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ओलंपिक 2036: मेजबानी के लिए भारत ने बढ़ाया कदम, दुनिया की नजरें टिकीं

नई दिल्ली भारत ने 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए दावेदारी पेश की है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्विट्जरलैंड के लूजान में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अधिकारियों से मुलाकात कर आधिकारिक तौर पर ओलंपिक मेजबानी का दावा किया। भारतीय ओलंपिक संघ ने पिछले काफी समय से कहा है कि वह ओलंपिक का आयोजन करना चाहता है और उसके लिए प्रयास कर रहा है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा के अलावा केंद्रीय खेल मंत्रालय और गुजरात सरकार के प्रतिनिधि शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने औपचारिक तौर पर मेजबान शहर के तौर पर अहमदाबाद के नाम की दावेदारी की। ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने आईओसी के सामने आधिकारिक तौर पर मेजबान सिटी के तौर पर अपने किसी शहर का नाम दिया है। साल 2032 का ओलंपिक खेल ब्रिसबेन में होना है इसलिए भारत ने 2036 ओलंपिक के लिए दावेदारी की है। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष ऊषा ने कहा है, भारत में ओलंपिक खेल का होना न सिर्फ एक भव्य आयोजन होगा बल्कि उसका सभी भारतीयों पर ऐसा प्रभाव पड़ेगा जो पीढ़ियों में कभी कभार पड़ता है। उषा ने लूजान में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अधिकारियों के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल की बैठक की तस्वीर को सोशल मीडिया पर साझा भी किया है। उन्होंने कहा कि बातचीत काफी अच्छी रही है।  

RSSB ने लाइब्रेरियन ग्रेड III भर्ती परीक्षा 2024 की तारीख की घोषित

जयपुर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) ने लाइब्रेरियन ग्रेड III भर्ती परीक्षा 2024 की तारीख घोषित कर दी है। कुल 548 पदों के लिए यह परीक्षा जुलाई महीने में निर्धारित तिथि को आयोजित की जाएगी। जिन उम्मीदवारों ने आवेदन किया है, वे अब परीक्षा की तैयारी अंतिम चरण में शुरू कर सकते हैं। इस दिन होगी परीक्षा अधिसूचना के अनुसार, राजस्थान लाइब्रेरियन ग्रेड III परीक्षा 27 जुलाई 2025 को दो पालियों में आयोजित की जाएगी। पहली पाली सुबह 10:00 बजे से 12:00 बजे तक और दूसरी पाली दोपहर 3:00 बजे से 5:00 बजे तक होगी। इस भर्ती अभियान का लक्ष्य 2025 तक 548 लाइब्रेरियन पदों को भरना है। पहचान पत्र में फोटो स्पष्ट और अपडेटेड हो अगर आपके पहचान पत्र (ID) में लगी फोटो तीन साल या उससे ज्यादा पुरानी है, तो उसे समय रहते अपडेट कराना जरूरी है। परीक्षा के दिन आपके एडमिट कार्ड में लगी फोटो और पहचान पत्र की फोटो का मिलान किया जाएगा। अगर दोनों में फर्क पाया गया या चेहरा मेल नहीं खाया, तो आपको परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आपकी फोटो हाल की और साफ हो, जिससे पहचान में कोई दिक्कत न हो। उत्तर भरने के नियम परीक्षा में हर प्रश्न के साथ पांच विकल्प (A, B, C, D और E) दिए जाएंगे। पहले चार विकल्प (A से D) उत्तर से संबंधित होंगे, जबकि पांचवां विकल्प 'E' उस स्थिति में भरना होगा जब आप उस प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहते। आपको OMR शीट पर सही उत्तर के लिए केवल एक गोले (A, B, C या D) को नीले बॉल पेन से गहरा कर भरना है। अगर आप किसी प्रश्न को छोड़ना चाहते हैं, तो उसके लिए 'E' विकल्प को गहरा करें। उत्तर भरने से जुड़ी महत्वपूर्ण शर्तें और निगेटिव मार्किंग नियम परीक्षा में अगर आप किसी प्रश्न के पांचों विकल्पों में से कोई भी गोला नहीं भरते, तो उस प्रश्न के अंकों का 1/3 हिस्सा काट लिया जाएगा। इसके अलावा, अगर आप 10% से ज्यादा प्रश्नों के लिए कोई भी गोला नहीं भरते, तो आपको परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। इसलिए हर प्रश्न के लिए या तो सही उत्तर (A, B, C, D) या फिर 'उत्तर नहीं देना' (E) को जरूर गहरा करें। इस प्रक्रिया को सही से पूरा करने के लिए आपको अंत में 10 मिनट का अतिरिक्त समय भी दिया जाएगा ताकि आप यह जांच सकें कि हर प्रश्न के सामने कोई न कोई गोला जरूर भरा हो।  

