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शिक्षा विभाग की तैयारी पूरी: जल्द होगी नई भर्ती, जानिए कितने पद हैं रिक्त

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य में अब भी शिक्षकों की आवश्यकता बनी हुई है। इसे ध्यान में रखते हुए 5,000 नये शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शीघ्र आरंभ की जाएगी। विद्यालय भवनों के रखरखाव के लिए 133 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। साथ ही छात्रावासों की स्थिति सुधारने के लिए भी ठोस कदम उठाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की संख्या कम सीएम विष्णु देव साय राजधानी में रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालते ही प्राथमिकता रही कि विभाग को गहराई से समझते हुए सुधार की ठोस पहल की जाए। सबसे पहले एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें पाया गया कि राज्य में शिक्षक और छात्रों का अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर होने के बावजूद वितरण असमान है। ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन शिक्षक अपेक्षाकृत कम हैं। जबकि, शहरी क्षेत्रों में शिक्षक अधिक संख्या में पदस्थ हैं। इस असंतुलन को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। बंद पड़े विद्यालय पुनः प्रारंभ किए गए इसके परिणामस्वरूप वर्तमान में कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है। इस प्रभाव का विस्तार इतना व्यापक रहा कि इरकभट्टी जैसे गांवों में वर्षों से बंद पड़े विद्यालय पुनः प्रारंभ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में लागू किया गया है। राज्य में इसे तत्परता से अपनाया गया है।

राखी उतारने के बाद न करें ये गलती, जानें राखी के सही विसर्जन विधि

इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा. अक्सर लोगों को एक कंफ्यूजन होता है कि रक्षाबंधन पर पिछले साल की पुरानी राखी का क्या करना चाहिए और पुरानी राखी उतारने के नियम क्या हैं? आइए आपको बताते हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग राखी को पूरे एक साल तक बांधे रखते हैं और फिर अगले साल रक्षाबंधन पर नई राखी बंधवाते हैं. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर पुरानी राखी का क्या करें? आइए आपको बताते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पिछले साल की राखी को रक्षाबंधन पर उतार देना चाहिए. आमतौर पर, रक्षाबंधन की राखी को 24 घंटे के अंदर या जन्माष्टमी के दिन उतार देनी चाहिए. रक्षाबंधन पर बांधी गई राखी को पूरे साल नहीं पहनना चाहिए. रक्षाबंधन के 24 घंटे के भीतर या जन्माष्टमी के दिन राखी उतारना शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष शुरू होने से पहले राखी को उतार देना चाहिए, क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है. अगर आपने सोने या चांदी की राखी पहनी हो तो आप इसे पूरे साल पहन सकते हैं. पिछले साल की पुरानी राखी को फेंकने की बजाय आप उसे सम्मानपूर्वक विसर्जित कर सकते हैं या फिर उसे किसी अन्य काम में इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, पुरानी राखी को कहीं भी ऐसे ही नहीं फेंकना चाहिए. आप पुरानी राखी को किसी नदी, तालाब या बहते पानी में बहा सकते हैं. अगर यह संभव नहीं हो तो आप इसे किसी पेड़ के नीचे रख सकते हैं या फिर मिट्टी में दबा सकते हैं. विसर्जन करते समय आप एक सिक्का भी रख सकते हैं. राखी को इधर-उधर फेंकना अपवित्र माना जाता है. अगर राखी खंडित हो गई है, तो उसे लाल कपड़े में लपेटकर किसी सुरक्षित स्थान पर रखें और बाद में विसर्जित करें. आप पुरानी राखी को किसी पेड़ पर भी बांध सकते हैं.

स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने की आशंका: NHM कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान

रायपुर प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारियों ने 18 अगस्त से अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन करने का ऐलान किया है. संगठन ने स्पष्ट किया कि यदि मांगों पर शीघ्र सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती है, तो यह आंदोलन व्यापक और तीव्र रूप लेगा. स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव की पूर्ण जिम्मेदारी शासन की होगी. छत्तीसगढ़ एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अमित मिरी ने कहा कि वर्षों से धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा के बाद भी कर्मचारियों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है. इसके बाद भी NHM कर्मचारी आंदोलन के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित करने से बचने का हर संभव प्रयास करेंगे, लेकिन यदि शासन ने इस बार भी कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी की, तो “संघर्ष ही विकल्प” बचेगा. संघ की दस मांगों में संविलियन एवं स्थायीकरण, पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना, ग्रेड पे का निर्धारण, कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता, लंबित 27 प्रतिशत वेतन, नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण, अनुकम्पा नियुक्ति, मेडिकल एवं अन्य अवकाश की सुविधा, स्थानांतरण नीति और न्यूनतम 10 लाख कैशलेश चिकित्सा बीमा शामिल है.

आर्थिक मोर्चे पर भारत का कमाल, 110 अरब डॉलर से अमेरिका-चीन की टेंशन बढ़ी

नई दिल्ली भारत में सेमीकंडक्‍टर का उपयोग बड़े स्तर पर होता है और अब भारत कंजम्‍प्‍शन के अलावा, मैन्‍युफैक्‍चरिंग भी करने लगा है. भारत में तेजी से चिप (India Semiconductor Market) बनाने का काम हो रहा है, जिस कारण सेमीकंडक्‍टर इंडस्‍ट्री ग्रो कर रही है. घरेलू च‍िप मार्केट 2023 में 38 अरब डॉलर तक था और वित्त वर्ष 2024-25 में 45 से 50 अरब डॉलर था, जो 2030 तक 100 से 110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.  अगर भारत यह टारगेट हासिल कर लेता है तो वह US चीन की कैटेगरी में शामिल हो जाएगा, जिनकी सेमीकंडक्‍टर इंडस्‍ट्रीज ट्रिलियन डॉलर की हैं. 2023 में चीन का सेमीकंडक्‍टर मार्केट 177.8 अरब डॉलर था, जो ग्‍लोबल मार्केट का 32 फीसदी हिस्‍सा है. वहीं मैन्‍युफैक्चरिंग की बात करें तो यह 16 से 18% उत्‍पादन करता है. अमेरिका का चिप मार्केट साल 2023 में 130 अरब डॉलर था, जो ग्‍लोबल मार्केट का 25 फीसदी है, लेकिन US 12 फीसदी ही उत्‍पादन करता है.  भारत उभरता हुआ चिप मार्केट  भारत का साल 2024 में कुल सेमीकंडक्‍टर मार्केट 45 अरब डॉलर था, जो कुल ग्‍लोबल मार्केट में 1 फीसदी उत्‍पादन करता है. हालांकि भारत का चिप मार्केट 16% ग्रोथ से बढ़ रहा है यानी 2030 तक इसकी ग्‍लोबल मार्केट में 6.21 फीसदी तक की हिस्‍सेदारी होगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत ग्‍लोबल सेमीकंडक्‍टर मार्केट में एक उभरता हुआ देश है.  इस वजह से बढ़ रहा सेमीकंडक्‍टर का उत्‍पादन  एक ऑफिशियल स्‍टेटमेंट के मुताबिक, इस ग्रोथ को 76000 करोड़ रुपये के खर्च से शुरू किए गए इंडिया सेमीकंडक्‍टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम जैसी सेमीकंडक्‍टर का उत्‍पादन बढ़ रहा है. इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (ICET) जैसे ग्‍लोबल सहयोग ने इस क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी को और बढ़ाया है.  फॉक्‍सकॉन और एचसीएल का ज्‍वाइंट वेंचर  देश का चिप निर्माण इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर धीरे-धीरे साइज बदल रहा है. मई 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सेमीकंडक्‍टर मिशन के तहत एक सेमीकंडक्‍टर निर्माण सुविधा को मंजूरी दी, जो HCL और फॉक्‍सकॉन के बीच एक ज्‍वाइंट वेंचर है. यह प्‍लांट मोबाइल फोन, लैपटॉप, कार और PC जैसे उपकरणों के लिए डिस्‍प्‍ले ड्राइवर चिप्‍स का निर्माण करेगा. इस प्‍लांट को 20 हजार वेफर मंथली की क्षमता के लिए डिजाइन किया गया है. इससे मंथली 36 मिलियन चिप्‍स का उत्‍पादन होने की उम्‍मीद है.  भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन भी इसी वर्ष शुरू होने वाला है और पांच मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट अभी बन रही हैं. भारत सिर्फ एक मार्केट ही नहीं, बल्कि एक उत्‍पादन सेंटर के तौर पर भी महत्‍वपूर्ण ग्‍लोबल हिस्‍सेदारी हासिल करने के लिए भी तैयार है. 

