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वडोदरा : महिसागर नदी पर बना पुल टूटा, दो की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

 वडोदरा  गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार को एक बड़ा हादसा हो गया जब वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाला गम्भीरा पुल भरभराकर गिर गया. इस हादसे में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हुए हैं. पुल के गिरते ही पांच वाहन सीधे नदी में जा गिरे, जिनमें एक ट्रक और एक पिकअप वाहन अब भी नदी में फंसे हुए हैं. यह हादसा पादरा क्षेत्र में हुआ जहां महिसागर नदी पर गम्भीरा पुल 43 साल पहले बना था. घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन मौके पर पहुंचा और रेसक्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. पुल गिरने के स्थान पर नदी में पानी जमा है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन अधिकारियों को खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा जिले में पुल ढहने की घटना पर दुख जाहिर किया. इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और कई घायल भी हुए हैं. पीएम मोदी ने मृतकों के परिजनों के लिए सहायता राशि की घोषणा की है. वहीं घायलों को भी आर्थिक मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री ने घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना भी की है. पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा, ''गुजरात के वडोदरा जिले में पुल के ढहने की वजह से हुई जनहानि बेहद दुखद है. जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएँ. घायलों के जल्दी स्वस्थ होने की कामना करता हूँ. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजन को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी. घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएँगे.'' मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश दरअसल वडोदरा जिले की महिसागर नदी पर बना एक पुल ढह गया, जिसकी वजह से 9 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए हैं. पुल ढहने की वजह से 5 गाड़ियां भी नीचे गिर गईं. एक ट्रक बमुश्किल पुल पर अटका हुआ दिखाई दिया. जानकारी के मुताबिक पुल को 1985 में बनाया गया था. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जांच के आदेश दिए हैं. भूपेंद्र पटेल ने बताया हादसे का कारण गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी दुख जाहिर किया. उन्होंने एक्स पोस्ट के जरिए पुल ढहने का कारण भी बताया. मुख्यमंत्री ने लिखा, "आणंद और वडोदरा को जोड़ने वाले गंभीरा पुल के 23 गर्डरों में से एक गर्डर के टूटने से हुई दुर्घटना दुखद है. मैं इस दुर्घटना में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं." नदी में पानी कम, कीचड़ में रेस्क्यू टीम को हो रही मुश्किल रेस्क्यू टीम नाव की मदद से घटनास्थल तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन नदी में पानी कम होने और कीचड़ के जमा होने की वजह से वे मौके तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. पानी में गिरे वाहनों को निकालने की जद्दोजहद में अधिकारी लगे हैं, और पुलिस टीम भी कीचड़ से वाहनों को निकालने की कोशिश कर रही है. पानी में जा गिरे ट्रक को रस्सी से बांधकर निकालने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए यहां क्रेन भी लाया गया है, ताकि रस्सी से बांधकर ट्रक को ऊपर लाया जा सके. इसमें रेस्क्यू टीम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना सुबह 8.30 बजे के आसपास की है. वडोदरा के कलेक्टर अनिल धमेलिया ने बताया कि अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 6 लोग घायल हुए हैं. घायलों में से दो को बेहतर इलाज के लिए वडोदरा के एसएसजी अस्पताल रेफर किया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है और मौके पर NDRF और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौजूद हैं.  कलेक्टर ने बताया कि नदी में अब भी एक ट्रक और एक पिकअप फंसे हुए हैं जिन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है. हादसे के पीछे की वजह पुल का अचानक टूटना बताया जा रहा है. हालांकि, पुल में किसी तरह का क्रैक था, या यह पुल कैसे गिरा इसकी जांच अभी बाकी है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है और तुरंत पुल डिजाइन टीम, मुख्य इंजीनियर और विशेषज्ञों को मौके पर भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही उन्होंने हादसे की विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. बताया जा रहा है कि यह पुल पिछले साल ही मरम्मत किया गया था. पुल पर बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए राज्य सरकार ने तीन महीने पहले 212 करोड़ की लागत से एक नए पुल को मंजूरी दी थी. इस नए पुल के डिजाइन और टेंडरिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार तड़के एक जर्जर पुल के ढह जाने से कई वाहन महिसागर नदी में गिर गए, जिससे कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य को बचा लिया गया। वडोदरा के ज़िला कलेक्टर अनिल धमेलिया ने बताया , “हमने 5 लोगों को बचाया है जिन्हें मामूली चोटें आई हैं और दो की मौत की पुष्टि हो चुकी है। बचाव अभियान जारी है। हमें पता चला है कि पुल का एक हिस्सा अचानक टूट जाने से दो ट्रक, एक ईको वैन, एक पिकअप वैन और एक ऑटो-रिक्शा नदी में गिर गए।” घायलों को वडोदरा जिले के स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है। धमेलिया ने बताया कि बचाए गए 5 लोगों में से 4 को मामूली चोटें आयीं हैं। गुजरात के वडोदरा में मध्य गुजरात को सौराष्ट्र से जोड़ने वाला महिसागर नदी पर बना 45 साल पुराना ब्रिज मंगलवार सुबह अचानक टूट गया। इस हादसे में ब्रिज से गुजर रहे दो ट्रक, एक बोलेरो समेत 4 वाहन नदी में गिर गए। इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई, 3 लोगों को स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू कर बचा लिया। हादसे वाली जगह पर फायर ब्रिगेड की तीन टीमें भेजी गई हैं।ब्रिज के टूटने से दक्षिण गुजरात के पर्यटन और परिवहन व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा। यह पुल भरूच, सूरत, नवसारी, तापी और वलसाड को सौराष्ट्र से जोड़ता था। अब ब्रिज टूटने के बाद दक्षिण गुजरात के लोगों को सौराष्ट्र पहुंचने में ज्यादा समय लगेगा शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, एक ट्रक, एक वैन और एक कार पुल पार कर रहे थे तभी पुल टूट … Read more

