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बटेश्वर धाम में सांस्कृतिक धरोहर की वापसी, महाविष्णु मंदिर समेत कई स्थलों का हुआ जीर्णोद्धार

मुरैना  मध्य प्रदेश में मुरैना के बटेश्वर स्थित सबसे ऊंचा महाविष्णु मंदिर, जो लगभग छह सौ साल पहले पत्थरों के ढेर में तब्दील हो गया था, अब मूल स्वरूप में लौट आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने बिखरे पत्थरों से मंदिर का पुनर्निर्माण किया है। इस परियोजना के तहत एक प्राचीन मठ और पांच अन्य मंदिरों का जीर्णोद्धार भी किया गया है। पुनर्निर्माण कार्य चार वर्षों से चल रहा था पुनर्निर्माण कार्य चार वर्षों से चल रहा था और संस्कृति मंत्रालय के नेशनल कल्चर फंड (एनसीएफ) के सहयोग से संपन्न हुआ है। बता दें कि इसके लिए इंफोसिस फाउंडेशन ने भी तीन करोड़ 80 लाख रुपये का योगदान दिया है। फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने मध्य प्रदेश के पर्यटन और पुरातात्विक स्थलों में गहरी रुचि दिखाई है। बटेश्वर में आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच निर्मित 200 मंदिर, जो क्षतिग्रस्त अवस्था में थे, के जीर्णोद्धार का कार्य 2005 से प्रारंभ हुआ था और अब तक 85 मंदिरों को पुनर्निर्मित किया जा चुका है। एएसआइ के भोपाल मंडल ने महाविष्णु मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 2022 में आरंभ किया। सबसे पहले पत्थरों को हटाकर मंदिर की नींव का मूल डिजाइन तैयार किया गया। इसके बाद एक सौ से अधिक मंदिरों के टूटे हिस्सों में से महाविष्णु मंदिर के टुकड़े खोजे गए, जो बड़ी चुनौती थी। टीम ने 90 प्रतिशत पत्थरों को खोज निकाला टीम ने 90 प्रतिशत पत्थरों को खोज निकाला। जिन हिस्सों के टुकड़े नहीं मिले, उनके लिए बलुआ पत्थरों से टुकड़े तैयार किए गए। अब यह मंदिर 13 मीटर ऊंचा और गुर्जर-प्रतिहार शैली की स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण बनकर खड़ा है। मंदिर के निकट भगवान विष्णु की एक खंडित प्रतिमा भी मिली है, जिसे या तो मंदिर में स्थापित किया जाएगा या संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। गुर्जर-प्रतिहार वंश के वैभव के प्रतीक थे मंदिर एएसआइ भोपाल मंडल के अधीक्षक डा. मनोज कुर्मी ने बताया कि बटेश्वर में गुर्जर-प्रतिहार राजवंश ने बलुआ पत्थरों से 200 से अधिक मंदिर बनवाए थे। वास्तुकला की गुर्जर-प्रतिहार शैली के नमूने ये मंदिर भगवान शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं। अब तक की खोज से पता चलता है कि वहां कोई आबादी नहीं थी, सिर्फ मंदिर और बावडि़यां बने थे। माना जाता है कि 13वीं-14वीं शताब्दी में आए शक्तिशाली भूकंप की वजह मंदिर बिखर गए। बटेश्वर मंदिर समूह: धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहर मध्य प्रदेश के मुरैना के निकट सुरम्य परिदृश्य में बसा बटेश्वर मंदिर समूह, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रमाण है। इस अद्भुत परिसर में लगभग 200 बलुआ पत्थर के मंदिर हैं, जिनमें से प्रत्येक आध्यात्मिक भक्ति और स्थापत्य कला की एक शाश्वत आभा बिखेरता है। ऐतिहासिक शहर ग्वालियर से मात्र 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, तथा ग्वालियर हवाई अड्डा निकटतम हवाई परिवहन केन्द्र के रूप में कार्य करता है, बटेश्वर मंदिर दूर-दूर से तीर्थयात्रियों, इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। 25 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैले बटेश्वर मंदिरों का निर्माण मूलतः 8वीं शताब्दी में हुआ था, जो गहन धार्मिक और कलात्मक उत्साह से भरा काल था। ये मंदिर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा के लिए पवित्र तीर्थस्थल थे, जिनमें शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित मंदिर थे, जो हिंदू आस्था के विविध पहलुओं को दर्शाते थे। अपने प्रारंभिक वैभव के बावजूद, बटेश्वर मंदिरों का इतिहास उथल-पुथल भरा रहा, और 13वीं शताब्दी के बाद इनका पतन और अंततः विनाश हुआ। इनके पतन के पीछे के सटीक कारण अभी भी रहस्य में डूबे हुए हैं, जिससे इतिहासकार और पुरातत्वविद इनके पतन के कारणों पर अटकलें लगा रहे हैं। लचीलेपन और जीर्णोद्धार का एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 2005 में बटेश्वर मंदिरों के खंडहरों में बिखरे गिरे हुए पत्थरों से पुनर्निर्माण का एक विशाल प्रयास शुरू किया। स्थानीय समुदायों के सहयोग से संभव हुई इस महत्वाकांक्षी जीर्णोद्धार परियोजना को एक अप्रत्याशित स्रोत – पूर्व डाकू निर्भय सिंह गुज्जर और उसके गिरोह – से अमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ। उनकी भागीदारी ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और इन प्राचीन स्मारकों के गौरव को पुनर्जीवित करने की सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। आज, बटेश्वर मंदिर समूह में आने वाले पर्यटकों का स्वागत बलुआ पत्थर की संरचनाओं के एक आकर्षक समूह द्वारा होता है, जो जटिल नक्काशी, विस्तृत मूर्तियों और स्थापत्य कला से सुसज्जित हैं और प्राचीन कारीगरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मंदिर परिसर का शांत वातावरण आध्यात्मिक चिंतन और श्रद्धा के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है, जो तीर्थयात्रियों को ईश्वर से जुड़ने के लिए एक पवित्र स्थान प्रदान करता है। बटेश्वर मंदिरों के भूलभुलैया जैसे रास्तों से गुजरते हुए, हर मंदिर बीते युगों की कहानियाँ सुनाता है, उस आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक जीवंतता की प्रतिध्वनि करता है जो कभी इन पवित्र परिसरों में फलती-फूलती थी। भगवान शिव को समर्पित दैदीप्यमान शिखरों से लेकर भगवान विष्णु और शक्ति के दिव्य स्वरूपों को समर्पित अलंकृत कक्षों तक, बटेश्वर मंदिर भारत की अटूट आस्था और कलात्मक प्रतिभा के चिरस्थायी प्रतीक हैं। संक्षेप में, बटेश्वर मंदिर समूह सांस्कृतिक विरासत के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है, जो आगंतुकों को समय और परंपरा के माध्यम से एक पारलौकिक यात्रा पर निकलने के लिए आमंत्रित करता है। अपने कालातीत आकर्षण और आध्यात्मिक प्रतिध्वनि के साथ, यह पवित्र अभयारण्य विस्मय और श्रद्धा को प्रेरित करता रहता है, अतीत और वर्तमान के बीच की खाई को पाटता है, और आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध करता है।  

