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मुख्यमंत्री डॉ. यादव से श्री खंडेलवाल की भेंट

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से बुधवार की शाम मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री हेमंत खंडेलवाल ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्री खंडेलवाल को नए दायित्व की बधाई देते     

SMILE उपयोजना के तहत भोपाल जिला को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के उद्देश्य से चयनित किया गया

भोपाल  भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की SMILE उपयोजना के तहत भोपाल जिला को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के उद्देश्य से चयनित किया गया है। उल्लेखनीय है कि भिक्षावृत्ति में संलग्न व्यक्तियों के पुनर्वास हेतु विशेष रूप से आश्रय स्थल/भिक्षुक गृह की स्थापना की गई है। इस आश्रय स्थल के संचालन के लिए अनुभवी और सक्षम स्वैच्छिक संस्थाओं/संगठनों से 15 जुलाई 2025 शाम 5 बजे तक प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। कलेक्टर भोपाल द्वारा 3 फरवरी 2025 को भिक्षावृत्ति करने व भिक्षा देने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया है। संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय ने बताया कि जो संस्थायें निम्न शर्तें पूर्ण करती है वह आवेदन कर सकती है इसके लिये:-              संस्था सोसायटी रजिस्ट्रेशन/फर्म/लोक न्यास अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो।              वर्तमान वैध कार्यकारिणी हो।              कार्यकारिणी द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया हो।              संस्था किसी विभाग द्वारा ब्लैकलिस्टेड न हो।              विगत 5 वर्षों से पुनर्वास संबंधित कार्य का अनुभव हो।              वित्तीय स्थिति सुदृढ़ हो (पिछले 3 वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट आवश्यक)।             संस्था के उपविधियों में भिक्षावृत्ति पुनर्वास संबंधी उद्देश्य शामिल होना आवश्यक है। इच्छुक संस्थाएँ अपना प्रस्ताव संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण, शेड नं. 01, कमिश्नर कार्यालय के पीछे, पुराना सचिवालय, भोपाल में डाक, स्वयं उपस्थित होकर, या ईमेल (pswbho@mp.nic.in) के माध्यम से भेज सकती है।  

डिवीजनल कमिश्नर को योजना की नियमित मॉनीटरिंग करने के निर्देश

सड़क दुर्घटना पीड़ितों की नगदी रहित उपचार स्कीम  सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिये नगदी रहित उपचार योजना के क्रियान्वयन के लिये कलेक्टर्स को निर्देश भी जारी किये डिवीजनल कमिश्नर को योजना की नियमित मॉनीटरिंग करने के निर्देश भोपाल देश में सड़क सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं को रोकने के लिये सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी सम्पूर्ण देश में नियमित मॉनीटरिंग कर रही है। समय-समय पर यह कमेटी विभिन्न राज्यों से रिपोर्ट प्राप्त कर सड़क सुरक्षा संबंधी विभिन्न योजनाओं एवं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से जारी गाइड-लाइन्स की समीक्षा कर सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है। परिवहन सचिव मनीष सिंह ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिये नगदी रहित उपचार योजना के क्रियान्वयन के लिये कलेक्टर्स को निर्देश भी जारी किये हैं। निर्देशों में बताया गया है कि यह स्कीम और गाइड-लाइन्स मई-2025 और जून-2025 में जारी हुई हैं। इसी के साथ मंत्रालय द्वारा 21 मई, 2025 को यूजर मैनेजमेंट पोर्टल भी जारी किया गया है। निर्देशों में बताया गया है कि सड़क दुर्घटना प्रकरणों में जहाँ दोषी मोटरयान के पास वैध तृतीय पक्ष बीमा कव्हरेज था, उसका भुगतान केन्द्र सरकार द्वारा साधारण बीमा कम्पनियों के सहयोग से बनाये गये फण्ड से स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) द्वारा अस्पताल के दावे को मंजूरी दिये जाने के 10 दिनों की समयावधि में जिला कलेक्टर्स के अनुमोदन से जिला स्तर पर ही केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित फण्ड से किया जायेगा। योजना में अस्पताल से दुर्घटना तारीख से अधिकतम 7 दिनों की अवधि में प्रति व्यक्ति के लिये एक लाख 50 हजार रूपये तक के उपचार की व्यवस्था है। दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति या उसका परिवार दुर्घटना का विवरण हेल्पलाइन नम्बर 112 में खबर दे सकता है। नियमित समीक्षा परिवहन सचिव द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि योजना के क्रियान्वयन के लिये किसी अधीनस्थ अधिकारी को जिम्मेदारी देते हुए इसकी नियमित मॉनीटरिंग जिला स्तर पर की जाये। समस्त संभागायुक्तों को भी निर्देश दिये गये हैं कि महत्वपूर्ण योजना की आवश्यक गतिविधियों की नियमित मॉनीटरिंग की जाये। जिला कलेक्टर्स को योजना से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश भी परिवहन विभाग द्वारा भेजे गये हैं।  

