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IT नोटिस पर शरद पवार के पोते की प्रतिक्रिया, शिंदे गुट के लिए जताई सहानुभूति

मुंबई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे को दिये गये आयकर नोटिस पर सवाल उठाया है। पवार ने कहा है कि कहीं ये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है। वह शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट के बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। गौरतलब है कि शिरसाट ने पुष्टि की है कि उन्हें और श्रीकांत शिंदे को आयकर नोटिस मिले हैं। रोहित पवार ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई राजनीतिक दबाव का संदेह पैदा करती है। उन्होंने कहा ‘‘इस तरह के नोटिस केंद्रीय स्तर से दिलवाये जाते हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई आगामी मुंबई नगर निगम चुनाव में सीट बंटवारे की बातचीत में एकनाथ शिंदे पर कमजोर रुख अपनाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास हो सकता है। शिंदे की हालिया दिल्ली यात्रा के मायने? गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे की हालिया दिल्ली यात्रा को शिंदे गुट और ठाकरे समूह के बीच संभावित गठबंधन से जोड़ा जा रहा है। पवार के मुताबिक यह यात्रा शिंदे को भेजे गए आई-टी नोटिस से भी संबंधित हो सकती है। उन्होंने अनुमान लगाया कि उप-मुख्यमंत्री ने इस मामले में स्पष्टता के लिए गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं से मुलाकात की होगी। अजित पवार गुट के नेताओं को नोटिस क्यों नहीं? पवार ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के साथ-साथ भाजपा की सहयोगी राकांपा (अजित पवार गुट) के नेता भी इस तरह के संदिग्ध लेन-देन में शामिल रहे हैं लेकिन उन्हें ऐसे नोटिस नहीं मिले हैं। पवार ने सवाल किया, “ऐसा क्यों है कि केवल श्रीकांत शिंदे और संजय शिरसाट को ही आयकर नोटिस मिला है? ऐसा लगता है कि भाजपा एकनाथ शिंदे को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।” शिंदे पर अपनी पार्टी का भाजपा में विलय का दबाव? दूसरी तरफ महा विकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा है कि एकनाथ शिंदे पर अपनी पार्टी का भाजपा में विलय का दबाव है, और वह इसके लिए तैयार हैं। शायद इसीलिए पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली का चक्कर लगाया है। राउत ने दावा किया कि शिंदे ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की शिकायत की थी। 

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा हुई आरंभ, पहले ही दिन हजारों कांवड़िए गंगा जल भरने हरिद्वार पहुंचे

देहरादून सावन माह की शुरूआत के साथ ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुक्रवार को कांवड़ यात्रा भी आरंभ हो गयी और पहले दिन ही हजारों की संख्या में कांवड़िए गंगा जल भरने के लिए धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचे। करीब एक पखवाड़े तक चलने वाली इस यात्रा में हर साल देश के विभिन्न राज्यों से कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल भरकर ले जाते हैं और उससे शिवरात्रि के अवसर पर अपने गांवों और घरों के शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। हर की पैड़ी सहित हरिद्वार के विभिन्न घाटों पर सुबह से ही बड़ी संख्या में कांवड़िए स्नान करते और गंगा जल भरते दिखे जिससे वहां का नजारा केसरिया रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने बताया कि कांवड़ मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल, जल पुलिस, अभिसूचना, विशेष कार्यबल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, पीएसी और आतंकवाद निरोधी दल के 7000 से अधिक कार्मिकों को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि ड्रोन, सीसीटीवी और सोशल मीडिया की निगराानी के जरिए हर संदिग्ध गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। कांवड़ यात्रा के निर्विघ्न संचालन के लिए उत्तराखंड सरकार ने सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले छद्म भेषधारियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू कर दिया है। यात्रा आरंभ होने से एक दिन पहले शुरू किए गए इस ऑपरेशन के बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठग रहे हैं। उन्होंने कहा, ''इससे न सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन परंपरा की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि ऐसे कृत्य करता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।'' उन्होंने कहा कि जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज समाज में कई "कालनेमि" सक्रिय हैं जो धार्मिक भेष धारण कर अपराध कर रहे हैं। सुर कालनेमि का दोनों प्रमुख हिंदू धर्मग्रंथों- रामायण और महाभारत में उल्लेख है। पौराणिक मान्यता है कि रावण के मामा मारीच के पुत्र कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर लक्ष्मण की मूर्छा को तोड़ने के लिए संजीवनी बूटी ला रहे हनुमान का रास्ता रोकने का प्रयास किया था लेकिन हनुमान ने उसकी असलियत जानकर उसका वध कर दिया था। महाभारत काल में कालनेमि का पुनर्जन्म कंस के रूप में हुआ जिसका संहार भगवान कृष्ण ने किया। पिछले कुछ सालों में गंगा जल भरने वाले शिवभक्त कांवड़ियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। पिछले साल कांवड़ यात्रा में चार करोड़ से अधिक कांवड़िए हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचे थे। प्रशासनिक सूत्रों ने यहां बताया कि इस बार करीब छह-सात करोड़ कांवड़ियों के आने की उम्मीद है जिसे देखते हुए सभी प्रकार के इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। उधर, उत्तर रेलवे ने भी कांवड़ मेला के दौरान कांवड़ियों के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने के प्रबंध किए हैं।  

सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी कामयाबी, तमिलनाडु में पकड़े गए संदिग्ध आतंकी

चेन्नई महीनों तक जारी अभियान और आंध्र प्रदेश व कर्नाटक पुलिस के साथ समन्वय के बाद तमिलनाडु आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पिछले कुछ दिनों में तीन संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया। तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शंकर जीवाल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि गिरफ्तार किए गए अबूबकर सिद्दीकी, मोहम्मद अली और सादिक उर्फ टेलर राजा लगभग तीन दशक से फरार थे और पुलिस लगातार उनका पीछा कर रही थी। इन अभियानों को 'आराम' और 'आगाज़ी' नाम दिया गया था। तीनों व्यक्ति 1998 के कोयंबटूर सिलसिलेवार बम धमाकों और 2013 में बेंगलुरु के मल्लेश्वरम बम विस्फोट सहित कई मामलों में वांछित हैं। कोयंबटूर सिलसिलेवार बम धमाका मामले में 58 लोग मारे गए थे और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। उन्होंने बताया कि संदिग्धों को पकड़ने के लिए पिछले लगभग छह महीने में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के पुलिस बलों के साथ मिलकर दो अभियान चलाए गए। सिद्दीकी और अली को आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले से पकड़ा गया जबकि सादिक को कर्नाटक के विजयपुरा से गिरफ्तार किया गया। पुलिस प्रमुख ने कहा, ''आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने बहुत ही पेशेवर और सफल अभियान चलाया है… जांच जारी है।'' गिरफ्तार किए गए लोग किराना दुकान, दर्जी की दुकान चलाने और रियल एस्टेट जैसे व्यवसायों से जुड़े थे। चूंकि उन्हें इतने साल के बाद गिरफ्तार किया जाना था इसलिए पुलिस ने उनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए ''कुछ मापदंडों'' का इस्तेमाल किया। जिवाल ने कहा, ''हिरासत के 24 घंटे के भीतर उनकी पहचान की पुष्टि हो गई।'' उन्होंने कहा कि सिद्दीकी और अली किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़े प्रतीत नहीं होते, लेकिन सादिक के प्रतिबंधित अल-उम्मा समूह का हिस्सा होने का संदेह है। उनकी संभावित विदेश यात्राओं सहित विभिन्न विवरणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है।  

देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूती, नौसेना के फ्लीट सपोर्ट शिप की आधारशिला रखी गई

चेन्नई भारतीय नौसेना के तीसरे फ्लीट सपोर्ट शिप्स (एफएसएस) के 'कील लेइंग' समारोह का आयोजन यहां बुधवार को कट्टुपल्ली में एल एंड टी शिपयार्ड में किया गया।  जहाज का निर्माण कार्य शुरू करने की प्रक्रिया 'कील लेइंग' कहलाती है और यह एक औपचारिक समारोह के साथ शुरु होती है जिसे 'कील लेइंग' समारोह कहते हैं। शुक्रवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) (रक्षा) की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि समारोह युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन और भारतीय नौसेना, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) एवं एलएंडटी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय नौसेना ने अगस्त 2023 में पांच फ्लीट सपोर्ट शिप्स (एफएसएस) के अधिग्रहण के लिए एचएसएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी आपूर्ति 2027 के मध्य में शुरू होगी। देश की जहाज निर्माण क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और आपूर्ति की कठोर समयसीमा को पूरा करने के लिए एचएसएल ने मेसर्स एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली को दो जहाजों के निर्माण का उप-अनुबंध दिया है। विज्ञप्ति के अनुसार, ''नौसेना में शामिल होने पर एफएसएस समुद्र में बेड़े के जहाजों की पुनःपूर्ति के माध्यम से भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करेगा। ये जहाज ईंधन, पानी, गोला-बारूद और अन्य सामग्री ले जाएंगे जो समुद्र में बेड़े के दीर्घकालिक और निरंतर संचालन को सक्षम बनाते हैं, जिससे इसकी पहुंच और गतिशीलता में वृद्धि होती है।'' विज्ञप्ति में कहा गया है, ''अपनी सहायक भूमिका में ये जहाज प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कर्मियों को निकालने और राहत सामग्री के शीघ्र वितरण के वास्ते मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) कार्यों के लिए सुसज्जित होंगे।'' स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित यह युद्धपोत भारतीय मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) से प्राप्त प्रमुख उपकरणों से सुसज्जित है।  

मोहन भागवत का बड़ा बयान: उम्र 75 पार तो राजनीति से संन्यास जरूरी?

नई दिल्ली  आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत की एक टिप्पणी की बहुत चर्चा हो रही है। इस टिप्पणी के बहाने कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का कहना है कि उन्होंने 75 साल में रिटायरमेंट की बात करके पीएम नरेंद्र मोदी को संकेत दिया है। मोहन भागवत के बयान का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल है। दिलचस्प तथ्य यह है कि खुद मोहन भागवत इस साल 11 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे और फिर 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी 75 साल के हो जाएंगे। ऐसे में उनके बयान को प्रधानमंत्री से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन उनकी टिप्पणी के एक हिस्से की बजाय पूरे बयान को सुनने पर पता चलता है कि जो बात वायरल हो रही है, वह उनके अपने शब्द ही नहीं हैं। मोहन भागवत ने जो कहा, वह आरएसएस के एक दिवंगत प्रचारक और सीनियर नेता मोरोपंत पिंगले की टिप्पणी थी। मोहन भागवत ने उनके जीवन पर आधारित पुस्तक 'मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस' का नागपुर में विमोचन किया तो उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों का जिक्र करने लगे। इसी दौरान मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायरमेंट वाली पिंगले की बात का जिक्र किया, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी के लिए उनकी सलाह बताया जा रहा है। मोहन भागवत ने दरअसल मोरोपंत पिंगले के 75 साल के होने पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनके बयान का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आपको 75 साल का होने पर शॉल ओढ़ाए जाने का मतलब है कि आपको रिटायर हो जाना चाहिए। मोरोपंत पिंगले के बयान को उद्धृत करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘वृंदावन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग थी। वहां कार्यकर्ता आ रहे थे। उसी दौरान एक कार्यक्रम में शेषाद्री जी ने कहा कि आज अपने मोरोपंत पिंगले जी के 75 साल पूरे हुए हैं औऱ इस अवसर पर उन्हें शॉल ओढ़ा कर सम्मान करते हैं। फिर मोरोपंत पिंगले जी से बोलने का आग्रह किया गया। इस दौरान कार्यकर्ता मुस्कुरा रहे थे। मोरोपंत पिंगले खड़े हुए कहा कि मैं उठता हूं तो लोग हंसते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है कि शायद लोग मुझे लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मुझे लग रहा है कि जब मैं मर जाऊंगा तो लोग पत्थर मारकर देखेंगे कि मैं मर गया हूं या नहीं। 75 साल की शॉल जब ओढ़ी जाती है तो उसका अर्थ यह होता है कि आपने बहुत किया और अब दूसरों को मौका दिया जाए।’ रामजन्मभूमि आंदोलन के रणनीतिकार थे मोरोपंत पिंगले इसके आगे मोहन भागवत ने कहा कि मुझे मोरोपंत पिंगले जी का जिक्र करते हुए गर्व होता है। हम जो हासिल करते हैं या महिमा पाते हैं तो उससे चिपक जाते हैं। चिपकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मोरोपंत महान व्यक्ति थे, उन्होंने कभी चर्चा पाने या महत्व के लिए कार्य नहीं किया। वह रामजन्मभूमि आंदोलन के रणनीतिकार थे, लेकिन कभी आगे नहीं आए। इसकी बजाय अशोक सिंघल जी को आगे किया। भागवत ने कहा, ‘मोरोपंत पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अनेक काम यह सोचकर किए कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।’ मोरोपंत पिंगले की सही हुई थी 1977 के चुनाव वाली भविष्यवाणी आपातकाल के बाद राजनीतिक मंथन के दौरान पिंगले की भविष्यवाणियों का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, 'जब चुनाव का मुद्दा चर्चा में आया, तो मोरोपंत ने कहा था कि अगर सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो लगभग 276 सीटें जीती जा सकती हैं। जब नतीजे आए, तो जीती गई सीटों की संख्या 276 ही थी।’ फिर भी मोरोपंत पिंगले ने कभी इसका श्रेय नहीं लिया।  

वेतन वृद्धि की तैयारी? 8वें वेतन आयोग पर चर्चा तेज, कर्मचारियों को मिल सकती है बड़ी सौगात

नई दिल्ली करोड़ों सरकारी कर्मचारी और रिटायर्ड कर्मचारी 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस बीच एक खबर ने इनकी खुशी और बढ़ा दी है. द इकोनॉमिक टाइम्‍स की एक रिपोर्ट में कहा है कि इस वेतन आयोग के लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी (Employees Salary) 30 से 34 फीसदी तक बढ़ सकती है.  ब्रोकरेज फर्म एम्बिट कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वेतन और पेंशन में 30-34% की वृद्धि कर सकता है, जिससे लगभग 1.1 करोड़ लोगों को लाभ होगा. नया वेतनमान जनवरी 2026 से लागू होने की उम्‍मीद है, लेकिन इसके लिए पहले वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार करनी होगी, फिर सरकार को भेजनी होगी और उसे मंजूरी देनी होगी. अभी तक सिर्फ ऐलान ही हुआ है. आयोग का अध्‍यक्ष कौन होगा और उसका कार्यकाल क्‍या होगा? अभी ये फैसला होना बाकी है.  किसे मिलेगा ये लाभ? 8th Pay Commission से लगभग 1.1 करोड़ लोगों को लाभ मिल सकता है, जिनमें करीब 44 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और लगभग 68 लाख पेंशनर्स हैं. 8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, भत्ते और रिटायरमेंट बेनिफिट में ग्रोथ होगी.  क्‍या होता है फिटमेंट फैक्‍टर?  नए वेतन तय करने का एक खास हिस्‍सा फिटमेंट फैक्‍टर है, यह वह संख्‍या है जिसका यूज मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नई सैलरी तय किया जाता है. उदाहरण- सातवें वेतपन आयोग ने 2.57 के फैक्‍टर का इस्‍तेमाल किया था. उस समय इसने मिनिमम बेसिक सैलरी  7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह कर दिया था. रिपोर्ट कहती है कि इस बार फिटमेंट फैक्‍टर 1.83 और 2.46 के बीच हो सकता है. कर्मचारियों और पेंशनर्स को कितनी बढ़ोतरी मिलेगी, इसमें सटीक आंकड़ा अहम भूमिका निभाएगा.  क्‍या रहा है सैलरी बढ़ोतरी का इतिहास?  पिछले वेतन आयोगों ने कई लेवल पर सैलरी ग्रोथ दिखाई है. 6वें वेतन आयोग (2006) ने कुल वेतन और भत्तों में लगभग 54% की ग्रोथ दी थी. इसके बाद 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया, तब बेसिक सैलरी में 14.3% और अन्‍य भत्ते जोड़ने के बाद पहले साल में करीब 23 फीसदी की ग्रोथ दिखाई थी.  कैसे किया जाता है सैलरी का कैलकुलेशन?  एक सरकारी कर्मचारी की सैलरी में मूल वेतन, महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए), परिवहन भत्ता (टीए), और अन्य छोटे-मोटे लाभ शामिल होते हैं. समय के साथ, मूल वेतन का हिस्सा कुल पैकेज के 65% से घटकर लगभग 50% रह गया है और अन्य भत्तों का हिस्सा इससे भी ज्‍यादा हो गया है. इन सभी को जोड़कर ही मंथली सैलरी दी जाती है. पेंशनर्स के लिए भी इसी तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे. हालांकि HRA या TA नहीं दिया जाएगा. 