‘हमने ही पाले आतंकी’ – बिलावल भुट्टो के बयान से पाकिस्तान की पोल खुली

कराची  पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने माना है कि उनके देश ने आतंकी संगठनों को बढ़ावा दिया है। हालांकि हमेशा की तरह हकीकत को खारिज करने की कोशिश करते हुए बिलावल ने कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की बात से इनकार कर दिया है। उन्होंने भारतीय पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान किसी भी आतंकी समूह को बढ़ावा नहीं देता। पाकिस्तान तो खुद ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। हम आतंक से जंग में 92 हजार लोगों को खोज चुके हैं। एक साल में ही करीब 2 हजार लोग मारे गए हैं। इसी साल की बात करें तो पाकिस्तान के इतिहास का यह सबसे खूनी वर्ष है। उनसे पूछा गया कि आपके पिता ने 2009 में माना था कि पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों को तैयार किया था। इस पर बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि यह जिया उल हक की नीति थी, जिन्होंने जिहादिफिकेशन की बात कही थी। पाकिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप में जो आतंकवाद है, वह अफगानिस्तान में चली जंग के चलते है। अफगानिस्तान में लंबे समय तक जिहाद चला और उसका असर है कि पाकिस्तान को भी भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि 9/11 आतंकी हमले के बाद इसमें इजाफा हुआ। इन लोगों की शुरुआत तो अफगानिस्तान से ही हुई थी, लेकिन फिर इन आतंकी संगठनों ने कश्मीर जिहाद शुरू कर दिया। इसके आगे अहम तथ्य को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान के कुछ संगठनों और लोगों को अफगानिस्तान के जिहाद में लगाया गया। लेकिन यहां आधी बात ही बिलावल ने स्वीकार की और कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में सेना, आईएसआई और यहां तक कि सरकार के रोल को नकार दिया। भुट्टो ने कहा कि आतंकी संगठनों ने अफगानिस्तान में जिहाद शुरू किया था, फिर उन्होंने कश्मीर की ओर रुख कर लिया। पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर से जुड़े द रेजिस्टेंस फोर्स का हाथ होने की बात पर बिलावल भुट्टो ने कहा कि हमने आतंकी संगठनों पर ऐक्शन लिया है। मुंबई आतंकी हमले पर पाकिस्तान ने क्या ऐक्शन लिया? क्या बोले बिलावल उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने माना है कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं। फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स ने भी यह स्वीकार किया है। बिलावल ने कहा कि हमारे पीएम ने पहलगाम आतंकी हमले पर लगे आरोपों को लेकर कहा था कि हम किसी भी जांच का हिस्सा बनने को तैयार हैं। इस पर करन थापर ने पूछा कि आखिर मुंबई हमले से लेकर अब तक आपने किन आतंकी संगठनों और लोगों के खिलाफ ऐक्शन लिया है। जबकि जनरल महमूद दुर्रानी ने खुद स्वीकार किया था कि अजमल कसाब भारत का रहने वाला है। हाफिज सईद पर बोले बिलावल- उसे जेल में रखा था इस पर बिलावल ने कहा कि हाफिज सईद की बात है तो वह जेल में रह चुका है। उसके खिलाफ पाकिस्तान में जांच भी की गई थी। मसूद अजहर को लेकर बिलावल ने कहा कि वह फिलहाल अफगानिस्तान में है। यदि वह पाकिस्तान में होता तो उसके खिलाफ ऐक्शन लिया जाता। बिलावल ने कहा कि मैं मानता हूं कि आतंकवाद पाकिस्तान और भारत दोनों के लिए ही खतरा है। बता दें कि हाफिज सईद को एक बार जेल में बंद भी किया गया था, लेकिन वह मुंबई आतंकी हमले के मामले में नहीं बल्कि टेरर फंडिंग के नाम पर जेल गया था।

आजीविका मिशन एवं हथकरघा विकास निगम की सहायता से ली हैंडलूम की हेमलता ने ट्रेनिंग

सफलता की कहानी भोपाल  मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर की रहने वाली हेमलता खराड़े आज महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। कभी गांव-गांव में मजदूरी कर महीने भर में मुश्किल से 800 रुपये कमाने वाली हेमलता ने अपनी मेहनत, हुनर और आत्मविश्वास से खुद की दुनिया ही बदल दी। आज वे न सिर्फ सफल उद्यमी हैं, बल्कि 15 महिलाओं को रोज़गार देकर उन्हें भी आत्मनिर्भरता की राह पर ले जा रही हैं। सीखा लूम पर काम करना हेमलता का जीवन बदला आजीविका मिशन और हथकरघा विकास निगम की मदद से वर्ष 2008 में उन्होंने निगम की ओर से 6 माह की ट्रेनिंग ली, जिसमें उन्होंने लूम पर काम करना सीखा। इसके बाद वे हथकरघा भवनों में काम करने लगीं और अपने कौशल से पहचान बनाते हुए वर्ष 2012 में खुद का हथकरघा समूह शुरू किया। शासन ने उनके आत्मविश्वास और काम को देखते हुए वर्ष 2016 में भवन भी उपलब्ध कराया। हेमलता ने महेश्वर की पारंपरिक माहेश्वरी साड़ियों को अपनी कला से नई पहचान दी है। आज वे देश के विभिन्न शहरों – मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़, गुवाहाटी, इंदौर और भोपाल आदि में आयोजित हैंडलूम एग्जीबिशनों में हिस्सा लेती हैं। उनकी मासिक आय करीब 25,000 रुपये है और सालाना लगभग 2.5 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। साड़ी पर उकेरी नर्मदा की लहरें हेमलता बताती हैं कि उनके स्व-सहायता समूह में तैयार साड़ियों में महेश्वर किले की झलक, झरोखा बूंटी, जाली बूटी, कैरी बूटी, असरफी बूटी जैसे पारंपरिक डिज़ाइन बुनाई जाते हैं। खास बात यह है कि वे नर्मदा नदी की लहरों को भी साड़ियों की बॉर्डर में सजाकर उसकी प्राकृतिक छटा को परिधानों में पिरोती हैं। उनकी साड़ियाँ तीज-त्योहारों से लेकर शादी-ब्याह तक हर अवसर पर खूब पसंद की जाती हैं। संघर्ष से सफलता की इस यात्रा में हेमलता ने साबित कर दिया कि अवसर, मेहनत और सही मार्गदर्शन मिल जाए तो कोई भी महिला अपनी पहचान खुद बना सकती है।  

स्वदेशी रक्षा शक्ति को मिलेगा बढ़ावा, ब्रह्मोस युक्त फाइटर जेट के लिए सरकार की खुली तिजोरी

