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77 साल बाद बदलेंगे रिश्ते? बड़ा इस्लामिक देश अब्राहम अकॉर्ड में हो सकता है शामिल

तेल अवीव सीरिया में 14 साल तक चले गृह युद्ध के बाद अब हालात सामान्य होने की ओर हैं। अमेरिका ने सीरिया से सारे प्रतिबंध हटा लिए हैं और अब यह इस्लामिक मुल्क दोबारा से सामान्य जनजीवन की ओर बढ़ रहा है। आर्थिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है तो वहीं सुरक्षा व्यवस्था के हालात भी सुधरे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल शारा से मुलाकात भी की और फिर यह ऐलान हुआ। लेकिन अमेरिका की इस रियायत की अब एक वजह सामने आ रही है। दरअसल इजरायल और सीरिया के बीच पहली बार सीधी वार्ता हुई है। यही नहीं खबर है कि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने पर कुछ ऐलान हो सकता है। इसे अब्राहम अकॉर्ड के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है। मध्य पूर्व के मामलों के जानकारों का कहना है कि शायद अमेरिका ने सीरिया से सभी बैन हटाने को लेकर पहले से ही ऐसी डील की होगी कि उसे इजरायल से रिश्ते सुधारने होंगे। अब उसी दिशा में सीरिया बढ़ता दिख रहा है। यदि ऐसा कुछ हुआ तो वैश्विक राजनीति में यह बड़ा बदलाव होगा क्योंकि सीरिया और इजरायल एक तरह से 1948 से ही जंग में हैं। इस तरह 77 साल पुरानी दुश्मनी खत्म होगी। अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच सीधी वार्ता हुई है। यह वार्ता भी बैकचैनल से संयुक्त अरब अमीरात ने कराई है, जो 2020 से ही अब्राहम अकॉर्ड शामिल है। अब तक अब्राहम अकॉर्ड के मेंबर बन चुके हैं ये देश इसीलिए कहा जा रहा है कि सीरिया का इजरायल से रिश्ते सामान्य करना अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार होगा। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में अब्राहम अकॉर्ड कराया था। तब यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान इसमें शामिल हुए थे। पहली बार इस्लामिक मुल्कों ने इजरायल को मान्यता दी थी और उससे रिश्ते सामान्य किए थे। अब ट्रंप प्रशासन चाहता है कि इसका विस्तार हो जाए ताकि मिडल ईस्ट में शांति कराई जा सके। ट्रंप ने मई में ही तीन मिडल ईस्ट देशों का दौरा किया था। इसके अलावा सऊदी अरब में सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शारा से मुलाकात की थी। क्या इजरायल और सीरिया के रिश्ते सामान्य होना इतना आसान है? इन चर्चाओं को लेकर सीरिया के लेखक रॉबिन यासिन कसाब ने कहा कि ऐसा होना मुझे को मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि सीरिया के इजरायल के करीब जाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि 1967 की जंग से रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। इजरायल ने हमारे हिस्से वाले गोलान हाइट्स पर कब्जा जमा रखा है। उस पर भी कुछ फैसला हो, तभी ऐसा संभव है। वहीं इजरायली रक्षा मंत्री गिदिओन सार का कहना है कि हम सीरिया से समझौता करेंगे, लेकिन गोलान हाइट्स के मसले पर पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि सीरिया में अब समझौते को सही मानने वालों की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह है कि लंबे अरसे से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे लोग अब हालात सामान्य होते देखना चाहते हैं।  

प्रतिष्ठित स्कूल की अंग्रेजी की टीचर को नाबालिग छात्र के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में किया अरेस्ट

मुंबई मुंबई से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक प्रतिष्ठित स्कूल की अंग्रेजी की टीचर को नाबालिग छात्र के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल, मामले की जांच जारी है। खबर है कि टीचर ने कई मौकों पर छात्र का यौन शोषण किया था। इसके अलावा वह उसे शराब परोसती थी और फाइव स्टार होटलों में ले जाती थी। पुलिस ने बताया है कि यौन शोषण का यह सिलसिला एक साल से ज्यादा समय तक चला। जब परिवार ने छात्र के व्यवहार में बदलाव देखा, तो उसने कथित तौर पर खुलकर यौन शोषण की बात बताई। हालांकि, परिवार को लगा कि स्कूल पास करने में कुछ ही महीनों का समय बाकी है, तो वो चुप रहे। उन्हें उम्मीद थी कि टीचर बच्चे का पीछा छोड़ देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस ने बताया कि इस साल छात्र बोर्ड की परीक्षा पास कर गया, लेकिन वह डिप्रेशन में था। मामले ने दोबारा तूल तब पकड़ा, जब टीचर ने घरेलू नौकर के जरिए बच्चे से फिर संपर्क साधने की कोशिश की। उसने संदेश भिजवाया कि वह मिलना चाहती है। पुलिस ने कहा, 'तब परिवार ने हमारे पास आने का फैसला किया और केस दर्ज कराया।' ऐसे शुरू हुई हैवानियत टीचर की उम्र 40 साल बताई जा रही है और वह शादीशुदा है। साथ ही उसका एक बच्चा भी है। जबकि, पीड़ित छात्र 11 कक्षा में था और 16 साल का था। शिकायत में कहा गया है कि वह दिसंबर 2023 में हाई स्कूल के वार्षिक समारोह के दौरान डांस ग्रुप बनाने के समय वह कई बार छात्र के संपर्क में आई। तब ही वह उसके प्रति आकर्षित हुई। जनवरी 2024 में उसने पहली बार छात्र के सामने संबंधों का प्रस्ताव रखा। सहेली को बनाया जरिया छात्र ने शुरुआत में दूरी बनाना शुरू कर दी। इसके बाद टीचर ने स्कूल से अन्य उसकी एक महिला मित्र का सहारा लिया और बात आगे बढ़ाई। इस मामले में दोस्त के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। उसने कथित तौर पर पीड़ित छात्र से कहा था कि वो दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं और उम्रदराज महिलाओं और लड़कों के बीच रिलेशनशिप आम बात है। दोस्त से बातचीत के बाद छात्र ने टीचर से मिलने का फैसला किया। एक अधिकारी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, 'वह (टीचर) छात्र को अपनी कार में लेकर एक सूने स्थान पर गई और जबरन कपड़े उतरवा दिए और शोषण किया।' उन्होंने कहा, 'अगले कुछ दिनों में छात्र परेशान रहने लगा, तो उसने उसे एंटी एन्जाइटी पिल्स भी दीं।' इसके बाद टीचर ने उसे दक्षिण मुंबई के अलग-अलग पांच सितारा होटल ले जाना शुरू किया और शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने बताया है कि संबंध बनाने से पहले कई बार टीचर छात्र को शराब पिलाती थी। आरोपी टीचर को बुधवार तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है।  

