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भक्ति संगीत जगत को लगा झटका, अमरकंटक में डूबे भजन गायक राज भदौरिया

अनूपपुर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक में रामघाट पर गुरुवार को भजन गायक राज भदौरिया (22) की डूबने से मौत हो गई। घटना शाम करीब 5.30 की है। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में नदी-तालाबों में डूबने की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। ताजा मामला अमरकंटक क्षेत्र का है, जहां ग्राम बालनपुर (भिंड) निवासी 22 वर्षीय भजन गायक “राज भदौरिया” अपने भाई और जीजा के साथ धार्मिक यात्रा पर पहुंचे थे। 10 जुलाई 2025, गुरुवार शाम करीब 5:30 बजे रामघाट में स्नान करते समय वे गहरे पानी में चले गए, संतुलन बिगड़ने से उनका पैर फव्वारे की रेलिंग में फंस गया और वे डूबने लगे। साथियों और आसपास मौजूद लोगों ने उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। वॉटर बोट और स्थानीय निवासी कृष्णा पाल चौहान की मदद से रेस्क्यू कर राज को बाहर निकाला गया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अमरकंटक ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। इस हादसे के बाद मृतक के गांव और परिवार में शोक की लहर है, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। प्रशासन ने लोगों से नदी-तालाबों में सतर्कता बरतने, बच्चों को अकेले न भेजने और गहरे पानी से बचने की अपील की है। ग्रामीणों ने चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। अनूपपुर जिले में डूबने की प्रमुख घटनाएं: 1. 10 जुलाई 2025: अमरकंटक, रामघाट- भजन गायक राज भदौरिया (22) की डूबने से मौत। 2. 8 जुलाई 2025: ग्राम लोहारिन टोला- 4 वर्षीय जितेश सिंह नदी में डूबा, शव तीन दिन बाद मिला। 3. 25 जून 2024: पुष्पराजगढ़, जोहिला नदी- आकांक्षा गुप्ता (20) और अंशु गुप्ता (16) की डूबकर मौत। 4. अप्रैल 2024: मलगा गांव- तालाब में डूबने से अमित (14) और हरिसिंह (40) की मौत। 5. मई 2023: सारंगढ़, सीतामढ़ी तालाब- पिकनिक के दौरान दो लड़कियों और एक लड़के की डूबने से मौत। प्रशासन और पुलिस ने बार-बार अपील की है कि बरसात के मौसम में नदी-तालाबों में स्नान करते समय विशेष सतर्कता बरतें, बच्चों को अकेले न छोड़ें और गहरे पानी में जाने से बचें। कई जगह अवैध उत्खनन के कारण खतरनाक गड्ढे बन गए हैं, जिनमें बारिश का पानी भर जाता है और हादसे का खतरा बढ़ जाता है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने चेतावनी बोर्ड लगाने और सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाने की मांग की है।

आज शुरू होगा मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025, CM यादव करेंगे शुभारंभ