ईरान ने कतर में अमेरिका की सैन्य संचार प्रणाली पर किया हमला? सैटेलाइट तस्वीरों से उठे सवाल

नई दिल्ली ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. हाल ही में एक बड़ी घटना ने इस तनाव को और ज्यादा उजागर किया है. ईरान के भारत में दूतावास (@Iran_in_India) ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें कहा गया कि ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य की प्राथमिक संचार प्रणाली (रेडोम) को नष्ट कर दिया है. सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि अल उदीद एयर बेस (Al Udeid Air Base) पर ईरान के मिसाइल हमले से एक उपग्रह संचार एंटीना पूरा तबाह हो गया है. इस घटना ने न केवल क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि इससे पहले कतर और अमेरिका द्वारा किए गए दावों को भी चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि कोई नुकसान नहीं हुआ.  क्या है रेडोम और इसका महत्व? रेडोम (Radome) एक बड़ा, गोलाकार ढांचा होता है, जो उपग्रह और रेडियो संचार एंटीना को सुरक्षा प्रदान करता है. यह ढांचा मजबूत सामग्री से बना होता है, जो एंटीना को मौसम और बाहरी खतरों से बचाता है, जबकि संचार सिग्नल को बाधित नहीं करता. अमेरिकी सैन्य के लिए ये रेडोम्स मध्य पूर्व में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये उनकी संचार क्षमताओं को बनाए रखते हैं. इनके बिना, सैन्य ऑपरेशंस, निगरानी और कम्युनिकेशन प्रभावित हो सकते हैं. कतर में अल उदीद एयर बेस अमेरिकी सैन्य का सबसे बड़ा बेस है, जहां से मध्य पूर्व में सभी हवाई ऑपरेशंस का नियंत्रण होता है. यहां एक प्राथमिक रेडोम था, जो अब नष्ट हो गया है. दूसरा रेडोम कुवैत में स्थित है, जो अभी सुरक्षित है. उपग्रह तस्वीरें क्या दिखाती हैं? ईरान के भारत में दूतावास ने जो तस्वीरें शेयर की हैं, उनमें स्पष्ट दिखाई देता है कि जहां पहले रेडोम था, वहां अब एक काला धब्बा है. यह धब्बा बताता है कि मिसाइल हमले से एंटीना पूरी तरह से नष्ट हो गया है. पास के एक हैंगर पर भी नुकसान हुआ है. ये तस्वीरें 10 जुलाई 2025 को ली गईं. इन्हें अब जारी किया गया है.  इससे पहले, कतर और अमेरिका ने दावा किया था कि मिसाइल हमले से कोई नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन ये तस्वीरें उनके दावों को गलत साबित करती हैं. ईरान का कहना है कि यह हमला अमेरिका द्वारा उनके परमाणु प्रतिष्ठानों पर किए गए हमलों का जवाब था. लंबे समय से तनाव जारी है ईरान और अमेरिका के बीच तनाव लंबे समय से जारी है, खासकर परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर. 2025 की शुरुआत में, अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु सुविधाओं पर हमला किया, जिसके बाद ईरान ने कतर में अल उदीद एयर बेस को निशाना बनाया. इस हमले में 14 मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से कुछ को कतर की एयर डिफेंस सिस्टम ने रोक लिया, लेकिन कुछ मिसाइलें बेस तक पहुंचीं. ईरान का दावा है कि इस हमले से अमेरिकी सैन्य की संचार क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है, जबकि अमेरिका और कतर ने शुरुआत में कहा था कि कोई नुकसान नहीं हुआ. लेकिन अब सैटेलाइट तस्वीरें साफ तौर पर दिखाती हैं कि नुकसान हुआ है. नुकसान का आकलन     संचार प्रणाली का नुकसान: रेडोम के नष्ट होने से अमेरिकी सैन्य की संचार क्षमता प्रभावित हुई है. यह क्षमता निगरानी, निर्देश और ऑपरेशंस के लिए जरूरी है.     हैंगर का नुकसान: पास के हैंगर पर नुकसान हुआ है, जो हवाई जहाज और उपकरणों को रखने के लिए इस्तेमाल होता है. यह नुकसान अमेरिकी सैन्य की तैयारियों को भी प्रभावित कर सकता है.      क्षेत्रीय तनाव: इस घटना से मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है. ईरान और अमेरिका के बीच की लड़ाई अब सीधे सैन्य ठिकानों पर पहुंच गई है, जो और ज्यादा खतरनाक हो सकता है.  

सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी कामयाबी, देहरादून में डायनामाइट के साथ पकड़े गए तीन आरोपी

देहरादून  देहरादून में 11 जुलाई 2025 को तीन लोगों को 125 किलोग्राम डायनामाइट के साथ पकड़ा. एक सवाल जो लोगों के दिमाग में आ रहा है, वह है – 125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान हो सकता है? हाल ही में सोशल मीडिया और समाचारों में विस्फोटकों जैसे डायनामाइट के बारे में सवाल उठ रहे हैं. खासकर तब जब देहरादून जैसे पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य और खनन गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं.  डायनामाइट क्या है और यह कैसे काम करता है? डायनामाइट एक विस्फोटक सामग्री है, जिसे 19वीं सदी में स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने बनाया था. यह ट्राइट्रोटोल्यूनि (TNT) और अन्य रसायनों से मिलकर बनता है, जो जब फूटता है तो बहुत सारी ऊर्जा छोड़ता है. इस ऊर्जा से इमारतें, चट्टानें और जमीन को तोड़ा जा सकता है. डायनामाइट का इस्तेमाल खनन, निर्माण और कभी-कभी गलत तरीके से विनाश के लिए भी होता है.  हर 1 ग्राम डायनामाइट में लगभग 4.184 किलोजूल ऊर्जा होती है. इसका मतलब है कि 125 किलोग्राम (125,000 ग्राम) डायनामाइट में करीब 523,000 किलोजूल (523 मेगाजूल) ऊर्जा होगी. यह ऊर्जा कितना नुकसान कर सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहां और कैसे इस्तेमाल किया जाता है. 125 किलोग्राम डायनामाइट से कितना नुकसान? भौतिक नुकसान  125 किलोग्राम डायनामाइट का विस्फोट एक छोटे से पहाड़ी क्षेत्र या इमारत को पूरी तरह नष्ट कर सकता है. अगर यह देहरादून के एक छोटे से निर्माण स्थल पर फूटे, तो आसपास की 50-100 मीटर की दूरी तक की इमारतें ढह सकती हैं. चट्टानों को तोड़ने के लिए खनन में, यह एक बड़े हिस्से को हटा सकता है, लेकिन अगर गलत जगह फूटे तो सड़कें और पुल भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. धमाका और दबाव विस्फोट से पैदा होने वाला दबाव 100 मीटर तक हवा को हिला सकता है, जिससे खिड़कियां टूट सकती हैं. लोग सुनने की क्षमता खो सकते हैं. अगर यह भीड़-भाड़ वाले इलाके में फूटे, तो गंभीर चोटें आ सकती हैं या जान-माल का नुकसान हो सकता है. जमीन पर प्रभाव पहाड़ी इलाकों में, जैसे देहरादून, विस्फोट से भूस्खलन (landslide) का खतरा बढ़ सकता है. अगर 125 किलोग्राम डायनामाइट मसूरी की पहाड़ियों पर फूटे, तो मिट्टी और चट्टानों का बहाव निचले इलाकों में तबाही मचा सकता है. उदाहरण के लिए तुलना 1 किलोग्राम TNT (जो डायनामाइट से मिलता-जुलता है) एक छोटे घर को नष्ट कर सकता है. तो 125 किलोग्राम से एक छोटा गांव या औद्योगिक क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंच सकता है. यह ऊर्जा करीब 0.125 टन TNT के बराबर है, जो एक छोटे परमाणु बम (हिरोशिमा बम का 0.0001%) से बहुत कम है, लेकिन फिर भी स्थानीय स्तर पर खतरनाक है. देहरादून में इतने डायनामाइट के मिलने का मतलब  देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है, जो हिमालय की तलहटी में बसा एक खूबसूरत शहर है. यहां सड़क निर्माण, हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स और भवन निर्माण के लिए डायनामाइट का इस्तेमाल आम है. लेकिन 125 किलोग्राम डायनामाइट का अनियंत्रित विस्फोट यहां के लिए गंभीर खतरा हो सकता है…     भूस्खलन का जोखिम: देहरादून के पहाड़ी इलाकों में पहले से ही भूस्खलन की समस्या है. 2021 की आपदा के बाद से यह और गंभीर हो गई है. इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोट से मिट्टी का ढांचा कमजोर हो सकता है.     आबादी का नुकसान: शहर में घनी आबादी वाले क्षेत्र जैसे राजपुर रोड या प्रेमनगर में अगर ऐसा विस्फोट हो, तो सैकड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं.     पर्यावरणीय नुकसान: विस्फोट से धूल, राख और प्रदूषण फैल सकता है, जो देहरादून की हवा और पानी को नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, निर्माण में डायनामाइट का इस्तेमाल नियंत्रित तरीके से होता है, लेकिन अगर यह गलती से या आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल हो,तो परिणाम भयानक हो सकते हैं. सुरक्षा और सावधानियां     नियंत्रित प्रयोग: डायनामाइट का इस्तेमाल केवल प्रशिक्षित लोगों और सरकार की अनुमति से होना चाहिए. देहरादून में खनन कंपनियों को सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है.     जागरूकता: स्थानीय लोगों को विस्फोट के समय सुरक्षित दूरी बनाए रखनी चाहिए और आपातकालीन नंबर (112) याद रखने चाहिए.     निगरानी: सरकार को विस्फोटकों की बिक्री और भंडारण पर नजर रखनी चाहिए ताकि गलत हाथों में न जाएं.  

‘ऑपरेशन सिंदूर में भारत को नुकसान हुआ हो तो दिखाएं सबूत’, NSA डोभाल की दो टूक

नई दिल्ली पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. डोभाल ने आईआईटी मद्रास में अपने संबोधन के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेशी मीडिया ने झूठी खबरें फैलाई हैं. मुझे एक तस्वीर दिखाइए, जिसमें भारत को नुकसान पहुंचा हो. भारत को इस दौरान कोई नुकसान नहीं पहुंचा. डोभाल ने कहा कि टेक्नोलॉजी और वॉरफेयर के बीच संबंध हमेशा महत्वपूर्ण होता है. हमें ऑपरेशन सिंदूर पर नाज है. हमें गर्व है कि इस ऑपरेशन के दौरान हमने स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया. हमने सीमापार नौ पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले का फैसला किया था. इनमें सीमावर्ती इलाके में एक भी ठिकाना नहीं था. हमारे सभी निशाने सटीक रहे. हमने सिर्फ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया. उन्होंने कहा कि यह पूरा ऑपरेशन 23 मिनट का था. मुझे एक तस्वीर दिखा दीजिए, जिसमें भारत को नुकसान पहुंचा हो. यहां तक कि एक गिलास भी नहीं टूटा. विदेशी मीडिया ने कई चीजें कहीं. उन्होंने कुछ चुनिंदा तस्वीरों को आधार बनाकर पाकिस्तान के 13 एयरबेस को लेकर कई बातें कहीं. लेकिन 10 मई से पहले और इसके बाद पाकिस्तान के 13 एयरबेस की सैटेलाइट तस्वीरें देखें. सब साफ हो जाएगा.  बता दें कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई की रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था. इसके तहत, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और Pok में 9 आतंकी ठिकानों को उड़ा दिया था. इससे बौखलाकर पाकिस्तानी सेना ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था. चार दिन तक चले सैन्य टकराव के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच 'सीजफायर' हो गया था. भारत के साथ इस सीजफायर के लिए पाकिस्तान ने एक बार नहीं बल्कि दो बार संपर्क किया था. पाकिस्तान ने पहली बार 7 मई की शाम को भारत से सीजफायर के लिए संपर्क किया था. पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की ओर से औपचारिक संदेश सहित भारत से संपर्क साधा गया था. सात मई की सैन्य कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था.  इसके बाद 10 मई को शाम 3.35 मिनट पर DGMO स्तर की वार्ता हुई, जिस दौरान दोनों तरफ से सीजफायर पर सहमति बनी. यह सहमति दोनों देशों के सैन्य संचार माध्यमों के जरिए हुई, जिसका उद्देश्य तनाव को कम करना था. 

नगर निगम का अनोखा फैसला: बेंगलुरु के आवारा कुत्तों को मिलेगा चिकन और चावल, बजट 2.9 करोड़

बेंगलुरु  कर्नाटक के राजधानी बेंगलुरु के आवारा कुत्तों के लिए सरकार ने नई पहल की शुरुआत की है. बेंगलुरु की बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने ‘कुक्किर तिहार’ नाम के योजना के तहत शहर के 5,000 आवारा कुत्तों के लिए पोषण युक्त भोजन प्रदान किया जाएगा. इसके तहत रोजाना स्ट्रीट डॉग्स को 367 ग्राम चिकन राइस परोसा जाएगा.  इस योजना के तहत हर कुत्ते पर प्रतिदिन 22 रुपये खर्च आएंगे और सालाना खर्च लगभग 2.88 करोड़ रुपये होगा. शुरुआत में इसे ‘कुक्किर तिहार’ नाम से पेश किया गया था, जो एक जनभागीदारी अभियान है. इसका उद्देश्य सिर्फ कुत्तों को खाना देना नहीं, बल्कि लोगों को भी यह समझाना है कि आवारा पशुओं की देखभाल सामूहिक जिम्मेदारी है.  कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने जताई आपत्ति बेंगलुरु में स्ट्रीट डॉग्स को चिकन राइस खिलाने की योजना पर तमिलनाडु से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा, 'क्या यह सच है? कुत्तों की सड़कों पर कोई जगह नहीं होनी चाहिए. उन्हें शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाना चाहिए, जहां उनका टीकाकरण और नसबंदी हो सके. उन्हें सड़कों पर घूमने की आज़ादी देकर खाना खिलाना एक गंभीर स्वास्थ्य और सुरक्षा खतरा है'. 28 मार्च 2025 को कार्ति चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी, जिसमें उन्होंने देशभर में आवारा कुत्तों से जुड़ी बढ़ती स्वास्थ्य और सुरक्षा समस्याओं पर चिंता जताई.  कार्ति चिदंबरम ने साथ ही में एक्स पर लिखा,  भारत में करीब 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते हैं, जो दुनिया में सबसे बड़ी आबादी में से एक है.  इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भारत आज भी रेबीज से प्रभावित देशों में शामिल है, और दुनिया में होने वाली रेबीज से मौतों में 36 फीसदी सिर्फ भारत में होती हैं. उन्होंने ये भी कहा कि भले ही 2023 में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम लागू किए गए हों, लेकिन उनका प्रभावी इम्प्लीमेंटेशन नहीं हो पाया. राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने का सुझाव कार्ति चिदंबरम ने इस संकट के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव रखा, जो व्यापक, मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस समस्या का हल तलाशे और स्थानीय निकायों के साथ मिलकर काम करे. उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि देशभर में स्थायी शेल्टर हाउस और एक दीर्घकालिक रणनीति बनाई जानी चाहिए, ताकि आवारा पशुओं से जुड़ी समस्या को स्थायी रूप से सुलझाया जा सके.  BBMP ने आमंत्रित किए टेंडर, 8 जोन में रोजाना कुत्तों को खाना खिलाने की योजना BBMP के पशुपालन विभाग ने एक नई पहल के तहत आठ जोन में आवारा कुत्तों को रोज़ाना भोजन उपलब्ध कराने के लिए टेंडर जारी किया है.  प्रस्ताव के अनुसार, हर ज़ोन में 500 कुत्तों को खाना खिलाने की योजना है, जिनमें ईस्ट, वेस्ट, साउथ, आरआर नगर, दसरहल्ली, बोम्मनहल्ली, येलहंका और महादेवपुरा शामिल हैं. पहले चरण में कुल 4,000 कुत्तों को प्रतिदिन खाना देने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि आखिरी लक्ष्य 5,000 कुत्तों तक पहुंचना है. FSSAI-पंजीकृत कैटरर्स ही कर सकेंगे निविदा में भाग इस योजना के तहत केवल वे ही कैटरिंग सर्विस प्रोवाइडर्स निविदा में भाग ले सकते हैं, जो भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से पंजीकृत हैं. अनुबंध शुरू में एक वर्ष के लिए वैध होगा, और प्रदर्शन के आधार पर इसे BBMP मुख्य आयुक्त की मंजूरी से एक साल और बढ़ाया जा सकता है.