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आपदा प्रबंधन दल जल भराव क्षेत्रो की लगातार करते रहे मानीटरिंग :-कलेक्टर

 सिंगरौली   जिले मे लगातार हो रही बर्षा को दृष्टिगत रखते हुयें कलेक्टर श्री चन्द्र शेखर शुक्ला ने आपदा प्रबंधन दलो को निर्देश दिए है कि लगातार जल भराव वाले क्षेत्रो की मानीटरिंग करते रहे है। ताकि जिले में जल भराव बाढ़ के कारण कोई अप्रिय घटना घटिन न होने पायें। उन्होने राजस्व अधिकारियो को निर्देश दिए कि राजस्व एवं पुलिस दल संयुक्त रूप से समन्वय बनाकर लगातार चिन्हित जल भराव क्षेत्रो की सूचना से हर समय अपडेट रहे। अपने सूचना तंत्र को मजबूत रखे। कलेक्टर ने चितरंगी क्षेत्र के उपखण्ड अधिकारी से सोन नदी के बाढ़ प्रभावित वाले क्षेत्र के वास्तु स्थिति की जानकारी लेने के पश्चात निर्देश दिए कि सोन नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाले गावो में हर पल निगरानी बनाये रखे। जहा पर बाढ़ आने की संभावना है ऐसे स्थलो पर निवास करने वाले नागरिको को पहले से ही चिन्हित सुरंक्षित स्थानो पर ले जाने की व्यवस्था बनाकर रखे।   कलेक्टर ने नगरीय क्षेत्र में भी नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिए कि नगरीय क्षेत्र के जल भराव वाले प्रभावित स्थलो की लगातार मानीटरिंग कराते रहे। नाले नालियो को उचित साफ सफाई कराये ताकि कही पर भी जल भराव कि स्थिति निर्मित न होने पायें। कलेक्टर ने 24 घण्टे कंट्रोल रूम संचालित करने के निर्देश दिए।

मरीज के श्रेष्ठतम उपचार के लिए नवीनतम तकनीक अपनाना आवश्यक

मरीज के श्रेष्ठतम उपचार के लिए नवीनतम तकनीक अपनाना आवश्यक –   श्री अरबिंदो यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय “इंडियन ऑर्थोडॉन्टिक सोसायटी” के “ऑर्थो कुंभ-2025” में देश के 250 से अधिक दंत विशेषज्ञों ने की शिरकत  .     आष्टा (इंदौर)  हम एक ऐसे दौर के साक्षी बन रहे हैं, जिसमें चिकित्सा से जुड़े अमूमन हर क्षेत्र की तकनीक हर दिन के साथ बेहतर हो रही है। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े निजी चिकित्सा संस्थान के रूप में श्री अरबिंदो अस्पताल अपने मरीजों को, इन नित नई बेहतर हो रही तकनीकों का फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। “ऑर्थो-कुंभ-2025” के माध्यम से हम दंत चिकित्सा जगत में हो रहे नवाचारों से रूबरू हो रहे हैं। एक्सपर्ट्स के साथ-साथ इस आयोजन में हिस्सा ले रहे स्टूडेंट्स भी कुछ बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कर रहे हैं। यहाँ प्रजेंट की गई “टेबल क्लीनिक्स” में भी कई स्टूडेंट्स ने अपने कमाल के इनोवेशन शेयर किए हैं।   ये बात सैम्स के फाउंडर चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी ने शनिवार को तीन दिनी “सेंट्रल इंडिया जोनल पी.जी. कन्वेंशन – ऑर्थो कुंभ-2025” का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ऐसे सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत कार्यक्रमों से जुड़े रहकर ही हम श्री अरबिंदो अस्पताल में मरीजों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करनें में सफल हो रहे हैं। “इंडियन ऑर्थोडॉन्टिक सोसायटी” और “श्री अरबिंदो विश्वविद्यालय” के द्वारा “श्री अरबिंदो कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री” में आयोजित किए गए दंत चिकित्सा समारोह में देश भर के 250 से अधिक डेंटिस्ट और एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर श्री अरबिंदो यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ. ज्योति बिंदल, डॉ. पुनीत बत्रा (अध्यक्ष, आईओएस), डॉ. संजय लाभ (सचिव, आईओएस) और डॉ. श्रीदेवी पद्मनाभन (निर्वाचित अध्यक्ष आईओएस) समे

दुर्गावती टाइगर रिजर्व पर शिकारियों और तस्करों की हमेशा निगाह बनी रहती, उनपर नजर रखने 650 कैमरे, 35 वॉच टॉवर, 40 पेट्रोलिंग कैंप

दमोह  बारिश के मौसम को देखते हुए अन्य टाइगर रिजर्व की तरह वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व को आगामी तीन महीने के लिए पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। इस दौरान रिजर्व क्षेत्र में शिकारियों की गतिविधियों और अन्य संदिग्ध हरकतों पर नजर रखने के लिए प्रबंधन ने सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया है। वन्यजीवों की बढ़ी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए टाइगर रिजर्व के भीतर 650 से अधिक ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी मदद से हर मूवमेंट की निगरानी की जा रही है। इसके अलावा क्षेत्र में 35 वॉच टॉवर, 40 पेट्रोलिंग कैंप और 300 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है।  गश्त के लिए टीमें दिन और रात ड्यूटी पर हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा और चौकसी को विशेष रूप से बढ़ाया गया है। टाइगर रिजर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा नौरादेही क्षेत्र है, जहां सबसे अधिक सुरक्षा संसाधन लगाए गए हैं। यहां 35 वॉच टॉवर, 650 ट्रैप कैमरे, करीब 40 पेट्रोलिंग कैंप और एक हाथी कैंप के साथ 300 से अधिक सुरक्षाकर्मी लगातार निगरानी में जुटे हैं। दरअसल एक जुलाई से सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद हो जाते हैं और एक अक्तूबर को ही खुलते हैं। यह समय बाघिनों के प्रजनन के लिए माना जाता है और कीचड़ होने के कारण जंगल में घूमना मुश्किल होता है। इसलिए टाइगर रिजर्व को बंद रखा गया है। इसी अवधि में शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए ऐसे समय प्रबंधन को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी होती है। दमोह में अब भी अधूरी व्यवस्थाएं टाइगर रिजर्व के तहत आने वाले दमोह वनमंडल में फिलहाल 30-35 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और कुछ ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं, लेकिन इस क्षेत्र में वायरलेस स्टेशन जैसी सुविधाएं अब तक तैयार नहीं हो सकी हैं। अधिकारी मानते हैं कि यहां सुरक्षा इंतजामों को और मजबूत किए जाने की जरूरत है। प्राकृतिक संपदा पर बुरी नजर 2339 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस रिजर्व में 24 बाघों समेत 250 से अधिक जीव-जंतुओं की प्रजातियां, 90 से अधिक प्रकार के पेड़, 49 तरह की झाड़ियां, 30 प्रकार की घास और 15 तरह की बेल-लताएं पाई जाती हैं। यही वजह है कि इस जैव विविधता पर शिकारियों और घुसपैठियों की नजर बनी रहती है। अधिकारियों की अपील रिजर्व प्रबंधन ने आमजन से अपील की है कि वे इस बंद अवधि में टाइगर रिजर्व की ओर न जाएं और गाइडलाइन का पालन करें, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन बना रहे। टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी का कहना है मानसून को ध्यान में रखते हुए ट्रैप कैमरे, गश्त व निगरानी के जरिए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है। हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। 

वनतारा प्रबंधन उज्जैन के प्रस्तावित चिड़ियाघर को वन्यजीव देने पर पूरी तरह सहमत, अधिकारियों का दल 11 जुलाई को करेगा भ्रमण

उज्जैन   मध्य प्रदेश में पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य के बाद अब चिड़ियाघर में भी चीते देखे जा सकेंगे। राज्य सरकार उज्जैन में प्रस्तावित चिड़ियाघर में चीता बसाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस के वनतारा सेंटर से मध्य प्रदेश सरकार चीता सहित अन्य वन्यप्राणी ला सकती है। प्रदेश के अधिकारियों का दल वनतारा जाएगा और वहां की व्यवस्थाओं का अध्ययन करेगा। दरअसल, पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव वनतारा गए थे। उन्होंने वहां व्यवस्थाओं को देखा था। वहां का अनुभव मध्य प्रदेश के अधिकारियों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि वनतारा प्रबंधन मध्य प्रदेश को वन्यजीव देने पर सहमत है। वनतारा में 48 चीते हैं मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि मप्र वन विभाग के अधिकारी वनतारा रेस्क्यू सेंटर का भ्रमण कर हाथी प्रबंधन, विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण माडल, मानव-वन्यजीव द्वंद्व कम करने के प्रबंधन का अध्ययन करें। बता दें कि वनतारा में 48 चीता हैं। इन्हें दुबई व दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। 11 से 13 जुलाई तक वनतारा का अध्ययन करेंगे वन अधिकारी मप्र के वन अधिकारी 11 जुलाई से 13 जुलाई तक वनतारा रेस्क्यू सेंटर का अध्ययन करेंगे। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल, वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुभरंजन सेन एवं अन्य अधिकारियों का दल 10 जुलाई को रवाना हो जाएगा। 80 हेक्टेयर में होगा विकसित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में 300 करोड़ रुपये की लागत से 80 हेक्टेयर में चिड़ियाघर-सह-सफारी बनाया जाएगा। इस परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि मंजूर की गई है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार बाघ, सफेद बाघ और तेंदुआ, चीता सहित बड़े मांसाहारी जानवरों के लिए 47 अलग-अलग बाड़ों के साथ-साथ छोटे मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षी, प्राइमेट, सरीसृप, एक तितली गुंबद, एक मछलीघर, एक बचाव केंद्र और एक पशु चिकित्सा अस्पताल की योजना है। इसका प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। चीता समेत कुछ अन्य जीव भी लाए जा सकते हैं     अधिकारियों का दल 11 जुलाई को जामनगर के वनतारा रेस्क्यू सेंटर का अध्ययन करने जाएगा। वहां जाकर देखेंगे कि किस तरह वन्यजीवों को रखा जाता है। उनकी देखरेख, खानपान से लेकर हर बिंदु का अध्ययन करेंगे। वहां से चीता समेत कुछ अन्य वन्यजीव मप्र लाए जा सकते हैं। हम इसकी संभवनाएं देखेंगे। – सुभरंजन सेन, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मप्र।  