देशभर में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, आज से 6, 7, 8, 9 जुलाई तक कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट

नई दिल्ली देशभर में मानसून अब रफ्तार पकड़ चुका है और इसके साथ ही खतरे की घंटी भी बजने लगी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आज से 9 जुलाई 2025 के बीच कई राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इस दौरान उत्तर भारत से लेकर मध्य और पूर्वी हिस्सों तक मौसम बिगड़ने के पूरे आसार हैं। पहाड़ी इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन का जोखिम है, जबकि मैदानी राज्यों में बिजली गिरने और तेज हवाओं से जनजीवन प्रभावित हो सकता है। किस राज्यों में जारी हुआ ऑरेंज अलर्ट? IMD ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, चंडीगढ़, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते सतर्कता और तैयारी दोनों जरूरी हैं। पहाड़ी राज्यों में अलर्ट: हिमाचल और उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश: 5 से 7 जुलाई तक शिमला, सोलन, मंडी और किन्नौर जैसे जिलों में भारी बारिश की चेतावनी। पहाड़ों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की आशंका जताई गई है। उत्तराखंड: देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जैसे क्षेत्रों में भारी वर्षा संभावित है। स्थानीय प्रशासन ने नदियों और जलधाराओं के पास जाने से मना किया है। मध्य और पूर्व भारत पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन का असर मध्य प्रदेश: साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में भारी बारिश की संभावना है। छत्तीसगढ़: महासमुंद, रायगढ़, जशपुर, सरगुजा और कोरबा जैसे उत्तरी जिलों में मूसलधार बारिश के आसार हैं। तेज हवाओं (30-40 किमी/घंटा) और गरज-चमक का भी अनुमान है। दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में राहत और चेतावनी दिल्ली और एनसीआर में अगले 5 दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जिससे लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिलेगी। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, जबकि पूर्वी यूपी के गोरखपुर, बलिया, बनारस जैसे जिलों में बिजली गिरने और बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।  राजस्थान: पूर्वी जिलों में भारी बारिश, पश्चिम में हल्की बौछारें -पूर्वी राजस्थान (कोटा, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर आदि) में 5 से 9 जुलाई तक लगातार भारी बारिश का अनुमान है। -पश्चिमी जिलों जैसे जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर में हल्की से मध्यम बारिश संभव है।  IMD की चेतावनी और एहतियात मौसम विभाग ने साफ किया है कि आने वाले दिनों में जलभराव, ट्रैफिक जाम, पेड़ों के गिरने, बिजली गिरने, और भूस्खलन जैसी घटनाओं की संभावना बहुत अधिक है। लोगों से अपील की गई है कि: -नदियों, जलाशयों और निचले इलाकों से दूर रहें। -बिजली कड़कने के समय खुले मैदानों या पेड़ों के नीचे शरण न लें। -भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में यात्रा से बचें। -स्थानीय प्रशासन और मौसम अपडेट्स पर नजर रखें।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा- सामाजिक समरसता से सशक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि समाज के सर्वांगीण विकास और सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की सामाजिक समरसता की भावना के अनुसार सतत प्रयासरत है। उन्होंने कहा है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश के सामाजिक परिदृश्य में तेजी से सकारात्मक बदलाव आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि विकास की मुख्यधारा में हर वर्ग को साथ लेकर चलने से ही सामाजिक एकता मजबूत होती है। सामाजिक समरसता ही वह भावना है जो कठिन परिस्थितियों में भी परस्पर सहयोग और मदद के लिए प्रेरित करती है। सशक्त समाज से ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण होता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में ग्वालियर में शनिवार को ‘समरसता कार्यक्रम’ का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ग्वालियर के जौरासी गांव में बनने वाले अंबेडकर धाम का भूमि-पूजन करेंगे। यह स्थल सामाजिक समरसता, न्याय और समानता के प्रतीक डॉ. अंबेडकर के विचारों का जीवंत केंद्र बनेगा। मुख्यमंत्री इस अवसर पर विभिन्न शासकीय योजनाओं के हितग्राहियों को लाभ वितरित करेंगे, सामाजिक समरसता की शपथ दिलाएंगे और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले नागरिकों को सम्मानित