हूती विद्रोहियों का लाल सागर में आतंक जारी, हूती के हमले में ग्रीस का जहाज डूबा

सना  यमन के हूती चरमपंथियों ने लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर एक बार फिर से हमले शुरू कर दिए हैं। सोमवार को हूती चरमपंथियों के हमले में लाइबेरिया के झंडे वाले यूनानी कंपनी के जहाज इटरनिटी सी के चालक दल के चार सदस्य मारे गए। यूरोपीय संघ के एक नौसैनिक बल ने मंगलवार को जहाज पर नाविकों की मौत की पुष्टि की है। इसके अलावा समूह ने एक और जहाज पर कब्जा करने और उसे डुबोने का दावा किया है और उसका वीडियो भी शेयर किया है। इस साल जहाज पर हमले में किसी चालक दल के सदस्य की मौत का पहला मामला है। इसके पहले जहाज पर हमले में आखिरी बार जून 2024 में मौते हुई थीं। जहाज पर बम और ड्रोन से बोला गया हमला यह हमले संभावित रूप से लाल सागर के जलमार्ग को निशाना बनाने के एक नये अभियान का शुरुआती संकेत है, जिससे हाल के हफ्तों में अधिक जहाजों का गुजरना शुरू हो गया था। सोमवार रात को जब यह जहाज़ उत्तर दिशा में स्वेज नहर की ओर बढ़ रहा था, तभी छोटी नावों में सवार लोगों और बम से लैस ड्रोन से उस पर हमला किया गया। जहाज पर मौजूद सुरक्षा गार्ड ने भी अपने हथियारों से जवाबी हमला किया। यूरोपीय संघ के ऑपरेशन एस्पाइड्स और निजी सुरक्षा कंपनी एम्ब्रे ने इन विवरणों की जानकारी दी। हूतियों विद्रोहियों को हमले के लिए बताया जिम्मेदार हालांकि हूतियों ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन यमन की निर्वासित सरकार और यूरोपीय संघ के बल ने हमले के लिए विद्रोहियों को दोषी ठहराया है। यूरोपीय संघ के बल ने हताहतों की जानकारी देते हुए कहा कि हमले में घायल चालक दल के एक सदस्य को अपना पैर गंवाना पड़ा है। चालक दल के सदस्य जहाज पर ही फंसे हुए हैं, जो अब लाल सागर में बिना नियंत्रण के बह रहा है। हूतियों ने डुबोया जहाज हूतियों ने रविवार को लाइबेरियाई झंडे वाले, यूनान स्वामित्व वाले बल्क कैरियर ‘मैजिक सीज’ पर ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट-चालित ग्रेनेड और छोटे हथियारों से हमला किया था। इस हमले की वजह से इसके चालक दल के 22 सदस्यों को जहाज़ छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। विद्रोहियों ने बाद में कहा कि यह जहाज़ लाल सागर में डूब गया। एक वीडियो में हथियारबंद लोगों को जहाज पर चढ़ते और बाद में विस्फोट के बाद जहाज को डूबते दिखा गया है। दोनों हमलों और सोमवार को विद्रोहियों को निशाना बनाकर किए गए इजराइली हवाई हमले की वजह से जहाजों को हूती विद्रोहियों द्वारा निशाना बनाने का अभियान फिर से शुरू होने की आशंका उत्पन्न हो गई है। इससे अमेरिकी और पश्चिमी देशों की सेनाएं फिर से क्षेत्र में आ सकती हैं। खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बड़े हवाई हमले में विद्रोहियों को निशाना बनाया है। यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब इजराइल-हमास युद्ध, ईरान-इजराइल युद्ध और ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हवाई हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है।  

सहायक कार्यकारी अधिकारी ए राजशेखर बाबू को चर्च की प्रार्थना में भाग लेने के कारण टीटीडी द्वारा निलंबित कर दिया गया

तिरुपति  तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने अपने एक अधिकारी ए. राजशेखर बाबू को चर्च में प्रार्थना करने के कारण निलंबित कर दिया है। TTD श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करता है। बयान में कहा गया कि अधिकारी को दूसरे धर्म का पालन करने के आरोप में निलंबित किया गया है। TTD के अनुसार, राजशेखर बाबू हर रविवार को अपने गृहनगर, पुत्तूर के एक चर्च में प्रार्थना करने जाते थे। यह बात TTD के ध्यान में आई, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। TTD ने एक बयान में कहा, 'यह TTD के नियमों का उल्लंघन है। एक कर्मचारी के रूप में उन्हें TTD की आचार संहिता का पालन करना चाहिए था। उन्होंने एक हिंदू धार्मिक संगठन के कर्मचारी के रूप में गैरजिम्मेदारी से काम किया है।' जांच और सबूतों के बाद हुआ सस्पेंशन बयान में आगे कहा गया है कि TTD सतर्कता विभाग की रिपोर्ट और अन्य सबूतों की जांच के बाद, नियमों के अनुसार उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। TTD ने पहले मामले की जांच की। फिर, नियमों के अनुसार, राजशेखर बाबू को निलंबित कर दिया गया। केवल हिंदू ही मंदिरों में कर सकते हैं काम फरवरी में, TTD ने 18 कर्मचारियों के खिलाफ गैर-हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी। यह कार्रवाई TTD बोर्ड के नए अध्यक्ष बीआर नायडू की घोषणा के बाद की गई। नायडू ने कहा था कि मंदिर निकाय के संचालित संस्थानों में केवल हिंदुओं को ही काम करने का नियम है। इन कर्मचारियों में छह शिक्षक भी शामिल थे, जो TTD द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में काम करते थे। इन सभी पर गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। छह अन्य कर्मचारियों पर चला डंडा इसके अलावा, एक उप कार्यकारी अधिकारी (कल्याण), एक सहायक कार्यकारी अधिकारी, एक सहायक तकनीकी अधिकारी (इलेक्ट्रिकल), एक छात्रावास कार्यकर्ता, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्सों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। TTD ने आदेश दिया था कि इन कर्मचारियों को तिरुमाला में, TTD के अधीन किसी भी मंदिर में या किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से संबंधित काम के लिए तैनात नहीं किया जाना चाहिए। यह भी निर्णय लिया गया कि यदि वे ऐसी जगहों पर काम कर रहे हैं, तो उन्हें तुरंत स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। TTD ने यह सुनिश्चित किया कि इन कर्मचारियों को मंदिर से जुड़े किसी भी काम में शामिल न किया जाए। इस नियम के तहत एक्शन इन 18 कर्मचारियों को TTD के धार्मिक कार्यों में भाग लेने से रोक दिया गया था। उन्हें TTD के किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मना किया गया था। TTD चाहता था कि ये कर्मचारी मंदिर के किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा न लें। इन कर्मचारियों ने भगवान वेंकटेश्वर के सामने शपथ ली थी कि वे केवल हिंदू धर्म और हिंदू परंपराओं का पालन करेंगे। यह शपथ राजस्व विभाग (Endowments) के GO No 1060 में जारी नियम 9 (vi) के अनुसार थी, जो 24 अक्टूबर, 1989 को जारी किया गया था। इसके बावजूद, वे गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं का पालन कर रहे थे। इसका मतलब है कि उन्होंने मंदिर के नियमों को तोड़ा था।  

केरल की निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन की जेल में दी जाएगी फांसी, जाने नर्स कैसे पहुंचीं हूतियों की जेल में, जानें किसकी हत्या में मिली सजा-ए-मौत

सना यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या में दोषी करार दी गईं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। यहमन में सरकारी अधिकारियों और तलाल के परिवार के साथ बातचीत में शामिल एक सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन ने बताया है कि निमिषा की फांसी की तारीख मुकर्रर कर दी गई है। क्या अब भी है बिचने का रास्ता? जेरोम ने कहा कि जेल के अधिकारियों ने उन्हें फांसी की तारीख बताई है। कि निमिषा पर जिस शख्स की हत्या का आरोप है उसके परिवार से अब भी बातचीत चल रही है, हालांकि कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। यमन के उस परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई थी। यह रकम चुकाने के लिए स्पॉन्सर्स से मदद ली जा रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि निमिषा की जान बचाने के लिए भारत सरकार भी दखल दे सकती है। कहां रहता है निमिषा का परिवार निमिषा केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं। उनकी मां का नाम प्रेमा कुमारी है और वह किसी के घर में नौकरी करती हैं। पिछले साल वह यमन में ही थीं। निमिषा कई साल तक यमन में नर्स की नौकरी करती थीं। 2017 में उनपर यमनी नागरिक की हत्या के आरोप लगे। यमन में मृतक तलाल के ही सहयोग से निमिषा क्लीनिक चलाती थीं। रिपोर्ट में बताया गया कि मानसिक और शारीरिक शोषण से तंग आकर उन्होंने तलाल की हत्या कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखी थी मौत की सजा यमन की निचली अदालत ने पहले निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। यमन के राष्ट्रपति राशद अल आलिमी ने भी निमिषा की सजा पर मुहर लगा दी। निमिषा की सजा माफ होने का एक ही रास्ता था। अगर तलाल का परिवार पैसे के बदले उन्हें रिहा करने पर राजी हो जाता तब निमिषा की फांसी रुक सकती थी। निमिषा प्रिया 2011 में नर्स के रूप में काम करने के लिए केरल के पलक्कड़ से यमन की राजधानी सना आई थीं। वह अपने परिवार के साथ गई थीं लेकिन साल 2014 में उनके पति और बेटी भारत लौट गए। इसी साल विद्रोही समूह हूती ने सना पर कब्जा कर लिया। यमन में गृहयुद्ध के चलते निमिषा भारत नहीं लौट सकीं और उनके पति और बच्चा यमन नहीं जा सके। निमिषा ने तलाल के साथ खोला क्लीनिक निमिषा ने कई अस्पतालों में नर्स का काम करने के बाद यमन में ही अपना क्लीनिक खोल लिया। इसमें प्रिया के साथ यमन के नागरिक तलाल महदी उनके साझीदार थे। हालांकि जल्दी ही निमिषा और तलाल के बीच अनबन होने लगी। दोनों के बीच तल्खी इतनी बढ़ी कि तलाल ने निमिषा के साथ मारपीट शुरू कर दी। साल 2016 में निमिषा ने तलाल पर मारपीट और शोषण का आरोप लगाते हुए पुलिस रिपोर्ट की और तलाल गिरफ्तार हो गया। तलाल ने 2017 में जेल से बाहर आने पर फिर से निमिषा को फिर परेशान करना शुरू कर दिया। यहां तक कि निमिषा का पासपोर्ट भी तलाल ने रख लिया और उनको परेशान करने लगा। आरोप है कि अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को नशीला इंजेक्शन लगाया लेकिन इसकी ओवरडोज से तलाल की मौत हो गई। पानी के टैंक में डाल दी बॉडी तलाल की मौत के मामले की जांच करते हुए अगस्त, 2017 में पुलिस ने निमिषा और उनके साथी अब्दुल हन्नान को गिरफ्तार किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में बताया गया कि तलाल की मौत के बाद निमिषा ने अपने दोस्त अब्दुल हनान की मदद से उसकी बॉडी के टुकड़े कर दिए और पानी के टैंक में डिस्पोज कर दिया। पुलिस की जांच और पेश किए गए सबूतों को अदालत ने ठीक माना। यमनी अदालत ने साल 2018 में प्रिया को हत्या का दोषी ठहराया और 2020 में मौत की सजा सुनाई। अब्दुल हनान को उम्रकैद की सजा सुनाई। यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में प्रिया की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद 2024 में राष्ट्रपति ने निमिषा की सजा को बरकरार रखा। ब्लड मनी देने की कोशिश नाकाम निमिषा प्रिया को मौत की सजा के बाद उनके परिवार ने लगातार कई कोशिशें की हैं। निमिषा की मां मां प्रेमा कुमारी ने पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी पर बातचीत करने की कोशिश की तो भारत सरकार से भी गुहार लगाई। महदी के परिवार से ब्लड मनी बातचीत सफल नहीं हो सकी तो दूसरी ओर यमनी राष्ट्रपति ने भी सजा माफी की अपील खारिज कर दी। हूतियों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध ना होने और यमन में लगातार जारी गृहयुद्ध ने भारतीय अधिकारियों के लिए भी सना में संपर्क साधना मुश्किल किया। इससे प्रिया को फांसी से बचने के सभी रास्ते एक के बाद बंद होते चले गए। बीते आठ साल से जेल में बंद निमिषा की फांसी की तारीख अब आ गई है। निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है।

DRDO ने बनाया अत्याधुनिक Mounted Gun System, फायर करके तुरंत स्थान बदलने की क्षमता

बेंगलुरु भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक नया और अत्याधुनिक माउंटेड गन सिस्टम (MGS) विकसित किया है, जो भारतीय सेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. यह सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE), अहमदनगर ने डिज़ाइन और विकसित किया है. MGS अब सेना के उपयोगकर्ता परीक्षणों (यूज़र ट्रायल्स) के लिए तैयार है. जल्द ही विभिन्न इलाकों में इसका परीक्षण शुरू होगा.  माउंटेड गन सिस्टम (MGS) क्या है? माउंटेड गन सिस्टम एक ऐसी तोप प्रणाली है, जो एक बख्तरबंद हाई-मोबिलिटी वाहन (HMV) पर लगाई जाती है. यह 155 मिलीमीटर/52 कैलिबर की एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) पर आधारित है, जिसे DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) ने विकसित किया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी शूट एंड स्कूट (फायर करके तुरंत स्थान बदलने की) क्षमता, जो इसे आधुनिक युद्ध में बेहद प्रभावी बनाती है. MGS को 8×8 टाट्रा हाई-मोबिलिटी वाहन पर लगाया गया है, जिसे भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) ने बनाया है. यह सिस्टम रेगिस्तान, पहाड़ी इलाकों और ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों जैसे सियाचिन में भी आसानी से काम कर सकता है. यह भारतीय सेना की फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) का हिस्सा है, जिसके तहत सेना को 814 माउंटेड गन सिस्टम की जरूरत है. MGS की प्रमुख विशेषताएं     रेंज और सटीकता: अधिकतम रेंज: 45 किलोमीटर (गोला बारूद के प्रकार पर निर्भर).     उच्च सटीकता: यह सिस्टम पिनपॉइंट एक्यूरेसी के साथ लक्ष्य को भेद सकता है, जो इसे हाई-वैल्यू टारगेट्स जैसे हवाई अड्डों, रडार स्टेशनों और कमांड सेंटर्स को नष्ट करने में सक्षम बनाता है.     शूट एंड स्कूट: MGS की सबसे बड़ी ताकत इसकी तेजी है. यह 80 सेकंड में तैनात होकर फायर करने के लिए तैयार हो जाता है. 85 सेकंड में स्थान बदल सकता है. इससे दुश्मन को जवाबी हमला करने का मौका नहीं मिलता.     फायरिंग रेट: यह एक मिनट में 6 गोले दाग सकता है (बर्स्ट रेट: 3 राउंड्स/30 सेकंड, इंटेंस रेट: 12 राउंड्स/3 मिनट). यह 50 वर्ग मीटर के क्षेत्र को पूरी तरह से निशाना बना सकता है.     मोबिलिटी: यह सिस्टम रेगिस्तान, मैदानी इलाकों और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में काम कर सकता है.     गति: रफ इलाकों में 60 किमी/घंटा और मैदानी इलाकों में 90 किमी/घंटा. इसे रेल या C-17 परिवहन विमान से आसानी से ले जाया जा सकता है.     वजन और डिज़ाइन: कुल वजन: 30 टन (15 टन तोप + 15 टन वाहन). यह 40 टन के पुलों पर आसानी से चल सकता है, जो इसे ज्यादातर इलाकों में उपयोगी बनाता है.     क्रू: 7 सदस्यों के लिए जगह, जो बुलेटप्रूफ केबिन में सुरक्षित रहते हैं.     स्वदेशी तकनीक: MGS में इस्तेमाल होने वाले 80% उपकरण भारत में ही निर्मित हैं, जिसमें 155mm/52 कैलिबर की तोप, गोला-बारूद और वाहन शामिल हैं. यह मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा है, जिसमें भारत फोर्ज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) जैसे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं. अन्य विशेषताएं     स्वचालित गोला-बारूद हैंडलिंग सिस्टम: यह 24 गोले और उनके लिए बाय-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (BMCS) ले जा सकता है.     इंटीग्रेटेड फायर कंट्रोल सिस्टम (FCS): यह आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ACCCS) के साथ संगत है, जो तकनीकी फायर कंट्रोल, फायर प्लानिंग और लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट को आसान बनाता है.     आर्मर्ड केबिन: क्रू को दुश्मन के जवाबी हमले से बचाने के लिए बख्तरबंद केबिन (वर्तमान में स्टील, भविष्य में कम्पोजिट सामग्री). सेना के लिए क्यों है गेम-चेंजर? MGS की कई खूबियां इसे भारतीय सेना के लिए एक गेम-चेंजर बनाती हैं… तेज तैनाती और गतिशीलता: आधुनिक युद्ध में गतिशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. MGS की शूट एंड स्कूट क्षमता इसे दुश्मन के जवाबी हमले से बचाती है. यह मैकेनाइज्ड फोर्सेस की गति के साथ तालमेल रख सकता है. हर इलाके में उपयोगी: चाहे सियाचिन की बर्फीली चोटियां हों, राजस्थान का रेगिस्तान हो, या पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाके, MGS हर स्थिति में प्रभावी है. इसका 8×8 टाट्रा चेसिस इसे ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी चलने में सक्षम बनाता है. स्वदेशी तकनीक का प्रदर्शन: यह सिस्टम पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसे विदेशों में भी निर्यात किया जा सकता है, जैसे कि आर्मेनिया को 2023 में 6 यूनिट्स निर्यात की गईं. प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त: MGS की तुलना फ्रांस के सीज़र और इज़राइल के ATMOS जैसे सिस्टम्स से की जा रही है, जिन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी प्रभावशीलता साबित की है. यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में मजबूत बनाता है. परीक्षण और प्रगति परीक्षण: MGS ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (PFFR) में सितंबर 2023 में कई परीक्षण पूरे किए, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम रेंज फायरिंग, सटीकता और डायरेक्ट फायरिंग शामिल थी. मोबिलिटी और परफॉर्मेंस: इसने 600 किलोमीटर के आंतरिक परीक्षण और रेगिस्तान व पहाड़ी इलाकों में गतिशीलता परीक्षण पास किए हैं. आर्मर्ड केबिन: बख्तरबंद केबिन के स्टैंडअलोन फायरिंग टेस्ट भी पूरे हो चुके हैं. यूज़र ट्रायल्स: भारतीय सेना जल्द ही विभिन्न इलाकों और मौसम में MGS का परीक्षण शुरू करेगी. ट्रायल्स 2026 तक पूरे होने की उम्मीद है. उद्योग और सहयोग MGS का विकास DRDO की अगुवाई में भारतीय उद्योगों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (DPSU) और प्रमुख शिक्षण संस्थानों के सहयोग से किया गया है.  प्रमुख साझेदार     भारत फोर्ज लिमिटेड: MGS की तकनीक को 7 जून 2025 को हस्तांतरित किया गया.     टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL): ATAGS पर आधारित अपने ट्रक-माउंटेड हॉवित्जर (TMH) के साथ प्रतिस्पर्धा में है.     एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL): धनुष तोप पर आधारित MGS विकसित कर रहा है.     BEML: 8×8 टाट्रा चेसिस प्रदान करता है. उत्पादन: मार्च 2025 में, रक्षा मंत्रालय ने ₹6,900 करोड़ की लागत से 307 ATAGS यूनिट्स के लिए भारत फोर्ज और टाटा के साथ अनुबंध किए. सेना को कुल 700-800 MGS यूनिट्स की जरूरत है. वैश्विक संदर्भ और निर्यात की संभावना हाल के रूस-यूक्रेन युद्ध ने माउंटेड गन सिस्टम्स की अहमियत को उजागर किया है. फ्रांस का सीज़र और इज़रायल का ATMOS जैसे सिस्टम्स ने तेज गतिशीलता … Read more

आज 9 जुलाई को बड़े स्तर पर भारत बंद की तैयारी, बैंकिंग, इंश्योरेंस, पोस्टल सेवा समेत विभिन्न क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते

नई दिल्ली आज बुधवार को बड़े स्तर पर भारत बंद की तैयारी है। अनुमान है इस बंद में बैंकिंग, इंश्योरेंस, पोस्टल सेवा समेत विभिन्न क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुलाई है और इसे भारत बंद का नाम दिया है। यह भारत बंद सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों के विरोध में बुलाया गया है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने कहाकि हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के भाग लेने की उम्मीद है। किसान और ग्रामीण कर्मचारी भी देशभर में इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि हड़ताल के कारण बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखाने, राज्य परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी। सरकार की नीतियों पर सवाल भारत बंद कर रहे संगठनों ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17-सूत्रीय मांगों का एक चार्टर सौंपा था। इनका कहना है कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं कर रही है। यह मजदूरों-कर्मचारियों के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है। मजदूर संगठनों के मंच ने यह आरोप भी लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, मजदूरी में गिरावट आ रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी नागरिक सुविधाओं में सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती हो रही है। ये सभी गरीबों, निम्न आय वर्ग के लोगों के साथ मध्यम वर्ग के लिए और अधिक असमानता और अभाव पैदा कर रहे हैं। इस बात का लगाया आरोप मंच ने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी विभागों में युवाओं को नियमित नियुक्तियां देने के बजाय रिटायर्ड लोगों को ही काम पर रखने की नीति देश को आगे नहीं ले जाएगी। वजह, 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम आयु की है। वहीं, बेरोजगारों की संख्या 20 से 25 साल के आयु वर्ग के लोगों में सबसे अधिक है। बयान में कहा गया है कि हम सरकार से बेरोजगारी पर ध्यान देने, स्वीकृत पदों पर भर्ती करने, अधिक नौकरियों के सृजन, मनरेगा श्रमिकों के कार्य दिवसों एवं मजदूरी में बढ़ोतरी के साथ शहरी क्षेत्रों के लिए भी समान कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ईएलआई (रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना लागू करने में व्यस्त है। यह भी हड़ताल में रहेंगे शामिल एनएमडीसी लिमिटेड और अन्य गैर-कोयला खनिज, इस्पात, राज्य सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के श्रमिक नेताओं ने भी हड़ताल में शामिल होने का नोटिस दिया है। श्रमिक नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है और ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर लामबंदी करने का फैसला किया है। श्रमिक संगठनों ने इसके पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को भी इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी।  देशभर में आज  9 जुलाई को भारत बंद का ऐलान किया गया है। यह बंद 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर बुलाया है। इनमें बैंक, बीमा, डाक, कोयला खदान, हाईवे और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टरों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों के शामिल होने की उम्मीद है। इस विरोध प्रदर्शन को ' भारत बंद ' नाम दिया गया है। यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियां कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाली और मजदूरों के खिलाफ हैं। ग्रामीण भारत से किसान और खेतिहर मजदूर भी इस बंद में शामिल होंगे। अडानी ने किसे दिया बिना शर्त 12600 करोड़ रुपये का ऑफर? इस कंपनी को खरीदने का है प्लान बंद में इन ट्रेड यूनियनों का समर्थन इस हड़ताल में कई प्रमुख राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं। इनमें ये शामिल हैं:     इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)     ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)     हिंद मजदूर सभा (HMS)     सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)     ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)     ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC)     सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन (SEWA)     ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU)     लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)     यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) क्या खुला है, क्या बंद रहेगा? इस हड़ताल से कई क्षेत्रों पर असर पड़ने की उम्मीद है। इनमें बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं, डाक विभाग, कोयला खनन और कारखाने, राज्य परिवहन सेवाएं, सरकारी कार्यालय शामिल हैं। एनएमडीसी और स्टील व खनिज क्षेत्रों की कई सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने की पुष्टि की है। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के उद्योगों और सेवाओं में मजबूत भागीदारी देखने को मिलेगी। क्या बैंक बंद रहेंगे? बैंकिंग यूनियनों ने अलग से बंद के कारण सेवाओं में व्यवधान की पुष्टि नहीं की है। लेकिन, बंद आयोजकों के अनुसार वित्तीय सेवाएं प्रभावित होंगी। बंद आयोजकों ने कहा कि हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सहकारी बैंकिंग क्षेत्रों के कर्मचारी शामिल हैं। इससे कई क्षेत्रों में शाखा सेवाएं, चेक क्लीयरेंस और ग्राहक सहायता जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस का क्या होगा? 9 जुलाई को स्कूल, कॉलेज और प्राइवेट ऑफिस खुले रहने की उम्मीद है। हालांकि, परिवहन संबंधी समस्याओं के कारण कुछ क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। ट्रेड यूनियनों और सहयोगी ग्रुप की ओर से कई शहरों में विरोध मार्च और सड़क प्रदर्शन किए जाने से सार्वजनिक बसें, टैक्सियां और ऐप-आधारित कैब सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इससे स्थानीय यात्रा और लॉजिस्टिक्स संचालन में देरी या रद्द होने की संभावना है। क्या रेल सेवाएं प्रभावित होंगी? 9 जुलाई को देशव्यापी रेलवे हड़ताल की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम की आशंका है, जिससे कुछ क्षेत्रों में ट्रेन सेवाएं बाधित हो सकती हैं या उनमें देरी हो सकती है। रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से भारत बंद में भाग नहीं लिया है। लेकिन, पहले हुईं इस तरह की हड़तालों में देखा गया है कि प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशनों के पास या पटरियों पर प्रदर्शन करते … Read more

घुसपैठिया बताकर बंगाल निवासियों को टारगेट कर रही असम सरकार: ममता बनर्जी का आरोप

कोलकाता  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को असम सरकार पर जुबानी हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के एक निवासी को घुसपैठिया बताकर उसे परेशान कर रही है। सीएम ममता ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "मैं यह जानकर स्तब्ध और बहुत परेशान हूं कि असम में विदेशी न्यायाधिकरण ने कूचबिहार के दिनहाटा निवासी उत्तम कुमार ब्रजबासी को एनआरसी नोटिस जारी किया है। वे राजबंशी हैं और 50 साल से अधिक समय से यहां रह रहे हैं। वैध पहचान दस्तावेज प्रस्तुत करने के बावजूद उन्हें 'विदेशी/अवैध प्रवासी' होने के संदेह में परेशान किया जा रहा है।" मुख्यमंत्री ने इस घटनाक्रम को लोकतंत्र पर व्यवस्थित हमला और इस बात का सबूत बताया कि असम में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार बंगाल में एनआरसी लागू करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, "हाशिए पर पड़े समुदायों को डराने, उनके अधिकारों को छीनने और उन्हें निशाना बनाने का एक पूर्व-नियोजित प्रयास किया जा रहा है। यह असंवैधानिक अतिक्रमण जनविरोधी है और लोकतांत्रिक सुरक्षा उपायों को ध्वस्त करने तथा बंगाल के लोगों की पहचान मिटाने के भाजपा के खतरनाक एजेंडे को उजागर करता है।" उन्होंने सभी गैर-भाजपा दलों से ऐसे घटनाक्रमों पर एकजुट होने का भी आह्वान किया। सीएम ममता ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति सभी विपक्षी दलों के बीच भाजपा की विभाजनकारी और दमनकारी मशीनरी के खिलाफ खड़े होने के लिए तत्काल एकता की मांग करती है। बंगाल चुपचाप नहीं बैठेगा क्योंकि भारत का संवैधानिक ताना-बाना बिखर रहा है। कूचबिहार जिले के दिनहाटा के रहने वाले एक व्यक्ति का मामला सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने उठाया था। उन्होंने कहा था, "जो व्यक्ति 1966 में वोटर लिस्ट में शामिल हुआ था, उसे एनआरसी (नागरिकता रजिस्टर) का नोटिस कैसे दिया जा सकता है?" पिछले महीने मुख्यमंत्री ने बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए नए मतदाता सूची संशोधन दिशानिर्देशों पर सवाल उठाया था और आशंका व्यक्त की थी कि ये नए दिशानिर्देश एनआरसी के कार्यान्वयन की दिशा में एक और कदम हो सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि हालांकि ये नए दिशानिर्देश इस साल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जारी किए गए हैं, लेकिन इन नए दिशानिर्देशों का 'मुख्य लक्ष्य" पश्चिम बंगाल है, जहां अगले साल महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव भी होने हैं। सीएम ममता की टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि ममता बनर्जी को अब एहसास हो गया है कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए, जिनमें रोहिंग्या पृष्ठभूमि के लोग भी शामिल हैं, जो लंबे समय से उनके 'समर्पित वोट बैंक' रहे हैं, अब बाहर निकाल दिए जाएंगे।

विमान हादसे की जांच में प्रगति, AAIB ने एयर इंडिया मामले पर सौंपी प्रारंभिक रिपोर्ट

नई दिल्ली विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने एयर इंडिया 171 हादसे पर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट नागर विमानन मंत्रालय और अन्य संबंधित अधिकारियों को सौंप दी है। एनडीटीवी की रिपोर्ट में कहा गया कि शीर्ष सरकारी अधिकारियों के बताया है कि प्रारंभिक आकलन और शुरुआती निष्कर्षों पर आधारित यह रिपोर्ट इस सप्ताह के अंत में सार्वजनिक होने की उम्मीद है। लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171, 12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दुखद दुर्घटना में विमान में सवार 241 लोग और जमीन पर मौजूद 19 लोग मारे गए थे। एआई171 के सीवीआर और एफडीआर दोनों बरामद कर लिए गए। इनमें से पहला 13 जून, 2025 को दुर्घटना स्थल पर इमारत की छत से और दूसरा 16 जून, 2025 को मलबे से मिला था। एयर इंडिया की फ्लाइट की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के बाद, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) ने तुरंत जांच शुरू की और निर्धारित मानदंडों के अनुसार 13 जून 2025 को एक बहु-विषयक टीम का गठन किया गया था। अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार, गठित इस टीम का नेतृत्व एएआईबी के महानिदेशक करते हैं और इसमें एक विमानन देखभाल विशेषज्ञ, एक एटीसी अधिकारी और नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (एनटीएसबी) के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन की सरकारी जांच एजेंसी है और इस जांच के लिए आवश्यक है। इससे पहले, भारत में घरेलू स्तर पर प्रमुख दुर्घटनाओं से ब्लैक बॉक्स डेटा का विश्लेषण करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ब्लैक बॉक्स को आमतौर पर यूके, यूएस, फ्रांस, इटली, कनाडा और रूस जैसे देशों में डिकोडिंग के लिए विदेश भेजा जाता था। हालांकि, दिल्ली में सभी तरह की सुविधाओं से लैस एएआईबी लैब की स्थापना के साथ, अब देश के भीतर ही कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर दोनों को डिकोड किया जा सकता है।

अमरनाथ यात्रा में आस्था का सैलाब, अब तक 90 हजार से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन

श्रीनगर पिछले पांच दिनों से अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से जारी है और हर दिन तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को 7,541 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था कश्मीर के लिए रवाना हुआ। 03 जुलाई से शुरू हुई यात्रा में अब तक 90 हजार से ज्यादा लोग शामिल हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से 7,541 यात्रियों का जत्था दो सुरक्षित काफिलों में घाटी के लिए रवाना हुआ। पहला काफिला, जिसमें 148 वाहन थे और 3,321 यात्री थे, सुबह 2:55 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। वहीं, दूसरा काफिला, जिसमें 161 वाहन और 4,220 यात्री थे, सुबह 4:03 बजे नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि भगवती नगर यात्री निवास से घाटी पहुंचने वाले यात्रियों के अलावा, कई श्रद्धालु सीधे ट्रांजिट कैंपों और दो बेस कैंपों पर पहुंचकर तुरंत पंजीकरण करवाकर अमरनाथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। यह यात्रा पहलगाम हमले के बाद हो रही है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी। 180 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियों को सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत बढ़ाने के लिए लाया गया है। जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से गुफा मंदिर तक के पूरे रास्ते और दोनों आधार शिविरों के रास्ते में सभी पारगमन शिविरों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित कर लिया है। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत को बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां लाई गई हैं। पूरे मार्ग को सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षित कर लिया गया है। हर साल की तरह इस साल भी स्थानीय लोगों ने अमरनाथ यात्रा में पूरा सहयोग दिया है। पहलगाम आतंकी हमले से कश्मीरियों के आहत होने का संदेश देने के लिए, स्थानीय लोग पहले जत्थे के यात्रियों का स्वागत करने सबसे पहले पहुंचे। जैसे ही यात्री नौगाम सुरंग पार कर काजीगुंड से कश्मीर घाटी में पहुंचे, स्थानीय लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। बता दें कि अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई है और 38 दिनों के बाद 9 अगस्त को समाप्त होगी। श्री अमरनाथ जी यात्रा भक्तों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक तीर्थयात्राओं में से एक है, क्योंकि किंवदंती है कि भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर माता पार्वती को शाश्वत जीवन और अमरता के रहस्य बताए थे।  

रेलवे ट्रैक पार कर रही स्कूल वैन को ट्रेन ने मारी टक्कर, तीन बच्चों की मौत, 10 के गंभीर रूप से घायल

चेन्नई तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में चेम्मन कुप्पम के पास मंगलवार सुबह एक दुखद दुर्घटना हुई, जब एक ट्रेन ने रेलवे क्रॉसिंग पर एक स्कूल वैन को टक्कर मार दी। शुरुआती रिपोर्ट में तीन बच्चों की मौत और स्कूल वैन चालक समेत 10 के गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि हुई है। यह घटना उस समय हुई जब स्कूल वैन चेम्मन कुप्पम के पास रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश कर रही थी। चिदंबरम जाने वाली एक यात्री ट्रेन वैन से टकरा गई, जो लगभग 50 मीटर तक उसे घसीटते हुए ले गई। टक्कर के कारण वैन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और तीन बच्चों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस दुर्घटना में मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि कुछ और छात्रों की हालत गंभीर बताई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दुर्घटना के समय वैन में स्कूली बच्चे और चालक सवार थे। गंभीर रूप से घायल चालक और बच्चों को इलाज के लिए कुड्डालोर सरकारी अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सा अधिकारी उनकी स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं। हादसे के बाद सबसे पहले स्थानीय लोग ही मौके पर पहुंचे और बच्चों को बचाने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस को भी सूचना दी गई। स्थानीय निवासियों और रेलवे अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह हादसा स्कूल वैन चालक की कथित लापरवाही के कारण हुआ बताया जा रहा है। हालांकि 3 बच्चों की मौत के बाद उनके अभिभावकों और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उन्होंने स्कूल क्षेत्रों के पास रेलवे क्रॉसिंग पर कड़े सुरक्षा उपायों की मांग की। फिलहाल रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) और जिला प्रशासन की टीम ने इस घटना की औपचारिक जांच शुरू कर दी है, ताकि दुर्घटना के सही कारणों का पता लगाया जा सके और जिम्मेदारी तय की जा सके। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।