इंदौर  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज 11 जुलाई को इंदौर स्थित ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित “मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025 – सिटीज ऑफ टुमॉरो” का शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कॉन्क्लेव में होटल, पर्यटन, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों के प्रमुख निवेशकों से संवाद करेंगे। यह आयोजन प्रदेश में शहरी विकास के ब्लूप्रिंट और भविष्य की योजनाओं पर केंद्रित रहेगा। विशिष्ट अतिथियों के साथ बैठक करेंगे इस उच्च स्तरीय आयोजन में देश के 1500 से अधिक निवेशकों, उद्योगपतियों, कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों की सहभागिता होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दोपहर 1:30 बजे कॉन्क्लेव स्थल पर पहुँचकर एक्जीबिशन का अवलोकन करेंगे, उसके बाद विशिष्ट अतिथियों के साथ बैठक करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दोपहर 3 बजे दीप प्रज्ज्वलन के साथ कॉन्क्लेव का शुभारंभ करेंगे। कॉन्क्लेव में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय और नगरीय प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। आयोजन में क्रेडाई, नगर निगम, आईडीए, स्मार्ट सिटी, हाउसिंग बोर्ड, मैट्रो, हुडको, एलआईसी सहित कई संस्थाओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। तकनीकी सत्रों का आयोजन कॉन्क्लेव में चार तकनीकी-सत्र आयोजित होंगे, जिनमें “शहरी उत्कृष्टता के लिए आधिनिक तकनीक, विकास के केंद्र के रूप में शहर, भविष्य के लिए सतत हरित शहरीकरण और भविष्य के शहरों की यातायात व्यववस्था” जैसे विषयों पर विशेषज्ञ सहभागिता करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कॉन्क्लेव में MP लॉकर, ET अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन समिट 2025 ब्रोशर का विमोचन, एमओयू साइनिंग और “सौगात” का उद्घाटन एवं अनावरण करेंगे। वह निवेशकों को प्रशस्ति-पत्र भी भेंट करेंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के शहरीकरण में निवेश अवसरों पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया जायेगा। शहरीकरण में निवेश के अवसर प्रदेश में मेट्रो, ई-बस, मल्टीमॉडल हब, अफोर्डेबल हाउसिंग, वॉटरफ्रंट डेवेलपमेंट, सीवेज नेटवर्क, ई-गवर्नेंस, स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट रोड्स जैसे क्षेत्रों में निवेश की असीम संभावनाएँ हैं। प्रदेश में अफोर्डेबल हाउसिंग में 8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके हैं और 10 लाख से अधिक नए आवासों पर कार्य चल रहा है, जिनमें लगभग ₹50,000 करोड़ का निवेश संभावित है। प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध रियल इस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध हैं। पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शतप्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई हैं। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाइज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है। इंदौर में आयोजित यह ग्रोथ कॉन्क्लेव न केवल प्रदेश की शहरी योजनाओं को रफ्तार देगा, बल्कि निवेशकों को एक मजबूत और विश्वसनीय मंच भी प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नेतृत्व में प्रदेश शहरी परिवर्तन की ओर तेज़ी से अग्रसर है।  

न्यू मार्केट में दिखे सीएम, बिना तामझाम के फल खरीदते देख हैरान रह गए लोग

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 10 जुलाई की रात एक चौंकाने वाला लेकिन शानदार नजारा देखने को मिला, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक न्यू मार्केट पहुंचे। आम जनता के बीच पहुंचकर उन्होंने न केवल लोगों से बातचीत की और हालचाल जाना, बल्कि एक ठेले वाले से फल भी खरीदे और उसका डिजिटल पेमेंट किया। मुख्यमंत्री का यह सादगी भरा अंदाज लोगों को बेहद पसंद आया। बाजार में सीएम को देख चौंके लोग सीएम को अचानक बाजार में देख लोगों को उनकी सादगी पसंद आई। लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि उनके मुख्यमंत्री इतनी सहजता से उनके बीच खड़े हैं। अचानक सीएम को अपने बीच में देखकर लोग अचंभित नजर आए। काफिले में नहीं, सिर्फ दो गाडियों से पहुंचे न्यू मार्केट मुख्यमंत्री डॉ. यादव सादगी के साथ सिर्फ दो वाहनों में बाजार पहुंचे और 15 मिनट रुक कर फल खरीदे और निवास लौट गए। ट्रैफिक सिग्नल का किया पालन आमतौर पर सीएम का काफिला जिस रूट से गुजरता है। अमूमन 10-15 मिनट पहले पुलिस उस रूट पर ट्रैफिक रोक देती है लेकिन, सीएम ने अपने दौरे की किसी को जानकारी नहीं दी। वे जब फल लेकर वापस सीएम हाउस की तरफ जाने लगे तो सिग्नल पर रेड लाइट देखकर उनकी गाड़ी रुक गई। सीएम ने सिग्नल पर ट्रैफिक नहीं रोकने दिया। बल्कि, ग्रीन सिग्नल होने पर ही वे आगे बढ़े। इस दौरान लोगों ने सीएम का यह अंदाज देख वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर शेयर किया। डॉ. मोहन यादव बिना भारी-भरकम सुरक्षा के केवल दो वाहनों के काफिले के साथ बाजार पहुंचे और करीब 15 मिनट तक वहां रुके। इस दौरान उन्होंने ट्रैफिक नियमों का भी पूरी तरह पालन किया। फल विक्रेता से उन्होंने न सिर्फ सामान लिया, बल्कि उसके व्यवसाय और हालचाल की जानकारी भी ली। मुख्यमंत्री को यूं अपने बीच सहजता से खड़ा देख लोग आश्चर्यचकित रह गए और उनके इस व्यवहार की जमकर सराहना की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यह बेफिक्र और जनता से जुड़ाव दर्शाने वाला अंदाज सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। ट्रैफिक सिग्नल का किया पालन इतना ही नहीं, लौटते समय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रेड सिग्नल पर अपनी गाड़ी रोककर ट्रैफिक नियमों का पालन किया। उनके इस आचरण से यह स्पष्ट संदेश गया कि कानून का पालन हर नागरिक की जिम्मेदारी है, चाहे वह आम व्यक्ति हो या कोई पदाधिकारी। उनका सादगीभरा व्यवहार प्रदेशवासियों को यह सिखाता है कि सच्चे नेतृत्व का अर्थ केवल पद ग्रहण करना नहीं, बल्कि अपने आचरण से आदर्श प्रस्तुत करना भी है।

मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025 – सिटीज ऑफ टुमॉरो” का शुभारंभ करेंगे मुख्यमंत्री

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज इंदौर स्थित ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित “मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025 – सिटीज ऑफ टुमॉरो” का शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कॉन्क्लेव में होटल, पर्यटन, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों के प्रमुख निवेशकों से संवाद करेंगे। यह आयोजन प्रदेश में शहरी विकास के ब्लूप्रिंट और भविष्य की योजनाओं पर केंद्रित रहेगा। इस उच्च स्तरीय आयोजन में देश के 1500 से अधिक निवेशकों, उद्योगपतियों, कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों की सहभागिता होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दोपहर 1:30 बजे कॉन्क्लेव स्थल पर पहुँचकर एक्जीबिशन का अवलोकन करेंगे, उसके बाद विशिष्ट अतिथियों के साथ बैठक करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दोपहर 3 बजे दीप प्रज्ज्वलन के साथ कॉन्क्लेव का शुभारंभ करेंगे। कॉन्क्लेव में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय और नगरीय प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। आयोजन में क्रेडाई, नगर निगम, आईडीए, स्मार्ट सिटी, हाउसिंग बोर्ड, मैट्रो, हुडको, एलआईसी सहित कई संस्थाओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। तकनीकी सत्रों का आयोजन कॉन्क्लेव में चार तकनीकी-सत्र आयोजित होंगे, जिनमें “शहरी उत्कृष्टता के लिए आधिनिक तकनीक, विकास के केंद्र के रूप में शहर, भविष्य के लिए सतत हरित शहरीकरण और भविष्य के शहरों की यातायात व्यववस्था” जैसे विषयों पर विशेषज्ञ सहभागिता करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कॉन्क्लेव में MP लॉकर, ET अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन समिट 2025 ब्रोशर का विमोचन, एमओयू साइनिंग और “सौगात” का उद्घाटन एवं अनावरण करेंगे। वह निवेशकों को प्रशस्ति-पत्र भी भेंट करेंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के शहरीकरण में निवेश अवसरों पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया जायेगा। शहरीकरण में निवेश के अवसर प्रदेश में मेट्रो, ई-बस, मल्टीमॉडल हब, अफोर्डेबल हाउसिंग, वॉटरफ्रंट डेवेलपमेंट, सीवेज नेटवर्क, ई-गवर्नेंस, स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट रोड्स जैसे क्षेत्रों में निवेश की असीम संभावनाएँ हैं। प्रदेश में अफोर्डेबल हाउसिंग में 8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके हैं और 10 लाख से अधिक नए आवासों पर कार्य चल रहा है, जिनमें लगभग ₹50,000 करोड़ का निवेश संभावित है। रियल इस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध हैं। पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शतप्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई हैं। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाइज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है। इंदौर में आयोजित यह ग्रोथ कॉन्क्लेव न केवल प्रदेश की शहरी योजनाओं को रफ्तार देगा, बल्कि निवेशकों को एक मजबूत और विश्वसनीय मंच भी प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नेतृत्व में प्रदेश शहरी परिवर्तन की ओर तेज़ी से अग्रसर है।  