इंदौर के पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण पर NHAI ने साफ किया, 90 % किसानों को मुआवजा मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा

 इंदौर  इंदौर में शिप्रा से पीथमपुर नेट्रेक्स तक बनने वाली 64 किलोमीटर लंबी पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण कार्य में अब और देरी तय है। किसानों को बढ़ी हुई मुआवजा राशि तो मंजूर हो गई है, लेकिन उनके बैंक खाता नंबर और एफआईसी कोड अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने साफ किया है कि 90 प्रतिशत किसानों को मुआवजा मिलने के बाद ही सड़क निर्माण शुरू किया जाएगा। अब तक जिले में 30 प्रतिशत किसानों के खाता नंबर ही एकत्रित हो सके है। ऐसे में बरसात बाद ही निर्माण एजेंसी की मशीने काम शुरू कर सकेगी। करीब एक साल पहले दो अलग-अलग एजेंसियों को इस सड़क का निर्माण कार्य सौंपा गया था। लेकिन किसानों के विरोध और जमीन अधिग्रहण की मुआवजा राशि में खामियों के चलते काम शुरू नहीं हो पाया। पहले इस परियोजना के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का मुआवजा तय हुआ था, लेकिन किसानों के विरोध और शासन के निर्देश के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने नई गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा बढ़वाया। अब यह राशि बढ़कर करीब एक हजार करोड़ रुपये हो गई है। जमीनों का सर्वे कर 26 मई को अवार्ड पारित कर दिए गए और 25 जून को एनएचएआइ ने फंड भी जारी कर दिया।अब तक किसानों जिले के 998 किसानों के खाता नंबर नहीं मिल सके है। इंदौर जिले की तीन तहसीलों की स्थिति 795 करोड़ इंदौर जिले में मिलेगा मुआवजा 570.5678 हेक्टेयर जमीन होगी अधिग्रहित 472.0545 हेक्टर नीजी जमीन 98.5133 हेक्टेयर शासकीय जमीन 998 किसानों की जमीन होगी अधिग्रहित 90 प्रतिशत जमीन मिलने पर शुरू होगा कार्य एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल का कहना है कि 90 प्रतिशत जमीनों का स्वामित्व मिलने के बाद ही पश्चिम रिंग रोड का निर्माण कार्य शुरू होगा। इसके लिए किसानों के खाता नंबर और एफआइसी कोड मांगे जा रहे है, ताकि उनके खाते में सिंगल क्लीक पर राशि जारी की जा सके।एसडीएम द्वारा किसानों के खाता नंबर पोर्टल पर डालने के बाद विभाग इनकी जांच कर राशि जारी कर देता है। इंदौर जिले में 795 करोड़ मुआवजा एनएचएआइ के प्रोजेक्टर डायरेक्टर बांझल के अनुसार इंदौर जिले की तीन तहसीलों के 26 गांवों में 998 किसानों को 795 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा, जबकि धार जिले की पीथमपुर तहसील में करीब 200 करोड़ रुपये का मुआवजा पारित हुआ है। इंदौर जिले में सांवेर तहसील को सबसे ज्यादा 473 करोड़ रुपये मिलेंगे। सांवेर के 9 गांवों के 512 किसानों को यह रकम दी जाएगी। देपालपुर के 5 गांवों के 153 किसानों को 140 करोड़ और हातोद तहसील के 12 गांवों के 333 किसानों को 182 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। 570 हेक्टेयर से अधिक जमीन पश्चिम रिंग रोड के लिए इंदौर जिले में 570.5678 हेक्टेयर निजी जमीन और करीब 98.5 हेक्टेयर शासकीय जमीन अधिग्रहित होगी। पहले मुआवजा पुराने गाइडलाइन पर दिया जा रहा था, लेकिन अब औसत खरीदी-बिक्री दर के हिसाब से राशि तय की गई है।इससे किसानों में नाराजगी भी दूर हुई है और अब जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया है। खाता नंबर लेने का काम किया जा रहा है     किसानों से उनके खाता नंबर लेने का कार्य किया जा रहा है। अब तक 30 प्रतिशत किसानों के खाता नंबर प्राप्त हो चुके हैं। जल्द ही सभी किसानों के खाता नंबर लेकर पोर्टल पर दर्ज किए जाएंगे। जिले में 333 किसानों के खाता नंबर लिए जाना है। पटवारी इसके लिए किसानों से संवाद कर रहे है। – रबी वर्मा, एसडीएम हातोद  

स्व-सहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर विकसित की जाएगी फलोद्यान बगिया

प्रदेश में पहली बार पौधरोपण के लिए अत्याधुनिक तकनीक का किया जाएगा उपयोग  ऐप के माध्यम से महिला हितग्राहियों का होगा चयन 15 अगस्त से एक बगिया माँ के नाम अंतर्गत शुरू होगा पौधरोपण स्व-सहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर विकसित की जाएगी फलोद्यान बगिया भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश की स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत “एक बगिया मां के नाम” परियोजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत स्व-सहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर फलोद्यान की बगिया विकसित की जाएगी। प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा जब अत्याधुनिक तरीके पौधरोपण का कार्य किया जाएगा। ऐप के माध्यम से हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर मनरेगा परिषद ने तैयारी शुरू कर दी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इस संबंध में निर्देश भी जारी किए गए हैं। “एक बगिया मां के नाम” से होगा ऐप “ एक बगिया मां के नाम” परियोजना का लाभ लेने वाली आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह की महिला का चयन “एक बगिया मां के नाम” ऐप से किया जाएगा। मनरेगा परिषद द्वारा मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से ऐप का निर्माण किया गया है। अन्य किसी माध्यम से हितग्राही का चयन नहीं किया जाएगा। चयनित महिला हितग्राही के नाम पर भूमि नहीं होने की दशा में उस महिला के पति, पिता, ससुर और पुत्र की भूमि पर सहमति के आधार पर पौधरोपण किया जाएगा। 30 हजार से अधिक महिलाओं को मिलेगा लाभ “एक बगिया माँ के नाम’’ परियोजना अंतर्गत प्रदेश की 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह की महिलाओं को लाभ मिलेगा। इनकी निजी जमीन पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाएं जाएंगे, जो समूह की महिलाओं की आर्थिक तरक्‍की का आधार बनेंगे। परियोजना के अंतर्गत हितग्राहियों को पौधे, खाद और गड्‌ढे खोदने के साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए कटीले तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जल कुंड बनाने के लिए राशि प्रदान की जाएगी।  प्रत्येक ब्लॉक में 100 हितग्राहियों का किया जाएगा चयन “ एक बगिया मां के नाम” परियोजना अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक में न्यूनमत 100 हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। चयनित पात्र महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण महिलाओं को वर्ष में दो बार दिया जाएगा। सॉफ्टवेयर बताएगा किस प्रजाति के पौधे के लिए है जमीन उपयोगी “एक बगिया माँ के नाम’’ परियोजना अंतर्गत पौधरोपण के लिए जमीन का चयन वैज्ञानिक पद्धति (सिपरी सॉफ्टवेयर) के माध्यम से किया जाएगा। जमीन चिन्हित होने के बाद सॉफ्टवेयर से भूमि का परीक्षण किया जाएगा। जलवायु के साथ ही किस जमीन पर कौन सा फलदार पौधा उपयुक्त है। पौधा कब और किस समय लगाया जाएगा। सिपरी सॉफ्टवेयर के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि पौधों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी का स्त्रोत कहां उपलब्ध है। जमीन के उपयोगी नहीं पाए जाने पर पौधरोपण का कार्य नहीं होगा। न्यूनतम आधा एकड़ अधिकतम 1 एकड़ जमीन होना अनिवार्य “ एक बगिया मां के नाम” परियोजना का लाभ लेने के लिए चयनित हुई समूह की महिला के पास बगिया लगाने के लिए भूमि भी निर्धारित की गई है। चयनित महिला के पास न्यूनतम आधा एकड़ या अधिकतम एक एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। प्रति 25 एकड़ पर एक कृषि सखी होगी नियुक्त फलोद्यान की बगिया लगाने के लिए चयनित हितग्राहियों की सहायता के लिए कृषि सखी नियुक्त की जाएगी। ये कृषि सखी हितग्राहियों को खाद, पानी, कीटों की रोकथाम, जैविक खाद, जैविक कीटनाशक तैयार कराने और अंतर्वर्तीय फसलों की खेती के बारे में जानकारी देगी। प्रत्येक 25 एकड़ के फलदार पौधरोपण पर एक कृषि सखी नियुक्त होगी। ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से होगी निगरानी, पर्यवेक्षण के लिए बनाया जाएगा डेश बोर्ड पौधरोपण का कार्य सही तरीके से हो रहा है या नहीं। पौधे कहा पर लगे है या नहीं। इसकी ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से निगरानी भी की जाएगी। मनरेगा परिषद द्वारा पॉयलेट प्रोजेक्ट के तहत धार जिले की जनपद पंचायत बाग के ग्राम पंचायत बाग, बाणदा, घोटियादेव, पिपरियापानी, झाबा, चिकापोटी में इसका परीक्षण भी हो गया है। पर्यवेक्षण के लिए अलग से एक डेश बोर्ड भी बनाया जाएगा। साथ ही प्रदर्शन के आधार पर प्रथम 3 जिले, 10 जनपद पंचायत एवं 25 ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। 15 जुलाई तक किया जाएगा हितग्राहियों का चयन “एक बगिया मां के नाम” परियोजना के लिए पात्र महिला हितग्राहियों के चयन की प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी। हितग्राही की भूमि का स्थल निरीक्षण उसका भौतिक सत्यापन, तकनीकी व प्रशासकीय स्वीकृति का कार्य 25 जुलाई तक किया जाएगा। पौधरोपण के लिए गड्‌ढे की खुदाई, तार फेंसिंग सहित पौधरोपण से संबंधित अन्य तैयारियां 14 अगस्त तक की जाएंगी। अभियान के रूप में पौधरोपण का कार्य 15 अगस्त से 15 सितंबर तक होगा।  

उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2025-26 में, महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश के लिए तिथि में की वृद्धि

भोपाल उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2025-26 में, महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश के लिए तिथि में वृद्धि की है। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा स्नातकोत्तर स्तर (PG) सत्र 2025-26 में ऑनलाइन प्रवेश अंतर्गत सीएलसी चरण के लिए अद्यतन समय सारणी जारी की गई है। जारी समय सारणी के अनुसार, सत्र 2025-26 में स्नातकोत्तर कक्षाओं में मेजर माइनर विषयों में एवं मेजर एवं माइनर विषय के अतिरिक्त अन्य विषय में प्रवेश लेने के इच्छुक विद्यार्थी, 7 से 10 जुलाई तक ऑनलाइन पंजीयन/आवेदन कर सकेंगे। पंजीकृत आवेदनों के दस्तावेजों का सत्यापन 7 से 11 जुलाई तक होगा। मेजर माइनर के अलावा अन्य विषयों में आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को साक्षात्कार के दिनांक, स्थान एवं समय की सूचना 14 जुलाई को दी जाएगी। मेजर माइनर के अलावा अन्य विषयों में आवेदन करने वाले विद्यार्थियों के साक्षात्कार एवं पोर्टल पर अंकों की प्रविष्टि 16 से 17 जुलाई तक होगी। विद्यार्थियों को महाविद्यालयों में सीट का आवंटन 21 जुलाई को होगा। आवंटित महाविद्यालय में प्रवेश शुल्क का भुगतान 21 से 25 जुलाई तक किया जा सकेगा। आवंटित महाविद्यालय में शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि तक प्रवेश शुल्क का भुगतान किए गए आवेदकों का ही प्रवेश मान्य होगा और प्रवेश शुल्क का भुगतान न होने की दशा में प्रवेश नहीं माना जाएगा।  

लाड़ली बहनों के खाते में रक्षाबंधन से पहले दो बार आएंगे पैसे, जानिए बड़ा अपडेट

भोपाल  मध्य प्रदेश सरकार की सबसे लोकप्रिय लाडली बहना योजना (Ladli Behna Yojana 26 Installment) की 26वीं किस्त का एमपी की करोड़ों महिलाएं बेसब्री से इंतजार कर रही हैं. बता दें कि इस बार महिलाओं को डबल खुशखबरी मिलने वाली है. जुलाई में न सिर्फ महिलाओं को शगुन के तौर पर अतिरिक्त पैसे मिलेंगे, बल्कि इस बार लाडली बहना योजना की सहायता राशि बढ़ाकर बहनों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी. दो बार जारी की जाएगी लाड़ली बहना की राशि एमपी की बहनों को जुलाई में दो किस्तें  (Ladli Behna Yojana july 26th Installment)जारी की जाएंगी. वो कैसे? दरअसल, अगस्त में रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए मोहन सरकार जुलाई महीने में ही शगुन के तौर पर 250 रुपये की राशि जारी करने जा रही है. यानी महिलाओं को न सिर्फ 1250 रुपये मिलेंगे बल्कि 250 रुपये की अतिरिक्त राशि भी जारी की जाएगी. ऐसे में इस बार महिलाओं के खातों में कुल 1500 रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे. बता दें कि करीब 1.27 करोड़ महिलाओं को 250 रुपये की राशि अलग से दी जाएगी. कब जारी की जाएगी लाड़ली बहना की 26वीं किस्त मिली जानकारी के मुताबिक, जुलाई के लिए लाडली बहना की 26वीं किस्त 10-15 जुलाई के बीच कभी भी जारी हो सकती है. हालांकि, एमपी सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि रक्षाबंधन की किस्त जुलाई में ही क्यों जारी की जा रही है? दरअसल, रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को पड़ रहा है, इसलिए योजना की किस्त आमतौर पर 10-15 तारीख के बीच ट्रांसफर की जाती है. इस दौरान महिलाओं को रक्षाबंधन से पहले या त्योहार के दिन अतिरिक्त राशि का लाभ नहीं मिल पाता है, जिसके कारण लाडली बहना की अतिरिक्त राशि जुलाई में ही जारी की जाएगी. कब से मिलेंगे 1500 रुपए इस साल लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को बहुत फायदा होने वाला है. सबसे पहले तो जुलाई में उनके खाते में 1500 रुपए की बढ़ी हुई राशि ट्रांसफर की जाएगी. दूसरा, दिवाली से हर महीने ये तय राशि महिलाओं के खाते में ट्रांसफर की जाएगी. यानि दिवाली से हर महीने महिलाओं के खाते में 1500 रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे, जिसे साल 2028 तक बढ़ाकर 3000 रुपए किए जाने का अनुमान है. अब इस साल ही अगस्त और सितंबर के महीने में 1250 रुपए की राशि बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी. लाडली बहना योजना का नया रजिस्ट्रेशन कब से शुरू होगा? योजना से जुड़ा एक सवाल जो प्रदेश की हर बहन जानना चाहती है वो ये कि लाडली बहना योजना का नया रजिस्ट्रेशन कब शुरू होगा? आपको बता दें कि एमपी सरकार की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है. लाडली बहना योजना रजिस्ट्रेशन पोर्टल 2023 यानी करीब डेढ़ से दो साल से बंद है. ऐसे में वो महिलाएं जो इन सालों में योजना की पात्र हो गई हैं या फिर रजिस्ट्रेशन से चूक गई हैं, उन्हें लाडली बहना योजना का नया रजिस्ट्रेशन पोर्टल खुलने का बेसब्री से इंतजार है.  खाते में पैसा आने में हो सकती है देरी मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना की 26वीं किस्त के पैसों के लिए 1.27 करोड़ महिलाओं को थोड़ा ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है। आमतौर पर सरकार की ओर से 10 से 15 तारीख के बीच 1250 रुपये की राशि महिलाओं के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। मगर संभावना जताई जा रही है कि इस महीने जुलाई की किस्त में थोड़ी देरी हो सकती है। मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के अंतर्गत पात्र महिलाओं के खाते में हर महीने 1250 रुपये की राशि दी जाती है। अभी करीब 1.27 करोड़ महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव यह भी ऐलान कर चुके हैं कि दिवाली से महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे और 2028 तक इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 रुपये महीना कर दिया जाएगा। ऐसी जानकारी मिल रही है कि जुलाई महीने की किस्त की तारीख में इस बार थोड़ा फेरबदल हो सकता है। क्या है वजह दरअसल अगले महीने रक्षा बंधन है और मुख्यमंत्री मोहन यादव ऐलान कर चुके हैं कि इस मौके पर लाडली बहनों को 250 रुपये की अतिरिक्त राशि दी जाएगी। रक्षा बंधन 9 अगस्त को है, ऐसे में इस अतिरिक्त राशि को जुलाई में ही खाते में भेजने की तैयारी चल रही है। जानकारी मिल रही है कि रक्षा बंधन का 'शगुन' देने की वजह से इस बार थोड़ी देरी हो सकती है। यह भी माना जा रहा है कि जुलाई में एक साथ खाते में 1500 रुपये नहीं आएंगे बल्कि 1250 रुपये और 250 रुपये की दो किस्तों में पैसा ट्रांसफर किया जाएगा। रक्षा बंधन की वजह से जुलाइ महीने की किस्त की तारीख थोड़ा आगे बढ़ सकती है। हालांकि अभी तक इस बारे में कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। अप्रैल से बदल गई थी तारीख लाडली बहना योजना का पैसा पहले 7 से 10 तारीख के बीच आता था, लेकिन फंड की कमी से निपटने और केंद्र से मिलने वाली मदद के इस्तेमाल के लिए अप्रैल से इस तारीख को आगे बढ़ाकर 10 से 15 तारीख कर दिया गया। केंद्र सरकार हर महीने की 10 तारीख को टैक्स डेवोल्यूशन का पैसा आता है। ऐसे में सरकार इस फंड का इस्तेमाल कर लाडली बहना योजना की लाभार्थियों के खाते में पैसा भेज रही है। अप्रैल में सीएम मोहन यादव ने 16 तारीख को महिलाओं के खाते में पैसा ट्रांसफर किया था। जबकि अगले महीने 15 मई को लाभार्थी महिलाओं को पैसा मिल गया था। जून में 13 तारीख को पैसा मिलना था, लेकिन विमान हादसे की वजह से इसे टालकर 16 जून कर दिया गया था। जुलाई में मिलेंगे 1500 रुपये जुलाई महीने में महिलाओं को 1250 नहीं बल्कि 1500 रुपये मिलेंगे। 250 रुपये रक्षा बंधन का शगुन इसमें शामिल है। हालांकि अगले दो महीने खाते में 1250 रुपये ही आएंगे। अक्टूबर से हर महीने 1500 रुपये देने का ऐलान सरकार की ओर से किया जा चुका है।

हीरा उगलने वाली छतरपुर की धरती में अब एक और खनिज का विशाल भंडार मिला, मध्य प्रदेश की किस्मत चमक जाएगी

