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सड़ी-गली हालत में म‍िली PAK एक्ट्रेस की लाश, घर में 2 हफ्तों तक सड़ता रहा शव

पाकिस्तानी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. एक्ट्रेस हुमैरा असगर अली अपने अपार्टमेंट में मृत पाई गई हैं. हुमैरा 32 साल की थीं. वो कराची स्थित डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी के एक अपार्टमेंट में रहती थीं, जहां उनकी लाश मिली है. माना जा रहा है कि एक्ट्रेस की मौत 2 हफ्ते पहले हो चुकी थी, लेकिन किसी को इसकी खबर नहीं लगी.    अपार्टमेंट में मृत पाई गईं हुमैरा हुमैरा असगर अली पाकिस्तानी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का जाना-माना नाम थीं. उन्होंने कम उम्र में अपनी पहचान बना ली थी. 7 जुलाई को जब उनकी मौत की खबर आई, तो सभी शॉक्ड रह गए. Images संग बातचीत में साउथ DIG सैयद असद रजा ने बताया कि 'अली का शव फेज-VI में इत्तेहाद कमर्शियल के एक फ्लैट से बरामद किया गया. उनकी लाश सड़ी-गली अवस्था में दिखी.' उन्होंने ये भी कहा कि 'उनकी मौत दो हफ्ते पहले ही हो चुकी थी, लेकिन आस-पास रहने वालों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.' DIG ने कहा कि 'गिजरी पुलिस स्थानीय अदालत के आदेश पर अपार्टमेंट खाली कराने के लिए मौके पर पहुंची थी. जब पुलिस ने दोपहर 3:15 बजे दरवाजा खटखटाया, तो किसी ने जवाब नहीं दिया. उसके बाद पुलिस ताला तोड़कर अपार्टमेंट के अंदर पहुंची, जहां उनका शव पड़ा मिला. सबूत जुटाने के लिए मौके पर पुलिस की क्राइम सीन यूनिट को बुलाया गया. एक्ट्रेस अपार्टमेंट में किराए पर रह रही थीं. उन्होंने 2024 से मकान मालिक को किराया देना बंद कर दिया था, जिसके बाद अदालत ने उन्हें घर खाली करने का आदेश दिया था.' उन्होंने आगे कहा कि 'ऐसा लग रहा था कि शव कई दिन पुराना था. शुरुआती जांच के दौरान मौत के कारण का पता नहीं चल सका. कानूनी कार्यवाही के लिए शव को जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर भेजा दिया गया है.' पुलिस सर्जन डॉ. सुम्मैया सैयद का कहना है कि 'शव लगभग सड़ने की एडवांस स्टेज पर था. फिलहाल इसकी जांच चल रही है.' हैरान हुए यूजर्स  हुमैरा असगर अली की मौत की खबर ने सभी को हैरान-परेशान कर दिया है. उनकी मौत की खबर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि पुलिस ने लोगों को किसी भी तरह की अटकलों से बचने की सलाह दी है. पुलिस का कहना है कि 'जब तक जांच में मौत की वजह का पता नहीं चलता, किसी भी नतीजे पर ना पहुंचे.' पुलिस एक्ट्रेस के फोन की मदद से उनके परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों का पता लगाने की कोशिश कर रही है.  हुमैरा असगर अली के काम की बात करें, तो उन्हें ARY के रियलिटी शो 'तमाशा घर' में देखा गया था. इसके अलावा उन्होंने 2015 में रिलीज हुई फिल्म 'जलेबी' में भी काम किया था. 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के दृढ़ इच्छा शक्ति से नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है – केदार कश्यप