करेंगे। कार्यक्रम में सामाजिक एकता पर विषय विशेषज्ञ अपने विचार व्यक्त करेंगे। इस अवसर पर सहभोज का आयोजन भी किया गया है। दृढ़ सामाजिक समरसता के लिए संकल्पित सरकार राज्य सरकार ने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और योगदान को सम्मान देते हुए सामाजिक समरसता को सशक्त करने के लिए शिक्षा, रोजगार, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक न्याय को केंद्र में रखकर कई योजनाएं शुरू की हैं। डॉ. अंबेडकर के जीवन, विचारों और योगदान को सम्मान देते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के सशक्तिकरण के लिए राज्य शासन की कई प्रभावी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। योजनाओं का उद्देश्य सामाजिक समरसता, आर्थिक उन्नयन, शैक्षिक प्रगति और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण करना है। डॉ. अंबेडकर से जुड़े पांच प्रमुख स्थलों — महू (जन्मस्थली), दिल्ली (महापरिनिर्वाण स्थल), नागपुर (दीक्षाभूमि), मुंबई (चैत्यभूमि) और लंदन (शिक्षा स्थल) — को मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में शामिल किया गया है। महू स्थित डॉ. अंबेडकर की जन्मस्थली का समग्र विकास किया गया है, जिसमें स्मारक, संग्रहालय, पार्क, सभागार और स्वागत द्वार का निर्माण हुआ है। साथ इस “आस्था स्थल” और अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में भी कार्य चल रहा है।भोपाल स्थित डॉ. अंबेडकर स्मारक, पुस्तकालय और भवन का भी नवीनीकरण एवं विस्तार किया गया है। राज्य में वर्ष 2004 से संचालित डॉ. भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना में अनुसूचित जाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण और ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। हाल ही में डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन और पशुपालकों को आर्थिक सहयोग प्रदान करना है। योजना के अंतर्गत 42 लाख तक के ऋण पर 33% तक की सब्सिडी दी जा रही है। डॉ. अंबेडकर उद्योग उदय योजना के माध्यम से एससी-एसटी उद्यमियों को एमएसएमई क्षेत्र में प्रोत्साहन और वित्तीय सहयोग दिया जा रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर मेधावी विद्यार्थी पुरस्कार योजना के अंतर्गत बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को 30 हजार रुपये तक का पुरस्कार दिया जाता है। डॉ. अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना और अंबेडकर फेलोशिप के जरिए उच्च शिक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन को बढ़ावा दिया जा रहा है। सीहोर और मुरैना में स्थापित डॉ. अंबेडकर तकनीकी शिक्षा संस्थानों में आवासीय प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। सागर जिले में डॉ. अंबेडकर वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना अप्रैल माह में की गई है। भोपाल में प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाई-ओवर का नामकरण डॉ. अंबेडकर के नाम पर किया गया है। जून 2025 में अंबेडकर गौशाला विकास योजना को मंजूरी दी गई, जिसके तहत 5 हजार से अधिक पशुओं वाली गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। डॉ. अंबेडकर सामाजिक समरसता अभियान के तहत प्रदेशभर में पंचायत स्तर तक जनसंवाद, रैलियाँ, नाटक, प्रतियोगिताएं और संविधान जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रदेश के कई बस स्टैंड, सड़कें, उद्यान, पुस्तकालय एवं महाविद्यालयों का नामकरण डॉ. अंबेडकर किया गया है। वर्ष 2016 में महू रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अंबेडकर नगर स्टेशन किया गया। केन्द्र सरकार ने डॉ. अंबेडकर के विचारों, योगदान और आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। इनका उद्देश्य सामाजिक न्याय, शिक्षा, सशक्तिकरण और समावेशी विकास को मजबूती देना है। डॉ. अंबेडकर को वर्ष 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके ऐतिहासिक योगदान का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान था। डॉ. अंबेडकर की स्मृति से जुड़े बड़ोदरा स्थित संकल्प भूमि ‘बनयान ट्री कैंपस’ और सतारा (महाराष्ट्र) स्थित प्रताप राव भोंसले हाई स्कूल को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित किया गया है। यहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई थी। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने देश के कई विश्वविद्यालयों में डॉ. अंबेडकर सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है, जिनका उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा में सहायता प्रदान करना है। 

