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कोई रोक नहीं: स्मार्ट मीटर पर सुप्रीम कोर्ट या MP हाईकोर्ट का आदेश नहीं आया, स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को लाभ

भोपाल स्मार्ट मीटर की स्थापना रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट अथवा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा किसी भी प्रकार का निर्णय या आदेश नहीं दिया गया है। स्मार्ट मीटर एक देश व्यापी स्कीम है जिसके तहत समूचे देश में स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में कतिपय प्रिंट तथा सोशल मीडिया में यह खबर फैलाई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अथवा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि स्मार्ट मीटर लगवाना अनिवार्य नहीं है। यह खबर असत्य, भ्रामक और निराधार है। सुप्रीम कोर्ट अथवा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा इस प्रकार का कोई भी फैसला नहीं दिया गया है। स्मार्ट मीटर के संबंध में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, भोपाल ने स्पष्ट किया है कि स्मार्ट मीटर निर्धारित प्लान के अनुसार लगाये जा रहे हैं और उपभोक्ता स्मार्ट मीटर लगवाने से मना नहीं कर सकते हैं। इसी प्रकार सोशल मीडिया में यह भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि स्मार्ट मीटर तेज चल रहे है यह बात विभिन्न टेस्टिंग लैब में गलत साबित हो गई है। स्मार्ट मीटर में किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं है और स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग की जा रही बिजली के अनुसार ही तकनीकी रूप से वास्तविक और सटीक रीडिंग दर्ज कर रहे हैं। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगा दिए गए हैं और उपभोक्ता हित में स्मार्ट मीटर के सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। कंपनी द्वारा गुना वृत्त में लगभग तीन माह पहले लगाए जा चुके स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं से जब बातचीत की तो उनके द्वारा फायदा होने की बात कही है। गुना शहर के उपभोक्ता विष्णु धाकड़ ने बताया कि उनके यहां दो महीने पहले स्मार्ट मीटर लगा था। शुरू में उन्हें डर था की कहीं स्मार्ट मीटर से बिल तो अधिक नहीं आएगा। लेकिन जैसे ही अगले महीने बिल आया तो देखा कि कहीं कोई ऐसी गड़बड़ी नहीं आई। इस महीने 80 रुपये बिल आया है, जिसे जमा भी कर दिया है। इसी तरह देवीदयाल ने बताया कि उनके यहां उनकी सहमति से स्मार्ट मीटर लगाया गया है। उन्होंने बताया कि इस महीने उनका बिल कम ही आया है। इसमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।  कंपनी ने कहा कि ऐप के माध्मय से हम अपने घर के बिजली उपभोग को भी नियंत्रित करना सीख गए हैं, क्योंकि उपकरणों पर नियंत्रण करने से बिल में काफी कमी आई है। गुना के ही उपभोक्ता अक्षय कुमार ने बताया कि स्मार्ट मीटर से कहीं कोई गलत बिल नहीं आया, हमारा बिल 550 रुपये आया है। रीडिंग लेने में कोई गड़बड़ी नहीं है, बल्कि अब तो अपने आप दूरसंचार प्रणाली से रीडिंग हो रही है और निर्धारित तिथि को सही रीडिंग का बिल मोबाइल पर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तो बिल कम करना अपने हाथ में है। सोलर ऑवर में 20 प्रतिशत की छूट कंपनी द्वारा स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए जिसमें सार्वजनिक जल कार्य और स्ट्रीट लाइट और एलटी औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए ऑफ पीक/ सौर समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक की अवधि के दौरान उपभोग की गई ऊर्जा के लिए ऊर्जा प्रभार की सामान्य दर पर 20 प्रतिशत की छूट प्रदान की जा रही है। यह छूट 10 किलोवाट तक स्वीकृत लोड/अनुबंध मांग वाले उपभोक्ताओं को मिल रही है। स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए यह सभी छूट अथवा प्रोत्साहन की गणना सरकारी सब्सिडी (यदि कोई हो) को छोड़कर की जा रही है। राजधानी भोपाल के एकतापुरी, अशोकागार्डन निवासी विजय शंकर को जारी जुलाई माह के बिल में 29 रुपये की छूट मिली है, जबकि उनकी कुल खपत 92 रीडिंग का बिल सिर्फ 86 रुपये आया है। इन्हें दिन के टैरिफ में 30 यूनिट पर 20 प्रतिशत की छूट मिली है। इसी कॉलोनी के रहवासी महेश चंद्र को जुलाई माह के बिल में 99 रुपये की छूट मिली है। इनके स्मार्ट मीटर में कुल खपत 277 रीडिंग में से 85 रीडिंग पर 20 प्रतिशत की छूट मिली है। इस तरह से स्मार्ट मीटर में ऑटोमेटिक सटीक रीडिंग होने से कोई गड़बड़ी भी नहीं हो रही है तथा उपभोक्ताओं को अनेक फायदे मिल रहे हैं।  उपभोक्ताओं को घरेलू स्मार्ट मीटर से मिलने वाले फायदे       विद्युत वितरण कंपनी ने बताया कि ऊर्जा की खपत को ट्रैक करने और ऊर्जा की बचत करने में मदद करता है, बिजली की खपत को सटीक रूप से मापता है, जिससे बिल में कोई गलती नहीं होती, एप के जरिए मोबाइल पर रियल-टाइम डेटा देखकर ऊर्जा की खपत को नियंत्रित कर सकते हैं, ऊर्जा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी मिलती है, जिससे ऊर्जा की खपत को बेहतर बना सकते हैं और ऊर्जा की खपत को कम करने से पर्यावरण पर पड़ने वाला प्रभाव कम होता है।  