छतरपुर   प्राकृतिक संसाधनों से मध्य प्रदेश की झोली जल्द ही भरने जा रही है. केन्द्र सरकार की मदद से मध्यप्रदेश को कोलबेड मीथेन की खोज में बड़ी सफलता हाथ लगी है. छतरपुर व दमोह जिले के इलाके में प्राकृतिक गैस के लिए कोलबेड मीथेन का बड़ा भंडार मिला है. छतरपुर और दमोह जिले के इस 462 वर्ग किलोमीटर एरिया में जल्द ही खनन की तैयारी की जा रही है. ONGC को खनन की जिम्मेदारी मिली खनन का काम देश की नवरत्न कंपनियों में शामिल ओएनजीसी यानी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाएगा. इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. अधिकारियों के मुताबिक खनन के लिए ओएनजीसी को प्रोविनजल लीज आवंटित कर दी गई है. कोल बेड मीथेन का मध्य प्रदेश बड़ा उत्पादक मध्यप्रदेश में प्राकृतिक गैस के भंडार के कई बड़े संभावित क्षेत्रों को लेकर लंबे समय से खोज चल रही है. कोलबेड मीथेन का मध्य प्रदेश बड़ा उत्पादक रहा है. देश का 40 फीसदी कोलबेड मीथेन का उत्पादक मध्यप्रदेश है. मध्य प्रदेश में अभी यह 40 फीसदी की पूति सिर्फ सोहागपुर के दो ब्लॉक ईस्ट और वेस्ट से ही हो रही है. इन स्थानों पर रिलायंस कंपनी के 300 कुएं हैं, जिससे गैस निकाली जा रही है. छतरपुर और दमोह करेगा मध्य प्रदेश की जरूरत पूरी रिलायंस की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस गैस पाइपलाइन लिमिटेड यहां से उत्तर प्रदेश के फूलपुर तक 302 किलोमीटर की एक पाइपलाइन भी ऑपरेट करती है. अभी इन कुओं से 234.37 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर सीबीएम का उत्पादन हो रहा है. मध्यप्रदेश के छतरपुर और दमोह में कोल बेडमीथेन के उत्पादन के बाद मध्यप्रदेश बड़े स्तर पर इसकी जरूरत को पूरा करेगा. विन्ध्य, सतपुडा के अलावा नर्मदा वैली में संभावनाएं मध्यप्रदेश के विन्ध्य, सतपुडा के अलावा नर्मदा वैली में पेट्रोलियन और प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार की संभावनाएं जताई जा रही हैं. 2017 में हाइड्रोकार्बन रिसोर्स असिस्मेंट की एक स्टडी भी हुई थी, जिसमें संभावना जताई गई थी कि इन क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस के भंडार मौजूद है. अनुमान है कि इन क्षेत्रों में 5 लाख 55 हजार 254 मिलियन टन हाइड्रोकार्बन का भंडार मौजूद है. हालांकि अब खोज के बाद छतरपुर-दमोह में खनन की तैयारियां शुरू की जा रही हैं. खनिज संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के मुताबिक "इसको लेकर केन्द्र से अनुमतियां मिल गई हैं और इसके तहत प्रोविजनल लीज दी गई है. कुछ और प्रोसेस बची है, इसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा." शहडोल व उमरिया जिले में भी ओनजीसी को लाइसेंस मध्यप्रदेश के छतरपुर-दमोह के अलावा शहडोल, उमरिया जिले में में पेट्रोलियम एक्सप्लोर करने के लिए ओएनजीसी को पहले ही लाइसेंस दिया गया है. इसके अलावा बैतूल, छिंदवाड़ा, नर्मदापुर में भी एनवेनियर पेट्रोडाउन लिमिटेड को पेट्रोलियन एक्सप्लोरेशन लाइसेंस दिया गया है. इन दोनों ही स्थानों पर काम भी शुरू हो गया है. इन दोनों स्थानों पर अगले 20 सालों में एक्सप्लोरेशन पर करीबन साढे 8 हजार करोड़ रुपए खर्च होगा. क्या है कोलबेड मीथेन गैस, किस काम आती है गौरतलब है कि कोलबेड मीथेन अपरंपरागत गैस का बड़ा स्रोत है. कोलबेड मीथेन कोयले की चट्टानों में पाई जाती है. इसे चट्टानों में ड्रिल करके निकाला जाता है. इसके लिए चट्टानों के नीचे ग्रिल करके भूमिगत जल को हटाकर इकट्ठा किया जाता है. कोयला भंडार के मामले में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है.  हीरा उगलने वाली छतरपुर की धरती में अब एक और खनिज का विशाल भंडार मिला छतरपुर जिले के बक्सवाहा के जंगलों में एशिया का सबसे अच्छा हीरा पाया गया. इसके बाद यहां हीरा निकालने के लिए सरकार ने पूरी तैयारियां कर ली हैं. इसी जंगल में अब फॉस्फेट की चट्टानें मिली हैं. इन चट्टानों में बहुतायात में फॉस्फोराइट खनिज है. फिलहाल 57 लाख मीट्रिक टन रॉक फॉस्फेट के भंडार का पता चला है. हीरा के बाद इस खनिज के मिलने के बाद छतरपुर जिला मध्य प्रदेश में नंबर 1 पर पहुंच जाएगा. खाद बनाने के लिए फॉस्फोराइट का इस्तेमाल बता दें कि उर्वरक बनाने के लिए फॉस्फोराइट महत्वपूर्ण कच्चा माल माना जाता. खासकर, डीएपी खाद बनाने के लिए इसका उपयोग होता है. इस खोज से न केवल छतरपुर जिले का विकास होगा, बल्कि आने वाले दिनों में किसानों को खाद की उपलब्धता और उसकी कीमत में भी राहत मिलने की संभावना है. रॉक फॉस्फेट के भंडार की खोज के बाद सरकार ने खनन की अनुमति दे दी है. जल्द ही इस पर काम शुरू होने की उम्मीद है. इससे पहले बक्सवाहा में हीरा भी प्रचुर मात्रा में मिला गौरतलब है कि छतरपुर जिले में खनिज सम्पदा का भंडार है. बक्सवाहा इलाके में हीरा खदानें शुरू होने जा रही हैं. अब रॉक फॉस्फेट का अकूत भंडार मिलने से छतरपुर ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में रोजगार के नए अवसर बनेंगे. मध्य प्रदेश सरकार का खजाना छतरपुर की खनिज संपदा भर देगी. छतरपुर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर बड़ामलहरा अनुविभाग के बकस्वाहा तहसील इलाके के सूरजपुरा में फॉस्फोराइट पत्थर की खोज हुई है.  बक्सवाहा के सूरजपुरा में सरकार ने दी खनन की मंजूरी भू-वैज्ञानिकों ने सर्वेक्षण में जिले के सूरजपुरा व इससे लगे पल्दा, सगौरिया, गरदौनियां में 1070 हेक्टेयर में फॉस्फोराइट का विशाल भंडार पाया है. अब इस भंडार पर हाल ही में केंद्र सरकार ने खनन की मंजूरी दे दी है. इससे यहां उद्योग स्थापित होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय ने इस क्षेत्र में खनन कार्य के लिए लीज स्वीकृत कर दी है. यह लीज सनफ्लैग आयरन एंड स्टील कंपनी को दी गई है. इस कंपनी को आगामी 3 साल तक खनन करने की अनुमति दी गई है.  क्या होता है फॉस्फोराइट महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग में पदस्थ एचओडी डॉ. पीके जैन ने बताया "फॉस्फोराइट एक मिनरल होता है, जिसका स्रोत रॉक फॉस्फेट चट्टान होती है. इसी रॉक फॉस्फेट चट्टान में फॉस्फोराइट मिनरल डिपॉजिट होते हैं. छतरपुर जिले के बक्सवाहा के आसपास के गांव में इस खनिज तत्व के खोज की पुष्टि हुई है. बकस्वाहा तहसील के सूरजपुरा और आसपास के गांवों में फॉस्फोराइट खनिज तत्व डिपोजिट हैं. यह एक सेडिमेंट्री रॉक (अवसादी चट्टान) हैं और फॉस्फोराइट इसका प्रमुख स्रोत माना जाता है.  फास्फोराइट का कैसे होता है उपयोग छतरपुर … Read more

मध्यप्रदेश का मसालों के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान,भारत कृषि अनुसंधान परिषद का प्रदेश में अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया जाये

मंत्री कुशवाहा नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की बैठक में हुए शामिल मंत्री कुशवाहा ने कहा कि प्रदेश को उद्यानिकी राज्य में विकसित करने के लिये सरकार दृढ़ संकल्पित मध्यप्रदेश का मसालों के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान,भारत कृषि अनुसंधान परिषद का प्रदेश में अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया जाये भोपाल उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा सोमवार को नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 96वीं आमसभा बैठक में सम्मिलित हुए। भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम एम.ए.एस.सी. कॉम्पलेक्स के सभागार में आमसभा की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की। मंत्री कुशवाहा ने कहा कि प्रदेश को उद्यानिकी राज्य में विकसित करने के लिये सरकार दृढ़ संकल्पित है। मध्यप्रदेश का मसालों के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान है। उन्होंने कहा कि इसको दृष्टिगत रखते हुये भारत कृषि अनुसंधान परिषद का प्रदेश में अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया जाये। इससे प्रदेश के कृषकों को मसाला फसलों की उन्नत प्रजातियां सुलभ एवं उचित दाम पर उपलब्ध हो सकेंगी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मसाला उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा। कृषकों की आय में वृद्धि, उद्यानिकी उत्पाद के मूल्य संवर्धन से प्र-संस्करण उद्योग को बढ़ावा, प्रदेश एवं देश के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय के अध्ययन में सुविधायें प्राप्त होगी तथा प्रदेश के उद्यानिकी उत्पाद को निर्यात प्रोत्साहन मिलेगा। मंत्री कुशवाहा ने कहा कि सब्जियों की संकर किस्मों के बीज बाजार में अधिक कीमतों में उपलब्ध हो पाते है। भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा उत्पादित संकर सब्जी बीजों को प्रदेश के कृषकों को सुलभ एवं उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिये प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर बीज उत्पादन का कार्यक्रम अभियान के रूप में चलाया जाए। इससे कम लागत और कम समय में किसान बेहतर उत्पादन कर सकेंगे। आम सभा की बैठक में अनुसंधान परिषद के कार्यों का लेखा-जोखा तथा भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।