इजराइल के वैज्ञानिक पांढुर्णा और छिंदवाड़ा के किसानों को संतरे की खेती करने के तरीके बताएंगे

पांढुर्णा पांढुर्णा और छिंदवाड़ा के किसानों को इजरायली तकनीक से खेती करने के तरीके सिखाए जाएंगे ताकि किसान मालामाल हो सके. सौंसर के शासकीय संजय निकुंज कुडड्म में निर्माणाधीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिट्रस यानी नींबू वर्गीय पौधों का उत्कृष्ट केन्द्र बन रहा है. यहां इजराइल के वैज्ञानिक किसानों को संतरे की खेती करने के तरीके बताएंगे. इजराइली एम्बेसी के विशेषज्ञ उरी रूबीस्टेन ने यहां का जायजा लिया. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से की चर्चा निर्माणाधीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिट्रस में इजराइली एम्बेसी विशेषज्ञ उरी रूबीस्टेन ने निर्देश दिए कि सेन्टर पर रोपित होने वाले सभी पौधों का रोपण रिज बेड पद्धति से किया जाए. साथ ही पौधारोपण के पहले बेड पर वीड मैट बिछाने के बाद डबल ड्रिप लाइन स्थापित की जाए. जिन किसानों ने रिज बेड पद्धति से संतरा/मौसम्बी पौधों का रोपण किया है, उनकी जानकारी एकत्रित कर डाटाबेस तैयार करने की बात कही. किसानों को टिप्स देने के लिए मौजूद रहेगा टेक्निकल अमला, इजराइल से आएंगे वैज्ञानिक कृषि उपसंचालक जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया "सेंटर शुरू होने से पहले सेंटर एक्सपर्ट अमले की नियुक्ति स्थाई रूप से की जाएगी. जिसमें नर्सरी एक्सपर्ट, फार्म मैनेजर, प्लांट प्रोटेक्शन एक्सपर्ट, अर्चड मैनेजर, वॉटर एक्सपर्ट, तकनीकी प्रशिक्षण विशेषज्ञ व प्रोटेक्टेड फार्मिंग एक्सपर्ट होंगे. साथ ही समय-समय पर इजरायल के कृषि वैज्ञानिक किसानों को खेती करने के लिए यहां आकर टिप्स भी देंगे." क्या होती है रिड्जबेड पद्धति उपसंचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया "खेतों में पर्याप्त नमी रखने के लिए रिज बेड विधि का उपयोग किया जाता है. इस तकनीक में बुवाई फैरो इरीगेटेड रिज बेड प्लांटर से की जाती है. इसमें प्रत्येक दो कतारों के बाद 25 से 30 सेमी चौड़ी और 15 से 20 सेमी गहरी नाली या कूड़ बनाई जाती है. जिससे फसल की कतारें उभरे हुए बेड पर आ जाती हैं. रबी के मौसम में यह नाली सिंचाई के काम आती है, जिससे नमी अधिक समय तक बनी रहती है. साथ ही मेढ़ से मेढ़ की पर्याप्त दूरी होने के कारण पौधों को सूर्य की किरणें अधिक मात्रा में मिलती हैं." डेमो प्लांट किया जाएगा विकसित वैज्ञानिक ने यहाँ पर एक डेमो प्लांट लगाने की सलाह दी है जिसमें सभी नए किस्मों के पौधों का रोपण रिज बेड पद्धति से किया जाएगा. पौधे तैयार करने के लिए लगने वाली रोपण सामग्री के रूप में कोकोपिट एवं परलाइट, गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग ना करके पौधारोपण के पहले पौधारोपण स्थल की मिट्टी का उपचार किया जाएगा. पौधों को मिट्टी जनित रोगों से बचाया जा सकेगा. रोपण से पहले प्राप्त होने वाले मातृ पौधों की किस्म की जाँच एवं पौधों पर किसी भी प्रकार के वायरस/ रोग न हो इस बात की पुष्टि करने के बाद किसानों को दिए जाएंगे. रूट स्टॉक से तैयार होते हैं संतरे के पौधे संतरे के पौधे तैयार करने की एक अलग तकनीक होती है जिसमें ज्यादा सहनशीलता वाले नींबू के तने को लिया जाता है. उसमें अच्छी उपज और वैरायटी वाले संतरे की स्वस्थ टहनी को काटकर ग्राफ्टिंग कर दी जाती है. करीब 60 दिनों तक ग्राफ्टिंग के बाद टहनी उसमें लग जाती है और ज्यादा उपज देने वाला संतरे का पौधा तैयार हो जाता है. फिर खेत में गहरे गड्ढे खोदकर इसे रोपित किया जाता है. इसे रूट स्टॉक से तैयार पौधा कहा जाता है. साढ़े 4 लाख टन उत्पादन विदेश में खपत कृषि उपसंचालक जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया "छिंदवाड़ा, पांढुर्ना, सौसर, बिछुआ और दूसरे ब्लॉक में करीब 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उगाए जाते हैं. इस क्षेत्र में लगभग 4.5 लाख टन संतरे का उत्पादन होता है. देश के दूसरे राज्यों के अलावा नेपाल और बांग्लादेश में संतरे की सप्लाई की जाती है." इंडो इजराईल प्रोजेक्ट के तहत बन रहा है सेंटर 2022 में इजराइल एवं भारत के द्विपक्षीय संबंध को 30 साल पूरे होने पर दोनों देशों ने कृषि सहयोग एवं जल प्रबंधन को लेकर कई नवाचार किया था. इसी के तहत मार्च 2022 मे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और इजराइल के काउंसिल जनरल के बीच हुई भेंट के बाद इजराइली कृषि व बागवानी विशेषज्ञ यायर ऐशेल ने पहली प्रदेश यात्रा की थी. जिसके चलते इजराईली दल के सामने 50 एकड़ में इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी. 