MP में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मेकओवर: पूरे प्रदेश में दौड़ेंगी किफायती और कंफर्टेबल बसें

भोपाल  मध्यप्रदेश में जल्द ही कम किराएवाली आरामदायक बसें दौड़ती नजर आएंगी। प्रस्तावित मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा के लिए परिवहन विभाग की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए प्रदेश में राज्यस्तरीय कम्पनी के साथ 7 सहायक कंपनियां भी गठित की गई हैं। राज्य सरकार द्वारा अप्रैल 2025 में स्वीकृत मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा योजना के अंतर्गत नगर वाहन सेवा और अंतरशहरी बस सेवा को सुगम बनाने का काम किया जा रहा है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी एक्ट के तहत राज्यस्तरीय मध्यप्रदेश यात्री परिवहन एवं अधोसंरचना लिमिटेड कंपनी का गठन किया गया। 3 जुलाई 2025 को इसका पंजीयन हुआ। राज्यस्तरीय कंपनी के अध्यक्ष सीएम होंगे जबकि परिवहन मंत्री और मुख्य सचिव उपाध्यक्ष होंगे। राज्यस्तरीय कंपनी के साथ पूरे प्रदेश में 7 सहायक कंपनियां भी रहेंगी। इसके लिए राजधानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, सागर, रीवा और ग्वालियर में वर्तमान में संचालित सिटी बस कंपनियों के शेयर होल्डिंग में परिवर्तन किया गया है। इन सातों शहरों के लिए नए सिरे से कंपनियां गठित की गई हैं। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा के अंतर्गत पूरे प्रदेश में नए सिरे से बस रूट निर्धारित किए जा रहे हैं। इन रूट्स पर बस फ्रिक्वेंसी का भी निर्धारण किया जा रहा है। इसके लिए वैज्ञानिक पद्धति से ट्रैफिक सर्वे किया जा रहा है। उज्जैन और इंदौर संभाग का ट्रैफिक सर्वे और रूट निर्धारण का काम जहां अंतिम चरण में है वहीं जबलपुर तथा सागर संभाग में भी सर्वे चल रहा है। इसके बाद भोपाल, नर्मदापुरम, रीवा, शहडोल, ग्वालियर और चंबल संभाग में सर्वे किया जाएगा। आरामदायक, सुरक्षित और कम किराए वाले बस मिलेगी अधिकारियों ने बताया कि सातों क्षेत्रीय सहायक कंपनियों पर अपनी क्षेत्राधिकार के जिलों में सिटी बस सेवा और अंतरशहरी बस सेवा के संचालन की जिम्मेदारी रहेगी। सुगम परिवहन बस सेवाओं में यात्रियों को आरामदायक, सुरक्षित और कम किराए वाले बस उपलब्ध कराने पर खासा जोर दिया जा रहा है।

5 अगस्त से पहले कश्मीर में सियासी सरगर्मी, बड़ा फैसला आने की अटकलें

नई दिल्ली क्या जम्मू-कश्मीर को 6 साल बाद एक बार फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने वाला है? 5 अगस्त से पहले कुछ बड़ा होने की चर्चाओं के बीच ऐसे कयास लग रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और फिर होम मिनिस्टर अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसके अलावा मंगलवार सुबह ही एनडीए के संसदीय दल की भी मीटिंग होने वाली है। इन घटनाक्रमों के चलते ही चर्चा तेज है कि क्या 5 अगस्त को फिर से मोदी सरकार बड़ा फैसला लेगी। इससे पहले राम मंदिर का शिलान्यास और फिर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने एवं राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला भी 5 अगस्त की तारीख को ही हुआ था। तब साल 2019 था। तब से ही मांग उठती रही है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। इसके जवाब में पीएम मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह लगातार कहते रहे हैं कि सही समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा। सरकार ने कभी राज्य का दर्जा देने से इनकार नहीं किया है, बस सही समय की बात कही है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह सही समय अब आ गया है। कुछ बड़ा होने के कयास लग ही रहे हैं और सबसे ज्यादा चर्चा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की ही है। फारूक अब्दुल्ला के बयान से भी ऐसे कयास तेज हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि सरकार बताए कि आखिर जम्मू-कश्मीर को कब पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा। उन्होंने आर्टिकल 370 हटाने की छठी बरसी से एक दिन पहले यह मांग दोहराई है। उन्होंने इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव कराने की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा, 'वो राज्य का दर्जा कब वापस करने जा रहे हैं? उन्होंने कहा था कि चुनाव होने और सरकार बनने के बाद दर्जा लौटा दिया जाएगा। अब उस वादे का क्या हुआ? अब उनका कहना है कि विधानसभा की दो खाली सीटों पर चुनाव कराएंगे, लेकिन राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव कब होंगे? आखिर वे सदन में लोगों की आवाज उठाने के अधिकार को क्यों रोक रहे हैं।' क्‍यों चर्चा है जम्‍मू और कश्‍मीर को पूर्ण राज्‍य का दर्जा देने की? जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की चर्चा 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के बाद से चल रही है. जब से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हटाकर दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया. तब से लगातार पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की मांग स्थानीय नेताओं, दलों द्वारा की जा रही है. गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में संसद में वादा किया था कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. उसके बाद भारत सरकार भी कई बार बोल चुकी है कि वह समय आने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2023 में राज्य का दर्जा बहाली का आदेश दिया था.    दरअसल केंद्र शासित प्रदेश के रूप में, जम्मू-कश्मीर की सरकार के पास सीमित शक्तियां हैं. पुलिस, कानून-व्यवस्था, और अखिल भारतीय सेवाओं जैसे महत्वपूर्ण मामलों में उपराज्यपाल और केंद्र सरकार का नियंत्रण है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), और कांग्रेस जैसे दल लगातार पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं. NC के नेता उमर अब्दुल्ला ने इसे अपनी सरकार का प्रमुख एजेंडा बनाकर 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में 42 सीटें जीत ली. पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन जरूरी है, जिसके लिए लोकसभा और राज्यसभा की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अंतिम स्वीकृति चाहिए होगी. उनकी मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी होने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा. रविवार को राष्ट्रपति की पीएम और गृहमंत्री से अलग अलग मुलाकात से यह कयास लगाया जा रहा है कि कहीं ये मुलाकात जम्मू कश्मीर के लिए तो नहीं है. बहुत संभावना है कि कल अनुच्छेद 370 के रद्द होने के छठें साल पर सरकार जम्मू कश्मीर की जनता को राज्य दर्जे की बहाली का ऐलान करे.  जम्‍मू और कश्‍मीर को अलग अलग राज्‍य बनाने की अफवाह भी जम्मू क्षेत्र हिंदू बहुल होने और कश्मीर घाटी के मुस्लिम बहुल होने के चलते अक्सर इस बात पर चर्चा होती रही है कि क्या दोनों को अलग राज्य का दर्जा देना संभव है.जम्मू के लोग यह शिकायत करते रहे हैं कि कश्मीरी नेतृत्व ने उनके क्षेत्र के विकास को नजरअंदाज किया और उन्हें सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया. इस संदर्भ में, जम्मू को अलग राज्य बनाने की मांग को कुछ लोग क्षेत्रीय सशक्तिकरण के रूप में देखते हैं.  जो लोग जम्मू को अलग राज्य का दर्जा देने के पक्ष में हैं, उनका तर्क है कि इससे क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं और पहचान को बेहतर संबोधित किया जा सकेगा. जम्मू हिंदुओं को एक सम्मानजनक पहचान और विकास के अवसर देगा, जो कश्मीर के साथ एकजुटता में संभव नहीं है. कश्मीरी मूल की पत्रकार  @AartiTikoo एक्स पर लिखती हैं कि…  जम्मू और कश्मीर में इन दिनों यह अफ़वाह ज़ोरों पर है कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 के हटाए जाने की छठी वर्षगांठ, यानी कल, इस केंद्र शासित प्रदेश को फिर से राज्य का दर्जा दे सकती है. और जो बात इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली है — वह यह कि अफ़वाहों के बाज़ार में कहा जा रहा है कि कश्मीर और जम्मू को अलग करके दो स्वतंत्र राज्य बना दिया जाएगा. अगर इनमें से कोई भी बात सही निकली, तो यह बेहद विनाशकारी कदम होगा. यह मूलतः डिक्सन प्लान को अमल में लाने जैसा होगा — यानी जम्मू-कश्मीर का धार्मिक आधार पर विभाजन, जिससे मुस्लिम बहुल क्षेत्र को अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के हवाले कर दिया जाएगा. भारत की सीमाओं से लगे किसी भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र को पाकिस्तान की सेना और उसके जिहादी आतंकियों से अप्रभावित रखना संभव नहीं है. अगर यह तर्क दिया जाए कि हिंदू बहुल जम्मू, अपनी जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक शक्ति से वंचित रहा है, और मुस्लिम बहुल कश्मीरी नेतृत्व ने उसके साथ भेदभाव किया है — तो यह साफ़ … Read more

MP के चार हाईवे होंगे हाईटेक: यात्रा के दौरान फूड, फ्यूल और चार्जिंग की पूरी सुविधा

 ग्वालियर  नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की सहयोगी संस्था नेशनल हाइवेज लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) मध्यप्रदेश के चार हाइवे किनारे यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी कर रही है। एनएचएआई की खाली पड़ी जमीन को विकसित कर फूड कोर्ट, रेस्टोरेंट, शॉपिंग स्टोर, पार्किंग, शौचालय, ईवी चार्जिंग स्टेशन और डोरमेट्री जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यहां वाहन चालक थोड़ी देर रुककर आराम कर सकेंगे और यात्रियों के लिए बच्चों का खेलकूद एरिया भी विकसित किया जाएगा। इन चार स्थानों पर यह सुविधाएं विकसित होंगी:     ग्वालियर-शिवपुरी हाइवे पर घाटीगांव     तेजाजीनगर-बलवारा के पास बैग्राम (एनएच 347)     नेशनल हाइवे 52 पर भाटखेड़ी     इंदौर-गुजरात नेशनल हाइवे 47 पर हटोड अभी तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर केवल टोल प्लाजा के आसपास कुछ सुविधाएं उपलब्ध होती थीं। लेकिन नए बने एक्सप्रेसवे की तरह अब पुराने नेशनल हाइवे पर भी यात्रियों की सुविधाओं को लेकर गंभीर पहल की जा रही है। इन परियोजनाओं से सरकार को भी फायदा होगा क्योंकि विकसित की गई जमीन लीज पर दी जाएगी, जिससे राजस्व प्राप्त होगा। सर्वे रिपोर्ट से सामने आई जानकारी     तेजाजीनगर-बलवारा (एनएच 347) बैग्राम: 4.86 हेक्टेयर जमीन, यहां से रोजाना 330 कारें और 1,871 ट्रक गुजरते हैं।     नेशनल हाइवे 52, भाटखेड़ी: 2.58 हेक्टेयर जमीन, यहां से औसतन 3,023 कारें और 3,134 ट्रक गुजरते हैं।     ग्वालियर-शिवपुरी (एनएच 46) घाटीगांव: 0.82 हेक्टेयर जमीन, रोजाना 1,637 कारें, 156 बसें और 2,105 ट्रक गुजरते हैं।     इंदौर-गुजरात हाइवे (एनएच 47) हटोड: 2.86 हेक्टेयर जमीन, प्रतिदिन 2,243 कारें, 359 बसें और 1,230 ट्रक गुजरते हैं। क्षेत्रीय कारीगरों को बढ़ावा इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि हाईवे सुविधाओं में क्षेत्रीय कला और कारीगरों के लिए कियोस्क और स्टॉल भी उपलब्ध कराए जाएंगे। यात्री यहां से स्थानीय कलाकृतियां खरीद सकेंगे, जिससे क्षेत्रीय कारीगरों को रोजगार मिलेगा और हाइवे पर गुजरने वाले लोगों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनेगा।  

Vande Bharat Sleeper जल्द ट्रैक पर! जानिए कब से शुरू होगी पहली सेवा

 नईदिल्ली  देश में इस समय 50 से ज्यादा Vande Bharat ट्रेनें चल रही हैं, और अब जल्दी ही इसका स्लीपर वर्जन भी लोगों को मिलने वाला है। इसके अलावा भारत की पहली बुलेट ट्रेन पर भी तेजी से काम चल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेल मंत्री Ashwini Vaishnav ने बताया है कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को अगले महीने यानी सितंबर में लॉन्च किया जा सकता है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि यह ट्रेन बहुत जल्द शुरू की जाएगी। रेल मंत्री ने हाल ही में राज्यसभा में जानकारी दी थी कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला मॉडल तैयार हो गया है। लंबी यात्रा में आरामदायक यह ट्रेन नई तकनीक से बनी है और इसे बहुत आरामदायक बनाया गया है, ताकि लोग लंबी दूरी की यात्रा में थकान महसूस न करें। यह ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से भी बेहतर और तेज मानी जा रही है। इसका सफर समय पर और बिना रुकावट के होगा। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन खास तौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई है जो रातभर का या लंबा सफर करते हैं। इसमें आरामदायक सीटें और आधुनिक सुविधाएं होंगी, जिससे यात्री को अच्छा अनुभव मिलेगा।

’ये वक्त हमारा है’ अभियान का शुभारंभ एवं वार्षिक कैलेंडर का विमोचन भी होगा

स्व-सहायता समूहों का तीन दिवसीय राखी मेला भोपाल हाट में 5 अगस्त से राखी मेला :पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री पटेल करेंगे मेले का उद्घाटन ’ये वक्त हमारा है’ अभियान का शुभारंभ एवं वार्षिक कैलेंडर का विमोचन भी होगा भोपाल मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत स्व-सहायता समूहों का तीन दिवसीय राखी मेला भोपाल 5 अगस्त को प्रात: 10 बजे प्रारंभ होगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल मेले का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्रीमती राधा सिंह भी उपस्थित रहेंगीं। मेले के शुभारंभ के साथ ही आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों की दीदियों की खुशहाली और सशक्तिकरण के अभियान ‘’ये वक्त हमारा है’’ की शुरुआत भी होगी। मेले में अभियान के वार्षिक कैलेंडर का विमोचन भी किया जाएगा, जो समूहों की गतिविधियों और उपलब्धियों को रेखांकित करेगा। मेले में विभिन्न जिलों से आ रही स्व-सहायता समूहों की दीदियों द्वारा समूह उत्पादों का विक्रय सह प्रदर्शन किया जायेगा। मेले की साज-सज्जा में खास तौर पर ग्रामीण परिवेश की झलक के लिये “सावन की थीम” के साथ पर्यावरण हितैषी बस्तुओं का उपयोग किया जायेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्व-सहायता समूहों के उत्पादों को वृहद बाजारों से जोड़ने के लिये अनेक प्रयास आजीविका मिशन द्वारा किये जा रहे हैं। इसी क्रम में स्व-सहायता समूहों का तीन दिवसीय राखी मेला भोपाल हाट में आयोजित किया जा रहा है। मेले में विभिन्न जिलों से आ रही स्व-सहायता समूहों की दीदियों द्वारा 40 स्टॉल लगाये जायेंगे। राखी के त्यौहार को ध्यान में रखते हुये विशेष रूप से राखी, मिठाईयां वस्त्र एवं सजावटी सामान सहित विभिन्न प्रकार की समूहों द्वारा निर्मित बस्तुएं उपलब्ध रहेंगी। मेले में आने बाले आगन्तुकों को झूला, खटिया, बैलगाड़ी, मटके, विभिन्न जिलों के जनजातीय समुदाय द्वारा बांस एवं अन्य पत्तियों आदि से बनाई जाने वाली टोपी एवं खान-पान में मिलेट्स, महुआ आदि के व्यंजन एवं प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के अन्य व्यंजन पूरे ग्रामीण परिवेश का एहसास करायेंगे। इस दौरान विभिन्न लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी जायेंगीं। यह मेला न केवल स्व-सहायता समूहों की मेहनत और हुनर का उत्सव होगा, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और सामुदायिक एकजुटता का भी शानदार प्रदर्शन करेगा उत्पादों की विविधता मेले में चार चांद लगाएगी। मेला न केवल लोगों को खरीदारी का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि लोगों को समूह से जुडी ग्रामीण महिलाओं के आत्म-निर्भरता और उद्यमिता के प्रेरक सफर को देखने का अवसर भी प्रदान करेगा।  

इंदौर में डिजिटल रजिस्ट्रेशन की शुरुआत, अब शादी का रजिस्ट्रेशन घर बैठे और वीडियो कॉल से

इंदौर  नगर निगम इंदौर का पोर्टल बनकर तैयार हो चुका है। 15 अगस्त से इसके शुरू होने की संभावना है। अभी इसका ट्रायल किया जा रहा है। वार्ड 82 में सबसे पहले काम शुरू होगा फिर पूरे शहर में इसे लागू किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से लोग घर बैठे ही जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा सकेंगे। संपत्तिकर भर सकेंगे। इंदौर में संपत्तिकर के सात लाख खाते हैं।  नागरिकों को घर बैठे मिलेगी पारदर्शी और सरल सेवा महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि डिजिटल इंदौर की अवधारणा को साकार करने के लिए एकीकृत नगर निगम पोर्टल की आवश्यकता है, जिससे नागरिकों को विभिन्न सेवाएं घर बैठे सरल, सुलभ और पारदर्शी तरीके से मिल सकें। इस पोर्टल के माध्यम से संपत्ति कर, जल कर और कचरा प्रबंधन शुल्क जैसे करों की वसूली अब एक ही करदाता आईडी के माध्यम से संभव होगी। डिजिटल पता भी जुड़ेगा डिजिटल पते को इस नई प्रणाली में जोड़कर एक एकीकृत पहचान प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव सामने आया है। इससे करदाताओं को बार-बार जानकारी भरने की आवश्यकता नहीं होगी और दोहरे खाते की समस्या भी समाप्त हो सकेगी। विशेषज्ञों के द्वारा बताया गया है कि पोर्टल पर भुगतान के लिए कई विकल्प उपलब्ध रहेंगे, जिससे नागरिक अपनी सुविधा अनुसार भुगतान कर सकेंगे। संपत्तिकर से जुड़ी प्रक्रिया में एआरओ, बिल कलेक्टर और कैशियर की भूमिकाएं पोर्टल के माध्यम से स्पष्ट रूप से तय की जाएंगी। विवाह पंजीयन के लिए वीडियो कॉल भी विकल्प होगा जन्म-मृत्यु पंजीकरण के साथ-साथ विवाह पंजीयन प्रक्रिया भी सरल होगी। यदि पति-पत्नी में से कोई एक इंदौर में मौजूद है और दूसरा किसी अन्य शहर में है, तो ऐसी स्थिति में एक की भौतिक उपस्थिति और दूसरे की वर्चुअल उपस्थिति (वीडियो कॉल) के माध्यम से विवाह पंजीयन की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। इससे नागरिकों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सकेगा।