IIM कलकत्ता के बॉयज हॉस्टल में छात्रा से दुष्कर्म का मामला, जांच में जुटी पुलिस

कोलकाता  पश्चिम बंगाल के भारतीय प्रबंधन संस्थान कलकत्ता (IIM-C) में पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार को कैंपस में ही उसके साथ एक सहपाठी ने बलात्कार किया। उसने देर शाम हरिदेवपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला दर्ज कर लिया गया। घटना उस समय हुई जब पीड़िता अपने परिचित छात्र के बुलावे पर संस्थान के हॉस्टल परिसर में पहुंची थी। पुलिस ने आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया है और पूरे मामले की जांच जारी है। पुलिस के अनुसार, पीड़िता और बेंगलुरु का रहने वाला आरोपी परमानंद टोप्पाउनवार संस्थान के द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। पहले से एक-दूसरे को जानते थे। दोनों की मुलाकात पहले ऑनलाइन माध्यम से हुई थी, जो बाद में पढ़ाई और करियर से संबंधित बातचीत में बदली। शुक्रवार को आरोपी ने युवती को कैंपस में बुलाया, यह कहकर कि वह उसे एक काउंसलिंग सेशन में मदद करेगा। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि जब वह संस्थान में पहुंची तो उसे विजिटर रजिस्टर में नाम दर्ज करने से मना कर दिया गया। इसके बावजूद, आरोपी पर भरोसा कर वह परिसर के अंदर चली गई। आरोपी ने लड़की को काम का बहाना बनाकर लड़कों के हॉस्टल ले गया, जहां उसने उसे पिज्जा और एक पेय पदार्थ दिया। युवती का आरोप है कि पेय पीने के कुछ देर बाद उसे चक्कर आने लगे और वह अस्थिर महसूस करने लगी। युवती ने बताया कि जब उसने वॉशरूम जाने की बात कही, तो आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। जब उसने इसका विरोध किया और आरोपी को थप्पड़ मारा तो वह हिंसक हो गया और उसके साथ मारपीट करने के बाद कथित तौर पर दुष्कर्म किया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह कुछ समय तक अर्ध-बेहोशी की हालत में रही और फिर बेहोश हो गई। शाम को जब उसे होश आया तो वह खुद को हॉस्टल रूम में अकेला पाई। इसके बाद उसने किसी मित्र से संपर्क किया और किसी तरह संस्थान से बाहर निकलकर पुलिस स्टेशन पहुंची। पीड़िता ने पहले ठाकुरपुकुर थाने और फिर हरीदेवपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 (बलात्कार) और 123 (जानबूझकर विष या अन्य हानिकारक पदार्थ के माध्यम से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ जारी है। यह घटना उस समय सामने आई है जब महज दो सप्ताह पहले एक लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ उसके कॉलेज के सीनियर छात्रों और एक पूर्व छात्र द्वारा गैंगरेप की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। उस घटना के बाद राज्य सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लागू किया था और सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “यह घटना बेहद गंभीर है। पीड़िता की मेडिकल जांच कराई जा रही है और हम डिजिटल फुटेज, हॉस्टल एंट्री रिकॉर्ड और संस्थान के कर्मचारियों से पूछताछ कर रहे हैं। आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए जा रहे हैं।” घटना के बाद से प्रबंधन संस्थान की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, छात्रों और अभिभावकों के बीच इस घटना को लेकर गंभीर चिंता और नाराजगी देखने को मिल रही है।  

रूस-पाकिस्तान करार से खुले नए आर्थिक रास्ते, GDP को होगा बड़ा लाभ

मॉस्को रूस ने आखिरकार पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक समझौता कर लिया है। इसको लेकर कई महीनों से कयास लगाए जा रहे थे। अब शुक्रवार को पाकिस्तान और रूस ने संयुक्त रूप से इस समझौते की घोषणा की है, जिसके तहत कराची में एक अत्याधुनिक स्टील मिल की स्थापना की जाएगी। इस परियोजना को दोनों देशों के बीच आर्थिक और औद्योगिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इस सौदे से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अरबों रुपये का लाभ होने की उम्मीद है, साथ ही यह औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह समझौता शुक्रवार को मॉस्को में पाकिस्तान दूतावास में आयोजित एक समारोह में किया गया। पाकिस्तान के उद्योग और उत्पादन मंत्रालय के सचिव सैफ अंजुम और रूस की औद्योगिक इंजीनियरिंग एलएलसी के महानिदेशक वादिम वेलिचको ने इस पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर पाक पीएम के विशेष सहायक हारून अख्तर खान और रूस में पाकिस्तान के राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली भी उपस्थित थे। क्या है रूस-पाकिस्तान की डील? आइए समझते हैं पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने पहली बार आधिकारिक तौर पर पुष्टि करते हुए कहा है कि उसने कराची में एक नई स्टील मिल स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के साथ समझौते को अंतिम रूप दिया है। यह परियोजना पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) की बहाली और आधुनिकीकरण का हिस्सा है, जो लंबे समय से आर्थिक और प्रबंधकीय चुनौतियों का सामना कर रही है। एक बयान में, पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी हारुन अख्तर खान ने कहा, "रूस के साथ यह समझौता पाकिस्तान स्टील मिल्स की प्रगति और औद्योगिक भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना से न केवल औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।" इस समझौते के तहत, पीएसएम को न केवल दोबारा खड़ा किया जाएगा, बल्कि कराची में 700 एकड़ भूमि पर एक नया अत्याधुनिक इस्पात संयंत्र भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना में रूस की उन्नत इस्पात निर्माण तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे पाकिस्तान की इस्पात आयात पर निर्भरता 30% तक कम होने की उम्मीद है। पाकिस्तान हर साल लगभग 2.7 बिलियन डॉलर का इस्पात और लोहा आयात करता है, और देश में इस्पात की मांग और आपूर्ति के बीच 3.1 मिलियन टन का अंतर है। इस नए संयंत्र से न केवल आयात बिल में कमी आएगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। पाकिस्तान की GDP को होगा फायदा इस सौदे की अनुमानित लागत 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 22,000 करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा निवेश माना जा रहा है। इस परियोजना से न केवल स्थानीय स्तर पर स्टील उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि यह निर्यात क्षमता को भी बढ़ाएगा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा पाकिस्तान की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को दीर्घकालिक रूप से अरबों रुपये का लाभ पहुंचा सकता है। इसके अलावा, नई स्टील मिल के निर्माण और संचालन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार सृजित होंगे। खास तौर पर, कराची जैसे औद्योगिक केंद्र में यह परियोजना स्थानीय युवाओं और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए नए अवसर लेकर आएगी। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में तकनीकी इनोवेशन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह समझौता पाकिस्तान और रूस के बीच गहरे होते द्विपक्षीय संबंधों का हिस्सा है। दोनों देश हाल के वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान स्ट्रीम गैस पाइपलाइन और 2023 में शुरू हुई कच्चे तेल की आपूर्ति शामिल है। रूस-पाकिस्तान संबंधों में नया मोड़ पाकिस्तान स्टील मिल्स को 1973 में तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया गया था और यह कभी देश का सबसे बड़ा औद्योगिक परिसर था। यह मिल 1985 में शुरू हुई थी, लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन, बुनियादी ढांचे की कमी और अन्य प्रशासनिक समस्याओं के कारण 2015 में इसका परिचालन पूरी तरह बंद हो गया था। ताजा सौदा रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ते राजनयिक और आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हाल के वर्षों में, दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। रूस के उप-प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान रूस का एक स्वाभाविक सहयोगी है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। भारत से तनाव के बीच किया समझौता यह समझौता उस समय हुआ है जब क्षेत्रीय भू-राजनीतिक में तेजी से बदलाव हो रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष छिड़ गया। इस लिहाज से कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस का यह कदम भारत के साथ उसके पारंपरिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, रूस ने पहले ऐसी खबरों को खारिज किया है जो इसे भारत के साथ अपने संबंधों को कमजोर करने के रूप में देखती हैं।  

भारत-अमेरिका ट्रेड डील की राह आसान, ट्रंप नहीं भेजेंगे चेतावनी लेटर, टैरिफ में राहत तय

नई दिल्ली भारत और अमेरिका एक अंतरिम व्यापार समझौते की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, जिससे प्रस्तावित टैरिफ को 20% से नीचे लाया जा सकता है। यह समझौता भारत को क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में व्यापारिक रूप से अधिक अच्छी स्थिति में रखेगा। खबरों की मानें तो अमेरिका इस सप्ताह भारत को टैरिफ बढ़ाने की औपचारिक सूचना नहीं देगा, जबकि कई अन्य देशों को अप्रत्याशित रूप से 50% तक के टैरिफ का सामना करना पड़ा है। ट्रंप करीब 20 देशों को टैरिफ लगाने संबंधी लेटर भेज चुके हैं। जिनमें काफी सख्त चेतावनी और धमकियां तक दी गई हैं। हालांकि भारत को अभी इस तरह का कोई लेटर भेजने का इरादा नहीं है। इसकी वजह है- दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ता। भारत पर 20% से नीचे लाया जा सकता है टैरिफ ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह प्रस्तावित अंतरिम समझौता दोनों देशों को आगे की बातचीत के लिए समय देगा, जिससे भारत को लंबित मुद्दों को व्यापक समझौते से पहले सुलझाने का अवसर मिलेगा। इस समझौते की औपचारिक घोषणा किसी आधिकारिक बयान के माध्यम से की जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक रूप से अमेरिका ने भारत के लिए 26% का टैरिफ प्रस्तावित किया था, लेकिन अब इस दर को घटाकर 20% से नीचे लाया जा सकता है। साथ ही, अंतिम समझौते के तहत आगे और भी संशोधन की संभावना रखी जाएगी। हालांकि, अंतरिम समझौते की सटीक समयसीमा अभी स्पष्ट नहीं है। यदि यह समझौता अंतिम रूप लेता है, तो भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार समझौते किए हैं। अब तक केवल ब्रिटेन ने ही अमेरिका के साथ औपचारिक व्यापार समझौता किया है। वहीं, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों को 20% तक की शुल्क दरें घोषित की जा चुकी हैं, जबकि लाओस और म्यांमार को 40% तक के उच्च शुल्कों का सामना करना पड़ रहा है। भारत वियतनाम के साथ हुए समझौते की तुलना में अधिक अनुकूल समझौता चाहता है। वियतनाम 20% की उच्च शुल्क दर से चौंक गया था और अब उस दर को कम करने की मांग कर रहा है। ट्रंप के निशाने पर कई देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को NBC न्यूज को बताया कि वह उन देशों पर 15% से 20% की सामान्य टैरिफ दर लगाने पर विचार कर रहे हैं, जिन्होंने अभी तक अमेरिका के साथ कोई विशेष टैरिफ दर तय नहीं की है। वर्तमान में अधिकांश अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के लिए औसत टैरिफ दर 10% है। हालांकि भारत ने वर्ष की शुरुआत में ही अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं शुरू कर दी थीं, हाल के महीनों में भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में कुछ तनाव देखने को मिला है। ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत की ब्रिक्स सदस्यता को लेकर भी अतिरिक्त शुल्क लगाने के संकेत मिले हैं। भारतीय वार्ता दल जल्द ही वाशिंगटन की यात्रा कर सकता है ताकि व्यापार वार्ताओं को गति दी जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पहले ही अपनी अंतिम पेशकश अमेरिका को दे चुका है और कुछ मुद्दों पर स्पष्ट रूप से ‘गैर-समझौतावादी रुख’ अपना चुका है। भारत ने बता दी अपनी "लक्ष्मण रेखा" व्यापार वार्ताओं में सबसे बड़ा अड़चन अमेरिका की यह मांग है कि भारत जैव-संशोधित (GM) फसलों को अनुमति दे, जिसे भारत ने किसानों की चिंता के चलते ठुकरा दिया है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में गैर-टैरिफ बाधाएं और फार्मा सेक्टर में नियामकीय चुनौतियां भी प्रमुख अवरोध बने हुए हैं। भारत ने इस समझौते के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्रों में। भारतीय वार्ताकारों ने अमेरिका को स्पष्ट रूप से अपनी "लक्ष्मण रेखा" बता दी है, जिसमें डेयरी और कृषि उत्पादों पर रियायतों से इनकार शामिल है। भारत ने पहले भी अपने डेयरी क्षेत्र को सभी व्यापार समझौतों में संरक्षित रखा है और इस बार भी यही रुख अपनाया है। इसके बदले, भारत ने टेक्सटाइल और फुटवियर जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में अमेरिकी उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच की पेशकश की है।भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की एक टीम जल्द ही वाशिंगटन का दौरा करने वाली है, ताकि इस समझौते को आगे बढ़ाया जा सके। भारत ने पहले ही अपनी सर्वश्रेष्ठ पेशकश ट्रम्प प्रशासन के सामने रख दी है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि वह कुछ मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा।  

विश्व धरोहर स्थल में शामिलहुए 12 मराठा किले, 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु

नई दिल्ली भारत की सांस्कृतिक विरासत में यूनेस्को ने 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' यानी 'मराठा सैन्य परिदृश्य' को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है. इसमें मराठा साम्राज्य के 12 ऐतिहासिक किलों को शामिल किया गया है, जिनमें 11 महाराष्ट्र और 1 तमिलनाडु में स्थित हैं. यह भारत की 44वीं संपत्ति है जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "इस सम्मान से हर भारतीय गदगद है. इन 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' में 12 भव्य किले शामिल हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में है." ऐसा है मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स "भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य" वर्ष 2024-25 के लिए यूनेस्को की विश्व विरासत सूची के लिए नामांकन किया गया था. इसमें बारह घटक भाग हैं- महाराष्ट्र में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु में जिंजी किला. वैविध्यपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों एवं क्षेत्रों में फैले हुए ये घटक मराठा शासन की रणनीतिक सैन्य शक्तियों को प्रदर्शित करते हैं. सुवर्णदुर्ग किला 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच विकसित हुए भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य तत्कालीन  मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित की गई एक असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हैं. किलों का यह असाधारण तन्त्र, पदानुक्रम, पैमाने और प्रतीकात्मक वर्गीकरण की विशेषताओं में भिन्नता लिए हुए  भारतीय प्रायद्वीप में सह्याद्री पर्वत श्रृंखलाओं, कोंकण तट, दक्कन के पठार और पूर्वी घाटों के लिए विशिष्ट परिदृश्य,क्षेत्र एवं भौगोलिक विशेषताओं को एकीकृत करने का परिणाम है. सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र में विद्यमान 390 से अधिक किलों में से केवल 12 किले भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य के अंतर्गत चुने गए है और  इनमें से आठ किले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) द्वारा संरक्षित हैं. ये हैं शिवनेरी किला, लोहगढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और जिंजी किलाI जबकि सालहेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला और प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं. भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी किला पहाड़ी किले हैं, वहीं प्रतापगढ़ पहाड़ी-वन्य किला है एवं  पन्हाला पहाड़ी-पठार किला है तथा विजयदुर्ग तटीय किला है जबकि खंडेरी किला, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग द्वीपीय किले हैंI पन्हाला किला मराठा सैन्य विचारधारा की शुरुआत 17वीं शताब्दी में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के समय 1670 ई. में हुई और यह बाद के नियमों के अनुसार 1818 ई. तक चले पेशवा शासन तक जारी रही.   सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पीएम मोदी ने आगे लिखा, "जब हम गौरवशाली मराठा साम्राज्य की बात करते हैं, तो हम इसे सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पर जोर से जोड़ते हैं. महान शासक किसी भी अन्याय के आगे न झुकने के अपने साहस से हमें प्रेरित करते हैं. मैं सभी से इन किलों को देखने और मराठा साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारे में जानने का आह्वान करता हूं." पीएम मोदी ने एक अन्य पोस्ट करते हुए लिखा, "ये 2014 में रायगढ़ किले की मेरी यात्रा की तस्वीरें हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करने का अवसर मिला था. उस यात्रा को मैं हमेशा संजो कर रखूंगा." महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस उपलब्धि पर एक्स पोस्ट में लिखा, "सचमुच, यह महाराष्ट्र और भारत के लिए एक अद्भुत क्षण है." उन्होंने संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का जिक्र करते हुए कहा, "इसे संभव बनाने के लिए आपके सभी प्रयासों और समर्थन के लिए धन्यवाद." वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह सम्मान भारत की प्राचीन सभ्यता और मराठा साम्राज्य की वास्तुकला की उत्कृष्टता को रेखांकित करता है. 'गौरव का क्षण…' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "यह सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है, जब UNESCO ने महाराजाधिराज छत्रपति शिवाजी महाराज जी के जीवन से जुड़े 12 किलों को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है. अभी कुछ ही दिन पहले रायगढ़ किले पर जाकर छत्रपति शिवाजी महाराज जी के जीवन से जुड़े प्रतीकों से आत्मसाक्षात्कार का सौभाग्य प्राप्त हुआ था." अमित शाह ने आगे कहा कि ये किले हिंदवी स्वराज की रक्षा के प्रमुख स्तंभ रहे हैं, और यहीं से स्वभाषा तथा स्वसंस्कृति के प्रति करोड़ों देशवासियों को सतत प्रेरणा मिलती रही है. ऐसा है इतिहास ये किले 17वीं से 19वीं सदी के बीच निर्मित हुए और मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति, स्थापत्य कला और पर्यावरण के साथ सामंजस्य का प्रतीक हैं. इन किलों में रायगढ़, शिवनेरी, तोरण, लोहगढ़ और साल्हेर जैसे नाम शामिल हैं, जो मराठा शौर्य और साहस की कहानियां बयां करते हैं. इस उपलब्धि से महाराष्ट्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

मोदी ने जोर देकर कहा कि रोजगार केवल नौकरी नहीं, बल्कि युवा शक्ति को राष्ट्र निर्माण से जोड़ने की एक कड़ी

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी नई दिल्ली में रोजगार मेले में वर्चुअली हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने वर्चुअली केंद्र सरकार में चयनित युवाओं को नियुक्ति पत्र जारी किए। पीएम मोदी ने कहा, 'केंद्र सरकार में युवाओं को पक्की नौकरी देने का हमारा अभियान लगातार जारी है। हमारी पहचान भी है बिना पर्ची बिना खर्ची। आज 51000 से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोजगार मेलों के माध्यम से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में पक्की नौकरी मिल चुकी है।' नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आप सभी के विभाग अलग-अलग हैं लेकिन ध्येय एक है। हमारा एक ही ध्येय है चाहे विभाग कोई भी हो, कार्य कोई भी हो, पद कोई भी हो लेकिन एक ही ध्येय है जो कि राष्ट्र सेवा है। सूत्र एक- नागरिक प्रथम। आपको देश के लोगों की सेवा करने का बहुत बड़ा मंच मिला है। आप सभी को बधाई देता हूं।' प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया मान रही है कि भारत के पास दो असीमित शक्तियां हैं। पहला- जनसांख्यिकी और दूसरी- लोकतंत्र। उन्होंने कहा, 'युवाओं का यह सामर्थ्य हमारे भारत के उज्ज्वल भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी भी है और सबसे बड़ी गारंटी भी है। हमारी सरकार इसी पूंजी को समृद्धि का सूत्र बनाने में दिनरात जुटी है।' रोजगार के लिए नई योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने कहा, 'आप सबको पता है कि 2 दिन पहले ही मैं 5 देशों की यात्रा से लौटा हूं। हर देश में भारत की युवाशक्ति की गूंज सुनाई दी। इस दौरान जितने भी समझौते हुए हैं, उनसे देश और विदेश, दोनों जगह भारत के नौजवानों को फायदा होना ही है।' नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के नए अवसरों के निर्माण पर भी है। हाल ही में सरकार ने एक नई स्कीम को मंजूरी दी है- रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना। इस योजना के तहत सरकार प्राइवेट सेक्टर में पहली बार रोजगार पाने वाले युवा को 15 हजार रुपए देगी, यानी पहली नौकरी की पहली सैलरी में सरकार अपना योगदान देगी। इसके लिए सरकार ने करीब 1 लाख करोड़ रुपए का बजट बनाया है, इस योजना से लगभग 3.5 करोड़ रोजगार के निर्माण में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देशभर के 51,000 से अधिक नवचयनित युवाओं को सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र सौंपे, जो 16वें रोजगार मेले के दौरान आयोजित एक भव्य कार्यक्रम का हिस्सा था. यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुआ, जिससे भारत के विभिन्न हिस्सों के युवाओं को सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ने और उनके संदेश को सुनने का अवसर मिला. एक ही ध्येय: राष्ट्र सेवा उन्होंने कहा कि, आपके विभाग अलग-अलग हैं लेकिन ध्येय एक है और वो है राष्ट्र सेवा. हमें बार-बार याद रखना है, एक ही ध्येय है – विभाग कोई भी हो, कार्य कोई भी हो, पद कोई भी हो, इलाका कोई भी हो, एक ही ध्येय राष्ट्र सेवा. सूत्र एक – नागरिक प्रथम. आपको देश के लोगों की सेवा का बहुत बड़ा मंच मिला है. युवाओं को बधाई और शुभकामनाएं उन्होंने कहा कि मैं आप सभी युवाओं को जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव पर इतनी बड़ी सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ. आपकी इस नई यात्रा के लिए मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं. भारत की असीमित शक्तियां पीएम मोदी ने कहा कि साथियों, आज दुनिया मान रही है कि भारत के पास दो असीमित शक्तियां हैं – एक जनसंख्या और दूसरी लोकतंत्र. यानी सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र. युवाओं का यह सामर्थ्य हमारे भारत के उज्ज्वल भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी भी है और सबसे बड़ी गारंटी भी. हमारी सरकार इसी पूंजी को समृद्धि का सूत्र बनाने में दिन-रात जुटी है. वैश्विक यात्रा में भारत की गूंज उन्होंने कहा कि आप सबको पता है 2 दिन पहले ही मैं पांच देशों की यात्रा करके लौटा हूं. हर देश में भारत की युवा शक्ति की गूंज सुनाई दी. इस दौरान जितने भी समझौते हुए हैं, उनसे देश और विदेश दोनों जगह भारत के नौजवानों को फायदा होना ही है. विभिन्न क्षेत्रों में समझौते से लाभ पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा, फार्मा, डिजिटल तकनीक, ऊर्जा, दुर्लभ खनिज जैसे अनेक क्षेत्रों में हुए समझौतों से भारत को आने वाले दिनों में बहुत बड़ा लाभ होगा. भारत के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को बहुत बल मिलेगा. बदलता जॉब सेक्टर उन्होंने कहा कि बदलते हुए समय के साथ इक्कीसवीं सदी में रोजगार का स्वरूप भी बदल रहा है. नए-नए क्षेत्र भी उभर रहे हैं. इसलिए बीते दशक में भारत का ज़ोर अपने युवाओं को इसके लिए तैयार करने पर है और इसके लिए अहम निर्णय भी लिए गए हैं. स्टार्टअप और नवाचार का इकोसिस्टम पीएम मोदी ने कहा कि आधुनिक जरूरतों को देखते हुए आधुनिक नीतियां बनाई गई हैं. स्टार्टअप, नवाचार और अनुसंधान का जो इकोसिस्टम आज देश में बन रहा है, वह देश के युवाओं का सामर्थ्य बढ़ा रहा है. आज जब मैं नौजवानों को देखता हूँ कि वे अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं तो मेरा भी आत्मविश्वास बढ़ जाता है. रोजगार सृजन की दिशा में सरकार के प्रयास पीएम मोदी ने कहा कि भारत सरकार का जोर निजी क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों के निर्माण पर भी है. हाल ही में सरकार ने एक नई योजना को मंजूरी दी है – रोजगार लिंक प्रोत्साहन योजना. इस योजना के तहत सरकार निजी क्षेत्र में पहली बार रोजगार पाने वाले युवाओं को 15,000 देगी. यानी पहली नौकरी की पहली सैलरी में सरकार अपना योगदान देगी. इसके लिए सरकार ने करीब ₹1,00,000 करोड़ का बजट बनाया है. इस योजना से लगभग 3.5 करोड़ नए रोजगार के निर्माण में मदद मिलेगी. विनिर्माण क्षेत्र की प्रगति उन्होंने कहा कि आज भारत की एक बहुत बड़ी ताकत हमारा विनिर्माण क्षेत्र है. इसमें बड़ी संख्या में नई नौकरियाँ बन रही हैं. इस वर्ष के बजट में 'मिशन विनिर्माण' की घोषणा की गई है. बीते सालों में हमने 'मेक इन इंडिया' अभियान को मजबूती दी है. केवल 'उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना' (पीएलआई) से ही 11 लाख से अधिक रोजगार देश में बने हैं. मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स में उछाल पीएम मोदी ने कहा कि बीते सालों … Read more

ISIS नेटवर्क पर NIA का शिकंजा, पुणे स्लीपर मॉड्यूल केस में 11 गिरफ्तार

 पुणे  राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने  एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिस पर आतंकवादी संगठन 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया' (ISIS) की गतिविधियों को बढ़ावा देने में संलिप्त होने का आरोप है. उसका नाम रिजवान अली उर्फ ​​अबू सलमा उर्फ ​​मोला है और वह ISIS पुणे स्लीपर मॉड्यूल केस में 11वां वांटेड आरोपी और प्रमुख साजिशकर्ता है. उसे लखनऊ से गिरफ्तार किया गया.  एनआईए ने एक बयान में कहा कि ISIS, जिसे विभिन्न अन्य नामों से भी जाना जाता है, उसकी भारत विरोधी साजिश के हिस्से के रूप में रिजवान अली ने विभिन्न स्थानों की रेकी करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिनका इस्तेमाल आतंकवादी ठिकानों के रूप में किया जा सकता था. एनआईए के मुताबिक वह बंदूक चलाने और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IEDs) बनाने की ट्रेनिंग देने में भी शामिल था.  उसकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. बयान में कहा गया है कि रिजवान अली के खिलाफ एक स्थायी गैर-जमानती वारंट (NBW) भी जारी किया गया था, जो कथित तौर पर विदेशी आतंकवादी संगठन की आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल था. जांच एजेंसी ने कहा कि पहले से गिरफ्तार और न्यायिक हिरासत में बंद 10 अन्य आरोपियों के साथ अली ने देश को अस्थिर करने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के लिए कई आतंकवादी वारदातों की साजिश रची थी.  रिजवान अली के अलावा, गिरफ्तार किए गए अन्य स्लीपर-सेल सदस्यों की पहचान मोहम्मद इमरान खान, मोहम्मद यूनुस साकी, अब्दुल कादिर पठान, सिमाब नसीरुद्दीन काजी, जुल्फिकार अली बड़ौदावाला, शमिल नाचन, आकिफ नाचन, शाहनवाज आलम, अब्दुल्ला फैयाज शेख और तलहा खान के रूप में की गई है. सभी आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, (UAPA) विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है.  बयान में कहा गया है कि एनआईए भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़कर हिंसा और आतंक के माध्यम से देश में इस्लामी शासन स्थापित करने की आईएसआईएस/आईएस की साजिश को विफल करने के अपने प्रयासों के तहत मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए है. पुणे आईएसआईएस हथियार और विस्फोटक जब्ती मामले में गिरफ्तार रिजवान अली को यहां की एक अदालत ने शुक्रवार को 18 जुलाई तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में भेज दिया.

AI 171 विमान हादसा: कॉकपिट में हुआ तनावपूर्ण संवाद, फ्यूल बंद करने पर उठे सवाल, जवाब ने उड़ाए होश

अहमदाबाद एअर इंडिया विमान (AI171) हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट सामने आ गई है. भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, टेकऑफ के कुछ सेकंड ही बाद विमान के दोनों इंजन अचानक बंद हो गए थे, जिससे विमान की स्पीड धीमी हुई और क्रैश हो गया. इस दौरान दोनों पायलटों के बीच बातचीत होती है. एक पायलट ने पूछा, आपने फ्यूल क्यों बंद कर दिया? इस पर दूसरे पायलट ने जवाब दिया, मैंने ऐसा नहीं किया. इस बातचीत के कुछ सेकंड बाद ही प्लेन की स्पीड धीमी होने लगती है और यह विमान मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग से जा टकराता है. मामले में भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने हादसे के कारण जाने और अब 15 पेज की रिपोर्ट जारी की. ये शुरुआती रिपोर्ट है. इसमें ना सिर्फ तकनीकी कारणों का खुलासा हुआ है, बल्कि कॉकपिट में हुई आखिरी बातचीत ने कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान ने अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी और कुछ ही सेकंड बाद इंजन फेल होने के कारण ये विमान बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. बताते चलें कि एअर इंडिया का यह विमान 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा था. हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर्स और 19 अन्य नागरिक शामिल थे. दोनों इंजनों का फ्यूल एक साथ बंद… उड़ान भरने के ठीक बाद दोनों इंजन के फ्यूल कटऑफ स्विच 'RUN' से 'CUTOFF' स्थिति में आ गए. वो भी सिर्फ एक सेकंड के अंतराल में. इसके बाद दोनों इंजनों की थ्रस्ट क्षमता पूरी तरह खत्म हो गई. विमान टेकऑफ के तुरंत बाद सीधे अहमदाबाद स्थित मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिर गया. इससे जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ. कॉकपिट में चौंकाने वाली बातचीत हादसे से कुछ ही सेकंड पहले पायलटों के बीच बातचीत रिकॉर्ड हुई है. एक पायलट ने पूछा, आपने फ्यूल क्यों बंद किया? इस पर दूसरे पायलट से जवाब मिला, मैंने ऐसा नहीं किया. यह संवाद तकनीकी खराबी या मानवीय भ्रम की ओर इशारा करता है. टेकऑफ के कुछ ही पलों बाद सीसीटीवी में देखा गया कि इमरजेंसी पावर सप्लाई सिस्टम (RAT) सक्रिय हो गया और यह तभी होता है जब इंजन बंद हो जाएं. फ्यूल स्विच दोबारा चालू किए गए एक इंजन (Engine 2) ने थोड़ी देर के लिए काम करना शुरू किया, लेकिन दूसरा इंजन (Engine 1) स्थिर नहीं हो सका. रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में पक्षियों के टकराने के कोई प्रमाण नहीं मिले, जिससे यह कारण बाहर हो गया. EAFR से डेटा मिला विमान के अगले हिस्से में लगे EAFR (Extended Airframe Flight Recorder) से डेटा सफलतापूर्वक निकाला गया. हालांकि, पीछे वाला रिकॉर्डर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक बोइंग या GE इंजन निर्माता को कोई चेतावनी या एडवाइजरी जारी नहीं की गई है, क्योंकि हादसे का वास्तविक कारण अब भी जांच के दायरे में है.

फ्री राशन लेना है तो तुरंत कराएं ई-केवाईसी, सरकार ने किया जरूरी

नई दिल्ली राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत केंद्र सरकार करोड़ों नागरिकों को मुफ्त में राशन उपलब्ध कराती है। हालांकि इसके लिए आपके पास राशन कार्ड होना जरूरी है। बता दें कि राशन कार्ड से सिर्फ मुफ्त राशन ही नहीं मिलता बल्कि यह एक आईडी के तौर पर भी इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल आप आधार कार्ड से लेकर पैन कार्ड बनवाते समय अपनी पहचान वेरिफाई करवाने के लिए कर सकते हैं। गौरतलब है कि राशन कार्ज से जुड़ी किसी भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए अब ई-केवाईसी करवाना जरूरी है। धोखाधड़ी के मामलों पर रोक लगाने के इरादे से सरकार ने सभी राशन कार्ड का ई-केवाईसी करवाना अनिवार्य कर दिया है। हालांकि इसके लिए आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल राशन कार्ड की ई-केवाईसी आप घर बैठे अपने फोन पर भी कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि यह कैसे करना है। राशन कार्ड की ऑनलाइन ई-केवाईसी ऐसे करें     अपने फोन से राशन कार्ड के लिए ई-केवाईसी कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने मोबाइल में ‘Mera eKYC’ ऐप और ‘Aadhaar FaceRD’ ऐप इंस्टॉल करनी होगी।     इस ऐप को खोलने के बाद अपनी लोकेशन और अन्य जरूरी जानकारी दर्ज करें।     इसके बाद अपना आधार नंबर, कैप्चा कोड और मोबाइल पर आए OTP को दर्ज करें।     इसके बाद आपके आधार से जुड़ी जानकारी इस ऐप पर दिखाई देगी।     अब आपको ‘Face e-KYC’ विकल्प को चुनना होगा।     इसके बाद कैमरा ऑन हो जाएगा।     अब अपना फोटो क्लिक करें और ‘सबमिट’ बटन पर क्लिक करें।     इस तरह आपकी ई-केवाईसी पूरा हो जाएगा। हर सदस्य का केवाईसी जरूरी ध्यान रहे कि इस प्रोसेस को राशन कार्ड में शामिल हर एक सदस्य को पूरा करना होगा। यानी कि सभी सदस्यों की अलग-अलग ईकेवाईसी होगी। अगर किसी सदस्य का ई-केवाईसी नहीं होता है, तो उसका नाम कार्ड से हटा दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि असली और जरूरतमंद लोगों को ही फ्री राशन और दूसरी सरकारी सुविधाएं मिलें।

भारतीय सेना को मिलेगी नई ताकत, देश में बनेगा ब्राजील का मल्टीरोल मिलिट्री एयरक्राफ्ट C-390

नई दिल्ली ब्राजील की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी एम्ब्रेयर (Embraer) और भारत की महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स ने C-390 मिलेनियम मध्यम परिवहन विमान (Medium Transport Aircraft) के लिए साझेदारी की है. इसके अलावा, दोनों देश हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (Airborne Warning and Control System – AWACS) के विकास में भी सहयोग कर रहे हैं. एम्ब्रेयर ने नई दिल्ली में अपनी एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भी स्थापित की है, जो भारत में रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगी. साथ ही, ब्राजील भारत के स्वदेशी रक्षा सिस्टम जैसे आकाश मिसाइल और गरुड़ तोप प्रणाली में भी रुचि दिखा रहा है. आइए, इस साझेदारी और C-390 मिलेनियम विमान की विशेषताओं और भारत के लिए इसके फायदों को समझते हैं. भारत-ब्राजील रक्षा साझेदारी: एक नई शुरुआत भारत और ब्राजील, दोनों ही BRICS देश, रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में एक-दूसरे के पूरक हैं. भारत स्वदेशी रक्षा तकनीकों जैसे आकाश सतह-से-हवा मिसाइल (Surface-to-Air Missile) और गरुड़ तोप प्रणाली के लिए जाना जाता है, जबकि ब्राजील की एम्ब्रेयर कंपनी C-390 मिलेनियम जैसे आधुनिक परिवहन विमानों और अन्य एयरोस्पेस तकनीकों में माहिर है. दोनों देशों के बीच सहयोग की शुरुआत कई साल पहले तब हुई, जब भारत ने एम्ब्रेयर के ERJ-145 प्लेटफॉर्म पर आधारित 'नेत्रा' AWACS विमान विकसित किया. यह विमान भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए खुफिया जानकारी और निगरानी मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.  2024 में एम्ब्रेयर और महिंद्रा ने नई दिल्ली में ब्राजील दूतावास में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना के मध्यम परिवहन विमान (MTA) प्रोजेक्ट के लिए C-390 मिलेनियम को भारत में बनाना है. यह साझेदारी न केवल भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में C-390 विमानों का एक उत्पादन केंद्र (हब) बनाने की संभावना भी तलाशेगी. इसके अलावा, एम्ब्रेयर ने मई 2025 में नई दिल्ली के एयरोसिटी में अपनी सहायक कंपनी शुरू की, जो रक्षा, वाणिज्यिक उड्डयन और शहरी हवाई गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगी. ब्राजील ने भारत के आकाश मिसाइल सिस्टम में भी रुचि दिखाई है, जो 4 से 25 किलोमीटर की रेंज में हेलिकॉप्टर, लड़ाकू विमान और ड्रोन को मार गिराने में सक्षम है. यह सिस्टम पूरी तरह स्वचालित है. 82% स्वदेशी है, जिसे 2026-27 तक 93% स्वदेशी करने की योजना है. ब्राजील गरुड़ तोप प्रणाली और तटीय निगरानी प्रणाली (Coastal Surveillance System) में भी रुचि रखता है. दोनों देश स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के रखरखाव और संयुक्त अनुसंधान व विकास (R&D) में भी सहयोग करना चाहते हैं. एम्ब्रेयर C-390 मिलेनियम: विशेषताएं C-390 मिलेनियम एक आधुनिक, दो इंजन वाला, जेट-संचालित मध्यम परिवहन विमान है, जिसे ब्राजील की एम्ब्रेयर कंपनी ने डिजाइन किया है. यह विमान 2019 से ब्राजीलियाई वायुसेना में सेवा दे रहा है. 2023 में पुर्तगाल की वायुसेना में भी शामिल हुआ. यह विमान अपनी बहुमुखी प्रतिभा, विश्वसनीयता और कम परिचालन लागत के लिए जाना जाता है. नीचे इसकी प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं…      पेलोड क्षमता: C-390 अधिकतम 26 टन कार्गो ले जा सकता है, जो इसे अन्य मध्यम आकार के सैन्य परिवहन विमानों (जैसे लॉकहीड मार्टिन C-130J, जो 20.2 टन ले जा सकता है) से बेहतर बनाता है.       यह दो M113 बख्तरबंद वाहन, एक बॉक्सर बख्तरबंद वाहन, एक सिकोरस्की H-60 हेलिकॉप्टर या 80 सैनिकों या 66 पैराट्रूपर्स को उनके पूर्ण गियर के साथ ले जा सकता है.  गति और रेंज     अधिकतम गति: 870 किमी/घंटा (470 नॉट या मैक 0.8).     रेंज: 26 टन पेलोड के साथ 1,852 किमी (1,080 नॉटिकल मील).     यह तेज गति और लंबी रेंज इसे त्वरित प्रतिक्रिया मिशनों के लिए आदर्श बनाती है.     इंजन: दो IAE V2500-E5 टर्बोफैन इंजन, जो इसे शक्तिशाली और ईंधन-कुशल बनाते हैं. मिशन की बहुमुखी प्रतिभा कार्गो और सैनिकों का परिवहन, हवा से हवा में ईंधन भरना (एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग), मेडिकल निकासी, खोज और बचाव, हवाई अग्निशमन और मानवीय मिशन.  यह कच्ची या अस्थायी हवाई पट्टियों (जैसे मिट्टी, बजरी) पर भी उतर और उड़ान भर सकता है.   नई ISR (Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) वैरिएंट, जिसे C-390 IVR कहा जाता है, समुद्री निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और उन्नत संचार प्रणालियां शामिल हैं. परिचालन विश्वसनीयता 11,500 उड़ान घंटों के साथ 80% परिचालन उपलब्धता और 99% से अधिक मिशन पूरा करने की दर. 2023 में ब्राजीलियाई वायुसेना द्वारा पूर्ण परिचालन क्षमता (FOC) प्राप्त. NATO मानकों के अनुरूप. तीन घंटे से कम समय में विभिन्न मिशनों के लिए पुन: कॉन्फ़िगर किया जा सकता है. गहन देखभाल इकाई (ICU) किट, जो मानवीय मिशनों में चिकित्सा सहायता प्रदान कर सकता है.  भारत के लिए C-390 मिलेनियम के फायदे पुराने विमानों को बदलना  भारतीय वायुसेना के पास अभी एंटोनोव An-32 जैसे पुराने परिवहन विमान हैं. C-390 इनकी जगह ले सकता है और IAF की परिवहन क्षमता को बढ़ा सकता है. यह उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों (जैसे लद्दाख) और त्वरित तैनाती के लिए उपयुक्त है. मेक इन इंडिया को बढ़ावा एम्ब्रेयर और महिंद्रा भारत में C-390 के लिए एक अंतिम असेंबली लाइन (Final Assembly Line) स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. इससे भारत में उच्च-मूल्य विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय रोजगार सृजित होंगे.    यह साझेदारी भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में C-390 का क्षेत्रीय हब बना सकती है, जिससे इंडोनेशिया, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों को निर्यात किया जा सकता है. तकनीक हस्तांतरण (Technology Transfer) के साथ, भारत की रक्षा उद्योग की क्षमता बढ़ेगी. लागत: C-390 की प्रति यूनिट लागत $140-160 मिलियन अनुमानित है, जो लॉकहीड मार्टिन C-130J ($130-167 मिलियन) से थोड़ी कम है. इसकी कम परिचालन लागत और उच्च विश्वसनीयता भारत के लिए लंबे समय के लिए आर्थिक फायदा कराएगी.  नई तकनीकों का विकास    भारत की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) एम्ब्रेयर के साथ रडार, एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के लिए सहयोग कर सकती है. इससे भारत की रक्षा तकनीक में सुधार होगा. C-390 IVR जैसे ISR वैरिएंट भारत की समुद्री निगरानी और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं.  रणनीतिक लाभ C-390 की हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की रेंज और मिशन अवधि को बढ़ा सकती है. यह विमान मानवीय मिशनों (जैसे COVID-19 के दौरान आपूर्ति पहुंचाना) और अंतरराष्ट्रीय सहायता मिशनों में … Read more

तीसरे देश की भूमिका से इनकार ने बढ़ाया तनाव, सेनाध्यक्ष मुनीर ने दी तीखी प्रतिक्रिया

इस्लामाबाद भारत के खिलाफ चीन और तुर्की की मदद के बाद भी बुरी तरह हाल झेलने वाले पाकिस्तान के आर्मी चीफ बौखला गये हैं। भारत के खिलाफ चीन और तुर्की के हथियार बुरी तरह से नाकाम रहे थे, जिससे चीन की पूरी दुनिया में कलई खुल गई है। वहीं तुर्की की ड्रोन इंडस्ट्री भी, जिसने पिछले कुछ सालों से भ्रम पैदा किया था, उसकी भी पोल खुल गई है। जिसके बाद अब पाकिस्तान आर्मी चीफ, चीन और तुर्की को बचाने में लगे हैं। इसीलिए उन्होंने कहा है कि 'भारत के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की किसी ने मदद नहीं की थी।' जबकि पूरी दुनिया जान गई है कि किस तरह से चीन और तुर्की लगातार पाकिस्तान की मदद कर रहे थे। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने रावलपिंडी में दावा करते हुए कहा है कि ' भारत औप पाकिस्तान के बीच का संघर्ष पूरी तरह से द्विपक्षीय था।' यानि उन्होंने किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारा है, जबकि भारतीय सेना ने सबूत देकर कहे हैं कि किस तरह से चीन, पाकिस्तान की लगातार लाइव मदद कर रहा था। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल रावलपिंडी में पूरी तरह से बौखलाए थे और अनाप शनाप आरोप लगा रहे थे। अपनी हार छिपाने और पाकिस्तान की जनता को बर्गलाने के लिए असीम मुनीर ने अपनी हताशा छिपाते हुए कहा कि "भारत की यह रणनीति ब्लॉक पॉलिटिक्स के जरिये पश्चिमी देशों की सहानुभूति लेने और खुद को क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता साबित करने की नाकाम कोशिश है।" आपको बता दें कि मई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और पीओके और पाकिस्तान स्थिति 9 आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमले किए थे, जिनमें दर्जनों आतंकवादी मारे गये थे और इसके बाद भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच करीब 4 दिनों तक संघर्ष चला था। ये 1971 के बाद पहली बार था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर हमला किया था। भारत ने लाहौर के रडार सिस्टम को युद्ध के पहले ही दिन तबाह कर दिया था, जिससे पाकिस्तान सेना असहाय हो गई थी। पाकिस्तानी सेना ने 'तीसरे पक्ष' की भूमिका को नकारा पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ISPR के मुताबिक सम्मेलन में भारत पर पाकिस्तान में होने वाले आतंकवादी हमलों का आरोप लगाया गया है और मारे गये जवानों के लिए फातेहा पढ़ा गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में फैसला लिया गया है कि "भारत के एजेंटों और आतंकवादी प्रॉक्सी नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।" फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने कहा कि "पहलगाम के बाद की बौखलाहट" में भारत अब नए-नए प्रॉक्सी इस्तेमाल कर रहा है, जिनमें 'फितना अल खवारिज' और 'फितना अल हिंदुस्तान' जैसी शक्तियां शामिल हैं। आपको बता दें कि मई महीने में चले भारत और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान भारत ने पाकिस्तान के करीब 11 एयरबेस पर सटीक हमले किए थे। जिनमें रावलपिंडी स्थिति नूर खान एयरबेस था। नूर खान एयरबेस पर भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल दागी थी, जिसे इंटरसेप्ट करने में पाकिस्तान नाकाम रहा था। आपको बता दें कि तमाम रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि चीन ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध के दौरान भारतीय सैन्य ठिकानों को लेकर लाइव फीड पाकिस्तान को दी थी। इसके अलावा भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पहले तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन भेजे थे, जिसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया था। हालांकि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के तमाम तुर्की ड्रोन को हवा में ही मार गिराया। जिससे तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन का भ्रम भी टूट गया।