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सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी कामयाबी, देहरादून में डायनामाइट के साथ पकड़े गए तीन आरोपी

देहरादून  देहरादून में 11 जुलाई 2025 को तीन लोगों को 125 किलोग्राम डायनामाइट के साथ पकड़ा. एक सवाल जो लोगों के दिमाग में आ रहा है, वह है – 125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान हो सकता है? हाल ही में सोशल मीडिया और समाचारों में विस्फोटकों जैसे डायनामाइट के बारे में सवाल उठ रहे हैं. खासकर तब जब देहरादून जैसे पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य और खनन गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं.  डायनामाइट क्या है और यह कैसे काम करता है? डायनामाइट एक विस्फोटक सामग्री है, जिसे 19वीं सदी में स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने बनाया था. यह ट्राइट्रोटोल्यूनि (TNT) और अन्य रसायनों से मिलकर बनता है, जो जब फूटता है तो बहुत सारी ऊर्जा छोड़ता है. इस ऊर्जा से इमारतें, चट्टानें और जमीन को तोड़ा जा सकता है. डायनामाइट का इस्तेमाल खनन, निर्माण और कभी-कभी गलत तरीके से विनाश के लिए भी होता है.  हर 1 ग्राम डायनामाइट में लगभग 4.184 किलोजूल ऊर्जा होती है. इसका मतलब है कि 125 किलोग्राम (125,000 ग्राम) डायनामाइट में करीब 523,000 किलोजूल (523 मेगाजूल) ऊर्जा होगी. यह ऊर्जा कितना नुकसान कर सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहां और कैसे इस्तेमाल किया जाता है. 125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान? भौतिक नुकसान  125 किलोग्राम डायनामाइट का विस्फोट एक छोटे से पहाड़ी क्षेत्र या इमारत को पूरी तरह नष्ट कर सकता है. अगर यह देहरादून के एक छोटे से निर्माण स्थल पर फूटे, तो आसपास की 50-100 मीटर की दूरी तक की इमारतें ढह सकती हैं. चट्टानों को तोड़ने के लिए खनन में, यह एक बड़े हिस्से को हटा सकता है, लेकिन अगर गलत जगह फूटे तो सड़कें और पुल भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. धमाका और दबाव विस्फोट से पैदा होने वाला दबाव 100 मीटर तक हवा को हिला सकता है, जिससे खिड़कियां टूट सकती हैं. लोग सुनने की क्षमता खो सकते हैं. अगर यह भीड़-भाड़ वाले इलाके में फूटे, तो गंभीर चोटें आ सकती हैं या जान-माल का नुकसान हो सकता है. जमीन पर प्रभाव पहाड़ी इलाकों में, जैसे देहरादून, विस्फोट से भूस्खलन (landslide) का खतरा बढ़ सकता है. अगर 125 किलोग्राम डायनामाइट मसूरी की पहाड़ियों पर फूटे, तो मिट्टी और चट्टानों का बहाव निचले इलाकों में तबाही मचा सकता है. उदाहरण के लिए तुलना 1 किलोग्राम TNT (जो डायनामाइट से मिलता-जुलता है) एक छोटे घर को नष्ट कर सकता है. तो 125 किलोग्राम से एक छोटा गांव या औद्योगिक क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंच सकता है. यह ऊर्जा करीब 0.125 टन TNT के बराबर है, जो एक छोटे परमाणु बम (हिरोशिमा बम का 0.0001%) से बहुत कम है, लेकिन फिर भी स्थानीय स्तर पर खतरनाक है. देहरादून में इतने डायनामाइट के मिलने का मतलब  देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है, जो हिमालय की तलहटी में बसा एक खूबसूरत शहर है. यहां सड़क निर्माण, हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स और भवन निर्माण के लिए डायनामाइट का इस्तेमाल आम है. लेकिन 125 किलोग्राम डायनामाइट का अनियंत्रित विस्फोट यहां के लिए गंभीर खतरा हो सकता है…     भूस्खलन का जोखिम: देहरादून के पहाड़ी इलाकों में पहले से ही भूस्खलन की समस्या है. 2021 की आपदा के बाद से यह और गंभीर हो गई है. इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोट से मिट्टी का ढांचा कमजोर हो सकता है.     आबादी का नुकसान: शहर में घनी आबादी वाले क्षेत्र जैसे राजपुर रोड या प्रेमनगर में अगर ऐसा विस्फोट हो, तो सैकड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं.     पर्यावरणीय नुकसान: विस्फोट से धूल, राख और प्रदूषण फैल सकता है, जो देहरादून की हवा और पानी को नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, निर्माण में डायनामाइट का इस्तेमाल नियंत्रित तरीके से होता है, लेकिन अगर यह गलती से या आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल हो,तो परिणाम भयानक हो सकते हैं. सुरक्षा और सावधानियां     नियंत्रित प्रयोग: डायनामाइट का इस्तेमाल केवल प्रशिक्षित लोगों और सरकार की अनुमति से होना चाहिए. देहरादून में खनन कंपनियों को सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है.     जागरूकता: स्थानीय लोगों को विस्फोट के समय सुरक्षित दूरी बनाए रखनी चाहिए और आपातकालीन नंबर (112) याद रखने चाहिए.     निगरानी: सरकार को विस्फोटकों की बिक्री और भंडारण पर नजर रखनी चाहिए ताकि गलत हाथों में न जाएं.  