कोर्ट ने कहा कि बच्चों के लिए पति को भरण-पोषण राशि देनी ही होगी, भले ही पत्नी कमाती क्यों न हो

इंदौर अपने पति से विवाद के बाद बच्चों को लेकर अलग रहने वाली पत्नी ने भरण-पोषण की राशि के लिए कुटुंब न्यायालय में परिवाद लगाया. पत्नी ने फरियाद की कि पति से उसे भरण-पोषण की राशि नियम के अनुसार मिलनी चाहिए. क्योंकि बच्चे उसके पास हैं. उसने पति के साथ रहने की काफी कोशिश की लेकिन वह न तो मुझे और न ही बच्चों को साथ रखना चाहता है. दंपती के दो बच्चे हैं, 8 साल से विवाद मामले के अनुसार महिला ने अपने एडवोकेट रघुवीर सिंह रघुवंशी के माध्यम से पति संदीप से हर महीने भरण पोषण के रूप में एक तय रकम देने की मांग की. इसके लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद लगाया गया. इसमें बताया गया "उसकी शादी संदीप से 11 मार्च 2012 में हुई थी. उसके दो बच्चे हैं. बेटी की उम्र 12 साल और बेटे की उम्र 10 साल है. शादी के बाद से ही छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होने लगा. 2017 में विवाद इतना बढ़ गया कि पति ने उसकी पिटाई कर दी." पति ने बताया- पत्नी हर माह 20 हजार कमाती है महिला ने बताया "पिटाई के दौरान बीचबचाव करने आए बेटे को भी धक्का दे दिया गया. वह सीढ़ियों से गिर गया और उसके सिर पर भी चोट आई. लेकिन पति ने उसका इलाज न करवाते हुए उसे और दोनों बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया. इसके बाद पति ने दूसरी शादी भी कर ली." कोर्ट में सुनवाई के दौरान पति की ओर से दलील दी गई "पत्नी ₹20 हजार प्रति माह कमाती है और वह बच्चों के साथ खुद का भी भरण पोषण कर सकती है." जब से पति-पत्नी अलग हुए, तभी से देनी होगी राशि पत्नी ने कोर्ट को बताया "उसका पति इंजीनियर है और हर महीने 75 हजार रुपए प्रति महीने कमाता है." कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आदेश दिया "पति हर महीने अपनी बड़ी बेटी को ₹15000 और बेटे को ₹7000 महीने की 10 तारीख को दे. ये राशि बच्चों की मां मां के पास जाएगी." कोर्ट ने ये भी कहा कि जिस दिन पति-पत्नी अलग हुए थे, उसी दिन से ये राशि देनी होगी. यदि पति ने बीच में कोई राशि पत्नी और बच्चों को दी है तो इसे समायोजित किया जा सकता है. 