सतना जिले में स्थित 132 के.व्ही. सब स्टेशन नागौद को अब डबल एक्स्ट्रा हाईटेंशन सप्लाई से जोड़ा गया

नागौद सब-स्टेशन में अब डबल एक्स्ट्रा हाईटेंशन सप्लाई की सुविधा सतना और देवेंद्रनगर दोनों से रहेगी विद्युत आपूर्ति सतना जिले में स्थित 132 के.व्ही. सब स्टेशन नागौद को अब डबल एक्स्ट्रा हाईटेंशन सप्लाई से जोड़ा गया भोपाल ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि विंध्य क्षेत्र में विद्युत पारेषण व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और विश्वसनीयता के लिए सतना जिले में स्थित 132 के.व्ही. सब स्टेशन नागौद को अब डबल एक्स्ट्रा हाईटेंशन सप्लाई से जोड़ा गया है। यह सब-स्टेशन अब वैकल्पिक व्यवस्था के साथ दोहरी आपूर्ति प्रणाली पर कार्य करेगा। तोमर ने बताया कि पूर्व में यह सबस्टेशन एक रेडियल सब-स्टेशन के रूप में क्रियाशील था, जहां से 132 के.व्ही. की विद्युत आपूर्ति केवल 220 के.व्ही. सिल्परा (सतना) सब-स्टेशन से प्राप्त होती थी। 441 लाख रुपए से हुआ विस्तार क्षेत्र में अधिक विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण एवं सतत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) द्वारा 441 लाख रुपये की अनुमानित लागत से देवेन्द्र नगर से एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन अब नागौद तक विस्तारित की गई है। परिणामस्वरूप अब किसी एक सर्किट में शटडाउन या ब्रेकडाउन की स्थिति में भी उपभोक्ताओं को विद्युत बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ एम.पी. ट्रांसको के मुख्य अभियंता राजेश द्विवेदी के अनुसार यह व्यवस्था, 132 के.व्ही. नागौद–देवेंद्रनगर (पन्ना) 27.6 किलो मीटर और 132 के व्ही नागौद -सतना 18.9 किलोमीटर लाइन के सर्किट को 'लाइन इन–लाइन आउट' (लिलो) कर नागौद से जोड़े जाने से संभव हो सकी है। इस नई व्यवस्था से देवेंद्रनगर, वसुधा, रहिकवाड़ा, नागौद, सिंहपुर, जसो, कटन और सलेहा क्षेत्र के 42,000 से अधिक विद्युत उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।  

western ring road:26 गांवों की 600 हेक्टेयर जमीन पर मिलेगा मुआवजा, किसानों के खाते में आएंगे 750 करोड़

