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बिग बॉस मलयालम सीजन 7 में शामिल होगा लेस्बियन कपल, शो में दिखेगा नया रंग

मुंबई  सबसे कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो 'बिग बॉस' इंडिया के हर रीजन में पसंद किया जाता है. फिर चाहे वो हिंदी में सलमान खान द्वारा होस्ट किया गया हो या किसी अन्य भाषा में. 'बिग बॉस' की पॉपुलैरिटी काफी ज्यादा है. मलयालम स्टार मोहनलाल अपने रियलिटी शो 'बिग बॉस' मलयालम के सातवें सीजन के साथ वापस आ चुके हैं.  कौन-कौन हैं 'बिग बॉस मलयालम सीजन 7' के कंटेस्टेंट्स? मोहनलाल के शो में इस सीजन फिल्मी सितारों के साथ आम आदमी भी आए हैं जो अपनी-अपनी लाइफ की जर्नी को शो में दिखाने वाले हैं. 'बिग बॉस मलयालम' सीजन 7 में फेमस मलयालम स्टार्स जैसे अनुमोल, आरजे बिंसी, रेणु सुधी और गिजेल ठकराल शामिल हैं. मगर इस बार जिन कंटेस्टेंट पर लोगों की नजर रुकी है, वो एक लेस्बियन कपल अदीला और फातिमा हैं. जिन्होंने अपनी अनोखी लव स्टोरी से ऑडियंस का ध्यान अपनी ओर खींचा है. तो आइए, जानते हैं कि आखिर कौन हैं अदीला और फातिमा. कौन हैं अदीला और नूरा, जो मोहनलाल के शो में आएंगी नजर? अदीला नसरीन और फातिमा नूरा केरल का रहने वाला एक लेस्बियन कपल है जिन्होंने अपने प्यार की खातिर पूरी दुनिया से लड़ाई की थी. दोनों ने साथ रहने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें ये सफल भी हुई थीं. दोनों की लव स्टोरी ने पूरे देश को भी इंप्रेस किया था. वो सभी को ये मैसेज देने में कामयाब हुए थे कि अगर प्यार सच्चा हो, तो उसे कोई रोक नहीं पाएगा.   अदीला और फातिमा दरअसल साऊदी अरब में पहली बार मिलीं, जब दोनों 12वीं क्लास में पढ़ाई कर रही थीं. दोनों में इसी दौरान दोस्ती हुई जो बाद में धीरे-धीरे प्यार में बदल गया. हैरानी की बात ये थी कि अदीला और फातिमा के परिवार वाले भी एक-दूसरे के करीबी थे. अदीला और फातिमा के सपने पढ़ाई के दौरान एक हो गए. जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वो अपनी लव स्टोरी के बारे में अपने-अपने परिवारवालों को बताएंगी. परिवार वाले थे प्यार के खिलाफ, कैसे पूरी हुई अदीला-फातिमा की लव स्टोरी? जब अदीला और फातिमा ने अपने परिवार को ये बताया कि वो साथ रहना चाहती हैं, तो वो इसके खिलाफ हो गए थे. उनपर उनके घरवालों ने काफी दबाव डाला. जिसके बाद अदीला और फातिमा ने घर छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने कोझीकोड में शरण ली मगर अदीला का परिवार वहां पहुंचकर उन्हें अपने साथ ले गया. इसी दौरान फातिमा के परिवार ने भी पुलिस में अदीला के खिलाफ केस दर्ज कराया. अदीला और फातिमा एक-दूसरे से अलग थे, लेकिन अपने प्यार को अलग नहीं कर पाए. अदीला ने फातिमा संग अपने रिलेशनशिप को पब्लिकली कोर्ट में लेकर जाने का फैसला किया. उन्होंने केरल हाई कोर्ट 'हैबियस कॉर्पस' याचिका दायर की जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि फातिमा को उनकी इच्छा के विरुद्ध ले जाया गया है और उन पर 'कन्वर्जन थेरेपी' की गई है. इसके बाद हाई कोर्ट ने अदीला और फातिमा संग अकेले में बात करके इस केस का फैसला उनके पक्ष में सुनाया जिससे वो एक एतिहासिक पल बन गया. फातिमा और अदीला के केस में LGBTQ+ समुदाय भी उनके साथ खड़ा था. दोनों को कोर्ट ने साथ रहने की इजाजत दी. हालांकि इसके बाद भी लेस्बियन कपल की मुश्किलें कम नहीं हुई. कोर्ट से मिली इजाजत, मगर क्यों मुश्किलों में रहीं अदीला-फातिमा? अदीला और फातिमा LGBTQ+ समुदाय के उन उदाहरणों में से हैं जिनकी लव स्टोरी इंडियन सोसाइटी में एतिहासिक रूप ले चुकी है. लेकिन आज के जमाने में मौजूद सोशल मीडिया के कारण उन्हें कई लोगों की तरफ से ट्रोलिंग का सामना भी करना पड़ता है. इंडिया में आज भी कई लोग हैं जो LGBTQ+ समुदाय की गतिविधियों को पसंद नहीं करते हैं. वो उन्हें अपनाने से कतराते हैं, यही कारण है कि अदीला और फातिमा को भी काफी ट्रोल किया जाता है. हालांकि कपल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. वो आज भी सोशल मीडिया पर उतनी ही एक्टिव हैं. दोनों का एक यूट्यूब चैनल भी है जिसके लाखों सब्सक्राइबर्स हैं. अब अदीला और फातिमा मोहनलाल के रियलिटी शो में भी नजर आएंगी, जो इनकी लव स्टोरी को पूरी दुनिया के सामने प्रेजेंट करने में मदद करेगा.  बता दें कि ऑडियंस मोहनलाल का शो एशियानेट टीवी चैनल पर देख सकती है. वहीं इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जियोहॉटस्टार पर भी देखा जा सकता है. शो में 19 कंटेस्टेंट्स की एंट्री हुई है जिसमें अदीला नूरा के अलावा अप्पानी सारथ, सारिका, रेणु सुधी, शैथ्या, नेविन, शानवास शानू, गिजेल ठकराल, मुंशी रणजीत, रेना फातिमा, अभिलाष, बिन्नी नोबिन, आरजे बिंसी, ओनील साबू, अकबर खान, कलाभवन सारिगा, आर्यन कथूरिया, अनीस टीए और अनुमोल जैसे कंटेस्टेंट्स शामिल हैं.

स्कूल और कोचिंग संस्थानों पर ताला, प्रयागराज में 7 अगस्त तक बंदी

प्रयागराज जनपद के प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक के सभी स्कूलों को सात अगस्त तक के लिए बंद कर दिया गया है। लगातार हो रही बारिश के साथ ही जनपद में बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए प्रयागराज के जिलाधिकारी ने यह निर्देश दिया है।  जिले में भारी वर्षा और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रयागराज में प्री प्राइमरी से कक्षा-12 तक संचालित समस्त बोर्ड (बेसिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई, आईसीएसई, संस्कृत बोर्ड व अन्य बोर्ड) के सभी विद्यालय सात अगस्त तक के लिए बंद रहेंगे। समस्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बीएसए देवब्रत सिंह ने भी आठवीं तक के सभी विद्यालय बंद रखने का आदेश जारी किया है। बीएसए ने साफ किया है कि परिषदीय शिक्षक वर्क फ्रॉम होम के तहत डीबीटी, यू-डायस प्लस एवं अन्य विभागीय कार्यों का संपादन करना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही निर्देशित किया है कि जिन विद्यालयों में जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकी व रैन बसेरा बनाया गया है उन विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी अपना सहयोग प्रदान करेंगे। वहीं दूसरी ओर सेंट जोसेफ कॉलेज, सेंट मेरीज कॉन्वेंट, गंगा गुरुकुलम फाफामऊ समेत कई स्कूलों ने सभी अभिभावकों को मैसेज किया है कि पांच से सात अगस्त तक ऑनलाइन कक्षाएं पूर्व निर्धारित समय सारिणी के अनुसार संचालित होंगी।  

