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थाइरॉएड में शुगर और सोया से बचें

थाइरॉएड, गर्दन के सामने वाले हिस्से में तितली के आकार की ग्रंथि है। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर की भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्षमता को काबू में रखते हैं। इस ग्रंथि में गड़बड़ी आने पर हाइपो या हाइपर थाइरॉएडिज्म होता है और वजन तेजी से कम या बढ़ने लगता है। हृदय, बाल, नाखून व नींद पर भी इसका असर होता है। दवाओं के अलावा थाइरॉएड पीड़ितों के लिए खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है। आयोडीन शरीर में थाइरॉएड हार्मोन बनने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। चूंकि शरीर स्वयं आयोडीन नहीं बनाता, इसलिए उसे डाइट में लेना जरूरी हो जाता है। आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करें। ध्यान रखें कि समुद्री नमक या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले नमक में आयोडीन नहीं होता। नमक या उत्पाद खरीदते समय इसका ध्यान रखें। समुद्री भोजन मछली, झींगा आदि तमाम तरह के समुद्री भोजन में आयोडीन प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। यदि हाइपर थाइरॉएडिज्म की शिकायत है, तो समुद्री भोजन अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। अगर थाइरॉएड ग्रंथि अधिक मात्रा में हार्मोन बनाती है तो अतिरिक्त आयोडीन स्थिति को और गंभीर बना देता है। उदाहरण के लिए समुद्री घास में आयोडीन बहुत अधिक मात्रा में होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे और बीज मैग्नीशियम की कमी से हाइपो थाइरॉएडिज्म होता है, जिससे थकावट व मांसपेशियों में खिंचाव रहने लगता है। इसके लिए पालक, लेट्यूस, हरी पत्तेदार सब्जियां, काजू, बादाम और सीताफल के बीज खाएं। ब्राजील मेवों में मैग्नीशियम के साथ सेलेनियम भी होता है। सोयाबीन विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन लेना हाइपोथाइरॉएडिज्म की आशंका बढ़ाता है। यदि पर्याप्त आयोडीन नहीं ले रहे हैं तो सोया उत्पाद जैसे दूध व टोफू आदि में पाए जाने वाले रसायन थाइरॉएड की हार्मोन बनाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। चीनी हाइपोथाइरॉएडिज्म में वजन तेजी से बढ़ता है। इसके लिए शुगर की मात्रा को कम रखना चाहिए। खासतौर पर ऐसे उत्पाद जिनमें कैलोरी अधिक व पोषक तत्व कम होते हैं, खाने से बचना चाहिए। दवाएं कुछ दवाएं थाइरॉएड दवाओं के असर को कम करती हैं। खासतौर पर अगर वे लगभग एक ही समय ली जा रही हों। मल्टी विटामिंस, आयरन कैल्शियम सप्लीमेंट्स, एंटासिड, अल्सर या कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं इनमें प्रमुख हैं। यदि आप ऐसी ही दवाएं ले रहे हैं तो थाइरॉएड व अन्य दवाओं में कुछ घंटे का अंतर अवश्य रखें। गोभी व ब्रोकली गाइट्रोजेंस, तत्व का असर थाइरॉएड ग्रंथि के आकार बढ़ने के रूप में दिखायी देता है जैसे गॉइटर। शरीर में आयोडीन की कमी से यह समस्या होती है। ऐसी स्थिति में गोभी, ब्रोकली, बंद गोभी खाना आयोडीन ग्रहण करने की क्षमता को कम करता है। जरूरी है तो इन्हें पकाकर ही खाएं। ग्लुटेन ग्लुटेन, गेहूं व जौ में पाया जाने वाला प्रोटीन है। ग्लूटेन की एलर्जी वालों को छोड़ दें तो ग्लूटन थाइरॉएड पर असर नहीं डालता। हां, अगर गेहूं आदि से एलर्जी है तो ग्लूटेन छोटी आंत को नुकसान पहुंचा कर थाइरॉएड ग्रंथि की प्रक्रिया को तेज या धीमा कर सकता है।  

‘आइशा’ के 15 साल पूरे, सोनम कपूर ने बताया क्यों यह फिल्म है उनके लिए खास

मुंबई, अभिनेत्री सोनम कपूर की फिल्म ‘आइशा’ को रिलीज हुए 15 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर सोनम ने फिल्म के बारे में बतया कि जब वे और उनकी बहन रिया कपूर इस फिल्म पर काम कर रही थीं, तब ही दोनों ने ये तय किया था, कि इस फिल्म के जरिए वे फैशन के साथ कुछ नया करेंगी। फिल्म को याद करते हुए अभिनेत्री सोनम कपूर ने कहा, “जब हम फिल्म ‘आइशा’ बना रहे थे, तब हमारा उद्देश्य कोई सामाजिक बदलाव लाना नहीं था। हमारा मकसद ऐसी फिल्म बनाना था, जिसे देखकर हमें खुद मजा आए, और उस तरह की फिल्में उस वक्त बॉलीवुड में नहीं बन रही थीं। अभिनेत्री ने आगे कहा, “जब लोगों ने यह फिल्म देखी, तो उन्हें आयशा कुछ खास लगी और उन्होंने हमें बताया कि यह फिल्म उस दौर के यूथ के लिए बहुत खास और अलग थी। सोनम कपूर ने कहा, “फिल्म बनाते समय हमें शुरू से पता था कि हम फैशन के साथ कुछ नया और मजेदार करना चाहते हैं। ऐसा जो स्टाइलिश हो, लेकिन आम लोगों को भी ये आसानी से समझ आए।” उन्होंने यह भी बताया, “मुझे और रिया को यह सब बहुत पसंद था। हमें पता था कि और लोग भी फैशन को पसंद करते हैं, लेकिन उस वक्त तक ऐसी कोई फिल्म नहीं बनी थी, जो सिर्फ लड़कियों, उनकी लाइफस्टाइल और फैशन को इतनी खुलकर दिखाए। हम इस बात से अंजान थे कि ‘आइशा’ भारतीय यूथ, सिनेमा और दुनियाभर के साउथ एशियाई लोगों की सोच और पॉप कल्चर (लोकप्रिय संस्कृति) पर कैसा प्रभाव डालेगी।” ‘आइशा’ ने बॉलीवुड में फैशन को लेकर एक नई शुरुआत की। यह ऐसी पहली फिल्म थी जिसमें फैशन को साइड में नहीं रखा गया, बल्कि उसे पूरी कहानी का हिस्सा बनाया गया। इससे लोगों ने यह समझना शुरू किया कि कपड़े सिर्फ पहनने की चीज नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सोच और स्टाइल को दिखाने का तरीका भी हैं। सोनम कपूर ने बताया कि ‘आइशा’ फिल्म उनके दिल के बहुत करीब क्यों है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आज भी ‘आइशा’ मेरे दिल में और मेरी तरह हर लड़की के दिल में एक खास जगह रखती है, क्योंकि फिल्म में मेरे किरदार आइशा से लोग बहुत आसानी से कनेक्ट कर सकते हैं। आइशा ऐसी लड़की है, जो बिना किसी झिझक के खुद को समझने और अपनी पहचान बनाने की कोशिश करती है और यही बात आज की हर लड़की को उसमें खुद की झलक दिखाती है।” फिल्म ‘आइशा’ से रिया कपूर ने निर्माता के तौर पर डेब्यू किया था, वहीं इसका निर्देशन राजश्री ओझा ने किया था। फिल्म में सोनम कपूर, अमृता पुरी और ईरा दुबे मुख्य भूमिकाओं में थीं। फिल्म की कहानी आइशा नाम की एक अमीर लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे लोगों के रिश्ते जोड़ना बहुत पसंद है। लेकिन उसके दोस्त अर्जुन को उसकी ये आदत पसंद नहीं आती। यह फिल्म अंग्रेजी नॉवेल ‘एम्मा’ पर आधारित है।  

जॉब पाना चाहते हैं तो अपनाएं ये असरदार टिप्स

आज के समय में अच्छी नौकरी पाना आसान नहीं है। प्रतियोगिता इतनी बढ़ गई है कि हर एक पद के लिए सैकड़ों उम्मीदवार सामने आते हैं। ऐसे में सिर्फ डिग्री होना ही काफी नहीं है, बल्कि सही रणनीति, तैयारी और प्रोफेशनल अप्रोच अपनाना भी जरूरी है। अगर आप जल्द ही नौकरी पाना चाहते हैं, तो इन टिप्स को अपनाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। रिज्यूमे और कवर लेटर को आकर्षक बनाएं रिज्यूमे आपकी पहली पहचान है। इसे छोटा, सटीक और प्रोफेशनल रखें। अपनी स्किल्स, अनुभव और उपलब्धियों को हाइलाइट करें। हर जॉब प्रोफाइल के अनुसार रिज्यूमे को कस्टमाइज करें। कवर लेटर में बताएं कि आप कंपनी के लिए क्यों उपयुक्त हैं। स्किल्स और नॉलेज पर काम करें कंपनियां अब सिर्फ डिग्री पर नहीं, बल्कि आपके स्किल्स पर ध्यान देती हैं। अपने क्षेत्र से जुड़े कोर्स या सर्टिफिकेशन करें। कम्युनिकेशन स्किल, कंप्यूटर नॉलेज और प्रेजेंटेशन स्किल्स पर ध्यान दें। नए ट्रेंड्स और टेक्नोलॉजी के साथ अपडेट रहें। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करें आजकल ज्यादातर नौकरियां ऑनलाइन पोर्टल और सोशल मीडिया के जरिए निकलती हैं। LinkedIn, Naukri.com, Indeed जैसे पोर्टल्स पर प्रोफाइल बनाएं। प्रोफेशनल नेटवर्किंग बढ़ाएं और अपने क्षेत्र से जुड़े लोगों से जुड़ें। कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट पर करियर पेज चेक करते रहें। इंटरव्यू की तैयारी करें इंटरव्यू में आपका आत्मविश्वास और व्यक्तित्व सबसे ज्यादा मायने रखता है। सामान्य इंटरव्यू प्रश्नों की प्रैक्टिस करें। सही ड्रेसिंग और बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें। कंपनी के बारे में पहले से रिसर्च करें और आत्मविश्वास के साथ जवाब दें। धैर्य और सकारात्मक सोच रखें नौकरी खोजने की प्रक्रिया में धैर्य जरूरी है। रिजेक्शन से घबराएं नहीं, बल्कि उसे सीखने का मौका मानें। अपनी गलतियों को सुधारें और दोबारा प्रयास करें। सकारात्मक सोच और लगातार प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।  

राज्य सरकार का बड़ा फैसला: अरुण चतुर्वेदी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा और विशेष अधिकार

जयपुर राजस्थान राज्य वित्त आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को राज्य सरकार ने कैबिनेट मंत्री स्तर का दर्जा दिया है और इस बारे में मंत्रिमंडल सचिवालय ने आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। अब चतुर्वेदी को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष वेतन, भत्ते और अन्य सभी सुविधाएं मिलेंगी। कैबिनेट सचिवालय के आदेश के अनुसार राज्य वित्त आयोग अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को कैबिनेट स्तर का दर्जा दे दिया गया है। ओंकारसिंह लखावत के बाद उन्हें ही कैबिनेट स्तर का दर्जा मिला है। मंत्री का दर्जा मिलने के बाद उन्हें अब प्रतिमाह 65,000 रुपये वेतन के साथ 55,000 रुपये भत्ते के रूप में दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त उन्हें 2,000 प्रतिदिन के हिसाब से दैनिक भत्ता मिलेगा, जो अधिकतम 180 दिन के लिए देय होगा। चतुर्वेदी को सरकारी टेलीफोन, पोस्टपेड मोबाइल, ब्रॉडबैंड और इंटरनेट के लिए 10,000 प्रतिमाह की राशि दी जाएगी। हालांकि राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष को हर बार मंत्री का दर्जा दिया जाता है। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में ज्योति किरण को राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष के तौर पर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। वहीं पिछले गहलोत सरकार में राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष के तौर पर पूर्व वित्तमंत्री प्रद्युम्न सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। राजस्थान की मौजूदा भजनलाल सरकार को भी डेढ़ साल से ज्यादा हो गया, लेकिन अब तक 8 बोर्ड आयोगों में ही अध्यक्ष पद दिए गए हैं। पिछली सरकार में भी करीब 80 बोर्ड आयोगों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाए गए थे। नियुक्तियों का सिलसिला चुनाव आचार संहिता लगने तक जारी रहा और इनमें से कई तो पदभार ही ग्रहण नहीं कर सके।

पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल ने इंग्लैंड की आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करने की रणनीति की आलोचना की

नई दिल्ली  ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल ने भारत के खिलाफ ड्रॉ हुई टेस्ट श्रृंखला के दौरान इंग्लैंड की आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करने की रणनीति की आलोचना करते हुए कहा, ‘सकारात्मक क्रिकेट का मतलब लापरवाह क्रिकेट नहीं है।'  चैपल ने अपने कॉलम में युवा भारतीय टीम की अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रशंसा की, वहीं इंग्लैंड के खिलाड़ियों, विशेषकर हैरी ब्रुक की आलोचना की, क्योंकि वे परिस्थितियों को समझने में विफल रहे। भारत के पूर्व मुख्य कोच चैपल ने कहा, ‘इस श्रृंखला में इंग्लैंड का सफर उसके सामने चेतावनी पेश करता है। इसे प्रतिभाशाली लेकिन चंचल प्रकृति के हैरी ब्रुक ने मूर्त रूप दिया, जिनकी मैं पहले सार्वजनिक रूप से प्रशंसा कर चुका हूं।'  उन्होंने कहा, ‘उनकी टाइमिंग बहुत अच्छी है। वह कई तरह के शॉट लगा सकते हैं। उनमें आत्मविश्वास है और बल्लेबाजी को सहज बनाने का दुर्लभ कौशल है। लेकिन क्रिकेट, विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट, केवल शॉट लगाने के बारे में नहीं है। यह निर्णय लेने के बारे में है। टेस्ट क्रिकेट में यह समझना जरूरी होता है कि कब आक्रामक होकर खेलना है और कब संयम बरतना है।'  लंदन में पांचवें टेस्ट के चौथे दिन सोमवार को इंग्लैंड ने 374 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय तीन विकेट पर 301 रन बना लिए थे लेकिन 26 वर्षीय ब्रूक के आउट होने से उसकी टीम लड़खड़ा गई और उसे 6 रन से हार का सामना करना पड़ा। चैपल ने कहा, ‘सकारात्मकता में कुछ भी ग़लत नहीं है। लेकिन सकारात्मक क्रिकेट का मतलब लापरवाह क्रिकेट नहीं है। इसका मतलब है आत्मविश्वास से भरा, सोच-समझकर जोखिम उठाना।'   

शिंगणापुर का चमत्कारी शनि मंदिर

भारत में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित यहां पर शनि महाराज की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि का विग्रह माना जाता है और वह बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं और शनि विग्रह की पूजा करके शनि के कुप्रभाव से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि यहां पर शनि महाराज का तैलाभिषेक करने वाले को शनि कभी कष्ट नहीं देते। शनि मराहाज के शिंगणापुर पहुंचने की कहानी बड़ी ही रोचक है। सदियों पहले शिंगणापुर में खूब वर्षा हुई। वर्षा के कारण यहां बाढ़ की स्थिति आ गई। लोगों को वर्षा प्रलय के समान लगने लग रही थी। इसी बीच एक रात शनि महाराज एक गांववासी के सपने में आए, शनि महाराज ने कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह रूप में मौजूद हूं। मेरे विग्रह को उठाकर गांव में लाकर स्थापित करो। सुबह इस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग पानस नाले पर गए और वहां मौजूद शनि का विग्रह देखकर सभी हैरान रह गये। गांव वाले मिलकर उस विग्रह का उठाने लगे लेकिन विग्रह हिला तक नहीं, सभी हारकर वापस लौट आए। शनि महाराज फिर उस रात उसी व्यक्ति के सपने में आये और बताया कि कोई मामा भांजा मिलकर मुझे उठाएं तो ही मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना जिसमें लगे बैल भी मामा-भांजा हों। अगले दिन उस व्यक्ति ने जब यह बात बताई तब एक मामा भांजे ने मिलकर विग्रह को उठाया। बैलगाड़ी पर बिठाकर शनि महाराज को गांव में लाया गया और उस स्थान पर स्थापित किया जहां वर्तमान में शनि विग्रह मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव की समृद्घि और खुशहाली बढ़ने लगी शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव का विग्रह लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंचा व लगभग एक फीट छह इंच चैड़ा है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव के इस दुर्लभ विग्रह का दर्शन लाभ लेते हैं। यहां के मंदिर में स्त्रियों का शनि विग्रह के पास जाना वर्जित है। महिलाएं दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं। सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी यहां स्थित शनि विग्रह के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीताम्बर धोती धारण करना अत्यावश्क है। ऐसा किए बगैर पुरुष शनि विग्रह का स्पर्श नहीं पर सकते हैं। प्रत्येक शनिवार, शनि जयंती व शनैश्चरी अमावस्या आदि अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस हेतु यहां पर स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएं हैंखुले मैदान में एक टंकी में कई सारे नल लगे हुए हैं, जिनके जल से स्नान करके पुरुष शनिदेव के दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। पूजनादि की सामग्री के लिए भी यहां आसपास बहुत सारी दुकानें हैं, जहां से पूजन सामग्री लेकर शनिदेव को अर्पित कर सकते हैं। मंगलकारी हैं शनिदेव: आमतौर पर शनिदेव को लेकर हमारे मन में कई भ्रामक धारणाएं हैं। जैसे कि शनिदेव बहुत अधिक कष्ट देने वाले देवता हैं वगैरह-वगैरह, लेकिन वास्तविक रूप मे ऐसा नहीं है। यदि शनि की आराधना ध्यानपूर्वक की जाए तो शनिदेव से उत्तम कोई देवता ही नहीं है। शनि की जिस पर कृपा होती है उस व्यक्ति के लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं। शिंगणापुर की विशेषता: गौरतलब है कि कि शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं है। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज उसकी सजा स्वयं दे देते हैं। गांव वालों पर शनिदेव की कृपा है व चोरी का भय ही नहीं है शायद इसीलिये दरवाजे, खिड़की, अलमारी व शिंगणापुर मे नही है। कई मुख्य स्थानो से शिंगणापुर की दूरी:- शिर्डी से शिंगणापुर की दूरी -70 किमी नासिक से शिंगणापुर की दूरी -170 किमी औरंगाबाद से शिंगणापुर की दूरी -68 किमी अहमद नगर से शिंगणापुर की दूरी -35 किमी।  

जेल से छूटते ही किया शक्ति प्रदर्शन, पुलिस ने दोबारा भेजा जेल

रायगढ़ छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय में आदतन बदमाश दुर्गेश महंत को जमानत में रिहा होते ही जुलूस निकलना उस वक़्त मंहगा पड़ गया। जब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया। रायगढ़ पुलिस ने तत्काल एक्शन में आते हुए उसे दोबारा जेल भेज दिया है। उक्त मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है। मिली जानकारी के मुताबिक, दुर्गेश महंत 22 साल ने करीब तीन माह पूर्व थाना जूटमिल क्षेत्र के मारपीट में जेल में निरुद्ध था। हाल ही में उसे जमानत मिली थी, जिसके बाद उसने अपने साथियों के साथ शहर की सड़कों पर जुलूस निकाला। वीडियो से शहरवासियों और पीड़ित परिवार में आक्रोश की स्थिति बन गई। सोशल मीडिया में वीडियो वाइरल होते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के निर्देश में कोतवाली थाना प्रभारी सुखनंदन पटेल सायबर सेल टीम के साथ आरोपी को पकड़ा और थाने लाकर पूछताछ करने पर उसने स्वीकार किया कि वह जमानत पर रिहा होने के बाद शहर में जुलूस निकाल रहा था। कोतवाली पुलिस ने धारा 170 BNSS एवं धारा 126, 135(3) BNSS के तहत मामला दर्ज करते हुए उसे एसडीएम न्यायालय में पेश किया, जहां से आरोपी को पुनः कल शाम जिला जेल भेज दिया गया।पुलिस ने स्पष्ट किया है कि कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले तत्वों पर भविष्य में भी इसी प्रकार की कठोर कार्रवाई जारी रहेगी।  

बिलासपुर में बरसात का इंतज़ार, भीषण गर्मी ने बढ़ाई चिंता

बिलासपुर सावन की विदाई से पहले बिलासपुर में सूरज जमकर कहर बरपा रहा है। मंगलवार को तापमान बढ़कर 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से 4.7 डिग्री अधिक रहा। राज्य का सबसे गर्म शहर बनने के साथ न्यायधानी उमस और तपिश से बेहाल रही। मानसून ब्रेक के चलते बारिश की स्थिति शून्य रही, जिससे राहत की उम्मीद भी धूमिल हो गई। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में आंशिक बदलाव के संकेत दिए हैं। न्यायधानी में सूरज सिर चढ़कर बोला और धूप की चुभन ने आमजन को घरों में कैद कर दिया। मौसम विभाग के अनुसार अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.7 डिग्री अधिक था। यह तापमान इस सीजन का रिकार्ड बन गया, जिसने बिलासपुर को प्रदेश का सबसे गर्म शहर बना दिया।     शहर अधिकतम न्यूनतम     बिलासपुर 35.0 डिग्री सेल्सियस 26.4 डिग्री सेल्सियस     पेंड्रारोड 31.4 डिग्री सेल्सियस 21.6 डिग्री सेल्सियस     अंबिकापुर 32.9 डिग्री सेल्सियस 23.6 डिग्री सेल्सियस     माना 33.4 डिग्री सेल्सियस 26.5 डिग्री सेल्सियस     जगदलपुर 33.9 डिग्री सेल्सियस 24.5 डिग्री सेल्सियस सावन के अंतिम सप्ताह में इस तरह की भीषण गर्मी ने लोगों को हैरान कर दिया। वातावरण में बढ़ी नमी के कारण उमस और अधिक बढ़ गई, जिससे छांव भी बेअसर रही। दिनभर आसमान पूरी तरह साफ रहा और सूर्य की किरणें सीधे सिर पर पड़ीं। पूरे जिले में वर्षा नहीं हुई, जिससे मौसम और ज्यादा भारी हो गया। अरुणाचल की ओर मानसून द्रोणिका मौसम विभाग के अनुसार मानसून द्रोणिका का पूर्वी सिरा अरुणाचल प्रदेश की ओर खिसक गया है। इसे मानसून ब्रेक की स्थिति कहा जाता है। इस कारण प्रदेश के कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा अथवा गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना बनी हुई है। कुछ इलाकों में वज्रपात की चेतावनी भी जारी की गई है। गर्मी ने बदली लोगों की दिनचर्या बिलासपुर में बढ़ती तपिश और उमस ने जनजीवन को प्रभावित किया है। दोपहर के समय बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा और अधिकांश लोग घरों से बाहर निकलने से कतराते दिखे। छोटे बच्चों को घरों में ही रहना पड़ा, वहीं ऑफिसों में उपस्थिति भी प्रभावित हुई। शहर में बिजली कटौती की शिकायतें भी सामने आईं, जिससे पंखे और कूलर बेअसर नजर आए। आमजन को राहत की उम्मीद अब संभावित बारिश पर टिक गई है।

भजनलाल सरकार का रक्षाबंधन गिफ्ट: महिलाएं दो दिन कर सकेंगी फ्री सफर

जयपुर रक्षाबंधन के अवसर पर राजस्थान सरकार ने महिलाओं को एक बड़ा तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की घोषणा के बाद 9 और 10 अगस्त को प्रदेश की सभी साधारण और नॉन-एसी श्रेणी की रोडवेज बसों में महिलाओं और बालिकाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी। यह योजना केवल राजस्थान राज्य की सीमा के भीतर यात्रा करने वाली महिलाओं पर लागू होगी। एसी, वॉल्वो और ऑल इंडिया परमिट वाली बसें इस योजना से बाहर रखी गई हैं। गौरतलब है कि यह योजना कई साल से चलाई जा रही है लेकिन अब तक इसे एक दिन ही चलाया जा रहा था लेकिन इस साल यह सुविधा दो दिन के लिए दी जा रही है। राजस्थान रोडवेज के प्रबंध निदेशक पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि हर साल रक्षाबंधन पर यह योजना चलाई जाती है, जिसे इस बार भी सरकार ने मंजूरी दी है। इस साल करीब 8.5 लाख महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा और सरकार पर 14 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। महिलाओं को यात्रा के समय अपना कोई वैध पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड या वोटर आईडी साथ रखना अनिवार्य होगा। पहचान की पुष्टि के बिना योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जयपुर में आयोजित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम में इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि यह रक्षाबंधन की भावना को सशक्त करने वाला निर्णय है।

सरगुजा कोठीघर में चोरों की घुसपैठ, पीतल की हाथी मूर्ति ले उड़े चोर

अंबिकापुर सरगुजा राजपरिवार के कोठीघर परिसर से लगभग 15 किलो वजनी पीतल की हाथी की मूर्ति चोरी कर ली गई। यह स्थल, सरगुजा पैलेस से लगा हुआ है। कोठीघर के ठीक सामने मुख्य सड़क गुजरी है। सीसी कैमरे में घटना कैद हुई है। सीसीटीवी कैमरे की एक युवक चोरी कर वापस जाता नजर आ रहा है। चोरी की घटना रविवार 3 अगस्त को मध्यरात्रि के बाद हुई है। सीसी कैमरे के फुटेज के आधार पर पुलिस अब आरोपित की पहचान सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। सरगुजा राजपरिवार का निवास कोठीघर के नाम से जाना जाता है। यह सरगुजा पैलेस से लगा हुआ है। राजपरिवार के लोग जब आते हैं तो वे कोठीघर में रहते हैं। इसका निर्माण कई साल पहले पैलेस के क्षतिग्रस्त होने के बाद कराया गया था। पूर्व उप मुख्यमंत्री सिंहदेव का निवास तपस्या है। वे कोठीघर में भी रहते हैं। जोड़े मे से एक हाथी उठा ले गया बता दें कि कोठीघर के एक हिस्से का उपयोग वर्षो तक सरगुजा जिला कांग्रेस कार्यालय के रूप में किया जाता रहा है। हाथी के जिस पीतल की वजनी मूर्ति की चोरी हुई है, वह दो वर्ष पहले लगाई गई थी, जब कोठीघर का नए सिरे से मरम्मत और निर्माण कराया गया था। कोठीघर में प्रवेश के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने पोर्च के दोनों ओर पीतल के दो हाथी की मूर्ति रखी गई थी। इसमें एक हाथी नजर नहीं आने पर सीसी कैमरों को खंगाला गया तो चोरी का पता चला। पुराने पैलेस की तरफ से आया चोर कोठीघर के प्रबंधक राज सोनी ने कोतवाली थाने में चोरी की शिकायत दर्ज कराई। सीसी कैमरों में आए फुटेज से स्पष्ट है कि चोर पुराने पैलेस की ओर से कोठीघर परिसर में आया। जहां सामने पोर्च में दोनों ओर लगी हाथी की पीतल की मूर्तियों में से एक को निकालकर अपने साथ ले गया। मूर्ति की कीमत लगभग 40 हजार थी। पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव इन दिनों विदेश प्रवास पर हैं। राजपरिवार के कोई सदस्य वर्तमान में यहां नहीं है।