लाड़ली बहना योजना की 27वीं किस्त जल्द, इस बार 1500 रुपए मिलेंगे खातों में

भोपाल  अगस्त का महीना लाडली बहनों के लिए बहुत ही खास होने वाला है। मुख्‍यमंत्री लाडली बहना योजना की 27वीं किस्त के पैसों के साथ अगस्त में रक्षाबंधन के शगुन के तौर पर 250 रुपये ज्यादा मिलने वाले हैं। मतलब 1.27 करोड़ महिलाओं के खाते में अगले महीने अगस्त में 1500 रुपये आने वाले हैं। लेकिन 1500 रुपये खाते में कब आएंगे? क्या 9 अगस्त को रक्षाबंधन से पहले ही महिलाओं के अकाउंट में 1500 रुपये पहुंच जाएंगे?  प्रदेश की 1 करोड़ 27 लाख लाड़ली बहनों के लिए खुशखबरी है। आज शुक्रवार से अगस्त का महीना लग गया है और अब जल्द लाड़ली बहना योजना की 27वीं किस्त आने वाली है। खास बात ये है कि इस बार लाड़ली बहनों के खाते में 1250 के साथ 250 रूपए अतिरिक्त रूप भेजे जाएंगे यानि 1250 की जगह 1500 रुपए आएंगे। 9 अगस्त को रक्षाबंधन है उम्मीद है कि अगले हफ्ते में कभी भी मोहन सरकार द्वारा योजना की 26वीं किस्त जारी की जा सकती है।इसके साथ ही 30 लाख से अधिक बहनों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर रिफिलिंग के लिए भी राशि अंतरित की जाएगी। कब राशि बढ़कर होगी 3000 ? कब से शुरू होंगे पंजीयन?  मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में जौरा कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय ने लाड़ली बहना योजना की राशि 3000 करने और नए पंजीयन समेत कई प्रश्न पूछे थे।इस पर महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि योजना में राशि को बढ़ाकर तीन हजार रुपये करने का वर्तमान में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।जून 2025 में ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई। नए पंजीयन का भी कोई प्रस्ताव नहीं है, इसलिए पंजीयन नहीं किया जा रहा है। 20 जुलाई 2023 से सरकार द्वारा प्रतिमाह की 10 तारीख को राशि अंतरण करने के निर्देश हैं, परन्तु सुविधानुसार यह तिथि आगे-पीछे होती रहती है। लाभार्थियों को प्रतिमाह नियमित रूप से राशि का भुगतान किया जा रहा है। हितग्राही की संख्या तथा भुगतान की गई कुल राशि समेत बाकी की जानकारी एकत्रित की जा रही है। वर्तमान में मिलते है लाड़ली बहना योजना के तहत हर माह 1250 रू     लाड़ली बहना योजना पिछली शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा मई 2023 में शुरू की गई थी।     लाड़ली बहना योजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है।     इस योजना के तहत 21 से 60 वर्ष की विवाहित महिलाओं को 1000 रुपए देने का फैसला किया गया था और फिर इसकी पहली किस्त 10 जून को जारी की गई थी।     इसके बाद रक्षाबंधन 2023 पर राशि को बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया था।     अब इस योजना के तहत 1250 रुपए महीना के हिसाब से महिलाओं को सालाना 15,000 रुपये मिलते हैं।     लाड़ली बहनों को जून 2023 से जुलाई 2025 तक मासिक आर्थिक सहायता राशि की कुल 26 किश्तों का अंतरण किया गया है।प्रदेश की लाड़ली बहनों को अब तक 30 हजार करोड़ से अधिक का लाभ मिल चुका है।     इसके अतिरिक्त माह अगस्त 2023 एवं 2024 में (कुल 2 बार) लाभार्थी महिलाओं को 250 रुपये की राशि की विशेष आर्थिक सहायता का भी अंतरण किया गया। लाड़ली बहना योजना के ये अपात्र     महिलाएं, खुद या उनके परिवार में कोई टैक्सपेयर नहीं होना चाहिए ।परिवार की सालाना आय 2.5 लाख रुपये होना चाहिए।     जिनके या उनके परिवार के कोई सदस्य इनकम टैक्स देते हैं।जिनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में है (स्थायी, संविदा या पेंशन पाने वाला)।     अगर संयुक्त परिवार है तो 5 एकड़ से ज्यादा जमीन न हो, परिवार में कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी न करता हो।घर पर ट्रैक्टर, चारपहिया वाहन न हो।     जो खुद किसी और सरकारी योजना से हर महीने 1250 रुपये या उससे ज्यादा की राशि पा रही हैं जिनके परिवार में कोई वर्तमान या पूर्व सांसद या विधायक हो।     जिनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी बोर्ड, निगम, मण्डल आदि का अध्यक्ष, संचालक या सदस्य हो।जिनके परिवार में कोई स्थानीय निकाय का चुना हुआ जनप्रतिनिधि हो (पंच और उपसरपंच को छोड़कर)।     जिनके परिवार के पास कुल 5 एकड़ से ज्यादा खेती की जमीन हो।जिनके परिवार के नाम पर कोई चार पहिया वाहन (ट्रैक्टर को छोड़कर) रजिस्टर्ड हो। लाभार्थी सूची में ऐसे चेक करें अपना नाम     लाड़ली बहना की आधिकारिक वेबसाइट https://cmladlibahna.mp.gov.in/ पर जाएं।     वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर “आवेदन एवं भुगतान की स्थिति” वाले विकल्प पर     क्लिक करें।     दूसरे पृष्ठ पर पहुंचने के बाद, अपना आवेदन नंबर या सदस्य समग्र क्रमांक दर्ज करें।     कैप्चा कोड सबमिट करने के बाद, मोबाइल पर एक ओटीपी भेजा जाएगा।     मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी दर्ज करें और वेरिफाई करें।     ओटीपी वेरिफाई करने के बाद “सर्च” विकल्प पर क्लिक करें और आपका भुगतान स्थिति खुल जाएगी।