मौसम विभाग ने बताया- भोपाल में दो दिन नहीं होगी बारिश, रविवार से बढ़ेगा मानसून का असर

भोपाल राजधानी में आगामी दो दिनों तक भारी बारिश की संभावना नहीं है। मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि वर्तमान में भोपाल के आसपास कोई सक्रिय द्रोणिका नहीं है, जिसके चलते शुक्रवार और शनिवार तक मौसम सामान्य रहने की संभावना है। हालांकि कहीं-कहीं हल्की फुल्की बारिश जरूर हो सकती है। मौसम वैज्ञानिक दिव्या ई सुरेंद्रन ने बताया कि फिलहाल राजधानी में किसी बड़े मौसमी सिस्टम की सक्रियता नहीं है, जिससे शुक्रवार और शनिवार को मौसम में कोई विशेष बदलाव नहीं होगा। तापमान में भी ज्यादा उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं है। शहरवासियों को इस दौरान राहत रहेगी, लेकिन उमस बनी रह सकती है।   17 मिमी बारिश दर्ज सुरेंद्रन ने आगे बताया कि रविवार और सोमवार से राजधानी में फिर से भारी बारिश की संभावना बन रही है। बंगाल की खाड़ी की ओर से नया सिस्टम बनने की स्थिति में राजधानी में मानसून दोबारा सक्रिय हो सकता है। गुरुवार को सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक एयरपोर्ट रोड पर 17.01 मिमी और अरेरा हिल्स में 17.02 मिमी बारिश दर्ज की गई है।

मध्यप्रदेश में वर्षों बाद संरक्षित क्षेत्र में कैराकल की पुष्टि गर्व की बात

भोपाल गाँधी सागर अभ्यारण्य मंदसौर में दुर्लभ प्रजाति के “स्याहगोश’’ (कैराकल) की उपस्थिति दर्ज हुई है। गाँधी सागर वन्य-जीव अभ्यारण्य में “कैराकल’’ जिसे स्थानीय रूप से “स्याहगोश’’ कहा जाता है कैमरा ट्रैप में दिखाई दिया। यह मांसाहारी प्रजाति का अत्यंत शर्मीला, तेज गति से दौड़ने वाला और सामान्यत: रात्रिचर वन्य-जीव है। यह मुख्यत: शुष्क, झाड़ीदार, पथरीले और खुली घास वाले इलाकों में पाया जाता है। भारत में अब यह प्रजाति विलुप्तप्राय श्रेणी में रखी गयी है और इसकी उपस्थिति बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है। गाँधी सागर अभ्यारण्य के वन अधिकारी ने बताया कि वन मण्डल मंदसौर में लगाये गये कैमरा ट्रैप में एक वयस्क नर कैराकल की उपस्थिति दर्ज हुई है जो जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अभ्यारण्य में संरक्षित आवासों की गुणवत्ता और संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है। कैराकल की उपस्थिति यह दर्शाती है कि गाँधी सागर क्षेत्र के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क पारिस्थितिकीय तंत्र अब भी इतने समृद्ध और संतुलित हैं जो इस दुर्लभ प्रजाति को आश्रय दे सकते हैं। मध्यप्रदेश में पिछले कई वर्षों बाद किसी संरक्षित क्षेत्र में कैराकल की पुष्टि हुई है जो प्रदेश के लिये गर्व की बात है। यह खोज न केवल वन्य-जीव शोध के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे संरक्षण प्रयासों की सफलता का भी प्रमाण है। इस उपलब्धि के लिये वन विभाग एवं गाँधी सागर वन्य-जीव अभ्यारण्य के अधिकारी-कर्मचारियों के विशेष प्रयासों से विविध पारिस्थितिकी संरक्षित रह पायी है जिससे आज यह अभ्यारण्य दुर्लभ प्रजातियों के लिये भी एक सुरक्षित आश्रय-स्थली बना हुआ है।  

