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टीम इंडिया बनी इंग्लैंड की सबसे बड़ी चुनौती, दशक भर से जारी विजय अभियान

नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट टीम का इस दशक में इंग्लैंड के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिकेट में एकछत्र राज देखने को मिला है। भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाफ अंग्रेज इस दशक में यानी 2020 के बाद से एक अदद सीरीज जीतने के लिए तड़प रहे हैं। टीम इंडिया ने हर फॉर्मेट में इंग्लैंड को चारों खाने चित किया हुआ है, जबकि बिग थ्री में शामिल इंग्लैंड की टीम पिछली 10 सीरीजों में एक भी सीरीज जीत नहीं पाई है। इंग्लैंड की टीम ने दो सीरीज ड्रॉ जरूर कराई हैं, लेकिन दोनों सीरीज टेस्ट सीरीज थीं और इंग्लैंड की सरजमीं पर खेली गई थीं। वहीं, टीम इंडिया टेस्ट, वनडे और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट को मिलाकर कुल 8 सीरीज 10 में से जीत ली हैं, जबकि दो सीरीजों का नतीजा ड्रॉ रहा है। इस तरह इंग्लैंड की टीम इस दशक में भारत के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज जीतने के मामले में खाली हाथ रही है। इंग्लैंड ने आखिरी बार भारत के खिलाफ वनडे सीरीज 2018 में जीती थी, जो इंग्लैड में खेली गई थी। 3 मैचों की सीरीज में भारत को 2-1 से हार मिली थी। भारत के खिलाफ टी20 सीरीज जीते 10 साल भी ज्यादा का समय हो गया है। आखिरी बार भारत के खिलाफ इंग्लैंड ने 2014 में टी20 सीरीज जीती थी, जो सिर्फ एक मैच था। 2018 में आखिरी टेस्ट सीरीज भारत के खिलाफ इंग्लैंड ने जीती थी। पांच मैचों की टेस्ट सीरीज की बात करें तो इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने ओवल में 6 रनों से जीत दर्ज करके सीरीज को 2-2 से बराबर किया। इंग्लैंड की टीम 3 मैचों के बाद 2-1 से आगे थी, लेकिन भारत ने चौथे मैच को ड्रॉ कराया और आखिरी मैच में शानदार जीत दर्ज करते हुए सीरीज में बराबरी हासिल की। दोनों देशों के बीच अब अगली सीरीज इन्हीं दिनों अगले साल होगी, जो वनडे और टी20 सीरीज होगी।  

खाद्य सुरक्षा को लेकर कोरिया में सतर्कता, ‘बने खाबो-बने रहिबो’ के तहत शुरू हुई जांच

कोरिया : बने खाबो-बने रहिबो अभियान के तहत जिले में खाद्य सुरक्षा जांच कोरिया: ‘बने खाबो-बने रहिबो’ अभियान के तहत खाद्य सुरक्षा को लेकर सघन जांच अभियान खाद्य सुरक्षा को लेकर कोरिया में सतर्कता, ‘बने खाबो-बने रहिबो’ के तहत शुरू हुई जांच मिठाई दुकानों और स्ट्रीट फूड विक्रेताओं से लिए गए नमूने, जांच के लिए रायपुर भेजे गए कोरिया  राज्य शासन एवं खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा वर्षा ऋतु में खाद्य जनित बीमारियों की रोकथाम एवं सुरक्षित खाद्य सुनिश्चित करने हेतु पूरे प्रदेश में विशेष अभियान श्बने खाबो-बने रहिबोश् चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में कोरिया जिले में भी 4 से 6 अगस्त तक स्ट्रीट फूड वेन्डर्स, रेस्टोरेंट्स, मिठाई दुकानों एवं अन्य खाद्य प्रदायकों की सघन जांच की जा रही है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मिठाई और खाद्य सामग्री के नमूने एकत्र किए हैं। इनमें गणपति बिकानेर स्वीट्स, पटना से नारियल लड्डू और काजू कतली, बिकानेर स्वीट्स भंडार, आदर्श चौक, पटना से गोंद लड्डू, छप्पन भोग, जमगहना से बेसन लड्डू, मामाजी स्वीट्स से बूंदी और दिव्यांश स्वीट्स, खरवत से बेसन बर्फी शामिल हैं। सभी नमूनों को राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, कालीबाड़ी, रायपुर भेजा गया है। परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एवं नियम 2011 के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इस अभियान का उद्देश्य मिलावटी या अस्वच्छ खाद्य पर रोक लगाना है। उपभोक्ताओं को जागरूक करना भी है ताकि वे ताजे, स्वच्छ एवं सुरक्षित खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें। विभाग ने खाद्य विक्रेताओं को भी निर्देशित किया है कि वे व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ ही साफ-सुथरे बर्तनों, ताजे कच्चे माल और ढंके हुए खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। खाद्य सुरक्षा विभाग ने आम जनता से अपील की है कि संदिग्ध खाद्य सामग्री या अस्वच्छता की जानकारी होने पर विभाग को सूचित करें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।