खालिद जमील पर भरोसा: भारतीय टीम को 13 साल बाद मिला स्वदेशी कोच

नई दिल्ली खालिद जमील को भारतीय पुरुष राष्ट्रीय फुटबॉल टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया गया है. वह इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने वाले 13 वर्षों में पहले भारतीय हैं. जमील ने 2017 में अनजान सी मानी जाने वाली आइजॉल फुटबॉल क्लब को ऐतिहासिक आई-लीग खिताब दिलाया था. 48 साल के खालिद जमील भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. वह फिलहाल इंडियन सुपर लीग (ISL) की टीम जमशेदपुर एफसी के कोच हैं.उन्हें अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) की कार्यकारी समिति ने तीन नामों की अंतिम सूची में से चुना. अन्य दो दावेदारों में भारत के पूर्व मुख्य कोच स्टीफन कॉन्स्टेंटाइन और स्लोवाकिया की राष्ट्रीय टीम के पूर्व मैनेजर स्टेफन टार्कोविक शामिल थे. AIFF की तकनीकी समिति, जिसकी अगुवाई दिग्गज स्ट्राइकर आईएम विजयन कर रहे थे, ने इन तीन उम्मीदवारों को अंतिम चयन के लिए कार्यकारी समिति के सामने शॉर्टलिस्ट किया था. जमील स्पेनिश कोच मनोलो मार्केज की जगह लेंगे, जिन्होंने भारत के हालिया निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पिछले महीने एआईएफएफ से नाता तोड़ लिया था.भारतीय पुरुष राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच बनने वाले आखिरी भारतीय सावियो मेडेइरा थे, जिन्होंने 2011 से 2012 तक यह जिम्मेदारी निभाई थी. मुख्य कोच के रूप में जमील की पहली चुनौती सेंट्रल एशियन फुटबॉल एसोसिएशन (CAFA) नेशंस कप होगी, जो 29 अगस्त से ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में आयोजित किया जाएगा. हर स्तर पर अनुभव रखने वाले कोच कुवैत में जन्मे और भारत के पूर्व मिडफील्डर खालिद जमील उन गिने-चुने व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत की शीर्ष फुटबॉल लीग को खिलाड़ी (2005 में महिंद्रा यूनाइटेड के साथ) और कोच (2017 में आइजॉल एफसी के साथ) दोनों रूपों में जीता है. उनके पास एएफसी प्रो लाइसेंस है और उन्होंने भारतीय फुटबॉल के हर स्तर- आई-लीग, आई-लीग 2 से लेकर इंडियन सुपर लीग (ISL) तक… टीमों को कोचिंग दी है. 2023–24 सीजन के दौरान खालिद जमील ने बीच में ही जमशेदपुर एफसी की कमान संभाली और टीम के प्रदर्शन को पूरी तरह पलट दिया. उन्होंने टीम को न केवल सुपर कप के सेमीफाइनल और फिर उपविजेता बनने तक पहुंचाया, बल्कि ISL प्लेऑफ में भी जगह दिलाई. उनके इस शानदार प्रदर्शन के बदले उन्हें दो साल का कॉन्ट्रैक्ट एक्सटेंशन मिला, जो ISL में किसी भारतीय कोच के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि है. मुख्य कोच के रूप में खालिद जमील की पहली परीक्षा आसान नहीं होगी. मौजूदा फीफा रैंकिंग में 133वें स्थान पर काबिज भारत को इस महीने के अंत में CAFA नेशंस कप में मौजूदा चैम्पियन ईरान और 2023 एशियन कप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाले ताजिकिस्तान जैसी मजबूत टीमों से भिड़ना है.

भारत की बड़ी रणनीतिक चाल: डोकलाम के नजदीक भूटान में सड़क निर्माण से चीन की बढ़ी चिंता