इंदौर  इंदौर के पश्चिमी आउटर रिंग रोड (western ring road) का रास्ता साफ होता जा रहा है। प्रभावितों को 750 करोड़ रुपए मुआवजा (farmers compensation) दिया जाना है। यह राशि एनएचएआइ ने भू अर्जन अधिकारियों के काला (सीएएलए) खाते में जमा कर दी है। अब सभी किसानों के खातों की जानकारी जुटाई जा रही है। एक क्लिक में सभी के खातों में एक साथ पैसा जमा हो जाएगा। 26 गांवों की 600 हेक्टेयर जमीन पर मिलेगा मुआवजा एनएचएआइ (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) पश्चिमी आउटर रिंग रोड का काम जल्द शुरू करना चाहता है। इसके लिए ठेकेदार कंपनी को प्रस्तावित सड़क की प्रभावित जमीन का कब्जा दिया जाना है। देपालपुर, हातोद और सांवेर के 26 गांवों की 600 हेक्टेयर जमीन आ रही है, जिसके प्रभावित किसानों की सूची तैयार कर अवॉर्ड घोषित कर दिया गया है। 50 प्रतिशत का काम पूरा अब भू अर्जन अधिकारियों ने भी काम तेज कर दिया है। गांव वार प्रभावित किसानों के खाता नंबर जुटाए जा रहे हैं। 50 फीसदी काम हो चुका है। किसानों को मुआवजा राशि देने के लिए एनएचएआइ की शर्त है कि 30 फीसदी किसानों का खाता नंबर होना जरूरी है। इससे कम पर पैसा जमा नहीं कर सकते हैं। इसलिए देपालपुर, हातोद व सांवेर में प्रशासन की टीम सक्रिय है ताकि जुलाई के पहले सप्ताह में काम हो जाए। ऐसा है पश्चिमी आउटर रिंग रोड इंदौर में 64 किमी लंबा और 30 मीटर चौड़ा पश्चिमी रिंग रोड बनेगा। यह एनएच-52 में नेट्रेक्स के पास से शुरू होकर शिप्रा नदी के नजदीक खत्म होगा। इसमें इंदौर जिले की देपालपुर तहसील के 5, हालोद के 12 और सांवेर के ० गांव की जमीन अधिग्रहित होगी। सर्वे के बाद गाइड लाइन व संपत्ति को जोड़कर तीनों तहसीलों के एसडीओ ने 750 करोड़ का अवॉर्ड पारित कर दिया है। इंदौर के लिए अहम इंदौर के विकास में आउटर रिंग रोड महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार राऊ-देवास बायपास बनने के बाद नया इंदौर बसा था, भविष्य के लिए ठीक वैसी ही कल्पना पूर्वी व पश्चिमी आउटर रिंग रोड को लेकर की जा रही है। नई गाइड लाइन से मुआवजा पहली बार सरकार ने उन लोकेशनों की भी गाइड लाइन बढ़ाई है, जिनमें सरकार की योजना लागू है। इसमें पश्चिमी आउटर रिंग रोड भी शामिल है। यहां 100 से 200 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इससे जमीनों की कीमत बढ़ गई है।

सरकारी स्कूलों में गैरहाजिर शिक्षकों पर कैसे लगेगी लगाम, 3.50 लाख शिक्षकों में से मात्र 10 हजार ने ही ऑनलाइन हाजिरी लगाई