भारत में Tesla लॉन्च की तैयारी पूरी, जानिए कब और कहां खुलेगा पहला शोरूम

मुंबई  आखिरकार सालों के लंबे इंतजार के बाद एलन मस्क के नेतृत्व वाली अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला की इंडिया में एंट्री होने जा रही है. अलग-अलग मौकों पर कई बार टेस्ला की कारों को भारतीय सड़कों पर स्पॉट किया गया था, लेकिन अब इन कारों का इंतजार खत्म होने जा रहा है. टेस्ला इंडिया में अपने ऑफिशियल ऑपरेशन की शुरुआत करने जा रही है और कंपनी के पहले शोरूम की शुरुआत मुंबई में होगी.  कहां खुलेगा टेस्ला का शोरूम? रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक आगामी 15 जुलाई को टेस्ला का इंडिया में पहला शोरूम मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लैक्स (BKC) में शुरू किया जाएगा. इस शोरूम की शुरुआत के साथ टेस्ला की साउथ एशिया में एक फॉर्मल एंट्री होगी. लगभग 4000 वर्ग फुट में फैले टेस्ला के इस पहले शोरूम से इंडिया ऑपरेशन की शुरुआत होगी. मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में शोरूम का काम तकरीबन खत्म हो चुका है. ये शोरूम ग्राहकों के लिए टेस्ला के 'एक्सपीरिएंस सेंटर' के तौर पर काम करेगा, जिसमें ग्राहकों को टेस्ला की कारों को नजदीक से देखने और समझने का मौका मिलेगा. टेस्ला भारत में डायरेक्ट-टू-कस्टमर (Direct-to-Customer) रिटेल मॉडल के साथ वाहनों की बिक्री करेगी. लेकिन कारों की बिक्री के बाद सहायता के लिए ब्रांड के पास स्थानीय साझेदार भी होंगे. जो आफ्टर सेल्स सपोर्ट मुहैया कराएंगे.  टेस्ला ने निकाली थी जॉब वैकेंसी मुंबई के बाद टेस्ला देश की राजधानी दिल्ली में भी अगला शोरूम खोलेगी. हाल ही में टेस्ला ने मुंबई और पुणे में अलग-अलग पदों पर वैकेंसी (Tesla Jobs in India) भी निकाली थी. जिसमें सेल्स एक्जीक्यूटिव, सप्लाई चेन, इंजीनियरिंग और आईटी, ऑपरेशन बिजनेस सपोर्ट, चार्जिंग इंफ्रा, एआई और रोबोटिक, सेल्स और कस्टमर सपोर्ट सहित कई अलग-अलग डिविजन में नौकरियों के लिए आवदेन मांगे गए थें. भारत पहुंची चीन में बनी टेस्ला की कारें ब्लूमबर्ग की पिछली रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि, टेस्ला की कारों का पहला सेट भारत पहुंच चुका है. टेस्ला की मशहूर इलेक्ट्रिक एसयूवी – मॉडल वाई (Model Y) रियर-व्हील ड्राइव को चीन में स्थित टेस्ला की फैक्ट्री से भारत भेजा गया है. कंपनी ने इस कार के कुल 5 यूनिट को चीन के शंघाई से भारत में इंपोर्ट किया है. Model Y दुनिया की बेस्ट सेलिंग इलेक्ट्रिक कारों में से एक है और संभवत: कंपनी इसी कार से भारत में अपने सफर की शुरुआत कर सकती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि, टेस्ला ने अमेरिका, चीन और नीदरलैंड से सुपरचार्जर कंपोनेंट, कार एक्सेसरीज, मर्चेंडाइज और स्पेयर्स को भी इंपोर्ट किया है. दुनिया के सबसे रईस शख्स एलन मस्क (Elon Musk) के नेतृत्व वाली टेस्ला इस समय यूरोप और चीन के बाजार में बिक्री में भारी गिरावट से जूझ रही है. यही कारण है कि टेस्ला जल्द से जल्द दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजार यानी भारत में प्रवेश करने की योजना बना रही है. क्या होगी कीमत? हालांकि आधिकारिक लॉन्च से पहले टेस्ला की पहली कार की कीमत के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि, इंपोर्ट की गई इन कारों में से प्रत्येक मॉडल की कीमत 27.7 लाख रुपये (लगभग 31,988 डॉलर) घोषित की गई है और इन पर 21 लाख रुपये से अधिक का इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है. अब लॉन्च के बाद ही इस कार की कीमत का खुलासा हो सकेगा. क्या भारत में लगेगा टेस्ला का प्लांट? फिलहाल टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने पिछले महीने मीडिया को दिए अपने एक बयान में कहा था कि, "टेस्ला की प्राथमिकता भारत में अपने शोरूम का विस्तार करने में है. कुमारस्वामी ने यह भी कहा कि, "हालांकि टेस्ला ने बहुत कम रुचि दिखाई है, लेकिन कई ग्लोबल ब्रांड्स – जिनमें हुंडई, मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा और किआ शामिल हैं – ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू करने की इच्छा व्यक्त की है.

