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चीन ने जमीन कब्जाई’ पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल से पूछा– जानकारी का स्रोत क्या है?

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा कि यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो आप ऐसा कुछ नहीं कहते. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की चीन द्वारा भारत की जमीन पर कब्जा करने संबंधी बयान पर कड़ी टिप्पणी की और उनसे पूछा कि उन्हें संसद में ये मुद्दे उठाने से किसने रोका है. कोर्ट ने पूछा, 'क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? बिना किसी विश्वसनीय सामग्री के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं. अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ये सब बातें नहीं कहते.' मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने की. वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष राहुल गांधी का प्रतिनिधित्व किया. सुनवाई की शुरुआत में सिंघवी ने गांधी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर वह ये सब नहीं कह सकते तो विपक्ष के नेता भी नहीं हो सकते. उन्होंने पीठ से अपने मुवक्किल के बयान की जाँच करने का आग्रह किया. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'डॉ. सिंघवी, आपको जो भी कहना है, कहिए. आप संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह सब क्यों कहना है.' सिंघवी ने तर्क दिया, 'एक तकनीक है, आप संसद सदस्य (एमपी) बन जाते हैं और सभी को बदनाम करते हैं लेकिन जनहित में एक पार्टी के नेता, बस देखें कि उन्होंने क्या कहा.' न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'डॉ. सिंघवी, हमें बताइए कि आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर लिया है. आपको कैसे पता चला कि आप वहाँ थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? बिना किसी विश्वसनीय सामग्री के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं.' न्यायमूर्ति दत्ता ने आगे कहा, 'अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप ये सब बातें नहीं कहते.' सिंघवी ने कहा कि यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार दिया गया, और उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चिंता का विषय है. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'जब सीमा पार संघर्ष होता है. अगर आप खुलासा कर रहे हैं, आप विपक्ष के नेता (एलओपी) हैं. तो आप (संसद में) सवाल क्यों नहीं पूछते, आप एलओपी हैं. यह क्या है, आप कहे जा रहे हैं? आपके पास अनुच्छेद 19(1)(ए) का अधिकार (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) है, एक जिम्मेदार एलओपी होने के नाते, आप ऐसा करते हैं.' सिंघवी ने कहा कि मानहानि का मुकदमा दायर करके किसी व्यक्ति को परेशान करने का यह कोई तरीका नहीं है, और उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधान 1 की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि अब संज्ञान लेने से पहले प्राकृतिक न्याय की आवश्यकता होती है. सिंघवी ने तर्क दिया, 'यह एक सर्वमान्य आधार है कि जब वर्तमान मामले में यानी 11 फरवरी, 2025 को संज्ञान लिया गया था, तब कोई प्राकृतिक न्याय नहीं था और न ही 223 (1) प्रावधान का कोई अनुपालन हुआ था.  राहुल गांधी से कोर्ट के तीखे सवाल सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने राहुल गांधी की तरफ से दिए गए बयानों पर असहमति जताई. राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शुरुआत में दलील दी कि अगर कोई विपक्षी नेता मुद्दे नहीं उठा सकता, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी. अदालत में सिंघवी ने कहा कि अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते. इस पर जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'आपको जो कुछ भी कहना है, संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह क्यों कहना है?' राहुल गांधी के बयान पर असहमति जताते हुए जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'आप बिना किसी सबूत के ये बयान क्यों दे रहे हैं. अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप यह सब नहीं कहते.' भारत जोड़ो यात्रा में दिया था बयान अपनी 2023 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल ने दावा किया कि एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें बताया था कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. उनके इस बयान को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया था और उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था. राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, 'आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2,000 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है?' और इस पर जोर देते हुए कहा, 'अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसा नहीं कहते.' कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है? जब सीमा पार कोई विवाद होता है तो क्या आप ये सब कह सकते हैं? आप संसद में सवाल क्यों नहीं पूछते? कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप विपक्ष के नेता हैं तो आप ये बातें क्यों कहेंगे? आप ये सवाल संसद में क्यों नहीं पूछते? इसके जवाब में राहुल की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने संसद में बोलने की छूट पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ा. अनुच्छेद 19(1)(ए) राहुल गांधी को सवाल पूछने की इजाजत देता है. सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने यह स्वीकार करते हुए कि याचिकाकर्ता अपना बयान बेहतर तरीके से पेश कर सकते थे, कहा कि शिकायत सिर्फ सवाल उठाने के लिए उन्हें परेशान करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है, जो एक विपक्षी नेता का कर्तव्य है. उन्होंने यह भी बताया इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया गया है. हालांकि, जस्टिस दत्ता ने बताया कि यह मुद्दा हाई कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया था. सिंघवी ने माना कि इस पॉइंट को उठाने में चूक हुई. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में चुनौती मुख्य रूप से शिकायतकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर केंद्रित थी.  सिंघवी ने राहुल की तरफ से कहा कि उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की कोई जरूरत नहीं है. मामले में संज्ञान लिए जाने से पहले उन्हें कोई प्राकृतिक न्याय … Read more

10 किमी रेंज और कम कीमत वाला GATR रॉकेट, इज़रायल ने भारत को सौंपा ऑर्डर

नई दिल्‍ली.  भारतीय डिफेंस सेक्‍टर की बड़ी कंपनी NIBE Limited ने हाल ही में इजरायल की प्रसिद्ध रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी Elbit Systems से 70 मिमी क्लास की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल GATR यानी गाइडेड एडवांस्ड टैक्टिकल रॉकेट का सौदा किया है. शनिवार को इस सौदे की घोषणा की गई. 6.12 करोड़ रुपये की लागत से इसे सितंबर 2026 तक पूरा किया जाएगा. यह सौदा भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का हिस्‍सा है, जिसके तहत स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है. अब मन में सवाल उठना लाजमी है कि GATR क्‍या है, जो इजरायल भारत से खरीदा रहा है? चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं. सस्‍ता और टिकाऊ हथियार GATR एक कॉस्‍ट-इफेक्टिव हाई प्रीसीजन (सटीकता) वाला रॉकेट है, जिसे मध्यम दूरी के टैक्टिकल हवाई अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी रेंज 10 किमी तक है और यह 100 किमी/घंटा तक की गति से चल रहे लक्ष्यों को भेद सकता है. GATR में अत्याधुनिक सेमी-एक्टिव लेजर गाइडेंस सिस्टम है, जो इसे बेजोड़ सटीकता प्रदान करता है. यह 16 किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है, जो 200 मिमी तक प्रबलित कंक्रीट को भेदने में सक्षम है. यह रॉकेट AH-64 अपाचे और HAL रुद्र जैसे कई हमलावर हेलीकॉप्टरों के साथ इंटीग्रेट यानी लोड हो सकता है. यह इस रॉकेट की मल्‍टी डायमेंशनल प्रतिभा को दिखाता है. इजरायल को क्‍यों चाहिए भारत से यह रॉकेट? इजरायल को भारत से GATR रॉकेट चाहिए, क्योंकि यह लागत प्रभावी और सटीक है. यह गाजा और लेबनान में हमास-हिजबुल्लाह के सैचुरेशन हमलों का जवाब देता है. इसकी 10 किमी रेंज और लेजर गाइडेंस इसे शहरी युद्ध के लिए आदर्श बनाता है. हमास हिजबुल्‍लाह के सस्‍ते मिसाइलों से निपटने के लिए इजरायल भारत की इस तकनीक की मदद लेना चाहता है. भारतीय मिसाइल की सटीकता शानादर NIBE Limited पुणे में स्थित रक्षा टेक्‍नोलॉजी क्षेत्र में इनोवेशन, स्वदेशीकरण और वैश्विक सहयोग पर केंद्रित है. यह कंपनी उन्नत रक्षा प्रणालियों के डिज़ाइन, निर्माण और इंटीग्रेशन में माहिर है. Elbit Systems के साथ यह साझेदारी भारत में उच्च तकनीक वाले रक्षा उपकरणों के निर्माण की दिशा में एक कदम है. NIBE इस ऑर्डर के तहत GATR के पुर्जों का निर्माण और आपूर्ति करेगा, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों और वैश्विक सहयोगियों के लिए मिशन की सफलता और परिचालन सुरक्षा में वृद्धि होगी. भारत का बढ़ रहा रक्षा बाजार यह सौदा भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को दर्शाता है. NIBE की यह उपलब्धि भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करती है. यह साझेदारी तकनीकी उन्नति और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी, खासकर पुणे के विनिर्माण क्षेत्र में. यह भारत-इजरायल रक्षा सहयोग को भी मजबूत करता है, जो हाल के ऑपरेशन सिंदूर के बाद और प्रासंगिक हो गया है.