नई दिल्ली  दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में सामरिक हालात जिस तेजी से बदल रहे हैं, उसे देखते हुए डिफेंस सिस्‍टम को मजबूत करना अनिवार्य हो गया है. भारत के लिए यह स्थिति कहीं ज्‍यादा खतरनाक और संवेदनशील है. वेस्‍टर्न बॉर्डर पर पाकिस्‍तान और उत्‍तरी सीमा पर चीन का खतरा दशकों से है. ये दोनों देश समय-समय पर अपना रंग दिखा चुके हैं. अप्रैल में पहलगाम अटैक के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का ऐलान करते हुए मई के शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च कर पाकिस्‍तान के साथ ही दुनिया के अन्‍य देशों को जवाब दे दिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के रूप में तीसरा दुश्‍मन भी सामने आया. तुर्की ने ड्रोन, वेपन और अपने एक्‍सपर्ट पाक‍िस्‍तान भेजकर आतंकवाद का साथ देने का खुलेआम ऐलान कर दिया. रिपोर्ट की मानें तो तुर्की की डिफेंस कंपनी बांग्‍लादेश में इन्‍वेस्‍ट करने जा रही है. ढाका में शेख हसीना की सरकार का तख्‍तापलट होने के बाद मोहम्‍मद यूनुस की अगुआई में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. पछिले दरवाजे से बांग्‍लादेश की सत्‍ता मिलने के बाद यूनुस भारत के खिलाफ लगातार टेढ़ी चाल चल रहे हैं. ऐसे में तुर्की का बांग्लादेश में पैठ बनाने की कोशिश करना खतरे की घंटी है. बदलते सुरक्षा हालात को देखते हुए अब भारत के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह अपनी ताकत को इस हद तक बढ़ाए कि दुश्‍मन उसकी तरफ आंख उठाकर देखने की जुर्रत न कर सके. इसे देखते हुए आर्मी से लेकर एयरफोर्स और नेवी को लगातार अपग्रेड करते हुए उसे ताकतवर बनाया जा रहा है. आर्मी में अल्‍ट्रा मॉडर्न राइफल, टैंक, ड्रोन आदि को शामिल किया जा रहा है. नेवी में भी नए युद्धपोत और सबमरीन (पनडुब्‍बी) को शामिल करने की प्रक्रिया लगातार जारी है. इंड‍ियन एयरफोर्स को और स्‍ट्रॉन्‍ग बनाने पर लगातार ध्‍यान दिया जा रहा है. भारत सरकार ने वायुसेना के लिए खजाने का मुंह भी खोल रखा है. एयरफोर्स अपने बेड़े में नए फाइटर जेट को जोड़ने के लिए हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) के साथ ₹60000 करोड़ की डील करने पर विचार कर रहा है. दरअसल, इंडियन एयरफोर्स ने साल 2021 में एचएएल के साथ 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट खरीदने का करार किया था. यह डील 48000 करोड़ रुपये की थी. उम्‍मीद है कि इस साल या अगले साल से एचएएल चौथी पीढ़ी (4++) के तेजस Mk1A फाइटर जेट की आपूर्ति करना शुरू कर देगी. अमेरिकी डिफेंस कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की ओर समय पर इंजन मुहैया न करान की वजह से करार के तहत लड़ाकू विमानों की सप्‍लाई पर प्रतिकूल असर पड़ा. एयरफोर्स की ओर से विमानों की आपूर्ति में देरी पर सख्‍त नाराजगी जताने के बाद एचएएल की ओर से प्रयास तेज कर दिए गए. इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं. कुछ रिपोर्ट में तो यहां तक कहा जा रहा है कि देसी सरकारी विमान निर्माता कंपनी साल 2025 से ही तेजस Mk1A फाइटर जेट की सप्‍लाई शुरू कर देगी. जेट प्रोडक्‍शन को रफ्तार देने के लिए एचएएल ने नासिक में नई प्रोडक्‍शन लाइन भी स्‍थापित की है. चिंता की बात यह है कि सीमाई इलाकों की सुरक्षा के लिए एयरफोर्स को 41 से 42 स्‍क्‍वाड्रन विमान की जरूरत है, जबकि वायुसेना के पास फिलहाल 31 स्‍क्‍वाड्रन ही है. परिस्थितियों को देखते हुए इस गैप को जल्‍द से जल्‍द दूर करना जरूरी है, क्‍योंकि बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तान अपने पुराने यार चीन से पांचवीं पीढ़ी का विमान खरीदने जा रहा है. ऐसे में यदि भारत की ओर से तत्‍काल कदम नहीं उठाया गया तो देश सामरिक रूप से पिछड़ सकता है. बता दें कि एयरफोर्स एचएएल को चार साल पहले दिए गए 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट के अलावा अलग से अतिरिक्‍त लड़ाकू विमान का ऑर्डर देने पर विचार कर रहा है. दूसरी तरफ, फौरी जरूरतों को देखते हुए रक्षा विभाग पांचवीं पीढ़ी का स्‍टील्‍थ फाइटर जेट खरीदने पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है. इसपर भी हजारों करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है. अतिरिक्‍त तेजस Mk1A फाइटर जेट डील जानकारी के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स एचएएल को 97 अतिरिक्‍त तेजस Mk1A फाइटर जेट का ऑर्डर देने पर गंभीरता से विचार कर रही है. यद अतिरिक्‍त तेजस Mk1A फाइटर जेट कॉन्‍ट्रैक्‍ट दिया जाता है कि वायुसेना के पास इस कैटेगरी में कुल मिलाकर 180 तेजस Mk1A फाइटर जेट की फ्लीट हो जाएगी. इससे न केवल एयरफोर्स की ताकत बढ़ेगी, बल्कि देसी फाइटर जेट का मार्केट भी डेवलप होगा. सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो पश्चिम से लेकर उत्‍तर तक की सीमा पर दुश्‍मन आंख मिलाने का दुस्‍साहस करने से पहले 100 बार सोचेगा. हालांक‍ि, अमेरिकी फाइटर जेट निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की ओर से वादे के मुताबिक समय पर जेट इंजन मुहैय न कराने की वजह से साल 2021 में 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट मुहैया कराने का करार अभी तक पूरा नहीं हो सका है. हालांकि, HAL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्‍टर डीके सुनील का दावा है कि यदि एयरफोर्स की ओर से अतिरिक्‍त 97 फाइटर जेट का ऑर्डर दिया जाता है तो उसे साल 2031 तक पूरा कर दिया जाएगा. फिलहाल डिफेंस से जुड़ी खरीद कमेटी इसपर विचार कर रही है. बता दें कि एचएएल साल 2027 से हर साल 30 तेजस Mk1A फाइटर जेट बनाने का लक्ष्‍य रखा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जनरल इलेक्ट्रिक भारत में ही पार्टनरशिप के तहत प्रोडक्‍शन यूनिट लगाएगी. ब्रह्मोस-NG की ताकत तेजस Mk1A फाइटर जेट कई मायनों में पूर्व के लड़ाकू विमान से अलग होने वाला है. यह अत्‍याधुनिक रडार सिस्‍टम (एक्टिव इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍कैन्‍ड ऐरे रडार – AESA) से लैस होगा. इसके अलावा इसमें ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल (न्‍यू जेनरेशन) और अस्‍त्र MK-2 मिसाइल भी इंस्‍टॉल करने की तैयारी है. बता दें कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल- NG पाकिस्‍तान में गदर मचाने वाली मौजूदा ब्रह्मोस से अलग और एडवांस्‍ड है. इसकी रेंज भी काफी ज्‍यादा होनेवाली है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ब्रह्मोस का हाइपरसोनिक वर्जन भी डेवलप किया जा रहा है. ऐसे में इसकी रफ्तार काफी ज्‍यादा होने वाली है. तेजस Mk1A फाइटर जेट में जनरल इलेक्ट्रिक के F404-IN20 इंजन का इस्‍तेमाल किया जाएगा. तेजस Mk1A लड़ाकू विमान की कॉम्‍बेट रेडियस 500 किलोमीटर होने वाली … Read more

शिक्षा और पोषण को मिलेगा बढ़ावा, जनजातीय अंचलों में खुलेंगे 66 नए आंगनवाड़ी केंद्र

भोपाल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में बाल विकास एवं पोषण सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DA-JGUA) के अंतर्गत वर्ष 2025-26 में 66 नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थापना और भवन निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई है। यह स्वीकृति केन्द्र सरकार द्वारा अनुमोदित अभियान के अंतर्गत प्राप्त हुई है। स्वीकृत नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के संचालन के लिए 66 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (मानसेवी), 66 आंगनवाड़ी सहायिका (मानसेवी) तथा 02 पर्यवेक्षक (नियमित वेतनमान) के पद स्वीकृत किए गए हैं। 12 लाख रूपये प्रति भवन की लागत निर्धारित की गई है, जिसकी शत-प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी। उल्लेखनीय है कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत प्रदेश के बड़वानी जिले में 25, देवास में 9, खरगौन और रतलाम में 7-7, धार में 5, पन्ना और रीवा में 3-3,श्योपुर और सिंगरौली में 2-2 तथा बैतूल, गुना और नर्मदापुरम में एक-एक आंगनवाड़ी केन्द्र की स्वीकृति मिली है। उल्लेखनीय है कि इस निर्णय से न केवल जनजातीय क्षेत्रों में बाल देखभाल, पोषण, स्वास्थ्य और पूर्व शिक्षा सेवाओं की पहुंच मजबूत होगी, बल्कि स्थानीय समुदायों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। योजना के अंतर्गत कुल 132 मानसेवी पदों पर चयन के माध्यम से स्थानीय महिलाओं को सशक्तिकरण एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रोत्साहन मिलेगा। यह पहल धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर समर्पित उत्कर्ष अभियान को जनजातीय सशक्तिकरण के स्थायी मॉडल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना को तत्परता से क्रियान्वित करते हुए जनजातीय समुदायों को सुविधा, सम्मान और समान अवसर देने की दिशा में प्रतिबद्धता का प्रमाण प्रस्तुत किया गया है।  

कोयलीबेड़ा क्षेत्र में पंच पद अपवर्जन का फैसला, 52 ग्राम पंचायतों के 242 वार्ड प्रभावित