कोलकाता रेप केस में चौंकाने वाले खुलासे, पीड़िता की मेडिकल जांच में जबरन यौन संबंध, काटने के निशान और खरोंच के निशान पाए गए

    कोलकाता  पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कसबा स्थित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय छात्रा के साथ हुए गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. 25 जून को कॉलेज परिसर के सिक्योरिटी गार्ड के कमरे में हुई इस जघन्य वारदात ने न केवल कानून के मंदिर की पवित्रता को कलंकित किया, बल्कि कॉलेज में लंबे समय से दबदबा बनाए हुए मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा की आपराधिक पृष्ठभूमि को भी उजागर किया. इस मामले में पीड़िता की शिकायत, मेडिकल रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इस घटना ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के छात्र संगठन से जुड़े मनोजीत के राजनीतिक रसूख और कॉलेज प्रशासन की नाकामी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. आइए, इस मामले में हुए 10 नए खुलासों पर नजर डालते हैं… 1. पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि गैंगरेप से पहले उसे पैनिक अटैक हुआ और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उसने अस्पताल ले जाने की गुहार लगाई, लेकिन मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा ने अपने साथी जैब अहमद से इनहेलर लाने को कहा. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कोर्ट में खुलासा किया कि इनहेलर पीड़िता की मदद के लिए नहीं, बल्कि उसकी हालत सुधारने के बाद उसे फिर से यातना देने के लिए लाया गया था. पीड़िता ने इनहेलर लेने के बाद कुछ राहत महसूस की और भागने की कोशिश की, लेकिन मुख्य गेट लॉक होने के कारण वह असफल रही. 2. कोलकाता पुलिस ने कॉलेज के सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल स्टोर की फुटेज हासिल की है, जिसमें जैब अहमद को 25 जून की रात 8:29 बजे इनहेलर खरीदते देखा गया. मेडिकल स्टोर के मालिक ने बताया कि जैब ने 350 रुपये का भुगतान यूपीआई के जरिए किया. पीड़िता की मेडिकल जांच में जबरन यौन संबंध, काटने के निशान और खरोंच के निशान पाए गए, जो उसके प्रतिरोध की पुष्टि करते हैं. मनोजीत के शरीर पर भी ताजा खरोंच और चोट के निशान मिले, जो पीड़िता के संघर्ष का सबूत हैं. 3. पुलिस ने मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा (31), दो छात्रों जैब अहमद (19) और प्रमित मुखर्जी (20), और सिक्योरिटी गार्ड पिनाकी बनर्जी को कल अलीपुर कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने मनोजीत और दो छात्रों को 8 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है, जबकि गार्ड की हिरासत 4 जुलाई तक बढ़ाई गई है. पुलिस का कहना है कि जांच अभी अधूरी है और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है. 4. मनोजीत मिश्रा साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज का पूर्व छात्र और टीएमसी छात्र संगठन का पदाधिकारी है. एक ‘हिस्ट्री-शीटर’ रह चुका है. उसके खिलाफ कोलकाता के कालीघाट, कसबा, अलीपुर, हरिदेवपुर और टॉलीगंज थानों में कई मामले दर्ज हैं, जिनमें 2019 में कॉलेज में एक छात्रा के कपड़े फाड़ने, 2020 में चोरी, 2022 में छेड़छाड़ और 2024 में सिक्योरिटी गार्ड पर हमला और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप शामिल हैं. 5.  रिपोर्ट के मुताबिक, एक पूर्व छात्रा ने बताया कि मनोजीत कॉलेज में सभी के लिए डर का कारण था. उसने कई छात्राओं को परेशान किया, उनकी तस्वीरें मॉर्फ कीं और व्हाट्सएप ग्रुप्स में शेयर कीं. एक अन्य छात्रा ने इंडिया टुडे को बताया कि दो साल पहले एक कॉलेज ट्रिप के दौरान मनोजीत ने उसके साथ छेड़छाड़ की और विरोध करने पर उसे और उसके परिवार को धमकी दी. कम से कम 15 छात्राओं के साथ उसकी हरकतों की शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. 6. पुलिस ने मनोजीत के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स की जांच की, जिसमें पता चला कि घटना के अगले दिन सुबह उसने कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डॉ. नयना चटर्जी से बात की थी. पुलिस ने उपप्राचार्य से दो बार पूछताछ की है और इस बातचीत के मकसद का पता लगाने की कोशिश कर रही है. यह खुलासा मामले में कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाता है. 7. साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज ने मनोजीत मिश्रा की अस्थायी नौकरी समाप्त कर दी है और जैब अहमद व प्रमित मुखर्जी को निष्कासित कर दिया. कॉलेज ने अनिश्चितकाल के लिए कक्षाएं निलंबित कर दी हैं. गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष और टीएमसी विधायक अशोक कुमार देब ने कहा कि सिक्योरिटी एजेंसी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा. 8. मनोजीत मिश्रा के टीएमसी छात्र संगठन (TMCP) के दक्षिण कोलकाता जिला संगठन सचिव होने की वजह से यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो गया है. बीजेपी ने मनोजीत की तस्वीरें टीएमसी नेताओं, जैसे अभिषेक बनर्जी और चंद्रिमा भट्टाचार्जी के साथ शेयर कर सरकार पर निशाना साधा. टीएमसी ने दावा किया कि मनोजीत का संगठन से कोई सक्रिय संबंध नहीं था और उसे कड़ी सजा दी जाएगी. 9. अलीपुर कोर्ट में सुनवाई के दौरान सैकड़ों वकील बिना अनुमति कोर्ट रूम में घुस आए, जिससे हंगामा मच गया. एक पक्ष ने आरोपियों के लिए कड़ी सजा की मांग की, जबकि दूसरा पक्ष निष्पक्ष जांच की वकालत कर रहा था. मनोजीत के वकील ने दावा किया कि यह मामला उनके मुवक्किल के खिलाफ साजिश है और पुलिस को पीड़िता का फोन और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच करनी चाहिए. 10. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज में कॉलेज परिसर में शाम 4 बजे के बाद मौजूद 16 लोगों की सूची तैयार की है, जिनमें से 6 से पूछताछ की जा चुकी है. जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस वारदात में और लोग शामिल थे. एक छोटा वीडियो क्लिप (1 मिनट 30 सेकंड) भी बरामद हुआ है, जो पीड़िता के बयान की पुष्टि करता है.