खड़गे के बयान पर मंत्री कश्यप का करारा पलटवार शेर के दहाड़ने से सियार भागते है,सियारो के चिल्लाने से शेर नहीं भागते:केदार कश्यप केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के दृढ़ इच्छा शक्ति से नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है – केदार कश्यप 'खड़गे बताएँ कि जब घर न ससुराल तो राहुल बार-बार विदेश क्यों जाते हैं?' रायपुर  वन एवं सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरों पर उठाए गए सवाल को कांग्रेस की स्तरहीन और ओछी राजनीतिक सोच का परिचायक बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री जैसी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे श्री शाह को देश के विभिन्न क्षेत्रों में बार-बार प्रवास करना होता है और छत्तीसगढ़ में चूंकि नक्सली उन्मूलन का अभियान चल रहा है इसलिए उसकी रणनीतिक समीक्षा के लिए श्री शाह छत्तीसगढ़ आ रहे हैं तो खड़गे के पेट में एकाएक मरोड़ क्यों उठ गया? जिस तरह प्रदेश के कांग्रेस नेता नक्सलियों के समर्थन में बयानबाजी करते रहते हैं, क्या यह सवाल पूछकर खड़गे भी 'नक्सलियों से भाईचारा निभानन की कांग्रेसी परंपरा' का निर्वहन कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इस कदर फोबिया हो गया है कि सोते जागते कांग्रेसी उनकी स्तरहीन आलोचना करते हैं और गाहे- बगाहे उनके हर काम पर सवाल उठाकर अपने गर्हित इरादों का प्रदर्शन करते रहते हैं।  मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ प्रदेश को नक्सली मुक्त करने की दृढ़ इच्छा शक्ति से काम कर रहे हैं और उनकी इन्हीं इच्छा शक्ति की वजह से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है जो कांग्रेस पार्टी के नेताओं को हजम नहीं हो रहा है जिसके चलते कांग्रेस के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेता केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह के लिए इस तरह की बयानबाजी हमेशा करते रहते है।  मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि शेर के दहाड़ने से सियार भाग जाते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह शेर की तरह निर्भीक होकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने  कहा कि खड़गे देश को यह भी बताएँ कि उनके नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बार-बार विदेश क्यों जाते हैं? उन देशों में भी राहुल गांधी का घर या ससुराल तो नहीं है। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह तो नक्सलवाद के खात्मे के लिए छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, बस्तर को फिर से उसका अधिकार दिलवाने आ रहे हैं, बस्तर में खुशहाली लाने के लिए आ रहे हैं, छत्तीसगढ़ को विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए आ रहे हैं, छत्तीसगढ़वासियों के जीवन में खुशहाली लाने आ रहे हैं लेकिन राहुल बार-बार विदेश जाते हैं। संसद का सत्र चलता रहता है तब विदेश चले जाते हैं, यहाँ कोई आंदोलन चलता रहता है तो विदेश चले जाते हैं, देश में बड़ी-बड़ी घटनाएँ होती रहती हैं तो वह विदेश चले जाते हैं और वहाँ जाकर भी वह सिवाय भारत और भारतीय संवैधानिक ढाँचे के खिलाफ विष-वमन करने के कुछ नहीं करते।

रायपुर : भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राजनांदगांव में आजीविका, जल संरक्षण और उद्यमिता कार्यों का किया निरीक्षण

रायपुर भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव टीके अनिल कुमार ने आज राजनांदगांव जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित योजनाओं और विकास गतिविधियों का निरीक्षण किया। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान), मिशन जल रक्षा, स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम, वन स्टॉप फैसिलिटी और चना प्रोसेसिंग यूनिट सहित कई योजनाओं का जायजा लिया। इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे और जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुसुरूचि सिंह भी उपस्थित थीं। कुमार ने ग्राम अंजोरा स्थित मल्टी यूटिलिटी सेंटर का निरीक्षण किया, जहां महिला स्वसहायता समूह की सदस्याएं हर्बल गुलाल, चंदन, सिंदूर, रोली, कुमकुम आदि उत्पादों का निर्माण और पैकेजिंग कर रही हैं। उन्होंने गणेशा हर्बल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड से हुए अनुबंध के अंतर्गत चल रहे कार्य की सराहना की, जिससे 75 महिलाओं को जोड़ा गया है। अब तक 181 मीट्रिक टन उत्पादन से 1 करोड़ 5 लाख 70 हजार रुपये की आमदनी हुई है। उन्होंने पैकेजिंग यूनिट के स्थायित्व और विस्तार की संभावनाओं पर चर्चा की और बफर प्लेट, दोना-पत्तल जैसी लघु इकाइयों के माध्यम से हुए रोजगार सृजन की सराहना की। इसके अतिरिक्त उन्होंने ग्राम टेड़ेसरा में वर्षा जल संचयन के लिए बनाए गए रिचार्ज सॉफ्ट और इंजेक्शन वेल का अवलोकन किया। स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम के तहत मनीष साहू द्वारा शुरू की गई हार्डवेयर एवं इलेक्ट्रिकल दुकान का निरीक्षण करते हुए उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के नवाचारों को सराहा। ग्राम पदुमतरा में उन्होंने बिहान संकुल संगठन कार्यालय और आजीविका प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण किया। यहां महिलाओं ने उन्हें बताया कि बिहान से जुड़कर उनकी आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। आचार-पापड़ निर्माण, मसाला बिक्री और कृषि उपज की प्रोसेसिंग जैसे कार्यों के जरिए कई महिलाएं ष्लखपति दीदीष् बनी हैं। अतिरिक्त सचिव ने महिलाओं से मार्केटिंग, ब्रांडिंग और गुणवत्ता सुधार पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने स्वरधारा महिला समूह द्वारा 65 लाख रुपये की बिक्री की जानकारी प्राप्त की और उसकी सराहना की। महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे बिहान से जुड़ने के बाद उन्हें रोज़गार के साथ ही देशभर में एक्सपो और प्रदर्शनियों में भाग लेने का मौका मिला। कुछ महिलाएं अब अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच चुकी हैं दृ जैसे कि दमयंती सोनी, जो जेसीबी ऑपरेटर के रूप में काम कर रही हैं और जापान यात्रा की तैयारी में हैं। ग्राम सुकुलदैहान में उन्होंने स्वर्ण उपज महिला उत्पादक कंपनी के चना प्रसंस्करण केंद्र का दौरा किया, जहां 15,875 महिला किसान कार्यरत हैं। इस एफपीओ ने वर्ष 2024-25 में 408 लाख रुपये का टर्नओवर किया है। निरीक्षण के दौरान ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव का प्रदर्शन भी किया गया। ग्राम बरगा में रिचार्ज वेल के निरीक्षण के दौरान पद्मश्रीमती फूलबासन बाई यादव ने उन्हें नीर और नारी अभियान तथा आजीविका गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारीगण, राज्य और केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी, तथा बड़ी संख्या में महिला समूह की सदस्याएं उपस्थित रहीं। कुमार ने समूहों की गतिविधियों की सराहना करते हुए उन्हें आगे और बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

गुरु पूर्णिमा पर खास अंदाज़ में दिखेंगे सीएम योगी, निभाएंगे गुरु और शिष्य दोनों की भूमिका

