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टेक्सटाइल एवं गारमेंट क्लस्टर में मध्यप्रदेश के 22 एमएसएमई उद्यमियों का एक्सपोज़र विजिट

भोपाल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार की रैंप योजना एवं मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के नेतृत्व में 3 से 5 जुलाई 2025 तक सूरत के विख्यात टेक्सटाइल एवं गारमेंट क्लस्टर में मध्यप्रदेश के 22 एमएसएमई उद्यमियों का एक्सपोज़र विजिट जारी है। लघु उद्योग निगम इस विजिट की नोडल एजेंसी है। इस एक्सपोज़र विजिट में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, मंदसौर, धार, गुना आदि से चयनित एमएसएमई इकाइयों ने भाग लिया। इनका चयन पूर्व निर्धारित पात्रता मानदंडों के आधार पर किया गया जिससे उच्च विकास क्षमता वाली इकाइयों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इस भ्रमण का उद्देश्य एमएसएमई उद्यमियों को देश के प्रमुख औद्योगिक क्लस्टरों से अवगत कराना, सफल व्यावसायिक मॉडल से सीखने का अवसर देना और व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से उनके कौशल को विकसित करना है। दौरे के पहले दिन गुरूवार को रैंप योजना के राज्य नोडल अधिकारी तथा उप मुख्य महाप्रबंधक- लघु उद्योग, श्री अनिल थागले ने प्रतिभागियों को योजना और इस दौरे के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी। मुख्य महाप्रबंधक ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया और इस प्रकार के अध्ययन दौरों की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस पहल से एमएसएमई इकाइयों को न केवल आधुनिक औद्योगिक प्रक्रियाओं को समझने का अवसर मिलता है बल्कि वे अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाकर प्रतिस्पर्धात्मक रूप से आगे भी बढ़ सकते हैं। दक्षिण गुजरात चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री निखिल मद्रासी, मैन मेड टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (मंत्रा) के अध्यक्ष एवं प्रमुख उद्योगपति श्री रजनीकांत बच्छानीवाला तथा निदेशक श्री अरूप ने औद्योगिक क्लस्टरों पर आधारित उपयोगी जानकारियां साझा कीं। इन विशेषज्ञों ने क्लस्टर आधारित विकास, नवाचार और सहयोग के अवसरों पर प्रकाश डाला। एक्सपोज़र विजिट के दौरान प्रतिभागियों ने श्री योगानंद टेक्सटाइल्स प्रा. लि., प्लस के लाइट फैशन प्रा. लि., मंत्रा, लक्ष्मीपति समूह की इकाइयों आदि का भ्रमण कर बड़े पैमाने पर उत्पादन, ब्रांडिंग और विपणन रणनीतियों को भी समझा। उद्यमियों ने बताया कि विजिट में उन्हें उन्नत उत्पादन तकनीकों और बेहतर प्रबंधन तरीकों की जानकारी मिली। नेटवर्किंग, संभावित सहयोग और विस्तार के नए अवसरों की भी पहचान हुई। यह दौरा इस बात का भी परिचायक बना कि कैसे एमएसएमई इकाइयाँ देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और अपने क्षेत्रों में रोजगार सृजन व सामाजिक विकास को आगे बढ़ा सकती हैं। यह कार्यक्रम राज्य शासन की ज्ञान आदान-प्रदान एवं क्षमता निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।  

भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा अगले कुछ दिनों में, सूत्रों के मुताबिक तीन प्रमुख महिला नेताओं के नाम चर्चा में

नई दिल्ली  लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर चल रही खींचतान के बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि भाजपा पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने हाल के वर्षों में महिला मतदाताओं को लुभाने में सफलता पाई है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में यह सफलता मिली है। आपको बता दें कि जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था, लेकिन पार्टी ने उन्हें जून 2024 तक का विस्तार दिया था। अब नए अध्यक्ष की घोषणा अगले कुछ दिनों में हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक तीन प्रमुख महिला नेताओं के नाम चर्चा में हैं। निर्मला सीतारमण वर्तमान वित्त मंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पार्टी संगठन में गहरी पैठ और केंद्र सरकार में लंबे अनुभव के चलते सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं। हाल ही में उन्होंने भाजपा मुख्यालय में जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की थी। उनका दक्षिण भारत से आना भाजपा के दक्षिण विस्तार रणनीति के लिए भी फायदेमंद माना जा रहा है। डी. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश भाजपा की पूर्व अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी काफी अनुभवी और बहुभाषी नेता हैं। कई राजनीतिक दलों के साथ काम करने का अनुभव और पार्टी में व्यापक स्वीकार्यता है। उन्हें ऑपरेशन सिंदूर जैसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक अभियान का हिस्सा भी बनाया गया था। वनाथी श्रीनिवासन तमिलनाडु की कोयंबटूर दक्षिण सीट से विधायक और भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी वनाथी श्रीनिवासन 1993 से भाजपा से जुड़ीं और संगठन में कई पदों पर रही हैं। 2022 में केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनीं और ऐसा करने वाली पहली तमिल महिला नेता। संघ का समर्थन सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी इस विचार को समर्थन दिया है कि भाजपा को अब एक महिला को शीर्ष नेतृत्व में लाना चाहिए। यह कदम 33% महिला आरक्षण विधेयक की भावना के अनुरूप भी होगा, जिसका प्रभाव अगले परिसीमन के बाद लोकसभा में दिखेगा।

काम मत करो, बच्चे पैदा करो… आबादी बढ़ाने के लिए चीन की जनता को मिलेंगे ₹12 लाख

बीजिंग  दुनिया भर के तमाम देशों में घटती युवा आबादी चिंता का सबब बनी हुई है. सरकारें युवाओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए मां और उसके नवजात शिशुओं के लिए कई स्कीमें भी ला रही हैं, लेकिन फिर भी जन्म दर नहीं बढ़ रही. लिहाजा अब जच्चा-बच्चा के बाद अब पुरुषों यानी पिता को प्रोत्साहन देने की तैयारी है. चीन इसमें पहल करेगा और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले पिता भी अब मालामाल होंगे. बच्चों के जन्म पर पिता को भी नकद इनाम मिलेगा.  चीन के सबसे अधिक आबादी वाले सिचुआन प्रांत ने शादी की छुट्टी को 3 से बढ़ाकर 20 दिन कर दिया है. अगर आप शादी से पहले मेडिकल चेकअप भी कराते हैं तो आपको 5 दिन की और छुट्टी मिल जाएगी. यानी कुल 25 दिन की छुट्टी, वो भी पूरी सैलरी के साथ. ये प्रस्ताव फिलहाल जून महीने तक लोगों की राय के लिए खुला है. क्यों देना पड़ा छुट्टियों का ये तोहफा? कन्फ्यूशियस की धरती कहे जाने वाले शेडोंग प्रांत में भी शादी की छुट्टी अब 18 दिन कर दी गई है. शांक्सी और गांसू जैसे प्रांतों ने तो इसे और आगे बढ़ाकर 30 दिन तक कर दिया है. चीन में फिलहाल केंद्र स्तर पर सिर्फ 3 दिन की शादी छुट्टी का प्रावधान है जो 1980 से चला आ रहा है. दरअसल, चीन में शादी करने वाले लोगों की संख्या लगातार घट रही है. 2025 की पहली तिमाही में केवल 1.81 मिलियन जोड़ों ने शादी की रजिस्ट्रेशन करवाई, जो पिछले साल के मुकाबले 8% कम है. 2023 में थोड़ी बढ़त के बाद आंकड़े फिर गिर गए और अब ये स्तर 1980 के बाद सबसे नीचे है. कितने पैसे मिलेंगे ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन सरकार बच्चे पैदा करने वाली माता को हर साल 3,600 युआन देगी। भारतीय रुपये में यह लगभग 42,000 रुपये होता है। यह पैसा बच्चे के तीन साल के होने तक मिलता रहेगा। स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। उल्लेखनीय है कि इस समय चीन की जनसंख्या 141.05 करोड़ है। क्यों आई ऐसी नीति चीन में बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है। इसलिए सरकार यह कदम उठा रही है। पिछले साल, चीन में सिर्फ 95.4 लाख बच्चे पैदा हुए। साल 2016 में यह संख्या लगभग दोगुनी थी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने साल 2016 में चीन ने 'एक बच्चा नीति' को खत्म कर दिया था।स चीन में 'वन चाइल्ड पॉलिसी' खत्म हुए लगभग दस साल हो गए हैं। लेकिन, इसके बाद भी परिवार ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। वहां शादी करने वाले लोगों की संख्या भी पिछले पचास सालों में सबसे कम हो गई है। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में और भी कम बच्चे पैदा होंगे। चीन की स्थानीय सरकारें (Local Government) बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए कई तरीके अपना रही हैं। वे लोगों को पैसे और मकान देने की कोशिश कर रही हैं। इनर मंगोलिया के होहोट जैसे शहर दूसरे बच्चे के लिए 50,000 युआन और तीसरे बच्चे के लिए 100,000 युआन दे रहे हैं। SCMP के अनुसार, यहां लोगों की कमाई कम है, इसलिए यह पैसा बहुत मायने रखता है। दूसरे देशों में इस तरह की योजनाओं के मिले-जुले नतीजे देखने को मिले हैं। दक्षिण कोरिया में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2024 में भुगतान बढ़ा दिया। एक साल बाद, जन्म दर में 3.1% की वृद्धि हुई – यह नौ सालों में पहली वृद्धि थी। जापान एक अलग रास्ता दिखाता है। वहां 2005 से अधिक चाइल्डकैअर केंद्र खोलकर, इसने अपनी प्रजनन दर में 0.1 की वृद्धि की। स्टडी से पता चलता है कि अतिरिक्त नकदी कुछ लोगों के लिए मददगार हो सकती है। 144,000 से अधिक माता-पिता के एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि सिर्फ 15% लोग और बच्चे चाहते थे। 1,000 युआन की संभावित सब्सिडी के बारे में जानने के बाद, यह आंकड़ा 8.5 प्रतिशत बढ़ गया। शादी कम, बच्चे और भी कम कम शादियां सीधे तौर पर घटती जन्मदर से जुड़ी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अब युवा तब तक शादी नहीं करना चाहते जब तक उन्हें बच्चे की प्लानिंग न करनी हो. ऊपर से पढ़ाई और करियर में व्यस्तता, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सोच ने पारंपरिक शादी की धारणा को और कमजोर किया है. सरकार क्या कर रही है? चीन अब शादी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी आसान बना रहा है. अब किसी भी शहर में शादी का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है हुकौ (घरेलू पंजीकरण) की जरूरत नहीं. साथ ही, मैटरनिटी और पितृत्व अवकाश भी बढ़ाया जा रहा है. हालांकि कुछ लोगों को डर है कि आर्थिक दबाव की वजह से ये सारी छुट्टियां केवल कागजी बनकर न रह जाएं. इसी को देखते हुए सरकार कंपनियों को मदद देने की बात भी कर रही है.

प्रदेश के मुख्य शहरों में आधुनिक लांड्री खुलवाई जाएंगी, काम महिला स्व सहायता समूह करेंगे, सरकार आर्थिक रूप से मदद करेगी-मुख्यमंत्री यादव

भोपाल  आगामी समय में भोपाल, इंदौर और इनसे जुड़े बड़े शहरों के बीच नमो ट्रेन (namo train) चलेंगी। इनका स्ट्रक्चर मेट्रो ट्रेनों से अलग होगा। ये आम ट्रेनों की तरह ही चलेंगी। किराया बसों की तुलना में कम होगा। कम समय में गंतव्य तक पहुंचाएंगी। मुख्य शहरों में आधुनिक लांड्री भी खुलवाई जाएंगी। यह काम महिला स्व सहायता समूह करेंगे। सरकार इन्हें आर्थिक रूप से मदद करेगी। ये खुद भी कमाई से सक्षम बनेंगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (cm mohan yadav) ने इन नए कामों पर मुख्य सचिव अनुराग जैन समेत अन्य अफसरों को गुरुवार नगरीय विकास एवं आवास विभाग की समीक्षा बैठक में आगे बढ़ने को कहा है। रेल मंत्री से करूंगा बात सीएम ने अफसरों से कहा कि आप नमो रेल पर काम करें। मैं जल्द ही इस संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से चर्चा करूंगा। केंद्र से इसके लिए मदद लेने के लिए प्रयास करेंगे। झुग्गी माफिया पर करें कार्रवाई सीएम ने अफसरों से कहा कि भोपाल, इंदौर सहित अन्य शहरों में भी झुग्गियों का विस्तार हो रहा है। इसे हर हाल में रोकें। झुग्गी माफिया पर कार्रवाई करेंगे। यदि कोई जरूरतमंद व्यक्ति झुग्गी तान रहे हैं तो आवास योजना से जोड़ें। किफायती आवास उपलब्ध कराने अलग से योजना तैयार करें और उसे जमीन पर उतारें। बड़ा तालाब भोपाल की शान है, लेकिन अतिक्रमण नामक दीमक इसे चारों ओर से खा रही है। गंदे नालों का जुड़ाव इसके पानी में जहर खोल रहा है। सीएम ने कहा कि सर्वे कराएं और चुन-चुनकर अतिक्रमण (bhopal bada talab slums) हटाएं। कब्जा करने वाले किसी के साथ भी रियायत न बरती जाए। अफसर परिणाम नहीं ला पाए दो माह पहले सीएम ने भोपाल शहर के विकास को लेकर समीक्षा बैठक में झुग्गीमुक्त शहर की बाल कही थी। तब भी बड़े तालाब किनारे से कब्जे हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद अफसर न तो झुग्गियां हटवाने की कार्रवाई कर पाए और न ही ताल किनारे से कब्जे हटवाए। चित्रकूट के लिए 2800 करोड़ रुपए की योजना नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सीएम को बताया कि धार्मिक एवं पर्यटन शहरों के विकास में एकीकृत विकास की योजना तैयार की जा रही है। चित्रकूट नगर में 2800 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसमें नगरीय विकास विभाग द्वारा 800 करोड़ का प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। रीडेसिफिकेशन परियोजनाओं की संभावना को देखते हुए हाउसिंग बोर्ड से काम करने को कहा है। संकल्पों पर भी चर्चा सरकार पार्टी द्वारा लिए संकल्पों को पूरा करने में जुटी है। 2027 तक भोपाल-इंदौर मेट्रो लाइन का पूर्ण संचालन किया जाएगा। मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना में 1070 करोड़ की 1062 परियोजनाएं मंजूर हैं। 183 निकायों में महिलाओं के लिए 218 पिंक शौचालय चल रहे हैं। इलेक्ट्रिक बसे उत्तारी जाएंगी। नगरीय क्षेत्रों में जलापूर्ति, सीवरेज की 333 परियोजनाएं स्वीकृत हैं। इनके लिए करीब 11 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत है। यह भी कहा शहरों में उद्यान विकसित करें। विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड सहित सभीआवासीय परियोजनाओं में पौधरोपण को प्रोत्साहित करें।शहरी क्षेत्रों में कॉलोनियों के विकास में बिल्डरों व कॉलोनाइजरों को जोड़ें।शहरी क्षेत्रों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाली आकस्मिक घटनाओं पर नियंत्रण के लिए अग्निशमन सेवा का आधुनिकीकरण करें। लाड़ली बहनों को प्राथमिकता के आधार पर आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

मध्यप्रदेश में जल क्रांति : पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज और अमृत सरोवर बनाए जा रहे

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और जल संरक्षण के प्रयास सतत जारी हैं। प्रदेश में खेती को पर्याप्त पानी मिलने से फसलें लहलहाएंगी और गर्मियों में कुएं नहीं सूखने से पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी। मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है। मनरेगा योजना के तहत पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज और अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इनमें से अधिकतर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि कई निर्माण प्रगति पर हैं। इन जल संरचनाओं के निर्माण से प्रदेश के सिंचाई रकबे में बढ़ोतरी होगी और भू-जल स्तर में सुधार आएगा। इससे खेतों में सिंचाई के पानी की कमी से जूझ रहे किसानों को काफी राहत मिलेगी और उन्हें समय पर फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। 25 करोड़ घन-मीटर से अधिक वर्षा जल का होगा संग्रहण मनरेगा योजना के तहत बनाई जा रही जल संरचनाओं में लगभग 25 करोड़ घनमीटर से अधिक वर्षा जल संग्रहित होगा, जिसका सीधा लाभ प्रदेश के किसानों को मिलेगा। अब तक 84 हजार 930 से अधिक खेत तालाब, 1 लाख 4 हजार 294 से अधिक रिचार्ज पिट और 1,283 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है या निर्माणाधीन है। इन संरचनाओं से 1 लाख 67 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। तकनीक आधारित निर्माण प्रदेश में पहली बार जल संरचनाओं के निर्माण में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। प्लानर सॉफ्टवेयर की मदद से कार्य योजना बनाई गई। सिपरी सॉफ्टवेयर से जल प्रवाह की दिशा का वैज्ञानिक विश्लेषण कर उपयुक्त स्थानों का चयन किया गया। इस तकनीकी प्रक्रिया से जल संग्रहण की प्रभावशीलता बढ़ी है और अब हो रही बारिश से इन संरचनाओं में पानी तेजी से संग्रहीत और संचय हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जल प्रबंधन और सिंचाई सुविधाओं के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। मनरेगा योजना किसानों को संबल देने के साथ-साथ कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती दे रही है। यह जल क्रांति प्रदेश के अन्नदाताओं के लिए एक सशक्त और सुरक्षित भविष्य की नींव रख रही है।