SC नहीं बताएगा देशभक्त कौन है, सवाल पूछना देशद्रोह नहीं: प्रियंका गांधी का बयान

नई दिल्ली कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपने भाई और नेता विपक्ष का बचाव करते हुए दो टूक कहा है कि कौन सच्चा भारतीय है? यह सुप्रीम कोर्ट तय नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सरकार से सवाल पूछना राहुल गांधी की ड्यूटी है क्योंकि वह लोकसभा में नेता विपक्ष हैं। प्रियंका गांधी का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें अदालत ने कहा था कि कोई भी सच्चा भारतीय ऐसी बातें नहीं कर सकता। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा, “माननीय न्यायाधीशों के प्रति पूरा सम्मान रखते हुए मैं ये कहना चाहती हूं कि वो यह तय नहीं कर सकते कि सच्चा भारतीय कौन है? सरकार से सवाल पूछना विपक्ष के नेता का कर्तव्य है। मेरा भाई कभी भी सेना के खिलाफ नहीं बोलेगा, वह उनके प्रति उच्च सम्मान रखता है। इसका गलत मतलब निकाला गया है।” क्या थी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी? बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा था, ‘‘अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसी बात नहीं कहेंगे।’’ हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले में लखनऊ की एक अदालत में गांधी के खिलाफ जारी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘‘आप विपक्ष के नेता हैं। आप संसद में बातें क्यों नहीं कहते हैं, आप सोशल मीडिया पर क्यों कहते हैं?’’ पीठ ने पूछा था, ‘‘आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीनियों ने कब्जा कर ली है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है?’’ पीठ ने पूछा, ‘‘बिना किसी सबूत के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसी बात नहीं कहेंगे।’’ विपक्ष के नेता मुद्दे नहीं उठा सकते, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता मुद्दे नहीं उठा सकते, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। उन्होंने दलील देते हुए कहा, ‘‘अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते।’’ पीठ की ‘‘सच्चे भारतीय’’ टिप्पणी पर सिंघवी ने कहा, ‘‘यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार डाला गया। यह भी चिंता का विषय है।’’ इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य बात है?’’ सिंघवी ने कहा कि गांधी केवल उचित खुलासे और सूचना के दमन पर चिंता जताने की बात कर रहे थे। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि विपक्ष के एक जिम्मेदार नेता होने के नाते गांधी को ऐसा नहीं कहना चाहिए था क्योंकि ऐसे सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद है। सिंघवी ने इस बात से सहमति जताई कि गांधी इस मामले में बेहतर तरीके से टिप्पणी कर सकते थे। उन्होंने कहा कि यह शिकायत याचिकाकर्ता को परेशान करने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है।  

मध्यप्रदेश में साइबर क्राइम का कहर: सिर्फ 10% रकम हो पाई होल्ड, 5 साल में 1054 करोड़ की ठगी