आजीविका के साथ आधुनिकता के संगम से समृद्ध बनेंगे मछुआरे : राज्यमंत्री पंवार

भोपाल  मत्स्य पालन एवं मछुआ कल्याण राज्यमंत्री श्री नारायण सिंह पंवार ने निषाद समाज की समृद्धि के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में हो रही सकारात्मक पहल के लिए आभार जताते हुए कहा कि निषादराज सम्मेलन से राज्य सरकार निषाद समाज की परंपराओं को सम्मान दे रही है। उनके जीवन और आजीविका को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने का कार्य भी कर रही है। यह एक ऐसा प्रयास है जिसमें इतिहास की प्रेरणा और भविष्य की योजना दोनों साथ चल रहे हैं। यह सम्मेलन मछुआ समाज के सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि उज्जैन में होने जा रहे निषादराज सम्मेलन से निषाद समाज के गौरव को एक मंच मिलने जा रहा है। निषादराज सम्मेलन और उज्जैन की पवित्र नगरी में इसके आयोजन की पौराणिक संदर्भ में व्याख्या करते हुए राज्य मंत्री श्री पंवार ने कहा कि रामायण के लोकनायक श्रीराम जब 14 वर्षों के वनवास पर निकले, तब मार्ग में उन्हें जो प्रथम सच्चा मित्र मिला, वह था निषादराज गुह। न कोई राजसी वैभव, न कोई अधिकार फिर भी निषादराज ने जो आत्मीयता, श्रद्धा और समर्पण दिखाया, वह आज भी भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। राज्यमंत्री श्री पंवार ने कहा कि जब श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी गंगा के तट पर पहुंचे, तब निषादराज ने न केवल उन्हें विश्राम दिया, बल्कि अपनी संपूर्ण भक्ति से उनके चरण धोए। यह दृश्य केवल एक राजा की अतिथि सेवा नहीं था। यह सामाजिक समरसता का वह अद्वितीय पल था, जब एक वनवासी और एक राजकुमार के बीच भेदभाव की सारी रेखाएं मिट गईं। निषादराज और श्रीराम की मित्रता का यह आदर्श हमें आज भी यह सिखाता है कि भक्ति और मित्रता में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, केवल भावना की विशालता ही सबसे बड़ा मूल्य है। निषादराज सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति इस आयोजन को विशेष बना रही है। इस मंच के माध्यम से न केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह सम्मेलन सरकार और समाज के बीच सहभागिता का नया अध्याय रचेगा। मत्स्य संपदा में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश आज मत्स्य उत्पादन और मछुआ समाज के सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना जैसे नवाचारों ने हजारों मछुआरों के जीवन में नई आशा की किरण जगाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव देंगे विकास कार्यों की सौगात राज्य मंत्री श्री पंवार ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव कार्यक्रम में 22.65 करोड़ रूपये की लागत के 453 स्मार्ट फिश पार्लर, 40 करोड़ रूपये की लागत से बन रहे अत्याधुनिक अंडर वॉटर टनल सहित एक्वापार्क और 91.80 करोड़ रूपये की लागत से इंदिरा सागर जलाशय में 3060 केजेस का वर्चुअली भूमि-पूजन करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव 430 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स के स्वीकृति पत्र एवं 100 यूनिट्स का वितरण, 396 केज के स्वीकृति पत्र का प्रदाय, फीडमील के हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र का प्रदाय एवं उत्कृष्ट कार्य कर रहे मछुआरों एवं मत्स्य सहकारी समितियों को पुरस्कार वितरण करेंगे। इस अवसर पर महासंघ के मछुआरों को 9.63 करोड़ रूपये के डेफर्ड वेजेस का सिंगल क्लिक से अंतरण करने के साथ ही रॉयल्टी चेक प्रदाय करेंगे।  

सावन की सौगात: महाकाल भक्तों के लिए भोपाल से शुरू हुई विशेष ट्रेन सेवा

भोपाल  सावन के पवित्र महीने में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर तराना रोड और उसके आसपास रहने वाले बाबा महाकाल के भक्तों को भारतीय रेलवे की ओर से खुश कर देने वाली सौगात दी गई है। रेलवे द्वारा भोपाल और उज्जैन के बीच आज से स्पेशल ट्रेन की शुरुआत की जा रही है। गाड़ी नंबर 09313 उज्जैन-भोपाल स्पेशल  31 अगस्त तक चलेगी। ये ट्रेन भोपाल से रात 2:15 बजे रवाना होगी और उज्जैन से रात 9:00 बजे लौटेगी, जो रात 1:05 बजे भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। भोपाल, सीहोर, शाजापुर और उज्जैन के यात्रियों को इस ट्रेन से विशेष सुविधा मिलेगी। सावन के दौरान लाखों श्रद्धालुओं को इस स्पेशल ट्रेन का फायदा मिलेगा। इससे उनकी यात्रा और भी सुगम और आरामदायक होगी।   भोपाल उज्जैन स्पेशल ट्रेन (गाड़ी संख्या- 09314) आज 10 जुलाई से रोजाना रात 2.15 बजे चलेगी। इसके बाद संत हिरदाराम नगर पर रात 2.38 बजे, सीहोर रात 3.10 बजे, कालापीपल रात 3.40 बजे, शुजालपुर सुबह 4.20 बजे, अकोदिया सुबह 5.40 बजे, कालीसिंध सुबह 5.10 बजे, बेरछा सुबह 5.25 बजे, मक्‍सी सुबह 5.55 बजे, तराना रोड सुबह 6.20 बजे और उज्जैन सुबह 7.20 बजे पहुंचेगी। उज्जैन से भोपाल यात्रा वहीं, उज्जैन से भोपाल लौटते समय (गाड़ी संख्या- 09313) उज्‍जैन से रोजाना रात 9 बजे चलेगी। यहां से तराना रोड पर रात 9.30 बजे पहुंचेगी। फिर मक्‍सी रात 9.45 बजे, बेरछा रात 10.02 बजे, कालीसिंध रात 10.15 बजे, अकोदिया रात 10.35 बजे, शुजालपुर रात 10.48 बजे, कालापीपल रात 11.05 बजे, सीहोर रात 11.36 बजे, संत हिरदाराम नगर रात 12.40 बजे और भोपाल रेलवे स्टेशन रात 1.05 बजे पहुंचेगी। इस दौरान दोनों ओर से ये ट्रेन प्रत्येक स्टेशन पर दो-दो मिनट के लिए रुकेगी। इसी अवधि में यात्रियों को अपने स्टेशन से चढ़ना और उतरना रहेगा।

बटेश्वर धाम में सांस्कृतिक धरोहर की वापसी, महाविष्णु मंदिर समेत कई स्थलों का हुआ जीर्णोद्धार

मुरैना  मध्य प्रदेश में मुरैना के बटेश्वर स्थित सबसे ऊंचा महाविष्णु मंदिर, जो लगभग छह सौ साल पहले पत्थरों के ढेर में तब्दील हो गया था, अब मूल स्वरूप में लौट आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने बिखरे पत्थरों से मंदिर का पुनर्निर्माण किया है। इस परियोजना के तहत एक प्राचीन मठ और पांच अन्य मंदिरों का जीर्णोद्धार भी किया गया है। पुनर्निर्माण कार्य चार वर्षों से चल रहा था पुनर्निर्माण कार्य चार वर्षों से चल रहा था और संस्कृति मंत्रालय के नेशनल कल्चर फंड (एनसीएफ) के सहयोग से संपन्न हुआ है। बता दें कि इसके लिए इंफोसिस फाउंडेशन ने भी तीन करोड़ 80 लाख रुपये का योगदान दिया है। फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने मध्य प्रदेश के पर्यटन और पुरातात्विक स्थलों में गहरी रुचि दिखाई है। बटेश्वर में आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच निर्मित 200 मंदिर, जो क्षतिग्रस्त अवस्था में थे, के जीर्णोद्धार का कार्य 2005 से प्रारंभ हुआ था और अब तक 85 मंदिरों को पुनर्निर्मित किया जा चुका है। एएसआइ के भोपाल मंडल ने महाविष्णु मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 2022 में आरंभ किया। सबसे पहले पत्थरों को हटाकर मंदिर की नींव का मूल डिजाइन तैयार किया गया। इसके बाद एक सौ से अधिक मंदिरों के टूटे हिस्सों में से महाविष्णु मंदिर के टुकड़े खोजे गए, जो बड़ी चुनौती थी। टीम ने 90 प्रतिशत पत्थरों को खोज निकाला टीम ने 90 प्रतिशत पत्थरों को खोज निकाला। जिन हिस्सों के टुकड़े नहीं मिले, उनके लिए बलुआ पत्थरों से टुकड़े तैयार किए गए। अब यह मंदिर 13 मीटर ऊंचा और गुर्जर-प्रतिहार शैली की स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण बनकर खड़ा है। मंदिर के निकट भगवान विष्णु की एक खंडित प्रतिमा भी मिली है, जिसे या तो मंदिर में स्थापित किया जाएगा या संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। गुर्जर-प्रतिहार वंश के वैभव के प्रतीक थे मंदिर एएसआइ भोपाल मंडल के अधीक्षक डा. मनोज कुर्मी ने बताया कि बटेश्वर में गुर्जर-प्रतिहार राजवंश ने बलुआ पत्थरों से 200 से अधिक मंदिर बनवाए थे। वास्तुकला की गुर्जर-प्रतिहार शैली के नमूने ये मंदिर भगवान शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं। अब तक की खोज से पता चलता है कि वहां कोई आबादी नहीं थी, सिर्फ मंदिर और बावडि़यां बने थे। माना जाता है कि 13वीं-14वीं शताब्दी में आए शक्तिशाली भूकंप की वजह मंदिर बिखर गए। बटेश्वर मंदिर समूह: धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहर मध्य प्रदेश के मुरैना के निकट सुरम्य परिदृश्य में बसा बटेश्वर मंदिर समूह, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रमाण है। इस अद्भुत परिसर में लगभग 200 बलुआ पत्थर के मंदिर हैं, जिनमें से प्रत्येक आध्यात्मिक भक्ति और स्थापत्य कला की एक शाश्वत आभा बिखेरता है। ऐतिहासिक शहर ग्वालियर से मात्र 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, तथा ग्वालियर हवाई अड्डा निकटतम हवाई परिवहन केन्द्र के रूप में कार्य करता है, बटेश्वर मंदिर दूर-दूर से तीर्थयात्रियों, इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। 25 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैले बटेश्वर मंदिरों का निर्माण मूलतः 8वीं शताब्दी में हुआ था, जो गहन धार्मिक और कलात्मक उत्साह से भरा काल था। ये मंदिर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा के लिए पवित्र तीर्थस्थल थे, जिनमें शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित मंदिर थे, जो हिंदू आस्था के विविध पहलुओं को दर्शाते थे। अपने प्रारंभिक वैभव के बावजूद, बटेश्वर मंदिरों का इतिहास उथल-पुथल भरा रहा, और 13वीं शताब्दी के बाद इनका पतन और अंततः विनाश हुआ। इनके पतन के पीछे के सटीक कारण अभी भी रहस्य में डूबे हुए हैं, जिससे इतिहासकार और पुरातत्वविद इनके पतन के कारणों पर अटकलें लगा रहे हैं। लचीलेपन और जीर्णोद्धार का एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 2005 में बटेश्वर मंदिरों के खंडहरों में बिखरे गिरे हुए पत्थरों से पुनर्निर्माण का एक विशाल प्रयास शुरू किया। स्थानीय समुदायों के सहयोग से संभव हुई इस महत्वाकांक्षी जीर्णोद्धार परियोजना को एक अप्रत्याशित स्रोत – पूर्व डाकू निर्भय सिंह गुज्जर और उसके गिरोह – से अमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ। उनकी भागीदारी ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और इन प्राचीन स्मारकों के गौरव को पुनर्जीवित करने की सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। आज, बटेश्वर मंदिर समूह में आने वाले पर्यटकों का स्वागत बलुआ पत्थर की संरचनाओं के एक आकर्षक समूह द्वारा होता है, जो जटिल नक्काशी, विस्तृत मूर्तियों और स्थापत्य कला से सुसज्जित हैं और प्राचीन कारीगरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मंदिर परिसर का शांत वातावरण आध्यात्मिक चिंतन और श्रद्धा के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है, जो तीर्थयात्रियों को ईश्वर से जुड़ने के लिए एक पवित्र स्थान प्रदान करता है। बटेश्वर मंदिरों के भूलभुलैया जैसे रास्तों से गुजरते हुए, हर मंदिर बीते युगों की कहानियाँ सुनाता है, उस आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक जीवंतता की प्रतिध्वनि करता है जो कभी इन पवित्र परिसरों में फलती-फूलती थी। भगवान शिव को समर्पित दैदीप्यमान शिखरों से लेकर भगवान विष्णु और शक्ति के दिव्य स्वरूपों को समर्पित अलंकृत कक्षों तक, बटेश्वर मंदिर भारत की अटूट आस्था और कलात्मक प्रतिभा के चिरस्थायी प्रतीक हैं। संक्षेप में, बटेश्वर मंदिर समूह सांस्कृतिक विरासत के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है, जो आगंतुकों को समय और परंपरा के माध्यम से एक पारलौकिक यात्रा पर निकलने के लिए आमंत्रित करता है। अपने कालातीत आकर्षण और आध्यात्मिक प्रतिध्वनि के साथ, यह पवित्र अभयारण्य विस्मय और श्रद्धा को प्रेरित करता रहता है, अतीत और वर्तमान के बीच की खाई को पाटता है, और आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध करता है।  