कश्मीर की धरती से निकला इतिहास! 2000 साल पुरानी हिंदू मूर्तियां मिलीं खुदाई में

 अनंतनाग  जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में खुदाई के दौरान शिवलिंग समेत तमाम प्राचीन हिंदू मूर्तियां बरामद की गई हैं। शनिवार को इसकी जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह मूर्तियां ऐशमुकाम के सलिया इलाके में करकूट नाग इलाके में बरामद की गई हैं। यह इलाका कश्मीरी पंडितों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां के पंडित आमतौर पर इस इलाके को करकूट वंश से जोड़ते हैं, जिसके बारे में ककहा जाता है कि इस वंश ने 625 से 855 ई.पू. तक कश्मीर पर शासन किया था। यह जिला मुख्यालय से लगभग 16 किमी दूर है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस जम्मू-कश्मीर राज्य का लोक निर्माण विभाग यहां पर एक झरने के जीर्णोद्धार का काम कर रहा था, इसी दौरान मजदूरों को यह मूर्तियां मिली हैं। झरने की खुदाई में 11 शिवलिंगों सहित कुल मिलाकर 15 प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। एक स्थानीय चैनल के मुताबिक इन मूर्तियों के ऊपर कई देवताओं के चित्र उत्कीर्ण हैं। यह सभी क्षतिग्रस्त मूर्तियां एक प्राचीन मंदिर का हिस्सा मानी जा रही हैं, जो दशकों पहले यहां मौजूद था। अधिकारियों ने बताया कि इन मूर्तियों के बरामद होने की सूचना मिलते ही राज्य अभिलेखागार, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अधिकारी यहां दौरे पर आए और उन्होंने इनकी जांच की। इन मूर्तियों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए इनको श्रीनगर भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि इन मूर्तियों को एसपीएस म्यूजियम में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जहां पर रिसर्चर इनकी जांच करेंगे।

यात्री ने की स्पाइसजेट कर्मियों से हिंसक मारपीट, एयरलाइन बोली- कर्मचारी की हालत गंभीर

श्रीनगर  श्रीनगर हवाई अड्डे पर हिंसा की एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जहां 26 जुलाई (शनिवार) को एक सीनियर सेना के अधिकारी ने दिल्ली जाने वाली उड़ान SG-386 के बोर्डिंग गेट पर स्पाइसजेट के चार ग्राउंड स्टाफ सदस्यों पर बेरहमी से हमला कर दिया। एयरलाइन ने बयान जारी करते हुए कहा कि श्रीनगर हवाई अड्डे पर हुए हमले में स्पाइसजेट के चार कर्मचारियों को गंभीर चोटें आईं हैं। इनमें से एक रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर भी हुआ है। बेहोशी के बाद भी मारता रहा स्पाइसजेट एयरलाइन के अनुसार, हमला करने वाले सेना के अधिकारी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस शख्स ने एयरलाइन कर्मचारियों को घूंसों और अपने पैरों से मारा है। यहां तक कि एक कर्मचारी पर क्यू स्टैंड से भी हमला किया गया। एयरलाइन ने बताया कि एक कर्मचारी फर्श पर बेहोश हो गया, लेकिन वह उसे लातें से मारता रहा। घायल कर्मचारियों को अस्पताल में कराया गया भर्ती एयरलाइन ने कहा कि एक अन्य कर्मचारी के जबड़े पर जोरदार लात लगने से उसकी नाक और मुंह से खून बहने लगा। इसके कारण वह बेहोश भी हो गया। सभी घायल कर्मचारियों को अस्पताल ले जाया गया। जहां गंभीर चोटों के कारण उनका इलाज चल रहा है। इस हमले की ये रही वजह इस हमले के पीछ की वजह भी पता चल गई है। यात्री, जो एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी था। वह दो केबिन बैगेज ले जा रहा था, जिनका कुल वजन 16 किलोग्राम था। फ्लाइट में 7 किलोग्राम की अनुमत सीमा से लगेज दोगुना से भी ज्यादा था। जबरदस्ती एयरोब्रिज में किया प्रवेश फ्लाइट के कर्मचारियों द्वारा जब उसे विनम्रतापूर्वक अतिरिक्त सामान के बारे में बताया गया और लागू शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा गया तो यात्री ने पैसे देने से इनकार कर दिया। यात्री ने बोर्डिंग प्रक्रिया पूरी किए बिना ही जबरदस्ती एयरोब्रिज में प्रवेश कर गया, जो विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन है। पुलिस ने दर्ज किया केस सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने उसे वापस गेट तक पहुंचाया। तभी गेट पर यात्री का व्यवहार और भी आक्रामक हो गया। उसने स्पाइसजेट के चार ग्राउंड स्टाफ सदस्यों पर शारीरिक हमला कर दिया। इस पूरे मामले पर स्थानीय पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। नो-फ्लाई सूची में डालने की शुरू हुई प्रक्रिया एयरलाइन ने नागरिक उड्डयन नियमों के अनुसार यात्री को नो-फ्लाई सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। स्पाइसजेट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखकर अपने कर्मचारियों पर हुए जानलेवा हमले की जानकारी दी है। यात्री के खिलाफ उचित कार्रवाई का अनुरोध किया है। पुलिस को सौंपा गया सीसीटीवी फुटेज एयरलाइन ने एयरपोर्ट अधिकारियों से घटना का सीसीटीवी फुटेज हासिल कर पुलिस को सौंप दिया है। स्पाइसजेट अपने कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा की कड़ी निंदा करती है। इस मामले को पूरी कानूनी और नियामकीय कार्रवाई तक ले जाएगी।