भोपाल  मध्यप्रदेश साइबर ठगों के लिए सॉफ्ट टारगेट बन गया है। आंकड़े बताते हैं की पिछले 5 साल में प्रदेश के अंदर 1 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी हुई है। साल 2021 से 13 जुलाई 2025 तक में साइबर ठगों ने नागरिकों से करीब 1054 करोड़ की ठगी की है। ये धोखाधड़ी बैंकिंग फ्रॉड, फर्जी वेबसाइट्स, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन गेमिंग जैसे माध्यमों से की गई है। ठगी की राशि में से सिर्फ 10 फीसदी ही पुलिस होल्ड करवा पाई।  जब ठगी की राशि वापस नहीं आने कारण का पता लगाया तो सामने आया कि ठगी किसी और शहर में बैठकर की जाती और जिस अकाउंट में पैसा आता है वो किसी और शहर का रहता है और पैसा किसी तीसरे शहर में निकाला जाता है। ठगी की राशि जिस अकाउंट में जाती थी वो गरीब व्यक्ति का होता। साथ ही फ्रॉड के बाद 2 घंटे का समय गोल्डन पीरियड माना जाता है जिसमें राशि को फ्रीज करने की सबसे अधिक संभावना होती है लेकिन जागरूकता की कमी के चलते पीड़ित इतनी जल्दी पुलिस तक नहीं पहुंच पाते। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताए आंकड़े कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के सवाल के जवाब में सीएम डॉ मोहन यादव ने बताया कि 2020 से 2024 तक साइबर क्राइम के मामलों में साल-दर-साल भारी इजाफा हुआ। जनवरी 2025 से जुलाई 2025 तक प्रदेशभर में कुल 2.48 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 579 साइबर ठगी के केस थे। अभी तक सिर्फ 166 मामलों का निपटारा हो सका है। 2022 से जुलाई 2025 तक कुल 3541 साइबर अपराध के केस दर्ज किए गए, जिनमें से 717 का समाधान हो सका, जबकि 1575 केस अभी भी लंबित हैं। सबसे अधिक शिकार युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को बनाया गया है। साइबर क्राइम में कई गुना बढ़ोतरी पुलिस की चुनौती: रिकवरी बेहद कम 5 साल में कुल ठगी ₹1054 करोड़ होल्ड की गई राशि ₹105.21 करोड़ (करीब 10%) पीड़ितों को लौटी रकम ₹1.94 करोड़ (लगभग 2%) सायबर फ्रॉड गंभीर समस्या मध्यप्रदेश में बीते पांच सालों में साइबर ठगी ने गंभीर रूप ले लिया है। हालांकि विधानसभा में हैरान करने वाले आंकड़े सामने आने के बाद भाजपा के विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने दावा किया कि सरकार लोगों को जागरूक करने के साथ, नई टेक्नोलॉजी को अपनाकर इन पर अंकुश लगाने का काम कर रही है। हजारों केस अब भी अधूरे एक सिंगल क्लिक और आपका अकाउंट खाली, पैसे डबल होने के लालच कई बार इंसान को मुसीबत में डाल देते हैं अगर सायबर फ्रॉड से बचना है तो आपको जागरूक होना पड़ेगा, पुलिस की कोशिशों के बावजूद रिकवरी की दर बेहद कम है और हजारों केस अब भी अधूरे हैं।

MP कैबिनेट बैठक संपन्न, पेंशन-पीएमयू सेल सहित विकास से जुड़े प्रस्तावों पर लगी मुहर

भोपाल   मध्यप्रदेश में आज कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें कई अहम् प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। जबलपुर में ईएसआईसी अस्पताल के लिए जमीन आवंटन को मंजूरी दिए जाने के साथ ही सौर ऊर्जा और शहरी विकास समिति प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई है। सीएम मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में चर्चा के बाद कई अहम प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। कैबिनेट ने जबलपुर के रांझी तहसील में 100 बिस्तरों वाले कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल के लिए 5 एकड़ जमीन मंजूर करते हुए अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को हरी झंडी दिखाई है। इसके अलावा नवगठित जिला मऊगंज और पांढुर्ना में भाजपा कार्यालय के लिए सरकारी जमीन आवंटित करने का फैसला किया गया है। इससे स्थानीय संगठनात्मक ढांचे को मजबूती मिलेगी। ऊर्जा कैबिनेट ने मुरैना में 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना के बिजली खरीद भुगतान के लिए राज्य सरकार ने गारंटी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह निर्णय राज्य की हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना के चौथे चरण को भी कैबिनेट में मंजूरी दी है। इसके तहत विभिन्न शहरों में सड़क, जल, सीवरेज और अन्य नगरीय सुविधाओं को अपग्रेड किया जाएगा। बैठक में पुलिस कर्मियों और पेंशन से जुड़े कुल 7 मामलों पर भी चर्चा की गई है। जिन्हें कैबिनेट ने प्रस्ताव के अनुसार स्वीकृति प्रदान की है। राजधानी भोपाल में सहकारिता आयुक्त और पंजीयन सहकारी संस्थाओं के अधीन PMU के गठन को भी मंजूरी दी गई है। यह फैसला सहकारी संस्थाओं की निगरानी और कार्य क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। विधानसभा परिसर में मंगलवार को हुई मोहन कैबिनेट की बैठक में सात पुलिस कर्मचारियों और पेंशन संबंधी मामलों पर भी चर्चा के बाद उस पर प्रस्ताव के मुताबिक मंजूरी देने का फैसला किया है। कैबिनेट बैठक में मऊगंज और पांढुर्णा में बीजेपी दफ्तर के लिए सरकारी जमीन दिए जाने के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट में इन प्रस्तावों पर चर्चा कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना के चौथे चरण को सरकार ने मंजूरी दी गई है। साथ ही सहकारिता आयुक्त और पंजीयक सहकारी संस्थाएं भोपाल में पीएमयू सेल के गठन को लेकर चर्चा के बाद मंजूरी दी गई। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (श्रम और रोजगार मंत्रालय) भारत सरकार को 100 बिस्तर अस्पताल के लिए जबलपुर जिले के रांझी तहसील स्थित रिछाई गांव में 2.024 हेक्टेयर (पांच एकड़) जमीन देने के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। साथ ही भाजपा जिला कार्यालय के निर्माण के लिए मऊगंज जिला मुख्यालय में सरकारी जमीन के रकबा 29/12 में से 0.100 हेक्टेयर जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। भाजपा के पांढुर्णा जिला कार्यालय के निर्माण के लिए पांढुर्णा में जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इसके साथ कैबिनेट ने मुरैना में 600 मेगावाट कैपिसिटी के सौर ऊर्जा सह ऊर्जा भंडारण परियोजना से उत्पादित व मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड द्वारा खरीदी जाने वाली बिजली के भुगतान के लिए राज्य सरकार की ओर से गारंटी दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

खाद्य सुरक्षा को लेकर कोण्डागांव में चलाया गया ‘बने खाबो – बने रहिबो’ जागरूकता अभियान

कोण्डागांव राज्य शासन के निर्देशानुसार वर्षा ऋतु के दौरान खाद्य जनित बीमारियों एवं संक्रमण की रोकथाम के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन, छत्तीसगढ़ द्वारा ‘बने खाबो – बने रहिबो‘ नाम से विशेष जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य आम जनता को सुरक्षित, स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामाग्री उपलब्ध कराना और उनमें जागरूकता फैलाना है। यह अभियान राज्य के समस्त जिलों में 04 अगस्त से 06 अगस्त 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। जिसमें खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा जिले के स्ट्रीट फूड वेडर्स, होटल, रेस्टोरेंट एवं अन्य प्रतिष्ठानों का सघन जांच किया जा रहा है। इस दौरान चलित खाद्य प्रयोगशाला के माध्यम से मौके पर ही खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। इसके साथ ही दुकानदारों और आम लोगों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के नियमों, अखबारी कागज के उपयोग से होने वाले नुकसान, बासी खाद्य सामाग्री का उपयोग न करने, पीने के पानी की जांच, एक ही तेल को बार बार गर्म कर उपयोग करने से होने वाले नुकसाल, फूड हैंडलर्स की स्वच्छता का महत्व आदि के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया जाएगा। इस अभियान के तहत कोण्डागांव में सोमवार होटल, मिठाई दुकान और स्ट्रीट फूड वेंडर्स के 14 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया और 54 खाद्य सामाग्रियों की मौके पर जांच की गई। इसके अलावा मारवाड़ी भोजनालय से राहर दाल और गुलाबी चना का नमूना लिया गया। इसी प्रकार सुनीता होटल से पेड़ा और बेसन लड्डू का नमूना लिया गया तथा न्यू संजय स्वीट्स से खोवा का नमूना लिया गया, जिन्हें गुणवत्ता जांच हेतु राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला रायपुर भेजा गया है। खाद्य कारोबारकर्ताओं और आम लोगों को वर्षा ऋतु के समय खाद्य की सुरक्षा से संबंधित आवश्यक जानकारी दी गई और त्यौहार के पहले विशेष सावधानी बरतने के लिए निर्देशित किया गया।

रायपुर : ’प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना बनी किसानों की ताकत’

रायपुर : ’प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना बनी किसानों की ताकत’ ’आधुनिक खेती की ओर आत्मविश्वास से बढ़ रहे कृषक’ रायपुर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना छत्तीसगढ़ सहित देशभर में किसानों के लिए आर्थिक संबल का मजबूत आधार बनकर उभरी है। यह योजना राज्य के कृषकों को न केवल नियमित आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें आधुनिक खेती की दिशा में भी प्रेरित कर रही है। बलरामपुर जिले के ग्राम सागरपुर निवासी कृषक श्री सुसेन मण्डल भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से निरंतर लाभ प्राप्त कर खेती-किसानी को सशक्त बना रहे हैं। हाल ही में उन्हें योजना की 20वीं किस्त के रूप में 2,000 रुपए की राशि प्राप्त हुई है, जिससे उन्होंने खाद-बीज की खरीदी और मजदूरी भुगतान जैसे कार्यों में सहुलियत हुई। श्री सुसेन मण्डल ने बताया कि वे विगत कई वर्षों से इस योजना के नियमित लाभार्थी हैं। प्रत्येक किस्त से उन्हें खेती के जरूरी संसाधनों की पूर्ति करने में मदद मिलती है, जिससे कृषि कार्यों की गति बनी रहती है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह योजना किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की आर्थिक सहायता तीन किश्तों में सीधे उनके बैंक खातों में प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य किसानों को खेती के लिए आवश्यक निवेश हेतु वित्तीय सहायता देना है, ताकि कृषि कार्य समय पर और व्यवस्थित रूप से संपन्न हो सकें। छत्तीसगढ़ के हजारों किसान इस योजना से लाभान्वित होकर न केवल परंपरागत खेती को मजबूती दे रहे हैं, बल्कि वैज्ञानिक तरीकों और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर उत्पादन एवं आय में भी वृद्धि कर रहे हैं। इससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया बल मिल रहा है तथा आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम सिद्ध हो रहा है।

उत्तर बस्तर कांकेर: स्कूल परिसर के आसपास तंबाकू बिक्री पर रोक, कलेक्टर ने एसडीएम को दिए सख्त निर्देश

उत्तर बस्तर कांकेर : शहरी क्षेत्रों में स्कूलों के आसपास तम्बाकू उत्पाद बेचने वालों पर सख्ती से प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करें सभी एसडीएम : कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर कलेक्टर का निर्देश: स्कूलों के पास तंबाकू बिक्री पर हो सख्त कार्रवाई, सभी एसडीएम को दिए आदेश उत्तर बस्तर कांकेर: स्कूल परिसर के आसपास तंबाकू बिक्री पर रोक, कलेक्टर ने एसडीएम को दिए सख्त निर्देश सार्वजनिक स्थलों और कार्यालयों में धूम्रपान करने वालों पर लगेगा जुर्माना सभी कार्यालयों में तम्बाकू नियंत्रण के लिए नामांकित किए जाएंगे नोडल अधिकारी उत्तर बस्तर कांकेर कलेक्टर श्री निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर की अध्यक्षता में आज राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक का आयोजन  किया गया। उन्होंने सभी अनुविभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्कूलों व सार्वजनिक स्थलों के आसपास ठेले, गुमटियों में तम्बाकू और उससे निर्मित विभिन्न प्रकार के उत्पाद बेचे जाने की शिकायतें अक्सर मिलती हैं। बच्चों को किसी प्रकार के नशे की लत ना पड़े, इसलिए सभी अनुविभागीय अधिकारी कोटपा एक्ट के तहत सख्ती से प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करें। कलेक्टर द्वारा जिले में नशे के विरुद्ध अभियान चलाते हुए सतत् चालानी कार्यवाही करने, जिले के सभी कार्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों को तम्बाकू मुक्त किये जाने के साथ-साथ यथाशीघ्र जिले को धूम्रपान मुक्त किये जाने के निर्देश दिए गए। पुलिस विभाग की समीक्षा बैठक में कोटपा 2003 के विषय को भी शामिल करने तथा जिले के समस्त कार्यालयों में तम्बाकू नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारी के नामांकित करने के निर्देश दिए गए।   बैठक के दौरान तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डॉ. विनोद वैध द्वारा तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में की जा रही गतिविधियों के सम्बंध में अवगत कराया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.सी. ठाकुर द्वारा राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, कोटपा एक्ट 2003, कोटपा छ.ग. संशोधन अधिनियम 2021, धूम्रपान मुक्त नीतियों से अवगत कराया गया। इस अवसर पर जिला स्तर के सभी अधिकारीगण उपस्थित थे।

रायपुर : प्रदेश में अब तक 636.2 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

रायपुर छत्तीसगढ़ में 1 जून से अब तक 636.2 मि.मी. औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा स्थापित राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक बलरामपुर जिले में सर्वाधिक 1054.2 मि.मी. वर्षा रिकार्ड की गई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 329.0 मि.मी. वर्षा दर्ज हुई है। रायपुर संभाग में रायपुर जिले मे 581.2 मि.मी., बलौदाबाजार में 557.5 मि.मी., गरियाबंद में 499.8 मि.मी., महासमुंद में 538.2 मि.मी. और धमतरी में 505.1 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। बिलासपुर संभाग में बिलासपुर जिले में 675.8 मि.मी., मुंगेली में 680.4 मि.मी., रायगढ़ मंे 795.8 मि.मी., जांजगीर-चांपा में 867.2 मि.मी., कोरबा में 710.3 मि.मी., गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 632.1 मि.मी., सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 594.5 मि.मी., सक्ती में 729.2 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। दुर्ग संभाग में दुर्ग जिले में 506.8 मि.मी., कबीरधाम में 472.4 मि.मी., राजनांदगांव में 552.4 मि.मी., बालोद में 591.9 मि.मी., मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में 791.1 मि.मी., खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में 452.1 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। सरगुजा संभाग में सरगुजा जिले में 477.3 मि.मी., सूरजपुर में 818.5 मि.मी., जशपुर में 719.1 मि.मी., कोरिया में 739.3 मि.मी. और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में 709.2 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। बस्तर संभाग में बस्तर जिले में 727.6 मि.मी., कोंडागांव में 482.4 मि.मी., नारायणपुर में 594.2 मि.मी., बीजापुर में 804.5 मि.मी., सुकमा में 497.8 मि.मी., कांकेर में 644.6 मि.मी., दंतेवाड़ा में 664.1 मि.मी. और औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है।

यूपी पुलिस को नई गाइडलाइन, तलाशी से पहले अनिवार्य होगा गवाह का होना

लखनऊ   उत्तर प्रदेश में पुलिस व्यवस्था को और जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश के नए DGP (पुलिस प्रमुख) राजीव कृष्ण ने बीते सोमवार को गिरफ्तारी और तलाशी से जुड़े नए नियम लागू किए हैं। यह नियम पूरे राज्य में सभी पुलिस कप्तानों को भेजे गए हैं और इनके सख्त पालन के निर्देश दिए गए हैं। अब CBI और ED की तरह काम करेगी यूपी पुलिस नए नियमों के मुताबिक, अब यूपी पुलिस भी CBI और ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों की तर्ज पर गिरफ्तारी और तलाशी का काम करेगी। इसका मतलब है कि अब पुलिस को हर गिरफ्तारी के बारे में पूरी रिपोर्ट बनानी होगी, जिसमें कई जरूरी बातें दर्ज करना अनिवार्य होगा। हर गिरफ्तारी की रिपोर्ट में ये बातें होंगी: – गिरफ्तारी का स्थान और समय – गिरफ्तारी का कारण – अभियुक्त (आरोपी) का बयान – बरामद सामान का पूरा विवरण – मेडिकल जांच की स्थिति – गिरफ्तारी के समय मौजूद दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर यह सभी बातें अब लिखित रूप में दर्ज की जाएंगी, जिससे केस की जांच में पारदर्शिता बनी रहे और अदालत में सबूतों की मजबूती हो। बरामद सामान का पूरा रिकॉर्ड जरूरी पुलिस को अब यह भी सुनिश्चित करना होगा कि गिरफ्तारी के दौरान आरोपी से जो भी चीजें बरामद होती हैं, उनका पूरा ब्यौरा लिखित रूप में रिकॉर्ड किया जाए। इससे अदालत में सबूत पेश करने में आसानी होगी और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई तेज हो सकेगी। निर्दोष लोगों को नहीं होगी परेशान इस नई व्यवस्था से निर्दोष लोगों को फंसने से बचाया जा सकेगा। क्योंकि हर कदम पर रिकॉर्ड और गवाह होंगे, जिससे पुलिस की जवाबदेही भी तय होगी। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तो उसके परिजनों को समय पर पूरी जानकारी दी जाएगी, ताकि तनाव और अफवाहों से बचा जा सके। कितना होगा असर? यह आदेश सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को भेज दिया गया है और उन्हें कहा गया है कि इन नियमों को जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू करें। अब देखने वाली बात यह होगी कि थानों और फील्ड में तैनात पुलिसकर्मी इन बदलावों को कितनी गंभीरता से अपनाते हैं।