गोरखपुर सनातन विचार दर्शन एवं संस्कृति में गुरु-शिष्य के रिश्ते को प्रतिष्ठित करने वाले पावन पर्व गुरु पूर्णिमा गोरक्षपीठ के लिए विशेष होती है। यह वह अवसर होता है, जब गोरक्षपीठाधीश्वर नाथपंथ के आदिगुरु महायोगी गोरखनाथ सहित पीठ के अपने पूर्ववर्ती गुरुजनों की पूजन-स्तुति करते हैं और तदुपरांत अपने शिष्यों और गोरक्षपीठ के श्रद्धालुओं को स्नेहाशीष से अभिसिंचित करते हैं। गोरक्षपीठ की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई, गुरुवार) पर शिष्य और गुरु दोनों भूमिकाओं में दिखेंगे। यूं तो गोरक्षपीठ, गोरखनाथ मंदिर में धर्म-अध्यात्म की मंगलध्वनि अहर्निश गुंजायमान रहती है, पर गुरु पूर्णिमा का पर्व यहां बेहद खास होता है। इस दिन के विशेष आयोजन में सहभागी बनने की गोरक्षपीठ के श्रद्धालुओं की उत्कंठा प्रबल होती है। नाथपंथ मुख्यतः गुरुगम्य मार्ग है। इस लिहाज से गोरक्षपीठ और गुरु पूर्णिमा का अटूट नाता है। गुरु-शिष्य परंपरा इस पीठ के मूल में है। गुरु परंपरा से ही नाथ परंपरा आगे बढ़ी है। यही वजह है कि गोरक्षपीठ, गुरु परंपरा के प्रतीक के तौर पर पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित है। हर काल में इस परंपरा को कायम रख पीठ ने कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। शिवावतार भगवान गोरखनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथपंथ के मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी। उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति गुरु को गोविंद (भगवान) से भी ऊंचे स्थान पर प्रतिष्ठित करती है। गुरु का ध्येय समग्र रूप में लोक कल्याण होता है और इसकी दीक्षा भी वह अपने शिष्य को देता है। गुरु परंपरा के आईने में देखें तो नाथपंथ की विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ बेमिसाल है। पीढ़ी दर पीढ़ी गोरक्षपीठाधीश्वरों ने अपने गुरु से प्राप्त लोक कल्याण की परंपरा को विस्तारित किया है। वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इसे निरंतर ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं। गुरु परंपरा के लोक कल्याणकारी कार्यों के अनुगमन में गोरक्षपीठ की गत-सद्यः तीन पीढ़ियां तो कीर्तिमान रचती नजर आती हैं। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने लोक कल्याण के लिए शिक्षा को सबसे सशक्त माध्यम बनाते हुए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। उदात्तमना ब्रह्मलीन महंत जी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने दो महाविद्यालय भी दान में दे दिए थे। उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा हेतु मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी। अपने गुरु द्वारा शुरू किए गए इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने विस्तार दिया। शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के शिष्य एवं वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण के लिए अपने दादागुरु द्वारा रोपे और अपने गुरु द्वारा सींचे गए पौधे को वटवृक्ष सरीखा बना दिया है। किराए के एक कमरे में शुरू शिक्षा का प्रकल्प दर्जनों संस्थानों के साथ ही विश्वविद्यालय तक विस्तारित हो चुका है। इलाज के लिए गोरक्षपीठ की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय की ख्याति पूरे पूर्वांचल में है। गोरक्षपीठ से योग के प्रसार को लगातार गति मिली है। पीठ की गुरु परंपरा में लोक कल्याण के मिले मंत्र की सिद्धि योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री की भूमिका में भी नजर आती है। मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हर गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु का आशीर्वाद लेने और शिष्यों को आशीर्वाद देने के लिए गोरखनाथ मंदिर जरूर पहुंचते हैं। इसी क्रम में इस बार भी गुरुवार को वह गुरु पूर्णिमा पूजा के लिए मंदिर में मौजूद रहेंगे।  

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की मृत्यु

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की मृत्यु भोपाल पन्ना टाईगर रिजर्व के परिक्षेत्र हिनौता के अंतर्गत सबसे बुजुर्ग हथनी लगभग 100 वर्ष से अधिक आयु की वत्सला की 8 जुलाई मंगलवार को मृत्यु हो गई। वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी माना जाता है। पन्ना टाईगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वत्सला का अंतिम संस्कार किया गया। वत्सला हथनी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र रही है। सबसे बुजुर्ग होने से वह पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती रही है। अन्य मादा हाथी के प्रसव एवं बच्चा होने के उपरांत वह एक नानी अथवा दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ने बताया कि मादा वत्सला परिक्षेत्र हिनौता के खैरईयां नाले के पास आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण बैठ गई थी। वनकर्मियों द्वारा उसको उठाने का काफी प्रयास किया गया। दोपहर को हथनी वत्सला की मृत्यु हो गई। हथनी वत्सला केरल से नर्मदापुरम लाई गई थी और बाद में उसे पन्ना टाईगर रिजर्व लाया गया था। वृद्ध होने के कारण वत्सला को आँखो से दिखना बंद हो गया था तथा वह अधिक दूरी तक नहीं चल पाती थी इसलिये गश्ती कार्य में इसका उपयोग नहीं लिया जाता था। इसे हिनौता हाथी केम्प में रखा गया था। प्रतिदिन खैरईयां नाले तक नहाने के लिये ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जा रहा था। पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन के वन्य प्राणी चिकित्सक एवं विशेषज्ञों के द्वारा समय-समय पर हथनी वत्सला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा था। इसलिए वत्सला पन्ना टाईगर रिजर्व के विरल एवं शुष्क वन क्षेत्र में दीर्घ आयु की अवस्था तक जीवित रही। टाईगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थपना योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा।  

