नीतीश सरकार पर चिराग का हमला, कहा– बिहार में मर्डर आम बात बन गया है

पटना केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। चिराग ने शनिवार को ट्वीट कर बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए और पूछा कि और कितने बिहारी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे। बता दें कि बिहार में आगामी महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष जहां कानून व्यवस्था को मुद्दा बना रहा है। वहीं, दूसरी ओर सत्ताधारी गठबंधन के घटक दल लोजपा-आर के मुखिया चिराग भी आपराधिक घटनाओं पर अपनी सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। चिराग का हालिया पोस्ट सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें उन्होंने लिखा, "बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे? समझ से परे है कि बिहार पुलिस की जिम्मेदारी क्या है?" बता दें कि बिहार में लगातार हत्या समेत अन्य आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। पिछले दिनों पटना में नामी कारोबारी गोपाल खेमका को गोलियों से भून दिया गया था। दो दिन पहले पटना जिले में ही बालू कारोबारी रमाकांत यादव को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद शुक्रवार रात तृष्णा मार्ट के मालिक विक्रम झा की राजधानी में गोली मारकर हत्या कर दी गई। अन्य जिलों में भी आए दिन हत्याकांड बिहार में एक के बाद एक हो रही हत्याओं पर चिराग पासवान ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब चिराग ने अपनी ही सरकार के प्रशासन को घेरा है। इससे पहले मुजफ्फरपुर की दलित बच्ची से रेप होने और पटना के पीएमसीएच में समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत होने पर भी लोजपा-आर के प्रमुख ने नीतीश सरकार को घेरा था। उस घटना को चिराग ने पूरा सिस्टम फेलियर बताया था। बता दें कि लोजपा-आर आगामी विधानसभा का चुनाव बीजेपी, जेडीयू समेत अन्य दलों के साथ एनडीए में रहकर ही लड़ेगी। चिराग पासवान भी केंद्र की राजनीति छोड़कर बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वे लगातार क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। उनकी आरा, राजगीर, छपरा में रैलियां हो चुकी हैं। एनडीए में सीट बंटवारे से पहले वे सहयोगियों को ताकत दिखाने में जुटे हुए हैं।  

राहुल पर बरसे धर्मेंद्र प्रधान: बोले– लिखी हुई बातें दोहराते हैं, खुद का विचार नहीं

भुवनेश्वर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर ओडिशा की संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी को कोई ज्ञान नहीं है। वह आमतौर पर जनसभा में वही बोलते हैं, जो उन्हें लिखकर दिया जाता है। उन्हें उस विषय वस्तु के बारे में तनिक भी जानकारी नहीं होती है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राहुल गांधी ने ओडिशा की जनता और उनकी पार्टी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अपमान के लिए माफी मांगने की बजाय अहंकार दिखाया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को ओडिशा की संस्कृति और परंपराओं का कोई ज्ञान नहीं है। ओडिशा में जब कोई बड़ा नेता या राष्ट्रपति जैसे सम्मानित व्यक्ति आते हैं, तो उन्हें भगवान जगन्नाथ का पवित्र वस्त्र भेंट किया जाता है। यह हमारी परंपरा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद और गृहमंत्री अमित शाह ने सम्मान दिया। लेकिन, राहुल गांधी ने इस परंपरा का अपमान किया।” उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को ओडिशा की भाषा, साहित्य और सभ्यता की कोई समझ नहीं है। वे सिर्फ नाटक करते हैं। उनकी बातों में कोई दम नहीं है।” उन्होंने राहुल गांधी की तुलना एक ऐसे व्यक्ति से की, जिसकी “पढ़ाई कम, लेकिन स्कूल बैग बड़ा” है, और कहा कि उनकी पार्टी और बयानबाजी पूरी तरह से दिवालिया हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणियां ओडिशा के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हैं। उन्होंने मांग की कि राहुल गांधी ओडिशा के लोगों और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से माफी मांगें, जिन्हें उनकी पार्टी ने बार-बार अपमानित किया है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को ओडिशा आकर अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह उनके अहंकार को दिखाता है।” इसके अलावा, धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है। प्रधान ने इसे बेबुनियाद बताया और कहा कि राहुल गांधी के पास कोई ठोस तथ्य नहीं है। उन्होंने ओडिशा की जनता से अपील की कि वे ऐसे बयानों पर ध्यान न दें और अपनी संस्कृति पर गर्व करें। बता दें कि राहुल गांधी ने 11 जुलाई को ओडिशा के भुवनेश्वर में “संविधान बचाओ समावेश” रैली को संबोधित किया था। उन्होंने भाजपा और पूर्व बीजद सरकार पर ओडिशा के संसाधनों की लूट और आदिवासियों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया था।  

टी राजा सिंह ने छोड़ी तिकड़म, तेलंगाना में कांग्रेस-BJP के बीच बनेंगे नए गठजोड़?

