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यमन में झेली दरिंदगी, निमिषा प्रिया ने खोले तलाल के जुल्मों के राज, दोस्तों के साथ संबंध बनाने को मजबूर करता था

 पलक्कड़ केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी होने वाली है। भारत सरकार उनकी जान बचाने की पुरजोर कोशिश में जुटी है। निमिषा ने गलती से बिजनेस पार्टनर की हत्या कर दी थी। यमन का रहने वाला तलाल अब्दो महदी निमिषा का बिजनेस पार्टनर था, लेकिन बाद में उसकी बुरी नजर प्रिया पर पड़ गई और खूब प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। यहां तक कि वह रात में अपने घर पर दोस्तों को बुलाता और निमिषा को उनके साथ भी संबंध बनाने के लिए मजबूर करता। उसने अस्पताल में सभी के सामने कई बार निमिषा को प्रताड़ित किया और यहां तक कि उस पर थूकता भी था। जब निमिषा को तलाल की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई, तब जेल से उसने तलाल की कई पोल खोली थी। 'द न्यूज मिनट' वेबसाइट से बात करते हुए निमिषा ने पूर्व में बताया था कि तलाल ने सभी लोगों से यहां तक बताना शुरू कर दिया था कि वह उसकी पत्नी है, जबकि निमिषा की पहले ही केरल में थॉमस नामक शख्स से शादी हो चुकी थी और दोनों के एक बच्ची थी। साल 2015 में यमन में सिविल वॉर शुरू होने के बाद तलाल में बदलाव आने लगे और फिर दोनों के बीच अक्सर लड़ाई होने लगी। निमिषा ने बताया था, ''क्लिनिक की शुरुआत अच्छी रही थी। महीनेभर के अंदर ही मुझे अच्छी कमाई होने लगी। तलाल ने शुरू में मेरी मदद की थी, जैसे कि पैसे और सामान को लाने में। पर जब मेरी अच्छी कमाई होने लगी तो तलाल ने उसमें से हर महीने शेयर मांगना शुरू कर दिया। यहां तक कि उसने क्लिनिक के शेयरहोल्डर में भी अपना नाम जुड़वा लिया।'' 'मुझे अपने दोस्तों के साथ संबंध बनाने को कहता था' सजा पाने के बाद जेल से ही बात करते हुए निमिषा ने बताया था, ''उसने मुझे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। वह क्लिनिक के कर्मचारियों के सामने मुझे पीटता और मुझपर थूकता था। 2016 में मैंने पुलिस थाने में उसकी शिकायत दर्ज करवाई। उसने मेरा पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया और अपने साथ रहने पर मजबूर करने लगा। वह नशा करके घर आता और मुझे मारता-पीटता।'' भारतीय नर्स ने आगे कहा, ''वह रात में अपने दोस्तों को भी घर पर लाता और मुझे उनके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। मैं खुद को बचाने के लिए बाहर भागती थी। मैं उससे बचने के लिए यमन की सड़कों पर रात में अकेले भागती थी, जबकि यह एक ऐसी जगह है, जहां रात में सड़क पर कोई महिला नहीं दिखाई देती।'' इन सबके बाद साल 2017 में निमिषा ने उसे नशीली दवा देकर बेहोश करने की कोशिश की, जिससे वह अपना पासपोर्ट वापस ले सके। पहली बार में वह इतने नशे में था कि उस पर दवा ने कोई असर नहीं किया। दोबारा नशे की दवा का ओवरडोज ज्यादा होने की वजह से तलाल की मौत हो गई। इसके बाद, पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार किया और बाद में उसे फांसी की सजा सुनाई गई।