स्कूल भवन पर तालाबंदी, किराया विवाद में फंसे बच्चे – मकान मालिक ने उठाया ये कदम

इंदौर लोहा गेट पर निजी स्कूल में हंगामा हो गया। इमारत मालिक के रिश्तेदारों ने ताला लगाकर बच्चों को रोक दिया। पुलिस ने आपसी विवाद बता कर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। बच्चों को बगैर पढ़ाई के लौटाना पड़ा। घटना गली नंबर-8 की है। मेहरुन बी की इमारत में अल हीरा पब्लिक स्कूल का संचालन होता है। याकूब और अय्यूब मुल्तानी ने ताला लगा दिया सोमवार रात मेहरुन बी के भतीजें याकूब और अय्यूब मुल्तानी ने ताला लगा दिया। सुबह नर्सरी से आठवीं तक के बच्चे पढ़ने पहुंचे तो ताला लगा मिला। स्टाफ और बच्चे प्रांगण में प्रवेश ही नहीं कर सके। प्रिंसिपल याकूब मेनन के अनुसार इमारत साल 2008 में किराये पर ली थी। हर महीने 22 हजार रुपये किराये देते है। मेहरुन बी के भजीतों ने कहा कि किराया बढ़ाकर उन्हें दें। ताला लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित अनुबंध मेहरुन बी के नाम से होने के कारण मेनन ने मना कर दिया। सोमवार को वह थाने गया पर पुलिस ने कहा आपसी विवाद है। जिस इमारत में स्कूल संचालित होता है वह निजी संपत्ति है। किरायेदार और इमारत मालिक के विवाद में पुलिस नहीं बोल सकती है। मंगलवार को ताला लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई।

एम्स भोपाल से मरीजों को राहत, PET स्कैन से जुड़े खर्च होंगे कम

भोपाल अब एम्स भोपाल में भी कैंसर, हृदय और मस्तिष्क रोगों की पहचान के लिए अत्याधुनिक पीईटी स्कैन की सुविधा शुरू होने जा रही है। निजी अस्पतालों में जहां इसकी कीमत 20 से 30 हजार रुपये तक पहुंचती है, वहीं एम्स में यह जांच बेहद कम शुल्क में उपलब्ध होगी। इसके लिए अस्पताल परिसर में विशेष भवन का निर्माण अंतिम चरण में है। यह सुविधा खासतौर से उन मरीजों के लिए राहत लेकर आएगी जिन्हें अब तक निजी अस्पतालों में महंगी जांच के लिए जाना पड़ता था। क्या है पीईटी स्कैन पीईटी स्कैन एक न्यूक्लियर इमेजिंग तकनीक है, जो शरीर के भीतर सेल स्तर की गतिविधियों को दिखाती है। इसमें एक रेडियोएक्टिव ट्रेसर इंजेक्ट किया जाता है, जो तेजी से सक्रिय अंगों में जाकर जमा होता है। ये ट्रेसर विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं, हृदय की क्षतिग्रस्त मांसपेशियों और मस्तिष्क के असामान्य हिस्सों में अधिक एकत्र होते हैं। स्कैनर इन सिग्नलों को पकड़कर 3डी इमेज बनाता है, जिससे बीमारी की सटीक स्थिति पता चलती है। कितना खर्च आता है निजी अस्पतालों में एक बार के पीईटी स्कैन पर 20,000 से 30,000 रुपये तक का खर्च आता है। जबकि एम्स भोपाल में यह सुविधा लगभग 2,000 से 3,000 रुपये में उपलब्ध कराई जाएगी। एम्स का उद्देश्य इसे आम और गरीब मरीजों के लिए सुलभ बनाना है। इन बीमारियों में मददगार कैंसर: किस अंग में है, कितना फैला है, इलाज का असर हो रहा है या नहीं हृदय रोग: हृदय की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह की स्थिति मस्तिष्क विकार: अल्जाइमर, पार्किंसन, एपिलेप्सी आदि। क्या है इसकी खासियत जहां सीटी और एमआरआई केवल शरीर की संरचना दिखाते हैं, वहीं पीईटी स्कैन शरीर की कार्यप्रणाली और मेटाबोलिक गतिविधियों को भी दिखाता है। इससे डाक्टर इलाज की दिशा बेहतर तय कर पाते हैं।

