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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 12 जुलाई को उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन का आयोजन होगा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 12 जुलाई को उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन का आयोजन होगा भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 12 जुलाई को उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन का आयोजन होगा। कार्यक्रम की तैयारियों की मत्स्य पालन एवं मछुआ कल्याण राज्य मंत्री नारायण सिंह पंवार ने समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन निषादराज समाज के गौरव और संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है, ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी व्यवस्थाएं उत्कृष्ट हों। राज्यमंत्री पंवार ने अधिकारियों को समय-सीमा में सभी कार्यों को पूर्ण करने और बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उज्जैन में आयोजित होने जा रहे इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक और सफल बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव करेंगे भूमिपूजन और लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. यादव कार्यक्रम में 22.65 करोड़ रूपये की लागत के 453 स्मार्ट फिश पार्लर, 40 करोड़ रूपये की लागत से बन रहे अत्याधुनिक अंडर वॉटर टनल सहित एक्वापार्क और 91.80 करोड़ रूपये की लागत से इंदिरा सागर जलाशय में 3060 केजेस के माध्यम से मत्स्य उत्पादन से वृद्धि एवं रोजगार सृजन का वर्चुअली भूमि-पूजन करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव 430 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स के स्वीकृति पत्र एवं 100 यूनिट्स का वितरण, 396 केज के स्वीकृति पत्र का प्रदाय, फीडमील के हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र का प्रदाय एवं उत्कृष्ट कार्य कर रहे मछुआरों एवं मत्स्य सहकारी समितियों को पुरस्कार वितरण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मत्स्य महासंघ के मछुआरों को 9.63 करोड़ रूपये के डेफर्ड वेजेस का सिंगल क्लिक से अंतरण करने के साथ ही रॉयल्टी चेक प्रदाय करेंगे।  

जल गंगा संवर्धन अभियान में रायसेन जिले को मिला द्वितीय स्थान

खेत तालाबों और अमृत सरोवर से पांच हजार एकड भूमि होगी सिंचित 2500 से अधिक खेत तालाबों का हुआ निर्माण और 1600 से अधिक कूप रिचार्ज जल गंगा संवर्धन अभियान में रायसेन जिले को मिला द्वितीय स्थान भोपाल  रायसेन जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान में 2500 से अधिक खेत तालाब एवं 23 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य कराया गया है। इनके निर्माण से 5000 एकड से अधिक भूमि सिंचित होगी। कूप रिचार्ज पिट 1600 से अधिक निर्माण कराए गए हैं जिससे कूपों में जल भराव से किसान दोनों फसलों में सिचाई कर सकेंगे। इन कार्यों को नवीन तकनीक सीपरी ऐप के माध्यम से चिन्हांकित किया गया। अभियान के दौरान बेतवा के उदग्म स्थल को पुर्नजीवित कर अविरल धारा प्रवाहित करने के प्रयास किये गये। पोर्टल पर 15000 से अधिक जलदूतों का पंजीयन कराकर प्रशिक्षण कराया गया। विभिन्न ग्राम पंचायतों में साफ सफाई एवं जल संरक्षण के कार्य भी कराये गये। जिले को प्रदेश में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने बताया कि रायसेन जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना से जल संरक्षण के कार्य कराये गये। मनरेगा के तहत 1000 से अधिक जल संग्रहण के कार्यो को भी पूर्ण कराया गया है। अभियान के दौरान जिले के झिरी ग्राम में स्थित बेतवा नदी के उद्गम स्थल को पुर्नजीवित किया गया, जो रायसेन में हुए महत्वपूर्ण कार्यो में से एक है। जिले में स्थित अन्य नदियों के उद्गम स्थलों को संरक्षित करने के कार्य भी कराये गये। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत रायसेन जिले की सभी 7 जनपद पंचायतों में कुल 2500 से अधिक खेत तालाबों का निर्माण कराया गया है जिससे एक ओर जहां बारिश का जल संग्रहित हो सकेगा, वहीं किसानों को भी सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त 1687 कूप रीचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है। जिले की बाड़ी जनपद पंचायत में 329 खेत तालाब, बेगमगंज जनपद पंचायत में 509 खेत तालाब, गैरतगंज जनपद पंचायत में 354 खेत तालाब, औबेदुल्लागंज जनपद पंचायत में 213 खेत तालाब, सांची जनपद पंचायत में 366 खेत तालाब, सिलवानी जनपद पंचायत में 490 खेत तालाब और उदयपुरा जनपद पंचायत में 302 खेत तालाबों के निर्माण कार्य स्वीकृत कराये गये। बाड़ी जनपद पंचायत में 183 कूप रिचार्ज पिट, बेगमगंज जनपद पंचायत में 340, गैरतगंज जनपद पंचायत में 207, औबेदुल्लागंज जनपद पंचायत में 158, सांची जनपद पंचायत में 161, सिलवानी जनपद पंचायत में 144 और उदयपुरा जनपद पंचायत में 194 कूप रीचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है। जल गंगा संवर्धन अभियान से जुड़े कार्यो में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, संगठनों और नागरिकों की भी सहभागिता सुनिश्चित कराई गई। अभियान के तहत नागरिकों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिये पानी चौपाल सहित अनेक गतिविधियां भी आयोजित कराई गई। माय भारत एप में 15000 से अधिक जलदूतों का मोबाईल के माध्यम से पंजीयन कराया गया। इन जल दूतों को जल संरक्षण कार्यों का प्रशिक्षण भी जनपद पंचायत स्तर पर दिया गया। इन सभी कार्यों में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया। जिले को 100 में से 92.35 अंक प्राप्त हुये है जिसमें रायसेन प्रदेश में द्वितीय स्थान पर रहा।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी भेंट की

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ : 2028 के दृष्टि गत वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से की भेंट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से भेंट की मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी भेंट की भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को नई दिल्ली में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सहित अनेक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने सिंहस्थ: 2028 के दृष्टिगत मध्य प्रदेश में अधोसंरचनात्मक विकास और महत्वपूर्ण कार्यों के संबंध में केंद्रीय मंत्री गण से मुलाकात एवं चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्री गण को, आगामी सिंहस्थ आयोजन को विश्वस्तरीय बनाए जाने की तैयारी की जानकारी भी दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके से भेंट की।  

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की मृत्यु

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की मृत्यु भोपाल पन्ना टाईगर रिजर्व के परिक्षेत्र हिनौता के अंतर्गत सबसे बुजुर्ग हथनी लगभग 100 वर्ष से अधिक आयु की वत्सला की 8 जुलाई मंगलवार को मृत्यु हो गई। वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी माना जाता है। पन्ना टाईगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वत्सला का अंतिम संस्कार किया गया। वत्सला हथनी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र रही है। सबसे बुजुर्ग होने से वह पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती रही है। अन्य मादा हाथी के प्रसव एवं बच्चा होने के उपरांत वह एक नानी अथवा दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ने बताया कि मादा वत्सला परिक्षेत्र हिनौता के खैरईयां नाले के पास आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण बैठ गई थी। वनकर्मियों द्वारा उसको उठाने का काफी प्रयास किया गया। दोपहर को हथनी वत्सला की मृत्यु हो गई। हथनी वत्सला केरल से नर्मदापुरम लाई गई थी और बाद में उसे पन्ना टाईगर रिजर्व लाया गया था। वृद्ध होने के कारण वत्सला को आँखो से दिखना बंद हो गया था तथा वह अधिक दूरी तक नहीं चल पाती थी इसलिये गश्ती कार्य में इसका उपयोग नहीं लिया जाता था। इसे हिनौता हाथी केम्प में रखा गया था। प्रतिदिन खैरईयां नाले तक नहाने के लिये ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जा रहा था। पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन के वन्य प्राणी चिकित्सक एवं विशेषज्ञों के द्वारा समय-समय पर हथनी वत्सला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा था। इसलिए वत्सला पन्ना टाईगर रिजर्व के विरल एवं शुष्क वन क्षेत्र में दीर्घ आयु की अवस्था तक जीवित रही। टाईगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थपना योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा।  

स्कूल भवन पर तालाबंदी, किराया विवाद में फंसे बच्चे – मकान मालिक ने उठाया ये कदम

इंदौर लोहा गेट पर निजी स्कूल में हंगामा हो गया। इमारत मालिक के रिश्तेदारों ने ताला लगाकर बच्चों को रोक दिया। पुलिस ने आपसी विवाद बता कर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। बच्चों को बगैर पढ़ाई के लौटाना पड़ा। घटना गली नंबर-8 की है। मेहरुन बी की इमारत में अल हीरा पब्लिक स्कूल का संचालन होता है। याकूब और अय्यूब मुल्तानी ने ताला लगा दिया सोमवार रात मेहरुन बी के भतीजें याकूब और अय्यूब मुल्तानी ने ताला लगा दिया। सुबह नर्सरी से आठवीं तक के बच्चे पढ़ने पहुंचे तो ताला लगा मिला। स्टाफ और बच्चे प्रांगण में प्रवेश ही नहीं कर सके। प्रिंसिपल याकूब मेनन के अनुसार इमारत साल 2008 में किराये पर ली थी। हर महीने 22 हजार रुपये किराये देते है। मेहरुन बी के भजीतों ने कहा कि किराया बढ़ाकर उन्हें दें। ताला लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित अनुबंध मेहरुन बी के नाम से होने के कारण मेनन ने मना कर दिया। सोमवार को वह थाने गया पर पुलिस ने कहा आपसी विवाद है। जिस इमारत में स्कूल संचालित होता है वह निजी संपत्ति है। किरायेदार और इमारत मालिक के विवाद में पुलिस नहीं बोल सकती है। मंगलवार को ताला लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई।

एम्स भोपाल से मरीजों को राहत, PET स्कैन से जुड़े खर्च होंगे कम

भोपाल अब एम्स भोपाल में भी कैंसर, हृदय और मस्तिष्क रोगों की पहचान के लिए अत्याधुनिक पीईटी स्कैन की सुविधा शुरू होने जा रही है। निजी अस्पतालों में जहां इसकी कीमत 20 से 30 हजार रुपये तक पहुंचती है, वहीं एम्स में यह जांच बेहद कम शुल्क में उपलब्ध होगी। इसके लिए अस्पताल परिसर में विशेष भवन का निर्माण अंतिम चरण में है। यह सुविधा खासतौर से उन मरीजों के लिए राहत लेकर आएगी जिन्हें अब तक निजी अस्पतालों में महंगी जांच के लिए जाना पड़ता था। क्या है पीईटी स्कैन पीईटी स्कैन एक न्यूक्लियर इमेजिंग तकनीक है, जो शरीर के भीतर सेल स्तर की गतिविधियों को दिखाती है। इसमें एक रेडियोएक्टिव ट्रेसर इंजेक्ट किया जाता है, जो तेजी से सक्रिय अंगों में जाकर जमा होता है। ये ट्रेसर विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं, हृदय की क्षतिग्रस्त मांसपेशियों और मस्तिष्क के असामान्य हिस्सों में अधिक एकत्र होते हैं। स्कैनर इन सिग्नलों को पकड़कर 3डी इमेज बनाता है, जिससे बीमारी की सटीक स्थिति पता चलती है। कितना खर्च आता है निजी अस्पतालों में एक बार के पीईटी स्कैन पर 20,000 से 30,000 रुपये तक का खर्च आता है। जबकि एम्स भोपाल में यह सुविधा लगभग 2,000 से 3,000 रुपये में उपलब्ध कराई जाएगी। एम्स का उद्देश्य इसे आम और गरीब मरीजों के लिए सुलभ बनाना है। इन बीमारियों में मददगार कैंसर: किस अंग में है, कितना फैला है, इलाज का असर हो रहा है या नहीं हृदय रोग: हृदय की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह की स्थिति मस्तिष्क विकार: अल्जाइमर, पार्किंसन, एपिलेप्सी आदि। क्या है इसकी खासियत जहां सीटी और एमआरआई केवल शरीर की संरचना दिखाते हैं, वहीं पीईटी स्कैन शरीर की कार्यप्रणाली और मेटाबोलिक गतिविधियों को भी दिखाता है। इससे डाक्टर इलाज की दिशा बेहतर तय कर पाते हैं।

70 साल बाद इस गांव में पहली बार पक्की रोड का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, ग्रामीणों जताई खुशी

मैहर मैहर जनपद के रिगरा गांव में वर्षों पुराने सपने ने आखिरकार साकार रूप ले लिया है। गांव में पहली बार पीसीसी (पक्की) रोड का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, जिससे ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। दशकों से कीचड़ भरे रास्तों से गुजरते आ रहे ग्रामीणों के लिए यह सड़क एक बड़ी सौगात बनकर आई है। ग्रामीणों ने दीप जलाकर किया खुशी का इजहार जानकारी के अनुसार, रिगरा गांव की स्थिति लंबे समय से दयनीय थी। गांव की मुख्य सड़क कच्ची होने के कारण बारिश में कीचड़ और फिसलन की समस्या आम थी। करीब 70 वर्षों से इस गांव की जनता बदहाली झेल रही थी, जहां पीढ़ियों ने कीचड़ से भरे रास्तों पर चलकर जीवन बिताया। लेकिन अब जब पहली बार पीसीसी रोड का निर्माण कार्य पूरा हुआ, तो गांव वासियों ने दीप जलाकर और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। ग्रामीणों ने सरकार और अधिकारियों का आभार जताया महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने सड़क पर खड़े होकर एक-दूसरे को बधाई दी और इसे विकास की ओर पहला कदम बताया। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि "इतने सालों में पहली बार हमारे गांव में सरकार की कोई योजना जमीन पर उतरी है। अब बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी नहीं होगी और बीमारों को अस्पताल तक लाने में राहत मिलेगी। ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों का आभार जताया और आशा व्यक्त की कि इसी तरह अन्य आवश्यक सुविधाएं भी गांव में जल्द पहुंचेंगी।" 

समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप मध्यप्रदेश के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो रहा है। इससे बढ़ती नगरीय जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे। इसे साकार करने के लिए मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। 'नेक्स्ट होराइजन: बिल्डिंग सिटीज ऑफ टुमॉरो' थीम पर केन्द्रित कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश के शहरी विकास और निवेश पर देश की रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गज विकसित मध्यप्रदेश@2047 के लिए शहरी विकास के ब्लूप्रिंट पर चर्चा करेंगे। शहरी क्षेत्रों में विकास की प्रगति मध्यप्रदेश में शहरी अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। प्रदेश में 4 शहर ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। साथ ही केन्द्र की स्मार्ट सिटी परियोजना में 7 शहर शामिल हैं। शहरी क्षेत्रों में अधो-संरचाना विकास के संबंधित 72 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ करीब 88 हजार करोड़ रुपये की शहरी क्षेत्र से जुड़ी विकास योजनाएं प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश ने स्वच्छता के लिये देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इंदौर देश में पिछले 7 वर्षों से स्वच्छतम शहरों की श्रेणी में पहले नम्बर पर रहा है। भोपाल को देश की दूसरे नंबर की स्वच्छतम राजधानी बनने का गौरव हासिल किया है। प्रदेश के बजट में शहरी क्षेत्र के विकास के लिए 15 हजार 780 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में शहरी क्षेत्र का योगदान 35.55 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों में संचालित केन्द्र की फ्लैग शिप योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रदेश सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों शामिल है। नगरीय विकास से जुड़ी योजनाओं की गति तेज बनाए रखने के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम की प्रशासनिक व्यवस्था की गई है। हाउसिंग सेक्टर में बेहतर निवेश की संभावना प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर में निवेश की अच्छी संभावना है। अफोर्डेबल हाउसिंग में8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके है। प्रदेश में 10 लाख नए आवास तैयार किये जा रहे है। इनमें 50 हजार करोड़ रूपये का निवेश होगा। रियल एस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में मानव संसाधन की गुणवत्तापूर्ण वर्क फोर्स उपलब्ध है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 6 हजार किलोमीटर सड़क, 80 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शत् प्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई है। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाईज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं पर 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है।  

हृदय अभियान की राज्य नीति आयोग ने भी सराहना की, जिले के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के सूचकांकों में सकारात्मक प्रभाव पड़ा

विकास प्रक्रियाओं में बढ़ा नवाचार हरदा का हृदय अभियान बना आदर्श उदाहरण, राज्य नीति आयोग ने की सराहना नवाचारों की श्रंखला में हरदा जिले में स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा का संयुक्त "हृदय अभियान" आदर्श उदाहरण साबित हुआ हृदय अभियान की राज्य नीति आयोग ने भी सराहना की, जिले के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के सूचकांकों में सकारात्मक प्रभाव पड़ा  भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर विकास प्रक्रियाओं में नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। नवाचारों की श्रंखला में हरदा जिले में स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा का संयुक्त "हृदय अभियान" आदर्श उदाहरण साबित हुआ। राज्य नीति आयोग ने भी इस अभियान की सराहना की है। जिले के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के सूचकांकों में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हरदा जिले में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, पोषण तथा शैक्षिक सेवाओं को "हृदय अभियान" के अंतर्गत माताओं, बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाया गया। सभी हितग्राही माताएँ और 18 वर्ष तक के बच्चों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाया गया। मातृ मृत्यु, शिशु मृत्यु के आंकड़ों में कमी लाने और कुपोषण को कम करने के लिये एक साथ विशेष गतिविधियां चलाई गई। इसके लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर जानकारी प्रदान करना, गर्भवती माताओं को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना और बालक-बालिकाओं को पुनः शिक्षा से जोड़ने जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियां चलाई गई। ऐसे गांवो का चयन किया गया जिनके स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा संबंधी सूचकांक पिछले कुछ वर्षों में न्यूनतम रहे। कैसे हुई हृदय अभियान की शुरुआत जिले में नवाचार के रूप में कुपोषण मुक्त करने और जनजातीय क्षेत्र में शिक्षा तथा स्वास्थ्य की सुविधाओं की पहुंच बच्चों और महिलाओं तक बढ़ाने के उद्देश्य से हृदय अभियान चलाया गया। दूर दराज के 50 गांवों को चिन्हित किया गया, जिनमें गर्भवती माताओं और बच्चों की समस्या दूसरे गांवों की अपेक्षा ज्यादा थी। स्वास्थ्य, महिला बाल विकास और स्कूल शिक्षा विभागों का संयुक्त सर्वे कराया गया। संयुक्त दल ने डोर-टू-डोर सर्वे कर रिपोर्ट दी। गर्भवती माताओं का पंजीयन, टीकाकरण और हाई रिस्क महिलाओं का प्रबंध ग्राम और संस्था स्तर पर किया गया। जननी सुरक्षा योजना, प्रसूति सहायता योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की जानकारी तथा भुगतान संबंधी समस्याओं का शिविर लगाकर निराकरण किया गया। पोषण सलाह, आयरन टेबलेट, कैल्शियम टेबलेट उपलब्ध कराई। सर्वे में प्राप्त कुपोषण प्रभावित बच्चों के लिए विशेष पोषण प्लान तैयार किया गया। शाला त्यागी बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश दिलाने के लिए फील्ड स्तर पर जनशिक्षक, प्रधानाध्यापकों के माध्यम से प्रोत्साहित किया गया। "हृदय अभियान" का परिणाम यह रहा कि बच्चों में कुपोषण से मुक्त कराने, हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार, शाला त्यागी बच्चों को पुनः शाला में प्रवेश दिलाने में उल्लेखनीय सुधार हुआ। पोषण स्तर में सुधार के लिए ग्रेन्यूल फॉर्म में कुपोषित बच्चों को फ्लेवर मुनगा ग्रेन्यूल पाउडर 10 ग्राम, दूध पाउडर 10 ग्राम के साथ प्रतिदिन दो बार दिया गया और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अति कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाया गया। इस प्रकार 225 कुपोषित बच्चों में सुधार हुआ। स्वास्थ्य सर्वेक्षण के दौरान चिन्हित 739 गर्भवती माताओं का बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन किया गया। उनके समग्र आईडी बनाए गए। बैंकों में खाते खुलवाए गए। संस्थान प्रसवों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन से ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हुई। टीकाकरण कार्यक्रम में चिन्हित गांवों के बच्चों को टीके लगाए गए। इनमें 38 बच्चे टिमरनी, 26 खिरकिया और 29 बच्चे हंडिया ब्लॉक में हैं। स्वास्थ्य के अलावा 1752 शाला त्यागी बच्चों में से 562 को पुनः शाला में प्रवेश कराया गया।  

शैक्षिक ओलंपियाड : विद्यार्थी कर सकेंगे 30 जुलाई तक ऑनलाइन पंजीयन

भोपाल  प्रदेश के समस्त शासकीय प्राथमिक माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 2 से 8 के विद्यार्थियों को प्रदेश, देश और विश्व के सांस्कृतिक, भौगोलिक ऐतिहासिक परिदृश्य, समसामयिक सामान्य ज्ञान तथा हिन्दी, इंग्लिश, विज्ञान और गणित विषयों से जोड़ने के लिये मंच क्विज प्रतियोगिता ओलंपियाड का आयोजन इस वर्ष दो चरणों में जन शिक्षा केन्द्र और जिलास्तर पर किया जा रहा है। इस वर्ष जन शिक्षा केन्द्र स्तरीय आयोजन सितंबर और जिला स्तरीय आयोजन नवंबर माह में होगा। ओलंपियाड में सहभागिता के लिये विद्यार्थी शिक्षकों के सहयोग से ऑनलाइन पंजीयन rskmp पोर्टल पर 30 जुलाई तक कर सकेंगे। दूसरी कक्षा के बच्चे ओएमआर शीट पर प्रश्न हल करेंगे इस वर्ष ओलंपियाड में कक्षा दूसरी से लेकर 8वीं तक प्रारंभिक कक्षाओं के विद्यार्थी ओएमआर शीट पर प्रश्न हल करेंगे। इस व्यवस्था से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये प्रारंभिक काल से अनुभव प्राप्त होगा। कक्षा 2 और 3 के लिये इंग्लिश, हिन्दी और गणित, कक्षा 4 और 5 के लिए इंग्लिश, हिन्दी, गणित एवं पर्यावरण विषय पर और कक्षा 6, 7 और 8 के लिए हिन्दी, संस्कृत, इंग्लिश, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान विषय में ओलंपियाड प्रतियोगिता होगी। ओलंपियाड के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य शिक्षा केन्द्र ने विस्तृत दिशा-निर्देश जिला शिक्षा केन्द्र और शालाओं को प्रेषित किए है। कक्षा 2 और 3 में प्रत्येक जन शिक्षा केन्द्र से कुल 28 विद्यार्थी जिला स्तर की प्रतियोगिता के लिये चयनित होंगे। कक्षा 6 से 8 में जन शिक्षा केन्द्र स्तर पर सर्वाधिक अंको के आधार पर 36 विद्यार्थियों का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिये होगा। राज्य शिक्षा केन्द्र के संचालक हरजिंदर सिंह ने ओलंपियाड प्रतियोगिता के आयोजन के लिये जिला कलेक्टर्स और राज्य शिक्षा केन्द्र अधिकारियों को भी निर्देश जारी किये है।