रूस पर ट्रंप का प्रहार, 120 डॉलर तक पहुंच सकता है कच्चा तेल, जेब पर पड़ेगा असर!

नईदिल्ली  अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) यूक्रेन और रूस युद्ध (Ukraine-Russia War) को लेकर हर तरीके से रूस पर दबाव बना रहे हैं. अभी उन्‍होंने रूस के पास दो न्‍यूक्लियर पनडुब्‍बि‍यों को तैनात कर किया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ चुका है. वहीं उन्‍होंने भारत पर टैरिफ और जुर्माना लगाने का ऐलान किया था, क्‍योंकि भारत रूस से कच्‍चा तेल और हथियार खरीद रहा है और ट्रंप चाहते हैं कि भारत रूस से इम्‍पोर्ट बंद कर दे.  इतना ही नहीं ट्रंप रूस पर व्‍यापाक प्रतिबंध लगाने वाले हैं. जिसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप द्वारा रूस पर प्रतिबंध कच्‍चे तेल (Crude Oil) की कीमत में तेजी ला सकता है. यह कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. ऑयल मार्केट एक्‍सपर्ट्स ने  बताया कि बढ़ते जियो-पॉलिटिकल तनाव, खासकर यूक्रेन युद्ध को लेकर ट्रंप द्वारा रूस को दी गई चेतावनी तेल आपूर्ति को झटका दे सकती है, जिसका असर लॉन्‍गटर्म में दिखाई देगा.  सितंबर-अक्‍टूबर में क्रूड ऑयल प्राइस कितना होगा?  वेंचुरा में कमोडिटीज और CRM प्रमुख, NS रामास्वामी ने कहा कि ब्रेंट ऑयल प्राइस अक्टूबर 2025 तक $76 प्रति बैरल टारगेट है, जो $69 के सपोर्ट लेवल से नीचे भारी गिरावट को छोड़कर, 2025 के अंत तक $82 तक पहुंच सकता है. WTI क्रूड सितंबर 2025 तक $69.65 से बढ़कर $76-79 तक पहुंच सकता है.  एक्‍सपर्ट ने कहा कि यह चिंता ट्रंप द्वारा रूस के साथ व्‍यापार जारी रखने वाले देशों पर नए प्रतिबंधों और 100 फीसदी टैरिफ ऐलान से पैदा हुआ है. ऐसे में रूसी तेल खरीदने वाले देश सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं.  भारत पर क्‍या होगा असर?  सीनियर एनर्जी एक्‍सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि रूस ग्‍लोबल इकोनॉमी में हर दिन 50 लाख बैरल तेल का निर्यात करता है. अगर यह आउटफ्लो ब्रेक होता है तो क्रूड ऑयल की कीमत 100 से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. चूंकि भारत रूस से 35 से 40 फीसदी तेल इम्‍पोर्ट करता है, इसलिए कीमत बढ़ने से भारत भी प्रभावित होगा. उन्‍होंने कहा कि 40 से ज्‍यादा देशों से आपूर्ति होने के कारण भारत को आपूर्ति में कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन कंज्‍यूमर प्राइस बढ़ सकती हैं.  भारत की रिफाइनरी कंपनियां रियायती रूसी तेल पर निर्भर हैं, जिसने 2022 से घरेलू महंगाई दर को संतुलित करने में मदद की है. अगर भारत की ये कंपनियां प्रतिबंध के बाद भी आयात करती हैं तो जुर्माने और उच्‍च टैरिफ का सामना कर सकती है, जिससे कई चीजें महंगी हो सकती हैं.  कौन-कौन सी चीजें महंगी हो सकती हैं?      सबसे पहले असर पेट्रोल-डीजल और LPG की कीमतों पर सीधा असर दिखाई देगा.      सब्ज़ी, फल, दूध, और फूड आइटम्स भी महंगे हो सकते हैं, क्‍योंकि क्रूड ऑयल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट कॉस्‍ट भी बढ़ेगा.      प्लास्टिक, केमिकल, सीमेंट, स्टील, और अन्य इंडस्ट्रीज में इनपुट कॉस्ट बढ़ने से कंस्‍ट्रक्‍शन, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और कपड़ा इंडस्‍ट्री पर असर पड़ेगा.      बस, ट्रक, ऑटो और टैक्सी का किराया बढ़ सकता है और ई-कॉमर्स डिलीवरी भी महंगी हो सकती है.  विशेषज्ञों का दावा है कि ग्‍लोबल मार्केट में पहले से ही कच्‍चे तेल उत्‍पादन की समस्‍या रही है, जिस कारण कई देशों में महंगाई बढ़ी हुई है. ऊपर से ये प्रतिबंध कीमतें और बढ़ा सकती हैं. अनुमान है कि कच्‍चे तेल की कीमतों में 2026 तक तेजी रह सकती है. 

लद्दाख में इसरो की अनोखी पहल: अब धरती पर होगा चंद्र-मार्स जीवन का परीक्षण

  नई दिल्ली भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लद्दाख की त्सो कार घाटी में हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE) की स्थापना की है. यह एक उच्च-ऊंचाई वाला, मंगल ग्रह जैसा वातावरण है, जिसे भविष्य के चंद्र और मंगल मिशनों के लिए जीवन-रक्षक प्रणालियों और तकनीकों का परीक्षण करने के लिए चुना गया है. इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन द्वारा 31 जुलाई को उद्घाटन किए गए इस HOPE स्टेशन का उपयोग भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए प्रणालियों का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा. इस परियोजना का नेतृत्व इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र द्वारा किया जा रहा है, जिसे एक उद्योग भागीदार और शीर्ष अनुसंधान संस्थानों का समर्थन प्राप्त है. यह एनालॉग मिशन एक बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य यह अध्ययन करना है कि पृथ्वी पर अन्य ग्रहों की कठोर परिस्थितियों की नकल करके मनुष्य अलौकिक वातावरण में कैसे जीवित रह सकते हैं और फल-फूल सकते हैं. त्सो कार घाटी को मंगल ग्रह से इसकी पर्यावरणीय समानताओं के कारण चुना गया था, जिनमें उच्च पराबैंगनी विकिरण, निम्न वायुमंडलीय दबाव, अत्यधिक ठंड और खारे पर्माफ्रॉस्ट शामिल हैं. HOPE सुविधा में दो जुड़ी हुई इकाइयाँ हैं. एक चालक दल के लिए आठ मीटर चौड़ा रहने का स्थान है, जबकि दूसरा पाँच मीटर का उपयोगिता मॉड्यूल है जिसमें उपकरण और सहायक प्रणालियाँ हैं. 1 से 10 अगस्त तक 10-दिवसीय परीक्षण मिशन आयोजित किया जा रहा है, जहाँ चालक दल के दो सदस्य अंदर रहेंगे और विभिन्न शारीरिक, मानसिक और कार्य-आधारित परीक्षणों में भाग लेंगे. IIT बॉम्बे, IIT हैदराबाद, IIST त्रिवेंद्रम, RGCB त्रिवेंद्रम और बेंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन जैसे संस्थानों के वैज्ञानिक कई प्रयोगों का नेतृत्व कर रहे हैं. वे अध्ययन कर रहे हैं कि अलगाव शरीर और मन को कैसे प्रभावित करता है, स्वास्थ्य-निगरानी उपकरणों का परीक्षण कर रहे हैं, और ग्रहों की सतहों पर काम करने और सूक्ष्मजीवों को इकट्ठा करने के तरीकों को आज़मा रहे हैं. परिणाम भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए सुरक्षा योजनाओं, उपकरणों और प्रणालियों को आकार देने में मदद करेंगे. इसरो का होप मिशन होप मिशन को “भविष्य का पूर्वाभ्यास” बताते हुए, डॉ. नारायणन ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है. होप मिशन के साथ ही, लद्दाख की ऊँचाई पर स्थित पुगा घाटी में हुए नए शोध ने पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में सुराग खोजे हैं. भारतीय वैज्ञानिकों ने पाया है कि घाटी के भूतापीय झरने पृथ्वी की प्रारंभिक परिस्थितियों की नकल कर सकते हैं और जीवन की शुरुआत से जुड़े कार्बनिक अणुओं को संरक्षित कर सकते हैं. बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस क्षेत्र के कैल्शियम कार्बोनेट निक्षेपों (ट्रैवर्टीन) में अमीनो अम्ल यौगिकों, वसा अम्लों, फॉर्मामाइड और सल्फर के अंश पाए गए हैं. प्रमुख शोधकर्ता डॉ. अमृतपाल सिंह चड्ढा के अनुसार, “पुगा घाटी का उच्च पराबैंगनी विकिरण और चरम परिस्थितियाँ प्रारंभिक पृथ्वी और संभवतः प्राचीन मंगल ग्रह की परिस्थितियों की नकल करती हैं.” एसीएस अर्थ एंड स्पेस केमिस्ट्री में प्रकाशित यह अध्ययन, वर्तमान में चल रहे होप मिशन के साथ मिलकर लद्दाख को भारत के बढ़ते अंतरिक्ष और खगोल जीव विज्ञान प्रयासों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है.

बेलथंगडी में मास मर्डर की गुत्थी उलझी, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

बेलथंगडी  कर्नाटक के बेलथंगडी से सामने आए चौंकाने वाले खुलासों ने कथित सामूहिक हत्याओं को लेकर एक बार फिर जन आक्रोश को भड़का दिया है. यह प्रतिक्रिया आजतक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के बाद सामने आई है, जिसमें पुलिस रिकॉर्ड को साजिश के तहत मिटाने का दावा किया गया है. आजतक को मिले आरटीआई दस्तावेजों से पता चला है कि बेलथंगडी पुलिस ने 2000 से 2015 के बीच 'Unnatural Death Register – UDR' में दर्ज सभी एंट्रीज हटा दीं. यह वही अवधि है, जिसमें कई संदिग्ध और बिना रिपोर्ट की गई मौतों के आरोप सामने आए थे. अब, RTI कार्यकर्ता जयंत ने विशेष जांच दल (SIT) को एक औपचारिक शिकायत सौंपी है, जिसमें उन्होंने एक नाबालिग लड़की के शव को अवैध रूप से दफनाए जाने की घटना को स्वयं देखने का दावा किया है. जयंत का आरोप है कि घटना के दौरान कानूनी प्रक्रियाओं का खुला उल्लंघन किया गया और मौके पर कई अधिकारी मौजूद थे. उम्मीद की जा रही है कि SIT जल्द ही इस मामले में FIR दर्ज कर खुदाई (exhumation) की प्रक्रिया शुरू करेगी. RTI के माध्यम से लंबे समय से पुलिस की कार्यप्रणाली की जांच कर रहे जयंत ने बताया कि उन्होंने पहले बेलथंगडी पुलिस स्टेशन से गुमशुदा व्यक्तियों से संबंधित डेटा और उनकी तस्वीरों की मांग की थी. लेकिन पुलिस की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली थी. उन्होंने कहा कि सभी दस्तावेज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दीवारों पर लगे पोस्टर, नोटिस और अज्ञात शवों की पहचान के लिए उपयोग की गई तस्वीरें 'सामान्य प्रशासनिक आदेशों' के तहत नष्ट कर दी गई हैं. जयंत ने कहा, '2 अगस्त को मैंने SIT में एक शिकायत दर्ज कराई है. यह शिकायत उस घटना पर आधारित है जिसे मैंने अपनी आंखों से देखा था. मैंने उस समय वहां मौजूद सभी लोगों के नाम बताए हैं, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं. जब उस लड़की का शव मिला था, तब सभी कानूनी प्रक्रियाओं का घोर उल्लंघन किया गया. उन्होंने शव को ऐसे दफनाया जैसे कोई कुत्ते को दफनाता है. वह मंजर कई साल से मुझे डरावने सपने की तरह सताता रहा है. दो साल पहले ही मैंने कहा था कि अगर कभी ईमानदार अधिकारी इस मामले की जांच संभालेंगे, तो मैं पूरी सच्चाई सामने लाऊंगा. अब वह समय आ गया है, इसलिए मैंने यह शिकायत दर्ज करवाई है. इस कदम के पीछे न तो कोई मुझे उकसा रहा है और न ही कोई मुझे प्रभावित कर रहा है.' उन्होंने कहा, 'एक RTI कार्यकर्ता के रूप में, मैंने बेलथंगडी पुलिस स्टेशन में एक आवेदन दायर कर सभी गुमशुदगी की शिकायतों और उनसे संबंधित तस्वीरों का रिकॉर्ड मांगा था. लेकिन अपने जवाब में पुलिस ने दावा किया कि गुमशुदगी से जुड़ी सभी शिकायतों के रिकॉर्ड नष्ट कर दिए गए हैं. आज के डिजिटल युग में, बिना डेटा को डिजिटाइज किए इस तरह जानकारी को नष्ट कैसे किया जा सकता है?' जयंत ने कहा, 'अगर कहीं से कंकाल मिलते हैं, तो सरकार उनकी पहचान कैसे करेगी जब संबंधित दस्तावेज पहले ही नष्ट कर दिए गए हैं? इस सबके पीछे कौन लोग हैं? कौन इस पूरे मामले को दबा रहा है और किसके प्रभाव में यह सब हो रहा है? जब कंप्यूटराइज्ड बैकअप मौजूद होता है, तो बिना बैकअप लिए सब कुछ नष्ट करने का दावा कैसे किया जा सकता है? इन सभी पहलुओं की गहराई से और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.' कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथंगडी पुलिस की लगातार आलोचना हो रही है, क्योंकि उन्होंने 2000 से 2015 के बीच दर्ज अज्ञात मौतों से जुड़े अहम रिकॉर्ड नष्ट किए जाने की बात स्वीकार की है. यह वही अवधि है जिसमें एक व्हिसलब्लोअर ने धर्मस्थल में सामूहिक दफन की घटनाएं होने का गंभीर आरोप लगाया है.

ओडिशा में ग्रेनाइट खदान हादसा: छह की मौत, तीन घायल, सीएम नायडू ने कहा- बेहद दुखद

बल्लीकुरवा आंध्र प्रदेश के बापटला जिले में रविवार सुबह एक दुखद हादसा हो गया, जब एक भारी ग्रेनाइट की चट्टान खदान में काम कर रहे मजदूरों पर गिर गई। इस हादसे में छह प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हादसा कैसे हुआ? पुलिस के अनुसार, सुबह करीब 10:30 बजे 10 से 15 मजदूर खदान में काम कर रहे थे, तभी अचानक एक विशाल चट्टान उन पर गिर पड़ी।  पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में लगता है कि बारिश या पानी के रिसाव की वजह से चट्टान कमजोर हो गई थी, जिससे वह गिर गई। पुलिस अधिकारी ने कहा, 'घटना के समय कोई ब्लास्ट या भूकंप जैसी गतिविधि नहीं हुई थी। पूरी जांच के लिए फॉरेंसिक टीम मौके पर भेजी गई है।' सभी मजदूर ओडिशा के रहने वाले जानकारी के मुताबिक, इस हादसे में मारे गए और घायल हुए सभी मजदूर ओडिशा से आए हुए थे और खदान में काम कर रहे थे। वहीं इस घटना के बाद घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थानीय लोग और मजदूर संगठनों ने सरकार से मृतकों के परिवारों को मुआवजा और घायल मजदूरों को पूरी मदद देने की मांग की है। राहत और बचाव कार्य जारी हादसे के बाद पुलिस और खनन विभाग की टीमें मौके पर पहुंच गईं और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के प्रयास किए गए। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जताया दुख आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने एक बयान में कहा, 'मैंने अधिकारियों से बात की है और घायलों को बेहतर से बेहतर इलाज देने के निर्देश दिए हैं। हादसे की पूरी जांच कराई जाएगी।' वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने जताई संवेदना पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी प्रमुख वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी हादसे पर दुख जताया। उन्होंने कहा, 'यह बहुत ही दिल तोड़ देने वाली घटना है। ये मजदूर अपने परिवारों के लिए मेहनत कर रहे थे, और ऐसे में उनकी जान जाना बेहद दुखद है।' उन्होंने सरकार से मांग की कि घायलों को तुरंत इलाज मिले और मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाए।  

SSC घोटाले का विरोध तेज़: देशभर में प्रदर्शन, परीक्षा रद्द करने की मांग

नई दिल्ली देशभर में बड़ी संख्या में छात्र और शिक्षक कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षा के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध मुख्य रूप से हाल ही में हुई सिलेक्शन पोस्ट फेज-13 परीक्षा में हुई भारी अनियमितताओं के कारण हो रहा है। छात्रों का गुस्सा दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर पटना और जयपुर तक फैल चुका है, जहाँ वे 'दिल्ली चलो' आंदोलन के तहत अपनी आवाज उठा रहे हैं। विरोध की मुख्य वजह क्या है? इस विरोध की मुख्य वजह परीक्षा में हुई धांधली और तकनीकी खामियां हैं। छात्रों की प्रमुख शिकायतें इस प्रकार हैं: गलत परीक्षा केंद्र: कई छात्रों को उनके गृह नगर से 400-500 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए, जिससे उन्हें यात्रा और सुरक्षा संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा। नए वेंडर की विफलता: छात्रों का आरोप है कि नए वेंडर एडुक्विटी की वजह से सर्वर क्रैश, बायोमेट्रिक सत्यापन में विफलता और सिस्टम हैंग होने जैसी गंभीर तकनीकी समस्याएं आईं। आरोप है कि यह वही वेंडर है, जिसे पहले व्यापम घोटाले में अनियमितताओं के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था। अचानक परीक्षा रद्द: कई जगहों पर बिना किसी ठोस कारण के परीक्षा अचानक रद्द कर दी गई, जिससे छात्रों का समय और पैसा बर्बाद हुआ। खराब व्यवस्था: कई परीक्षा केंद्रों पर बिजली की कटौती, खराब बैठने की व्यवस्था और असुरक्षित परिसर जैसी बुनियादी समस्याएं भी थीं। पुलिस कार्रवाई और छात्रों का आक्रोश 31 जुलाई 2025 को 'दिल्ली चलो' आंदोलन के तहत हजारों छात्र और प्रसिद्ध शिक्षक जैसे नीतू मैम, अभिनय शर्मा और राजट यादव दिल्ली में इकट्ठा हुए। वे शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और हिरासत में लेने जैसी कार्रवाई की। छात्रों ने इस घटना को "लोकतंत्र की हत्या" बताया। छात्रों और शिक्षकों की प्रमुख मांगें प्रदर्शनकारी सरकार और एसएससी से निम्नलिखित मांगें कर रहे हैं: उच्च-स्तरीय जांच: नए वेंडर एडुक्विटी की नियुक्ति की निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जांच की जाए। वेंडर को हटाया जाए: एडुक्विटी का कॉन्ट्रैक्ट तुरंत रद्द किया जाए और एसएससी अपनी खुद की एक मजबूत तकनीकी प्रणाली विकसित करे। पारदर्शी केंद्र आवंटन: परीक्षा केंद्र छात्रों के गृह नगर या पास के शहरों में आवंटित किए जाएं। तुरंत समाधान: तकनीकी खामियों और अन्य समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए।

रूस-यूक्रेन ड्रोन जंग हुई और खतरनाक, दोनों ओर से भारी हमला

रूस रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में ड्रोन हमलों का सिलसिला और तेज हो गया है। ताजा हमले में यूक्रेनी ड्रोन ने रूस के काला सागर तट पर स्थित प्रसिद्ध रिसॉर्ट शहर सोची के पास एक तेल डिपो को निशाना बनाया, जिससे वहां भीषण आग लग गई। क्रास्नोडार क्षेत्र के गवर्नर वेनियामिन कोंड्राटयेव  ने बताया कि ड्रोन के मलबे के गिरने से तेल डिपो के ईंधन टैंक में आग लगी। आग पर काबू पाने के लिए 120 से अधिक दमकलकर्मियों को लगाया गया है। सोशल मीडिया पर शेयर हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि तेल डिपो से काले धुएं का विशाल गुबार उठ रहा है।  सोची एयरपोर्ट पर उड़ानें रोकी गईं इस घटना के बाद रूस के नागरिक उड्डयन विभाग रोसावियात्सिया ने एहतियातन सोची एयरपोर्ट पर सभी उड़ानों का संचालन अस्थायी रूप से रोक दिया है। इसी बीच वोरोनिश  क्षेत्र में एक अन्य ड्रोन हमले में चार लोग घायल हुए हैं। रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि रविवार रात तक रूस और काला सागर के ऊपर से कुल 93 यूक्रेनी ड्रोन  मार गिराए गए। यूक्रेन पर रूस का जवाबी हमला यूक्रेनी वायु सेना ने बताया कि रूस ने भी जवाबी कार्रवाई में यूक्रेन पर 76 ड्रोन और 7 मिसाइलें दागीं। दक्षिणी यूक्रेन के माइकोलाइव शहर में एक आवासीय इलाके पर मिसाइल हमला हुआ, जिसमें सात लोग घायल हुए हैं। यूक्रेनी आपातकालीन सेवाओं ने इस हमले की पुष्टि की है। सोची रूस का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है और ऐसे में ड्रोन हमले से वहां अफरा-तफरी मच गई है। यूक्रेन के ड्रोन हमलों से रूस की ऊर्जा संरचना पर लगातार खतरा बना हुआ है।