लग्जरी कार से नशीले इंजेक्शन सहित एक आरोपी को गिरफ्तार, मुख्य आरोपी फरार

सरगुजा  नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत आबकारी विभाग ने बड़ी सफलता हासिल की है. सरगुजा में विभागीय उड़नदस्ता टीम ने एक लग्जरी कार से नशीली दवाओं की तस्करी का भंडाफोड़ किया है. इस कार्रवाई में 4 लाख 35 हजार रुपए मूल्य की नशीली दवाओं के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, जबकि मुख्य आरोपी फरार हो गया. मिली जानकारी के अनुसार, आबकारी उड़नदस्ता टीम को मुखबिर से सूचना मिली थी कि थाना मणिपुर क्षेत्र अंतर्गत सुंदरपुर वेयरहाउस के पास सफेद रंग की हुंडई वरना कार में दो व्यक्ति भारी मात्रा में नशीले इंजेक्शन लेकर ग्राहकों को सप्लाई कर रहे हैं. इनमें से एक की पहचान मुख्य आरोपी देवेंद्र सिंह और दूसरे की गंगाराम मुंडा के रूप में हुई. सूचना के आधार पर टीम ने मौके पर दबिश दी. टीम को देखकर मुख्य आरोपी देवेंद्र सिंह मौके से फरार हो गया, लेकिन उसका साथी गंगाराम मुंडा पुलिस के हत्थे चढ़ गया. गाड़ी की तलाशी लेने पर 2,413 नग नशीले इंजेक्शन बरामद किए गए, जिनकी कीमत लगभग 4 लाख 35 हजार रुपये आंकी गई है. फिलहाल आबकारी विभाग ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है. फरार मुख्य आरोपी की तलाश जारी है.

गिरफ्तारी की वजह बनी रहस्य! काहिरा एयरपोर्ट पर इटैलियन डांसर सोहिला तारेक हसन अरेस्ट

काहिरा इस्लामिक देश मिस्र में एक इटैलियन महिला बेली डांसर को सोशल मीडिया पर डांस वीडियो अपलोड करना भारी पड़ गया है। अधिकारियों ने उसके डांस को उत्तेजक मानते हुए गिरफ्तार कर लिया है। मिस्र में जन्मी और इटली की नागरिक सोहिला तारेक हसन हग्गग को काहिरा के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बीती 22 जून को गिरफ्तार किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि हसन ने अभद्र कपड़े पहनकर जानबूझकर शरीर के संवेदनशील अंगों का प्रदर्शन किया है। इसे सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन बताया है। इंस्टाग्राम पर 22 लाख फॉलोवर्स सोहिला तारेक हसन इंस्टाग्राम पर लिंडो मार्टिनो के नाम से जानी जाती हैं, जहां उनके 22 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। हसन ने इंस्टा पेज पर कई वीडियो पोस्ट किए हैं, जिनमें वह छोटे कपड़ों में डांस करती दिखाई दे रहे हैं। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, काहिरा के अभियोजकों ने बेली डांसर पर यौन उत्तेजक और भड़काऊ डांस के जरिए अनैतिकता भड़काने का आरोप लगाया है। कुछ साल पहले लौटी थीं मिस्र एयरपोर्ट पर जब हसन को गिरफ्तार किय गया, उस समय उनके पास कथित तौर पर काफी नगदी थी। काहिरा स्थित इतालवी दूतावास ने हसन की रिहाई की मांग की है और उनसे मिलने के लिए अनुमति मांगी है। हसन के पास दोहरी नागरिकता है, लेकिन कुछ साल पहले अपने इतालवी साथी से अलग होने के बाद वह अपने जन्मस्थान वाले देश मिस्र में लौट आई थीं, जहां उन्होंने एक सफल पेशा स्थापित किया है। मिस्र में अश्लीलता को लेकर कड़े कानून रिपोर्ट में बताया गया है कि मिस्र के कानूनों के अनुसार, उन्हें सजा का सामना करना पड़ सकता है। मुस्लिम देश मिस्र ने हाल ही में नैतिक रूप से संदिग्ध माने जाने वाले कृत्यों के बारे में कड़े नियम लागू किए हैं। सरकार ने इसे अभियान स्तर पर लागू किया है, जिसके तहत कम से कम 5 दूसरी बेली डांसरों को इसी तरह के नैतिकता संबंधी आरोपों में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। अश्लीलता फैलाने पर कितना सजा? द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में डांसर समा अल-मसरी को यौन उत्तेजक तस्वीरें शेयर करने का दोषी पाया गया था। उन्हें तीन साल की जेल और 300000 लाख पाउंड का जुर्माना लगाया गया। डांसर ने आरोपों को खंडन किया था और दावा किया कि तस्वीरें उनके फोन से चोरी करके बिना अनुमति के बांटी गई थीं। नियम के तहत, इंटरनेट पर अकाउंट रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून के उल्लंघन पर कम से कम दो साल की जेल और 300000 मिस्री पाउंड तक जुर्माना हो सकता है। मानवाधिकार संगठनों ने ऐसे मामलों की आलोचना की है।

मुख्यमंत्री साय बोले – हमारा उद्देश्य जनता को पारदर्शी, जवाबदेह और ईमानदार प्रशासन देना

22 आबकारी अधिकारियों का तत्काल निलंबन भ्रष्टाचार पर कड़ी चोट आईएएस, आईएफएस से लेकर राज्य सेवा के अधिकारियों पर भी कार्रवाई रायपुर, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति लेकर आगे बढ़ रही है। साथ ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। पूर्व शासनकाल के दौरान हुए 3200 करोड़ रूपए के बहुचर्चित शराब घोटाले में साय सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 29 में से 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबन की इस कार्रवाई को किसी भी राज्य द्वारा की गई अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। इन अधिकारियों पर वर्ष 2019 से 2023 के बीच भ्रष्टाचार कर करीब 88 करोड़ रुपये की अवैध कमाई से चल-अचल संपत्तियां भी बनाने का आरोप है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा की गई विस्तृत जांच में यह खुलासा हुआ है कि यह पूरा घोटाला एक संगठित सिंडिकेट के जरिये संचालित हो रहा था, जिसमें आरोपी आबकारी अधिकारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई। इसका खुलासा होते ही छत्तीसगढ़ सरकार ने बिना देर के 22 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। जिनमें आबकारी उपायुक्त अनिमेष नेताम, अरविन्द कुमार पाटले, नीतू नोतानी, नोहर सिंह ठाकुर, विजय सेन शर्मा शामिल हैं। इसी प्रकार सहायक आयुक्त आबकारी प्रमोद कुमार नेताम, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, राजेश जायसवाल, मंजुश्री कसेर, दिनकर वासनिक, आशीष कोसम, सौरभ बख्शी, प्रकाश पाल, रामकृष्ण मिश्रा, अलख राम कसेर, सोनल नेताम और जिला आबकारी अधिकारी मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह दर्दी, इकबाल अहमद खान, जनार्दन सिंह कौरव, नितिन कुमार खंडूजा शामिल हैं। गौरतलब है कि पूर्व सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान कई बड़े घोटाले हुए हैं, जिनकी जांच केंद्रीय और राज्य एजेंसियां कर रही हैं और एक-एक कर सभी दोषी जेल भेजे जा रहे हैं। केवल शराब घोटाला ही नहीं, राज्य सरकार डीएमएफ घोटाला, महादेव सट्टा एप घोटाला और तेंदूपत्ता घोटाले जैसे मामलों की भी गहराई से जांच करवा रही है, जिनमें किसी भी तरह की संलिप्तता सामने आने पर दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो रही है। बीते दो वर्षों में ACB ने 200 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ा है, जो राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का बड़ा उदाहरण है। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ-साथ राज्य में सुशासन और पारदर्शी प्रशासन को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। इसके तहत जेम पोर्टल से खरीददारी को अनिवार्य किया गया है, ई-ऑफिस प्रणाली की शुरुआत हुई है, 350 से अधिक सुधारों के जरिये निवेश की राह भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी और आसान बनाई गई है, इसी क्रम में सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 के माध्यम से एनओसी की प्रक्रिया बेहद सरल कर दी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आबकारी विभाग में FL-10 नीति को समाप्त कर पारदर्शी व्यवस्था लागू की गई है और देशी-विदेशी मदिरा की बोतलों पर अब नासिक मुद्रणालय से छपने वाले होलोग्राम अनिवार्य किए गए हैं ताकि नकली शराब की बिक्री पर रोक लगाई जा सके। इसी तरह खनिज ट्रांजिट पास की प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है, लकड़ियों की ई-नीलामी प्रणाली लागू की गई है और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सुशासन एवं अभिसरण विभाग की स्थापना की गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने PSC-2021 परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच CBI को सौंप दी है, जिसमें आयोग के तत्कालीन चेयरमैन को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, भारतमाला योजना और सीजीएमएससी घोटालों की जांच भी EOW को सौंपी गई है, जिनमें दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस पारदर्शी कार्रवाई में आईएएस, आईएफएस से लेकर राज्य सेवा के विभिन्न स्तर के अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट कहा है कि यह घोटाला पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ था, घोटाले में संलिप्त किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। अब राज्य में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है, हमारी सरकार का उद्देश्य जनता को पारदर्शी, जवाबदेह और ईमानदार प्रशासन देना है।  

‘ऑपरेशन सिंदूर में भारत को नुकसान हुआ हो तो दिखाएं सबूत’, NSA डोभाल की दो टूक

नई दिल्ली पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. डोभाल ने आईआईटी मद्रास में अपने संबोधन के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेशी मीडिया ने झूठी खबरें फैलाई हैं. मुझे एक तस्वीर दिखाइए, जिसमें भारत को नुकसान पहुंचा हो. भारत को इस दौरान कोई नुकसान नहीं पहुंचा. डोभाल ने कहा कि टेक्नोलॉजी और वॉरफेयर के बीच संबंध हमेशा महत्वपूर्ण होता है. हमें ऑपरेशन सिंदूर पर नाज है. हमें गर्व है कि इस ऑपरेशन के दौरान हमने स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया. हमने सीमापार नौ पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले का फैसला किया था. इनमें सीमावर्ती इलाके में एक भी ठिकाना नहीं था. हमारे सभी निशाने सटीक रहे. हमने सिर्फ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया. उन्होंने कहा कि यह पूरा ऑपरेशन 23 मिनट का था. मुझे एक तस्वीर दिखा दीजिए, जिसमें भारत को नुकसान पहुंचा हो. यहां तक कि एक गिलास भी नहीं टूटा. विदेशी मीडिया ने कई चीजें कहीं. उन्होंने कुछ चुनिंदा तस्वीरों को आधार बनाकर पाकिस्तान के 13 एयरबेस को लेकर कई बातें कहीं. लेकिन 10 मई से पहले और इसके बाद पाकिस्तान के 13 एयरबेस की सैटेलाइट तस्वीरें देखें. सब साफ हो जाएगा.  बता दें कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई की रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था. इसके तहत, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और Pok में 9 आतंकी ठिकानों को उड़ा दिया था. इससे बौखलाकर पाकिस्तानी सेना ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था. चार दिन तक चले सैन्य टकराव के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच 'सीजफायर' हो गया था. भारत के साथ इस सीजफायर के लिए पाकिस्तान ने एक बार नहीं बल्कि दो बार संपर्क किया था. पाकिस्तान ने पहली बार 7 मई की शाम को भारत से सीजफायर के लिए संपर्क किया था. पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की ओर से औपचारिक संदेश सहित भारत से संपर्क साधा गया था. सात मई की सैन्य कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था.  इसके बाद 10 मई को शाम 3.35 मिनट पर DGMO स्तर की वार्ता हुई, जिस दौरान दोनों तरफ से सीजफायर पर सहमति बनी. यह सहमति दोनों देशों के सैन्य संचार माध्यमों के जरिए हुई, जिसका उद्देश्य तनाव को कम करना था. 

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक शुरू, हो सकते है कई बड़े फैसले

रायपुर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक शुरू हो गई है. विधानसभा के मानसून सत्र से पहले हो रही यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है. इस बैठक में कई मुद्दों पर मुहर लग सकती है. साथ ही मानसून सत्र में पेश होने वाले नए विधेयकों को लेकर चर्चा की जा सकती है. यह बैठक मंत्रालय (महानदी भवन) में हो रही है.

फसल बीमा कराने की आखिरी तारीख का हुआ ऐलान

रायपुर कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने वर्ष 2025 के खरीफ फसलों के लिए बीमा अवधि 15 से 31 जुलाई निर्धारित की गई है. वहीं किसान अब मात्र 2 प्रतिशत प्रीमियम दर पर करा फसलों का बीमा सकेंगे. शासन ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले के किसान मुख्य फसल धान सिंचित, धान असिंचित एवं अन्य फसल मक्का, मूंगफली, मूंग, उड़द, सोयाबीन, अरहर, कोदो, कुटकी, रागी का बीमा करा सकते हैं. किसानों के फसल को प्रतिकूल मौसम, सूखा, बाढ़, जलप्लावन, ओलावृष्टि सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले नुकसान से राहत दिलाने के लिए बीमा में शामिल किए जाने वाले किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत ऋणी एवं अऋणी किसान जो भू-धारक व बटाईदार हो सम्मिलित हो सकते हैं, जो किसान अधिसूचित ग्राम व राजस्व निरीक्षक मंडल में अधिसूचित फसल के लिए वित्तीय संस्थानों से मौसमी कृषि ऋण स्वीकृत, नवीनीकृत की गई है. अधिसूचित फसल उगाने वाले सभी गैर ऋणी किसान जो योजना में सम्मिलित होने इच्छुक हो वे बुआई प्रमाण पत्र क्षेत्रीय पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा सत्यापित कराकर एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर लाभ ले सकते हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत फसलवार जिले में बीमित राशि (रुपए प्रति हेक्टेयर) एवं किसान के देय प्रीमियम राशि (रुपए प्रति हेक्टेयर) निर्धारित की गई है. जिसके तहत खरीफ 2025-26 में उड़द के लिए बीमांकित राशि 30 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 600 रुपए प्रति हेक्टेयर, मूंग के लिए बीमांकित राशि 29 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 580 रुपए प्रति हेक्टेयर, मूंगफली के लिए बीमांकित राशि 42 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 840 रुपए प्रति हेक्टेयर, कोदो के लिए बीमांकित राशि 22 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 440 रूपए प्रति हेक्टेयर, कुटकी के लिए बीमांकित राशि 22 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 440 रुपए प्रति हेक्टेयर, मक्का के लिए बीमांकित राशि 48 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 960 रुपए प्रति हेक्टेयर, तुअर (अरहर) के लिए बीमांकित राशि 40 हजार रुपए एवं किसान देय प्रीमियम 800 रुपए प्रति हेक्टेयर, रागी के लिए बीमांकित राशि 25 हजार रुपए है.

लखनऊ में नकली कफ सिरप की 5,000 से अधिक बोतलें बरामद, एक व्यक्ति गिरफ्तार

लखनऊ केंद्रीय स्वापक ब्यूरो (सीबीएन) ने लखनऊ में एक मकान से नकली कफ सिरप की 5,300 से अधिक बोतलें बरामद होने के बाद एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस सिरप में प्रतिबंधित नशीले पदार्थ का मिश्रण पाया गया है और प्रतिष्ठित दवा कंपनियों के असली उत्पादों जैसा दिखाने के लिए बोतलों पर नकली लेबल लगाया गया है। नारकोटिक्स उपायुक्त प्रवीण बाली ने कहा, "मुखबिर से सूचना मिलने के बाद बृहस्पतिवार को एक मकान पर छापा मारा गया और कफ सिरप की 5,353 बोतलें बरामद की गईं। इस सिरप में 'अल्प्राजोलम' और 'क्लोनाजेपाम' जैसी नशीली दवाएं मिलाई गई थीं और प्रतिष्ठित कंपनियों के नकली लेबल लगाए गए थे।" उन्होंने बताया, "आरोपी के पास इस तरह की दवाएं रखने या बेचने के लिए कोई वैधानिक दस्तावेज या लाइसेंस नहीं था। एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत पूरी खेप जब्त कर ली गई और व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया।" अवैध दवा के इस व्यापार में संलिप्त नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच की जा रही है।  

छात्रा से बदसलूकी का मामला: रतलाम में टीचर पर बड़ी कार्रवाई, कलेक्टर ने लिया संज्ञान

रतलाम  रतलाम में एक शिक्षक को उसकी हरकतों की सजा मिली है। वीरसिंह मईड़ा नाम के इस शिक्षक ने नशे में एक बच्ची की चोटी काट दी थी। पूरी घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था। यह घटना पिछले साल हुई थी। अब, करीब एक साल बाद, रतलाम के कलेक्टर ने उसे नौकरी से निकाल दिया है। कलेक्टर राजेश बाथम ने यह फैसला लिया। वीरसिंह मईड़ा रावटी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाता था। स्कूल का नाम सेमलखेड़ी-2 है। मईड़ा वहां सहायक शिक्षक था। उसने 4 सितंबर 2024 को यह हरकत की थी। उस दिन वह स्कूल में नशे की हालत में पहुंचा था। उन्होंने कक्षा 5वीं की एक छात्रा की चोटी काट दी। बच्ची इस दौरान सिसक सिसक कर रोती दिख रही थी। जांच में हुआ खुलासा इस घटना के बाद 5 सितंबर 2024 को शिक्षक को सस्पेंड कर दिया गया था। पुलिस ने उसके खिलाफ मामला भी दर्ज किया था। मामले की जांच हुई। जांच में पता चला कि शिक्षक ने यह कारनामा किया है। इसके बाद कलेक्टर राजेश बाथम ने उसे नौकरी से निकालने का आदेश दिया। यह आदेश गुरुवार की शाम को दिया गया। अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी टीचर ने जब बच्ची की चोटी काटी, तो किसी ने उसका वीडियो बना लिया। वीडियो में टीचर कह रहा था कि जो करना है कर लेना। यह वीडियो इंटरनेट पर बहुत वायरल हुआ था। शुरुआती जांच में ही टीचर को सस्पेंड कर दिया गया था। अब 10 महीने बाद कलेक्टर ने उस पर कार्रवाई की है। उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है।