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नरेश मीणा को हाईकोर्ट से राहत, रिहाई का रास्ता साफ

जयपुर देवली-उनियारा आगजनी प्रकरण में लंबे समय से जेल में बंद नरेश मीणा को आखिरकार राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश प्रवीण भटनागर ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए नरेश मीणा की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। इससे पहले, इसी प्रकरण से जुड़े थप्पड़कांड मामले में भी मीणा को जमानत मिल चुकी है। नरेश मीणा पिछले करीब आठ महीनों से न्यायिक हिरासत में थे। उन्हें 13 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से वे जेल में बंद थे। अब कोर्ट के फैसले के बाद नरेश मीणा की सोमवार को टोंक जिला जेल से रिहाई संभावित है। मीणा के संघर्ष के साथी सरपंच मुकेश मीणा ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया कि नरेश मीणा को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है और सोमवार को वे रिहा होंगे। जेल से बाहर आने के बाद नरेश सबसे पहले समरावता गांव आएंगे, जहां समर्थक उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद वे अपने गृह जिले बारां जाएंगे। नरेश मीणा की रिहाई को उनके समर्थक एक 'संघर्ष की जीत' के रूप में देख रहे हैं और कई जगहों पर उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मामले में अगली कानूनी प्रक्रिया क्या दिशा लेगी, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।  

दमोह की नदी में घात लगाए मगरमच्छ, महिला पर किया घातक हमला

दमोह मध्यप्रदेश के दमोह जिले में शुक्रवार की सुबह एक मगरमच्छ ने नदी के किनारे बैठी 40 वर्षीय महिला को मार डाला। स्थानीय लोगों ने बताया कि पीड़िता मालती बाई सावन के पवित्र महीने के पहले दिन कनियाघाट पट्टी गाँव में नदी में नहाने गई थी। क्षेत्र के उप मंडल दंडाधिकारी आर एल बागरी ने बताया कि मालती नदी के पास बैठी थी, तभी एक मगरमच्छ ने उस पर हमला कर दिया और उसे पानी में खींच लिया। उनके अनुसार, ग्रामीणों ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। उन्होंने बताया कि बाद में, वन विभाग और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल ने बचाव अभियान चलाया। अधिकारी ने बताया कि महिला का शव जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर नदी से एसडीआरएफ की एक टीम ने बरामद किया। उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव मालती के परिवार को सौंप दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि वन विभाग ने जलाशय के पास होर्डिंग लगाकर ग्रामीणों को नदी में न जाने की चेतावनी दी है क्योंकि मगरमच्छों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।  

महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून : POSH अधिनियम 2013

भोपाल  अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुश्री सोनाली मिश्रा ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में लागू किया गया। इस कानून में “कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम” (POSH एक्ट, 2013) महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावी और मजबूत कानूनी संरचना के रूप में सामने आया है। इस अधिनियम का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना, उत्पीड़न की घटनाओं को रोकना, और समुचित समाधान की प्रक्रिया उपलब्ध कराना है। सुश्री मिश्रा शुक्रवार को मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा पं. सुंदरलाल शर्मा केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षण संस्थान में कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम-2013 पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। सुश्री मिश्रा ने कहा कि POSH अधिनियम महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। पुलिस विभाग इसे केवल कानून प्रावधान नहीं बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में देखता है। कार्यस्थल पर पीड़िता को शिकायत दर्ज कराने के लिये प्रेरित करना चाहिए। शासकीय सेवा में नियुक्ति के समय महिलाओं के साथ पुरूषों का भी ओरिएंटेशन किया जाना चाहिए। सुश्री मिश्रा ने कहा कि कार्यस्थल पर गठित समिति को देखना चाहिए कि POSH अधिनियम का दुरूपयोग न किया जा रहा हो। पुलिस उप महानिरीक्षक श्री विनीत कपूर ने कहा कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न दण्डनीय अपराध है। POSH अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकना, उनके सुरक्षित, सम्मानजनक और समान अवसरों वाला कार्य वातावरण उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि कार्यालय में उत्पीड़न समिति के सदस्यों का नाम नोटिस बोर्ड पर प्रमुखता से लिखा होना चाहिए। साथ ही कार्यालय में पारदर्शिता से कार्य, सीसीटीवी और शौचालय आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना चाहिए। श्री कपूर ने कहा कि इस अधिनियम के तहत पीड़िता की पहचान को गोपनीय रखते हुए पूरे मामले की संवेदनशीलता के साथ जांच की जाती है। म.प्र. बाल संरक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती निशा सक्सेना ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य महिला कर्मचारियों को POSH अधिनियम के प्रति जागरूक करना है। राज्य महिला आयोग के सचिव श्री सुरेश तोमर ने कहा कि POSH अधिनियम की जानकारी सभी कर्मचारियों को देना संस्थानों की जिम्मेदारी है। समय-समय पर कर्मचारियों के लिये संवेदनशीलता और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है बल्कि संस्थानों को नैतिक और कानूनी रूप से जवाबदेह भी बनाता है। कार्यशाला में सुफल सर्व उत्थान फॉर आर्ट, लाइफ एण्ड कल्चर वेलफेयर सोसायटी की श्रीमती भावना त्रिपाठी ने कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न, निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष विषय पर विस्तृत जानकारी दी।  

वेतन वृद्धि की तैयारी? 8वें वेतन आयोग पर चर्चा तेज, कर्मचारियों को मिल सकती है बड़ी सौगात

नई दिल्ली करोड़ों सरकारी कर्मचारी और रिटायर्ड कर्मचारी 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस बीच एक खबर ने इनकी खुशी और बढ़ा दी है. द इकोनॉमिक टाइम्‍स की एक रिपोर्ट में कहा है कि इस वेतन आयोग के लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी (Employees Salary) 30 से 34 फीसदी तक बढ़ सकती है.  ब्रोकरेज फर्म एम्बिट कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वेतन और पेंशन में 30-34% की वृद्धि कर सकता है, जिससे लगभग 1.1 करोड़ लोगों को लाभ होगा. नया वेतनमान जनवरी 2026 से लागू होने की उम्‍मीद है, लेकिन इसके लिए पहले वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार करनी होगी, फिर सरकार को भेजनी होगी और उसे मंजूरी देनी होगी. अभी तक सिर्फ ऐलान ही हुआ है. आयोग का अध्‍यक्ष कौन होगा और उसका कार्यकाल क्‍या होगा? अभी ये फैसला होना बाकी है.  किसे मिलेगा ये लाभ? 8th Pay Commission से लगभग 1.1 करोड़ लोगों को लाभ मिल सकता है, जिनमें करीब 44 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और लगभग 68 लाख पेंशनर्स हैं. 8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, भत्ते और रिटायरमेंट बेनिफिट में ग्रोथ होगी.  क्‍या होता है फिटमेंट फैक्‍टर?  नए वेतन तय करने का एक खास हिस्‍सा फिटमेंट फैक्‍टर है, यह वह संख्‍या है जिसका यूज मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नई सैलरी तय किया जाता है. उदाहरण- सातवें वेतपन आयोग ने 2.57 के फैक्‍टर का इस्‍तेमाल किया था. उस समय इसने मिनिमम बेसिक सैलरी  7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह कर दिया था. रिपोर्ट कहती है कि इस बार फिटमेंट फैक्‍टर 1.83 और 2.46 के बीच हो सकता है. कर्मचारियों और पेंशनर्स को कितनी बढ़ोतरी मिलेगी, इसमें सटीक आंकड़ा अहम भूमिका निभाएगा.  क्‍या रहा है सैलरी बढ़ोतरी का इतिहास?  पिछले वेतन आयोगों ने कई लेवल पर सैलरी ग्रोथ दिखाई है. 6वें वेतन आयोग (2006) ने कुल वेतन और भत्तों में लगभग 54% की ग्रोथ दी थी. इसके बाद 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया, तब बेसिक सैलरी में 14.3% और अन्‍य भत्ते जोड़ने के बाद पहले साल में करीब 23 फीसदी की ग्रोथ दिखाई थी.  कैसे किया जाता है सैलरी का कैलकुलेशन?  एक सरकारी कर्मचारी की सैलरी में मूल वेतन, महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए), परिवहन भत्ता (टीए), और अन्य छोटे-मोटे लाभ शामिल होते हैं. समय के साथ, मूल वेतन का हिस्सा कुल पैकेज के 65% से घटकर लगभग 50% रह गया है और अन्य भत्तों का हिस्सा इससे भी ज्‍यादा हो गया है. इन सभी को जोड़कर ही मंथली सैलरी दी जाती है. पेंशनर्स के लिए भी इसी तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे. हालांकि HRA या TA नहीं दिया जाएगा. 

मोहन भागवत का बड़ा बयान: उम्र 75 पार तो राजनीति से संन्यास जरूरी?

नई दिल्ली  आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत की एक टिप्पणी की बहुत चर्चा हो रही है। इस टिप्पणी के बहाने कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का कहना है कि उन्होंने 75 साल में रिटायरमेंट की बात करके पीएम नरेंद्र मोदी को संकेत दिया है। मोहन भागवत के बयान का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल है। दिलचस्प तथ्य यह है कि खुद मोहन भागवत इस साल 11 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे और फिर 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी 75 साल के हो जाएंगे। ऐसे में उनके बयान को प्रधानमंत्री से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन उनकी टिप्पणी के एक हिस्से की बजाय पूरे बयान को सुनने पर पता चलता है कि जो बात वायरल हो रही है, वह उनके अपने शब्द ही नहीं हैं। मोहन भागवत ने जो कहा, वह आरएसएस के एक दिवंगत प्रचारक और सीनियर नेता मोरोपंत पिंगले की टिप्पणी थी। मोहन भागवत ने उनके जीवन पर आधारित पुस्तक 'मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस' का नागपुर में विमोचन किया तो उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों का जिक्र करने लगे। इसी दौरान मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायरमेंट वाली पिंगले की बात का जिक्र किया, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी के लिए उनकी सलाह बताया जा रहा है। मोहन भागवत ने दरअसल मोरोपंत पिंगले के 75 साल के होने पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनके बयान का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आपको 75 साल का होने पर शॉल ओढ़ाए जाने का मतलब है कि आपको रिटायर हो जाना चाहिए। मोरोपंत पिंगले के बयान को उद्धृत करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘वृंदावन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग थी। वहां कार्यकर्ता आ रहे थे। उसी दौरान एक कार्यक्रम में शेषाद्री जी ने कहा कि आज अपने मोरोपंत पिंगले जी के 75 साल पूरे हुए हैं औऱ इस अवसर पर उन्हें शॉल ओढ़ा कर सम्मान करते हैं। फिर मोरोपंत पिंगले जी से बोलने का आग्रह किया गया। इस दौरान कार्यकर्ता मुस्कुरा रहे थे। मोरोपंत पिंगले खड़े हुए कहा कि मैं उठता हूं तो लोग हंसते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है कि शायद लोग मुझे लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मुझे लग रहा है कि जब मैं मर जाऊंगा तो लोग पत्थर मारकर देखेंगे कि मैं मर गया हूं या नहीं। 75 साल की शॉल जब ओढ़ी जाती है तो उसका अर्थ यह होता है कि आपने बहुत किया और अब दूसरों को मौका दिया जाए।’ रामजन्मभूमि आंदोलन के रणनीतिकार थे मोरोपंत पिंगले इसके आगे मोहन भागवत ने कहा कि मुझे मोरोपंत पिंगले जी का जिक्र करते हुए गर्व होता है। हम जो हासिल करते हैं या महिमा पाते हैं तो उससे चिपक जाते हैं। चिपकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मोरोपंत महान व्यक्ति थे, उन्होंने कभी चर्चा पाने या महत्व के लिए कार्य नहीं किया। वह रामजन्मभूमि आंदोलन के रणनीतिकार थे, लेकिन कभी आगे नहीं आए। इसकी बजाय अशोक सिंघल जी को आगे किया। भागवत ने कहा, ‘मोरोपंत पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अनेक काम यह सोचकर किए कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।’ मोरोपंत पिंगले की सही हुई थी 1977 के चुनाव वाली भविष्यवाणी आपातकाल के बाद राजनीतिक मंथन के दौरान पिंगले की भविष्यवाणियों का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, 'जब चुनाव का मुद्दा चर्चा में आया, तो मोरोपंत ने कहा था कि अगर सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो लगभग 276 सीटें जीती जा सकती हैं। जब नतीजे आए, तो जीती गई सीटों की संख्या 276 ही थी।’ फिर भी मोरोपंत पिंगले ने कभी इसका श्रेय नहीं लिया।  

भविष्य के लिए सतत हरित शहरीकरण विषय पर हुआ सत्र

हरित बुनियादी ढांचे का विकास, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, कार्बन क्रेडिट, स्मार्ट सिटी एवं नागरिकों की भागीदारी विषय पर हुई चर्चा भोपाल  इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को हुये सत्र में मध्यप्रदेश ग्रोथ कान्क्लेव 2025 के अंतर्गत "भविष्य के लिए सतत हरित शहरीकरण" सत्र में इंटीग्रेटेड टाउन प्लानिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, हरित बुनियादी ढांचे का विकास, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण स्मार्ट सिटी एवं नागरिकों की भागीदारी विषयों पर विचार मंथन किया। प्रमुख सचिव पर्यावरण श्री नवनीत मोहन कोठारी ने कहा है कि सरकार नीतियों एवं चुनौतियों को सुदृढ़ करते हुये हरित नगरों का विकास कर सतत विकास को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है। शहरों का विकास इस तरह से करना चाहिए कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो और लोगों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। सत्र में कार्यकारी निर्देशक सीएसई सुश्री अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि समुदाय हरित विकास की योजना बनाने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पर्यावरण को बचाने और टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देने में सक्रिय सहभागिता करते है। अधोसंरचना तत्परता के लिये भवन निर्माण एवं वाहन क्षेत्र में उचित वेस्ट मैनेजमेंट किया जाना चाहिए। रीसाइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट पर भी विशेष ध्यान देना चाहिये। रीएनर्जी डायनेमिक्स प्राइवेट के सीईओ और सह-संस्थापक श्री वरुण कराड ने कहा कि भविष्य उन्मुखी शहरों का निर्माण किया जाना चाहिए जो अगले कई सालों तक यथावत रहे। ग्रीन बॉन्ड ,कार्बन क्रेडिट एवं पीपीपी मॉडल इस ओर एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। वर्बियो इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री आशीष कुमार ने बायो फ्यूल में पीपीपी मॉडल, नीति आधारित समावेशी प्रबंधन विषयों पर चर्चा कर निजी क्षेत्र में तकनीकी अनुभव, प्रमाणित तकनीक एवं प्रमाणीकरण की महत्ता पर ज़ोर दिया गया है । एसएस गैस लैब एशिया के सदस्य आईएफजीई अध्यक्ष नेट जीरो,लघु उद्योग भारती की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री जयंती गोएला ने तीव्र औद्योगिक विकास के दौर में ट्रांज़िशन तकनीकों की आवश्यकता पर जोर देते हुए ऐसी तकनीकों के विकास पर बल दिया जिनसे कार्बन फुटप्रिंट को नियंत्रित किया जा सके। ईकेआई एनर्जी उपाध्यक्ष और वैश्विक व्यापार विकास के प्रमुख श्री सिद्धात गुप्ता ने नेट जीरो लक्ष्य, सस्टेनेबल प्लानिंग, कार्बन क्रेडिट मॉनिटरिंग आदि विषयों पर चर्चा की। सत्र के अन्त में पूर्व लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन ने ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे शहरीकरण पर अपने विचार रखें ।  

सिर्फ मैदान पर ही नहीं, दौलत में भी दिग्गज हैं गावस्कर

मुंबई लिटिल मास्टर के रुप में लोकप्रिय रहे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर 76 वर्ष की उम्र में भी क्रिकेट से मोटी कमाई कर रहे हैं। खेल से संन्यास के बाद गावस्कर कमेंट्री से जुड़ गये थे। अपने अंदाज के कारण गावस्कर ने कमेंटेटर के तौर पर अलग पहचान बनायी है। संन्यास के कई साल बीत जाने के बाद भी गावस्कर के पास करोड़ों के विज्ञापन हैं। उनके पास महंगी लक्जरी गाड़ियां हैं। उनके पास देश में ही नहीं विेदेश में भी संपत्ति है। उनकी नेटवर्थ में लगातार बढ़ रही है। उन्हें बीसीसीआई से भी हर महीने पेंशन की राशि मिलती है। इसके अलावा वह आईपीएल 2025 के बाद से ही एक सत्र में सबसे अधिक रकम पाने वाले कमेंटेटर भी बन गये हैं। गावस्कर की नेटवर्थ लगभग 250 करोड़ है। उन्होंने ये संपत्ति कमेंट्री, विज्ञापनों और पेंशन से अर्जित की है। एक  रिपोर्ट के मुताबिक गावस्कर आईसीसी और आईपीएल कमेंट्री से करीब 30 से 36 करोड़ कमाते हैं। आईपीएल के पिछले सत्र के बाद से वह एक कमेंट्री में एक सत्र से लगभग 4.17 करोड़ कमा रहे हैं। वहीं बीसीसीआई से जुड़े मैच अनुबंध से वह लगभग 6 करोड़ कमा रहे हैं। बीसीसीआई से उन्हें पेंशन के तौर पर प्रति माह 70 हजार रुपये मिलते हैं।  भारतीय क्रिकेट बोर्ड 75 या उससे ज्यादा टेस्ट खेलने वाले अपने खिलाड़ियों को हर महीने ये राशि देता है. गावस्कर कई बड़े ब्रैंड्स के विज्ञापन भी करते हैं। उनक क्रिकेट बल्ले बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी बैट कंपनी एसजी के साथ भी करार हुआ है। इसके अलावा वह कारोबार भी करते हैं। साल 1985 में गावस्कर ने सुमेध शाह के साथ मिलकर देश की पहली स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी बनाई। वर्तमान में गावस्कर इस कंपनी के निदेशक हैं।  गावस्कर के पास गोवा में एक आलीशान कोठी है जिसकी कीमत करीब 20 करोड़ है। इसके अलावा दुबई के पॉश इलाके पाल्म जुमैराह में भी गावस्कर का घर है। उनके पास बीएमडब्ल्यू 5 सीरीज और 7 सीरीज की कारें हैं। गावस्कर की गैराज में डेढ़ करोड़ से अधिक की कीमत वाली एमजी हेक्टर प्लस और 1.2 करोड़ से अधिक की बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज कारें हैं। गावस्कर समाजसेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। उनकी संस्था जरूरतमंद लोगों की सेवा करती है।   

मंत्रालय वल्लभ भवन क्रमांक-1 के रेनोवेशन संबंधी हुई बैठक

भोपाल  मंत्रालय वल्लभ भवन क्रमांक-1 के रेनोवेशन संबंधी बैठक अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन श्री संजय कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में हुई। वर्तमान में इस भवन में मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय सहित 19 विभाग कार्य कर रहे हैं। बैठक में विभागों के स्थान परिवर्तन पर विचार-विमर्श किया गया। जीर्णोधार एवं उन्नयन में अग्निशमन, विद्युत, लिफ्ट, शौचालय, एयर कंडीशन, फर्नीचर की व्यवस्था एवं उच्च गुणवत्ता का ध्यान रखे जाने पर बल दिया गया। बैठक में संबंधित विभागों के अपर सचिव, उपसचिव सहित कार्यपालन यंत्री, उपस्थित थे।  

अनियंत्रित होकर खाई में गिरी गाड़ी, पांच मजदूरों की मौत, सीएम साय ने जताया दुख

कबीरधाम आज बह करीब छह बजे कबीरधाम जिले के कुकदूर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम आगरपानी के पास एक गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई है। ये गाड़ी शहडोल (एमपी) की तरफ से पंडरिया आ रही थी। इस हादसे में गाड़ी में बैठे पांच मजदूरों की मौत हो गई और तीन गंभीर रूप से घायल हैं। घटना स्थल पहाड़ी इलाका होने के कारण शवों व घायलों को निकालने में दिक्कत का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि घाट में 50 फीट गहरी खाई है, इसी में वाहन गिर गया। कुछ घायल फंसे हुए हैं, जिन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है। मौके पर कुकदूर थाना की पुलिस पहुंची हुई है। घायलों को कुकदूर के सरकारी अस्पताल में लाया गया। जानकारी के मुताबिक, तीनों घायलों की हालत गंभीर है, जिसे कवर्धा जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है। बता दें कि ये वही क्षेत्र है जहां बीते साल मई माह में पिकअप खाई में गिर गई थी, उस हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई थी। कवर्धा जिला अस्पताल में तीन गंभीर रूप से घायल को लाया गया था, जिसमें में दो की मौत हो गई है। वही, एक अन्य को रायपुर रेफर किया जा रहा है। अब मौत के आंकड़े तीन से बढ़कर 5 हो गए है। घटना पर सीएम साय ने जताया दुख     कवर्धा जिले के आगरपानी के पास हुई सड़क दुर्घटना में पांच लोगों के दु:खद निधन और चार अन्य के घायल होने की खबर अत्यंत पीड़ादायक है।     ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को शांति और घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें। ब्रेक फेल होने के कारण हुआ हादसा इस हादसे के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दिया है। शुरुआती जांच के अनुसार ब्रेक फेल के कारण हादसा होना बताया जा रहा है। कुकदूर थाना से मिली जानकारी अनुसार शहडोल (एमपी) से बेमेतरा जा रही बोर गाड़ी ग्राम चांटा थाना कुकदूर के पास ब्रेक फेल होने से अनियंत्रित होकर घाटी में गिर गई। जिससे घटनास्थल पर  तीन लोगों की मौत हो गई थी। घायल 6 लोगों को तुरंत इलाज के लिए कुकदूर अस्पताल भेजा गया था, जहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया। इलाज के दौरान दो लोगों की मौत हो गई है। चालक हरि वलगन (तमिलनाडु) और वाहन मालिक किशोर तंगवेल (तमिलनाडु) है। वही, मृतकों के नाम भी पुलिस ने जारी किए है, जिसमें गजेंद्र राम पिता रंगू राम उम्र 30 वर्ष निवासी ठेठे टांगर बरा गजोर थाना कुनकुरी, सुभाष राम पिता बलदेव उम्र 25 वर्ष ग्राम बरागजोर थाना कुनकुरी, हरीश पिता चंद्राराम उम्र 19 वर्ष जाति भुईहर ग्राम बरागजोर थाना कुनकुरी, देवधर पिता देवभोराम उम्र 45 वर्ष निवासी नारियरढार कोका भरी थाना भन्सानेल, ये सभी जिला जशपुर (छत्तीसगढ़) के है। राज उम्र 50 वर्ष निवासी तिर चूमगोड़ थाना नामकल जिला नामकल तमिलनाडु निवासी है। मृतक के परिजनों को जानकारी दे दी गई। उनके आने के बाद पोस्टमार्टम होगा।  

स्कूलों के विलय पर हाई कोर्ट की मुहर, जनहित याचिका एक बार फिर खारिज

लखनऊ   इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बेसिक शिक्षा अधिकारी के तहत आने वाले स्कूलों के विलय को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने गुरवार को ज्योति राजपूत की याचिका पर यह फैसला दिया है। याचिका पर राज्य सरकार ने भी आपत्ति जताकर अपना पक्ष रखा। न्यायालय ने कहा कि इस विषय पर सात जुलाई को एकल पीठ ने निर्णय दिया था, जिसमें विलय के उक्त आदेश के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था, वर्तमान जनहित याचिका में एकल पीठ के सात जुलाई के उक्त निर्णय का कोई जिक्र नहीं है लिहाजा इलाहाबाद हाई कोर्ट रुल्स के प्रावधानों के तहत उक्त जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को शुरुआती सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। इस याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर आपत्ति उठाई गई कि मामले में उठाए गए मुद्दे पहले ही सीतापुर के 51 बच्चों की याचिका में एकल पीठ ने निर्णीत कर दिए हैं। ऐसे में समान मुद्दों को लेकर दाखिल यह पीआईएल सुनवाई के योग्य नहीं है। सरकार की आपत्ति पर गौर करने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। स्थानीय अधिवक्ता ज्योति राजपूत की जनहित याचिका में राज्य सरकार के स्कूलों के विलय या दो स्कूलों को जोड़ने के राज्य सरकार के 16 जून के आदेश को चुनौती देकर रद करने का आग्रह किया गया था। याची ने गांवों के दूरदराज इलाकों में रहने वाले गरीबों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए परिवहन व्यवस्था करने का आग्रह किया था। याचिका में आरटीई अधिनियम के तहत राज्य सरकार को बच्चों के परिवहन के दिशानिर्देश तय करने के निर्देश देने का भी आग्रह किया गया था। याची ने स्कूलों के विलय को गरीब बच्चों के हितों के खिलाफ बताया था। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ दलील दी कि इसी सात जुलाई को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्कूलों के विलय के खिलाफ सीतापुर के 51 बच्चों की दाखिल याचिका समेत एक अन्य याचिका पर विस्तृत फैसला देकर खारिज कर दिया है। ऐसे में समान मामले में यह जनहित याचिका सुनवाई के लायक नहीं है। कोर्ट ने सरकार की ओर से उठाई गई शुरुआती आपत्ति के मद्देनजर जनहित याचिका खारिज कर दी।