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जबलपुर में ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल, मामला एक बार फिर HC पहुंचा, कोर्ट ने जिम्मेदारों से माँगा जवाब

जबलपुर  मप्र हाईकोर्ट में जबलपुर शहर के बंद ट्रैफिक सिग्नल्स और कैमरों बंद होने को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट में कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, जबलपुर कलेक्टर, एसपी जबलपुर और निगमायुक्त सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जबलपुर शहर में तकरीबन 26 ट्रैफिक सिग्नल्स लगे हैं, जिनमें अधिकांश गत छह माह से बंद हैं। इसके कारण शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई है। सिग्नल्स बंद होने के कारण जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। इसके अलावा  कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी बंद पड़े हैं। इससे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों की भी पहचान नहीं हो पा रही है। अपराधिक वारदातों को सुलझाने में भी कैमरों की अहम भूमिका रहती है। ट्रैफिक सिग्नल्स तथा सीसीटीवी कैमरा बंद होने के कारण शासन को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। सिग्नल्स तोड़ने वालों पर चालानी कार्यवाही नहीं हो रही है। याचिका में कहा गया है कि ट्रैफिक सिग्नल्स के संचालन को लेकर जिम्मेदार संस्था एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, लेकिन उसका समुचित समाधान नहीं कर रहे हैं। शहर में लगे सभी ट्रैफिक सिग्नल का अनुबंध समाप्त हो चुका है। नए अनुबंध न होने के कारण शहर में यातायात व्यवस्था अराजक हो चली है। ब्लूम चौक को पार करने में 35 से 40 मिनट लग रहे हैं। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा।   

कोर्ट ने शहर में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या और ट्रैफिक सिग्नलों की खराब स्थिति पर भी चिंता जताई, मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को

 इंदौर  इंदौर शहर के बदहाल ट्रैफिक को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह और निगमायुक्त शिवम वर्मा से व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा है, ताकि इस समस्या का समाधान निकल सके। कोर्ट ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव से कहा है कि वे सुनवाई के दौरान न्यायमित्र के रूप में उपस्थित रहें और कोर्ट का सहयोग करें। शहर में लगातार बढ़ रही ई-रिक्शा की संख्या को लेकर भी कोर्ट ने शासन को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में ई-रिक्शा संचालन के लिए राज्य सरकार और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) के पास कोई नीति नहीं है। ई-रिक्शा की संख्या, मार्ग और किराए पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने ध्वस्त हो चुकी शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर शासन और पुलिस विभाग से बिंदुवार विस्तृत जानकारी मांगी है। कोर्ट ने यह आदेश राजलक्ष्मी फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका में दिया है। दो जुलाई को याचिका में बहस के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था जो  देर शाम जारी हुआ। याचिका में शहर की बिगड़ती यातायात व्यवस्था को लेकर कहा है कि रात के वक्त एक भी चौराहे पर यातायात सिग्नल चालू नहीं रहते। चौराहों पर लगे सिग्नल बंद कर दिए जाते हैं। दुर्घटना रोकने को कोई इंतजाम नहीं दुर्घटना संभावित क्षेत्र तो चिह्नित कर लिए गए, लेकिन यहां दुर्घटना रोकने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। हालत यह है कि चौराहों से सुबह और शाम को निकलना मुश्किल है। दुकान से ज्यादा सामान तो दुकानदार बाहर रखते हैं। शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे नियंत्रित करने की कोई नीति नहीं है। मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इन बिंदुओं पर मांगी जानकारी     शहर में प्रमुख चौराहों पर कितनी ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं और कितनी काम कर रही हैं।     मार्ग चौड़ीकरण के माध्यम से कितने लेफ्ट टर्न बनाए गए हैं।     मुख्य और साइड लेन सड़कों पर रोड मार्किंग की गई या नहीं।     शहर में प्रमुख चौराहों पर यातायात पुलिसकर्मियों की तैनाती।     दुर्घटना, ब्लैक स्पाट की पहचान के लिए क्या किया।     पिछले पांच वर्ष के दौरान कितने स्पीड ब्रेकर, पार्किंग जोन, फुट ओवर ब्रिज बनाए।     दुकानों के बाहर सड़क और फुटपाथ पर सामान रखने वाले दुकानदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की। ज्यादातर जगह तो दुकानदार दुकान के क्षेत्रफल से ज्यादा फुटपाथ इस्तेमाल कर रहे हैं।     सार्वजनिक स्थानों पर ठेले, गुमटियों को हटाने के लिए क्या कार्रवाई की और पिछले पांच वर्ष में कितने चालान बनाए।     हेलमेट नहीं पहनने वाले और लाल लाइट का उल्लंघन करने वाले कितने दोपहिया वाहन चालकों के चालान बनाए।     ऐसे दो पहिया वाहन जिन पर दो से अधिक यात्री यात्रा करते हैं वह भी बगैर हेलमेट के, उन्हें नियंत्रित करने के लिए क्या योजना है। यह भी बताएं कि पुलिस सख्ती क्यों नहीं बरतती। बीआरटीएस में निजी वाहन नहीं चलेंगे कोर्ट ने तीन पेज के आदेश में स्पष्ट किया है कि जब तक बीआरटीएस चालू है, तब तक इसमें केवल आईबस, एंबुलेंस और पुलिस वाहन ही चलेंगे। निजी वाहनों को बीआरटीएस का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।