प्रदेश के सभी विद्यालयों में 10 जुलाई गुरूवार को गुरू पूर्णिमा के मौके पर 2 दिवसीय उत्सव का आयोजन किया जायेगा

भोपाल  प्रदेश के सभी विद्यालयों में 10 जुलाई गुरूवार को गुरू पूर्णिमा के मौके पर 2 दिवसीय उत्सव का आयोजन किया जायेगा। यह आयोजन 9 और 10 जुलाई को होगा। इस संबंध में आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं। निर्देश में कहा गया है कि पहले दिन 9 जुलाई को विद्यालय में प्रार्थना सभा के बाद शिक्षकों द्वारा गुरू पूर्णिमा के महत्व और पारंपरिक गुरू-शिष्य संस्कृति के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी जायेगी। विद्यालय में प्राचीन काल में प्रचलित गुरूकुल व्यवस्था एवं उसका भारतीय संस्कृति में प्रभाव विषय पर बच्चों के बीच में निबंध लेखन प्रतियोगिता की जायेगी। विद्यालयों के प्राचार्यों से कहा गया है कि आयोजन के दौरान साधु-संतों, गुरूजनों, सेवानिवृत्त शिक्षकों, विद्यार्थियों और नागरिकों को आमंत्रित किया जाये। इन आयोजन में विद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों को भी आमंत्रित किया जा सकता है। पूर्व विद्यार्थी अपने शाला जीवन के अनुभव को विद्यार्थियों के बीच साझा करेंगे। उत्सव के दूसरे दिन 10 जुलाई को गुरू पूर्णिमा के दिन प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं में वीणा वादिनी माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण कर गुरू वंदना की जायेगी। विद्यालयों में पदस्थ शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा गुरू की महिमा पर केन्द्रित व्याख्यान होंगे। इसी के साथ इस दिन गुरूजनों एवं शिक्षकों का सम्मान भी किया जायेगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों में भारतीय मूल्यों संस्कृति आधारित शिक्षा के लिये कई उललेखनीय कदम उठाये गये हैं। उनमें से एक विद्यालयों में गुरू पूर्णिमा का आयोजन किया जाना भी एक है।  

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जीसीएफ को नौ साल बाद एलएफजी के बड़े उत्पादन का यह लक्ष्य मिला

जबलपुर  मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित तोपगाड़ी निर्माणी (जीसीएफ) 18 लाइट फील्ड गन (एलएफजी) का निर्माण कर रही है, जिसे अब बढ़ाकर 36 करने का निर्णय लिया गया है। यह वृद्धि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ती मांग के कारण हुई है। कुछ महीनों में पहली खेप में शामिल 18 एलएफजी का उत्पादन पूरा हो जाएगा। बड़े उत्पादन का लक्ष्य मिला जीसीएफ को नौ साल बाद एलएफजी के बड़े उत्पादन का यह लक्ष्य मिला है। इसके साथ ही, जीसीएफ बोफोर्स के अपग्रेड वर्जन धनुष तोप की मारक क्षमता को 45 से बढ़ाकर 52 कैलिबर बैरल करने की योजना बना रही है। धनुष तोप सेना की ताकत को और बढ़ाएगी बता दें कि धनुष तोप की 52 कैलिबर बैरल की मारक क्षमता के प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण पोखरण और बालासोर में किया गया है। परीक्षण में तोप ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भविष्य में 52 कैलिबर बैरल के साथ धनुष तोप सेना की ताकत को और बढ़ाएगी। जीसीएफ के अधिकारियों के अनुसार, परीक्षण के परिणामों के आधार पर तोप का उत्पादन शुरू होगा। लाइट फील्ड गन की विशेषताएं यह 105 मिमी की एक उन्नत फील्ड आर्टिलरी हथियार प्रणाली है, जो हल्केपन और ताकत का संयोजन करती है। इसे दो क्रू सदस्य, एक गनर और एक लोडर, संचालित करते हैं। इसकी पोर्टेबिलिटी इसे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोगी बनाती है। यह छह राउंड प्रति मिनट की तीव्रता से लक्ष्य भेदने में सक्षम है।  

समन्वय भवन में 5 जुलाई को होगा कार्यक्रम, मुख्यमंत्री डॉ. यादव होंगे मुख्य अतिथि

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर सहकारी युवा संवाद 5 जुलाई को सुबह 10 बजे समन्वय भवन में आयोजित किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव युवाओं से सहकारी युवा संवाद करेंगे। कार्यक्रम को सहकारिता मंत्री सारंग भी संबोधित करेंगे और अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णबाल द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया जायेगा। अतिथियों एवं युवाओं के मध्य समावेशी एवं संवहनीय विकास में सहकारिता की भूमिका विषयक संवाद होगा। इस दौरान राज्य सहकारी संघ द्वारा क्रियान्वित भारत सरकार हस्तशिल्प विभाग के सीएचसीडीएस स्कीम के हस्तशिल्प प्रशिक्षणार्थियों को टूलकिट वितरण भी होगा। राज्य सहकारी संघ एवं अपेक्स बैंक ट्रेनिंग कॉलेज द्वारा इस संयुक्त आयोजन में विषय विशेषज्ञों द्वारा सहकारिता की अवधारणा एवं विकास, सहकारिताओं के प्रकार, सहकारिता की वैधानिक पृष्ठभूमि, सहकारी सेक्टर में स्वरोजगार की संभावनाएं और “सहकार से समृद्धि” योजना का विवरण एवं प्रगति के बारे में जानकारी दी जायेगी। कार्यक्रम की शुरूआत सहकारी गीत गायन से होगी। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा सहकारी ध्वजारोहण एवं सहकारिता पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन भी किया जायेगा।  

अब लगाइए खूब तड़का आई गिरावट: सालों बाद सौ के नीचे पहुंचा दाम, अरहर दाल MSP पर खरीद रही मोहन सरकार

भोपाल अरहर दाल की कीमत अब जाकर तीन साल बाद सौ रुपए के अंदर पहुंची है। 2022 में अरहर दाल की कीमत 100 से 110 रुपए थी, अब यही कीमत इस समय हो गई है। चिल्हर में अच्छी क्वालिटी की दाल 100 रुपए और बहुत ज्यादा अच्छी क्वालिटी की कटनी की उपहार दाल 110 रुपए में मिल रही है। बीते साल के दिसंबर में ही अरहर दाल की कीमत चिल्हर में 180 रुपए थी। बीते साल तो इसके दाम दो सौ रुपए के पार भी गए। थोक में ही इसकी कीमत 190 रुपए तक चली गई थी। दूसरी दालों के दाम भी अब कम हो गए हैं। ज्यादातर दालों के दाम इस समय थोक में सौ रुपए के अंदर हैं। चिल्हर में दाम कुछ सौ रुपए के अंदर हैं। चिल्हर में दाम कुछ ज्यादा हैं।  भारत में ज्यादातर घरों में अरहर की दाल हर दिन बनने वाले भोजन में से एक है. शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का ये एक बड़ा आधार भी है. दाल फ्राई और दाल तड़का के शौकीन आपको जगह-जगह मिल जाएंगे. इसीलिए अरहर कितना भी महंगा क्यों न हो, थोड़ी ही सही लेकिन हर व्यक्ति खरीदता जरूर है. ऐसे में आम लोगों के लिए ये दाल कितना अहम है, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. अब आम लोगों से जुड़ी खबर ही है, कि सालों बाद अरहर दाल के दाम 100 रुपए के आसपास आ चुके हैं. जो आम लोगों को राहत देने वाली खबर है. सालों बाद अरहर दाल हुआ है सस्ता अरहर दाल जिसे तुअर दाल, राहर दाल के नाम से भी जाना जाता है. साल 2022 में इसके दाम 100 रुपए से लेकर 110 रुपए तक आये थे. फिर उसके बाद अरहर दाल के दाम कुछ इस कदर बढ़े कि वो 200 रुपए तक पहुंच गया था. लंबे समय तक लोगों को अरहर दाल खाने के लिए महंगाई की मार झेलनी पड़ रही थी, लेकिन 3 साल बाद ही सही एक बार फिर से अरहर दाल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. तुअर दाल के दाम कम हुए  अब वर्तमान में अरहर दाल की कीमत पहले से बहुत कम है. अलग-अलग क्वालिटी में अरहर दाल 80 रुपए से लेकर के 110 रुपए किलो तक बाजार में बिक रहा है. शहडोल सूर्या मार्ट के शशांक जैन बताते हैं कि "कई सालों बाद अरहर दाल के दाम इतने कम हुए हैं. इससे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी." अलग-अलग दालों की कीमत किराना दुकान चलाने वाले अभिषेक गुप्ता बताते हैं कि "अरहर दाल की घटती कीमतों से उपभोक्ताओं को लंबे वक्त बाद थोड़ी बहुत राहत मिली है. तुअर दाल खुले बाजार में 80 रुपए से लेकर के 110 रुपए तक ब्रांड और क्वालिटी के हिसाब से बिक रहे हैं. उड़द दाल की बात करें तो 90-100 रुपए के आसपास बिक रहा है. मसूर दाल लगभग 70-80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. चना दाल भी 80-90 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. क्वालिटी के हिसाब से दाम थोड़े बहुत ऊपर नीचे हो सकते हैं, लेकिन जिस तरह से कई सालों के बाद अरहर दाल के दाम घटे हैं. उसने सालों बाद उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है." किचन के बजट पर राहत महीने भर का राशन लेने गईं हाउस वाइफ पार्वती और पूजा तिवारी "अरहर दाल के सस्ता होने पर खुश हैं. उनका कहना है कि थोड़ी ही सही दाल की महंगाई से राहत तो मिली. किचन के बजट में भी थोड़ी बहुत बचत होगी, क्योंकि तुअर दाल एक ऐसी चीज है. जिसे कितना भी महंगा क्यों न हो, खरीदना ही पड़ता है. घर में हर दिन खाने में इसे बनाना जरूरी भी होता है, क्योंकि इसे पौष्टिक आहार में से एक माना जाता है. क्यों सस्ता हुआ दाल ? इतने सालों तक अरहर दाल की कीमत आसमान छू रही थी, लेकिन मौजूदा साल आखिर ऐसा क्या हुआ जो अरहर दाल की कीमत पिछले तीन साल के बराबर आ चुकी है. इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, दलहन में अगले 4 सालों में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प के बीच अब बड़ी तादाद में दाल के आयात को प्राथमिकता दी जा रही है. जिससे दाल की कीमत में गिरावट आ रही है. तुअर दाल की कीमत क्यों हुई कम  विदेश व्यापार महानिदेशालय डीजीएफटी की जारी अधिसूचना के मुताबिक तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात की नीति 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है. भारत में मूंग के अलावा सभी तरह की दाल अरहर, उड़द, मसूर, चना और पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात जारी रखे हुए हैं. जिससे अरहर जैसे दालों की कीमत टूटी है. अरहर का बड़ा उत्पादक, फिर भी बड़ा आयात अब ये बात आपको थोड़ी असहज जरूर कर सकती है कि भारत दलहन फसलों के उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर है. मतलब दलहन फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन फिर भी विश्व का सबसे बड़ा आयातक भी भारत ही है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि भारत जितना भी उत्पादन दलहनी फसलों की करता है, वो उसकी जनसंख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं है, मतलब खपत ज्यादा है. इसलिए उसे दूसरे देशों से भी दाल आयात करनी पड़ती है. भारत कहां से करता है दाल आयात भारत दाल का बड़ा आयातक है और मौजूदा वित्त वर्ष भी भारत ने काफी तेजी से दाल को अलग-अलग देशों से आयात किया है. भारत में दाल के आयात की बात करें तो अरहर और उड़द दाल ज्यादातर अफ्रीकी देशों से किया जाता है. कुछ म्यांमार से भी करता है, जबकि चना, मटर और मसूर जैसे दालों का आयात ऑस्ट्रेलिया रूस और कनाडा जैसे देशों से करता है. मध्य प्रदेश भी अरहर का बड़ा उत्पादक दलहनी फसल अरहर के उत्पादन की बात करें तो मध्य प्रदेश भी अरहर का एक बड़ा उत्पादक राज्य है. यहां के दाल की भी अच्छी खासी डिमांड है. अरहर उत्पादन में देश में महाराष्ट्र, कर्नाटक तो सबसे ज्यादा उत्पादन करते ही हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश भी इस मामले में तीसरे नंबर पर है. हलांकि इसके जानिए अरहर की फसल के बारे में अरहर की खेती खरीफ सीजन से ही शुरू हो जाती है. ये ज्यादा दिन की फसल होती है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंन्द्र … Read more