हैदराबाद   बीजेपी के बड़े नेताओं ने गोशामहल के MLA और हिंदुत्व के पोस्टर बॉय टी राजा सिंह का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। इससे तेलंगाना की राजनीति में और बीजेपी के अंदर बड़ा बदलाव आया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने एक पत्र में इस्तीफे की मंजूरी की जानकारी दी। उन्होंने साफ कहा कि टी राजा सिंह ने इस्तीफे में जो कारण बताए हैं, वे अप्रासंगिक हैं। ये कारण पार्टी की विचारधारा, काम करने के तरीके, सिद्धांतों और अनुशासन से मेल नहीं खाते। टी राजा सिंह ने पहले राज्य के नेताओं को इस्तीफा सौंपा था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आदेश के बाद इसे तत्काल प्रभाव से मंजूर कर लिया गया। क्या बोले टी राजा सिंह इस्तीफा मंजूर होने के बाद टी राजा सिंह ने कहा कि मैं 11 साल पहले बिना किसी निजी महत्वाकांक्षा के पार्टी में शामिल हुआ था। मैं ईमानदारी और निष्ठा से हिंदुत्व के लिए काम करता रहूंगा। उनका ये बयान दिखाता है कि वे अभी भी अपने विचारों पर कायम हैं। एकला चलो की राह पर टी राजा सिंह? पहले ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि टी राजा सिंह उद्धव ठाकरे की शिवसेना या पवन कल्याण की जन सेना में शामिल हो सकते हैं। लेकिन, शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वे फिलहाल किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं। इससे उनके समर्थकों में थोड़ा असमंजस है। तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर विवाद? दस दिन पहले, उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह इस्तीफा केंद्रीय नेतृत्व के उस फैसले के विरोध में दिया था, जिसमें पूर्व MLC एन रामचंदर राव को तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने को कहा गया था। टी राजा सिंह भी इस पद के लिए चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि वरिष्ठ नेताओं ने, जिनमें केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी शोभा करंदलाजे भी शामिल थीं, उनकी उम्मीदवारी को बाधित किया। तेलंगाना बीजेपी ने क्या कहा हालांकि, तेलंगाना बीजेपी ने इन आरोपों को गलत बताया है। पार्टी का कहना है कि सिंह के पास राज्य कार्यकारिणी समिति के 10 सदस्यों का समर्थन नहीं था, जो कि जरूरी है। अभी तक सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा नहीं सौंपा है। इसलिए, उनकी विधानसभा सीट का क्या होगा, ये अभी साफ नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ये अभी तय नहीं है कि केंद्रीय नेतृत्व उनका इस्तीफा स्पीकर को भेजेगा या ये फैसला सिंह पर ही छोड़ देगा। निलंबित भी किए गए थे टी राजा सिंह टी राजा सिंह की बीजेपी से दूरी उनके दूसरे कार्यकाल में लगातार बढ़ती गई। इसकी वजह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ उनकी अनबन बताई जा रही है। उन्हें पहले कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी पर विवादित टिप्पणी करने के कारण निलंबित भी किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था। भाजपा ने मुझ पर विश्वास करते हुए लगातार तीन बार तेलंगाना विधानसभा चुनाव में गोशामहल से विधायक पद का टिकट दिया। इस विश्वास के लिए मैं भाजपा के सभी पदाधिकारियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।शायद मैं तेलंगाना में भाजपा की सरकार बनाने का सपना लेकर दिन-रात मेहनत कर रहे लाखों भाजपा कार्यकर्ताओं की पीड़ा दिल्ली तक नहीं पहुंचा सका।मैं यह बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह निर्णय मैंने किसी पद, सत्ता या व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण नहीं लिया है। मेरा जन्म हिंदुत्व की सेवा के लिए हुआ है, और मैं अंतिम सांस तक हिंदुत्व के लिए कार्य करता रहूंगा। मैं सदैव पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सनातन धर्म की रक्षा हेतु कार्य करता रहूंगा। समाज की सेवा और हिन्दू समाज के अधिकारों के लिए मैं अंतिम सांस तक अपनी आवाज बुलंद करता रहूंगा।जय श्री राम।

अडानी पर फिर बरसे राहुल, कहा- ओडिशा और केंद्र की सत्ता उन्हीं के हाथ में

भुवनेश्वर कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुक्रवार को ओडिशा के भुवनेश्वर पहुंचे. जहां संविधान बचाव समावेश के तहत लोगों को संबोधित किया. इस दौरान राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार पर हमला किया. उन्होंने कहा, ओडिशा की सरकार अडानी चलाते हैं, उनके लिए जगन्नाथ के रथ रोके गए. साथ ही उन्होंने कहा,गरीबों , दलितों को सरकार में जगह नहीं मिलती है. सबसे पहला काम जातीय जनगणना है. इससे गरीबो, दलितों को अपनी सच्ची शक्ति समझ आएगी. राहुल गांधी ने कहा ओडिशा हो या छत्तीसगढ़, सिर्फ एक ही नाम दिखाई देता है- अडानी.. अडानी.. अडानी… मतलब अडानी ओडिशा की सरकार चलाते हैं, नरेंद्र मोदी को चलाते हैं। जब ओडिशा में श्री जगन्नाथ रथ यात्रा निकलती है, तो लाखों लोग रथ के पीछे चलते हैं। फिर एक ड्रामा होता है और यात्रा के रथ को अडानी और उनके परिवार के लिए रोका जाता है।ये ओडिशा की सरकार नहीं है- ये अडानी जैसे 5-6 अरबपतियों की सरकार है। राहुल ने कहा मैं आपसे पूछना चाहता हूं- आपकी सरकार ने ओडिशा के युवाओं को कितना रोजगार दिया है? ये जो बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज आती हैं, बड़ी-बड़ी कंपनियां आती हैं, वो आपकी जमीन ले जाती हैं, आपका धन, आपकी प्राकृतिक दौलत ले जाती हैं। लेकिन ये आपके कितने लोगों को रोजगार देती हैं? ये पहले आपके छोटे बिजनेस, छोटी कंपनियों और स्मॉल-मीडियम बिजनेस को खत्म करती हैं और फिर आपकी जमीन, आपका धन, आपका जंगल, आपका जल उठाकर ले जाती हैं। देश में विकास 2-3% लोगों के लिए या 2-3 अरबपतियों के लिए नहीं किया जाता है। विकास ओडिशा की जनता के लिए, गरीब लोगों के लिए, किसानों के लिए किया जाना चाहिए। यहां की सरकार 24 घंटा आपका धन, आपका जंगल और आपकी जमीन आपसे छीनती है। आपको जमीन से हटा देती है, सही मुआवजा नहीं देती, आपको डराती-धमकाती है।हमारे आदिवासी भाई, किसान, मजदूर… जिन पर भी सरकार आक्रमण कर रही है, जिनके खिलाफ भी अत्याचार हो रहा है- उनके साथ कांग्रेस पार्टी के नेता खड़े मिलेंगे, मैं खड़ा मिलूंगा।मैं आपसे कह रहा हूं- कांग्रेस पार्टी आपको पट्टा दिलाकर रहेगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा ओडिशा BJP का मॉडल है। ये लोग 5-6 बड़ी कंपनियों को आपका पूरा का पूरा धन दे रहे हैं।मैं अभी किसानों और महिलाओं के डेलिगेशन से मिला, उनकी आवाज़ सुनी, उनका दुख-दर्द सुना। जल, जंगल और जमीन आदिवासियों के हैं और आदिवासियों के ही रहेंगे। यहां पर आदिवासियों को बिना पूछे, जमीन से हटा दिया जाता है, PESA कानून लागू नहीं किया जाता है। आदिवासियों को पट्टा नहीं दिया जाता है। यह जमीन उनकी है, जल उनका है, जंगल उनका है। कांग्रेस पार्टी PESA कानून लाई थी, ट्राइबल बिल लाई। इन कानूनों को हम लागू करके दिखाएंगे, आदिवासियों को उनकी जमीन वापस दिलवाएंगे। BJP लगातार संविधान पर आक्रमण कर रही है।जिस तरह से महाराष्ट्र में चुनाव चोरी किया गया, उसी तरह से बिहार में चुनाव चोरी करने की कोशिश की जा रही है।चुनाव चोरी करने के लिए चुनाव आयोग ने नई साजिश शुरू की है। चुनाव आयोग BJP का काम कर रहा है, अपना काम नहीं कर रहा है।महाराष्ट्र के लोक सभा और विधानसभा चुनाव के बीच एक करोड़ नए वोटर आ गए, लेकिन अभी तक किसी को नहीं मालूम यह वोटर कौन थे और कहां से आए।हमने चुनाव आयोग से कई बार कहा कि- हमें वोटर लिस्ट दीजिए, वीडियो दीजिए, लेकिन चुनाव आयोग नहीं दे रहा। ये लोग बिहार का चुनाव भी चोरी करना चाहते हैं, पर हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। राहुल ने कहा कांग्रेस पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता- जिनके DNA में कांग्रेस है। आप हमारे बब्बर शेर हैं, जो ओडिशा की जनता की रक्षा करते हैं।ओडिशा की BJP सरकार का सिर्फ एक काम है, ओडिशा का धन गरीब जनता से चोरी करना। पहले BJD की सरकार यह करती आई, अब BJP की सरकार यही काम कर रही है। एक तरफ ओडिशा की गरीब जनता, दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, कमजोर लोग, किसान, मजदूर हैं। वहीं, दूसरी तरफ पांच-छह अरबपति और BJP की सरकार है। कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता ओडिशा की जनता के साथ मिलकर, इस लड़ाई को जीत सकता है, और कोई नहीं। 