मध्यप्रदेश के 40 हजार बैंककर्मी आज हड़ताल पर, 8500 शाखाओं में काम ठप

भोपाल  बुधवार को मध्य प्रदेश में 40 हजार बैंककर्मी ने हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल अपनी 17 विभिन्न सूत्रीय मांगों के समर्थन को लेकर हो रही हैं। वहीं इससे राज्य की करीब साढ़े आठ हजार ब्रांच के कामों पर असर पड़ेगा। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया ने केंद्रीय श्रमिकों की मांगों को समर्थन करते हुए बैंकिंग उद्योग और बैंक कर्मियों ने अखिल भारतीय बैंक बंद करने का आह्वान किया है।  हड़ताल जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ भी हो रही है। मीडिया खबरों के मुताबिक, जिन मांगों को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर आए हैं। उनमें केंद्रीय श्रमिक संगठनों की निराकरण की मांग, बैंकिंग सेक्टर और एलआईसी में निजीकरण सहित विनिवेश के रोकने। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियां बैंकों को मजबूत करने। बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई बढ़ोतरी रोकी जाए। पर्याप्त भर्ती निकालने के संबंध में, एनपीएस को रोकने एवं ओपीएस को बहाल समेत कई अन्य मांगे भी हैं। इसको लेकर ट्रेड यूनियन संयुक मोर्चा के प्रवक्ता वीके शर्मा ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संगठनों और स्वतंत्र ट्रेड यूनियन ने केंद्र सरकार की जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी 17 सूत्रीय मांगे के समाधान के लिए राष्ट्रीयव्यापी हड़ताल करेंगे। एक तरफ जहां बिहार में विपक्षी पार्टियों ने आज भारत बंद बुलाया है। वहीं दूसरी तरफ देशभर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के करीब 25 करोड़ कर्मचारी और मजदूरों संगठन संगठनो जे जुड़े लोग हड़ताल पर रहेंगे। इसी बीच मध्यप्रदेश में बुधवार को 40 हजार बैंककर्मी अपनी मांगों लेकर सड़क पर उतरे हैं। एमपी में बैंक कर्मी अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल की है। जिसकी वजह से प्रदेश की करीब साढ़े 8 हजार शाखाओं का कामकाज प्रभावित रहेगा। एमपी में इन मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे बैंककर्मी     बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई बढ़ोतरी रोका जाना चाहिए।     केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांगों का जल्द निराकरण किया जाए।     सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को मजबूत करें।     बैंकों और एलआईसी में निजीकरण और विनिवेश रोके।     सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों को एक इकाई के रूप में विलय करें।     पर्याप्त भर्तियां सुनिश्चित करें।     आउटसोर्सिंग और अनुबंध नौकरियों को रोक लगाएं।     एनपीएस को खत्म करें, ओपीएस को बहाल करें जल्द।     कॉर्पोरेट्स से खराब ऋण वसूलने के लिए कड़े कदम उठाएं जाएं।     प्रतिगामी श्रम संहिताओं को लागू न करें।      ट्रेड यूनियन अधिकारों का उल्लंघन न करें।      बैंक कर्मियों की लंबित मांगों का निराकरण शीघ्र किया जाए।     आम ग्राहकों के लिए बैंकों में सेवा शुल्क कम करें।     जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी वापस लें। एमपी में कौन-कौन से विभाग कर रहे हड़ताल बता दें कि इस हड़ताल से प्रदेश की करीब 8 हजार बैंक शाखाओं का कामकाज प्रभावित रहेगा। स्ट्राइक करने वाले संगठनों में ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया ने केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांगों का समर्थन करते हुए बैंकिंग उद्योग एवं बैंककर्मियों की मांगों को लेकर अखिल भारतीय बैंक हड़ताल का आह्वान किया है। यानि जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ और बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थानों की तरफ से यह हड़ताल की जा रही है। भोपाल में कौन-कौन से बैंक रहेंगे बंद? वहीं अगर बात राजधानी यानि भोपाल शहर की बात की जाए तो यहां निजी, विदेशी, सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 40 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर हैं। जिसकी वजह से भोपाल की 400 बैंक शाखाओं के काम पर असर रहेगा। यानि भोपाल में भी हड़ताल का असर देखने को मिलेगा। भोपाल में 400 शाखाएं, 5 हजार बैंककर्मी राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल में सार्वजनिक, निजी, विदेशी, सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 40 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी शामिल होंगे। इससे बैंकों का कामकाज ठप रहेगा। भोपाल में भी हड़ताल का असर देखने को मिलेगा। यहां विभिन्न बैंकों की 400 शाखाएं हैं। जहां 5 हजार अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे। ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता वीके शर्मा ने बताया- केंद्रीय श्रमिक संगठनों और स्वतंत्र ट्रेड यूनियंस ने केंद्र सरकार की जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ, अपनी 17 सूत्रीय मांगों के निराकरण के लिए यह राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है। 