अब प्राइवेट नंबर की बाइक भी कर सकेंगे बुक, सरकार का बड़ा फैसला, पीक ऑवर में दोगुना किराया… जारी की गाइडलाइन

नई दिल्ली ऐप या एग्रीगेटर्स के जरिये अब आप प्राइवेंट नंबर की बाइक बुक कर सफर पर निकल सकेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को पहली बार एग्रीगेटर्स के जरिये पैसेंजर यात्रा के लिए गैर-परिवहन (निजी) मोटरसाइकिलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी, जो राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्र की गाइडलाइंस में कहा गया है कि राज्य सरकार एग्रीगेटर्स के जरिये पैसेंजर द्वारा यात्रा के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एकत्रीकरण (एग्रीगेशन) की अनुमति दे सकती है। इसका फायदा यह होगा कि यातायात की भीड़ और वाहन प्रदूषण में कमी आएगी। इसके अलावा, सस्ती यात्री गतिशीलता, हाइपरलोकल डिलीवरी और आजीविका के अवसर पैदा होंगे।  केंद्र सरकार ने बाइक टैक्सी को मंजूरी दे दी है। सरकार ने 1 जुलाई को मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 जारी किए, जिनमें निजी (गैर-परिवहन) बाइक को यात्री सेवा के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों की मंजूरी जरूरी होगी। रैपिडो, उबर और ओला जैसी बाइक टैक्सी प्लेटफॉर्म के लिए यह बहुत बड़ी राहत है। राज्यों को प्रतिदिन, साप्ताहिक या 15 दिनों के हिसाब से शुल्क लगाने का अधिकार दिशानिर्देश में कहा गया है कि इस पहल से न केवल ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि लोगों को सस्ता परिवहन विकल्प भी उपलब्ध होगा। साथ ही, हाइपरलोकल डिलीवरी सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। राज्य सरकारों को एग्रीगेटर कंपनियों पर प्रतिदिन, साप्ताहिक या 15 दिनों के हिसाब से शुल्क लगाने का अधिकार होगा। बाइक्स को मिली मंजूरी MVAG 2025 राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन एग्रीगेटर्स के माध्यम से नॉन-ट्रांसपोर्ट (निजी) मोटरसाइकिलों के उपयोग की अनुमति देकर एक लंबे समय से चली आ रही बहस को भी खत्म करता है. नई गाइडलाइन के अनुसार, "राज्य सरकार एग्रीगेटर्स के माध्यम से नॉन-ट्रांसपोर्ट (निजी) मोटरसाइकिलों को भी शेयर्ड मोबिलिटी के तौर पर अनुमति दे सकती हैं. जिसका उद्देश्य ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करते हुए सस्ती मोबिलिटी प्रदान करना है.  इसका मतलब है कि अब मोटरसाइकिलों को भी कैब सर्विस के रूप में इस्तेमाल करने का रास्ता साफ हो गया है. गाइडलाइन के क्लॉज 23 के अनुसार राज्यों को ऐसी मोटरसाइकिलों के उपयोग के लिए एग्रीगेटर्स पर दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक शुल्क लगाने का अधिकार होगा. रैपिडो और उबर जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटर, जो कई राज्यों में विनियामक ग्रे ज़ोन में काम करते हैं – जिसमें कर्नाटक भी शामिल है, जहाँ हाल ही में प्रतिबंध के कारण विरोध प्रदर्शन हुए थे – ने इस कदम का स्वागत किया है. रैपिडो ने इस क्लॉज को "विकसित भारत की दिशा में मील का पत्थर" कहा, और कहा कि यह परिवर्तन लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और कम सेवा वाले क्षेत्रों में किफायती परिवहन का विस्तार करने में मदद करेगा.  बता दें कि, मोटर व्हीकल एग्रीग्रेटर गाइडलाइन (MVAG) का ये नया एडिशन पिछले 2020 संस्करण की जगह लेगा. इस नए गाइडलाइन के जरिए आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाले रोजाना की मोबिलिटी को असाना बनाने का प्रयास किया गया है.  केंद्र सरकार के फैसले से बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिली केंद्र के इस फैसले से उन ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिली है जो अब तक कई राज्यों में कानूनी अनिश्चितता में काम कर रही थीं। हालांकि, इसका असली असर तब देखने को मिलेगा जब राज्य सरकारों की ओर से इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। कर्नाटक में 16 जून से बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। उबर और रैपिडो ने किया स्वागत केंद्र सरकार का यह फैसला रैपिडो और उबर जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देता है, जो लंबे समय से कानूनी ग्रे एरिया में काम कर रहे हैं, खासकर कर्नाटक जैसे राज्यों में, जहां हाल ही में बाइक टैक्सियों पर प्रतिबंध के चलते व्यापक विरोध हुआ था। उबर और रैपिडो सहित अन्य ऐसी कंपनियों ने इस कदम का स्वागत किया है। उबर ने गाइडलाइंस की सराहना करते हुए कहा कि यह इनोवेशन और विनियामक स्पष्टता को बढ़ावा देने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है।  उबर के प्रवक्ता ने कहा कि हम मंत्रालय के परामर्शी और संतुलित दृष्टिकोण की सराहना करते हैं और फ्रेमवर्क के प्रभावी और समावेशी रोलआउट का समर्थन करने के लिए सभी स्तरों पर सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रैपिडो ने विशेष रूप से MVAG 2025 के खंड 23 के संचालन का स्वागत किया। यह खंड यात्री यात्राओं के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एकत्रीकरण की अनुमति देता है। इसे रैपिडो ने भारत की विकासशील भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर बताया। रैपिडो ने एक बयान में कहा कि गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों (निजी बाइक) को साझा गतिशीलता के साधन के रूप में मान्यता देकर, सरकार ने लाखों लोगों के लिए अधिक किफायती परिवहन विकल्पों के द्वार खोले हैं, खासकर वंचित और अति-स्थानीय क्षेत्रों में। शेयर्ड मोबिलिटी ईकोसिस्टम में अहम बदलाव आया साल 2020 से, भारत के साझा गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र (शेयर्ड मोबिलिटी ईकोसिस्टम) में तेजी से और महत्वपूर्ण बदलाव आया है। सरकार ने 2020 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 93 के तहत मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 जारी किए। बाइक-शेयरिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की शुरुआत और ऑटो-रिक्शा की सवारी सहित विविध और लचीले गतिशीलता समाधानों की मांग में वृद्धि ने उपभोक्ता आधार को व्यापक बनाया है। मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 को मोटर वाहन एग्रीगेटर ईकोसिस्टम में विकास के साथ नियामक ढांचे को अपडेट रखने के लिए संशोधित किया गया है। नए गाइडलाइंस यूजर्स की सुरक्षा और चालक के कल्याण के मुद्दों पर ध्यान देते हुए एक हल्के-फुल्के नियामक प्रणाली प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