दिल्ली में सिद्धारमैया की अनदेखी? राहुल से न मिलने पर BJP का तंज

कर्नाटक  कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद में बदलाव को लेकर चल रहीं अटकलों के बीच सीएम सिद्धारमैया राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। इस पर बीजेपी ने तंज कसा है। बीजेपी नेता और आईडी हेड के प्रमुख अमित मालवीय ने इसे अपमान करार दिया है। अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट किया, ''कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का दिल्ली में अपमान। वह दिल्ली तक आए, लेकिन राहुल गांधी ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया और अब बिना किसी मुलाकात के ही लौट आए हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसी गांधी ने कर्नाटक के किसी वरिष्ठ नेता का अपमान किया हो। इतिहास याद करता है कि कैसे राजीव गांधी ने बीमार वीरेंद्र पाटिल को बेवजह बर्खास्त कर दिया था, जिससे राज्य में कांग्रेस का पतन हुआ था।'' बीजेपी नेता ने आगे कहा, ''अब कमजोर सिद्धारमैया को उसी व्यक्ति के पीछे छिपना पड़ रहा है जो उनके खिलाफ साजिश रच रहा है- डीके शिवकुमार, जो उनकी कुर्सी संभालने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस, और खासकर गांधी परिवार, हमेशा से कन्नड़ लोगों के साथ तिरस्कारपूर्ण व्यवहार करता रहा है। यह तो बस ताजा उदाहरण है।'' कर्नाटक में लंबे समय मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें लग रही हैं। डीके शिवकुमार के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि सिद्धारमैया पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। सिद्धारमैया ने राज्य नेतृत्व में बदलाव की अटकलों को फिर से खारिज कर दिया और कहा कि इस बदलाव के बारे में कांग्रेस आलाकमान से कोई चर्चा नहीं हुई है। सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा, “मैं आपको कितनी बार कहूं कि इस (कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों) पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस मुद्दे पर आलाकमान से कोई चर्चा नहीं हुई।” सिद्धारमैया ने गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की, जिससे कर्नाटक में संभावित मुख्यमंत्री परिवर्तन की अटकलों को बल मिला।  

फिर गरमाई कर्नाटक की सियासत, सीएम बदलाव की अटकलों के बीच सिद्धारमैया की राहुल से मुलाकात

नई दिल्ली/बेंगलुरु कर्नाटक में फिर से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों का बाजार गर्म है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने कहा, "…मैंने आज राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा था लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है।" कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि वहां कोई वैकेंसी नहीं है। मैं पांच साल पूरा करूंगा। सिद्धारमैया ने कहा, "डीके शिवकुमार ने खुद कहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई रिक्ति नहीं है।" हालांकि, इस बीच राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बेंगलुरु में गुरुवार को यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया है कि इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान ही निर्णय करेगा। उन्होंने कहा, “पार्टी नेतृत्व सब देख रहा है और समय आने पर वह निर्णय करेगा।” एक और नाटक कंपनी खोलने की इच्छा नहीं प्रदेश में संभावित नेतृत्व परिवर्तन और कुछ पार्टी नेताओं एवं विधायकों के सार्वजनिक बयानों के बारे में एक सवाल के जवाब में परमेश्वर ने स्वीकार किया कि वास्तव में ‘नाटक’ हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसपर टिप्पणी करके उनकी ‘‘एक और नाटक कंपनी खोलने की इच्छा नहीं है।’’ पार्टी आलाकमान सब देख रहा है कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘जैसा कि आप (मीडियाकर्मियों) ने कहा, एक नाटक जारी है। इस (नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे) पर न तो बार-बार चर्चा होनी चाहिए और न ही बयानबाजी। प्रशासन में कोई समस्या नहीं है, यह सुचारू रूप से चल रहा है और मुख्यमंत्री (सिद्धरमैया) प्रभावी रूप से इसका संचालन कर रहे हैं। मैं एक और नाटक कंपनी (बयान देने से) नहीं खोलना चाहता।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान सब देख रहा है और समय आने वह निर्णय करेगा।

शशि थरूर बोले– आज का भारत अलग है, इमरजेंसी जैसे हालात दोहराए नहीं जा सकते

नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इससे पता चलता है कि किस तरह से अक्सर आजादी को छीना जाता है. उन्होंने कहा कि आपातकाल यह भी दिखाता है कि कैसे दुनिया 'मानवाधिकारों के हनन' से अनजान रही. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 1975 की इमरजेंसी पर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने इंदिरा गांधी के इस फैसले की जमकर आलोचना की है. लोकतंत्र के समर्थक रहें सतर्क प्रोजेक्ट सिंडीकेट की तरफ से प्रकाशित लेख में थरूर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सत्तावादी नजरिये ने सार्वजनिक जीवन को डर और दमन की स्थिति में धकेल दिया. थरूर ने लिखा कि पचास साल पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल ने दिखाया था कि कैसे आज़ादी को छीना जाता है, शुरू में तो धीरे-धीरे, भले-बुरे लगने वाले मकसद के नाम पर छोटी-छोटी लगने वाली आजादियों को छीन लिया जाता है. इसलिए यह एक ज़बरदस्त चेतावनी है और लोकतंत्र के समर्थकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए. थरूर ने लिखा, 'इंदिरा गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि कठोर कदम जरूरी थे, सिर्फ आपातकाल की स्थिति ही आंतरिक अव्यवस्था और बाहरी खतरों से निपट सकती थी, और अराजक देश में अनुशासन और दक्षता ला सकती थी.' जून 1975 से मार्च 1977 तक करीब दो साल तक चले आपातकाल में नागरिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दी गईं और विपक्षी नेताओं को जेल में भर दिया गया.  उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था की चाहत अक्सर बिना कहे ही क्रूरता में तब्दील हो जाती थी, जिसका उदाहरण इंदिराजी के बेटे संजय गांधी की ओर से चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान थे, जो गरीब और ग्रामीण इलाकों में केंद्रित थे, जहां मनमाने लक्ष्य हासिल करने के लिए ज़बरदस्ती और हिंसा का इस्तेमाल किया जाता था. इमरजेंसी में हजारों लोग हुए बेघर उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में बेरहमी से की गई झुग्गी-झोपड़ियों को ढहाने की कार्रवाई ने हज़ारों लोगों को बेघर कर दिया और उनके कल्याण की कोई चिंता नहीं की गई. उन्होंने लिखा कि आपातकाल ने इस बात का ज्वलंत उदाहरण पेश किया कि लोकतांत्रिक संस्थाएं कितनी कमज़ोर हो सकती हैं, यहां तक कि ऐसे देश में भी जहां वे मज़बूत दिखती हैं. इसने हमें याद दिलाया कि एक सरकार अपनी नैतिक दिशा और उन लोगों के प्रति जवाबदेही की भावना खो सकती है जिनकी वह सेवा करने का दावा करती है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता थरूर ने यह भी बताया कि किस तरह अहम लोकतांत्रिक स्तंभों को खामोश कर दिया गया और हिरासत में यातनाएं दी गईं. एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्याएं बड़े पैमाने पर की गईं, जिससे उन लोगों के लिए 'काली सच्चाई' की तस्वीर सामने आई, जिन्होंने शासन की अवहेलना करने की हिम्मत दिखाई थी.  थरूर ने कहा कि न्यायपालिका भी भारी दबाव के आगे झुक गई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार को निलंबित कर दिया. उन्होंने कहा, 'पत्रकार, कार्यकर्ता और विपक्षी नेता सलाखों के पीछे पाए गए. व्यापक संवैधानिक उल्लंघनों ने मानवाधिकारों के हनन की एक भयावह सीरीज को को जन्म दिया. आज का भारत ज्यादा मजबूत अपने लेख में थरूर ने कहा कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है. हम ज़्यादा आत्मविश्वासी, ज़्यादा समृद्ध और कई मायनों में ज़्यादा मज़बूत लोकतंत्र हैं. फिर भी आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं. सत्ता को केंद्रीकृत करने, आलोचकों को चुप कराने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का लालच कई रूपों में उभर सकता है. उन्होंने कहा कि अक्सर राष्ट्रीय हित, इस अर्थ में आपातकाल एक ज़बरदस्त चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए और लोकतंत्र के समर्थकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए.

केजरीवाल बोले- LG की रुकावटों के बावजूद दिल्ली में किए बहुत काम, ‘मेरे को तो नोबेल प्राइज मिलना चाहिए…

नई दिल्ली आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अमेरिकी राष्ट्रपति जैसी डिमांड कर दी है। ट्रंप की ही तरह केजरीवाल ने भी नोबेल पुरुस्कार की मांग कर दी है। मंगलवार को कहा कि दिल्ली को आज आम आदमी पार्टी की याद आ रही है। भाजपा सरकार ने चार महीनों में सब कुछ बर्बाद कर दिया है। एक के बाद एक मोहल्ला क्लीनिक बंद हो रहे हैं। हमने अस्पतालों में दवाइयाँ मुफ़्त कर दी थीं, लेकिन वो बंद कर दी गईं। मुफ़्त जाँचें बंद कर दी गई हैं। दिल्ली का बुरा हाल है। सारी सड़कें टूटी हुई हैं। हर तरफ गंदगी फैली हुई है। ‘छह घंटे की बिजली कटौती शुरू हो गई है’ मोहाली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “छह घंटे की बिजली कटौती शुरू हो गई है। पिछले सात सालों से दिल्ली में एक मिनट की भी बिजली कटौती नहीं हुई। अभी बारिश का मौसम है, फिर भी बिजली कटौती हो रही है। इनकी नीयत खराब है। हर मंत्री ने अपनी दुकान खोल रखी है। इन्हें पैसा कमाना है, इन्हें सुधारों में कोई दिलचस्पी नहीं है।” ‘मुझे नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए’ उन्होंने आगे कहा, “जब तक हमारी सरकार सत्ता में थी, हमें काम नहीं करने दिया गया। इसके बावजूद हमने काम किया। मुझे लगता है कि मुझे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए क्योंकि मैंने उपराज्यपाल रहते हुए दिल्ली में बहुत काम किया।” अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जून 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। दिल्ली में रात में आठ घंटे बिजली कटौती होती थी। हमने 2013 का चुनाव बिजली आंदोलन के ज़रिए जीता था। 2013 में पहली बार सरकार बनने से पहले, मैंने पूरी दिल्ली का चक्कर लगाया और 15 दिन तक उपवास किया। एलजी की रुकावटों के बावजूद दिल्ली में किए बहुत काम- केजरीवाल नोबेल प्राइज को लेकर AAP नेता केजरीवाल के लिए कोई नॉमिनेशन फिलहाल नहीं किया गया है. फिर भी उनका कहना है, "एलजी के रहते हमने दिल्ली में इतने सारे काम कर दिए. इतनी मुश्किलों के अंदर जानकर ताज्जुब होगा कि हमने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक बनवाए. पांच मोहल्ला क्लीनिक बीजेपी के नगर निगम ने बुल्डोजर भेजकर तोड़ दिए. जिस तरह से इन्होंने हमें परेशान किया…" केजरीवाल ने कहा, "पिछले साल जून में, जब तापमान 50 डिग्री सेल्सियस था, एक मिनट भी बिजली नहीं कटी थी, लेकिन अब बिजली कटौती हो रही है. उन्होंने (बीजेपी) दिल्ली को बर्बाद कर दिया है. वे राजनीति कर रहे हैं, और उन्हें बस पैसा कमाना है. मुझे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए क्योंकि मेरी AAP सरकार ने एलजी की रुकावटों के बावजूद राजधानी में इतना काम किया है." दो साल पहले भी केजरीवाल ने जताई थी नोबेल की इच्छा दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल ने नोबेल प्राइज की अपनी इच्छा पहली बार जाहिर नहीं की है. इससे पहले भी कह चुके हैं कि वह नोबेल प्राइज के हकदार हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान उन्होंने कहा था कि 'एलजी दिल्ली सरकार के कामों में अड़ंगा लगाते हैं और बावजूद इसके इतने सारे काम कर दिए हैं कि मुझे नोबेल प्राइज मिलना चाहिए.' क्या शासन-प्रशासन के लिए भी मिलता है नोबेल प्राइज? नोबेल प्राइज की शुरुआत 1901 में अल्फ्रेड नोबेल की याद में की गई थी. अब तक यह प्राइज अलग-अलग कैटगरी में 627 बार 1012 लोगों और संगठनों को दिया गया है. कुछ को एक से ज्यादा बार नोबेल प्राइज मिलने के साथ कुल 976 लोगों और 28 संगठनों को नोबेल प्राइज मिले हैं. फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मेडिसिन, लिट्रेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस जैसे छह कैटगरी में नोबेल दिए जाते हैं. मसलन, अरविंद केजरीवाल जिस कैटगरी के लिए अपनी इच्छा जाहिर कर रहे हैं उस कैटगरी में नोबेल प्राइज अब तक किसी को नहीं दिया गया है. AAP ने बिजली-पानी मुफ्त दिया आप के राष्ट्रीय संयोजक ने आगे कहा, “आम आदमी को क्या चाहिए? उसे बिजली चाहिए, उसे पानी चाहिए, उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। घर में कोई बीमार हो तो उसका अच्छा इलाज हो। हमने तय किया कि हम हर परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ़्त देंगे। हम हर परिवार को 20 हज़ार लीटर पानी मुफ़्त देंगे। हमने तय किया कि हम स्कूल और अस्पताल ठीक करेंगे।”

उज्जैन में अचानक स्कूलों का टाइम टेबल बदलने के पीछे कलेक्टर की मंशा सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करने की:आरिफ मसूद

उज्जैन  उज्जैन में सावन के महीने में सोमवार को स्कूलों की छुट्टी करने और रविवार को स्कूल लगाने के कलेक्टर के आदेश की कांग्रेस ने आलोचना की है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इसे ‘मुख्यमंत्री को खुश करने’ के लिए उठाया गया कदम बताया है। उन्होंने कहा कि सावन के महीने में महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा दशकों पुरानी है और हर समाज-धर्म के लोग इसका स्वागत करते हैं। ऐसे में अचानक स्कूलों का टाइम टेबल बदलने के पीछे कलेक्टर की मंशा सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करने की है। बता दें कि उज्जैन में श्रावण मास के दौरान भगवान महाकाल की सवारी को देखते हुए स्कूलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। कलेक्टर रौशन सिंह द्वारा जारी आदेश के अनुसार 14 जुलाई से 11 अगस्त तक कक्षा पहली से 12वीं तक के सभी निजी और सरकारी स्कूल रविवार को संचालित होंगे और इसकी बजाय सोमवार को अवकाश रहेगा। उन्होंने कहा कि ये निर्णय महाकाल की सवारी के दौरान होने वाली भीड़ और कई मार्गों के बंद होने के मद्देनजर लिया गया है। उज्जैन में महाकाल की सवारी के दौरान सोमवार को स्कूलों की छुट्टी उज्जैन में सावन के महीने में काफी गहमागहमी रहती है। हर सोमवार को यहां महाकाल की सवारी निकलती है। इसी के साथ देश दुनिया से श्रद्धालु यहां महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं। अब स्थानीय प्रशासन ने ये निर्णय लिया है कि इस बार सावन महीने में हर सोमवार को स्कूलों की छुट्टी रहेगी और उसकी जगह रविवार को स्कूल संचालित होंगे। 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावण मास में इस बार महाकाल मंदिर से कुल छह सवारिया निकलेंगी। पहली सवारी 14 जुलाई को होगी, इसके बाद दूसरी सवारी 21 जुलाई, तीसरी सवारी 28 जुलाई, चौथी सवारी 4 अगस्त और पांचवी सवारी 11 अगस्त को भादौ मास में निकाली जाएगी। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के अनुसार इन पांच सोमवार को स्कूल बंद रहेंगे और रविवार को स्कूल खुलेंगे। 18 अगस्त को निकलने वाली राजसी सवारी के दिन स्थानीय अवकाश रहेगा..इसलिए उससे पहले रविवार को स्कूल नहीं लगेंगे। कलेक्टर के अनुसार यह निर्णय भगवान महाकाल की सवारी के दौरान सुचारू व्यवस्था और भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखकर लिया गया है। आरिफ मसूद ने कहा ‘मुख्यमंत्री को खुश करने की कोशिश’ कांग्रेस ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि महाकाल की सवारी लंबे समय से निकलती आ रही है और इससे पहले कभी भी इस तरह की ज़रूरत महसूस नहीं हुई है। उन्होंने एएनआई के साथ बात करते हुए कहा कि ‘उज्जैन में महाकाल की सवारी बरसों से निकल रही है। परंपरागत रूप से लोग उसका स्वागत करते हैं..प्रत्येक वर्ग के लोग करते हैं। हर समाज हर धर्म का व्यक्ति उसका स्वागत करता है। अफसोस की बात है कि कलेक्टर ऐसा बेतुका आदेश निकालकर सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करना चाहते हैं, इसके अलावा कुछ भी नहीं है। ये परंपरागत जुलूस है और निकलता रहा है तो क्या आवश्यकता है कि एक दिन छुट्टी देकर एक दिन कैंसिल करो। संडे को स्कूल लगाओ। कल को दूसरे धर्म के लोग भी आवाज़ उठाएंगे फिर क्या करेंगे। संविधान से देश चलेगा। एक देश एक संविधान की बात करने वालों को सोचना चाहिए। ये जुलूस बरसों से निकल रहा है..आज से तो शुरु नहीं हुआ। क्या कलेक्टर महोदय बहुत विद्वान हैं ? इनसे पुराने कलेक्टर, पुरानी परंपराएं और संविधान क्या कोई नहीं जानता था ? ये ही जानते हैं बस ? ये आदेश सवारी के लिए या बच्चों की पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि मुख्यमंत्री को खुश करने का आदेश है।’

मध्य प्रदेश में युवा कांग्रेस संगठन चुनाव 20 जून से 19 जुलाई तक चलेगा, दिव्यांग ड्राइवर, पूर्व मंत्री का बेटा भी रेस में

भोपाल  मध्यप्रदेश में युवा कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव चल रहे हैं। 20 जून से शुरू हुई मेंबरशिप और वोटिंग प्रक्रिया 19 जुलाई को खत्म होगी। इस दौरान युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महासचिव से लेकर जिला अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे। राज्य में पहली बार यूथ कांग्रेस के चुनाव ऑनलाइन मोड पर हो रहे हैं। मोबाइल एप से मेंबर बनाकर वोटिंग कराई जा रही है। सदस्यता के लिए 50 रुपए फीस तय की गई है। सोमवार तक 7 लाख 54 हजार सदस्य बनाए जा चुके हैं। 19 उम्मीदवार मैदान में, 5 महिलाएं प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए 19 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सतना के दिव्यांग लोडिंग ऑटो ड्राइवर विनय पांडे भी शामिल हैं। अन्य प्रत्याशियों में यश घनघोरिया, देवेन्द्र सिंह दादू, अभिषेक परमार, जावेद पटेल, नीरज पटेल, प्रमोद सिंह, विश्वजीत सिंह चौहान, राजवीर कुडिया, प्रियेश चौकडे़, अब्दुल करीम कुरैशी, आशीष चौबे, शिवराज यादव, राजीव सिंह के नाम हैं। यूथ कांग्रेस की पांच महिला कार्यकर्ता भी प्रदेश अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रही हैं। इनके नाम योगिता सिंह, गीता कड़वे, शुभांगना राजे जामनिया, स्वीटी पाटिल और मोनिका मांडरे हैं। 19 उम्मीदवारों में से एसटी वर्ग से दो, ओबीसी के 4, एससी के 3 जबकि सामान्य वर्ग के 6 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री घनघोरिया के बेटे को नाथ-सिंघार का समर्थन प्रदेश अध्यक्ष के चुनावी समीकरणों के हिसाब से इस रेस में पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया के बेटे यश घनघोरिया सबसे आगे चल रहे हैं। यश को पूर्व सीएम कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का समर्थन मिल रहा है। वहीं, भोपाल के अभिषेक परमार, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के सहारे प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने की जुगत में हैं। हालांकि, दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि मेरा कोई उम्मीदवार नहीं है। जिला पंचायत सदस्य भी आजमा रहे किस्मत प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में देवास जिले के खातेगांव के रहने वाले राजवीर कुडिया भी मैदान में हैं। राजवीर देवास के जिला पंचायत सदस्य और युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हैं। सीधी जिले के देवेन्द्र सिंह दादू भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार हैं। एप और वेबसाइट के जरिए होगी वोटिंग यह चुनाव Youth Congress Election Authority (YCEA) के मोबाइल एप और वेबसाइट के माध्यम से हो रहे हैं। 18 से 35 साल के बीच की आयु के युवा ₹50 सदस्यता शुल्क का ऑनलाइन पेमेंट करके अपनी पसंद के उम्मीदवारों को वोट दे सकते हैं। सदस्य बनने और वोट डालने की प्रक्रिया YCEA एप या वेबसाइट पर मोबाइल नंबर से लॉगिन करें। ओटीपी डालने के बाद नाम, पता, फोटो, वोटर आईडी/आधार कार्ड अपलोड करें। इसके बाद डिजिटल आईडी जनरेट होगी। सदस्य बनने के बाद उसी पोर्टल/एप से वोट डालना होता है। एक बार ही वोट डालने का मौका मिलेगा, जो तुरंत सब्मिट हो जाता है।