उत्तर बस्तर कांकेर कलेक्टर श्री निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 129 (ड) के तहत अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों में वार्ड पंच पद हेतु आरक्षित पदों की अपवर्जन के लिए आदेश जारी किया है। जारी आदेशानुसार जनपद पंचायत कोयलीबेड़ा (पखांजूर) की 52 ग्राम पंचायत में आरक्षित वर्ग के मतदाता मौजूद नहीं होने के कारण पंच पद के आरक्षण का अपवर्जन किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पखांजूर द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन के आधार पर जनपद पंचायत कोयलीबेड़ा के ग्राम पंचायत आलोर के 03 वार्डों में, प्रेमनगर के 07, द्वारिकापुरी के 06, यशवंतनगर के 05, बापूनगर के 05, कोयगांव के 03, विवेकानन्दनगर के 03, देवपुर के 08 कल्याणपुर के 05, रविन्द्रनगर के 04, हांकेर के 03, मायापुर के 09 और बैकुण्ठपुर के कुल 06 वार्डों का अपवर्जन किया गया है। इसी प्रकार ग्राम पंचायत रामकृष्णपुर के 07 वार्डों, हरिहरपुर के 04, चांदीपुर के 02, चाणक्यपुरी के 07, पित्तभोड़िया के 03, छोटेकापसी के 04, कृष्णनगर के 09, सत्यनगर के 05, ऐसेबेड़ा के 03, बलरामपुर के 04, भिंगीडार के 06, चंदनपुर के 05, श्यामनगर के 03, माटोली के 03, लखनपुर के 04, दुर्गापुर के 06, पेनकोड़ो के 05, इन्द्रप्रस्थ के 07, पुरूषोत्तमनगर के 08 वार्डों का अपवर्जन किया गया है। उदयपुर के 03, जयश्रीनगर के 06, वनश्रीनगर के 05, श्रीपुर के 05, मरोड़ा के 03, लक्ष्मीपुर के 02, जनकपुर के 04, विजयपुर के 05, पाडें़गा के 05, बान्दे कॉलोनी के 02, नागलदण्ड के 05, हनुमानपुर के 03, विष्णुपुर के 06, कुरेनार के 01, विकासपल्ली के 06, राधानगर के 07, गोविन्दपुर के 05, जानकीनगर के 04, स्वरूपनगर के 02 और ग्राम पंचायत ओरछागांव के 01 वार्डों में अनुसूचित जनजाति वर्ग का कोई भी सदस्य निवास नहीं करता है। उक्त ग्राम पंचायतों में वार्ड पंच पद को अनुसूचित जनजाति के आरक्षण यथा स्थिति स्थानों या पद के आबंटन से अपवर्जित किया गया है। कलेक्टर के परीक्षण उपरांत 28 पंचायतों के 53 वार्डों में नहीं किया जाएगा अपवर्जन इसी तरह कलेक्टर द्वारा जनपद पंचायत कोयलीबेड़ा की 28 ग्राम पंचायतों के 53 वार्ड पंच पद के अपवर्जन संबंधी प्रस्ताव के परीक्षण उपरांत आरक्षित वर्ग के मतदाता मौजूद होने के कारण अपवर्जन नहीं किए जाने के लिए उप जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि जनपद पंचायत कोयलीबेड़ा की ग्राम पंचायत मण्डागांव के 01, मदले के 02, विवेकानन्दनगर के 01, कल्याणपुर के 02, बैकुण्ठपुर के 02, रामकृष्णपुर के 03 तथा हरिहरपुर, सत्यनगर, बलरामपुर, गुड़ाबेड़ा एवं केसेकोड़ी के 01-01 और लखनपुर के 03 वार्डों में आरक्षित वर्ग के मतदाता मौजूद हैं। इसी प्रकार ग्राम पंचायत इन्द्रप्रस्थ, माचपल्ली, मरोड़ा, लक्ष्मीपुर, शंकरनगर, पाडें़गा, कुरेनार, विकासपल्ली और उलिया के 01-01, ग्राम पंचायत ताड़ावायली के 02, कंदाड़ी के 10, सितरम के 04, पानीडोबीर के 05, गोविन्दपुर के 01, जानकीनगर के 02 तथा स्वरूपनगर के 01 वार्ड में पंच पद हेतु आरक्षित वर्ग के मतदाता मौजूद हैं। इस आधार पर इन पंचायतों में वार्ड पंच के आरक्षण का अपवर्जन नहीं किया जाएगा।  

राष्ट्रीय आयुष मिशन की नीति पर 11 जुलाई को भोपाल में अहम अंतर्राज्यीय बैठक

भोपाल राष्ट्रीय विभागीय सम्मेलन आयुष मंत्रालय, भारत सरकार अंतर्गत राष्ट्रीय आयुष मिशन संबंधी नीतिगत दस्तावेज के लिए अंतर्राज्यीय बैठक, मध्यप्रदेश के नेतृत्व में 11 जुलाई शुक्रवार को भोपाल में आयोजित होगी। बैठक में केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अधिकारियों के साथ संबंधित राज्य के आयुष विभाग के उच्च अधिकारी सहभागिता करेंगे। आयुष चिकित्सा को चिकित्सा की मुख्य धारा में लाकर आमजन को उच्च स्तरीय आयुष चिकित्सा प्रदान करना तथा आयुष विभाग की अधोसंरचना एवं उच्च गुणवत्तायुक्त मानव संसाधन उपलब्ध कराना इस बैठक का उद्देश्य है। "राष्ट्रीय आयुष मिशन और राज्यों में क्षमता निर्माण" "National AYUSH Mission and Capacity Building in State" के उपविषयों का चयन किया जाकर उपविषय "संगठनात्मक संरचना की समीक्षा मानव संसाधन सुदृढ़ीकरण एवं क्षमता निर्माण सहित" Organizational Structure Review, including HR Strengthening & Capacity Building" के नोडल राज्य मध्यप्रदेश एवं सिक्किम हैं। वर्किंग ग्रुप के अन्य सदस्य राज्य बिहार, दिल्ली, गोवा एवं नागालैण्ड हैं। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में 17 अप्रैल 2025 को आयोजित बैठक में नीति आयोग द्वारा राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में विचार विमर्श के लिए आगामी 6 शिखर सम्मेलन के 6 विषय का चयन किया गया है। चयनित विषयों में से एक विषय के रूप में "राष्ट्रीय आयुष मिशन और राज्यों में क्षमता निर्माण" "National AYUSH Mission and Capacity Building in State" का चयन किया गया है।

मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव-इंदौर: शहरी विकास के नए युग की ओर बढ़ते कदम

इंदौर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 11 जुलाई को इंदौर स्थित ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित “मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025 – सिटीज ऑफ टुमॉरो” का शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कॉन्क्लेव में होटल, पर्यटन, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों के प्रमुख निवेशकों से संवाद करेंगे। यह आयोजन प्रदेश में शहरी विकास के ब्लूप्रिंट और भविष्य की योजनाओं पर केंद्रित रहेगा। इस उच्च स्तरीय आयोजन में देश के 1500 से अधिक निवेशकों, उद्योगपतियों, कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों की सहभागिता होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दोपहर 1:30 बजे कॉन्क्लेव स्थल पर पहुँचकर एक्जीबिशन का अवलोकन करेंगे, उसके बाद विशिष्ट अतिथियों के साथ बैठक करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दोपहर 3 बजे दीप प्रज्ज्वलन के साथ कॉन्क्लेव का शुभारंभ करेंगे। कॉन्क्लेव में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय और नगरीय प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। आयोजन में क्रेडाई, नगर निगम, आईडीए, स्मार्ट सिटी, हाउसिंग बोर्ड, मैट्रो, हुडको, एलआईसी सहित कई संस्थाओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। तकनीकी सत्रों का आयोजन कॉन्क्लेव में चार तकनीकी-सत्र आयोजित होंगे, जिनमें “शहरी उत्कृष्टता के लिए आधिनिक तकनीक, विकास के केंद्र के रूप में शहर, भविष्य के लिए सतत हरित शहरीकरण और भविष्य के शहरों की यातायात व्यववस्था” जैसे विषयों पर विशेषज्ञ सहभागिता करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कॉन्क्लेव में MP लॉकर, ET अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन समिट 2025 ब्रोशर का विमोचन, एमओयू साइनिंग और “सौगात” का उद्घाटन एवं अनावरण करेंगे। वह निवेशकों को प्रशस्ति-पत्र भी भेंट करेंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के शहरीकरण में निवेश अवसरों पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया जायेगा। शहरीकरण में निवेश के अवसर प्रदेश में मेट्रो, ई-बस, मल्टीमॉडल हब, अफोर्डेबल हाउसिंग, वॉटरफ्रंट डेवेलपमेंट, सीवेज नेटवर्क, ई-गवर्नेंस, स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट रोड्स जैसे क्षेत्रों में निवेश की असीम संभावनाएँ हैं। प्रदेश में अफोर्डेबल हाउसिंग में 8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके हैं और 10 लाख से अधिक नए आवासों पर कार्य चल रहा है, जिनमें लगभग ₹50,000 करोड़ का निवेश संभावित है। रियल इस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध हैं। पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शतप्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई हैं। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाइज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है। इंदौर में आयोजित यह ग्रोथ कॉन्क्लेव न केवल प्रदेश की शहरी योजनाओं को रफ्तार देगा, बल्कि निवेशकों को एक मजबूत और विश्वसनीय मंच भी प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नेतृत्व में प्रदेश शहरी परिवर्तन की ओर तेज़ी से अग्रसर है।  

आजीविका के साथ आधुनिकता के संगम से समृद्ध बनेंगे मछुआरे : राज्यमंत्री पंवार

समर्पण, समानता और सेवा का सनातन प्रतीक हैं निषादराज सामाजिक समरसता के प्रतीक निषादराज के सम्मान में 12 जुलाई को उज्जैन में होगा महासम्मेलन आजीविका के साथ आधुनिकता के संगम से समृद्ध बनेंगे मछुआरे : राज्यमंत्री पंवार मुख्यमंत्री डॉ. यादव देंगे अनेक सौगातें भोपाल मत्स्य पालन एवं मछुआ कल्याण राज्यमंत्री श्री नारायण सिंह पंवार ने निषाद समाज की समृद्धि के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में हो रही सकारात्मक पहल के लिए आभार जताते हुए कहा कि निषादराज सम्मेलन से राज्य सरकार निषाद समाज की परंपराओं को सम्मान दे रही है। उनके जीवन और आजीविका को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने का कार्य भी कर रही है। यह एक ऐसा प्रयास है जिसमें इतिहास की प्रेरणा और भविष्य की योजना दोनों साथ चल रहे हैं। यह सम्मेलन मछुआ समाज के सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि उज्जैन में होने जा रहे निषादराज सम्मेलन से निषाद समाज के गौरव को एक मंच मिलने जा रहा है। निषादराज सम्मेलन और उज्जैन की पवित्र नगरी में इसके आयोजन की पौराणिक संदर्भ में व्याख्या करते हुए राज्य मंत्री श्री पंवार ने कहा कि रामायण के लोकनायक श्रीराम जब 14 वर्षों के वनवास पर निकले, तब मार्ग में उन्हें जो प्रथम सच्चा मित्र मिला, वह था निषादराज गुह। न कोई राजसी वैभव, न कोई अधिकार फिर भी निषादराज ने जो आत्मीयता, श्रद्धा और समर्पण दिखाया, वह आज भी भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। राज्यमंत्री श्री पंवार ने कहा कि जब श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी गंगा के तट पर पहुंचे, तब निषादराज ने न केवल उन्हें विश्राम दिया, बल्कि अपनी संपूर्ण भक्ति से उनके चरण धोए। यह दृश्य केवल एक राजा की अतिथि सेवा नहीं था। यह सामाजिक समरसता का वह अद्वितीय पल था, जब एक वनवासी और एक राजकुमार के बीच भेदभाव की सारी रेखाएं मिट गईं। निषादराज और श्रीराम की मित्रता का यह आदर्श हमें आज भी यह सिखाता है कि भक्ति और मित्रता में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, केवल भावना की विशालता ही सबसे बड़ा मूल्य है। निषादराज सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति इस आयोजन को विशेष बना रही है। इस मंच के माध्यम से न केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह सम्मेलन सरकार और समाज के बीच सहभागिता का नया अध्याय रचेगा। मत्स्य संपदा में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश आज मत्स्य उत्पादन और मछुआ समाज के सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना जैसे नवाचारों ने हजारों मछुआरों के जीवन में नई आशा की किरण जगाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव देंगे विकास कार्यों की सौगात राज्य मंत्री श्री पंवार ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव कार्यक्रम में 22.65 करोड़ रूपये की लागत के 453 स्मार्ट फिश पार्लर, 40 करोड़ रूपये की लागत से बन रहे अत्याधुनिक अंडर वॉटर टनल सहित एक्वापार्क और 91.80 करोड़ रूपये की लागत से इंदिरा सागर जलाशय में 3060 केजेस का वर्चुअली भूमि-पूजन करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव 430 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स के स्वीकृति पत्र एवं 100 यूनिट्स का वितरण, 396 केज के स्वीकृति पत्र का प्रदाय, फीडमील के हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र का प्रदाय एवं उत्कृष्ट कार्य कर रहे मछुआरों एवं मत्स्य सहकारी समितियों को पुरस्कार वितरण करेंगे। इस अवसर पर महासंघ के मछुआरों को 9.63 करोड़ रूपये के डेफर्ड वेजेस का सिंगल क्लिक से अंतरण करने के साथ ही रॉयल्टी चेक प्रदाय करेंगे।  

रजिस्ट्री के लिए दफ्तर की दौड़ खत्म, अब 75 दस्तावेज ऑनलाइन होंगे रजिस्टर्ड

भोपाल  संपदा-2.0(Sampada 2.0) लागू होने के बाद इसमें लगातार नई सुविधाओं को जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में कुल 141 तरह के दस्तावेजों की रजिस्ट्री होती हैं। इनमें से 75 प्रकार के दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। लगभग 40% रजिस्ट्री इन्हीं दस्तावेजों की होती हैं। इनमें पॉवर ऑफ अटॉर्नी, इंडस्ट्री लोन, सर्टिफिकेट ऑफ सेल, बैंक द्वारा बेची जाने वाली प्रॉपर्टी, सभी तरह की लीज और कोऑनरशिप संबंधी दस्तावेज घर बैठे ऑनलाइन रजिस्टर करा सकते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत उद्योगों संबंधी दस्तावेजों की रजिस्ट्री ऑनलाइन(Online Registry) कर दी गई है, लेकिन इस सुविधा का वे ही इस्तेमाल कर सकते हैं जिन्होंने आधार का उपयोग किया है। इसमें वीडियो ई-केवायसी का उपयोग किया जा रहा है। एआइ के जरिए चेहरा मैच कर पहचान स्थापित की जा रही है। घर बैठे ऑनलाइनरजिस्ट्री वाणिज्यिक कर विभाग ने 1 अप्रेल 2025 से सभी प्रकार की रजिस्ट्रियां संपदा-2.0 से शुरू कर दी हैं। 75 दस्तावेजों की रजिस्ट्री में ऐच्छिक कर दिया गया है कि पक्षकार सब रजिस्ट्रार ऑफिस आकर या नहीं आकर ऑनलाइनरजिस्ट्री करा सकते हैं। मॉडल दस्तावेज पंजीयन आइजी अमित तोमर के अनुसार वीडियो ई-केवायसी और एआइ से यह संभव हो सका है। दस्तावेज तैयार करने मॉडल दस्तावेज संपदा 2.0 की वेबसाइट पर डाले गए हैं। इनमें जानकारियां भरकर ऑनलाइन पंजीयन कराया जा सकता है। इसके अलावा सुविधाओं के टयूटोरियल भी डाल दिए गए हैं। इनके लिए सुविधा नहीं अनपढ़ और दृष्टिहीन लोगों को तकनीक के माध्यम से होने वाले फ्रॉड से बचाने के लिए ऑनलाइन सुविधा नहीं दी गई है। उन्हें ऑफिस में आकर ही रजिस्ट्री करानी होगी। इसके साथ अभी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री और वसीयतनामे जैसे संवेदनशील दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए भी ऑफिस आने की अनिवार्यता है। अभीइनके लिए वीडियो ई-केवायसी की सुविधाशुरू नहीं की गई है। ऐसे समझें     नॉन इंटरेक्टिव ई-केवायसी में सबसे पहले डॉक्यूमेंट तैयार करना होगा। इसे ऑनलाइन तैयार कर सकते हैं या सर्विस प्रोवाइडर से।     डॉक्यूमेंट सबमिट करते समय वीडियो केवायसी का विकल्प मिलेगा। दो आइडी देनी होंगी।     रजिस्ट्री कराने वाले पक्षकार अपना वीडियो बनाएंगे। एआइ कुछ सवाल पूछेगा। पक्षकार के चेहरेका एनालिसिस करेगा।     सभी आइडी में जानकारियां एक जैसी नहीं होंगी या चेहरा मेल नहीं खाएगा तो एआइ रिजेक्ट कर देगा। मैच होने पर प्रक्रिया बढ़ेगी।     टोकन सब रजिस्ट्रार के पास पहुंच जाएगा और दस्तावेज अगले दिन रजिस्टर कर देगा। दस्तावेज ई-मेल, व्हाट्सएप पर पहुंच जाएगा।     इंटरैक्टिव वीडियो ई-केवायसी में सब रजिस्ट्रार वीसी से पक्षकारों से बात करेंगे। उसी दौरान एआइ चेहरे का मिलान कर लेगा। सब रजिस्ट्रार को तभी बताना होगा कि दस्तावेज रजिस्टर हुआ या नहीं।