आजीविका मिशन एवं हथकरघा विकास निगम की सहायता से ली हैंडलूम की हेमलता ने ट्रेनिंग

सफलता की कहानी भोपाल  मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर की रहने वाली हेमलता खराड़े आज महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। कभी गांव-गांव में मजदूरी कर महीने भर में मुश्किल से 800 रुपये कमाने वाली हेमलता ने अपनी मेहनत, हुनर और आत्मविश्वास से खुद की दुनिया ही बदल दी। आज वे न सिर्फ सफल उद्यमी हैं, बल्कि 15 महिलाओं को रोज़गार देकर उन्हें भी आत्मनिर्भरता की राह पर ले जा रही हैं। सीखा लूम पर काम करना हेमलता का जीवन बदला आजीविका मिशन और हथकरघा विकास निगम की मदद से वर्ष 2008 में उन्होंने निगम की ओर से 6 माह की ट्रेनिंग ली, जिसमें उन्होंने लूम पर काम करना सीखा। इसके बाद वे हथकरघा भवनों में काम करने लगीं और अपने कौशल से पहचान बनाते हुए वर्ष 2012 में खुद का हथकरघा समूह शुरू किया। शासन ने उनके आत्मविश्वास और काम को देखते हुए वर्ष 2016 में भवन भी उपलब्ध कराया। हेमलता ने महेश्वर की पारंपरिक माहेश्वरी साड़ियों को अपनी कला से नई पहचान दी है। आज वे देश के विभिन्न शहरों – मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़, गुवाहाटी, इंदौर और भोपाल आदि में आयोजित हैंडलूम एग्जीबिशनों में हिस्सा लेती हैं। उनकी मासिक आय करीब 25,000 रुपये है और सालाना लगभग 2.5 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। साड़ी पर उकेरी नर्मदा की लहरें हेमलता बताती हैं कि उनके स्व-सहायता समूह में तैयार साड़ियों में महेश्वर किले की झलक, झरोखा बूंटी, जाली बूटी, कैरी बूटी, असरफी बूटी जैसे पारंपरिक डिज़ाइन बुनाई जाते हैं। खास बात यह है कि वे नर्मदा नदी की लहरों को भी साड़ियों की बॉर्डर में सजाकर उसकी प्राकृतिक छटा को परिधानों में पिरोती हैं। उनकी साड़ियाँ तीज-त्योहारों से लेकर शादी-ब्याह तक हर अवसर पर खूब पसंद की जाती हैं। संघर्ष से सफलता की इस यात्रा में हेमलता ने साबित कर दिया कि अवसर, मेहनत और सही मार्गदर्शन मिल जाए तो कोई भी महिला अपनी पहचान खुद बना सकती है।