भोपाल  प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 1 जुलाई से शुरू की गई ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था पहले ही दिन विफल हो गई। 3.50 लाख शिक्षकों में से केवल 10 हजार ने ही ऑनलाइन हाजिरी लगाई, जो कि कुल संख्या का लगभग तीन प्रतिशत है। शिक्षकों के अनुपस्थित रहने पर लगाम लगाने के उद्देश्य से यह पहल की गई थी, लेकिन पहले दिन ही शिक्षकों ने इसे विफल कर दिया। 'हमारे शिक्षक एप' के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था शुरू की गई थी। टीचर्स की अटेडेंस पर उठते रहे हैं सवाल सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के समय पर स्कूल न पहुंचने और उनके स्थान पर दूसरे लोगों के पढ़ाने जाने की शिकायतों के बाद यह कदम उठाया था। विभाग ने नई तकनीक 'हमारे शिक्षक प्रणाली' तैयार की थी, जिसके माध्यम से शिक्षकों को सेल्फी लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी थी। शिक्षकों को स्कूल पहुंचते ही अपने मोबाइल से इस प्रणाली पर सेल्फी लेकर अपलोड करना था। इस प्रक्रिया का ट्रायल 23 जून से 30 जून तक किया गया था। हालांकि, पहले दिन ही इस व्यवस्था को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। आंकड़ों से समझें प्रदेश के 3.50 लाख शिक्षकों में से केवल 88 हजार शिक्षकों ने ही 'हमारे शिक्षक एप' डाउनलोड किया। ऑनलाइन हाजिरी लगाने वालों की संख्या और भी कम रही। सिर्फ 10,461 शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी लगाई, जबकि जाने की ऑनलाइन हाजिरी केवल 2,394 शिक्षकों ने ही लगाई। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से पहले भी ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था शुरू करने के प्रयास किए गए थे। इन सालों में हुई थी कोशिश 2017, 2020 और 2022 में शिक्षा मित्र एप के जरिए ऑनलाइन उपस्थिति शुरू की गई थी, लेकिन शिक्षकों के विरोध के कारण यह सफल नहीं हो पाई। शिक्षकों ने कभी स्मार्ट फोन तो कभी नेटवर्क का बहाना बनाकर ऑनलाइन उपस्थिति की प्रक्रिया को ठीक से लागू नहीं होने दिया। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह भी इस बात को कई बार स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में कुछ जिलों में शिक्षक स्कूल नहीं जाते हैं। उनके स्थान पर दूसरे लोग पढ़ाने जाते हैं। वहीं कुछ शिक्षक स्कूलों के निर्धारित समय पर नहीं पहुंचते हैं।  

