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सीएम योगी का बड़ा फैसला: लेखपाल की रिपोर्ट पर नहीं होगा अंतिम निर्णय

लखनऊ  यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजस्व मामलों की जांच को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब इन मामलों में लेखपाल की रिपोर्ट को अंतिम नहीं माना जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय में जनता दर्शन के दौरान आने वाली शिकायतों के मद्देनजर लेखपाल स्तर की जांच पर रोक लगा दी गई है। अब राजस्व संबंधी शिकायतों की जांच लेखपाल नहीं,नायब तहसीलदार करेंगे। अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। नायब तहसीलदार से नीचे कोई अधिकारी राजस्व मामलों की जांच नहीं करेगा। शिकायतकर्ता को सुनने के बाद ही नायब तहसीलदार अपनी रिपोर्ट देंगे। अंतिम निर्णय और समाधान उपजिलाधिकारी (SDM) स्तर पर होगा। जनता की समस्याओं के प्रति गंभीर रूप अपनाते हुए सीएम कार्यालय ने यह निर्णय लिया है। अब किसी रिपोर्ट से नहीं सुनवाई से न्याय होगा। राजस्व मामलों की जांच की प्रक्रिया में किए गए इस महत्वपूर्ण बदलाव से उम्मीद है कि इन मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी। पहले ऐसी शिकायतों की जांच लेखपाल करते थे। अब लेखपाल की बजाए नायब तहसीलदार ऐसे मामलों की जांच करेंगे। बताया जा रहा है कि इस बदलाव का मकसद राजस्व मामलों की जांच में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार पर नकेल कसना है। कहा जा रहा है कि ऐसे मामलों को लेकर आए दिन शिकायतें आ रही थीं। ऐसी कुछ शिकायतें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन कार्यक्रम में भी पहुंंची थीं। ऐसी शिकायतों पर सीएम योगी ने पूर्व में भी अधिकारियों को अधिक सतर्कता बरतने और जनता की शिकायतों को गुणवत्तापूर्ण ढंग से हल करने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी कहा था कि शिकायतकर्ताओं की समस्या के समाधान के बाद उनका फीडबैक भी लिया जाए। सीएम जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान अक्सर अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि शिकायतकर्ताओं की समस्याओं का समाधान गुणवत्तापूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि जांच प्रक्रिया में बदलाव से जांच में जवाबदेही बढ़ेगी। इससे शिकायतों का निपटारा अधिक गुणवत्तापूर्ण ढंग से होगा।  

सम्पर्क क्रांति में बम की अफवाह बन गई 1700 यात्रियों की टेंशन, झांसी पहुंचकर खुला पूरा मामला

 झांसी  मध्य प्रदेश के झांसी में हजरत निजामुद्दीन से चलकर दुर्ग जाने वाली छत्तीसगढ़ सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस (12824) में शुक्रवार रात बम रखे होने की सूचना से हड़कंप मच गया। ट्रेन में बम रखे होने की सूचना लखनऊ कंंट्रोल रूम को मिली थी। तत्काल झांसी को इस बारे में सूचित किया गया। सूचना मिलते ही रेलवे का अमला अलर्ट हो गया और तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई। इसके बाद आरपीएफ, जीआरपी समेत लोकल पुलिस ने स्टेशन पर डेरा डाल लिया। ट्रेन के रेलवे स्टेशन पर आते ही पुलिस ने पूरी ट्रेन को खाली करा लिया और यात्रियों को उतारकर सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया। लगभग 40 मिनट तक की गई गहन तलाशी के बाद ट्रेन में कुछ नहीं मिला, जिस पर रात लगभग 12:24 बजे ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया। ट्रेन हजरत निजामुद्दीन से चलने के बाद सीधे झांसी में रुकती है। शुक्रवार की रात किसी ने लखनऊ के रेलवे कंट्रोल रूम नम्बर 139 को सूचना दी कि हजरत निजामुद्दीन से चलकर दुर्ग जाने वाली छत्तीसगढ़ सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस में बम रखा है। रेलवे को बम मिलने की सूचना की जानकारी दी गई तो तत्काल सुरक्षा बल अलर्ट हो गया। उसने स्टेशन पर मोर्चा संभाल लिया। प्लैटफॉर्म नंबर 2-3 खाली कराए गए ट्रेन के झांसी आने का समय रात 11 बजे है, लेकिन वह कुछ देर रात 11:32 बजे झांसी आई। एसपी जीआरपी विपुल श्रीवास्तव के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन पर भारी फोर्स तैनात कर दी गई। सिटी मजिस्ट्रेट प्रमोद झा, एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी सिविल पुलिस के साथ मौके पर पहुंच गए। रेल कमांडेंट ट्रेन विवेकानंद नारायण ने बताया कि ट्रेन को झांसी आने पहले ही रेलवे पुलिस ने प्लैटफॉर्म नंबर 2 और 3 खाली कराकर यात्रियों को दूसरे प्लैटफॉर्म की ओर डायवर्ट कर दिया। ट्रेन जैसे ही झांसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी हुई, तत्काल इंजन के बाद वाले कोच से तलाशी अभियान शुरू हो गया। ट्रेन से उतरने वाले सभी यात्रियों की तलाशी ली जाने लगी। कोच के अंदर भी तलाशी शुरू हुई। यह क्रम तब तक चला जब तक कि पूरी ट्रेन की तलाशी नहीं हो गई। पूरी ट्रेन की तलाशी के बाद ही ट्रेन को गंतव्य स्थान के लिए रवाना किया गया।