‘हमने ही पाले आतंकी’ – बिलावल भुट्टो के बयान से पाकिस्तान की पोल खुली

कराची  पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने माना है कि उनके देश ने आतंकी संगठनों को बढ़ावा दिया है। हालांकि हमेशा की तरह हकीकत को खारिज करने की कोशिश करते हुए बिलावल ने कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की बात से इनकार कर दिया है। उन्होंने भारतीय पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान किसी भी आतंकी समूह को बढ़ावा नहीं देता। पाकिस्तान तो खुद ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। हम आतंक से जंग में 92 हजार लोगों को खोज चुके हैं। एक साल में ही करीब 2 हजार लोग मारे गए हैं। इसी साल की बात करें तो पाकिस्तान के इतिहास का यह सबसे खूनी वर्ष है। उनसे पूछा गया कि आपके पिता ने 2009 में माना था कि पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों को तैयार किया था। इस पर बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि यह जिया उल हक की नीति थी, जिन्होंने जिहादिफिकेशन की बात कही थी। पाकिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप में जो आतंकवाद है, वह अफगानिस्तान में चली जंग के चलते है। अफगानिस्तान में लंबे समय तक जिहाद चला और उसका असर है कि पाकिस्तान को भी भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि 9/11 आतंकी हमले के बाद इसमें इजाफा हुआ। इन लोगों की शुरुआत तो अफगानिस्तान से ही हुई थी, लेकिन फिर इन आतंकी संगठनों ने कश्मीर जिहाद शुरू कर दिया। इसके आगे अहम तथ्य को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान के कुछ संगठनों और लोगों को अफगानिस्तान के जिहाद में लगाया गया। लेकिन यहां आधी बात ही बिलावल ने स्वीकार की और कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में सेना, आईएसआई और यहां तक कि सरकार के रोल को नकार दिया। भुट्टो ने कहा कि आतंकी संगठनों ने अफगानिस्तान में जिहाद शुरू किया था, फिर उन्होंने कश्मीर की ओर रुख कर लिया। पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर से जुड़े द रेजिस्टेंस फोर्स का हाथ होने की बात पर बिलावल भुट्टो ने कहा कि हमने आतंकी संगठनों पर ऐक्शन लिया है। मुंबई आतंकी हमले पर पाकिस्तान ने क्या ऐक्शन लिया? क्या बोले बिलावल उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने माना है कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं। फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स ने भी यह स्वीकार किया है। बिलावल ने कहा कि हमारे पीएम ने पहलगाम आतंकी हमले पर लगे आरोपों को लेकर कहा था कि हम किसी भी जांच का हिस्सा बनने को तैयार हैं। इस पर करन थापर ने पूछा कि आखिर मुंबई हमले से लेकर अब तक आपने किन आतंकी संगठनों और लोगों के खिलाफ ऐक्शन लिया है। जबकि जनरल महमूद दुर्रानी ने खुद स्वीकार किया था कि अजमल कसाब भारत का रहने वाला है। हाफिज सईद पर बोले बिलावल- उसे जेल में रखा था इस पर बिलावल ने कहा कि हाफिज सईद की बात है तो वह जेल में रह चुका है। उसके खिलाफ पाकिस्तान में जांच भी की गई थी। मसूद अजहर को लेकर बिलावल ने कहा कि वह फिलहाल अफगानिस्तान में है। यदि वह पाकिस्तान में होता तो उसके खिलाफ ऐक्शन लिया जाता। बिलावल ने कहा कि मैं मानता हूं कि आतंकवाद पाकिस्तान और भारत दोनों के लिए ही खतरा है। बता दें कि हाफिज सईद को एक बार जेल में बंद भी किया गया था, लेकिन वह मुंबई आतंकी हमले के मामले में नहीं बल्कि टेरर फंडिंग के नाम पर जेल गया था।

स्वदेशी रक्षा शक्ति को मिलेगा बढ़ावा, ब्रह्मोस युक्त फाइटर जेट के लिए सरकार की खुली तिजोरी

नई दिल्ली  दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में सामरिक हालात जिस तेजी से बदल रहे हैं, उसे देखते हुए डिफेंस सिस्‍टम को मजबूत करना अनिवार्य हो गया है. भारत के लिए यह स्थिति कहीं ज्‍यादा खतरनाक और संवेदनशील है. वेस्‍टर्न बॉर्डर पर पाकिस्‍तान और उत्‍तरी सीमा पर चीन का खतरा दशकों से है. ये दोनों देश समय-समय पर अपना रंग दिखा चुके हैं. अप्रैल में पहलगाम अटैक के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का ऐलान करते हुए मई के शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च कर पाकिस्‍तान के साथ ही दुनिया के अन्‍य देशों को जवाब दे दिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के रूप में तीसरा दुश्‍मन भी सामने आया. तुर्की ने ड्रोन, वेपन और अपने एक्‍सपर्ट पाक‍िस्‍तान भेजकर आतंकवाद का साथ देने का खुलेआम ऐलान कर दिया. रिपोर्ट की मानें तो तुर्की की डिफेंस कंपनी बांग्‍लादेश में इन्‍वेस्‍ट करने जा रही है. ढाका में शेख हसीना की सरकार का तख्‍तापलट होने के बाद मोहम्‍मद यूनुस की अगुआई में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. पछिले दरवाजे से बांग्‍लादेश की सत्‍ता मिलने के बाद यूनुस भारत के खिलाफ लगातार टेढ़ी चाल चल रहे हैं. ऐसे में तुर्की का बांग्लादेश में पैठ बनाने की कोशिश करना खतरे की घंटी है. बदलते सुरक्षा हालात को देखते हुए अब भारत के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह अपनी ताकत को इस हद तक बढ़ाए कि दुश्‍मन उसकी तरफ आंख उठाकर देखने की जुर्रत न कर सके. इसे देखते हुए आर्मी से लेकर एयरफोर्स और नेवी को लगातार अपग्रेड करते हुए उसे ताकतवर बनाया जा रहा है. आर्मी में अल्‍ट्रा मॉडर्न राइफल, टैंक, ड्रोन आदि को शामिल किया जा रहा है. नेवी में भी नए युद्धपोत और सबमरीन (पनडुब्‍बी) को शामिल करने की प्रक्रिया लगातार जारी है. इंड‍ियन एयरफोर्स को और स्‍ट्रॉन्‍ग बनाने पर लगातार ध्‍यान दिया जा रहा है. भारत सरकार ने वायुसेना के लिए खजाने का मुंह भी खोल रखा है. एयरफोर्स अपने बेड़े में नए फाइटर जेट को जोड़ने के लिए हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) के साथ ₹60000 करोड़ की डील करने पर विचार कर रहा है. दरअसल, इंडियन एयरफोर्स ने साल 2021 में एचएएल के साथ 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट खरीदने का करार किया था. यह डील 48000 करोड़ रुपये की थी. उम्‍मीद है कि इस साल या अगले साल से एचएएल चौथी पीढ़ी (4++) के तेजस Mk1A फाइटर जेट की आपूर्ति करना शुरू कर देगी. अमेरिकी डिफेंस कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की ओर समय पर इंजन मुहैया न करान की वजह से करार के तहत लड़ाकू विमानों की सप्‍लाई पर प्रतिकूल असर पड़ा. एयरफोर्स की ओर से विमानों की आपूर्ति में देरी पर सख्‍त नाराजगी जताने के बाद एचएएल की ओर से प्रयास तेज कर दिए गए. इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं. कुछ रिपोर्ट में तो यहां तक कहा जा रहा है कि देसी सरकारी विमान निर्माता कंपनी साल 2025 से ही तेजस Mk1A फाइटर जेट की सप्‍लाई शुरू कर देगी. जेट प्रोडक्‍शन को रफ्तार देने के लिए एचएएल ने नासिक में नई प्रोडक्‍शन लाइन भी स्‍थापित की है. चिंता की बात यह है कि सीमाई इलाकों की सुरक्षा के लिए एयरफोर्स को 41 से 42 स्‍क्‍वाड्रन विमान की जरूरत है, जबकि वायुसेना के पास फिलहाल 31 स्‍क्‍वाड्रन ही है. परिस्थितियों को देखते हुए इस गैप को जल्‍द से जल्‍द दूर करना जरूरी है, क्‍योंकि बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तान अपने पुराने यार चीन से पांचवीं पीढ़ी का विमान खरीदने जा रहा है. ऐसे में यदि भारत की ओर से तत्‍काल कदम नहीं उठाया गया तो देश सामरिक रूप से पिछड़ सकता है. बता दें कि एयरफोर्स एचएएल को चार साल पहले दिए गए 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट के अलावा अलग से अतिरिक्‍त लड़ाकू विमान का ऑर्डर देने पर विचार कर रहा है. दूसरी तरफ, फौरी जरूरतों को देखते हुए रक्षा विभाग पांचवीं पीढ़ी का स्‍टील्‍थ फाइटर जेट खरीदने पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है. इसपर भी हजारों करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है. अतिरिक्‍त तेजस Mk1A फाइटर जेट डील जानकारी के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स एचएएल को 97 अतिरिक्‍त तेजस Mk1A फाइटर जेट का ऑर्डर देने पर गंभीरता से विचार कर रही है. यद अतिरिक्‍त तेजस Mk1A फाइटर जेट कॉन्‍ट्रैक्‍ट दिया जाता है कि वायुसेना के पास इस कैटेगरी में कुल मिलाकर 180 तेजस Mk1A फाइटर जेट की फ्लीट हो जाएगी. इससे न केवल एयरफोर्स की ताकत बढ़ेगी, बल्कि देसी फाइटर जेट का मार्केट भी डेवलप होगा. सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो पश्चिम से लेकर उत्‍तर तक की सीमा पर दुश्‍मन आंख मिलाने का दुस्‍साहस करने से पहले 100 बार सोचेगा. हालांक‍ि, अमेरिकी फाइटर जेट निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की ओर से वादे के मुताबिक समय पर जेट इंजन मुहैय न कराने की वजह से साल 2021 में 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट मुहैया कराने का करार अभी तक पूरा नहीं हो सका है. हालांकि, HAL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्‍टर डीके सुनील का दावा है कि यदि एयरफोर्स की ओर से अतिरिक्‍त 97 फाइटर जेट का ऑर्डर दिया जाता है तो उसे साल 2031 तक पूरा कर दिया जाएगा. फिलहाल डिफेंस से जुड़ी खरीद कमेटी इसपर विचार कर रही है. बता दें कि एचएएल साल 2027 से हर साल 30 तेजस Mk1A फाइटर जेट बनाने का लक्ष्‍य रखा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जनरल इलेक्ट्रिक भारत में ही पार्टनरशिप के तहत प्रोडक्‍शन यूनिट लगाएगी. ब्रह्मोस-NG की ताकत तेजस Mk1A फाइटर जेट कई मायनों में पूर्व के लड़ाकू विमान से अलग होने वाला है. यह अत्‍याधुनिक रडार सिस्‍टम (एक्टिव इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍कैन्‍ड ऐरे रडार – AESA) से लैस होगा. इसके अलावा इसमें ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल (न्‍यू जेनरेशन) और अस्‍त्र MK-2 मिसाइल भी इंस्‍टॉल करने की तैयारी है. बता दें कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल- NG पाकिस्‍तान में गदर मचाने वाली मौजूदा ब्रह्मोस से अलग और एडवांस्‍ड है. इसकी रेंज भी काफी ज्‍यादा होनेवाली है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ब्रह्मोस का हाइपरसोनिक वर्जन भी डेवलप किया जा रहा है. ऐसे में इसकी रफ्तार काफी ज्‍यादा होने वाली है. तेजस Mk1A फाइटर जेट में जनरल इलेक्ट्रिक के F404-IN20 इंजन का इस्‍तेमाल किया जाएगा. तेजस Mk1A लड़ाकू विमान की कॉम्‍बेट रेडियस 500 किलोमीटर होने वाली … Read more

विद्यासागर यूनिवर्सिटी में पेपर विवाद, स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकी बताने पर हुआ एक्शन

कोलकाता बंगाल के विद्यासागर विश्वविद्यालय (विवि) में स्नातक स्तर की परीक्षा के इतिहास के प्रश्नपत्र में स्वतंत्रता सेनानियों को 'आतंकी' कहे जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। प्रश्न के तौर पर ब्रिटिश जमाने के मेदिनीपुर के उन तीन जिलाधिकारियों के नाम बताने को कहा गया है, जिनकी आतंकियों ने हत्या की थी। शिक्षाविदों के एक वर्ग ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि बार्ज, पेडी व डगलस ब्रिटिश जमाने के अत्याचारी जिलाधिकारी थे, जिन्हें बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों ने मारा था। उन्हें आतंकी कहना अनुचित है। भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होगी: कुलपति  दूसरी तरफ विवि प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए दो अध्यापकों को हटा दिया है। विवि के कुलपति दीपक कुमार कर ने कहा-'गलत अनुवाद के कारण ऐसा हुआ है। हम इसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। मालूम हो कि बार्ज की अनाथबंधु पांजा, मृगेंद्रनाथ दत्त, रामकृष्ण राय, निर्मल जीवन घोष व ब्रजकिशोर चक्रवर्ती, पेडी की बिमल दासगुप्ता व ज्योति जीवन घोष और डगलस की प्रभांग्शु शेखर पाल व प्रद्योत कुमार भट्टाचार्य ने हत्या की थी। प्रद्योत, रामकृष्ण, निर्मल जीवन व ब्रजकिशोर को फांसी की सजा हुई थी। बिमल, ज्योति जीवन व प्रभांग्शु को कारावास की सजा सुनाई गई थी जबकि अनाथबंधु पुलिस के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। मुठभेड़ में बुरी तरह घायल हुए उनके साथी मृगेंद्रनाथ की भी अगले दिन चिकित्सा के दौरान मृत्यु हो गई थी। शिक्षकों के संगठन शिक्षानुरागी ऐक्य मंच के सचिव किंकर अधिकारी ने कहा कि यह एक अवांछित घटना है। भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।

ब्रह्मोस के बाद भारत को मिलेगा नया ताकतवर मिसाइल सिस्टम, जानिए क्या है LORA की खासियत

नई दिल्ली वायु सेना इजरायल की एयर लॉन्च्ड लॉन्ग रेंज आर्टिलरी मिसाइल खरीदने की प्लानिंग कर रही है। एयर LORA इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा डिजाइन क्वासी बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 400 से 430 किलोमीटर के लक्ष्य को भेदने में कारगर है। वैसे तो भारत के पास पहले से ही सुपरसोनिक ब्रह्मोस एयर-लॉन्च्ड मिसाइल है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना द्वारा रैम्पेज मिसाइलों की सफल तैनाती के बाद दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने में सक्षम एडवांस स्टैंड ऑफ हथियारों की जरूरत महसूस हुई। अति आधुनिक मिसाइल है एयर LORA एयर LORA सिर्फ एक मिसाइल नहीं है, बल्कि ये तकनीक और हवा से लॉन्च कर सटीक निशाना लगाने का अनूठा संगम है। ये ट्रेडिशनल बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में डिप्रेस्ड प्रक्षेप पथ पर चलती है और इसी कारण इसे रोकना अत्यधिक कठिन हो जाता है। इसकी सबसे खास विशेषता फायर एंड फॉरगेट तकनीक है, जो पायलट को लॉन्च के तुरंत बाद डिसइंगेज करने में मदद करता है। इस मिसाइल से बीच रास्ते में भी टारगेट बदला जा सकता है और डायनमिक कॉम्बैट स्थिति में इसका फायदा मिलता है। मैक 5 की रफ्तार से चल सकती है मिसाइल     LORA मैक 5 की रफ्तार से चल सकती है और इसका सर्कुलर एरर 10 मीटर से भी कम है। यह अपने साथ 570 किलोग्राम तक वारहेड ले जा सकती है। मिसाइल का वजन 1600 किलोग्राम और लंबाई 5.2 मीटर है। मिसाइल का नेविगेशन सिस्टम जीपीएस और आईएनएस के कॉम्बिनेशन पर आधारित है, जिससे प्रतिकूल परिस्थिति में भी टारगेट को सटीकता से भेदा जा सकता है।     भारतीय वायुसेना के प्लेटफॉर्मों के साथ यह मिसाइल आसानी से इंटीग्रेट की जा सकती है। एक Su-30 MKI चार एयर LORA मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। भारत के पास पहले से लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता वाली मिसाइलें मौजूद हैं, जिसमें ब्रह्मोस, स्कैल्प ईजी, प्रलय, रैम्पेज शामिल हैं। अगर एयर LORA की डील आगे बढ़ती है, इसे भारत में निर्मित किया जा सकता है।  

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल, प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं – लोकतंत्र पर मंडरा रहा खतरा

मुंबई  बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण अभियान पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने दावा किया है कि चुनाव आयोग प्रजातंत्र को खत्म करने के लिए भाजपा का सहयोग कर रहा है। गुरुवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने कहा कि मतदाता सत्यापन के लिए जरूरी दस्तावेजों से आधार कार्ड को बाहर रखने का एक षड्यंत्र चुनाव आयोग की ओर से रचा जा रहा है ताकि गरीबों और वंचितों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जाए और अपने हिसाब से नए वोटर को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से चुनाव आयोग संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है और प्रजातंत्र को खत्म करने में जिस प्रकार से भाजपा को सहयोग दे रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग ने जो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान किया, अब उस चीज को बिहार में दोहराया जा रहा है। विपक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ध्यान देगा। वोटर लिस्ट के मेगा वेरिफिकेशन ड्राइव पर रोक लगाई जाएगी। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान हमें उम्मीद है कि विदेशी दौरों से भारत को क्या लाभ हुआ है, प्रधानमंत्री उसे संसद में रखेंगे। मैं पीएम मोदी को 17 विदेशी संसदों को संबोधित करने के रिकॉर्ड पर बधाई देना चाहती हूं। मुझे उम्मीद है कि हमारे सांसदों को भी संबोधित करेंगे और सत्तारूढ़ दल से हमारी अपेक्षाओं, सवालों और आशाओं को पूरा करेंगे। उन्होंने शिवसेना विधायक संजय गायकवाड के मामले पर कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि आप मार सकते हैं, पीट सकते हैं, और आपको खुली छूट है। आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी, जिसके साथ मारपीट हुई, उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया। कैंटीन में 10 समस्याएं हो सकती थीं, लेकिन जिस तरह से यह हुआ। पहले मारपीट हुई, फिर एक गरीब आदमी का लाइसेंस छीन लिया गया, न उसे चेतावनी दी गई, न ही उसे सुधरने का मौका दिया गया। इससे पता चलता है कि महाराष्ट्र की राज्य सरकार केवल सत्ता में रहना चाहती है, सत्ता का सुख भोगना चाहती है। जनता के प्रति उनका कोई योगदान नहीं है।

हादसे के बाद प्रशासन सख्त, वडोदरा में चार इंजीनियर निलंबित, सभी पुलों की जांच शुरू

वडोदरा गुजरात के वडोदरा में पुल ढहने की घटना में एनएम नाइकवाला (कार्यकारी अभियंता), यूसी पटेल (उप-कार्यकारी अभियंता), आरटी पटेल (उप-कार्यकारी अभियंता) और जेवी शाह (सहायक अभियंता) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को वडोदरा में महिसागर नदी पर बीते दिन पुल के ढहने के सिलसिले में राज्य के सड़क एवं भवन विभाग के चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया। हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई है और कुछ अब भी लोग लापता हैं। सड़क एवं भवन विभाग के प्रभारी मुख्यमंत्री पटेल ने विशेषज्ञों से पुल की मरम्मत, निरीक्षण और गुणवत्ता जांच पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। इसी रिपोर्ट के आधार पर चारों इंजीनियरों को निलंबित करने का निर्णय लिया गया। राज्य के अन्य पुलों का तुरंत गहन निरीक्षण करने का आदेश तत्काल प्रभाव से निलंबित किए गए लोगों में कार्यकारी अभियंता एनएम नायकवाला, उप कार्यकारी अभियंता यूसी पटेल और आरटी पटेल के साथ-साथ सहायक अभियंता जेवी शाह शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने विभाग के अधिकारियों को इस घटना के मद्देनजर राज्य के अन्य पुलों का तुरंत गहन निरीक्षण करने का आदेश दिया है। तीन से चार लोग अभी भी लापता इससे पहले बुधवार सुबह वडोदरा के पादरा कस्बे के पास गंभीरा गांव के पास आणंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाले चार दशक पुराने पुल का एक हिस्सा ढह जाने से कई वाहन महिसागर नदी में गिर गए थे। वडोदरा जिले के पुलिस अधीक्षक रोहन आनंद ने दिन में बताया, 'अब तक 16 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि तीन से चार लोग अभी भी लापता हैं। तलाशी और बचाव अभियान अभी भी जारी है।'

जिलाधिकारी का बड़ा आदेश: 10 दिन तक बंद रहेंगे स्कूल, छुट्टी का शेड्यूल जारी

हरिद्वार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले से एक अहम सूचना सामने आई है। आगामी श्रावण कांवड़ यात्रा 2025 के मद्देनज़र जिले में 14 जुलाई से 23 जुलाई तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को 10 दिनों के लिए बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। यह आदेश हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित द्वारा जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि भारी संख्या में कांवड़ियों की आवाजाही और यातायात की दृष्टि से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को देखते हुए यह निर्णय जनहित और छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। किन संस्थानों पर लागू होगा यह आदेश? यह अवकाश हरिद्वार जिले के अंतर्गत आने वाले सभी प्रकार के शिक्षण संस्थानों पर लागू होगा: -12वीं कक्षा तक के सभी सरकारी और निजी स्कूल -सभी डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालय -तकनीकी और प्राविधिक संस्थान -सभी आंगनबाड़ी केंद्र पढ़ाई नहीं रुकेगी हालांकि सभी शिक्षण संस्थान इस अवधि में भौतिक रूप से बंद रहेंगे, लेकिन ऑनलाइन माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियों को जारी रखने का निर्देश दिया गया है। स्कूल और कॉलेजों को कहा गया है कि वे छात्रों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करवाएं ताकि पढ़ाई में किसी प्रकार का व्यवधान न आए। क्यों लिया गया यह निर्णय? हर साल श्रावण मास में उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं। इस वर्ष कांवड़ यात्रा 11 जुलाई 2025 से प्रारंभ हो रही है, और यात्रा के दौरान हरिद्वार में भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इससे यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है, साथ ही स्कूल आने-जाने वाले छात्रों को असुविधा और सुरक्षा संबंधी खतरे हो सकते हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि कांवड़ यात्रा मार्गों को कुछ स्थानों पर बंद या डायवर्ट भी किया जाएगा, जिससे आवागमन और अधिक कठिन हो जाएगा। ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यह अवकाश घोषित किया गया है।   

अरुणाचल के सीएम पेमा खांडू का बयान – दलाई लामा का उत्तराधिकारी नहीं होगा चीन से

नई दिल्ली अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि अगले दलाई लामा एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश से होंगे, चीन से तो बिल्कुल नहीं। उन्होंने कहा कि अगले दलाई लामा के चयन की प्रक्रिया किसी पदधारी के निधन के बाद ही शुरू होती है। साथ ही आशा और प्रार्थना की कि 14वें दलाई लामा 40 और वर्षों तक जीवित रहें। खांडू ने एक साक्षात्कार में कहा, 'दलाई लामा का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। अपनी 90वीं जन्मतिथि समारोह के अवसर पर उन्होंने खुद कहा कि वह लगभग 130 वर्ष तक जीवित रहेंगे। इसलिए हम सभी प्रार्थना करते हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि वह 130 वर्ष तक जीवित रहेंगे।' दलाई लामा के जन्म पर बोले खांडू दलाई लामा के अनुयायी और बौद्ध धर्मावलंबी मुख्यमंत्री ने अगले दलाई लामा के चयन के बारे में कहा, 'पूरे नियम तय हैं, सभी प्रक्रियाएं तय हैं। अभी इस बारे में अटकलें लगाने का कोई मतलब नहीं है। अभी यह अनुमान लगाने का कोई मतलब नहीं है कि उनका जन्म कहां होगा, किस क्षेत्र में होगा, भारत में होगा या तिब्बत में। उन्होंने कहा कि केवल एक स्पष्टता है, जो दलाई लामा ने शायद एक साक्षात्कार में कही है कि अगले दलाई लामा का जन्म एक स्वतंत्र विश्व में होगा।' मुख्यमंत्री ने कहा कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट अगले दलाई लामा की खोज करेगा। हिंदी को लेकर सीएम ने की टिप्पणी     भाषा विवाद के बीच खांडू ने कहा कि हिंदी उनके राज्य को जोड़ने वाली भाषा है। जब से अरुणाचल प्रदेश में शिक्षा आई है, तब से हिंदी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा रही है और इसे सीखने में कोई समस्या नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में इतनी विविधता है कि 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से ज्यादा उप-जनजातियां अपनी-अपनी भाषाएं और बोलियां बोलती हैं।     उन्होंने कहा, 'अगर मैं अपनी बोली, अपनी भाषा में बोलूंगा तो दूसरी जनजाति के लोग समझ नहीं पाएंगे। इसलिए हर कोई हिंदी बोलता है। व्याकरण संबंधी गलतियां जरूर होंगी, लेकिन अगर आप किसी भी गांव में जाएं, तो सभी ग्रामीण हिंदी समझेंगे और बोलेंगे। हम चुनाव प्रचार में और विधानसभा में भी हिंदी बोलते हैं।'  

चीन में राजनीतिक उथल-पुथल, जिनपिंग की सत्ता में दरार की आहट

बीजिंग  बीजिंग में बैठा चीन का राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों रहस्यों में घिरा है। ब्राजील में हाल ही में हुए BRICS सम्मेलन से लेकर पार्टी बैठकों तक, हर जगह उनकी गैरमौजूदगी ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। सत्ता के गलियारों में कानाफूसी तेज है कि क्या  72 साल के शी जिनपिंग सत्ता से बेदखल होने की तैयारी में हैं?  या फिर पर्दे के पीछे उनके खिलाफ बगावत का खेल शुरू हो चुका है? पहली बार BRICS से गायब  सत्ता में आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि शी जिनपिंग BRICS समिट से गायब रहे। यह वही नेता हैं जिन्होंने पिछले 13 सालों से चीन पर लोहे की दीवार खड़ी कर रखी है। लेकिन अचानक ब्रिक्स में न जाना और कम्युनिस्ट पार्टी के अहम संगठनों को ज्यादा अधिकार सौंपना दोनों बातें इशारा कर रही हैं कि अंदर कुछ तो गड़बड़ है!  जिनपिंग की सत्ता में सेंध ?  चीनी मामलों के भारतीय एक्सपर्ट आदिल बरार  ने ताइवान से बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि शी कहीं नहीं जा रहे, बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत हो रहे हैं। लेकिन कई आलोचक इसे उनका ‘डैमेज कंट्रोल’ बयान बता रहे हैं। क्योंकि सच्चाई यही है कि शी को अपनी ही बनाई सत्ता संरचना पर अब शक हो रहा है, तभी तो उन्होंने कुछ करीबी नेताओं को ज्यादा अधिकार सौंप दिए हैं।बरार ने कहा  “दूसरे नेताओं को अधिकार देना उनकी मजबूरी नहीं, बल्कि रणनीति है।” लेकिन सवाल यह है कि अगर शी सच में इतने ताकतवर हैं तो BRICS में क्यों गायब रहे? क्यों पार्टी बैठकों में नए नियम लाकर खुद को ‘औपचारिक रूप से’ मजबूत करना पड़ा?   बगावत के बीज और  हकीकत शी जिनपिंग के खिलाफ बगावत के बीज उनकी ही पार्टी में पनप रहे हैं। पुराने सैन्य जनरल, पार्टी के सीनियर नेता और यहां तक कि कई युवा नेता सब अंदरखाने शी की नीतियों से नाराज बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि शी ने जो सत्ता केंद्रीकरण किया, वही अब उनके गले की फांस बन गया है। चीनी राजनीति को करीब से देखने वाले कहते हैं  “शी जितना अपने करीबी लोगों को सत्ता देंगे, उतना ही वो अपने विरोधियों को ताकतवर बना रहे हैं।  सत्ता में उनके भरोसेमंद लोगों के नाम पर जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। महंगाई, बेरोजगारी और पाबंदियों से परेशान जनता धीरे-धीरे दबी आवाज़ में शी के खिलाफ बोलने लगी है। नहीं बचेगा शी जिनपिंग ! 30 जून को पार्टी बैठक में पेश किए गए नए नियमों को भी चीन के अंदर ही कई लोग ‘पावर ग्रैब’ नहीं बल्कि ‘डर का सबूत’ मान रहे हैं। दरअसल, ये नियम बताते हैं कि शी को अब अपने ही बनाए सिस्टम पर भरोसा नहीं रहा।  कहीं ऐसा न हो कि यही करीबी लोग कल उनके खिलाफ खड़े हो जाएं! विश्लेषक कहते हैं  “शी जिनपिंग अपने ही बनाए सिस्टम से डरने लगे हैं। यही वजह है कि वो सत्ता में दिख तो रहे हैं लेकिन कमजोर होते जा रहे हैं। चीन में बदलाव की बयार चल पड़ी है, सवाल सिर्फ इतना है वो बदलाव क्रांति बनता है या शी के नए ‘केंद्रीकरण’ में दम तोड़ देता है?” शी जिनपिंग को लेकर अफवाहें इसलिए तेज हैं, क्योंकि चीन की अंदरूनी राजनीति काले पर्दों में छिपी रहती है। वो पर्दा अब उठ रहा है  या तो जिनपिंग खुद हटेंगे, या किसी दिन उनकी सत्ता उनके ही बनाए नियमों में उलझ जाएगी।