LoP की भूमिका पर प्रियंका गांधी का बयान, बोलीं– सरकार से सवाल देशविरोध नहीं

नई दिल्ली कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपने भाई और नेता विपक्ष का बचाव करते हुए दो टूक कहा है कि कौन सच्चा भारतीय है? यह सुप्रीम कोर्ट तय नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सरकार से सवाल पूछना राहुल गांधी की ड्यूटी है क्योंकि वह लोकसभा में नेता विपक्ष हैं। प्रियंका गांधी का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें अदालत ने कहा था कि कोई भी सच्चा भारतीय ऐसी बातें नहीं कर सकता। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा, “माननीय न्यायाधीशों के प्रति पूरा सम्मान रखते हुए मैं ये कहना चाहती हूं कि वो यह तय नहीं कर सकते कि सच्चा भारतीय कौन है? सरकार से सवाल पूछना विपक्ष के नेता का कर्तव्य है। मेरा भाई कभी भी सेना के खिलाफ नहीं बोलेगा, वह उनके प्रति उच्च सम्मान रखता है। इसका गलत मतलब निकाला गया है।” क्या थी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी? बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा था, ‘‘अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसी बात नहीं कहेंगे।’’ हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले में लखनऊ की एक अदालत में गांधी के खिलाफ जारी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘‘आप विपक्ष के नेता हैं। आप संसद में बातें क्यों नहीं कहते हैं, आप सोशल मीडिया पर क्यों कहते हैं?’’ पीठ ने पूछा था, ‘‘आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीनियों ने कब्जा कर ली है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है?’’ पीठ ने पूछा, ‘‘बिना किसी सबूत के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसी बात नहीं कहेंगे।’’ विपक्ष के नेता मुद्दे नहीं उठा सकते, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता मुद्दे नहीं उठा सकते, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। उन्होंने दलील देते हुए कहा, ‘‘अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते।’’ पीठ की ‘‘सच्चे भारतीय’’ टिप्पणी पर सिंघवी ने कहा, ‘‘यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार डाला गया। यह भी चिंता का विषय है।’’ इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य बात है?’’ सिंघवी ने कहा कि गांधी केवल उचित खुलासे और सूचना के दमन पर चिंता जताने की बात कर रहे थे। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि विपक्ष के एक जिम्मेदार नेता होने के नाते गांधी को ऐसा नहीं कहना चाहिए था क्योंकि ऐसे सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद है। सिंघवी ने इस बात से सहमति जताई कि गांधी इस मामले में बेहतर तरीके से टिप्पणी कर सकते थे। उन्होंने कहा कि यह शिकायत याचिकाकर्ता को परेशान करने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दुनिया को कहा अलविदा, दिल्ली के अस्पताल में हुआ निधन

नई दिल्ली पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है। उनका लंबे समय दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज चल रहा है, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। वह जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे। छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले सत्यपाल मलिक समाजवादी विचारधारा से निकले नेता थे। एक सांसद से लेकर गवर्नर तक का सफर तय करने वाले सत्यपाल मलिक आखिरी कुछ सालों में भाजपा से जुड़े थे और कई राज्यों में गवर्नर के तौर पर सेवाएं दीं। हालांकि बीते कुछ सालों से वह सरकार के खिलाफ मुखर थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया था। सत्यपाल मलिक के एक्स अकाउंट से भी उनकी मौत की जानकारी दी गई। इसी एक्स अकाउंट पर आखिरी बार उनके निजी सहायक ने 9 जुलाई को बताया था कि उनकी हालत गंभीर है। खुद को चौधरी चरण सिंह का शिष्य बताने वाले सत्यपाल मलिक किसान आंदोलन के समर्थन में मुखर हुए थे और सरकार की तीखी निंदा की थी। यही नहीं उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में कई राज्यों में दौरे किए थे और सरकार से अपील की थी कि वह तीन विवादित बिलों को वापस ले ले। पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधे हमला बोलने के कारण भी वह काफी चर्चा में थे। पांच साल में कुल 5 राज्यों के गवर्नर रहे थे सत्यपाल मलिक वह 2017 से 2022 के दौरान बिहार से लेकर जम्मू-कश्मीर और मेघालय तक कुल 5 राज्यों में गवर्नर रहे। 1970 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और 1974 में बागपत से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल से उतरे थे और जीत हासिल की थी। उन्हें जम्मू-कश्मीर में गवर्नर के कार्यकाल के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। उनके ही दौर में राज्य से आर्टिकल 370 हटा था और सूबे का पुनर्गठन करके लद्दाख को अलग एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। हालांकि इसी कार्यकाल को लेकर वह विवादों में भी रहे। खुद पर चार्जशीट दाखिल होने पर जताई थी हैरानी उन्होंने हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को लेकर करप्शन का आरोप लगाया था और फिर इसी केस में उनके खिलाफ सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया था। इस चार्जशीट पर अस्पताल से ही सत्यपाल मलिक ने ऐतराज जताया था और कहा था कि आखिर यह क्या हो रहा है। जिस शख्स ने करप्शन का आरोप लगाया था, उसके ही खिलाफ जांच शुरू कर दी गई और अब चार्जशीट दाखिल की गई है। सत्यपाल मलिक ने लोकसभा चुनाव 2024 में भी सरकार का मुखर विरोध किया था और विपक्ष के समर्थन में वोट देने की अपील की थी।  

ओवल टेस्ट बना ऐतिहासिक, आंकड़ों ने बयां की भारतीय टीम की मजबूती

नई दिल्ली  लंदन के ओवल मैदान पर खेले गए पांचवें टेस्ट में टीम इंडिया ने ना सिर्फ इंग्लैंड को शिकस्त दी, बल्कि कई ऐतिहासिक कीर्तिमान भी अपने नाम किए. टेस्ट क्रिकेट का यह मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांच और रिकॉर्ड्स का बेहतरीन संगम रहा.  ये पहली बार है जब भारत ने विदेशी जमीन पर किसी टेस्ट सीरीज का पांचवां मैच जीता है. इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ 2018 के बाद कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती है, उसके बाद 2 भारत ने जीतीं, 2 ड्रॉ रहीं हैं.  इस टेस्ट के साथ ही भारत और इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज में कुल 7187 रन बने. जो किसी भी द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज में दूसरा सबसे बड़ा रन योग है. इसके अलावा सीरीज में कुल 14 बार टीमें 300 या उससे अधिक का स्कोर बना पाईं , अब तक का संयुक्त रूप से सर्वाधिक आंकड़ा है.  टीम इंडिया की ओर से 9 बल्लेबाजों ने इस सीरीज में 400 या उससे ज्यादा रन बनाए, जबकि कुल 50 अर्धशतक और 21 शतक लगे. ये भी शेयर रिकॉर्ड हैं. 19 बार शतकीय साझेदारियां भी देखने को मिलीं, जो टेस्ट इतिहास में बराबरी का सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है.  गेंदबाजी में भी भारत ने कमाल किया. मोहम्मद सिराज ने जसप्रीत बुमराह के इंग्लैंड में किसी सीरीज में भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट (23) लेने का रिकॉर्ड दोहराया. मोहम्मद सिराज ने भी ओवल टेस्ट में 9 विकेट झटके थे. इन आंकड़ों ने ना सिर्फ सीरीज को ऐतिहासिक बना दिया, बल्कि भारतीय क्रिकेट को एक नया कॉन्फ‍िडेंस दिया.  एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2025 में रन और बैटिंग से जुड़े कुछ रिकॉर्ड्स  – इस सीरीज में कुल मिलाकर दूसरी सबसे ज्यादा रन की भरमार हुई (7187 रन). – सीरीज में सबसे ज्यादा 300+ स्कोर बनाए गए, 14 बार (रिकॉर्ड की बराबरी).  -9 बल्लेबाजों ने 400 से ज्यादा रन बनाए. ये भी एक रिकॉर्ड है.  – सीरीज में 50 बार कोई बल्लेबाज 50+ स्कोर पर पहुंचा, यहां भी रिकॉर्ड की बराबरी हुई. -21 शतक लगे, ये भी रिकॉर्ड की बराबरी है.  – 19 बार सौ से ज्यादा रन की पार्टनरशिप हुई, रिकॉर्ड की बराबरी इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय 23 – जसप्रीत बुमराह (2021-22) 23 – मोहम्मद सिराज (2025)* 19 – भुवनेश्वर कुमार (2014) कम रन से हारने के मामले में इंग्लैंड का रिकॉर्ड 1 रन से हारे vs न्यूजीलैंड, 2023 3 रन से हारे vs ऑस्ट्रेलिया, 1902 6 रन से हारे vs ऑस्ट्रेलिया, 1885 6 रन से हारे vs भारत, 2025 (द ओवल) भारत के लिए सबसे कम रनों से टेस्ट जीत: 6 रन से जीत vs इंग्लैंड, 2025 (द ओवल): सबसे छोटी जीत 13 रन से जीत vs ऑस्ट्रेलिया, 2004 (वानखेड़े स्टेडियम) 28 रन से जीत vs इंग्लैंड, 1972 (कोलकाता) 31 रन से जीत vs ऑस्ट्रेलिया, 2018 (एड‍िलेड)  

MP Assembly : कांग्रेस ने उठाया पुरानी पेंशन का मुद्दा, शिवाजी पटेल का इनकार, विपक्ष ने किया वॉकआउट

भोपाल मध्य प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र का आज सातवां दिन है। झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देकर सदन की कार्यवाही शुरू की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी श्रद्धांजलि दी। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सेना महेश पटेल ने पुरानी पेंशन योजना का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2005 के बाद पेंशन को एनपीएस के अंतर्गत लाया। इसमें लाभ की कोई गारंटी नहीं है। सरकार ने जवाब दिया है कि हमारे पास इस पुरानी पेंशन योजना को लेकर कोई जानकारी नहीं है, कोई प्लानिंग नहीं है। क्या हमारे कर्मचारी देश की और प्रदेश की सेवा में कोई कसर छोड़ते हैं? यह सरकार की जिम्मेदारी है कि लोगों को सुरक्षा मिले। अन्य प्रदेशों में पुरानी पेंशन योजना लागू है तो मध्य प्रदेश में क्यों नहीं? जवाब में राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, उत्तर पटल पर रखा है। पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का न कोई प्लान है और न ही विचार। कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष ने वॉकआउट किया। जबलपुर में शासकीय विक्टोरिया अस्पताल में फर्जी नियुक्ति का आरोप लगाया था। उप मुख्यमंत्री राकेश शुक्ला के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष ने वॉकआउट किया है। सदन की कार्यवाही जारी है।

जडेजा ने बताया वो खिलाड़ी जो गिल से भी ज्यादा रहा कंसिस्टेंट इस सीरीज में

नई दिल्ली टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी अजय जडेजा ने बताया है कि इंडिया और इंग्लैंड के बीच खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत के लिए शुभमन गिल से भी ज्यादा कौन सा प्लेयर कंसिस्टेंट था। शुभमन गिल ने सीरीज में 700 से ज्यादा रन बनाए और वे भारत के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुने गए, लेकिन अजय जडेजा का मानना है कि ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा इस सीरीज में टीम इंडिया के लिए निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी थे। जडेजा ने पहली बार किसी टेस्ट सीरीज में 500 से ज्यादा रन बनाए। भारतीय टीम ने ओवल में खेले गए आखिरी टेस्ट मैच को 6 रन से जीता और सीरीज 2-2 से बराबर कराई। इस सीरीज में 10 पारियों में 86 के औसत से रविंद्र जडेजा ने 516 रन बनाए। सोनी स्पोर्ट्स पर अजय जडेजा से रविंद्र जडेजा की परफॉर्मेंस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "क्या कुछ कहने की जरूरत है? इस खिलाड़ी ने आपको दिखा दिया है कि वो क्या कर सकता है। मुझे लगता है कि उसने कमाल कर दिया है। शुभमन गिल ने 754 रन बनाए हैं और आप कह रहे हैं कि वो सर्वश्रेष्ठ के करीब पहुंच गया है, लेकिन उसने भी (रविंद्र जडेजा) लगभग 550 रन बनाए हैं।" जडेजा ने आगे कहा, "उन्होंने शुभमन गिल से भी ज्यादा लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। उनकी चार पारियां ऐसी रहीं जो खत्म ही नहीं हुईं, क्योंकि दूसरे छोर से बल्लेबाजी खत्म हो गई थी। पूरी सीरीज में सिर्फ दो पारियां ऐसी रहीं, जहां वह जल्दी आउट हो गए।" अजय जडेजा ने बताया कि लॉर्ड्स और ओल्ड ट्रैफर्ड में रविंद्र जडेजा की जुझारू पारी सीरीज में ऑलराउंडर की ओर से बेस्ट बैटिंग के क्षण थे। तीसरे और चौथे टेस्ट को लेकर अजय जडेजा ने कहा, "अगर हम उनके पलों को याद करने की कोशिश करें, तो इसकी शुरुआत लॉर्ड्स से हुई, जहां आप जीत तो नहीं सकते थे, लेकिन उन्होंने और (मोहम्मद) सिराज ने वहां डटकर मुकाबला किया। वहां से एक बदलाव देखा गया। उनकी दृढ़ता वहीं से शुरू हुई। फिर अगले मैच में भी वे डटे रहे और मैच ड्रॉ करा दिया। फिर इस मैच (आखिरी टेस्ट) में भी उन्होंने रन बनाए।" लॉर्ड्स में 181 गेंदों में 61 रन जडेजा ने बनाए, लेकिन वे 22 रनों की हार को नहीं टाल पाए, क्योंकि दूसरे छोर पर कोई टिक नहीं पाया।  

भारत ने ट्रंप की टैरिफ धमकी का मुंहतोड़ जवाब दिया, अमेरिका और ईयू के डबल स्टैंडर्ड को उजागर किया

नई दिल्ली पिछले कुछ हफ्तों से वैश्विक कूटनीति और व्यापार के मंच पर एक नया तूफान खड़ा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए 25% टैरिफ और अतिरिक्त पेनल्टी की धमकी दी है। उनका दावा है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुनाफे के लिए बेच रहा है, जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक मदद मिल रही है। लेकिन यह कहानी उतनी सीधी नहीं है, जितनी दिखाई देती है। भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी का एक बयान फिर से वायरल हो रहा है जिससे इस कहानी में अमेरिका का पाखंड साफ दिख रहा है। गार्सेटी ने पिछले साल कहा था कि अमेरिका खुद चाहता था कि भारत रूस से तेल खरीदे ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रहे। तो फिर अब यह पलटवार और धमकियां क्यों? क्या यह अमेरिका का पाखंड है या ट्रंप का कूटनीतिक दोगलापन? आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं। अमेरिका का दोहरा चेहरा 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसके परिणामस्वरूप, रूस ने अपने तेल को रियायती दरों पर बेचना शुरू किया। भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का 80% से ज्यादा आयात करता है, उसने इस अवसर का लाभ उठाया। भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर न केवल अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों को स्थिर करने में भी योगदान दिया। उस समय अमेरिका ने भारत के इस कदम को न केवल स्वीकार किया, बल्कि इसे प्रोत्साहित भी किया। भारत में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने स्पष्ट कहा था कि भारत का रूस से तेल खरीदना वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता के लिए जरूरी है। पिछले साल 2024 में 'कॉन्फ्रेंस ऑन डायवर्सिटी इन इंटरनेशनल अफेयर्स' में बोलते हुए गार्सेटी ने कहा, "भारत ने रूसी तेल इसलिए खरीदा क्योंकि हम चाहते थे कि कोई रूसी तेल को मूल्य सीमा (प्राइस कैप) पर खरीदे। यह कोई उल्लंघन नहीं था, बल्कि यह नीति का हिस्सा था, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि तेल की कीमतें बढ़ें, और भारत ने इसे पूरा किया।" लेकिन अब वही अमेरिका भारत पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहा है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "भारत न केवल रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहा है। उन्हें यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीन के कारण होने वाली मानवीय त्रासदी की कोई परवाह नहीं।" यह बयान न केवल भारत की ऊर्जा नीति को गलत ठहराता है, बल्कि यह भी भूल जाता है कि भारत का यह कदम अमेरिका की सहमति से ही उठाया गया था। भारत की ऊर्जा नीति और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, और रूस उसका सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है। 2022 के बाद से भारत की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 35-40% रूस से आता है। यह सस्ता तेल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हुआ है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के पास रूस के अलावा भी तेल आपूर्ति के विकल्प हैं, जैसे सऊदी अरब, इराक, यूएई और ब्राजील। लेकिन रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत के राष्ट्रीय हित में है, क्योंकि इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रित रहती हैं और महंगाई पर अंकुश लगता है। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत की ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हित और वैश्विक बाजार की मजबूरियों पर आधारित है। अमेरिका और यूरोपीय देशों की आलोचना अनुचित है, खासकर तब जब ये देश स्वयं रूस से व्यापार कर रहे हैं।" भारत ने आंकड़ों के साथ दिखाया कि 2024 में यूरोपीय संघ और रूस के बीच 67.5 अरब यूरो का व्यापार हुआ, जो भारत-रूस व्यापार से कहीं ज्यादा है। यह सवाल उठता है कि जब यूरोप और अमेरिका खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं, तो भारत को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? ट्रंप का दोगलापन: भारत बनाम चीन ट्रंप की धमकियों में एक और विरोधाभास साफ दिखता है। वह भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए टैरिफ और पेनल्टी की धमकी दे रहे हैं, लेकिन चीन के मामले में उनकी आवाज अपेक्षाकृत नरम है। चीन रूस के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, जो रूस के कुल तेल निर्यात का 47% खरीदता है। फिर भी, ट्रंप ने चीन के खिलाफ उतनी सख्ती नहीं दिखाई, जितनी भारत के खिलाफ। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह ट्रंप की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। अमेरिका के लिए चीन एक बड़ा व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी है और ट्रंप शायद चीन के साथ व्यापार युद्ध को और तीव्र नहीं करना चाहते। दूसरी ओर, भारत को एक आसान निशाना माना जा रहा है, क्योंकि भारत-अमेरिका संबंधों में मित्रता का तत्व मजबूत है। अपने मुनाफे के लिए भारत पर निशाना अमेरिका ने यूक्रेन के साथ हाल ही में एक रेयर अर्थ मिनरल्स डील की है, जिसके तहत वह यूक्रेन के विशाल खनिज संसाधनों, जैसे लिथियम, टाइटेनियम और रेयर अर्थ तत्वों, का दोहन करना चाहता है। यह डील अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये खनिज हाई-टेक उद्योगों, रक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए आवश्यक हैं। अमेरिका का मानना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते इन संसाधनों का खनन मुश्किल हो रहा है, इसलिए वह युद्ध को जल्द खत्म करने की दिशा में कदम उठा रहा है। इस डील के जरिए अमेरिका न केवल अपनी खनिज आपूर्ति को सुरक्षित करना चाहता है, बल्कि चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों पर निर्भरता को भी कम करना चाहता है, जो इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि, जब अमेरिका रूस को सीधे तौर पर प्रभावित करने में असमर्थ रहा, तो उसने रणनीति बदलकर रूस के करीबी सहयोगियों, जैसे भारत, को निशाना बनाना शुरू किया। टैरिफ का भारत पर असर ट्रंप की धमकी अगर हकीकत बनती है, तो भारत को कई मोर्चों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत हर साल अमेरिका को 83 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात करता है, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और आईटी सेवाएं … Read more

पं. प्रदीप मिश्रा के आयोजन से पहले कुबेरेश्वर धाम में अफरा-तफरी, भगदड़ में 2 की मौत

सीहोर   मध्य प्रदेश के सीहोर मे स्थित कुबेरेश्वर धाम में भगदड़ मचने से 2 महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गई। वहीं 10 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हो गए। घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। मृतकों का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है। बताया जा रहा है कि घायलों में कईयों की हालात गंभीर बनी हुई है। घायलों में ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। कुबरेश्वेर धाम में मची भगदड़ दरअसल, 6 अगस्त को कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की अगुवाई में कांवड़ यात्रा निकाली जानी है. यात्रा से पहले सीवन नदी घाट से कुबेश्वर धाम तक भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. हालात यह हैं कि इंदौर भोपाल हाइवे पर जाम की स्थिति बन गई है. इसी बीच कुबेरेश्वर धाम में भगदड़ मच गई. घटना में घबराहट और अत्यधिक भीड़ के चलते दो महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. जबकि दो महिला गंभीर हैं. वहीं 8 से 10 लोगों का स्वास्थ्य खराब होने से उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया है. गर्मी और उमस बनी कारण, अस्पताल में हुई मौत की पुष्टि शुरूआती जानकारी में बताया जा रहा है कि मंगलवार दोपहर के समय कुबेरेश्वर धाम परिसर में बढ़ती भीड़ और गर्मी-उमस के कारण कुछ श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई. यहां अफरा-तफरी और भगदड़ के हालात निर्मित हो गए. इनमें से दो महिलाओं की हालत गंभीर है, जिन्हें तत्काल जिला अस्पताल सीहोर ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. मृत महिलाओं की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर अभी तक इस घटना की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. वहीं, कई अन्य श्रद्धालु भी बेचैनी, घबराहट और चक्कर जैसी समस्याओं से पीड़ित बताए जा रहे हैं. जिन्हें प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल आने की सूचना भी है. कौन हैं प्रदीप मिश्रा, कुबेरेश्वर धाम से नाता बता दें पंडित प्रदीप मिश्रा एक मशहूर कथावाचक हैं. वे सीहोर के रहने वाले हैं. उनकी कथा मध्य प्रदेश के साथ-साथ देशभर में आयोजित की जाती है. वहीं सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में पंडित प्रदीप मिश्री की कथा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां मौजूद शिव मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. वहीं सावन के मौके पर यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है. 17 अगस्त को कांवड़ यात्रा में शामिल होने देश और प्रदेश से श्रद्धालु सीहोर के कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे. हालात यह थे कि सारे होटल, लॉज सब फुल चल रहे हैं. साल 2023 में भी मची थी भगदड़ गौरतलब है कि कुबेरेश्वर धाम में भगदड़ का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 16 फरवरी साल 2023 में रुद्राक्ष वितरण के दौरान भी भगदड़ मची थी. तब एक महाराष्ट्र के नाशिक की 53 वर्षीय मंगल बाई नाम की महिला की मौत हो गई थी. जबकि 4 लोग लापता हुए थे. इसके बाद दूसरे दिन 17 फरवरी को एक 3 साल के बच्चे अमोघ भत्त की मौत हो गई थी. बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन को रुद्राक्ष महोत्सव रोकना पड़ा था. जानकारी के मुताबिक, कल पंडित प्रदीप मिश्रा की कावड़ यात्रा निकलने वाली है। उसके चलते 1 लाख श्रद्धालु अभी तक सीहोर आ चुके हैं।  

कुबेरेश्वर धाम जाने का प्लान है? पहले जान लें कांवड़ यात्रा के ट्रैफिक डायवर्जन

सीहोर  सावन माह में आयोजित हो रही ऐतिहासिक कांवड़ यात्रा को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। पंडित प्रदीप मिश्रा के सान्निध्य में 6 अगस्त को निकलने वाली इस भव्य यात्रा में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने ट्रैफिक डायवर्जन प्लान लागू कर दिया है। यह व्यवस्था 5 अगस्त रात 12 बजे से 6 अगस्त रात 10 बजे तक प्रभावी रहेगी। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सर्वोपरि प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे धैर्य और सहयोग बनाए रखें तथा निर्धारित वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें। ट्रैफिक डायवर्जन के तहत प्रमुख स्थानों पर पुलिस बल, यातायात कर्मी और मेडिकल टीम तैनात रहेंगे ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। भारी वाहनों के लिए विशेष मार्ग तय भोपाल से इंदौर या देवास की ओर जाने वाले भारी वाहन अब सीधे नहीं जा सकेंगे। इन्हें परवलिया क्षेत्र के मुबारकपुर जोड़ और खजूरी क्षेत्र के तुमड़ा जोड़ से होते हुए श्यामपुर–कुरावर–ब्यावरा–शाजापुर–मक्सी मार्ग से भेजा जाएगा। वहीं, इंदौर/देवास से भोपाल आने वाले भारी वाहनों को भी यही मार्ग अपनाना होगा। छोटे वाहनों के लिए वैकल्पिक रूट भोपाल से आष्टा, देवास, उज्जैन या इंदौर की ओर जाने वाले छोटे वाहन अब सीहोर के न्यू क्रिसेंट चौराहे से भाऊखेड़ी जोड़ होते हुए अमलाहा मार्ग से जाएंगे। वापसी में वाहन आष्टा–अमलाहा–भाऊखेड़ी जोड़ होते हुए भोपाल पहुंचेंगे। प्रशासन ने यात्रियों, स्थानीय निवासियों और व्यापारियों से ट्रैफिक प्लान में सहयोग की अपील की है। प्रशासन ने हड़बड़ी या रूट तोड़ने से बचने की सलाह दी है, जिससे आपात स्थिति से बचा जा सके। भव्य आयोजन की तैयारियां पूरी कांवड़ यात्रा सीवन नदी घाट से जल लेकर कुबेरेश्वर धाम तक करीब 11 किलोमीटर पैदल यात्रा के रूप में निकलेगी। इसे लेकर शहर में साफ-सफाई, पार्किंग, चिकित्सा और आपातकालीन सेवाओं की विशेष व्यवस्था की गई है। यह यात्रा धार्मिक इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय मानी जा रही है। सीवन घाट और कुबेरेश्वर धाम पर 5 अगस्त सुबह 6 बजे से यात्रा समापन तक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधीर डेहरिया को प्रभारी बनाया गया है। मौके पर एम्बुलेंस, दवाएं और मेडिकल स्टाफ तैनात रहेगा। होमगार्ड और एसडीआरएफ की टीम भी अलर्ट रहेगी।   400 से अधिक जवान रहेंगे तैनात जिला पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला के अनुसार, कांवड़ यात्रा के दौरान 400 से अधिक पुलिस जवान, 4 डीएसपी, 7 थाना प्रभारी और 30 सब-इंस्पेक्टरों की तैनाती की गई है। इनमें से कई जवान बाहरी जिलों से बुलाए गए हैं ताकि स्थानीय पुलिस को अन्य कार्यों में लगाया जा सके। कई सामाजिक संगठनों द्वारा यात्रा मार्ग में सेवा शिविर लगाए जा रहे हैं, जिनमें जल वितरण, फलाहारी प्रसाद और रात्रि विश्राम की व्यवस्था रहेगी। विठलेश सेवा समिति, रामसेवा समिति और अन्य स्थानीय मंडल इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं। "सेवा, श्रद्धा और अनुशासन का पर्व" प्रशासन और आयोजकों का संदेश है कि कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाला पर्व है। श्रद्धा और अनुशासन के साथ हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह इस आयोजन को सफल बनाने में प्रशासन का सहयोग करे।