‘कोरोना वैक्सीन और अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई संबंध नहीं’, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली कोविड-19 वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों को लेकर जो डर और सवाल थे, अब उन पर जवाब मिल गया है. ICMR और AIIMS की नई स्टडी में साफ कहा गया है कि भारत में वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन मौतों की वजह वैक्सीन नहीं, बल्कि पहले से मौजूद बीमारियां, खराब जीवनशैली और शरीर की बनावट (आनुवांशिक कारण) हैं. यानी अगर किसी को दिल की बीमारी, शुगर या हाई ब्लड प्रेशर पहले से है और इलाज सही नहीं हुआ तो मौत का खतरा बढ़ सकता है. इसका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है. स्टडी से ये भी साफ हुआ है कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और लोगों को इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है. स्टडी से क्या चला पता? स्टडी में पता चला है कि वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. ज्यादातर मामलों में मौत की वजह पहले से मौजूद बीमारियां, आनुवांशिक कारण और अस्वस्थ जीवनशैली रही. साथ ही वैक्सीन से होने वाले गंभीर दुष्प्रभाव बेहद दुर्लभ हैं. विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के युवाओं में अचानक हुई मौतों की जांच के लिए दो अहम रिसर्च स्टडीज की गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि युवाओं में हो रहे हार्ट अटैक और कोरोना वैक्सीन के बीच कोई लिंक नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि आईसीएमआर की ओर से की गई स्टडीज में कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच किसी लिंक का पता नहीं चला है.  यह स्टडी देश के 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 के बीच की गई थी. यह स्टडी ऐसे लोगों पर की गई, जो पूरी तरह से स्वस्थ थे लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच उनकी अचानक मौत हो गई. स्टडी से पता चला कि कोरोना वैक्सीन की वजह से युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम नहीं बढ़ा है. युवाओं की अचानक हो रही मौतों का इससे कोई कनेक्शन नहीं है. यह स्टडी ऐसे समय में सामने आई है जब देशभर में युवाओं में हार्ट अटैक से हो रही मौतों के मामले बढ़े है. आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल अचानक हो रही इन मौतों के पीछे का कारण समझने की दिशा में काम कर रही है. इस स्टडी में जीवनशैली और पूर्व की स्थितियों को अचानक हो रही मौतों का प्रमुख कारण माना गया है. सिद्धारमैया के बयान के एक दिन बाद स्टडी हुई सार्वजनिक आईसीएमआर और एम्स की इस स्टडी को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के उस बयान के एक दिन बाद सार्वजनिक किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को जल्दबाजी में दी गई मंजूरी  और उसका डिस्ट्रीब्यूशन राज्य में युवाओं की अचानक हो रही मौतों का कारण हो सकता है. उन्होंने कोरोना वैक्सीन के संभावित साइट इफैक्ट की स्टडी के लिए एक पैनल के गठन करने का भी ऐलान किया था.  कर्नाटक के सीएम के बयान पर सरकार की सफाई दरअसल कर्नाटक के हासन जिले में दिल का दौरा पड़ने से कई युवाओं की मौत हुई है, जिसके बाद कर्नाट के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने एक बयान में दिल का दौरा पड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार बताया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके दावे को खारिज कर दिया है। सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि जल्दबाजी में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी गई और फिर तेजी से वैक्सीन का वितरण किया गया, ऐसे में हो सकता है कि अचानक हो रही मौतों की वजह कोरोना वैक्सीन भी हो सकती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि 'अगर किसी को भी सीने में दर्द, या सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में अपना चेकअप कराएं और लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।' सरकार ने कहा- अचानक मौत होने के कई कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अचानक हो रहीं मौतों की देश की विभिन्न एजेंसियों ने जांच की है और जांच में पाया गया है कि इनका कोरोना वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं हैं। आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी अपने अध्ययन में इसकी पुष्टि की है। सरकार ने कहा कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावकारी है और इसके दुर्लभ ही किसी पर गंभीर परिणाम दिखे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अचानक हो रही मौतों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जेनेटिक्स, हमारा रहन-सहन और दिनचर्या, पहले से कोई बीमारी और कोरोना संक्रमित होने के बाद की दिक्कतें शामिल हैं।  आईसीएमआर और एनसीडीसी ने 18 से 45 साल के लोगों के बीच अध्ययन किया। यह अध्ययन मई 2023 से लेकर अगस्त 2023 तक 47 क्षेत्रीय अस्पतालों और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। इस अध्ययन में उन लोगों की जांच की गई जो अक्तूबर 2021 से लेकर मार्च 2023 के बीच अचानक मौत का शिकार हुए। अध्ययन में पता चला कि इन अचानक मौतों का कोरोना वैक्सीन से संबंध नहीं है। अब एम्स द्वारा भी ऐसा ही एक अध्ययन किया जा रहा है, जिसकी फंडिंग आईसीएमआर द्वारा की गई है।   अध्ययन में पाया गया है कि जेनेटिक म्यूटेशन के चलते दिल का दौरा पड़ने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। अभी अध्ययन चल रहा है और इसके पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। सरकार ने चेताया कि जो दावे किए जा रहे हैं, वे आधारहीन हैं और इनसे आम जनता का कोरोना वैक्सीन में विश्वास कमजोर होगा, जबकि कोरोना वैक्सीन की वजह से ही कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बची थी। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सीएम ने दावा किया कि बीते महीने में हासन जिले में 20 से ज्यादा लोगों की मौत अचानक हुई है।   

असम में गोमांस के खिलाफ ऑपरेशन, 112 रेस्टोरेंट पर रेड में 1,000 किलो मांस जब्त, 132 गिरफ्तार

गुवाहाटी असम में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने गोमांस के खिलाफ अभियान शुरू करा दिया है. पिछले महीने ही इस अभियान के संकेत देने वाले सरमा के निर्देश पर असम पुलिस (Assam Police) ने पूरे राज्य में मांस परोसने वाले रेस्टोरेंट्स पर छापेमारी की है. इस दौरान 100 से ज्यादा रेस्टोरेंट पर मारे गए छापे में करीब 1,000 किलोग्राम संदिग्ध गोमांस जब्त करके सैंपल भरे गए हैं, जिनकी जांच लैब में कराई जाएगी. इस दौरान 132 लोगों को हिरासत में लिया गया है. यह अभियान राज्य में गोमांस और गाय-बैल आदि को लेकर पिछले महीने शुरू हुए राजनीतिक टकराव के बाद चलाया गया है, जिन्हें मुख्यमंत्री सरमा ने राज्य में ईद-उल-जुहा (Eid-Ul-Zuha) के बाद से अशांति फैलाने की कोशिशों का हिस्सा बताया था. 112 दुकानों में की गई छापेमारी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असम पुलिस (Assam Police) ने मंगलवार को यह अभियान चलाया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम पुलिस के IG (कानून-व्यवस्था) अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि मंगलवार रात 8 बजे पूरे राज्य में 112 मांस परोसने वाले रेस्टोरेंट्स में छापेमारी की गई. यह प्रदेशव्यापी छापेमारी रेस्टोरेंट्स में अवैध तरीके से गोमांस बेचने की शिकायतें मिलने के बाद की गई है. इस दौरान 132 लोगों को मांस बेचने की अनुमति लिए बिना इसे परोसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जबकि 1,084 किलोग्राम संदिग्ध गोमांस के सैंपल भरे गए हैं. असम पुलिस ने डिब्रूगढ़, नागौन, होजई, कामरूप, कोकराझार, दरभंगा और मोरीगांव इलाके में छापेमारी की थी. पिछले महीने गोवंश के अवशेष मिलने पर हुआ था बवाल पिछले महीने असम में कई जगह गोवंश के अवशेष मिलने पर बवाल हुआ था. धुबरी, गोलपाड़ा और लखीमपुर जिलों में मंदिरों के करीब ये अवशेष मिले थे. इसके बाद कई जगह हंगामा मचा था. पुलिस ने अकेले धुबरी से 150 लोगं को इस मामले में गिरफ्तार किया था. तब मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया था कि ईद वाले दिन के बाद से जगह-जगह सुनियोजित तरीके से अशांति फैलाने की साजिश रची जा रही है. 

साइबर ठगों ने वर्ष 2024 में देशभर में नए-नए तरीकों से 22,811 करोड़ रुपये उड़ाए

नई दिल्ली साइबर क्राइम के कई मामले हमें हर रोज देखने को मिलते हैं. स्कैमर्स लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. अगर आंकड़ों की बात करें, तो साल 2024 में 22811.95 करोड़ रुपये की ठगी लोगों से साइबर अपराधियों ने की है. ये वो आंकड़ा है, जिसे लोगों ने रिपोर्ट किया है.  इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर I4C के मुताबिक, साल 2024 में NCRP पर 19.18 लाख शिकायतें आई हैं. ये शिकायतें साइबर क्राइम से जुड़ी हुई हैं, जिसमें लोगों ने 22,811.95 करोड़ रुपये गंवा दिए हैं. इन आंकड़ों के साथ भारत दुनिया के सबसे ज्यादा साइबरक्राइम का शिकार होने वाले देशों में शामिल हो जाता है.  हर साल बढ़ रहे साइबर अटैक के मामले भारत में साल-दर-साल साइबर क्राइम का आंकड़ा बढ़ रहा है. GIREM की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मैलवेयर अटैक्स में 11 फीसदी, रैंसमवेयर में 22 परसेंट, IoT अटैक्स में 59 परसेंट और क्रिप्टो हमलों में कुल मिलाकर 409 परसेंट की चौंका देने वाली बढ़ोतरी हुई है.  साल 2023 में साइबर क्राइम की 15.56 लाख शिकायतें दर्ज हुई थीं, जो साल 2024 में बढ़कर 19.18 लाख हो गई हैं. इनमें से ज्यादा पैसों से जुड़े हुए फ्रॉड्स हैं. साल 2023 में भारतीयों ने 7496 करोड़ रुपये साइबर क्राइम में गंवाए थे, जबकि साल 2022 में लोगों ने 2306 करोड़ रुपये गंवाए थे.  जमा-पूंजी गंवा रहे लोग साल 2024 में ये आंकड़ा 2023 के मुकाबले तीन गुना और 2022 के मुकाबले 10 गुना बढ़ गया है. पिछले चाल सालों में लोगों ने लगभग 33,165 करोड़ रुपये साइबर फ्रॉड में गंवा दिए हैं. GIREM की रिपोर्ट की मानें, तो साल 2024 में हुए फिशिंग हमलों में 82.6 फीसदी AI जनरेटेड हैं. हाल फिलहाल में QR कोड बेस्ड साइबर फ्रॉड के मामलों की संख्या बढ़ी है.  अपराधी फर्जी पोस्टर्स, वॉट्सऐप मैसेज और लिंक का इस्तेमाल लोगों का टार्गेट करने के लिए कर रहे हैं, जिससे यूजर्स एक बार QR कोड को स्कैन कर लें. कोड स्कैन होने के बाद पीड़ित एक फर्जी UPI पेमेंट पोर्टल पर पहुंचते हैं, जहां से उनके बैंकिंग डेटा को चुरा लिया जाता है. इस तरीके का भारत में बड़ी संख्या में इस्तेमाल हो रहा है. साइबर फ्रॉड में सिर्फ QR कोड स्कैन के जरिए ही नहीं बल्कि कई दूसरे तरीकों से भी लोगों को फंसाया जा रहा है. यहां फर्जी पुलिस बनने से लेकर डिजिटल अरेस्ट तक, तमाम तरीकों का इस्तेमाल लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए साइबर अपराधी कर रहे हैं. इस तरह के अपराधों का शिकार कोई शख्स हो सकता है. आपके साथ भी हो सकता है फ्रॉड, रखें इन बातों का ध्यान साइबर वर्ल्ड में कोई भी फ्रॉड का शिकार हो सकता है. ऑनलाइन हो चुकी दुनिया में हर कदम पर साइबर ठगों ने जाल बिछा रखा है. ऐसे में आपकी जागरूकता ही आपको इस दुनिया में सुरक्षित रख सकती है. साइबर वर्ल्ड में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.      कभी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें.      किसी दूसरे से अपने OTP, बैंकिंग डिटेल्स और दूसरे पासवर्ड्स शेयर ना करें.      वॉट्सऐप पर भी आप ठगी का शिकार हो सकते हैं, इसलिए किसी अनजान शख्स से चैट करते हुए सावधान रखें.      अपनी पर्सनल डिटेल्स को किसी से भी शेयर ना करें.      डिजिटल अरेस्ट या पुलिस के नाम पर अगर कोई आपको डराता है, तो बिना डरे ऐसे मामलों को रिपोर्ट करें.      ज्यादा प्रॉफिट के लिए अनजान ऐप्स को डाउनलोड ना करें.  

एयर इंडिया AI 171 विमान हादसा: ब्रिटेन में रह रहे पीड़ितों के परिजन एयर इंडिया और बोइंग पर मुआवज़े को लेकर कर सकते हैं मुकदमा

अहमदाबाद एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में मारे गए ब्रिटिश नागरिकों के परिजन एयर इंडिया और विमान निर्माता कंपनी बोइंग के खिलाफ ब्रिटेन की अदालतों में मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। वे इस हादसे में हुए अपूरणीय नुकसान के लिए अधिक मुआवज़े की मांग कर सकते हैं। इस त्रासदी में 242 यात्रियों और क्रू में से 241 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि जमीन पर भी कम से कम 34 लोग मारे गए थे। हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाराजगी और कानूनी चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुकदमा बहुराष्ट्रीय विमानन कंपनियों की जिम्मेदारियों को लेकर एक मिसाल कायम कर सकता है। अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया AI 171 विमान हादसे में मारे गए लोगों के यूके स्थित परिवार एयर इंडिया और विमान निर्माता कंपनी बोइंग के खिलाफ ब्रिटेन की अदालतों में मुआवज़े को लेकर कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है। लंदन जा रहे इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान में सवार 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से सिर्फ एक व्यक्ति ही बचा था। इसके अलावा ज़मीन पर मौजूद 34 अन्य लोगों की भी मौत हो गई थी। हादसा टेक-ऑफ के कुछ सेकंड के भीतर ही एक मेडिकल कॉलेज परिसर में विमान गिर जाने से हुआ था। मृतकों में 181 भारतीय नागरिक थे, जबकि 52 लोग यूके के निवासी थे। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पीड़ितों के परिवार यूके की लॉ फर्म कीस्टोन लॉ से सलाह-मशविरा कर रहे हैं, ताकि एयर इंडिया और बोइंग के खिलाफ संभावित मुकदमे दायर किए जा सकें। माना जा रहा है कि यह मुकदमे मुआवज़े की राशि बढ़वाने को लेकर दायर किए जा सकते हैं। एयर इंडिया के मालिकाना हक वाली टाटा समूह ने पहले प्रत्येक पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये के मुआवज़े की घोषणा की थी। बाद में तत्काल वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 25 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवज़ा देने की घोषणा भी की गई। कीस्टोन लॉ ने भी यह स्वीकार किया है कि वह इस हादसे में अपने प्रियजनों को खोने वाले कई परिवारों से बातचीत कर रहा है। यह हादसा भारत के विमानन इतिहास की सबसे भयावह दुर्घटनाओं में गिना जा रहा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस हफ्ते यूके में रह रहे पीड़ितों के परिजनों और कीस्टोन लॉ के बीच कई बैठकें निर्धारित की गई हैं, जिनमें कानूनी रणनीति तैयार की जाएगी। कीस्टोन लॉ ने कहा, “हम एयर इंडिया के प्रमुख विमानन बीमाकर्ता टाटा AIG द्वारा हाल ही में की गई शुरुआती वित्तीय सेटलमेंट पेशकशों और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एयर इंडिया के अग्रिम भुगतान की ज़िम्मेदारी की समीक्षा कर रहे हैं।” मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, विमान हादसे के पीड़ितों के परिवार उन न्यायिक क्षेत्रों में भी दावा कर सकते हैं जहां एयरलाइन का संचालन होता है या जहां पीड़ितों के व्यक्तिगत संबंध होते हैं। इस हफ्ते की बैठकों के बाद ही कानूनी कार्रवाई को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाने की संभावना है।

पीएम Modi की विदेश नीति को नई दिशा देने की तैयारी, पीएम की सबसे लंबी राजनयिक यात्रा, BRICS में लेंगे हिस्सा

पीएम मोदी की त्रिनिदाद व टोबैगो की ऐतिहासिक यात्रा न सिर्फ 180 वर्षों की विरासत से जुड़ी हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ दिनों के डिप्लोमैटिक दौरे पर आज रवाना होंगे, यात्रा से पहले चर्चा में ये कुर्सी  पीएम Modi की विदेश नीति को नई दिशा देने की तैयारी, पीएम की सबसे लंबी राजनयिक यात्रा, BRICS में लेंगे हिस्सा नई दिल्ली  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 2 जुलाई, 2025 से 5 देशों की यात्रा के लिए रवाना होने वाले हैं. 2 जुलाई से शुरू होने वाली पीएम की ये यात्रा 9 जुलाई को पूरी होगी. पीएम के इस दौरे में दो महाद्वीप भी शामिल हैं. इस दौरे में प्रधानमंत्री घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा करने वाले हैं. इस यात्रा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर प्रधानमंत्री 4 दिनों तक ब्राजील में रहेंगे. 11 सालों के अपने कार्यकाल में पीएम मोदी दूसरी बार 5 देशों के दौरे पर जा रहे हैं. इससे पहले साल 2016 में उन्होंने 5 देशों को दौरा किया था, जिसमें अमेरिका, स्विट्जरलैंड, अफगानिस्तान, मैक्सिको और कतर देश शामिल था. 2 जुलाई से पीएम की ये यात्रा घाना से शुरू होगी. भारत के प्रधानमंत्री 30 साल बाद घाना का दौरा करने वाले हैं. 2 से 3 जुलाई तक पीएम मोदी यहां घाना के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्धों पर चर्चा करेंगे.     ऐतिहासिक यात्रा न सिर्फ 180 वर्षों की विरासत से जुड़ी हुई पीएम मोदी का इस कैरेबियाई देश का दौरा इसलिए भी कई मायनों में अहम है, क्योंकि 180 साल पहले भारतीयों ने समुद्री रास्ते से पहली बार इस धरती पर कदम रखा था। पीएम मोदी के दौरे को लेकर प्रवासी भारतीयों में जबरदस्त उत्साह है। विदेश मंत्रालय में सचिव नीना मल्होत्रा ने सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि इस दौरे के दौरान पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू और प्रधानमंत्री कमला पर्साड-बिसेसर से मुलाकात करेंगे। वे देश की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के साथ संवाद का भी आयोजन होगा। इस देश की कुल जनसंख्या का लगभग 45% हिस्सा भारतीयों का है। जहाज पर सवार होकर पहुंचे थे 225 भारतीय करीब 180 साल पहले 30 मई 1845 को भारत से रवाना हुए 'फतेह-अल-रज़ाक' नामक जहाज ने त्रिनिदाद और टोबैगो के तट पर 225 भारतीय गिरमिटिया मजदूरों को उतारा था। भारतीयों का इस देश में यह पहला दौरा था। ये लोग गिरमिटिया मजदूर के रूप में ब्रिटिश उपनिवेश में काम करने भेजे गए थे। तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन भारत का प्रधानमंत्री उसी धरती पर आधिकारिक यात्रा पर पहुंचेगा। ब्रिटिश शासन के दौरान चीनी और कैरेबियाई गन्ना बागानों में सस्ता श्रम जुटाने के लिए भारत से मजदूरों को भेजा गया था। फतेह-अल-रज़ाक से त्रिनिदाद पहुंचे पहले भारतीयों में ज़्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से थे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों भारतवंशी पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी विशेष है, क्योंकि कैरेबियाई देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों भारतवंशी महिलाएं हैं, वे स्वयं को "भारत की बेटियां" बताती हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेता न सिर्फ भारत की विरासत से जुड़ी हैं, बल्कि भारत के साथ राजनयिक और विकास सहयोग को नई दिशा देने को लेकर उत्सुक हैं। द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा पीएम मोदी के दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्मा, अक्षय ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। इसके अलावा, खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंध भी एजेंडे में शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया, “दोनों देश एक विस्तृत सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।” प्रधानमंत्री मोदी को त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद में संयुक्त सत्र को संबोधित करने का विशेष सम्मान मिलेगा। साथ ही, प्रधानमंत्री कमला बिसेसर पीएम मोदी के सम्मान में औपचारिक रात्रिभोज का भी आयोजन करेंगी। घाना के साथ भारत के अच्छे सम्बन्ध घाना पश्चिम एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है. साथ ही घाना के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध काफी अच्छे हैं. भारत और घाना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 3,137.29 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें भारत से सोने का आयात काफी ज्यादा होता है. इसके अलावा भारत की कई कंपनियों ने घाना में कृषि, विनिर्माण, निर्माण, शिक्षा, फार्मास्यूटिकल्स, आईसीटी और ऑटोमोटिव जैसी कंपनियों में भी काफी पैसे निवेश किए हैं. घाना के बाद पीएम इस देश की करेंगे यात्रा घाना के बाद पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो का दौरा करेंगे. त्रिनिदाद और टोबैगो में लगभग 40 से 45 प्रतिशत भारतीय प्रवासी निवास करते हैं. त्रिनिदाद और टोबैगो कैरिबियन क्षेत्र का पहला देश बन गया है, जिसने भारत के यूपीआई प्लेटफॉर्म प्रोजेक्ट को अपने देश में मंजूरी दी है. 4 जुलाई को पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो से अर्जेंटिना जाएंगे. भारत का अर्जेंटिना में कुल निवेश 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर है. पीएम मोदी अर्जेंटिना में वहां के प्रमुख क्षेत्रों, जैसे आर्थिक, रक्षा, खनिज, तेल और गैस, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान पर चर्चा कर सकते हैं. 4 दिनों तक ब्राजील में रहेंगे पीएम मोदी उसके बाद 5 से 8 जुलाई तक प्रधानमंत्री ब्राजील की यात्रा पर रहेंगे और वहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. पीएम मोदी अपने कार्यकाल में चौथी बार ब्राजील की यात्रा करने वाले हैं. पीएम यहां राष्ट्रपति लूला से वैश्विक स्तर में सुधार, शांति और सुरक्षा, एआई, जलवायु परिवर्तन और हेल्थ सहित कई मुद्दों पर बात करेंगे. नामीबिया की यात्रा करेंगे पीएम मोदी अपनी यात्रा के आखिरी दौरे में पीएम मोदी नामीबिया पहुचेंगे. नामीबिया में पीएम मोदी की पहली यात्रा होगी. साथ ही मार्च में पदभार संभालने के बाद नामीबिया के राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी की भारत देश से पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी. हालांकि भारत और नामीबिया के बीच व्यापार में तेजी आई है. भारत और नामीबिया के बीच व्यापार बढ़कर 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया है, जो दोनों देशों के सम्बन्धों को मजबूत करने का काम करता है. PM मोदी की विदेश यात्रा से पहले चर्चा में क्यों ये कुर्सी इस दौरे से पहले एक कुर्सी भी चर्चा में आ गई है. खास बात यह है कि विदेशी सरजमीं के संसद में रखी इस कुर्सी पर … Read more

ईरान की ट्रंप को चेतावनी: ‘फोड़ देंगे ई-मेल बम’, जानें क्या है 100GB डेटा लीक का मामला

नई दिल्ली ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे तनावपूर्ण माहौल के बीच ईरान से जुड़े एक हैकिंग समूह ने अमेरिका को धमकी दी है कि वह 100 गीगाबाइट बैच का ईमेल लीक कर देगा। धमकी में ईरानी समूह ने कहा है कि इन इमेल्स में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार रोजर स्टोन और वाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ सूसी विल्स सहित उनके लंबे समय के सहयोगियों के बीच के संवाद शामिल हैं, जिसे उसने चुराए थे। रॉयटर्स ने बताया है कि 2024 में राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान एक साइबर अटैक समूह ने दावा किया था कि उसके पास लगभग 100 गीगाबाइट ईमेल हैं जिन्हें वह लीक कर सकता है। मीडिया के अनुसार, हालांकि, फर्जी नाम रॉबर्ट के तहत काम करने वाले हैकर्स ने ईमेल की सामग्री या उन्हें कब जारी करने की योजना के बारे में जानकारी नहीं दी है। समूह ने पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले भी कुछ ईमेल जारी किए थे। रॉयटर्स को हैकर ने बताया कि उसके पास ट्रम्प की वकील लिंडसे हॉलिगन और स्टॉर्मी डेनियल्स के ईमेल अकाउंट्स के भी विवरण हैं। स्टॉर्मी डेनियल्स वही एडल्ट फिल्मों की अभिनेत्री हैं, जिसे कथित तौर पर ट्रंप के साथ संबंधों का खुलासा नहीं करने और मुंह बंद रखने के लिए ट्रंप की तरफ से 130,000 डॉलर का भुगतान किया गया था। घटनाक्रम क्यों है अहम? यह घटनाक्रम ऐसे वक्त पर सामने आया है, जब अमेरिका ने कुछ दिनों पहले ही ईरान- इजरायल युद्ध के दौरान ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बम गिराए हैं। इन हमलों के बाद ट्रंप ने दावा किया था कि ईरान के परमाणु टिकाने पूरी तरह से तबाह हो गए हैं और भविष्य में ईरान संवर्द्धन कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ा सकता। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था (IAEA)के प्रमुख से रविवार को कहा कि अमेरिकी और इजरायली हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने में विफल रहे हैं। IAEA प्रमुख ने ये भी कहा है कि अब कुछ ही महीनों में ईरान फिर से यूरेनियम संवर्धन कर सकता है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी उठा था मामला रॉयटर्स के मुताबिक, ईरानी हैकर्स ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित होने के बाद चुराए गए ईमेल डेटा को लीक करने की कोई योजना नहीं थी लेकिन 12 दिनों के ईरान-इजरायल संघर्ष और उस दौरान अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले ने उसे अपना फैसला बदलने को मजबूर कर दिया है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी बाइडेन प्रशासन ने इस लीक कांड के पीछे ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के तीन सदस्यों का हाथ बताया था लेकिन ईरान ने इन सबसे इनकार किया था। ध्यान भटकाने और बदनाम करने की कोशिश दूसरी तरफ, यू.एस. साइबरसिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (CISA) के प्रवक्ता मार्सी मैकार्थी ने कहा है कि यह शत्रुतापूर्ण विदेशी अभियान ध्यान भटकाने, बदनाम करने और विभाजन करने की एक कोशिश है। मैकार्थी ने कहा कि कथित रूप से चुराई गई सामग्री असत्यापित सामग्री है और उसका इस्तेमाल कर शत्रु शोषण करने की धमकी दे रहा है। CISA प्रवक्ता ने कहा कि जल्द बी इसके दोषियों को ढूंढ़ लिया जाएगा और उन्हें न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाएगा।