनबर्ग में अजरबैजानी नागरिकों की मौत 27 जून को रूस के येकातेरिनबर्ग शहर में रूसी पुलिस ने अजरबैजानी मूल के लोगों के खिलाफ एक बड़ी छापेमारी की। यह छापेमारी 2000 के दशक की कुछ हत्याओं की जांच के लिए थी, जिनमें अजरबैजानी अपराधी गिरोहों का हाथ माना जा रहा था। इस दौरान दो अजरबैजानी भाई, हुसेन और जियाद्दिन सफारोव की हिरासत में मौत हो गई। अजरबैजान का दावा है कि इन दोनों को रूसी पुलिस ने क्रूरता से पीटा और यातना दी, जिससे उनकी मौत हुई। वहीं, रूस का कहना है कि एक की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, और दूसरी मौत की जांच चल रही है। अजरबैजान ने इसे "जानबूझकर हत्या" और "यातना" करार दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव भड़क उठा। 2. अजरबैजान का जवाबी कदम: रूसी पत्रकारों की गिरफ्तारी इस घटना के जवाब में, अजरबैजान ने बाकू में रूसी सरकार द्वारा संचालित मीडिया आउटलेट "स्पूतनिक अजरबैजान" के दफ्तर पर छापा मारा। इस छापेमारी में स्पूतनिक के दो वरिष्ठ पत्रकारों, इगोर कार्ताविख और येवगेनी बेलौसोव सहित सात रूसी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। उन पर धोखाधड़ी, अवैध व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाए गए। इसके अलावा, लगभग 15 अन्य रूसी नागरिकों को ड्रग तस्करी और साइबर अपराध के आरोप में हिरासत में लिया गया। रूस ने इन गिरफ्तारियों को "अनुचित" और "प्रतिशोधी" बताया, जिससे विवाद और गहरा हो गया। इसके साथ ही आठ रूसी आईटी विशेषज्ञों को भी नशीली दवाओं और साइबर अपराध के आरोप में पकड़ा गया, जिनके चेहरे पर गंभीर चोटों के निशान देखे गए। इन तस्वीरों ने रूस में आक्रोश फैला दिया। रूस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अजरबैजान के राजदूत को तलब किया और इसे “संबंधों को कमजोर करने की सोची-समझी कोशिश” करार दिया। जवाब में अजरबैजान ने भी रूसी राजदूत को तलब किया और येकातेरिनबर्ग की घटनाओं की निष्पक्ष जांच, दोषियों की सजा और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग दोहराई। 3. प्लेन क्रैश का पुराना विवाद तनाव की एक और बड़ी वजह दिसंबर 2024 में हुआ एक हवाई जहाज हादसा है। अजरबैजान एयरलाइंस का एक यात्री विमान, जिसमें 67 लोग सवार थे, रूस के ग्रोज्नी शहर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई। अजरबैजान का दावा है कि रूसी हवाई रक्षा प्रणाली ने गलती से इस विमान पर हमला किया। अजरबैजानी मीडिया ने हाल ही में कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी कीं, जिनमें कथित तौर पर रूसी सैन्य अधिकारियों को विमान पर गोली चलाने का आदेश देते सुना गया। रूस ने इस हादसे की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है और उस पर घटना को दबाने का आरोप लगा है। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से औपचारिक माफी की मांग की है, जिसे रूस ने ठुकरा दिया। 4. रूसी स्कूलों पर प्रतिबंध और सांस्कृतिक कदम अजरबैजान ने रूस के खिलाफ अपने गुस्से को जाहिर करने के लिए और भी कदम उठाए। उसने देश में रूसी भाषा के स्कूलों को धीरे-धीरे बंद करने की घोषणा की। अजरबैजान में करीब 340 रूसी भाषा के स्कूल हैं, जिनमें 1.5 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। इसके अलावा, अजरबैजान ने रूस से जुड़े सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और रूसी संसद के साथ नियोजित बैठकों को भी स्थगित कर … Read more

श्रवणमास के पहले सोमवार पर 4 दुर्लभ संयोग, कर लें ये एक काम, महादेव बना देंगे धनवान

सनातन धर्म में सावन का महीना बेहद पवित्र माना जाता है. यह महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस महीने में सच्चे मन से देवों के देव महादेव का विशेष पूजन-अर्चन करता है, उसे महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसकी हर मनोकामना जल्द पूरी होती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है और इसका समापन रक्षाबंधन के पर्व के साथ 9 अगस्त 2025 को होगा.  मान्यताओं के अनुसार, सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है. इस साल सावन के पहले सोमवार पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं. इन दुर्लभ योग में महादेव की उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. सावन सोमवार की तिथियां सावन का पहला सोमवार- 14 जुलाई को है. दूसरा सोमवार 21 जुलाई, तीसरा सोमवार 28 जुलाई और चौथा सोमवार 04 अगस्त 2025 को है.  सावन सोमवार शुभ मुहूर्त ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सावन माह के पहले सोमवार पर अत्यंत शुभ आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है, जो शाम को 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इसके बाद सौभाग्य योग बनेगा. साथ ही इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है और यह योग पूरी रात तक रहेगा. मान्यता है कि इस दौरान महादेव का विधिपूर्वक पूजन करने से जातक दोगुना फल प्राप्त कर सकता है. इसके साथ ही पहले सोमवार पर संकष्टी चतुर्थी भी रहने वाला है, जो इस दिन को और भी खास बना देता है.  सावन सोमवार उपाय सावन के पहले सोमवार पर स्नानादि के बाद व्रत रखें और शिवलिंग का जलाभिषेक कर बेलपत्र अर्पित करें. बेलपत्र अर्पित करते हुए 'ओम् साम्ब सदा शिवाय नमः' मंत्र का जाप करें.