CM योगी का बयान: तकनीक के सहारे आम बागवानी में रचा गया सफलता का इतिहास

लखनऊ  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम, अवध विहार योजना, सेक्टर 9, में तीन दिवसीय ‘उत्तर प्रदेश आम महोत्सव 2025’ का शुभारंभ किया। इस महोत्सव में देशभर के बागानों से चुनकर लाए गए 800 से अधिक किस्मों के आमों की प्रदर्शनी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि हमारे बागवानों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों के बावजूद तकनीक का उपयोग कर शानदार प्रदर्शन किया है। ढाई से तीन किलो के आमों की किस्में देखकर आश्चर्य होता है, जो न केवल स्वाद में बेजोड़ हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी उत्तर प्रदेश की शान बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आम महोत्सव न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। आम उत्पादन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए लखनऊ, अमरोहा, सहारनपुर और वाराणसी में चार आधुनिक पैक हाउस स्थापित किए गए हैं। इन पैक हाउसों के माध्यम से आम की गुणवत्ता, वैरायटी और एक्सपोर्ट के मानकों की जानकारी किसानों को दी जाती है। आम महोत्सव न केवल आम उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देता है, बल्कि बागवानों में औद्यानिक फसलों, आधुनिक तकनीक और वैश्विक बाजारों के प्रति विश्वास जगाने का भी माध्यम है। सीएम योगी ने आगे कहा कि डबल इंजन सरकार की डबल इंजन नीति ने औद्यानिक फसलों के निर्यात को कई गुना बढ़ाया है। इस महोत्सव के दौरान दो देशों के लिए आमों का एयर कार्गो रवाना किया गया, जिसमें सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी ने बागवानों को बेहतर दाम दिलाने में मदद की। मुख्यमंत्री ने महोत्सव में सभी स्टॉलों का निरीक्षण किया और लखनऊ की दशहरी, वाराणसी का लंगड़ा, गोरखपुर का गवर्जीत, बस्ती का आम्रपाली, मेरठ और बागपत का रटोल जैसी किस्मों की जानकारी ली। उन्होंने बागवानों के परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और तकनीकी नवाचार ने उत्तर प्रदेश को औद्यानिक फसलों का केंद्र बनाया है। योगी सरकार ने बागवानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी, प्रशिक्षण और बाजार की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, जिससे उनकी आय कई गुना बढ़ी है। सीएम योगी ने बताया कि एक समय उत्तर प्रदेश की जीडीपी में कृषि और औद्यानिक फसलों का योगदान 25-30 प्रतिशत था। आज सरकार की नीतियों ने इस क्षेत्र को और सशक्त किया है। अर्जुन सहायक, बांध सागर और सरयू नहर जैसी परियोजनाओं ने बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जल की समस्या का समाधान किया है। परिणामस्वरूप, जहां पहले एक या दो फसलें होती थीं, वहां अब किसान तीन फसलें ले रहे हैं। उन्होंने हरदोई, कानपुर और औरैया के दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि मक्का की खेती से किसान प्रति एकड़ 1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के माध्यम से आधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिया है। गन्ना, मक्का और औद्यानिक फसलों में नए बीज और तकनीकों का उपयोग किसानों की आय को बढ़ा रहा है। 2017 में जहां 5 करोड़ पौधों का रोपण एक चुनौती थी, वहीं अब 9 जुलाई 2025 को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 50 करोड़ पौधों का रोपण किया जाएगा। यह उत्तर प्रदेश की प्रगति और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। महोत्सव में संगोष्ठियों, प्रगतिशील किसानों के अनुभव साझा करने और बायर्स-सेलर्स मीट का आयोजन किया जाएगा। सीएम योगी ने सुझाव दिया कि कमिश्नरी स्तर पर भी ऐसे आयोजन होने चाहिए, ताकि स्थानीय बागवान अपनी फसलों की प्रदर्शनी और बिक्री कर सकें। उन्होंने बागवानों से हल्दी, अदरक और अन्य औद्यानिक फसलों के साथ फूड प्रोसेसिंग को अपनाने का आह्वान किया, ताकि उनकी आय को और बढ़ाया जा सके। यह महोत्सव बागवानों, किसानों और उत्तर प्रदेश की प्रगति को वैश्विक मंच पर ले जाने का एक शानदार मंच साबित होगा।

उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन देगा एक साल में एक लाख 25 हजार नौकरी, युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में मौका

लखनऊ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के युवाओं को देश-विदेश में रोजगार दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. कैबिनेट बैठक में ‘उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन’ के गठन को हरी झंडी दे दी गई. इस मिशन के जरिए प्रदेश सरकार साल भर में एक लाख युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में रोजगार दिलाने और 25 से 30 हजार युवाओं को विदेशों में नौकरी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है. कैबिनेट बैठक के बाद श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि अब तक प्रदेश को विदेशों में नौकरी दिलाने के लिए बाहरी एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन अब इस मिशन के तहत सरकार खुद रिक्रूटिंग एजेंट (RA) का लाइसेंस प्राप्त करेगी, जिससे विदेश भेजने की प्रक्रिया पूरी तरह राज्य सरकार के नियंत्रण में होगी.  अब सरकार खुद दिलाएगी विदेश में नौकरी एक न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि विदेशों में उत्तर प्रदेश के नर्सिंग, पैरामेडिकल, ड्राइविंग, घरेलू कार्य और कुशल श्रम के क्षेत्र में युवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है. रोजगार मिशन राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में सीधा नियोजन करने का अधिकार देगा. अब किसी तीसरी एजेंसी के जरिए नहीं, बल्कि सरकार ही युवाओं को विदेशों में काम दिलाएगी. मिशन की मुख्य विशेषताएं यह होंगी – देश और विदेश में रोजगार की मांग का सर्वे किया जाएगा.  – कंपनियों से सीधा संपर्क किया जाएगा.  – स्किल गैप पहचानकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयाेजित होगा.  – भाषा और प्री-डिपार्चर का प्रशिक्षण दिया जाएगा.  – करियर काउंसलिंग और कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा होगी.  – नियुक्ति के बाद सहयोग और निगरानी भी की जाएगी.  उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि यह मिशन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस सोच को आगे बढ़ाएगा जिसमें हर युवा को हुनर के आधार पर काम देने की बात कही गई थी. उन्होंने कहा  कि 'हर हाथ को काम, हर हुनर को सम्मान' अब केवल नारा नहीं, धरातल पर उतरती योजना है. महिला सशक्तिकरण को मिली नई रफ्तार कैबिनेट बैठक में महिला श्रमिकों के लिए भी बड़ा फैसला लिया गया. अब महिलाएं कुछ शर्तों के साथ उन 29 खतरनाक श्रेणियों के कारखानों में भी काम कर सकेंगी, जहां पहले उनका काम करना प्रतिबंधित था. श्रम मंत्री ने बताया कि पहले ही 12 और फिर हाल में 4 श्रेणियों में उन्हें अनुमति मिल चुकी थी, अब ये दायरा सभी 29 पर लागू होगा. मंत्री राजभर ने कहा, अब वक्त है कि हमारी बहनें भी उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दौड़ में भागीदार बनें. आउटसोर्स कर्मचार‍ियों को सीएम योगी का बड़ा तोहफा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम (यूपीकास) के गठन को मंजूरी दे दी। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार का यह कदम ऐतिहासिक है। अब हर महीने की पांच तारीख तक इन कार्मिकों को वेतन (मानदेय) मिला करेगा। भर्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी, महिला, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांग व पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ अनिवार्य रूप से मिलेगा। परित्यक्ता, तलाकशुदा और निराश्रित महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रस्तावित निगम का गठन कंपनी एक्ट के तहत किया जाएगा। मंत्रिपरिषद की अगली बैठक में निगम के गठन संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में निदेशक मंडल होगा। एक महानिदेशक की भी नियुक्ति की जाएगी। निगम के गठन के बाद आउटसोर्स कार्मिकों का न्यूनतम मानदेय 16 से 18 हजार रुपये महीने हो सकता है। पूर्व में निगम के गठन से संबंधित बैठकों में न्यूनतम मानदेय पर भी चर्चा हुई लेकिन अब निगम के गठन के बाद मानदेय राशि पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सीएम योगी ने अधि‍कार‍ियों को द‍िये न‍िर्देश आउटसोर्सिंग से भर्ती कर्मचारियों के सामाजिक व आर्थिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिया है। मंडल व जिला स्तर पर भी समितियों का गठन होगा। एजेंसियों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से न्यूनतम तीन वर्षों के लिए किया जाएगा। इस समय कार्यरत कार्मिकों की सेवाएं बाधित नहीं होगी और सीएम के निर्देशानुसार उन्हें नए चयन में वरीयता दी जाएगी। ईपीएफ, ईएसआइ तथा बैंकों से प्राप्त होने वाले समस्त लाभ के साथ ही इन कर्मचारियों के बैंक खाते में प्रत्येक माह की पांच तारीख तक उनकी पारिश्रमिक उपलब्ध होगी। निगम को रेगुलेटर (नियामक) की भूमिका में रखा जाएगा जो एजेंसियों की कार्यप्रणाली की निगरानी और नियमों के उल्लंघन पर ब्लैकलिस्टिंग, डिबार, अर्थदंड लगाने के साथ ही वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि नियमित पदों के विरुद्ध कोई भी आउटसोर्सिंग सेवा नहीं ली जाए। चयन के बाद कोई भी कार्मिक तब तक सेवा से मुक्त न किया जाए, जब तक संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की संस्तुति इसके लिए न हो। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) एसपी गोयल, सचिवालय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव अमित घोष के साथ अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कैबिनेट में अन्य फैसले भी  कैबिनेट बैठक में एक और बड़ा फैसला लेते हुए योगी सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ने वाले नए ग्रीनफील्ड लिंक एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी है. करीब 49.96 किलोमीटर लंबा छह लेन का यह एक्सप्रेसवे भविष्य में आठ लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा. इसका निर्माण ईपीसी मॉडल पर होगा, जिस पर राज्य सरकार करीब ₹4775 करोड़ खर्च करेगी. परियोजना के फायदे: – लखनऊ, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर जैसे शहरों के बीच यात्रा होगी और तेज – राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक का दबाव होगा कम – लॉजिस्टिक्स और उद्योगों को मिलेगा बड़ा लाभ – यूपी के एक्सप्रेसवे नेटवर्क को मिलेगा नया विस्तार

उत्तर प्रदेश में अब नक्शा पास कराने की झंझट खत्म, घर के साथ आसानी से खोलिए दुकान

लखनऊ  उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी निर्माण को लेकर बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है। अब अगर आप मकान बना रहे हैं और उसके साथ दुकान भी खोलना चाहते हैं, तो नक्शा पास कराने की झंझट नहीं होगी। साथ ही छोटे भूखंडों पर निर्माण के लिए नक्शा पास कराना अब अनिवार्य नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के शहरी इलाकों के लिए नई भवन निर्माण उपविधियां और आदर्श जोनिंग रेगुलेशन-2025 लागू करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत अब बड़े शहरों में 24 मीटर और छोटे शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर आवासीय भवनों के साथ दुकानें बनाने की छूट दी जाएगी। मकान में ही बना सकेंगे दुकान नई व्यवस्था के तहत अब विकास प्राधिकरणों में नक्शा पास कराने के लिए लंबी प्रक्रियाओं और पैसों की वसूली पर भी लगाम लगाने की कोशिश की गई है. सरकार ने 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक प्लॉट पर नक्शा पास कराने की बाध्यता खत्म कर दी है. इन भूखंडों पर लोग सिर्फ विकास प्राधिकरण में रजिस्ट्रेशन कराकर निर्माण करा सकेंगे. यूपी सरकार ने पुराने नियमों को बदलते हुए ‘उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधियां और आदर्श जोनिंग रेगुलेशन्स-2025’ लागू करने का फैसला किया है. अब बड़ी आबादी वाले शहरों में 24 मीटर और कम आबादी वाले शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़क पर मकान के साथ दुकान बनाने की अनुमति होगी. बिल्डिंग बनाने का नियम भी आसान सरकार ने बिल्डिंग बनाने के नियम भी आसान कर दिए हैं. 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर ऊंची इमारतें बनाने पर अब कोई एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशियो की सीमा नहीं होगी. वहीं, छोटे प्लॉट्स के लिए भी एफएआर बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा ग्रीन रेटेड भवनों को अतिरिक्त एफएआर का फायदा दिया जाएगा. अब 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर शॉपिंग मॉल बनाने की भी इजाजत दी गई है. वहीं, 3000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंड पर ही अस्पताल और शॉपिंग मॉल बन सकेंगे. छोटे भूखंडों पर डॉक्टर्स, आर्किटेक्ट्स, वकीलों जैसे प्रोफेशनल्स को अपने घर का 25 फीसदी हिस्सा दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल करने की छूट मिलेगी, जिसके लिए नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी. पार्किंग के लिए नई व्यवस्था पार्किंग को लेकर भी नई व्यवस्था की गई है. 4000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर अलग से पार्किंग ब्लॉक बनाना होगा, पोडियम और मेकेनाइज्ड ट्रिपल स्टैक पार्किंग की भी अनुमति दी गई है. इसके अलावा अस्पतालों में एंबुलेंस पार्किंग और स्कूलों में बस पार्किंग और पिक-एंड-ड्रॉप ज़ोन बनाने के भी नए प्रावधान किए गए हैं. सरकार का दावा है कि इन बदलावों से शहरी विकास को नई रफ्तार मिलेगी और आम लोगों को राहत भी. सरकार ने नक्शा पास कराने की बाध्यता भी काफी हद तक खत्म कर दी है। अब 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर बिना नक्शा पास कराए निर्माण किया जा सकेगा। केवल विकास प्राधिकरण में पंजीकरण कराना जरूरी होगा। इससे आम लोगों को न केवल राहत मिलेगी बल्कि भ्रष्टाचार और फर्जी वसूली पर भी लगाम लगेगी। इतना ही नहीं, जिन क्षेत्रों में ले-आउट पहले से स्वीकृत है, वहां 500 वर्ग मीटर के आवासीय और 200 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंडों के लिए नक्शा ऑनलाइन दाखिल करने के बाद उसे “ट्रस्ट बेस्ड अप्रूवल” माना जाएगा। यानी संबंधित व्यक्ति की जिम्मेदारी पर नक्शा स्वतः स्वीकृत माना जाएगा, जिससे प्रक्रिया और आसान हो जाएगी। इस नई व्यवस्था से शहरों में मिश्रित भूमि उपयोग (मल्टी यूज जोन) को बढ़ावा मिलेगा। आम नागरिक अब सरल तरीके से घर और व्यवसाय एक साथ शुरू कर सकेंगे। सरकार का मानना है कि यह कदम शहरी विकास को गति देगा और छोटे निवेशकों को भी प्रोत्साहित करेगा।  

मौलवियत की पढ़ाई करने वाली इस लड़की से मौलाना 3 तक करता रहा रेप ! मेरठ का ये मामला चौंका देगा, 3 बार गर्भपात

 मेरठ  उत्तर प्रदेश के मेरठ से हैवानियत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मदरसा छात्रा को मौलाना ने अपनी हैवानियत का शिकार बनाया। छात्रा के साथ वह तीन साल से दुराचार करता रहा। इस बीच छात्रा तीन बार प्रेग्नेंट हो गई। पत्नी के साथ मिलकर मौलाना ने छात्रा का गर्भपात कराया। बच्ची जब शिकायत करने लगी तो उसके बाल काट दिए। उसे पागल करार दे दिया। लोगों को उसकी बात पर भरोसा न करने के लिए मनाया। छात्रा ने जब घर लौटने की बात कही तो मामला बिगड़ गया। इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है। पुलिस आरोपी मौलाना के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई में जुट गई है। अब जानिए पूरा मामला जानकारी मिली है कि यह पूरा मामला मेरठ के लोहिया नगर थाना क्षेत्र के एक मदरसे का है. यहां बिहार की रहने वाली 22 वर्षीय एक युवती ने पुलिस को शिकायत कर बताया कि 3 साल से एक मौलाना उसके साथ रेप कर रहा था. मौलाना की पत्नी भी उसका साथ देती थी. विरोध करने पर उसे पीटा जाता था. युवती का आरोप है कि उसको बंधक भी बनाया गया और जब वह गर्भवती हो गई तो उसका गर्भपात भी करा दिया गया था. पुलिस ने युवती की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आरोपी मौलाना को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने क्या बताया? इस मामले में मेरठ के एसपी (सिटी) आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि 'थाना लोहिया नगर पुलिस को एक युवती द्वारा तहरीर दी गई थी जिसमें एक मौलाना पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस द्वारा तुरंत कार्रवाई करते हुए मौलाना को गिरफ्तार कर लिया गया है. महिला की तहरीर पर सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है. महिला के बयान भी कराए गए हैं जिसमें उसने मौलाना पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मौलाना से पूछताछ की जा रही है. मौलाना और युवती आपस में रिश्तेदार हैं, जो भी आरोप हैं, उनकी जांच की जा रही है. इसमें शुरुआती पूछताछ में अभी प्रेम प्रसंग का मामला सामने आ रहा है. जो भी तथ्य इसमें सामने आएंगे उसके अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.' मेरठ जिले के लोहियानगर क्षेत्र स्थित एक मदरसे से इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। बिहार से मौलवियत की पढ़ाई करने आई 22 वर्षीय छात्रा के साथ वहां के मौलाना ने तीन साल तक लगातार दुष्कर्म किया। पीड़िता ने थाने पहुंचकर पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई है। इसके बाद पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। वहीं, मौलाना की हैवानियत की दास्तां से हर कोई हैरान रह गया। तीन बार करवाया गर्भपात छात्रा का आरोप है कि मौलाना ने उसे कई बार बंधक बनाकर उसकी अस्मिता से खिलवाड़ किया। इस दौरान वह तीन बार गर्भवती हुई। लेकिन, मौलाना ने अपनी पत्नी की मदद से हर बार उसका गर्भपात करा दिया। पीड़िता का कहना है कि विरोध करने पर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। छात्रा को बता दिया पागल पीड़िता जब इस पीड़ा की जानकारी पड़ोसियों को देने की कोशिश करती, तो उसे पागल करार दे दिया जाता। इतना ही नहीं, उसे डराने और चुप कराने के लिए आरोपियों ने उसके बाल भी काट दिए। आखिरकार, जब छात्रा ने 9 जुलाई को ट्रेन से अपने घर लौटने का निर्णय लिया। टिकट बुक कराई तो मौलाना भड़क उठा और उसके खिलाफ हिंसक हो गया। पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना गुरुवार को मौलाना ने छात्रा को एक बार फिर बंधक बना लिया और उसके साथ मारपीट कर दुष्कर्म किया। पीड़िता के चीखने-चिल्लाने पर पड़ोसी मौके पर पहुंचे। लड़की को मौलाना के चंगुल से आजाद कराया। इसके बाद पीड़िता पड़ोसियों के साथ थाने पहुंची। उसने पुलिस को घटना की जानकारी दी। मामला पुलिस में पहुंचने के बाद मौलाना फरार हो गया। लोहियानगर थाना पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर मौलाना की तलाश में जुट गई है। एसएचओ लोहिया नगर ने बताया कि पीड़िता के बयान दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में आयोजित आम महोत्सव 2025 का मुख्यमंत्री योगी ने किया शुभारंभ

लखनऊ लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में तीन दिवसीय आम महोत्सव का शुभारंभ आज से हो गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोत्सव का शुभारंभ किया। इस महोत्सव में आम की 800 प्रजातियों को देखने और चखने का अवसर लोगों को मिलेगा। इस मौके पर सीएम योगी ने हरी झंडी दिखाकर आम के कंटेनर लंदन और दुबई के लिए रवाना किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजन के अनुरूप हमारा किसान आज कृषि की उन्नत तकनीकों को अपना कर लाभ कमा रहा है। आम महोत्सव सिर्फ महोत्सव नहीं है। यह तकनीक के विकास का माध्यम बन रहा है। डबल इंजन की सरकार ने चार पैक हाउस बनाए हैं। इससे निर्यात बढ़ रहा है। औद्यानिक फसलों से जुड़े बागवान को एक्सपोर्ट के लिए प्रशिक्षित करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का आम विदेश भेजा जा रहा है। भविष्य में इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। उत्तर प्रदेश में 25 से 30 फीसदी जीडीपी कृषि की है। इसे बढ़ा रहे हैं। विकसित भारत की संकल्पना आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में जल परियोजनाएं आई। जल की समस्या का समाधान हुआ है। वहां पैदावार बढ़ी है। बहुफसली खेती हो रही है। आलू के बाद मक्का की खेती हो रही है। एक एकड़ मक्का में एक लाख का मुनाफा हो रहा है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित कर रहे हैं। सभी मिलकर खेती और अन्नदाता को आगे बढ़ा रहे हैं। मेडिसिन प्लांट भी लग रहे हैं। इससे आर्थिक समृद्धि आएगी। उन्हांने कहा कि  हमें ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। औद्यानिक विशेषज्ञों को मदद के लिए तैयार रहना होगा। इस मौके पर उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि हमें आम प्रसंस्करण की यूनिट बढ़ाने की जरूरत है जिससे कि पूरे साल प्रदेश के लोगों को आम मिल सके। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में 61 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन हो रहा है। प्रदेश के सभी जिलों की जलवायु के अनुसार वहां आम की पौध उपलब्ध कराई जा रही है जिससे हर जिले में उत्पादक बनें। इसके लिए 28 करोड़ पौधे नर्सरी से बंटवाए गए हैं। प्रदेश में कृषि और उद्यान के लिए क्षेत्रफल लगातार घट रहा है इसलिए उद्यान विभाग की कोशिश है कि ऐसी फसल उपजाई जाए जिसमें कम क्षेत्रफल में अधिक मूल्य मिल सकें। उन्होंने कहा कि जितने क्षेत्रफल में गेहूं 38000 का होता है उतने क्षेत्रफल में 15 लाख की शिमला मिर्च तैयार होती है। उद्यान मंत्री ने बताया कि किसानों के उत्पादों को दुनिया के बाजार में कम लागत में पहुंचाने के लिए जेवर एयरपोर्ट तैयार किया जा रहा है। जेवर एयरपोर्ट के पास इंटीग्रेडेट टेस्टिंग एवं ट्रीटमेंट पार्क का भी निर्माण किया जा रहा है, जिसके माध्यम से दुनिया के बाजार के अनुरूप प्रदेश के किसानों के उत्पादों को तैयार किया जाएगा।

क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा? : मायावती

लखनऊ बिहार राज्य के पटना विश्वविद्यालय के पांच कॉलेजों में लॉटरी के माध्यम से प्रधानाचार्यों (प्रिंसिपल) की नियुक्ति की गई है। यह मामला पूरे देश में चर्चा का बिषय बना हुआ है। इस नियुक्ति को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस तरह से हुई नियुक्ति को लेकर सवाल उठाया और कहा कि किसी भी विशिष्ठ क्षेत्र में इस प्रकार की मनमानी वाला विकृत प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।  मायावती ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि पटना विश्वविद्यालय के पांच प्रतिष्ठित कॉलेजों में 'लाटरी' की नई व्यवस्था के तहत प्रिंसिपलों की नियुक्ति का मामला दिलचस्प होने के कारण देश भर में खासकर मीडिया एवं शिक्षा जगत में काफी चर्चाओं में है। उन्होंने कहा कि स्थापित परम्परा से हटकर 'लॉटरी' के जरिए नियुक्ति की एक प्रकार से विचित्र व्यवस्था लागू करने के कारण केवल कला (आर्ट्स) विषयों की पढ़ाई वाले 1863 में स्थापित पटना कॉलेज में कैमिस्ट्री के प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार प्राचार्य बन गये हैं जबकि बिहार विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान की प्राचार्य प्रो. अल्का यादव विज्ञान की उच्च शिक्षा के लिए प्रख्यात पटना साइंस कॉलेज की नई प्रिंसिपल नियुक्त हुई हैं।  बसपा प्रमुख ने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि इसी प्रकार की नियुक्ति वाणिज्य महाविद्यालय में भी हुई है। यहां पहली बार कला संकाय की महिला प्राध्यापक डॉ. सुहेली मेहता प्राचार्य बनी हैं। हालांकि उनके विषय की पढ़ाई यहां इस कॉलेज में नहीं होती है। साथ ही, महिला शिक्षा जगत में प्रसिद्ध मगध महिला कॉलेज को लम्बे इतिहास में दूसरी बार पुरुष प्रिंसिपल मिले हैं। प्रो. एन.पी. वर्मा यहां के नये प्राचार्य होंगे जबकि प्रो. योगेन्द्र कुमार वर्मा की लॉटरी पटना लॉ कालेज के प्रिन्सिपल के रूप में निकली है। इसको लेकर लोगों में उत्सूकता है कि 'पारदर्शिता व तटस्था' के नाम पर बिहार सरकार तथा वहां के चांसलर ने भी इस प्रकार लॉटरी के माध्यम से की गयी प्रिंसिपल की नियुक्तियों को सही ठहरा कर क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा? मायावती ने कहा कि वास्तव में कॉलेजों के प्रिन्सिपल जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी पूरी पारदर्शिता, तटस्था व ईमानदारी के साथ नियुक्ति नहीं कर पाने की अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ही ऐसा घातक प्रयोग करना लोगों की नजर में उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुधार का कम तथा खराब करने वाला ज्यादा प्रतीत होता है। इसी प्रकार, इसी परम्परा को अपना कर आगे चलकर मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी व अंतरिक्ष विज्ञान आदि जैसी सांइस की उच्च व विशिष्ठ संस्थाओं में भी गै़र-एक्सपर्ट नियुक्त किये जायें तो यह ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आगे लिखा कि वैसे हमारी पार्टी का यह मानना है कि किसी भी विशिष्ठ क्षेत्र में इस प्रकार की मनमानी वाला विकृत प्रयोग ना किया जाये तो उचित है। इससे पहले कि यह रोग गंभीर होकर और ज़्यादा फैले केन्द्र की सरकार को इसका उचित व समुचित संज्ञान लेकर जन व देशहित में जितनी जल्द कार्रवाई करें उतना बेहतर है।  

मुहर्रम जुलूस: शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने सभी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए

प्रयागराज उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावण मास को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां पूरी कर ली हैं। 6 जुलाई को मुहर्रम का जुलूस भी निकाला जाएगा। इसे शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने सभी जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कांवड़ यात्रा और मोहर्रम को लेकर सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जिला प्रशासन ने कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए सभी तैयारियां पूरी करने का दावा किया है। डीएम प्रयागराज रविंद्र कुमार मांदड़ ने बताया कि कांवड़ मार्गों पर सड़कों की मरम्मत, प्रकाश व्यवस्था और स्वच्छता के लिए इंजीनियरिंग विभाग और नगर प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं। संगम से वाराणसी तक जाने वाले प्रमुख मार्ग, जहां कांवड़िए जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर जाते हैं, उनकी मरम्मत शुरू हो चुकी है। डीएम के मुताबिक, कांवड़ यात्रा के दौरान मांस और शराब की दुकानें बंद रहेंगी। डीजे की ध्वनि को भी नियंत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। दशाश्वमेध घाट, जहां कांवड़िए जल भरने आते हैं, वहां महाकुंभ के लिए बने नए पक्के घाट से श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी। घाट पर जल पुलिस, एसडीआरएफ और गोताखोरों की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। डीएम ने बताया कि शहर के प्रमुख शिवालयों जैसे मनकामेश्वर, सोमेश्वर और अन्य मंदिरों में साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मोहर्रम के दौरान ताजियों की ऊंचाई 10 फीट से अधिक न हो, यह निर्देश दिया गया है ताकि बिजली के तारों से दुर्घटना न हो। बीते वर्षों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए इस बार पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क हैं। ताजिया जुलूसों के लिए भी शांति समिति की बैठकों में दिशा-निर्देश दिए गए हैं। डीएम रवींद्र कुमार मांदड़ ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी कांवड़ मार्गों को चिह्नित कर उनकी मरम्मत शुरू की गई है। थाना और तहसील स्तर पर शांति समितियों की बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज प्रशासन ने दोनों आयोजनों को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।  

श्रीकृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका, HC ने हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज की

प्रयागराज  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मंदिर पक्ष की वह अर्जी खारिज कर दी है जिसमें भविष्य की सभी कार्यवाहियों में 'ईदगाह मस्जिद' को 'विवादित संरचना' के रूप में संदर्भित करने की मांग की गई थी। यह अर्जी मामले में पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दाखिल की थी। बीती 23 मई को अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने यह निर्णय सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूद तथ्यों और याचिका के आधार पर मथुरा की शाही ईदगाह को फिलहाल विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता है. जबकि, हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ईदगाह का निर्माण श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित अति प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया था. फिलहाल, सबकी निगाहें अगली सुनवाई पर टिकी हैं.  इस पूरे मामले में हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन दी गई थी. इस पर 23 मई को कोर्ट में बहस पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जो आज सुनाया गया.  हिंदू पक्षकार के मुताबिक, हमने हाई कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था. वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष कोर्ट में पेश नहीं कर सका है. ऐसे में इसे मस्जिद क्यों कहा जाए, विवादित ढांचा घोषित किया जाए. जैसे कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था, उसी तरह शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित करना चाहिए. हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था। वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका। न खसरा खतौनी में मस्जिद का नाम है, न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड। न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ हो चुकी है, फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए? पक्षकार ने इसके लिए मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला दिया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद केस के मंदिर पक्षकार ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को ये प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूरी हो चुकी है। न्यायालय ने अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने बताया कि चार जुलाई को कोर्ट का निर्णय आएगा। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के बैनर तले देश भर में हिंदू चेतना यात्राएं निकली जा रही हैं। इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। जानिए पूरा विवाद  गौरतलब है कि पूरा विवाद मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ जमीन पर है, जिसमें मंदिर और मस्जिद दोनों बनी हैं. जानकारी के मुताबिक, कुल जमीन में 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि है, जबकि बाकीजमीन पर ईदगाह होने का दावा है. हिंदू पक्ष पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बताता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इससे इनकार करता है.  हिंदू पक्ष के अनुसार, 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है. आज यानी 4 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हम इसे विवादित ढांचा नहीं घोषित कर सकते हैं.