70 साल बाद इस गांव में पहली बार पक्की रोड का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, ग्रामीणों जताई खुशी

मैहर मैहर जनपद के रिगरा गांव में वर्षों पुराने सपने ने आखिरकार साकार रूप ले लिया है। गांव में पहली बार पीसीसी (पक्की) रोड का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, जिससे ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। दशकों से कीचड़ भरे रास्तों से गुजरते आ रहे ग्रामीणों के लिए यह सड़क एक बड़ी सौगात बनकर आई है। ग्रामीणों ने दीप जलाकर किया खुशी का इजहार जानकारी के अनुसार, रिगरा गांव की स्थिति लंबे समय से दयनीय थी। गांव की मुख्य सड़क कच्ची होने के कारण बारिश में कीचड़ और फिसलन की समस्या आम थी। करीब 70 वर्षों से इस गांव की जनता बदहाली झेल रही थी, जहां पीढ़ियों ने कीचड़ से भरे रास्तों पर चलकर जीवन बिताया। लेकिन अब जब पहली बार पीसीसी रोड का निर्माण कार्य पूरा हुआ, तो गांव वासियों ने दीप जलाकर और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। ग्रामीणों ने सरकार और अधिकारियों का आभार जताया महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने सड़क पर खड़े होकर एक-दूसरे को बधाई दी और इसे विकास की ओर पहला कदम बताया। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि "इतने सालों में पहली बार हमारे गांव में सरकार की कोई योजना जमीन पर उतरी है। अब बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी नहीं होगी और बीमारों को अस्पताल तक लाने में राहत मिलेगी। ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों का आभार जताया और आशा व्यक्त की कि इसी तरह अन्य आवश्यक सुविधाएं भी गांव में जल्द पहुंचेंगी।" 

दिल्ली-NCR में शांति व्यवस्था के लिए नया आदेश, लाउडस्पीकर और हथियारों पर पूरी तरह रोक