ग्वालियर में जल्द शुरू होगा साइबर कमांडों प्रशिक्षण सेंटर, साइबर अपराधियों पर कसेंगे शिकंजा

ग्वालियर  साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार विशेष कदम उठा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर(I4C) द्वारा साइबर कमांडो तैयार किए जा रहे हैं। ग्वालियर में प्रदेश का पहला साइबर कमांडो ट्रेनिंग सेंटर तैयार हो रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान (ABV-IIITM Gwalior) में ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाएगा। इसका कोर्स तैयार किया जा चुका है। एबीपी ट्रिपल आईटीएम प्रबंधन ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। 30 साइबर कमांडो होंगे तैयार प्रबंधन के मुताबिक गृह मंत्रालय से जल्द ही इसकी अनुमति मिल सकती है। पूरे प्रदेश से पहले चरण में 30 पुलिस कर्मियों को साइबर कमांडो के रूप में तैयार किया जाएगा। ट्रेनिंग की अवधि 6 माह की होगी। साइबर कमांडो की ट्रेनिंग के लिए कोर्स IIT कानपुर द्वारा तैयार किया गया है। प्रबंधन के मुताबिक सितंबर से अक्टूबर के बीच पहले चरण की ट्रेनिंग शुरू हो सकती है। इसी हिसाब से यहां तैयारी की जा रही है। ट्रेनिंग में साइबर हमलों से बचने के तरीके सिखाए जाएंगे। इसमें प्रमुख शासकीय संस्थानों, पुलिस और जांच एजेंसियों के गोपनीय डेटा को सुरक्षित रखने के तरीके शामिल रहेंगे। साइबर हमले जैसी स्थिति में निपटने के गुर सिखाए जाएंगे। साइबर क्राइम की विवेचना में नए साफ्टवेयर, टूल्स का इस्तेमाल। फर्स्ट रिस्पॉन्डर के रूप में काम करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ऐसे काम करेंगे साइबर कमांडो     साइबर कमांडो जांच एजेंसियों और पुलिस के साथ मिलकर काम करेंगे।     देश, प्रदेश के बड़े संस्थानों, जांच एजेंसियों के डेटा, सिस्टम को सुरक्षित रखना।     बड़े साइबर हमलों या साइबर अपराध की पड़ताल में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।     साइबर अपराध नियंत्रण के लिए आई4सी के साथ मिलकर गाइडलाइन, एडवाइजरी तैयार करना।     साइबर अपराध होने पर फर्स्ट रिस्पांडर की भूमिका में भी यह रहेंगे। 6 साइबर कमांडो, 39 पुलिसकर्मी हुए चयनित अभी प्रदेश में 6 साइबर कमांडो तैयार हो चुके हैं। इन्हें 6 महीने की ट्रेनिंग मिली है। 39 पुलिस कर्मियों का चयन साइबर कमांडो ट्रेनिंग के लिए हुआ है। इसमें ग्वालियर के भी चार पुलिसकर्मी हैं। दीपा सिंह (जनसंपर्क अधिकारी, एबीपी ट्रिपल आईटीएम) के अनुसार, साइबर कमांडो की ट्रेनिंग के लिए संस्थान में पूरी तैयारी है। पहले चरण में 30 साइबर कमांडो को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसकी अवधि 6 महीने की होगी। जल्द ही अनुमति मिल सकती है। सितंबर या अक्टूबर से पहले बैच की ट्रेनिंग संस्थान में शुरू हो सकती है। यह होगा फायदा प्रदेश स्तर पर कमांडो प्रशिक्षण की शुरुआत होने से इसमें प्रशिक्षित होने से साइबर कमांडो की गिनती में तेजी से इजाफा होगा। यह कमांडो बडे औद्योगिक संस्थान, सरकारी संस्थानों के साथ साइबर अपराधों की रोकथाम और साइबर क्रिमनल्स पर कसावट मेंं मददगार साबित होंगे। दूसरे बैच में 39 पुलिसकर्मियों को भेजा जाएगा पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि दूसरे बैच में प्रदेश के 39 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। परीक्षा के बाद इनका चयन भी हो चुका है। जल्द ही यह तय हो जाएगा कितने पुलिसकर्मियों को कहां प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। प्रशिक्षण लिए जाने वालों में आरक्षक से लेकर उप पुलिस अधीक्षक स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं। यह काम करेंगे साइबर कमांडो     साइबर सुरक्षा : साइबर खतरों से नेटवर्क और डाटा को सुरक्षित रखना।       साइबर हमले से सुरक्षा : कमांडो साइबर नेटवर्क या सिस्टम में हैकिंग और वायरस के हमलों से निपटने के लिए काम करेंगे। हमले की स्थिति में त्वरित निराकरण के लिए काम करेंगे। खतरों से आगाह भी करेंगे।     नेटवर्क की निगरानी : साइबर कमांडो की जिम्मेदारी नेटवर्क की निगरानी करने की रहेगी।     डेटा सुरक्षित रखने का काम : महत्वपूर्ण संस्थानों का डेटा लीक नहीं होने पाए, इसके लिए भी सुझाव देंगे।     अपराधों की जांच : बड़े साइबर अपराधों की जांच और डाटा के विश्लेषण में सहयोग करेंगे। साथ ही साइबर सुरक्षा की नीतियां बनाने में सहयोग करेंगे। दूसरे बैच के लिए भी चयन किया गया     हमारे छह पुलिसकर्मी साइबर कमांडो का प्रशिक्षण ले रहे हैं, जो शीघ्र आ जाएंगे। इसके अतिरिक्त दूसरे बैच के लिए भी चयन कर लिया गया है। – ए साई मनोहर, एडीजी साइबर

पारदर्शिता, ईमानदारी और नवाचार के जरिए सहकारी आंदोलन को मजबूत किया जा सकता है: मंत्री सारंग

भोपाल  सहकारिता मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि पारदर्शिता, ईमानदारी और नवाचार के जरिए सहकारी आंदोलन को मजबूत किया जा सकता है। इसके लिए पूरी सहकारिता की टीम कृत-संकल्पित होकर काम करें। मंत्री श्री सारंग बुधवार को समन्वय भवन में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के उपलक्ष्य में सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के विभिन्न पहलुओं पर राज्य स्तरीय सहकारी कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए पैक्स का सुदृढ़ीकरण करना आवश्यक है। इसके लिए संभागीय और जिला अधिकारी अधीनस्थ पैक्स का निरीक्षण करें। मुख्यालय के अधिकारियों को भी संभागवार जिम्मेदारी दी जाए, जो उनके अधीनस्थों की समस्या एवं सुझावों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करने में पैक्स की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि सेल्फ हेल्प ग्रुप सहकारिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि केडिट मूवमेंट के साथ सहकारिता के विभिन्न आयामों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता का क्लेवर बदल रहा है। सहकारी आंदोलन को पुन: मजबूत करने के लिए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है। मंत्री श्री सारंग ने बताया कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि सहकारिता के माध्यम से ही गरीबों के घर में खुशी लायी जा सकती हैं। सहकारिता ही ऐसा नेटवर्क है, जिसके माध्यम से हर घर में रोजगार के नए अवसर पैदा किये जा सकते हैं। सहकारिता की साख के लिए काम करें। लोगों को अच्छे कामों के लिए याद रखा जाता है। ईमानदारी से किया गया कार्य आत्मसंतुष्टि देता है, इसलिए जॉब सेटिस्फेक्शन जरूरी है। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार को दिए गए प्रेजेंटेशन में सबसे अच्छा प्रेजेंटेशन मध्यप्रदेश का रहा। इसके लिए उन्होंने पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की नवाचार विंग और सीपीपीपी मॉडल को भूरी-भूरी प्रशंसा मिली है। यही नहीं कंप्यूटराइजेशन की दिशा में भी मध्यप्रदेश देश में नंबर एक पर रहा है, जो सराहनीय है। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि कमिटमेंट दक्षता को सिद्ध करता है। सभी टीमवर्क के साथ काम करें। यूनिफार्मलिटी जरूरी है। साफ सुथरा ईमानदारी से किया गया कार्य ही आपकी पहचान बनेगा जिससे आपका नाम होगा। जॉब के लिए ईमानदार रहेंगे, तो सफल होंगे। मंत्री श्री सारंग ने शुरूआत में संभाग और जिलों के आए अधिकारियों से परिचय प्राप्त किया और बिना बताए अनुपस्थित अधिकारियों को शो-कॉज नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए। पैक्स सुदृढ़ हो, यही लक्ष्य : एसीएस श्री वर्णबाल अपर मुख्य सचिव श्री अशोक वर्णबाल ने कहा कि हर पैक्स को केडिट के अलावा तीन एक्टीविटी करना जरूरी है। स्थानीय पृष्ठभूमि में अवसरों को तलाश कर बिजनेस बढ़ाना होगा। संभागीय और जिला अधिकारी को एक-एक पैक्स की समयबद्ध तरीके से समीक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि पैक्स सुदृढ़ हो यह लक्ष्य होना चाहिये। बिजनेस सोसायटियों के सदस्यों के खाते हमारे यहां होना चाहिये। साथ ही उनके लिये माइक्रो एटीएम की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। सहकारिता आयुक्त एवं पंजीयक श्री मनोज पुष्प ने कहा कि सहाकारिता के सकारात्मक बदलाव के दौर में अधिकारी अपनी अहम भूमिका को पहचानकर दायित्वों का निर्वहन करें। सहकारिता के मॉडलाइजेशन को धरातल पर क्रियान्वित करें। अधिकारी अपनी लीडरशिप में प्रगति का फॉलोअप लें और पैक्स को बिजनेस यूनिट बनाने में सक्रिय भूमिका निभाए। अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक श्री मनोज कुमार गुप्ता ने स्वागत भाषण में कार्यशाला में हुई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उप सचिव श्री मनोज सिन्हा ने केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों से अवगत करवाया। इस अवसर पर सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त, उप आयुक्त, जिला सहकारी बैंकों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और समिति प्रबंधकों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के घने वनों और वन्यजीव पर्यटन को राजस्व वृद्धि का एक प्रमुख माध्यम बताया

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य में ‘जियो और जीने दो’ की भावना को केंद्र में रखकर सह-अस्तित्व आधारित ईको-सिस्टम विकसित किया जा रहा है, जिससे न केवल जैव विविधता का संरक्षण हो रहा है, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है और वनवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में कई नवाचार किए जा रहे हैं इनमें वन्यजीव अभयारण्यों के संरक्षण और प्रबंधन में उच्च तकनीक का अनुप्रयोग, गुजरात के ‘वनतारा’ से प्रेरित रैस्क्यू सेंटर, दुर्लभ जीवों जैसे चीते, घड़ियाल एवं कछुओं के एक अभयारण्य से दूसरे में पुनर्स्थापन और संरक्षित क्षेत्रों की फेंसिंग शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन विभाग के अधिकारियों को गुजरात के ‘वनतारा’ वन्यजीव पुनर्वास केंद्र का अध्ययन कर प्रदेश में भी ऐसा ही रेस्क्यू और एनिमल वेलफेयर प्रोजेक्ट स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल वन्यजीवों के संरक्षण और पुनर्वास में एक नई मिसाल पेश करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के घने वनों और वन्यजीव पर्यटन को राजस्व वृद्धि का एक प्रमुख माध्यम बताया। उन्होंने वन अधिकारी-कर्मचारियों के लिए विशेष सुविधाओं और उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रोत्साहन की घोषणा की। उन्होंने यह भी बताया कि वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों से प्रदेश में वन क्षेत्र और राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश में वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया जारी है। जैव-विविधता को बढ़ावा देने के लिए कई स्थलों को जैव-विविधता विरासत घोषित किया गया है। वन-अग्नि की घटनाओं पर विभाग की प्रतिक्रिया अब पहले से अधिक त्वरित हुई है, जो प्रभावी वन प्रबंधन को दर्शाता है। वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उठाए गए प्रमुख कदम मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, जिससे प्रदेश की छवि 'टाइगर स्टेट' के रूप में और मजबूत हो रही है। प्रदेश में अब 9 टाइगर रिजर्व हो गये हैं। बाघ संरक्षण के साथ-साथ ये रिजर्व पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रहे हैं। टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए ‘बफर-सफर’ योजना के अंतर्गत अनेक नई गतिविधियाँ प्रारंभ की गई हैं। अब पर्यटक प्राकृतिक स्थलों, वन और वन्य-प्राणी दर्शन के साथ ईको-पर्यटन गतिविधियों का आनंद ले रहे हैं। इससे प्रदेश में पर्यटन को नया आयाम मिलेगा और कोर क्षेत्रों पर दबाव भी कम होगा। प्रदेश में 15,000 से अधिक वन समितियाँ गठित की जा चुकी हैं, जिनकी कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी एवं सक्रिय बनाया जा रहा है। प्रदेश में आधुनिक चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर्स विकसित किये जा रहे हैं। उज्जैन और जबलपुर में उन्नत सुविधाओं से युक्त नये चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर शीघ्र ही स्थापित किए जा रहे हैं। ओंकारेश्वर, ताप्ती और बालाघाट के सोनेवानी क्षेत्र में नए कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जा रहे हैं, जो वन्यजीव आवासों की रक्षा करेंगे। अफ्रीका से लाए गए चीतों की कूनो में सफल पुनर्स्थापना के बाद इन चीतों को प्रदेश एंव देश के दूसरे अभयारण्यों में बसाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है। प्रदेश के बुंदेलखंड वन क्षेत्रों में फैले हुए वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चीता पुनर्स्थापना की तैयारियाँ चल रही हैं, जिससे जैव विविधता में वृद्धि होगी। जलीय जीव संरक्षण के रूप में नर्मदा में महाशीर मछली जैसे जलजीवों के लिए प्रजनन केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। चंबल में कछुए, मगरमच्छ एवं घड़ियाल एवं गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए केंद्र पहले से ही स्थापित हैं। इनमें जलीय जीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है औऱ इन्हें प्रदेश के साथ ही देश भर में भेजा जा रहा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए संरक्षित क्षेत्रों के लगभग 160 किलोमीटर क्षेत्र में फेंसिंग की जा रही है। इससे वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। हाथियों की सुरक्षा हेतु विशेष योजना प्रदेश सरकार द्वारा हाथियों की सुरक्षा और अनुश्रवण के लिए वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में कुल ₹1 करोड़ 52 लाख 54 हजार खर्च किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹20 करोड़ और 2026-27 के लिए ₹25 करोड़ 59 लाख 15 हजार का प्रावधान किया गया है। इस तरह वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक योजना का कुल आकार ₹47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रहेगा। हाथियों के आवागमन की मॉनिटरिंग के कॉलर आईडी लगाये जा रहे हैं। इन योजनाओं से हाथियों की सुरक्षा को नई मजबूती मिलेगी। वनवासियों के अधिकारों का सम्मान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्पष्ट किया कि टाइगर रिजर्व की घोषणा से जनजातीय समुदायों और वनवासियों के अधिकारों को प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा और उनका पूर्ण सम्मान किया जाएगा। सह-अस्तित्व के लिए सह-प्रबंधन की नीति अपनाई जाएगी और जहाँ आवश्यक होगा वहाँ पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के विजन के अनुरूप उनके निर्देशन में मध्यप्रदेश वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में देश के लिये एक अग्रणी मॉडल के रूप में उभर रहा है। यहां जैव विविधता, पर्यटन, वन्यजीव संरक्षण और जनजातीय आजीविका का संतुलित एवं वन्य-जीवों के साथ सह-अस्तित्व का इको सिस्टम विकसित हो रहा है।  

राजस्व प्रकरणों का रिकॉर्ड निराकरण, राजस्व महा-अभियान के बाद 8 लाख 49 हजार 681 प्रकरणों का निराकरण

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर लंबित राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिये प्रदेश में 2 चरणों में राजस्व महाअभियान संचालित किये गये। राजस्व महाअभियान में राजस्व प्रकरणों के निराकरण का क्रम राजस्व महाअभियान-2 के बाद भी जारी है। राजस्व महाअभियान-2 के बाद फरवरी-2025 से अब तक राजस्व विभाग द्वारा नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के 8 लाख 49 हजार 681 प्रकरणों का रिकॉर्ड निराकरण किया गया है। यह निराकरण राजस्व महा-अभियान के बाद जनवरी-2025 के अंत से अब तक किया गया है। राजस्व प्रकरणों के निराकरण की स्थिति, राजस्व न्यायालयों की दक्षता, पारदर्शिता और तीव्रता को दर्शाती है। राजस्व महा-अभियान से प्रकरणों के निराकरण में आयी तेजी लगातार बनी हुई है। नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के 27 जनवरी, 2025 के बाद से अब तक के प्रकरणों के निराकरण की जिलेवार स्थिति में आगर-मालवा में 10 हजार 417, अलीराजपुर में 2550, अनूपपुर में 10 हजार 690, अशोकनगर में 10 हजार 130, बालाघाट में 21 हजार 897, बड़वानी में 5 हजार 610, बैतूल में 21 हजार 407, भिण्ड में 21 हजार 964, भोपाल में 31 हजार 996, बुरहानपुर में 6 हजार 340, छतरपुर में 28 हजार 325, छिंदवाड़ा में 23 हजार 84, दमोह में 15 हजार 616, दतिया में 14 हजार 501, देवास में 16 हजार 395, धार में 13 हजार 362, डिण्डौरी में 9 हजार 203, गुना में 14 हजार 784, ग्वालियर में 26 हजार 221, हरदा में 5 हजार 704, इंदौर में 31 हजार 540, जबलपुर में 28 हजार 167, झाबुआ में 6 हजार 730, कटनी में 22 हजार 299, खण्डवा में 13 हजार 413, खरगौन में 14 हजार 37, मैहर में 8 हजार 612, मण्डला में 11 हजार 110, मंदसौर में 14 हजार 776, मऊगंज में 6 हजार 788, मुरैना में 21 हजार 538, नर्मदापुरम में 12 हजार 89, नरसिंहपुर में 9 हजार 650, नीमच में 8 हजार 710, निवाड़ी में 4 हजार 491, पांढुर्णा में 5 हजार 16, पन्ना में 11 हजार 544, रायसेन में 15 हजार 343, राजगढ़ में 15 हजार 911, रतलाम में 13 हजार 720, रीवा में 31 हजार 789, सागर में 25 हजार 841, सतना में 18 हजार 959, सीहोर में 17 हजार 112, सिवनी में 20 हजार 725, शहडोल में 12 हजार 646, शाजापुर में 14 हजार 816, श्योपुर में 5 हजार 134, शिवपुरी में 21 हजार 98, सीधी में 13 हजार 653, सिंगरौली में 17 हजार 373, टीकमगढ़ में 11 हजार 387, उज्जैन में 26 हजार 614, उमरिया में 7 हजार और विदिशा जिले में 19 हजार 854 राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया।