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ट्रंप की धमकियों को नजरअंदाज कर रूस में भारत का डिप्लोमैटिक गेम प्लान शुरू, डोभाल और जयशंकर एक्शन में

नई दिल्ली  टैरिफ पर अमेरिकी दादागीरी, ट्रंप के बड़बोले बयानों के बीच भारत ने यूएस समेत दुनिया को रणनीतिक स्वायत्तता का संदेश दिया है. रूस के साथ कच्चे तेल, S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर बात करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल मॉस्को पहुंच चुके हैं. अगले कुछ ही दिनों में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं. भारत की ओर से ये दो हाई प्रोफाइल यात्राएं तब हो रही हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत को लगातार टैरिफ की धमकियां दे रहे हैं. ट्रंप की धमकी तब आ रही है जब वे भारत पर 25 फीसदी का टैरिफ लगा चुके हैं. इसके बाद मंगलवार को उन्होंने कहा कि भारत अच्छा ट्रेडिंग पार्टनर नहीं है और वे इंडिया पर टैरिफ को और भी बढ़ा देंगे. ट्रंप की आपत्ति भारत के रूस से कच्चे तेल की खरीद पर है. ट्रंप का आरोप है कि भारत इससे न सिर्फ रूस की वॉर मशीन को चला रहा है बल्कि इस तेल को बाजार में बेचकर फायदा भी कमा रहा है. इस घड़ी में भारत ने रूस में अपने डिप्लोमैटिक मिशन को बेहद सक्रिय कर दिया है. भारत ने रूस से तेल खरीद पर स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता का परिचय देते हुए कहीं से भी यह मैसेज नहीं दिया है कि अब वो रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदेगा. भारत अभी अपनी जरूरत का 35 से 40 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से खरीदता है. भारत चीन के बाद रूस के कच्चे तेल का दूसरा बड़ा खरीदार है. गौरतलब है कि एनएसए अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस यात्राओं के बाद ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा भी प्रस्तावित है. हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं है. बता दें कि ट्रंप भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं को डेड इकोनॉमी बता चुके हैं. रूस ने ट्रंप की ओर से भारत को दी जा रही टैरिफ धमकियों को खारिज करते हुए कहा कि ये 'अवैध व्यावसायिक दबाव' हैं.  क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "हम ऐसे कई बयान सुनते हैं जो दरअसल देशों को रूस के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने के लिए मजबूर करने की धमकियां और प्रयास हैं. हम ऐसे बयानों को वैध नहीं मानते. संप्रभु देशों को अपने हितों के आधार पर व्यापार और आर्थिक सहयोग में अपने साझेदार चुनने का अधिकार होना चाहिए और है भी." सोमवार रात को भारत केविदेश मंत्रालय ने अमेरिकी धमकियों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि, "भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा." डोभाल और रूसी लीडरशिप के बीच चर्चा के प्रमुख बिंदू ट्रंप की धमकियों के बीच डोभाल और जयशंकर की यह यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और रूस के साथ दीर्घकालिक साझेदारी को मजबूत करने का स्पष्ट संदेश देती है. इन दोनों नेताओं की रूस दौरे पर इन मुद्दों पर चर्चा संभावित है. रक्षा सहयोग: अजित डोभाल रूसी समकक्षों के साथ रक्षा उद्योग सहयोग पर बातचीत करेंगे. इसमें अतिरिक्त S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद, भारत में इसके रखरखाव के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्टर की स्थापना और रूसी Su-57 फाइटर जेट्स के खरीद पर चर्चा हो सकती है. रूसी तेल की आपूर्ति: इस दौरे में वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और रूसी तेल की आपूर्ति पर भी चर्चा होगी. भारत रूस से लगभग 35 से 40 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले ये आंकड़ा मात्र 0.2% था. रूसी तेल की कम कीमत ने भारत को घरेलू ईंधन की कीमतें स्थिर रखने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को समर्थन देने में मदद की है.  भारत ने जोर देकर कहा कि वह अपनी राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देगा. भारत ने कहा है कि हम अपने उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देंगे. अगर रूसी कच्चा तेल अन्य स्रोतों से सस्ता है, तो हम अपने नागरिकों को क्यों दंडित करें.? ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने भी कहा कि भारत का रूसी तेल व्यापार पारदर्शी रहा है और यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर करने में मदद करता है. मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन की तैयारी: यह यात्रा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा और आगामी भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों का हिस्सा है.  भारत ने दिया रणनीतिक स्वायत्तता का संदेश डोभाल और जयशंकर की मॉस्को यात्राएं भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता का मजबूत संदेश देती हैं. भारत और रूस के बीच संबंध 1947 से चले आ रहे हैं और 2000 में रणनीतिक साझेदारी संधि के बाद से हर साल शिखर सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं. 2021 से दोनों देश 2+2 वार्ता (विदेश और रक्षा मंत्रियों की संयुक्त बैठक) भी आयोजित करते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ मतदान से परहेज किया है.  ट्रम्प की धमकियों के बावजूद भारत ने स्पष्ट किया है कि वह रूस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखेगा, यह न केवल तेल व्यापार तक सीमित है बल्कि रक्षा, ऊर्जा और उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को भी शामिल करता है. रूस ने भी भारत के व्यापारिक भागीदार चुनने के अधिकार का समर्थन किया है इसे संप्रभु देशों का मूलभूत अधिकार बताया. 

UP में भारी बारिश के कहर को देखते हुए लिया गया फैसला, फिर बढ़ीं स्कूलों की छुट्टियां!

पीलीभीत उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में हुई मूसलधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से पटरी से उतार दिया। जिले में लगातार हो रही बारिश और स्कूलों में जलभराव की स्थित को देखते हुए कक्षा 1 से 8 तक संचालित सभी परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, सहायता प्राप्त स्कूलों और सभी बोर्डों से मान्यता प्राप्त स्कूलों को 6 अगस्त और 7 अगस्त को बंद कर दिया गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर यह फैसला लिया गया, जिससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।  शहर की सड़केंगलियां, कॉलोनियां और बाजार पानी से लबालब हो गए हैं। बारिश का पानी घरों के अंदर तक घुस गया, जिससे लोग अपने ही घरों में कैद हो गए हैं। मेन मार्केट, स्टेशन रोड, राजबाग कॉलोनी सहित कई क्षेत्रों में पानी भर गया है। नालियों की सफाई ना होने और अधूरे नाले निर्माण ने हालात को और भी बिगाड़ दिया है। नगर प्रशासन द्वारा राहत कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन तेजी से जलनिकासी ना होने के कारण स्थिति अभी भी नियंत्रण से बाहर दिखाई दे रही है  

धनखड़ जैसी ऐतिहासिक जीत दोहराएगा NDA? उपराष्ट्रपति चुनाव में BJP का पलड़ा भारी

नई दिल्ली उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने उनके विकल्प की तलाश शुरू कर दी है. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का औपचारिक ऐलान होने के साथ ही सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 'डिनर डिप्लोमेसी' के जरिए उपराष्ट्रपति के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, तो बीजेपी ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी सियासी कवायद शुरू कर दी है.  चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 9 सितंबर को मतदान का ऐलान किया है, जिसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू हो रही है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उपराष्ट्रपति पद के लिए व्यापक समर्थन जुटाने की रणनीति बनाने में जुट गया है.  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक हुई, जिसमें उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर मंथन किया गया. इसके अलावा जगदीप धनखड़ जैसी बड़ी जीत के लिए गैर-एनडीए दलों का समर्थन जुटाने का प्लान बनाया गया है. पार्टी के सामने उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का विकल्प ढूंढने के साथ-साथ 2022 की तरह बड़ी जीत हासिल करने की चुनौती है.  बीजेपी उपराष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे नेता को उम्मीदवार बनाने की रणनीति बना रही है, जो पार्टी के साथ-साथ आरएसएस की विचारधारा में भी फिट बैठ सके. इसके अलावा, एनडीए के साथ-साथ दूसरे दलों का समर्थन भी उसके नाम पर आसानी से जुटाया जा सके. इसकी कमान अमित शाह ने अपने हाथ में संभाल रखी है.  उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को होगा चुनाव चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को देश के 17वें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 7 अगस्त को अधिसूचना जारी हो जाएगी, जिसके साथ नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. उपराष्ट्रपति पद के लिए 21 अगस्त तक उम्मीदवार अपने नामांकन दाखिल कर सकेंगे. 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी और उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपने नाम वापस ले सकते हैं.  उपराष्ट्रपति पद पर एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर 9 सितंबर को मतदान होगा. संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101 वसुधा, प्रथम तल में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा. वोटिंग खत्म होने के बाद मतगणना शुरू हो जाएगी. इस तरह, नतीजे 9 सितंबर की शाम तक घोषित कर दिए जाएंगे. लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान में हिस्सा लेते हैं.  उपराष्ट्रपति के लिए बीजेपी की सियासी कवायद बीजेपी ने उपराष्ट्रपति चुनाव की सियासी हलचल को देखते हुए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, अमित शाह के कार्यालय में सोमवार को एक बैठक हुई, जिसमें बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष, महासचिव विनोद तावड़े और सुनील बंसल जैसे नेता शामिल हुए थे. बैठक में आगामी राज्यों के चुनाव के साथ-साथ उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा हुई.  बीजेपी नेतृत्व ने तय किया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग के लिए एनडीए सांसदों के लिए एक ट्रेनिंग सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें उन्हें मतदान प्रक्रिया और बैलेट पेपर के प्रारूप से अवगत कराया जाएगा. इसके अलावा, एनडीए के साथ-साथ गैर-एनडीए दलों का समर्थन जुटाने की रणनीति बनाई गई है. इसके लिए पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने की योजना बनाई गई है ताकि समय रहते उनसे संपर्क और संवाद करके समर्थन जुटाया जा सके. धनखड़ से भी बड़ी जीत का बीजेपी बना रही प्लान बीजेपी की कोशिश जगदीप धनखड़ से भी बड़ी जीत की इबारत लिखने की है. 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ थे, तो विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता मारग्रेट अल्वा उम्मीदवार थीं. धनखड़ ने मारग्रेट अल्वा को भारी मतों से हराया था. जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि मारग्रेट अल्वा को 182 सांसदों का ही समर्थन मिल सका था.  जगदीप धनखड़ को मिली भारी मतों से जीत में एनडीए दलों के समर्थन के साथ-साथ कई गैर-एनडीए दलों का भी अहम योगदान था. नवीन पटनायक की बीजेडी, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और मायावती की बसपा ने एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को समर्थन दिया था. इस बार भी उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने 2022 की तरह समर्थन की उम्मीद लगाई हुई है. बीजेपी ने वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजेडी के नेताओं से संपर्क साधने का काम अपने नेताओं को सौंप दिया है.  विपक्ष उपराष्ट्रपति के लिए तलाश रहा संयुक्त प्रत्याशी विपक्षी इंडिया गठबंधन उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी में जुट गया है, जिसके लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहा है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 7 अगस्त को विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं को अपने आवास पर दावत दी है, जिसमें माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार को लेकर फैसला किया जाएगा. इस तरह, कांग्रेस ने विपक्षी दलों की किलेबंदी अभी से शुरू कर दी है, ताकि 2022 की तरह किसी तरह की कोई गलती न हो.  2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहली बार है, जब इंडिया गठबंधन के नेता एकजुट हो रहे हैं. राहुल गांधी ने दावत ऐसे समय रखी है, जब अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है. ऐसे में उपराष्ट्रपति पर संयुक्त रणनीति तैयार करने की कोशिश में राहुल गांधी लगे हैं. विपक्षी दलों का मानना है कि एक मजबूत उम्मीदवार के साथ वे उपराष्ट्रपति चुनाव को रोचक बना सकते हैं, और भले ही एनडीए के उम्मीदवार को जीत से न रोक सकें, लेकिन धनखड़ जैसी बड़ी जीत से जरूर पीछे रख सकते हैं.  धनखड़ से बड़ी जीत के लिए बीजेपी को क्या करना होगा बीजेपी की रणनीति एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश करना है, जिसके नाम को आगे करके विपक्षी किलेबंदी में सेंध लगाई जा सके. यह कदम बीजेपी की क्षेत्रीय संतुलन और व्यापक समर्थन हासिल करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसद हैं, जिसमें से बीजेपी को करीब 425 सांसदों का समर्थन हासिल है. लेकिन धनखड़ को मिले 528 वोटों से करीब 103 वोट कम है. ऐसे में धनखड़ जैसी जीत के लिए एनडीए को 100 से ज्यादा … Read more

पायलट का मंच से संदेश– सोचकर बोलें, शब्द लौटते नहीं

जयपुर राजधानी जयपुर में मंगलवार को एनएसयूआई द्वारा छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया गया, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने छात्र राजनीति, संयम और भाषा की मर्यादा को लेकर युवाओं को महत्वपूर्ण संदेश दिया। सचिन पायलट ने कहा कि जो शब्द मुंह से निकलते हैं, वे वापस नहीं आते। राजनीति में भाषा और व्यवहार का बहुत महत्व होता है और इसकी शुरुआत छात्र राजनीति से होती है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए स्पष्ट किया कि संयम, सौम्यता और सही शब्दों का चयन ही किसी नेता की असली ताकत होती है। युवाओं को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि आप में से ही कोई भविष्य में विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन उस पद की गरिमा आपकी भाषा, संयम और सोच से तय होती है। इसलिए छात्र राजनीति से ही यह सीख लेनी चाहिए कि क्या बोलना है, कैसे बोलना है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन में कई बार उकसावे की स्थिति आएगी, कई तरह के आरोप लगेंगे, लेकिन संयम नहीं छोड़ना है। जैसे अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख दिखती थी, वैसे ही आपको भी सिर्फ लक्ष्य दिखना चाहिए। पायलट ने कहा कि कोई भी आपकी सहनशीलता, मधुर भाषा और संयम को आपकी कमजोरी न समझे। ताकत क्या है, यह जनता अच्छी तरह जानती है। हालांकि पायलट ने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनके यह शब्द पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की ओर इशारा करते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बीकानेर दौरे पर अशोक गहलोत ने कहा था कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं हैं और अगर कोई मतभेद की बात करता है तो वह मीडिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मानेसर प्रकरण को भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए। इस बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तंज कसते हुए कहा था कि गहलोत तो भूल सकते हैं, लेकिन क्या सचिन पायलट भूल पाएंगे कि उन्हें नकारा और निकम्मा कहा गया था? अब सचिन पायलट का यह संयमित लेकिन स्पष्ट संदेश न सिर्फ कांग्रेस के भीतर की स्थिति को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि वे अपनी राजनीतिक सोच और सार्वजनिक व्यवहार को किस स्तर पर लेकर चल रहे हैं। इन बयानों के बाद लगता है कि आने वाले दिनों में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में और भी दिलचस्प मोड़ देखने को मिल सकते हैं।

प्रो पंजा लीग 2025: श्रीमंत झा बने छत्तीसगढ़ के पहले प्रतिनिधि खिलाड़ी

रायपुर भारतीय आर्म रेसलिंग के इतिहास में छत्तीसगढ़ के लिए एक गौरवशाली अध्याय जुड़ गया है। प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय आर्म रेसलर श्रीमंत झा प्रतिष्ठित प्रो पंजा लीग के लिए चयनित होने वाले प्रदेश के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। इस बार लीग का यह दूसरा सीजन होगा, जो 5 अगस्त से 22 अगस्त 2025 के बीच मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित अटल बिहारी वाजपेयी ट्रेनिंग सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित की जा रही है। जहां श्रीमंत मुंबई मसल फ्रेंचाइज़ी का प्रतिनिधित्व करेंगे। आर्म रेसलिंग की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं श्रीमंत झा बता दें कि श्रीमंत झा आर्म रेसलिंग की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं। भिलाई के रहने वाले श्रीमंत ने अब तक 56 अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किए हैं। वर्तमान में वह विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर और एशिया में नंबर एक पर हैं। उनकी ये उपलब्धियां उनके समर्पण, कठोर मेहनत और खेल के प्रति जुनून को दर्शाती हैं। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर श्रीमंत एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं और अपने व्यस्त प्रोफेशनल जीवन के साथ-साथ आर्म रेसलिंग के प्रति अपने जुनून को बखूबी निभा रहे हैं। उनका अनुशासन और निरंतर अभ्यास उन्हें आज इस मुकाम तक लेकर आया है। श्रीमंत का प्रो पंजा लीग में चयन न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। वे राज्य के उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखना और उसे पूरा करना चाहते हैं। प्रो पंजा लीग 2025 भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के शीर्ष आर्म रेसलरों की प्रतियोगिता है। इस मंच परश्रीमंत झा की मौजूदगी छत्तीसगढ़ के खेल प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो राज्य को राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगा। श्रीमंत को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर ढेरों शुभकामनाएं और भविष्य के मुकाबलों के लिए हार्दिक बधाई। क्या है प्रो पंजा लीग ? प्रो पंजा लीग का पहला सीजन जुलाई 2023 में आयोजित हुआ था। यह लीग भारत की प्रमुख पेशेवर आर्म रेसलिंग प्रतियोगिता है, जिसका उद्देश्य इस खेल को आम लोगों तक पहुंचाना और खिलाड़ियों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। इसमें भारत सहित विभिन्न देशों के सर्वश्रेष्ठ आर्म रेसलर हिस्सा लेते हैं, जिससे यह लीग इस खेल में उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुकी है। प्रो पंजा लीग का फॉर्मेट टूर्नामेंट के फॉर्मेट की बात करें तो एक वेट कैटेगरी में दो खिलाड़ियों के बीच बाउट्स होते हैं। इन बाउट्स में खिलाड़ियों को पिन हासिल करने यानी राउंड जीतने होते हैं। पुरुष और महिला दोनों वर्ग में बाउट्स तय वेट कैटेगरी में होते हैं। दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए भी अलग श्रेणी है। लीग प्रारूप के बाद सेमीफाइनल होगा। फिर फाइनल में विजेता तया होगा। कितने मुकाबले होंगे प्रो पंजा लीग 2025 में 5 अगस्त से 21 के बीच 17 दिन में 30 मैच होंगे। 4 टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेंगी। विजेताओं का मुकाबला फाइनल में होगा। 20 अगस्त को सेमीफाइनल और 21 अगस्त को फाइनल होगा। इस बार सीजन 2 में छह टीमें- मुंबई मसल, जयपुर वीर, किराक हैदराबाद, शेर-ए-लुधियाना, रोहतक रॉडीज और एमपी हथोड़ास आपस में भिड़ेगी। इस बार प्रो पंजा लीग में नई और छठी फ्रेंचाइजी टीम एमपी हथोड़ास का एंट्री हुई है। श्रीमंत मुंबई मसल का प्रतिनिधित्व करेंगे। प्रो पंजा लीग 2025 की लाइव स्ट्रीमिंग और टेलीकास्ट डिटेल्स प्रो पंजा लीग 2025राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचने के लिए मैचों का प्रसारण और स्ट्रीमिंग कई प्लेटफॉर्म पर होंगे। सोनी स्पोर्ट्स 3 और डीडी स्पोर्ट्स इसका टीवी पर प्रसारण करेंगे। फैनकोड इसकी लाइव स्ट्रीमिंग करेगा। वहीं, स्पोर्टवोट अंतरराष्ट्रीय प्रशंसकों के लिए इस टूर्नामेंच की लाइव स्ट्रीमिंग करेगा।

गरियाबंद बोर्ड रिजल्ट में बदलाव: पुनर्मूल्यांकन के बाद मिला चौथा स्थान

’पुनर्मूल्यांकन रिजल्ट के बाद बोर्ड द्वारा स्थाई मेरिट लिस्ट जारी’ रायपुर शैक्षणिक सत्र 2024-2025 में घोषित कक्षा 10वीं एवं 12वीं के परीक्षा परिणाम गरियाबंद शिक्षा के क्षेत्र मे एक और अभूतपूर्व उपलब्धियों वाला रहा। जहां कक्षा 12 वीं के परीक्षा परिणाम में जिले ने राज्य मे चौथा रैंक हासिल किया। इसी प्रकार पुनर्मूल्यांकन रिजल्ट के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड द्वारा स्थाई मेरिट लिस्ट जारी किया गया है। जिसमें कक्षा 10वीं मे जिले के सरस्वती शिशु मंदिर हायर सेकेंडरी स्कूल, देवभोग के भूपेश कुमार नागेश ने 98.80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य स्तर पर तीसरा रैंक प्राप्त किया है।   शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार बोर्ड द्वारा प्रतिवर्ष विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के छात्रों के लिए अलग से मेरिट लिस्ट जारी किया जाता है, इसमें भी जिले के छात्रों ने अपने प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन किया है। इस वर्ष हायर सेकेंडरी स्कूल, सडक परसुली के शैलेन्द्र कुमार शोरी ने इस संवर्ग मे प्रथम स्थान प्राप्त कर मेरिट में अपना स्थान बनाया है। दूरस्थ ग्रामीण अंचल के छात्र भूपेश नागेश ने राज्य में तृतीय रैंक, तथा विशेष पिछड़ी जनजाति के छात्र शैलेन्द्र शोरी ने संवर्ग में राज्य मंे प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

BJP पर गंभीर आरोप: अखिलेश बोले- नकली आधार बनाने की मशीनें हैं इनके पास

लखनऊ अखिलेश यादव ने बीजेपी पर आधार कार्ड लेकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी वाले नकली आधार बनाने की मशीन रखते हैं. नकली आधार बनाकर नकली वोटर आईडी बनाते हैं. इनकी मशीन छीनी जाए. इतना ही नहीं अखिलेश ने चुनाव आयोग से नई मांग की है. उनका कहना है कि चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार कार्ड मैटल का बनाना चाहिए. अखिलेश ने इसके पीछे तर्क दिया कि मैटल के आईडी होंगे तो कोई चुनाव के दिन फर्जी नहीं बना सकेगा. आधार पर हमारा सबकुछ निर्भर करता है. वही हमारी पूरी पहचान है. असली-नकली की पहचान के लिए मशीनें बना ही सकते हैं. टेक्नोलॉजी इतनी आसान है, सस्ती है. चुनाव आयोग को सुधार करना चाहिए, सरकार को हमारी मांग माननी चाहिए. सपा मुखिया ने कहा कि यूपी के पिछले चुनावों की बात करते हुए कहा कि डीजीपी हटते थे, गृह सचिव, डीएम, एसपी हटते थे. ये पोस्ट होते हैं कि चुनाव कौन लूट सकते हैं. जो चुनाव अच्छी तरह लूट सकता है, उसे अच्छी पोस्टिंग दी जाती है. हमारी पार्टी ने सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग को टैग करके शिकायत की है लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

ग्रामीणों ने उद्योग को जमीन आवंटन का किया विरोध, चारागाह और श्मशान बचाने की उठी मांग

महासमुंद शासकीय भूमि को पंचायत के बिना प्रस्ताव के मनोरमा इंडस्ट्री को दिए जाने का विरोध करते हुए ग्राम पंचायत बिरकोनी के सैंकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्टर से मुलाकात कर आपत्ति जताई। ग्रामीण चारागाह और श्मशान घाट की भूमि को उद्योग को देने पर आक्रोशित हैं, जबकि मनोरमा इंडस्ट्री 100 साल पुरानी चुहरी तालाब को कृषि भूमि बताकर पहले ही खरीद चुके हैं। इसके लिए बकायदा शासन से स्टांप ड्यूटी में उद्योग के नाम पर 58 लाख से ज्यादा का छूट भी ले चुके हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, ग्राम पंचायत बिरकोनी के औद्योगिक क्षेत्र से दूर खसरा नंबर 2435, 2436, 2619, 2620, 2616, 2614 रकबा क्रमशः 1.72, 0.45, 0.22, 10.95, 0.12 हेक्टेयर कुल खसरा 06, कुल रकबा 3.48 हेक्टेयर भूमि शासन के मद में दर्ज है। इसे जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग महासमुंद को हस्तांतरण किए जाने के लिए तहसीलदार न्यायालय से 23 जुलाई को दावा आपत्ति के लिए ईश्तहार जारी किया गया था। इसकी भनक लगते ही सैंकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्टोरेट पहुंचकर कलेक्टर से मनोरमा इंडस्ट्री को भूमि दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है। ग्रामीणों के विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रस्तावित है जमीन ग्रामीणों ने बताया कि खसरा नंबर 2485 में चारागाह भूमि है, 2620 में श्मसान भूमि है। साथ ही उपरोक्त भूमि पर जिला माडल गौठान के तहत रीपा प्रोजेक्ट का कार्य किया गया है। ग्रामीणों के विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए खसरा नं 2435 को ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तावित किया गया है। इसी भूमि के कुछ भाग पर मनरेगा के तहत चारागाह का निर्माण भी किया गया है, जो ग्रामवासियों का निस्तारी का एक मात्र साधन है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी प्रकार से मनोरमा इंडस्ट्री को सरकारी भूमि नहीं देना चाहते हैं। यह जमीन हमारे निस्तारी और मुक्तिधाम के लिए है। इस मामले में कलेक्टर का कहना है कि आपत्ति आई है, जिसकी जांच कराने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।

राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा की पहल रंग लाई, राजस्व अधिकारियों की मांगों पर बनी सहमति, हड़ताल समाप्त

राजस्व अधिकारियों की मांगों पर बनी सहमति, हड़ताल समाप्त प्रमुख मुद्दों पर हुई कार्रवाई, शासन ने दिए आवश्यक निर्देश रायपुर, राजस्व संघ के संसाधन नही तो काम नही सिद्धान्त पर आधारित 17 सूत्रीय मांगों की पूर्ति हेतु विगत सकारात्मक पहल नही होने पर 28 जुलाई से चरणबद्व आंदोलन पर बैठे राजस्व अधिकारियों ने राजस्व मंत्री के सकारात्मक पहल और ठोस आश्वासन पर आज हड़ताल से वापस हो गए। राज्य में गत कुछ दिनों से चल रही राजस्व अधिकारियों की हड़ताल अब समाप्त हो गई है। राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा के निवास कार्यालय में हुई महत्वपूर्ण बैठक के बाद राजस्व संघ के पदाधिकारियों ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की।        राजस्व मंत्री ने इस अवसर पर कहा, “राजस्व विभाग शासन की रीढ़ है, और अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी समस्याओं को शासन गम्भीरता से लेता है और उचित समाधान हेतु कटिबद्ध है।”      इस अवसर पर राजस्व सचिव, राजस्व संचालनालय के संचालक तथा उप सचिव भी उपस्थित रहे। संघ के प्रतिनिधियों ने विभागीय अधिकारियों से विस्तृत चर्चा कर अपनी मांगों एवं समस्याओं को सामने रखा। मंत्री श्री वर्मा ने उनकी सभी बातों को गंभीरता से सुनते हुए समाधान हेतु आवश्यक आश्वासन दिए। संघ पदाधिकारियों ने भरोसा जताया कि राज्य शासन द्वारा समयबद्ध ढंग से उनकी मांगों का समाधान किया जाएगा। मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने राजस्व विभाग को सुचारू बनाए रखने हेतु तत्परता से पहल की। राजस्व सचिव व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने संघ के प्रतिनिधियों से विस्तृत विमर्श कर समाधान के लिए मार्ग प्रशस्त किया। संघ द्वारा प्रस्तुत मुख्य मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए प्रशासन ने कई अहम बिंदुओं पर सहमति जताई है। परिणामस्वरूप, राजस्व अधिकारियों ने हड़ताल समाप्त कर पुनः कार्यभार संभालने की घोषणा की है। डिप्टी कलेक्टर के पदों पर पदोन्नति/सीधी भर्ती पर 50 : 50 अनुपात की बहाली पर कार्यवाही की जाएगी। राजस्व अधिकारियों को राजपत्रित दर्जा दिए जाने की मांग पर नायब तहसीलदार एवं तहसीलदार को राजपत्रित करने संबंधी प्रस्ताव पर शासन ने त्वरित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। लंबित पदोन्नति प्रकरणों का निराकरण करते हुए नायब तहसीलदारों एवं तहसीलदारों के लंबित ग्रेड पे और पदोन्नति मामलों का शीघ्र निपटारा किया जाएगा। इसी तरह सभी तहसीलों में कार्यरत अधिकारियों को प्रोटोकॉल एवं लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी हेतु शासकीय वाहन व चालक की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का आश्वासन मिला है। राजस्व विभाग में बिना वैध प्रक्रिया के निलंबन अथवा अभियोजन से प्रभावित अधिकारियों की स्थिति की 15 दिवस के भीतर जांच कर बहाली की कार्रवाई की जाएगी। इस निर्णय से राज्यभर के राजस्व कार्यालयों में कामकाज पुनः सामान्य हो गया है, जिससे आम जनता को राहत मिली है। संघ ने शासन की तत्परता और समाधानात्मक रुख की सराहना करते हुए भरोसा जताया कि लंबित विषयों पर आगे भी संवेदनशील निर्णय लिए जाएंगे। यह वार्ता संवाद और समन्वय के माध्यम से प्रशासनिक समस्याओं के समाधान का सफल उदाहरण बनी है। हड़ताल की वापसी से राहत हड़ताल समाप्त होने के बाद प्रदेश भर में राजस्व संबंधी कार्यों के पुनः सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इससे नामांतरण, बंटवारा, भू-अधिकार अभिलेख, सीमांकन जैसे कार्यों में हो रही देरी पर रोक लगेगी और आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। यह निर्णय राजस्व विभाग एवं शासन के बीच संवाद, सहमति और समाधान की संस्कृति को दर्शाता है, जो प्रशासनिक मजबूती और जनसेवा के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर राजस्व संघ के प्रांताध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार लहरे,कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्री विक्रांत सिंह राठौर,प्रदेश सचिव श्री प्रशांत पटेल,प्रदेश प्रवक्ता श्री शशिभूषण सोनी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का तोहफा: 20 मिनट में फरीदाबाद से नोएडा, बिना जाम के सफर

नई दिल्ली दिल्ली और फरीदाबाद से नोएडा की यात्रा करते समय अक्सर यातायात जाम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह मार्ग ट्रैफिक के लिए जाना जाता है. लेकिन अब इस समस्या से जल्द ही राहत मिलने वाली है, क्योंकि एक महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जारी है. इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने पर, 31 किलोमीटर तक आपको ट्रैफिक जाम की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. रिपोर्टों के अनुसार, यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे 31 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें 6 लेन होंगी. इसका निर्माण फरीदाबाद सेक्टर-65 से शुरू होकर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक किया जा रहा है. यह एक्सप्रेसवे पश्चिम में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के डीएनडी-केएमपी स्पर से प्रारंभ होगा और पूर्व में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे तथा यमुना एक्सप्रेसवे को पार करते हुए नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल पर समाप्त होगा. इस परियोजना का कार्य नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा किया जा रहा है. कितना काम हो चुका पूरा? इस एक्सप्रेसवे के हरियाणा खंड का निर्माण कार्य अपेक्षाकृत धीमी गति से चल रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश में इसका कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, जेवर एक्सप्रेसवे का कार्य शुरू हुए दो वर्ष हो चुके हैं, और इसे पूरा करने की निर्धारित तिथि 21 जून 2025 थी, जो अब बीत चुकी है. अभी भी इस एक्सप्रेसवे का काफी काम बाकी है, और कुछ समय के लिए कार्य को रोकना भी पड़ा था. हरियाणा सेक्शन में कई स्थानों पर कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है, और अब 2026 के अंत तक इस एक्सप्रेसवे के पूर्ण होने की संभावना जताई जा रही है. 15 से 20 मिनट में पहुंचेंगे नोएडा इस परियोजना की कुल लागत लगभग 2,400 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से नोएडा और फरीदाबाद के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी. वर्तमान में, फरीदाबाद से जेवर एयरपोर्ट पहुंचने में दो घंटे से अधिक का समय लगता है, जबकि इस नए मार्ग के खुलने के बाद यह यात्रा केवल 15 से 20 मिनट में पूरी हो सकेगी. इस एक्सप्रेसवे के बनने से इन दोनों शहरों के बीच यात्रा करने वाले वाहन चालकों को काफी सुविधा मिलेगी. इन इलाकों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे फरीदाबाद और नोएडा एयरपोर्ट के बीच बन रहा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे इन दोनों शहरों के कई क्षेत्रों को आपस में जोड़ेगा. यह एक्सप्रेसवे गौतमबुद्ध नगर के वल्लभनगर, अम्पुर और झुप्पा गांवों से होते हुए हरियाणा के बहपुर, कलां, मोहना और नरहावली गांवों तक पहुंचेगा. इसके अतिरिक्त, यह कुंडली गाजियाबाद पलवल (KGP), यमुना एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई हाईवे और कुंडली, मानेसर, पलवल (KMP) हाईवे से भी जुड़ाव स्थापित करेगा.