WCR से गुजरने वाली 18 रेलगाड़ियां अशोक नगर, मुंगावली, बदरवास एवं खिरकिया स्टेशनों पर भी रुकेंगी

भोपाल  रेल मंत्रालय द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए पश्चिम मध्य रेल से गुजरने वाली 18 रेलगाड़ियों का भोपाल मंडल के अशोक नगर, मुंगावली, बदरवास एवं खिरकिया स्टेशनों पर प्रायोगिक तौर पर दोनों दिशाओं में ठहराव प्रदान किया गया था, जिसे अब अगले आदेश तक विस्तारित कर दिया गया है। इसकी जानकारी इस प्रकार है। अशोक नगर स्टेशन पर आगमन/प्रस्थान समय-सारणी 1. गाड़ी संख्या 18573 विशाखपट्टणम जंक्शन–भगत की कोठी एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय भोर 04:28/04:30 बजे रहेगा। 2. गाड़ी संख्या 18574 भगत की कोठी–विशाखपट्टणम जंक्शन एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय सुबह 09:46/09:48 बजे रहेगा। अब भोपाल मंडल के अशोक नगर, मुंगावली, बदरवास एवं खिरकिया स्टेशन पर भी रुकेगी यह रेलगाड़ियां मुंगावली स्टेशन पर आगमन/प्रस्थान समय-सारणी 1. गाड़ी संख्या 19053 सूरत–मुजफ्फरपुर एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय रात्रि 22:18/22:20 बजे रहेगा। 2. गाड़ी संख्या 19054 मुजफ्फरपुर–सूरत एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय मध्य रात्रि 00:25/00:27 बजे रहेगा। 3. गाड़ी संख्या 20971 उदयपुर सिटी–शालीमार एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय सुबह 10:43/10:45 बजे रहेगा। 4. गाड़ी संख्या 20972 शालीमार–उदयपुर सिटी एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय सायं 18:10/18:12 बजे रहेगा। 5. गाड़ी संख्या 18207 दुर्ग–अजमेर एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय प्रातः 05:23/05:25 बजे रहेगा। 6. गाड़ी संख्या 18208 अजमेर–दुर्ग एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय प्रातः 06:12/06:14 बजे रहेगा। 7. गाड़ी संख्या 20482 तिरुच्चिराप्पल्लि जंक्शन–भगत की कोठी हमसफ़र एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय सायं 16:18/16:20 बजे रहेगा। बदरवास स्टेशन पर आगमन/प्रस्थान समय-सारणी 1. गाड़ी संख्या 20961 उधना जंक्शन–बनारस सुपरफास्ट एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय रात्रि 21:04/21:06 बजे रहेगा। 2. गाड़ी संख्या 20962 बनारस–उधना सुपरफास्ट एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय सुबह 06:35/06:37 बजे रहेगा। 3. गाड़ी संख्या 22193 दौण्ड जंक्शन–ग्वालियर सुपरफास्ट एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय रात्रि 21:04/21:06 बजे रहेगा। 4. गाड़ी संख्या 22194 ग्वालियर–दौण्ड जंक्शन सुपरफास्ट एक्सप्रेस का आगमन/प्रस्थान समय रात 19:18/19:20 बजे रहेगा। खिरकिया स्टेशन पर गाड़ियों का प्रायोगिक ठहराव 1. गाड़ी संख्या 12149 पुणे–दानापुर एक्सप्रेस खिरकिया स्टेशन पर 08:00 बजे पहुँचकर, 08:02 बजे गन्तव्य के लिए प्रस्थान करेगी। 2. गाड़ी संख्या 12150 दानापुर–पुणे एक्सप्रेस खिरकिया स्टेशन पर 15:15 बजे पहुँचकर, 15:17 बजे गन्तव्य के लिए प्रस्थान करेगी। 3. गाड़ी संख्या 17020 हैदराबाद–हिसार एक्सप्रेस खिरकिया स्टेशन पर 10:26 बजे पहुँचकर, 10:28 बजे गन्तव्य के लिए प्रस्थान करेगी। 4. गाड़ी संख्या 19483 अहमदाबाद–बरौनी एक्सप्रेस खिरकिया स्टेशन पर 14:35 बजे पहुँचकर, 14:37 बजे गन्तव्य के लिए प्रस्थान करेगी। 5. गाड़ी संख्या 19484 बरौनी–अहमदाबाद एक्सप्रेस खिरकिया स्टेशन पर 23:05 बजे पहुँचकर, 23:07 बजे गन्तव्य के लिए प्रस्थान करेगी। रेल्वे की अपील  रेल प्रशासन द्वारा यात्रियों से अनुरोध है कि वे इन ठहरावों का अधिकतम उपयोग करें और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करें। यात्रीगण कृपया रेलवे द्वारा अधिकृत रेलवे पूछताछ सेवा NTES/139 से भी गाड़ी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।  

जबलपुर विमानतल को फिर बम से उड़ाने की धमकी, एयरपोर्ट प्रबंधन ने दर्ज कराई एफआईआर

जबलपुर मध्य प्रदेश के जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट को फिर बम से उड़ाने की धमकी मिली है. पिछले 8 दिनों में दूसरी बार धमकी भरा ईमेल मिला है. इसमें एयरपोर्ट में बम ब्लास्ट करने की बात लिखी गई है. ईमेल मिलने के बाद एयरपोर्ट प्रबंधन अलर्ट हो गया. फौरन एयरपोर्ट के चप्पे-चप्पे की तलाशी ली गई. फिलहाल डुमना प्रबंधन की ओर से खमरिया थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. अब पुलिस ईमेल भेजने वाले की तलाश में जुट गई है. बता दें कि इससे पहले 29 जून को भी डुमना एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी भरा ईमेल मिला था, जिसके बाद खमरिया थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। उस जांच में भी कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली थी और मामला फर्जी निकला था। इस बार भी धमकी मिलने के बाद सघन तलाशी के दौरान एयरपोर्ट पर कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली। फिर मिली डुमना एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी पिछले दस दिन में दूसरी बार जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिलने से सनसनी का माहौल है।एयरपोर्ट डायरेक्टर के अनुसार धमकी भरा ईमेल ‘इमाम हुसैन अली’ नाम की एक आउटलुक आईडी से भेजा गया था। मेल में एम. गुनासेकरन, जीवा सगप्तम वैश्यू, सेथिल वेल, माइनर, नैनिका कोवन, शिवदास और सुमी पापा जैसे नामों का जिक्र किया गया था। ईमेल में लिखा गया कि एयरपोर्ट में “फोर आरडीएक्स 800 बेस फ्यूज” रखा गया है, जिसे जानबूझकर कम मात्रा में डोप किया गया ताकि प्रभाव कम हो और ज्यादा लोग हताहत कम हों। मेल में जिन नाम का जिक्र था, उनकी जानकारी जुटाई गई। सभी विमान कंपनियों से यात्रा करने वाले पैसेंजरों की जानकारी भी बुलाई गई, लेकिन मेल में जिन नाम को लिखा था उनमें से कोई भी नाम पैसेंजर लिस्ट में नहीं थे। पुलिस ने दर्ज की एफआईआर धमकी भरे ईमेल की सूचना मिलते ही एयरपोर्ट प्रबंधन ने तुरंत बम निरोधक दस्ते, पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को सूचित किया। सोमवार की शाम से देर रात तक एयरपोर्ट के अंदर और बाहर गहन तलाशी ली गई। बीडीएस ने एयरपोर्ट के हर कोने की बारीकी से जांच की, लेकिन कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली। एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा धमकी भरे ईमेल की शिकायत मिलने पर खमरिया थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। खमरिया थाना प्रभारी सरोजिनी टोप्पो ने बताया कि अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

अगर किसी मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, तो सिर्फ इसी आधार पर उसे लापरवाह नहीं माना जा सकता: हाईकोर्ट

ग्वालियर  मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, तो सिर्फ इसी आधार पर उसे लापरवाह नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जब तक बीमा कंपनी ये साबित न कर दे कि मृतक तेज और लापरवाही से गाड़ी चला रहा था, तब तक मुआवजे की रकम में कटौती नहीं की जा सकती। यह मामला कुंज विहार कॉलोनी, गोला का मंदिर निवासी रेनू चौहान और उनके सास-ससुर से जुड़ा है, जिन्होंने 30 नवंबर 2006 को जिला न्यायालय में क्लेम याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि एक सितंबर 2006 को उनके पति संजू उर्फ संजीव उर्फ राजेंद्र सिंह चौहान बाइक से बाजार जा रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई। जिला कोर्ट ने मंजूर किए थे सिर्फ 4.4 लाख रुपए स्वजन ने 15 लाख रुपए का मुआवजा मांगा था, लेकिन जिला कोर्ट ने सिर्फ 4.4 लाख रुपये मंजूर किए और कहा कि मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, इसलिए वो भी बराबर का दोषी है। इसलिए कोर्ट ने सिर्फ आधी रकम यानी 2.2 लाख रुपये देने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ मृतक के स्वजन ने हाई कोर्ट में अपील की, जिनकी ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने दलील दी कि सिर्फ लाइसेंस न होना, लापरवाही का सबूत नहीं होता। जब तक बीमा कंपनी यह साबित न कर दे कि मृतक तेज या गलत तरीके से वाहन चला रहा था, तब तक उसकी गलती नहीं मानी जा सकती। हाई कोर्ट ने यह तर्क मानते हुए निचली अदालत का फैसला पलट दिया और बीमा कंपनी को आदेश दिया कि मृतक के स्वजन को 6.11 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दी जाए।  

जबलपुर के भेड़ाघाट में पुल पानी में डूबा, आवागमन पूरी तरह से किया गया बंद, सुरक्षा के लिए मुनादी कराई गई

जबलपुर  बरगी बांध के चार गेट और खोल दिए गए हैं। मंगलवार शाम छह बजे खोले गए इन गेटों के बाद अब बरगी बांध के 17 गेटों से पानी छोड़ा जा रहा है। गेटों को 3.82 मीटर औसत ऊंचाई तक खोला गया है। बांध से पानी निकासी की मात्रा बढ़ाकर दो लाख 92 हजार 515 क्यूसेक कर दी गई है। कार्यपालन यंत्री बरगी बांध राजेश सिंह ने बताया कि कैचमेंट एरिया में हो रही भारी बारिश की वजह से बरगी बांध के लगातार बढ़ते जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए बांध से पानी निकासी की मात्रा बढ़ाने का निर्णय लिया गया। चार गेट और खोल दिए जाने से पानी निकासी की मात्रा एक लाख 78 हजार 23 क्यूसेक से बढ़ाकर 8283 क्यूमेक कर दी गई। इससे नर्मदा का जलस्तर वर्तमान स्तर से आठ से और दस फीट और बढ़ जाएगा। वहीं जलस्तर बढ़ने से सगड़ा से होते हुए लम्हेटाघाट से भेड़ाघाट को जोड़ने वाला ब्रिज डूब गया। इससे यहां से आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है। मुनादी कराई, सुरक्षित दूरी का आग्रह बांध के निचले क्षेत्र के रहवासियों से नर्मदा तट और घाटों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए मुनादी कराई गई है। ज्ञात हो कि बांध के जलस्तर को नियंत्रित करने सीजन में पहली बार रविवार को दोपहर 12 बजे कुल 21 में से नौ गेट खोले गए थे। सोमवार को चार और गेट खोल दिए गए। पानी की आवक और बढ़ जाने से मंगलवार शाम को चार गेट और खोले गए। इन जलद्वारों के अलावा बांध की दाईं तट नहर पर स्थित जल विद्युत उत्पादन संयंत्र के माध्यम से भी तीन हजार 320 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। मंगलवार शाम पांच बजे जलस्तर 419.50 मीटर रिकार्ड किया गया था। बांध में प्रति सेकंड दो लाख 84 हजार 392 क्यूसेक वर्षा जल प्रवेश कर रहा था। बांध का पूर्ण जलभराव स्तर 422.76 मीटर है। आपरेशनल मैन्युल के अनुसार 31 जुलाई तक जल स्तर 417.50 मीटर रखा जाता है।

बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी सौगात, कंपनियों में 50 हजार से अधिक नए स्थायी पद मिलेंगे

भोपाल   बिजली कंपनियों में 50 हजार से अधिक नए स्थायी पद मिलेंगे। मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों में कर्मचारी-अधिकारियों की भर्ती होगी। इसका फायदा 1.78 करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा। दावा है, बिजली गुल होने या बिल में गड़बड़ी जैसी शिकायतों पर कम समय में सुनवाई होगी। अभी तीनों कंपनियां कर्मचारियों की कमी झेल रही है। इसका असर उपभोक्ता सेवा पर पड़ रहा है। समय पर सुनवाई नहीं होती। बार-बार टोल फ्री नंबरों पर गुहार लगानी पड़ती है। 14 साल बाद… सब ठीक रहा तो मोहन सरकार बुधवार को होने वाली कैबिनेट में ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर (ओएस) के प्रस्ताव को स्वीकृत कर दे सकती है। ऐसा हुआ तो कंपनियों को 14 साल बाद नए पद मिलेंगे। इससे पहले 2011 में 48 हजार पदों को स्वीकृति दी थी। तब 91 लाख उपभोक्ता थे। ऊर्जा मंत्री ने रखी बात तो मुख्यमंत्री दे दी सहमति कंपनियों में पुराने अधिकारी-कर्मचारी रिटायर्ड हो रहे हैं। ऐसे में नियमित कर्मचारियों की कमी है। जिस अनुपात में उपभोक्ता बढ़े, पद स्वीकृत नहीं हुए। 75त्न काम आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे है। सूत्र बताते हैं, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इन विषयों को अफसरों के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव के सामने रखा था। इसे देखते हुए उन्होंने ओएस के प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने पर सहमति दे दी थी। ये प्रस्ताव भी आएंगे कैबिनेट के सामने     जल संसाधन विभाग के अंतर्गत कृषि सिंचाई जलकर की ब्याज माफी के प्रस्ताव पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।     ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की साधिकार समिति की 63वीं बैठक में लिए गए निर्णयों का प्रजेंटेशन कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।     वन विभाग की प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि (कैम्पा फंड) की वार्षिक कार्ययोजना को भी मंजूरी दी जाएगी।     प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की खरीदी के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सिक्योरिटी, हानि की प्रतिपूर्ति और रबी सीजन 2024-25 में टारगेट से अधिक की गई खरीदी को स्वीकृति देने पर भी विचार होगा। नियमों और विधेयकों में संशोधन पर भी चर्चा     भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के अनुच्छेद 1क के तहत भारतीय स्टांप (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2025 को कैबिनेट मंजूरी देगी।     स्थानीय निधि संपरीक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 1991 में संशोधन को भी मंजूरी दी जाएगी। आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर हो सकता है फैसला     महिला और बाल विकास विभाग के अंतर्गत धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 66 नए आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की स्वीकृति दी जाएगी।     इन केंद्रों के लिए पदों की स्वीकृति और आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण का प्रस्ताव भी मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

मछुआरों की सुरक्षा की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मछुआरों की सुरक्षा और समृद्धि सरकार की प्राथमिकता है। उनकी सुरक्षा की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में कंट्रोल कमांड सेंटर और ट्रांजिट हाउस जैसी पहल की जा रही हैं। राज्य के बड़े जलाशयों में मछुआरों की सुरक्षा और मत्स्य बीज संचयन की निगरानी के लिये आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के सबसे बड़े जलाशयों में शामिल इंदिरा सागर में ड्रोन, जीपीएस और सीसीटीवी युक्त आधुनिक कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना की जा रही है। आपात स्थिति में इस प्रणाली से मछुआरों को शीघ्र सहायता पहुंचाई जा सकेगी। ये पहल ब्रीडिंग ग्राउंड के चिन्हांकन के साथ मत्स्य आखेट पर निगरानी को और ज़्यादा आसान, सुलभ और प्रभावशाली बनाएगी। कमांड कंट्रोल रूम की मदद से मुख्यालय स्तर से ही 24X7 निगरानी संभव हो सकेगी। ड्रोन के माध्यम से जल क्षेत्र की लाइव मॉनिटरिंग और जीपीएस सिस्टम से नावों की ट्रैकिंग की जा सकेगी और आपात स्थिति में मछुआरों को तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी। मछुआरों के लिए बनेंगे ट्रांजिट हाउस और फ़्लोटिंग प्लेटफ़ॉर्म मत्स्य महासंघ के जलाशयों में कार्यरत मछुआरों को कई बार 15 दिन से लेकर एक महीने तक खुले टापुओं या जलाशय के किनारों पर अपनी नावों में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। वर्षा ऋतु में टापुओं का जलस्तर बढ़ जाता है, ऐसे में मछुआरों को जलीय जीव-जंतुओं से जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। मछुआरों को इससे बचाने के लिए महासंघ ने गांधी सागर और इंदिरा सागर के टापुओं पर 5 ट्रांजिट हाउस और जल के मध्य 2 फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। मछुआरों के लिए इसमें आपातकालीन स्थिति में भोजन निर्माण, सोलर मोबाइल चार्जिंग और बायो टॉयलेट जैसी सुविधाएं मिलेंगी। राज्य सरकार की यह पहल मछुआरों की सुरक्षा और सुविधा को बेहतर बनाएगी, साथ ही जल आधारित संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन और मत्स्य उत्पादन की वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आधुनिक तकनीक के समावेश से अब राज्य में मत्स्याखेट और मछलीपालन नए आयाम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हैं। भोपाल में बनेगा आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान राज्य में मॉडर्न एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अहम पहल की जा रही है। केन्द्र सरकार की फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड योजना के तहत भोपाल में 5 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस संस्थान में केज कल्चर, बायोफ्लॉक, रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम, मछलियों की हाइजेनिक हैंडलिंग, फिश प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वैल्यूएडिशन जैसे विषयों पर मछुआ समुदाय को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। मछुआरों को इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप मछली पालन तकनीक की जानकारी और व्यावसायिक दक्षता प्राप्त होगी।  

आधुनिक सुविधाएं सुगम और सुलभ तरीकों से मिलेंगी : राज्यमंत्री श्रीमती गौर

नागरिकों का विदेश जाने का सपना होगा पूरा : मंत्री सारंग पासपोर्ट कार्यालय भवन बनने से नागरिकों को मिलेगी सुविधा: मंत्री सारंग आधुनिक सुविधाएं सुगम और सुलभ तरीकों से मिलेंगी : राज्यमंत्री श्रीमती गौर अरेरा हिल्स पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय भवन का लोकार्पण भोपाल सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि नये पासपोर्ट कार्यालय भवन बनने से नागरिकों को सुविधा मिलेगी। वहीं आसान और सरल तरीके से नागरिकों को पासपोर्ट उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई तकनीकियों के साथ पारदर्शिता पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं यह उसी का उदाहरण है। मंत्री सारंग अरेरा हिल्स स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मंत्री सारंग ने कहा कि कार्यालय भवन में पूरी क्षमता के साथ हर एक टेक्नॉजोजी को आत्मसात किया है। मध्यप्रदेश और देश के हर एक नागरिक को इस कार्यालय की सुविधा प्राप्त होगी। उन्होंने कार्यालय भवन की अवधारणा को सराहा। भवन में हर सुविधा का ध्यान रखते हुए निर्माण किया गया है, जो लोगों को कम समय में अधिक लाभ प्रदान करेंगी। पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा है कि कार्यालय भवन में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं इससे आसानी से समय पर लोगों को लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सुगम और सुलभ लाभ देने के लिये कर्मचारियों में विनम्रता भी आवश्यक है। मुख्य पासपोर्ट अधिकारी डॉ. के.जे. श्रीनिवास ने बताया है कि हर संसदीय क्षेत्र तक पासपोर्ट सेवाएं पहुंचाने के लिये विदेश मंत्रालय प्रतिबद्ध है। भारत में 450 पासपोर्ट सेवा केन्द्र स्थापित हो चुके हैं। पिछले डेढ़ वर्ष में मध्यप्रदेश में शहडोल, मंदसौर, खंडवा, गुना, खरगोन एवं भिण्ड जिले में पासपोर्ट सुविधा केन्द्र खोले गये है। जल्द ही मंडला में भी सुविधा केन्द्र खोला जायेगा। शुरूआत में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर और फीता काटकर नये भवन का लोकार्पण किया। कार्यालय भवन में उपलब्ध सुविधाओं का निरीक्षण के बाद आवेदको की सुविधाओं के दृष्टिगत प्रकाशित कॉमिक बुक 'क्षितिज' का विमोचन भी किया। श्रेष्ठ कार्य करने वालो का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान भी किया। नये पासपोर्ट कार्यालय भवन में आधुनिक सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। यहां शिशु पालक कक्ष, आवेदको, कर्मचारियों के लिये पुस्तकालय, छोटे बच्चो के लिये स्ट्रालर, दिव्यांगों के लिये व्हीलचेयर, कर्मचारी कल्याण कक्ष, कैफेटेरिया आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। कार्यक्रम में मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल विनीत माथुर, पुलिस महानिरीक्षक अंशुमन सिंह, सीपीडब्ल्यूडी के जे. आर. मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी-कर्मचारी और टीसीएस कर्मी उपस्थित थे।