हापुड़ 11 जुलाई से श्रावण मास में शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर उच्चाधिकारी विशेष सतर्कता बरत रहे हैं। जिसके मद्देनजर इस बार कांवड़ पदयात्रा के दौरान तेज आवाज में लाउडस्पीकर और तेज ध्वनि यंत्र नहीं बजाया जा सकेगा। निर्धारित आवाज के साथ ही शिवभक्त भजनों का आनंद ले सकेंगे। इसके अलावा कांवडिया अपने साथ अस्त्र या शस्त्र लेकर नहीं जा सकेंगे। नियम उल्लंघन कर कार्रवाई तक होगी। एसपी ज्ञानंजय ने बताया कि कांवड़ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है। उच्चाधिकारियों से मिले दिशा-निर्देशों के क्रम में 11 जुलाई से प्रारंभ हो रही कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। श्रावण के महीने में कांवड़ या जल लाने वाले कांवड़िया और श्रद्धालु शिव मंदिरों तक पदयात्रा करते हैं। पदयात्रा के दौरान धार्मिक भजन और संगीत बजाने के साथ ही कई बार नारेबाजी भी होती है। खुफिया विभाग से उच्चाधिकारियों को इनपुट मिला है कि पदयात्रा में लाउडस्पीकर, तेज ध्वनि यंत्र बजाने और नारेबाजी करने से तनाव उत्पन्न हो सकता है। इसके चलते कांवड़ यात्रा में कांवड़िया और शिविरों में श्रद्धालु निर्धारित सीमा से अधिक आवाज में लाउडस्पीकर या तेज ध्वनि यंत्र से नहीं बजा सकेंगे। उल्लंघन करने पर इन्हें जब्त करने के साथ ही मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी । कांवड़ यात्रा के दौरान वाहनों में मनचाहा बदलाव किया जाता है। लेकिन इस पर भी पांबदी लगा दी गई है। बंद रहेंगी शराब और मांस की दुकान कांवड़ यात्रा के लिए रूट बनाए गए हैं। इन रूट पर पड़ने वाली मांस और शराब की दुकान बंद रहेंगी। संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करेगी। इसके लिए संबंधित विभागों को पत्र भेजकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। लापरवाही बरतने पर कार्रवाई भी तय होगी। अस्त्र-शस्त्र पर पूर्णत रहेंगे प्रतिबंधित कांवड़ यात्रा के दौरान अस्त्र-शस्त्र साथ ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा। कावड़िया अपने साथ लाठी-डंडे, नुकीले भाले समेत तमाम तरह के हथियार लेकर नहीं जा सकेंगे। ऐसा करने वाले कांवड़ियों को प्रतिबंधित किया जाएगा। किसी भी हाल में कानून और शांति व्यवस्था बिगड़ने नहीं दी जाएगी। कांवड़ रूट पर नहीं खड़े हो सकेंगे वाहन कांवड़ यात्रा के रूट पर ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों समेत अन्य भारी वाहन खड़े होने की समस्या रहती हैं। इसको देखते हुए इन रास्तों पर वाहन खड़े करने पर पाबंदी लगा दी है। कावड़ यात्रा के इसके अलावा कांवड़ियों के रूट पर कांवड़ शिविर सड़क से तय दूरी पर लगाए जा सकेंगे। कांवड़ शिविर हाइटेंशन लाइन के नीचे नहीं लगेंगे। तेज ध्वनि संचालकों को दिया नोटिस थानावार तेज ध्वनि यंत्र संचालकों की सूची तैयार कर उन्हें नोटिस जारी किए गया है। जिसमें तेज ध्वनि यंत्र से तेज आवाज में संगीत न बजाने के साथ अन्य सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। नियम उल्लंघन पर कार्रवाई तय होगी।  

समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप मध्यप्रदेश के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो रहा है। इससे बढ़ती नगरीय जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे। इसे साकार करने के लिए मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। 'नेक्स्ट होराइजन: बिल्डिंग सिटीज ऑफ टुमॉरो' थीम पर केन्द्रित कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश के शहरी विकास और निवेश पर देश की रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गज विकसित मध्यप्रदेश@2047 के लिए शहरी विकास के ब्लूप्रिंट पर चर्चा करेंगे। शहरी क्षेत्रों में विकास की प्रगति मध्यप्रदेश में शहरी अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। प्रदेश में 4 शहर ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। साथ ही केन्द्र की स्मार्ट सिटी परियोजना में 7 शहर शामिल हैं। शहरी क्षेत्रों में अधो-संरचाना विकास के संबंधित 72 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ करीब 88 हजार करोड़ रुपये की शहरी क्षेत्र से जुड़ी विकास योजनाएं प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश ने स्वच्छता के लिये देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इंदौर देश में पिछले 7 वर्षों से स्वच्छतम शहरों की श्रेणी में पहले नम्बर पर रहा है। भोपाल को देश की दूसरे नंबर की स्वच्छतम राजधानी बनने का गौरव हासिल किया है। प्रदेश के बजट में शहरी क्षेत्र के विकास के लिए 15 हजार 780 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में शहरी क्षेत्र का योगदान 35.55 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों में संचालित केन्द्र की फ्लैग शिप योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रदेश सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों शामिल है। नगरीय विकास से जुड़ी योजनाओं की गति तेज बनाए रखने के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम की प्रशासनिक व्यवस्था की गई है। हाउसिंग सेक्टर में बेहतर निवेश की संभावना प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर में निवेश की अच्छी संभावना है। अफोर्डेबल हाउसिंग में8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके है। प्रदेश में 10 लाख नए आवास तैयार किये जा रहे है। इनमें 50 हजार करोड़ रूपये का निवेश होगा। रियल एस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में मानव संसाधन की गुणवत्तापूर्ण वर्क फोर्स उपलब्ध है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 6 हजार किलोमीटर सड़क, 80 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शत् प्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई है। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाईज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं पर 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है।