नई दिल्ली भारत लगातार अपनी सीमाओं और पड़ोसी देशों में बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है, खासकर चीन के साथ सीमा पर. हाल ही में भारत ने भूटान के हा घाटी में एक खास सड़क बनाई है, जो डोकलाम के पास है. यह सड़क न सिर्फ भूटान के लिए फायदेमंद है, बल्कि भारत के लिए भी रणनीतिक ताकत बढ़ाएगी. यह सड़क क्यों खास है? यह सड़क भूटान के हा घाटी को जोड़ती है, जो डोकलाम से सिर्फ 21 किलोमीटर दूर है. डोकलाम 2017 में भारत और चीन के बीच एक बड़े टकराव का गवाह रहा था. इस सड़क को बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने लगभग 254 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है. भूटान के प्रधानमंत्री तोबगे त्शेरिंग ने आज, 1 अगस्त 2025 को इस सड़क का उद्घाटन किया. यह सड़क हर मौसम में काम करने वाली (ऑल-वेदर) है, यानी बारिश, बर्फ या तूफान में भी आवाजाही संभव होगी. हा घाटी भूटान के लिए आर्थिक और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यह सड़क न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि भूटान सेना को चंबी घाटी (जो तिब्बत के पास है) तक तेजी से पहुंचने में मदद करेगी. चंबी घाटी में चीनी सैनिक मौजूद हैं, इसलिए यह इलाका रणनीतिक रूप से संवेदनशील है. अगर जरूरत पड़ी, तो भारत की सेना भी इस सड़क का फायदा उठा सकती है, खासकर चीन के खिलाफ किसी स्थिति में. डोकलाम संकट: 2017 का सबक 2017 में डोकलाम में एक बड़ा विवाद हुआ था. चीन ने जम्फेरी रिज तक सड़क बनाने की कोशिश की थी, जो भूटान और भारत के लिए खतरे की बात थी. भारतीय सेना ने इसका विरोध किया और 'ऑपरेशन जूनिपर' चलाया. भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पहुंचकर चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोका. 72 दिन तक चले इस टकराव के बाद चीन को पीछे हटना पड़ा. लेकिन इसके बाद भी चीन ने डोकलाम में हेलीपैड और दूसरी सुविधाएं बनाईं. हजारों सैनिक वहां तैनात कर दिए. डोकलाम भूटान के पास है, लेकिन यह सिक्किम-भूटान-तिब्बत के त्रिकोण पर है, जो भारत के लिए भी रणनीतिक रूप से अहम है. इस घटना ने भारत को अपनी सीमा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की सीख दी. प्रोजेक्ट दंतक: भारत-भूटान की दोस्ती का प्रतीक यह सड़क BRO के 'प्रोजेक्ट दंतक' के तहत बनी है. प्रोजेक्ट दंतक 1960 के दशक से भूटान में काम कर रहा है और भूटान के विकास में बड़ा योगदान दे रहा है. इस सड़क में 5 नए पुल बनाए गए हैं, जो इसे हर मौसम में चलने लायक बनाते हैं. हाल ही में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भूटान का दौरा किया. हा घाटी की सड़क के बारे में जानकारी ली. BRO के डीजीबीआर (निदेशक जनरल बॉर्डर रोड्स) लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन भी भूटान में हैं, जहां उन्होंने राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री तोबगे त्शेरिंग से मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने दंतक की भूटान के विकास में भूमिका की तारीफ की. इस सड़क का उद्घाटन न सिर्फ कनेक्टिविटी, बल्कि पर्यटन और लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देगा. 2017 के डोकलाम टकराव के बाद भूटान में सड़क निर्माण का काम तेज हो गया है. BRO कई और प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है ताकि सीमा क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर हो सके.  भारत-भूटान का रिश्ता और चीन का चैलेंज भारत और भूटान के बीच गहरी दोस्ती है. भूटान भारत का पड़ोसी देश है. चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना कर रहा है. 2017 में डोकलाम के दौरान भूटान ने भारत का साथ दिया था, जो इस दोस्ती की मिसाल है. भारत भूटान में सड़कें और बिजली जैसे प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है, ताकि दोनों देशों की साझा सुरक्षा मजबूत हो सके. चीन ने डोकलाम और आसपास के इलाकों में सड़कें और गांव बनाए हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय है. हा घाटी की सड़क भारत को यह मौका देती है कि वह अपनी सेना और संसाधनों को तेजी से तैनात कर सके, अगर चीन ने कोई कदम उठाया तो. यह सड़क भूटान की सेना के लिए भी चंबी घाटी तक पहुंच को आसान बनाएगी. फायदे क्या हैं?     सैन्य फायदा: इस सड़क से भारतीय और भूटानी सेना को तेजी से गति मिलेगी, खासकर चीनी सीमा के पास.     लॉजिस्टिक्स: सैन्य सामान और आपूर्ति आसानी से पहुंचेगी.     पर्यटन और अर्थव्यवस्था: हा घाटी एक खूबसूरत इलाका है. यह सड़क पर्यटन को बढ़ावा देगी, जिससे भूटान की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.     चीन के खिलाफ रणनीति: यह सड़क भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद करेगी. चुनौतियां और सावधानियां चीन की ओर से लगातार बुनियादी ढांचे का विस्तार हो रहा है, जो भविष्य में तनाव बढ़ा सकता है. इसलिए भारत और भूटान को इस सड़क की सुरक्षा और रखरखाव पर ध्यान देना होगा. साथ ही, स्थानीय लोगों को इस सड़क के फायदे और सावधानियों के बारे में जागरूक करना जरूरी है.

बेरोजगारों के लिए सुनहरा मौका: रेलवे में निकली 3000 से अधिक अपरेंटिस वैकेंसी, जानें डिटेल्स

मुंबई   भर्ती प्रकोष्ठ (RRC) ने भारतीय रेलवे के वर्कशॉप और डिवीजनों में 3000 से अधिक अपरेंटिस पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. इच्छुक उम्मीदवार प्रकोष्ठ की आधिकारिक वेबसाइट rrcer.org के माध्यम से इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं. इच्छुक लोगों को 13 सितंबर, 2025 से पहले इस पद के लिए आवेदन करना होगा. शैक्षिक योग्यता ऑनलाइन आवेदन 14 अगस्त, 2025 से शुरू होंगे और उम्मीदवारों को इसके लिए एक आवेदन पत्र भरना होगा. उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 15 वर्ष और अधिकतम आयु 24 वर्ष होनी चाहिए. प्रकोष्ठ अनुसूचित जाति (SSC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जैसी श्रेणियों के उम्मीदवारों को आयु में छूट प्रदान कर सकता है. भर्ती के लिए 10वीं पास होना जरूरी उम्मीदवार को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ कक्षा 10 उत्तीर्ण होना चाहिए. उम्मीदवार को स्वास्थ्य जांच से गुजरना पड़ सकता है, जिसके आधार पर पद के लिए उनकी पात्रता पर विचार किया जाएगा. उम्मीदवारों को ध्यान देना चाहिए कि चयन किसी लिखित परीक्षा के आधार पर नहीं, बल्कि कक्षा 10वीं और आईटीआई परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर होगा.

EC का पलटवार: ‘राहुल नहीं आते, अब कर्मचारी धमकी का निशाना’, विपक्ष के आरोपों पर सफाई

नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. आयोग ने कहा कि जब राहुल गांधी को आपत्ति जताने के लिए बुलाया जाता है तो वह आते नहीं और अब आयोग के कर्मचारियों को धमकाने तक लगे हैं.  आयोग ने राहुल के बयानों को 'बेबुनियाद' और 'गैर-जिम्मेदाराना' करार देते हुए कहा कि वह ऐसे आरोपों को नजरअंदाज करता है. साथ ही आयोग ने अपने सभी चुनावी कर्मियों को ऐसी टिप्पणियों पर ध्यान न देने और निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से काम जारी रखने का निर्देश दिया है. चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी को 12 जून 2025 को ईमेल भेजा, लेकिन वह पेश नहीं हुए. 12 जून 2025 को उन्हें पत्र भी भेजा गया, लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया. राहुल गांधी ने अब तक किसी भी मुद्दे पर आयोग को कोई पत्र नहीं भेजा है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब वह आधारहीन आरोप लगा रहे हैं और आयोग व उसके कर्मचारियों को धमकाने तक लगे हैं. चुनाव आयोग ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज करता है और अपने सभी कर्मचारियों से अपील करता है कि वे निष्पक्षता व पारदर्शिता के साथ कार्य करते रहें. आयोग ने अपने कर्मियों से अपील की कि वे बिना किसी दबाव के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखें. क्या बोले राहुल गांधी दरअसल, राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग पर वोट चारी आरोप लगाया और कहा कि हमारे पास इसके पुख्ता सबूत हैं. राहुल गांधी ने कहा कि इस वोट चोरी में चुनाव आयोग शामिल है और मैं ये हल्के में नहीं कह रहा हूं. मैं ये पुख्ता सबूत के साथ बोल रहा हूं. जैसे ही हमने ये रिलीज किया, वैसे ही पूरे देश को पता चल जाएगा कि इलेक्शन कमीशन वोट चोरी करा रहा है और किसके लिए कर रहा है? आयोग बीजेपी के लिए ऐसा कर रहा है. इस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. हमें MP और महाराष्ट्र चुनाव में हुआ शक: राहुल गांधी राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी को मध्य प्रदेश और लोकसभा चुनावों में वोट चोरी का शक था. महाराष्ट्र में ये शक और बढ़ गया, जहां उन्हें लगा कि राज्य स्तर पर बड़े पैमाने पर धांधली हुई उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में एक करोड़ नए वोटर जोड़े गए, लेकिन जब कांग्रेस ने वोटर लिस्ट और वीडियोग्राफी की मांग की तो आयोग ने कोई सहयोग नहीं किया. राहुल ने कहा, 'चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट नहीं दिखाई. हमने वीडियोग्राफी मांगी तो उन्होंने उसका कानून ही बदल दिया.' बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच तनातनी देखने को मिली हो. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी राहुल ने आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया था, खासकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयता और मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर. उस वक्त भी आयोग ने राहुल के बयानों को 'आधारहीन' बताते हुए खारिज कर दिया था. इसके अलावा कांग्रेस ने कई बार आयोग के कुछ अधिकारियों की नियुक्ति और उनके कार्यकाल पर सवाल उठाए हैं, जिसे आयोग ने राजनीति से प्रेरित बताया है.

मतदाता अभियान से रिंकू सिंह की छुट्टी, फैंस में नाराज़गी

लखनऊ क्रिकेट फैंस के लिए बड़ी खबर सामने आई है, दरअसल, चुनाव आयोग ने भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह को मतदाता जागरूकता अभियान से बाहर कर दिया गया है। उनके नाम, फोटो और वीडियो सहित सभी प्रचार सामग्री को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया है। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि आखिर उन्हें चुनाव आयोग ने क्यों हटाया है। फिलहाल इस खबर को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। मिली जानकारी के मुताबिक यह फैसला तब आया जब हाल ही में रिंकू सिंह की समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद प्रिया सरोज से सगाई हुई। आयोग ने इस संबंध को राजनीतिक जुड़ाव मानते हुए, अभियान की निष्पक्षता को लेकर चिंता जाहिर की है। इस वजह से रिंकू सिंह को आयोग ने हटाया हो। राजनीतिक संबंध से बदल गया प्रचार का स्वरूप: आयोग चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता जागरूकता जैसे संवेदनशील और गैर-राजनीतिक अभियानों में पूर्ण निष्पक्षता जरूरी होती है। चूंकि रिंकू सिंह अब एक सक्रिय राजनीतिज्ञ से व्यक्तिगत रूप से जुड़े हैं, ऐसे में उनके प्रचार में शामिल रहने से पक्षपात की आशंका पैदा हो सकती है। इसी आधार पर आयोग ने जिला प्रशासन को निर्देशित किया है कि सभी पोस्टर, बैनर, डिजिटल विज्ञापन और वीडियो में से रिंकू की तस्वीर और नाम हटाए जाएं। लखनऊ में हुई थी सगाई, सपा के शीर्ष नेता भी हुए थे शामिल 8 जून को रिंकू सिंह और सपा सांसद प्रिया सरोज की सगाई लखनऊ के ‘द सेंट्रम’ होटल में हुई थी। इस निजी समारोह में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, जया बच्चन सहित पार्टी के 20 से अधिक सांसद मौजूद थे। इस सगाई के बाद से ही अटकलें लग रही थीं कि रिंकू का नाम अब राजनीतिक संदर्भों में जुड़ सकता है, जिससे उनकी छवि पर भी असर पड़ेगा। फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रिया फैसले के बाद रिंकू सिंह के फैंस ने सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इस कदम को “ज़रूरत से ज़्यादा सतर्कता” करार दिया है, वहीं कुछ ने कहा कि लोकप्रिय हस्तियों का राजनीतिक दुरुपयोग रोका जाना जरूरी है। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि इस तरह के निर्णय से चुनाव आयोग अपने निष्पक्ष और सख्त रवैये को सामने लाने की कोशिश कर रहा है, खासकर जब देश आगामी चुनावों की तैयारी में है। पहले भी हटाए गए हैं सार्वजनिक चेहरे यह पहला मौका नहीं है जब चुनाव आयोग ने किसी पब्लिक फिगर को अभियान से हटाया हो। इससे पहले भी आयोग ने ऐसे मामलों में कार्यवाही की है जहां किसी की राजनीतिक संबद्धता से अभियान की निष्पक्षता पर सवाल उठा सकते थे। रिंकू और प्रिया की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं इस पूरे घटनाक्रम पर न तो रिंकू सिंह की तरफ से और न ही सांसद प्रिया सरोज की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने आया है। हालांकि राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को आगामी चुनावों से पहले एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।  

जयपुर हेरिटेज ज़ोन में खतरनाक इमारतों की पहचान शुरू, प्रशासन ने दिए नोटिस

जयपुर राजधानी जयपुर के परकोटे में पुरानी जर्जर इमारतों को चिन्हित कर उनके भवन मालिकों को नोटिस देने की कार्रवाई की जा रही है। पिछले दिनों झालावाड़ में स्कूल भवन की छत गिरने से बच्चों की मौत के बाद अब सरकार ने एहतियातन पुरानी जर्जर इमारतों को सील कर उन्हें ढहाने के लिए कहा है। स्थानीय निकाय विभाग ने सभी शहरी निकायों को इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा है। अब तक प्रदेश में 2 हजार से ज्यादा ऐसी इमारतों को सील कर उन्हें गिराने की कार्रवाई की जा रही है। नगर निगम हैरिटेज जयपुर क्षेत्र में कुल 126 जर्जर भवन चिन्हित किए गए हैं। इनमें हवा महल आमेर जोन में 29, किशनपोल जोन में 65, आदर्श नगर जोन में 18 व सिविल लाइन जोन में 14 जर्जर भवनों की पहचान की गई है। खासतौर पर परकोटे में बनी पुरानी हवेलियों के गिरने का खतरा सबसे ज्यादा है। सैकड़ों साल पहले बनाई गई ये हवेलियां अब गिरने की कगार पर आ चुकी हैं। चिन्हित जर्जर भवनों और इमारतों को सभी जोन उपायुक्त की ओर से नोटिस दिए जा चुके हैं। नोटिस में भवन मालिक को आमजन की सुरक्षा को देखते हुए जल्द भवन की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। जोन उपायुक्त के निर्देशन में मरम्मत कार्य की जिओ टैगिंग फोटो और वीडियो उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जर्जर भवनों की मॉनिटरिंग के लिए हैरिटेज निगम आयुक्त डॉ. निधि पटेल ने एक टीम का भी गठन किया है। टीम अतिरिक्त आयुक्त सुरेंद्र यादव की अध्यक्षता में बनाई गई है, जो जर्जर भवनों की मॉनिटरिंग करेगी और आयुक्त को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव राहत कार्यों की कर रहे हैं लगातार समीक्षा

अति-वृष्टि एवं बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बचाव और राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी : मंत्री विजयवर्गीय 3 हजार 628 व्यक्तियों और 94 मवेशियों का रेस्क्यू किया गया मुख्यमंत्री डॉ. यादव राहत कार्यों की कर रहे हैं लगातार समीक्षा भोपाल  नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जानकारी दी है कि प्रदेश में अति-वृष्टि एवं बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रभावित क्षेत्रों में चलाये जा रहे राहत कार्यों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि प्रदेश में अभी तक औसत 703.33 मि.मी वर्षा हो चुकी है जो सामान्य से 60 प्रतिशत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बारिश बहुत ही कम समय में तेजी से हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कई बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव कार्य संबंधी सभी जिला कलेक्टर्स, पुलिस अधिकारियों और राहत कार्य से जुड़े संबंधित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव से जुड़े कार्यों में ढ़िलाई न बरती जाये। एनडीआरएफ क्विक रिस्पांस टीम आदि की तैनाती नगरीय विकास मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एन.डी.आर.एफ) की 5 टीमों में से भोपाल में 2, जबलपुर, ग्वालियर तथा धार में एक-एक टीम तैनात की गई है। इन टीमों के अलावा 3 टीमों को अशोकनगर, श्योपुर तथा ग्वालियर में तैनात किया गया है। एन.डी.आर.एफ द्वारा 2 रेस्क्यू ऑपरेशन में 22 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। राज्य आपदा आपातकालीन मोचन बल (एस.डी.इ.आर.एफ) को बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य के लिये अत्याधुनिक बचाव उपकरण उपलब्ध कराये गये है। प्रदेश के 259 संवेदनशील क्षेत्रों में डिजास्टर रिस्पाँस सेंटर स्थापित किया गया है। इसी के साथ 111 क्विक रिस्पाँस टीम (क्यूआरटी) तैनात की गई है। प्रदेश के 11 जिलों में 3 हजार 300 आपदा मित्र वॉलंटियर्स को प्राथमिक सहायता के लिए प्रशिक्षित किया गया है। राज्य में 80 हजार 375 सिविल डिफेंस वालंटियर को प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षित किये गये वालंटियर्स की सेवाएँ राहत और बचाव कार्यों के लिये ली जा सकेंगी। एसडीईआरएफ द्वारा एक जून से 30 जुलाई 2025 तक 432 रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतर्गत 3 हजार 628 व्यक्तियों और 94 मवेशियों का रेस्क्यू किया गया है। आपदा नियंत्रण कक्ष प्रदेश में राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के माध्यम से अब तक SACHET पोर्टल के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों को 75 रेड अलर्ट 3 घंटे पूर्व भेजे गये है। इसी के साथ प्रमुख नदियों के जलस्तर बढ़ने की जानकारी तथा प्रभावित होने वाले जिले तथा गांवों की सूची आपदा सुरक्षा में जुड़े प्रमुख अधिकारियों और एजेंसियों को निश्चित अंतराल पर नियमित रूप से दी जा रही है। प्रदेश में डिजास्टर वॉर्निंग एण्ड रिस्पाँस सिस्टम (डीडब्ल्यूआरएस) के माध्यम से अति-वृष्टि, बाढ़ एवं आकाशीय बिजली का पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रसारण की व्यवस्था की गई है। जिला स्तर पर घटना की सूचना तथा राहत एवं बचाव कार्यों की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर समन्वय किया जा रहा हैं। मंत्रालय से निगरानी और समन्वय बाढ़ आपदा के दौरान निगरानी एवं समन्वय के लिये राज्य स्तर पर मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल में सिचुएशन रूम 24×7 कार्यरत है। एसडीईआरएफ मुख्यालय में स्थित राज्य कन्ट्रोल रूम में टोल फ्री नम्बर 1079 पर जन सामान्य द्वारा बाढ़ की स्थिति में 24×7 सहायता प्राप्त की जाने की व्यवस्था की गई है। प्रदेश के समस्त जिलों में डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर कमांड कंट्रोल एण्ड कोऑर्डिनेशन सेंटर (डीसीसीसी) स्थापित कर आपदा की स्थिति में 24×7 कार्यरत है। मुख्यमंत्री ने किया कंट्रोल रूम का निरीक्षण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 30 जुलाई को भोपाल के राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण कर स्वयं स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने बचाव दलों, पीड़ितों से चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिये। राज्य, जिला तथा तहसील स्तर पर बाढ़ पूर्व तैयारी तथा मानसून के दौरान आकाशीय बिजली से जन-सामान्य के बचाव, सर्पदंश से बचाव के लिये विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियां तय करते हुए एडवायजरी जारी की गई है। बाढ़ के दौरान "डूब की घटनाओं, पुलियों, रपटों पर दुर्घटना" के नियंत्रण तथा जन सामान्य के बचाव के लिये समस्त जिला प्राधिकरणों को निर्देश जारी किये जा चुके हैं। प्रदेश के सभी 55 जिलों में आपदा प्रतिक्रिया दलों के प्रशिक्षण, आपदा प्रबंधन अभ्यास तथा जनजागरूकता के लिए "आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण एवं क्षमता वृद्धि योजना" नियमित रूप से चल रही है। अब तक 28 करोड़ 49 लाख राहत राशि का वितरण प्रदेश में इस मॉनसून में अभी तक अतिवृष्टि और बाढ़ से लगभग 1632 पशु हानि हुई है। प्रदेश में हुई भारी बारिश से 128 मकानों के पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने की सूचना प्राप्त हुई है। लगभग 2 हजार 333 मकानों में आंशिक हानि भी हुई है। बाढ़ से प्रभावित पीड़ितों को अब तक जिला कलेक्टर्स द्वारा 28 करोड़ 49 लाख रूपये की राहत राशि वितरित की गई है। सभी जिला कलेक्टर्स द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है कि राशि जल्द से जल्द वितरित की जाये। प्रदेश में राहत मद में धनराशि की कोई कमी नहीं है। प्रदेश में 53 राहत कैम्प चलाये जा रहे है, जिनमें 3065 लोगों को रखा गया है। आरआरडीए की कुल 254 सड़के व पुल अतिवर्षा और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इनमें से 212 में अस्थायी सुधार कराया जा चुका है। लोक निर्माण विभाग की क्षतिग्रस्त दो सड़कों की मरम्मत की गयी है। बांधों की सतत निगरानी की जा रही है। बाढ़ से बचाव के लिये आवश्यकतानुसार सेना की मदद ली जा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा भी पूरा सहयोग किया जा रहा है। प्रदेश में दवाईयों, खाद्य सामग्रियों की पूर्ति सुनिश्चित की गयी है। प्रदेश के सभी अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।  

बीएसएल समिट में CM मोहन यादव का उद्योगपतियों को संदेश: निवेश करें, एमपी बनेगा टेक्सटाइल हब

भोपाल  देश की राजधानी दिल्ली में बीएसएल ग्लोबल आउटरीच समिट-2025 का आयोजन हुआ. इस खास कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिरकत की और उद्योग जगत से जुड़े नामचीन हस्तियों से सीधे संवाद किया. इस दौरान सीएम ने उद्योगपतियों से कहा कि मध्य प्रदेश सरकार हर उस मदद के लिए तैयार है, जिससे उद्योगों को बढ़ावा मिले. उन्होंने साफ शब्दों में कहा- 'आप बताइए, हम पूरा करेंगे.' 'भारत बदल रहा है, मध्य प्रदेश भी बदल रहा है' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि आज का भारत नवाचार और विकास का प्रतीक बन चुका है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में न केवल देश, बल्कि राज्य भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब देश आजाद हुआ था, तब भारत की अर्थव्यवस्था 15वें नंबर पर थी. आज हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं. महिलाओं को रोजगार देने वाले उद्योगों को मिलेगी मदद सीएम यादव ने रोजगार देने वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि यदि कोई उद्योग महिला वर्कर्स को रोजगार देता है, तो सरकार प्रति महिला वर्कर 6,000 रुपये तक की सहायता देने को तैयार है. यह सहायता 10 साल तक दी जाएगी. टेक्सटाइल हब बनेगा मध्य प्रदेश- मोहन यादव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समिट में टेक्सटाइल-गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ राउंड टेबल चर्चा की. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश अब केवल कपास उत्पादक राज्य नहीं रह गया है, बल्कि "खेत से कपड़े तक" की पूरी वैल्यू चेन विकसित कर रहा है. हमारा लक्ष्य है कि मध्य प्रदेश को देश का टेक्सटाइल हब बनाया जाए. सीएम ने बताया कि मध्य प्रदेश जैविक कपास उत्पादन में अग्रणी है और यहां GOTS सर्टिफाइड कृषक समूह सक्रिय हैं. इसका फायदा टेक्सटाइल कंपनियों को सीधे मिलेगा. उन्होंने कहा कि 'मेक इन एमपी' और 'मेड इन एमपी' जैसे विजन को साकार करने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले उद्योग शुरू करने के लिए 29 तरह की अनुमतियां लगती थीं, लेकिन अब इसे घटाकर 10 कर दिया गया है. साथ ही, सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए ऑनलाइन मंजूरी और समयबद्ध अनुमति की व्यवस्था कर दी गई है. अब 30 दिन के अंदर उद्योग शुरू करने की गारंटी दी जा रही है. ईको फ्रेंडली फैक्ट्रियों पर फोकस सीएम यादव ने कहा कि सरकार केवल फैक्ट्रियों की बात नहीं कर रही, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल फैक्ट्रियों को बढ़ावा दे रही है. जल संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा, श्रम सुधार, और जैविक उत्पादन जैसे पहलुओं को सरकार प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ESG यानी Environmental, Social और Governance मूल्यों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. सीएम यादव ने कहा, 'हम चाहते हैं कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां मध्य प्रदेश आएं और यहीं से अपना प्रोडक्शन करें. पीएम मित्र पार्क और औद्योगिक नीति 2025 के तहत हम उन्हें हर तरह की सुविधा देने को तैयार हैं. हम हर मापदंड पर खरे उतरेंगे, बल्कि उससे ऊंचे स्तर पर जाकर काम करेंगे.' कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में सीएम यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश एक उद्योग आधारित छवि बना रहा है. हमने कपास से लेकर रेडीमेड गारमेंट तक पूरी प्रक्रिया को एक प्लेटफॉर्म पर लाया है. उन्होंने कहा कि 'आज का आयोजन बताता है कि हम दुनिया से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं.' उन्होंने उद्योगपतियों से अपील की कि वे मध्य प्रदेश आएं, यहां की सुविधाएं देखें और फिर फैसला लें. उद्योगपतियों से वन-टू-वन बातचीत कार्यक्रम के दौरान सीएम ने कई बड़े उद्योगपतियों से वन-टू-वन संवाद किया. वॉलमार्ट सहित कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए. सीएम ने उन्हें मध्य प्रदेश में निवेश करने का न्योता दिया और भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगी.