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कडलूर में रेलवे ट्रैक पार करते वक्त स्कूल बस को ट्रेन ने मारी जोरदार टक्कर, जानें कैसे हुआ बड़ा हादसा

चेन्नई तमिलनाडु के कडलूर जिले के चेम्मनकुप्पम इलाके में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब तेज रफ्तार से आ रही ट्रेन ने बिना फाटक वाले रेलवे क्रॉसिंग पर स्कूल वैन को जोरदार टक्कर मार दी। इस भयानक हादसे में तीन मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि दस बच्चे और वैन का ड्राइवर गंभीर रूप से जख्मी हो गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब स्कूल वैन रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश कर रही थी, तभी चिदंबरम जा रही एक पैसेंजर ट्रेन ने वैन को टक्कर मार दी और उसे करीब 50 मीटर तक घसीट लिया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वैन पूरी तरह तहस-नहस हो गई। हादसे में तीन बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई। हालांकि बच्चों के नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, वैन में स्कूल के बच्चे सवार थे। हादसे के बाद घायल बच्चों और ड्राइवर को फौरन कडलूर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है। वैन ड्राइवर की लापरवाही से हुआ हादसा स्थानीय लोगों और रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यह हादसा वैन ड्राइवर की लापरवाही की वजह से हुआ। बताया जा रहा है कि ड्राइवर ने ट्रेन को देखने के बावजूद जल्दबाजी में ट्रैक पार करने की कोशिश की। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) और जिला प्रशासन ने हादसे की तहकीकात शुरू कर दी है, ताकि इसकी असल वजह का पता लगाया जा सके और जिम्मेदारों को सजा दी जाए। हादसे की खबर फैलते ही इलाके में गम और गुस्से का माहौल है। स्थानीय लोग मौके पर जमा हो गए और रेलवे क्रॉसिंग पर सुरक्षा इंतजामों की कमी को लेकर नाराजगी जाहिर की। लोगों का कहना है कि स्कूलों के आसपास बिना फाटक वाले क्रॉसिंग खतरनाक हैं और इन्हें तुरंत ठीक करना चाहिए। लोगों को फूटा गुस्सा हादसे की आवाज सुनकर सबसे पहले स्थानीय लोग ही मौके पर पहुंचे। उन्होंने फंसे हुए बच्चों को निकालने की कोशिश की और बचाव दल के आने तक मदद की। गुस्साए लोगों ने रेलवे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और स्कूलों के पास सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जांच के नतीजों के आधार पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। हादसे की पूरी जांच की जा रही है।  

देशभर में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, आईएमडी ने इन राज्यों में होगी भारी बारिश का अलर्ट किया जारी

नई दिल्ली देशभर में मानसून ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है और अब इसका असर लगभग हर राज्य में महसूस किया जा रहा है। कहीं बादल झमाझम बरस रहे हैं तो कहीं हल्की फुहारें राहत पहुंचा रही हैं। लेकिन कई इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने साफ कर दिया है कि अगले कुछ दिनों तक बारिश का यही सिलसिला जारी रहेगा। खास बात यह है कि 8 से 12 जुलाई के बीच देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी के साथ अलर्ट जारी कर दिया गया है। राजस्थान में तेज़ बारिश और आंधी का कहर संभव मौसम विभाग की मानें तो राजस्थान के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में अगले छह दिन बारिश से भीगने वाले हैं। खासतौर पर 9 जुलाई को भारी बारिश का अनुमान है। इसके साथ ही कई क्षेत्रों में तेज़ हवाएं, आंधी और बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं। लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। दिल्ली को मिलेगी गर्मी से राहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी मौसम करवट लेने वाला है। अगले छह दिनों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। इस दौरान कहीं-कहीं तेज़ हवाएं और गरज के साथ बारिश हो सकती है। इससे दिल्लीवासियों को उमस और गर्मी से राहत मिल सकती है। उत्तर भारत में लगातार बरसेंगे बादल उत्तरपश्चिम भारत के राज्यों — उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी अगले कुछ दिनों तक रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। मौसम विभाग ने इन इलाकों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश की चेतावनी दी है। भारत भी होगा बारिश से तरबतर दक्षिण भारत के राज्यों — केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, यनम और लक्षद्वीप में 8 और 9 जुलाई को हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं 9 से 12 जुलाई के बीच इन क्षेत्रों में कई जगहों पर मूसलधार बारिश हो सकती है। कुछ जगहों पर तेज़ हवाएं और बिजली गिरने की आशंका भी बनी हुई है। भारत में तूफानी बारिश की चेतावनी पूर्वोत्तर भारत के राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में अगले छह दिन आंधी और तेज़ बारिश से लोग परेशान हो सकते हैं। गरज के साथ बारिश और तेज़ हवाएं इन क्षेत्रों में सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर सकती हैं। छाए रहेंगे बादल छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में मानसून की पकड़ मजबूत बनी हुई है। 8 से 12 जुलाई तक इन राज्यों के विभिन्न हिस्सों में भारी से लेकर हल्की बारिश का दौर जारी रहेगा। कहीं-कहीं पर जलभराव और बिजली गिरने की आशंका है, जिससे सतर्क रहने की जरूरत है। पश्चिमी भारत में भीषण बारिश की संभावना महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कोंकण और सौराष्ट्र क्षेत्र में अगले छह दिन भारी बारिश होने के संकेत मिले हैं। मौसम विभाग ने इन इलाकों में आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। कुछ स्थानों पर बारिश इतनी तेज़ हो सकती है कि सड़कें जलमग्न हो जाएं और यातायात प्रभावित हो। IMD के मुताबिक, मॉनसून फिलहाल पूरे भारत में सक्रिय है और इसका असर आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। यह सिस्टम बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी लेकर देशभर में बारिश ला रहा है। मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम से जुड़ी ताज़ा अपडेट्स पर नज़र रखें और बारिश से जुड़ी चेतावनियों को हल्के में न लें।  

रिटायरमेंट की तैयारी कर रहे हैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग? राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज

बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 12 साल से अधिक समय से चीन में अपनी सत्ता बरकरार रखे हुए हैं। लेकिन अब जिस तरह का घटनाक्रम सामने आ रहा है उससे कुछ अलग ही संकेत मिल रहे हैं। पहले तो उनके गायब होने की खबरें आईं। अब वे अपने शासनकाल में पहली बार सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख संगठनों को अधिकार सौंपना शुरू कर रहे हैं। शी के इस कदम से अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे व्यवस्थित सत्ता हस्तांतरण के लिए आधार तैयार कर रहे हैं या संभावित रिटायरमेंट की तैयारी के तहत अपनी भूमिका को कम कर रहे हैं।  कम को लेकर नए नियमों की समीक्षा  शी के सत्ता हस्तांतरण के बारे में अटकलें तब तेज हुईं जब सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने हाल ही में बताया कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शक्तिशाली 24-सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो ने 30 जून को अपनी बैठक में पार्टी के संस्थानों के काम को लेकर नए नियमों की समीक्षा की। शी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि ये नियम सीपीसी केंद्रीय समिति की निर्णय लेने वाली, विचार-विमर्श करने वाली और समन्वयकारी संस्थाओं की स्थापना, जिम्मेदारियों और संचालन को और अधिक मानकीकृत करेंगे।  शिन्हुआ की खबर में कहा गया है कि ऐसी संस्थाओं को अपने प्रमुख कार्यों के संबंध में नेतृत्व और समन्वय को लेकर अधिक प्रभावी प्रयोग करने चाहिए और प्रमुख कार्यों की योजना बनाने, चर्चा करने और देखरेख करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर चीन में रहने वाले एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि पार्टी के इन निकायों के लिए निर्धारित किए गए नियम शी के रिटायरमेंट की तैयारी का संकेत हो सकते हैं।  कुछ शक्तियां दूसरों को सौंप सकते हैं जिनपिंग हांगकांग के न्यूज पेपर ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने रविवार को विश्लेषक के हवाले से कहा," सत्ता परिवर्तन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण समय है, लिहाजा हो सकता है कि निकायों को विनियमित करने के लिए ये नए नियम बनाए गए हैं।” हालांकि, दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि सीपीसी के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले शी खुद कुछ बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ शक्तियां दूसरों को सौंप सकते हैं।  ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो’ में चीनी अभिजात्य राजनीति और वित्त मामलों के विशेषज्ञ विक्टर शिह ने कहा कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि शी जिनपिंग शायद दिन-प्रतिदिन के विवरणों पर कम ध्यान देते हैं, जिसके लिए एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।” शी ने रविवार से रियो डी जेनेरियो में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी भाग नहीं लिया। राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है जब वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। शिखर सम्मेलन में चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली कियांग कर रहे हैं।  अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध के बीच उठाया कदम शी ने सत्ता सौंपने का कदम ऐसे समय उठाया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ युद्ध शुरू कर दिया है, चीन का अमेरिका को होने वाला 440 अरब डॉलर का निर्यात बाधित हो रहा है। इसके अलावा चीनी अर्थव्यवस्था भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। अर्थव्यवस्था में निरंतर सुस्ती के कारण विकास में गिरावट आ रही है। इसके अलावा आर्थिक विकास का मुख्य आधार आवास बाजार कमजोर हो रहा है।  शी जिनपिंग का अब तक का कार्यकाल कैसा रहा? साल 2012 में सीपीसी के महासचिव बनकर सत्ता संभालने के बाद से शी सत्ता के केंद्रों यानी पार्टी, राष्ट्रपति पद और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में शक्तिशाली सेना पर अपनी पकड़ को तेजी से मजबूत किया है। इससे पहले शी उपराष्ट्रपति थे। सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उन्होंने चीन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया जिसमें दस लाख से अधिक अधिकारियों को दंडित किया गया और दर्जनों शीर्ष जनरलों को पदों से हटा दिया गया। इस दौरान शी को पार्टी का "मुख्य नेता" घोषित किया गया जबकि इससे पहले यह पद केवल पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग को ही दिया गया था। बाद में, किसी राष्ट्रपति के पांच-पांच साल के दो कार्यकाल के प्रमुख नियम को विधायिका ने संशोधित किया, जिससे 2022 में पार्टी के महासचिव के रूप में और अगले वर्ष देश के राष्ट्रपति के रूप में उनके अभूतपूर्व तीसरे पांच-वर्षीय कार्यकाल के लिए चुने जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। शी के सभी पूर्ववर्ती दो पांच साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो गए, जबकि वह बिना किसी कार्यकाल सीमा के सत्ता में बने रहे और उन्हें आजीवन राष्ट्रपति का तमगा मिला। विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता में बने रहने या सत्ता में भागीदारी करने की उनकी योजना 2027 में होने वाली सीपीसी की अगली पंचवर्षीय कांग्रेस से पहले या उसके दौरान आने की उम्मीद है, तब तक उनका तीसरा कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।

X-गार्ड जैमिंग डिकॉय के जरिए भारत ने कैसे पाकिस्तान को बनाया मूर्ख …US फाइटर पायलट का खुलासा

नई दिल्ली भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को ऐसा चकमा दिया कि उसकी सारी पोल खुल गई. इस ऑपरेशन ने भारतीय वायुसेना (IAF) की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare – EW) रणनीतियों को दुनिया के सामने ला दिया. पूर्व अमेरिकी F-15E स्ट्राइक ईगल और F-16 थंडरबर्ड पायलट रयान बोडेनहाइमर ने IAF की रणनीतियों को "अब तक का सबसे बेहतरीन स्पूफिंग और डिसेप्शन" (भ्रम और धोखा) बताया. उन्होंने इस सफलता का श्रेय राफेल जेट के X-गार्ड जैमिंग डिकॉय और SPECTRA EW सूट को दिया, जिसने पाक की PL-15E मिसाइलों को धोखा दिया. ऑपरेशन सिंदूर ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को शुरू हुआ, जब भारतीय वायुसेना ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब दिया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. इस ऑपरेशन में IAF ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. राफेल, सुखोई Su-30 MKI और मिराज 2000 जेट्स ने SCALP क्रूज मिसाइलों और स्पाइस-2000 बमों का उपयोग कर सटीक हमले किए, बिना भारतीय हवाई क्षेत्र छोड़े. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय जेट्स, जिनमें तीन राफेल शामिल थे, को मार गिराया. लेकिन भारतीय सूत्रों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ये नष्ट हुए डिकॉय (X-गार्ड) थे, न कि असली राफेल जेट्स. इस ऑपरेशन में IAF की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकों ने पाकिस्तान वायुसेना (PAF) को पूरी तरह भ्रमित कर दिया. X-गार्ड जैमिंग डिकॉय: तकनीकी जानकारी X-गार्ड एक इजरायली निर्मित फाइबर-ऑप्टिक टोड डिकॉय (towed decoy) है, जिसे राफेल जेट्स के SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट के साथ एकीकृत किया गया है. यह 30 किलोग्राम का उपकरण राफेल जेट के पीछे तार द्वारा खींचा जाता है. दुश्मन के रडार और मिसाइलों को धोखा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. 360 डिग्री जैमिंग सिग्नल: X-गार्ड 360 डिग्री के दायरे में जैमिंग सिग्नल भेजता है, जो दुश्मन के रडार और मिसाइलों के एक्टिव सीकर्स को भ्रमित करता है. यह रडार सिग्नेचर को नकली बनाता है, जिससे ऐसा लगता है कि यह एक असली जेट है. AI-संचालित तकनीक: X-गार्ड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग होता है, जो रडार सिग्नल के डॉप्लर शिफ्ट (Doppler Shift) और सिग्नेचर की कॉपी करता है.  यह दुश्मन के रडार को भ्रमित करने के लिए रीयल-टाइम में सिग्नल को बदलता रहता है, जिससे मिसाइलें असली जेट के बजाय डिकॉय को निशाना बनाती हैं. डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM): X-गार्ड डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM) तकनीक का उपयोग करता है, जो दुश्मन के रडार सिग्नल को रिकॉर्ड और हेरफेर करता है. यह झूठे लक्ष्य (false targets) बनाता है, जिससे दुश्मन का रडार और मिसाइल सिस्टम गलत दिशा में भटक जाते हैं. एंटी-मिसाइल सुरक्षा: X-गार्ड हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (जैसे PL-15E) और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAMs) दोनों से रक्षा करता है. यह राफेल को मिसाइलों के नो-एस्केप ज़ोन (जहां मिसाइल से बचना मुश्किल होता है) से बाहर रखता है. वज़न और डिज़ाइन: X-गार्ड का वज़न केवल 30 किलोग्राम है, जिससे यह हल्का और प्रभावी है. इसे फाइबर-ऑप्टिक केबल के माध्यम से जेट से जोड़ा जाता है, जो इसे तेज़ गति पर भी स्थिर रखता है. SPECTRA EW सूट: राफेल की रक्षा प्रणाली राफेल जेट का SPECTRA (Système de Protection et d’Évitement des Conduites de Tir du Rafale) इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह थेल्स और MBDA द्वारा विकसित एक प्रणाली है, जो राफेल को दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बचाने के लिए डिज़ाइन की गई है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं… थ्रेट डिटेक्शन: SPECTRA में एक्टिव और पैसिव सेंसर होते हैं, जो 360 डिग्री में रडार और मिसाइल सिग्नल का पता लगाते हैं. यह लो प्रोबेबिलिटी ऑफ इंटरसेप्ट (LPI) रडार डिटेक्शन का उपयोग करता है, जिससे दुश्मन को इसका पता लगाना मुश्किल होता है. जैमिंग और काउंटरमेज़र्स: SPECTRA दुश्मन के रडार और मिसाइलों को भ्रमित करने के लिए चैफ, फ्लेयर्स और डायरेक्टेड जैमिंग का उपयोग करता है. यह एडवांस एल्गोरिदम के साथ रडार सिग्नल को विश्लेषण करता है और तुरंत काउंटरमेज़र्स लागू करता है. एडवांस्ड रडार: SPECTRA राफेल के RBE2-AA एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार के साथ मिलकर काम करता है, जो 145 किमी की दूरी पर 40 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है. डेटा लिंक और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध: SPECTRA राफेल को अन्य जेट्स, AWACS (Airborne Warning and Control System) और ग्राउंड स्टेशनों के साथ रीयल-टाइम डेटा साझा करने की अनुमति देता है, जिससे समन्वित हमले संभव होते हैं.  ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय रणनीति ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने कई उन्नत रणनीतियों का उपयोग किया, जो इसकी सफलता का कारण बनीं.  मल्टी-स्पेक्ट्रम इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: IAF ने DRFM जैमिंग, GPS स्पूफिंग और रडार क्रॉस-सेक्शन मैनिपुलेशन का उपयोग किया. इससे पाकिस्तानी रडार और मिसाइल सिस्टम की सेंसर फ्यूजन और टारगेटिंग एल्गोरिदम बाधित हो गए. राफेल और Su-30 MKI जेट्स ने EL/M-8222 जैमिंग पॉड्स और तरंग रडार वॉर्निंग रिसीवर का उपयोग किया, जिसने PL-15E मिसाइलों के डेटा लिंक और AESA सीकर्स को बाधित किया. X-गार्ड डिकॉय की भूमिका: X-गार्ड ने नकली रडार सिग्नेचर बनाकर पाकिस्तानी J-10C और JF-17 जेट्स को भ्रमित किया. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने राफेल जेट्स को मार गिराया, लेकिन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सूत्रों ने पुष्टि की कि ये X-गार्ड डिकॉय थे. X-गार्ड ने PL-15E मिसाइलों के एक्टिव सीकर्स को गलत लक्ष्य की ओर मोड़ दिया, जिससे मिसाइलें असली जेट्स के बजाय डिकॉय को निशाना बनाती रहीं. लंबी दूरी की सटीक हमले: राफेल जेट्स ने SCALP क्रूज मिसाइलों (450 किमी रेंज) और HAMMER बमों (70 किमी रेंज) का उपयोग किया, जो स्टील्थ और जैम-प्रतिरोधी हैं. ये हथियार भारतीय हवाई क्षेत्र से लॉन्च किए गए, जिससे पायलटों और जेट्स को जोखिम कम हुआ. S-400 और आकाश सिस्टम: भारत की S-400 और आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों ने पाकिस्तानी जेट्स को भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने से रोका. इन प्रणालियों ने पाकिस्तानी J-10C और JF-17 जेट्स को लंबी दूरी से ही मिसाइलें दागने के लिए मजबूर किया, जिससे उनकी सटीकता कम हो गई. पाकिस्तान की PL-15E मिसाइल और उसकी विफलता पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी J-10C और JF-17 ब्लॉक III जेट्स से PL-15E मिसाइलों का उपयोग किया, जो चीन की … Read more

स्टील्थ विमान जितनी बड़ी ताकत, उतनी गोपनीय तकनीक, स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बना रहा भारत

तिरुवनंतपुरम  दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों में से एक ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35B 14 जून को तिरुवनंतपुरम में इमरजेंसी लैंडिंग करने के लिए मजबूर हो गया। इससे एक अनोखी स्थिति पैदा हो गई। यह घटना वैश्विक सैन्य तकनीक के समीकरणों को बदल सकती है। अब, लगभग तीन हफ्ते बाद ब्रिटेन की इंजीनियरिंग टीम एयर इंडिया के एमआरओ (Maintenance, Repair and Overhaul-MRO) हैंगर में मरम्मत का काम शुरू कर रही है। इस काम में इस विमान की अमेरिकी निर्माता कंपनी के इंजीनियर भी योगदान देने के लिए तिरुवनंतपुरम पहुंचे हैं। अमेरिकी और ब्रिटिश विशेषज्ञों की यह एक नई श्रृंखला है। ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स का एयरबस ए400ओम एटलस इन्हें उतारकर तुरंत लौट चुका है। इससे पहले कितने ही इंजीनयर आए और विमान को उड़ने लायक बनाने में नाकाम होकर अपने-अपने देश लौट गए। भारत शुरू से चाहता था कि इस फाइटर जेट को मेंटेनेंस हैंगर में ले जाकर आराम से मरम्मत की कोशिश की जाए। लेकिन, अभी तक ब्रिटिश नेवी ऐसा नहीं करने के लिए अड़ी हुई थी। लेकिन, आखिरकार उन्हें भारत की बात मानने के लिए मजबूर होना पड़ गया। बहरहाल,इस वजह से भारत एक दुर्लभ तकनीकी परिस्थितियों के बीच खड़ा है। स्टील्थ फाइटर जेट की दुर्लभ खराबी और तकनीकी अवसर F-35B में आई अचानक तकनीकी खराबी ब्रिटेन और अमेरिका के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। लेकिन भारत के लिए यह एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। यह विमान 110 मिलियन डॉलर से अधिक का है। इसे कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। यह तब भी देखने को मिला, जब एयरपोर्ट के वीआईपी पार्किंग से इसे एमआरओ हैंगर में खींचकर ले जाया जा रहा था। अब यह अत्याधुनिक अमेरिकी लड़ाकू विमान भारतीय MRO तकनीशियनों और ग्राउंड टीमों की नजरों के सामने है। भले ही जानबूझकर ऐसा न किया जाए, लेकिन संयोग से ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई हैं कि इस स्टील्थ जेट की बनावट, कूलिंग सिस्टम, कोटिंग तकनीक और सेंसर अलाइनमेंट को देखकर भारतीय इंजीनियरों को भी बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। उन्हें अत्याधुनिक अमेरिकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं। स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बना रहा भारत यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत अपना पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) बना रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) वर्षों से स्टील्थ तकनीक पर काम कर रहा है। लेकिन, असली जानकारी और तुलनात्मक डिजाइनिंग के लिए प्रोटोटाइप की कमी के कारण काम में मुश्किलें आती हैं। भारत में F-35B की मौजूदगी से यह देखने को मिलेगा कि एक असली स्टील्थ जेट की तकनीक अंदर से कैसी होती है, उसकी मरम्मत कैसे होती है, और उसे कैसे सर्विस किया जाता है। स्टील्थ विमान जितनी बड़ी ताकत, उतनी गोपनीय तकनीक F-35B कोई साधारण लड़ाकू विमान नहीं है। इसे लॉकहीड मार्टिन जैसी अमेरिकी कंपनी ने बनाया है। इसे नाटो (NATO) के कई देश इस्तेमाल करते हैं। यह रडार से बचने वाली स्टील्थ तकनीक, सुपरसोनिक गति और आधुनिक सेंसरों वाली अत्याधुनिक लड़ाकू मशीन है। ब्रिटिश रॉयल नेवी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली इसकी वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (VTOL) क्षमता इसे और भी खास बनाती है। इसकी मरम्मत और समस्या का समाधान बहुत सावधानी से किया जाता है। इसलिए अभी तक बड़े-बड़े इंजीनियर इसे ठीक करने में नाकाम रहे हैं और न ही इसे किसी बड़े विमान से उठाकर ले जाने में सक्षम हो पाए हैं। अमेरिका और यूके के इंजीनियरों को क्यों डालने पड़े'हथियार' पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई F-35B किसी दूसरे देश में हफ्तों तक मरम्मत के लिए बेबस फंसा रहा हो। आमतौर पर, ऐसे विमानों की मरम्मत तुरंत कड़ी सुरक्षा में की जाती है या उन्हें सुरक्षित बेस पर ले जाया जाता है। भारत में, एक कमर्शियल MRO सुविधा में मरम्मत करने के लिए तैयार होने का फैसला एक बड़ा बदलाव है। यह दिखाता है कि यूके और अमेरिका के पास कोई और विकल्प नहीं था। F-35B केस भारत के लिए तकनीकी और कूटनीतिक जीत भारत ने अबतक इस स्थिति को बहुत ही समझदारी से संभाला है। इससे पता चलता है कि भारत का वैश्विक स्तर पर कितना प्रभाव बढ़ गया है। भारत ने इस विमान के बारे में कोई शोर नहीं मचाया। भारतीय अधिकारियों ने ब्रिटिश इंजीनियरों को बिना किसी परेशानी के काम करने दिया और हर संभव सहयोग किया है। यूके ने भारत को 'निरंतर समर्थन और सहयोग' के लिए धन्यवाद भी दिया है। इस सद्भावना से भारत और यूके के बीच रक्षा सहयोग और बढ़ सकता है। इससे पता चलता है कि भारत के तकनीकी ढांचे और काम करने के तरीके पर भरोसा किया जा सकता है। इससे भविष्य में रक्षा उत्पादन और विमान रखरखाव में संयुक्त उद्यम स्थापित किए जा सकते हैं। अनजाने में ही सही, लेकिन तकनीक के क्षेत्र में बेहतर मौका हालांकि, भारत को इस फाइटर जेट के सिस्टम तक पूरी पहुंच नहीं मिलेगी, और ब्रिटेन संवेदनशील चीजों को बचाने के लिए पूरी सावधानी बरतेगा, लेकिन आसपास काम करने वाले भारतीय इंजीनियरों को जेट के निर्माण, थर्मल शील्डिंग, रडार-एब्सॉर्बिंग मटेरियल या सेंसर लेआउट के बारे में कुछ जानकारी मिल सकती है। DRDO के वैज्ञानिकों और HAL (Hindustan Aeronautics Limited) जैसी एयरोस्पेस कंपनियों के लिए, यह घटना उनके रिसर्च या सिमुलेशन के आधार पर बनाए गए विचारों को सही साबित कर सकती है। कम से कम जानकारी मिलने से भी भारत के स्टील्थ जेट की डिजाइन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। खासकर मटेरियल इंजीनियरिंग, वजन का संतुलन, इंजन कूलिंग और एयरफ्रेम रखरखाव के बारे में जानकारी मिल सकती है। "F-35B की आपातकालीन लैंडिंग और इसके बाद हुई मरम्मत से भारत को मिलने वाले तकनीकी लाभों और भविष्य की रक्षा क्षमताओं पर आपकी क्या राय है? 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एलॉन मस्क ने वैभव तनेजा को थमाई पार्टी के खजाने की चाबी, पॉलिटिक्स भी कॉर्पोरेट स्टाइल में करेंगे

वाशिंगटन  टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की दुनिया में बड़ा नाम बन चुके और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क अब अमेरिका की राजनीति में भी उसी कॉरपोरेट सोच के साथ कदम रख रहे हैं. हाल ही में मस्क ने अमेरिका पार्टी (America Party) नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा की, जिसका मकसद अमेरिका की दो-दलीय राजनीति को चुनौती देना है. इस पार्टी के एफईसी फॉर्म (रजिस्ट्रेशन दस्तावेज) में सबसे खास नाम सामने आया है भारतवंशी वैभव तनेजा का. इस वक्त तनेजा टेस्ला के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) हैं. उन्हें मस्क ने पार्टी का ट्रेजरार और कस्टोडियन ऑफ रिकॉर्ड नियुक्त किया है यानी पार्टी के खजाने की चाबी थमा दी है. यह कदम इस ओर इशारा करता है कि एलन मस्क पार्टी को कॉरपोरेट मैनेजमेंट के तरीके से चलाना चाहते हैं जहां पारदर्शिता, फाइनेंशियल डिसिप्लिन और प्रोफेशनल मैनेजमेंट को प्रायोरिटी दी जाती है. DU ग्रेजुएट वैभव तनेजा को थमा दी अपने खजाने की चाबी दुनियाभर में भारतवंशियों का डंका बज रहा है. दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों में बड़े पदों की कमान भारतवंशी संभाल रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट वैभव तनेजा पर एलन मस्क लगातार भरोसा जता रहे हैं. पहले मस्क ने वैभव को अपनी कंपनी टेस्ला के सीएफओ की जिम्मेदारी सौंपी और अब अपनी पार्टी का ट्रेजरार और कस्टोडियन ऑफ रिकॉर्ड बनाया है. भारत में टेस्ला के विस्तार की भी जिम्मेदारी भारत में टेस्ला के विस्तार और ऑपरेशन की जिम्मेदारी भी वैभव तनेजा के हाथ में है. तनेजा को जनवरी 2021 में टेस्ला की भारतीय इकाई टेस्ला इंजिया मोटर्स एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर भी नियुक्त किया गया था. 2017 में टेस्ला में कर रहे काम वैभव तनेजा के लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रैजुएशन किया है. उन्होंने सीए की भी पढ़ाई की है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्राइवॉटरहाउसकूपर्स में बतौर असिस्टेंट मैनेजर ज्वाइन किया था. उनके पास अकाउंटिंग के क्षेत्र में 2 दशक से भी ज्यादा का अनुभव है. उन्होंने 2017 में टेस्ला ज्वाइन किया था. वैभव सोलरसिटी में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर चुके हैं. टेस्ला ने 2016 में इस कंपनी का अधिग्रहण किया था.

ओडिशा : भारी बारिश, पटरियों पर पानी भरने की वजह से सात घंटे तक रुकी रही वंदेभारत

भुवनेश्‍वर ओडिशा के क्योंझर जिले में शनिवार को दिनभर हुई मूसलधार बारिश ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है. बारिश इतनी तेज थी कि रेलवे ट्रैक पर करीब 3 फीट तक पानी बहने लगा.इसकी वजह से टाटानगर से बेरहमपुर जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को शाम लगभग 7 बजे के आसपास गुहालीडिही स्टेशन पर रोक दिया गया. ट्रेन के अचानक रुकने से यात्रियों में हलचल मच गई. ट्रेन में सफर कर रहे यात्री लंबे समय तक ट्रेन में अटके रहे. हालांकि, किसी यात्री को कोई गंभीर परेशानी नहीं हुई. लेकिन मौसम और इंतजार ने स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया.  7 घंटे बाद रवाना हो सकी ट्रेन  ट्रैक पर पानी का बहाव अधिक होने के कारण ट्रेन को आगे बढ़ाना असुरक्षित था इसलिए उसे वहीं रोका गया. ट्रैक पर पानी कम होने का इंतजार किया गया. लेकिन जब देर तक हालात नहीं सुधरे, तब रेलवे विभाग ने एक रेस्क्यू इंजन की व्यवस्था कर ट्रेन को केन्दुझरगढ़ स्टेशन तक पहुंचाया. करीब 7 घंटे की देरी के बाद, देर रात वंदे भारत ट्रेन आखिरकार आगे रवाना हो सकी.  भारी बारिश की स्थिति में रेल यातायात बहुत प्रभावित हो गया. इससे निपटने के लिए प्रशासन को और भी तेज निर्णय लेने की जरूरत पड़ी. अच्छी बात यह रही कि यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई और कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. रेलवे विभाग हमेशा यात्रियों से अपील करता आया है कि मौसम खराब होने पर यात्रा से पहले स्थिति की जानकारी लें और सावधानी बरतें. ओडिशा के कई जिलों में फिलहाल बारिश का दौर जारी है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.  मौसम विभाग ने जारी किया रेड अलर्ट भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इनमें मयूरभंज और क्योंझर भी शामिल हैं। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में भारी बारिश, तूफान, बिजली और 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की चेतावनी दी है। यह चेतावनी गंगीय पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण जारी की गई है। 17 अन्य जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। यहां भारी बारिश, तूफान और तेज हवाएं चलने की संभावना है।

इजरायली रक्षा कंपनी ने भारतीय वायुसेना को अपनी लेटेस्ट Sky Sting 6th जेनरेशन लॉंग रेंज एयर टू एयर मिसाइल की पेशकश की

तेल अवीव भारत के जिगरी दोस्त इजरायल ने छठी पीढ़ी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल का ऑफर भारत को दिया है। इजरायली रक्षा कंपनी रफायल (Rafael) एडवांस डिफेंस सिस्टम ने भारतीय वायुसेना को अपनी लेटेस्ट Sky Sting 6th जेनरेशन लॉंग रेंज एयर टू एयर मिसाइल की पेशकश की है। यह मिसाइल भारतीय Su-30MKI जैसे प्रमुख लड़ाकू विमानों में लगाया जा सकेगा।  इजरायली कंपनी रफायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव भारतीय वायुसेना की BVR (बियॉन्ड विजुअल रेंज) युद्ध क्षमता को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक अहम कदम है। आधुनिक हवाई युद्ध के लिए डिजाइन की गई यह मिसाइल, तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक बढ़त प्रदान करने का दावा करती है। Sky Sting मिसाइल को एक तीन-चरणीय रॉकेट मोटर से एनर्जी मिलती है और इसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर है। यानि ये मिसाइल 250 किलोमीटर दूर किसी लड़ाकू विमान, सर्विंलास एयरक्राफ्ट या फ्यूल टैंकर एयरक्राफ्ट को चुटकी में मार गिरा सकती है। इस शानदार रेंज के साथ इजरायल का ये मिसाइल दुनिया की सबसे विनाशक मिसाइलों में शुमार हो गई है। चीन के पास पीएल-15 मिसाइल है, जिसका रेंज करीब 200 किलोमीटर है और वो छठी पीढ़ी की लड़ाकू मिसाइल भी नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने चीनी मिसाइल की कब्र खोद डाली थी। इजरायल की Sky Sting मिसाइल की क्षमता क्या है? लंबी दूरी पर लक्ष्यों को भेदने के लिए Sky Sting मिसाइल एयरोडायनामिक लिफ्ट और उच्च गतिशील ऊर्जा का इस्तेमाल करती है, जिसकी वजह से मिसाइल को ना सिर्फ काफी ज्यादा दूरी तक मारने की क्षमता मिलती है, बल्कि ये मिसाइल टारगेट को जवाबी हमले का भी मौका भी नहीं देती। इस मिसाइल में लगे एडवांस RF (रेडियो फ्रीक्वेंसी) सीकर को अत्याधुनिक Electronic Counter-Countermeasures (ECCM) तकनीक से लैस किया गया है, जो दुश्मन की इलेक्ट्रॉनिक जामिंग क्षमताओं को नाकाम करने के लिए डिजाइन किया गया है।  इसका मतलब है कि Sky Sting मिशन के 'एंडगेम' फेज में भी टारगेट को सटीकता से लॉक और नष्ट कर सकती है। यानि अगर दुश्मन के पास स्टील्थ फाइटर जेट है और अगर उसने मिसाइलों को जाम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का जाल बुना है, फिर भी ये मिसाइल उस विमान को मार गिराएगा। यही क्षमता छठी पीढ़ी की लड़ाकू विमानों की है। यानि ये मिसाइल चीनी जे-35 मिसाइल के लिए काल बन जाएगी, अगर पाकिस्तान चीन से उसे खरीदता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत इजरायल के Sky Sting मिसाइल को Su-30MKI, मिराज-2000 और भविष्य के TEDBF (ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर) जैसे प्लेटफार्मों में शामिल कर अपनी हवाई वर्चस्व को काफी ज्यादा मजबूत बना सकता है। इसकी लंबी रेंज भारत को हवा से हवा में युद्ध से काफी पहले दुश्मन को निष्क्रिय करने की क्षमता देगी। इसके अलावा Sky Sting जैसे हथियार भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे दो मोर्चों पर संभावित खतरों का जवाब देने में काफी ज्यादा शक्तिशाली बनाएंगे, खासकर स्टील्थ लड़ाकू विमानों से होने वाली लड़ाई के दौरान। आपको बता दें कि भारत और इजरायल के रक्षा संबंध पहले से ही गहरे हैं। रफायल कंपनी से भारत पहले से ही Barak-8 एयर डिफेंस सिस्टम और Spike एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल खरीद चुका है। ऐसे में Sky Sting मिसाइल को लेकर अगर कोई सौदा हो तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। आने वाले समय में यदि यह सौदा आगे बढ़ता है तो यह भारतीय वायुसेना को न सिर्फ BVR युद्ध में बढ़त देगा, बल्कि देश की रक्षा आत्मनिर्भरता और स्वायत्तता को भी मजबूत करेगा।  

दो सेवानिवृत्त अफसरों ने कायम की मिसाल, गांव में ‘प्रधान जी’ बने दो टॉप अफसर

देहरादून  उत्तराखंड के पहाड़ों से अक्सर पलायन की खबरें आती हैं। लोग बेहतर नौकरी, शिक्षा और जीवन के लिए अपने गाँव छोड़कर शहरों में बस जाते हैं। लेकिन इस बार एक अलग ही कहानी सामने आई है। यह कहानी सुखद है और लोकतंत्र में विश्वास को बढ़ाती है। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव का प्रचार चल रहा है। इस दौरान दो ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने सादगी और सेवा की मिसाल पेश की है। ये हैं रिटायर्ड कर्नल यशपाल नेगी और रिटायर्ड आईजी (IPS) विमला गुंज्याल। दोनों ही अफसर अब अपने-अपने गाँव में निर्विरोध प्रधान चुने गए हैं। कर्नल नेगी पौड़ी गढ़वाल जिले के बीरोंखाल ब्लॉक में और आईजी विमला गुंज्याल पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में प्रधान चुनी गई हैं। कर्नल नेगी पलायन से दुखी थे और आईजी विमला गुंज्याल अपने गांव की सेवा करना चाहती थीं। कर्नल यशपाल नेगी ने बताया कि वे पहाड़ पर क्यों लौटे। उन्होंने कहा कि वे देश के कई हिस्सों में रहे, लेकिन उनका दिल हमेशा गाँव में रहा। दिल्ली में रहने के दौरान भी वे हर महीने गाँव की बैठक में शामिल होते थे। इससे उन्हें लोगों से मिलने का मौका मिलता था। कर्नल नेगी कहते हैं, "पहाड़ का अपनापन, लोगों का प्यार तो उन्हें अपनी तरफ खींच ही लाया, साथ में पलायन एक मुद्दा था जो मुझे कचोटता था।" इसका मतलब है कि उन्हें पहाड़ के लोगों से बहुत प्यार है। साथ ही, वे पलायन की समस्या से भी परेशान थे। वे गाँव छोड़कर जा रहे लोगों को रोकना चाहते थे। कर्नल नेगी ने अपनी पत्नी को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि उनकी वजह से ही वे खाली जमीन को आबाद कर पाए। कर्नल नेगी ने बताया कि जब वे गाँव आए तो उन्होंने मिर्च की खेती शुरू की। पहले ही साल में उन्हें 70-80 हजार रुपये मिले। इससे उनका हौसला बढ़ गया। कर्नल नेगी ने गाँव की खाली पड़ी 45 नाली जमीन (लगभग ढाई एकड़) को जैविक खेती में बदल दिया। इससे उन्होंने कई युवा किसानों के लिए एक उदाहरण पेश किया। कर्नल नेगी ने लोगों से गाँव लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधान इसलिए चुना गया है क्योंकि लोगों ने उनका काम देखा है। उन्होंने फौज में नौकरी की है, इसलिए उनके पास काम का अनुभव है। वे आर्मी ऑर्डिनेंस कोर में थे, जो आर्मी के लिए सामान का प्रबंधन करती है। कर्नल नेगी ने कहा कि गाँव में छोटी-छोटी समस्याएं होती हैं। मुखिया इन समस्याओं को हल करने में मदद करता है। अगर गाँव समृद्ध होगा तो राज्य समृद्ध होगा और फिर देश समृद्ध होगा। उन्होंने चिंता जताई कि उनके यहाँ अधिकांश जमीन बंजर हो गई है। जल और जमीन दोनों ही कम हो रहे हैं। कर्नल नेगी ने कहा कि उनका सफर अब शुरू हुआ है और आगे देखते हैं क्या होता है। कर्नल नेगी चाहते हैं कि पहाड़ में वे लोग वापस आएं जो ऊंचे पदों पर रह चुके हैं और जिनके बच्चे अब सेटल हो चुके हैं। खासकर फौजी भाईयों को वापस आना चाहिए। कर्नल नेगी कहते हैं कि "वोकल फॉर लोकल" बोलना आसान है, लेकिन इसे सच में करना बहुत मुश्किल है। इसका मतलब है कि हमें अपने देश में बने सामान को खरीदना चाहिए। लेकिन ऐसा करना इतना आसान नहीं है। IPS ऑफिसर विमला गुंज्याल दूसरी कहानी है रिटायर्ड IPS अधिकारी विमला गुंज्याल की। वे पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजी विजिलेंस) थीं। उन्होंने 30 साल से ज्यादा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस विभाग में काम किया। रिटायर होने के बाद वे अपने गाँव लौट गईं। गुंजी गाँव पिथौरागढ़ जिले में धारचूला में भारत-चीन सीमा पर है। यह इलाका बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति पदक से सम्मानित विमला गुंज्याल ने दिल्ली-देहरादून की आरामदायक जिंदगी नहीं चुनी। उन्होंने गाँव में जाकर बसने और गाँव की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया। गाँव वालों ने भी उन्हें पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निर्विरोध ग्राम प्रधान चुन लिया। कर्नल नेगी और आईजी गुंज्याल का यह प्रयास उत्तराखंड के गांवों में एक नई उम्मीद लेकर आया है। यह पलायन को रोकने और गांवों को फिर से आबाद करने में मदद कर सकता है। कर्नल यशपाल नेगी और आईजी विमला गुंज्याल की कहानी प्रेरणादायक है। यह दिखाती है कि अगर हम चाहें तो अपने गाँव और समाज के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि रिटायरमेंट के बाद भी जीवन में एक नया मकसद हो सकता है। उनका यह कदम उन लोगों के लिए एक मिसाल है जो अपने गाँव को छोड़कर शहरों में बस गए हैं। इन दोनों अफसरों ने दिखा दिया कि गाँव में रहकर भी तरक्की की जा सकती है। उन्होंने लोगों को यह भी बताया कि गाँव में बहुत संभावनाएं हैं। अगर हम सब मिलकर कोशिश करें तो हम अपने गाँव को फिर से समृद्ध बना सकते हैं।

9 जुलाई को बैंक कर्मचारी करेंगे हड़ताल, बीमाकर्मी भी शामिल होंगे

कोलकाता  ट्रेड यूनियनों का कहना है कि देशभर में मजदूरों के अधिकारों पर हमले हो रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां भी ठीक नहीं है। इनके खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आगामी नौ जुलाई को आम हड़ताल का आह्वान किया है। इसके समर्थन में मजदूर संगठनों, किसान संगठनों और महागठबंधन के घटक दल भी सामने आ रहे हैं। अब बैंक कर्मचारियों के एक संगठन ने भी कहा है कि वे इस हड़ताल में शामिल होंगे। यदि ऐसा हुआ तो आगामी बुधवार को आपको बैंकिंग सुविधाओं से वंचित रहना पड़ सकता है। कहां से आई जानकारी बंगाल प्रोविंशियल बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (Bengal Provincial Bank Employees Association), जो AIBEA से जुड़ा है, ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि AIBEA, AIBOA और BEFI जैसे बैंकिंग सेक्टर के ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को आम हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। बीमा क्षेत्र में भी हड़ताल? एसोसिएशन ने एक बयान में यह भी कहा कि बीमा क्षेत्र (insurance sector) ने भी हड़ताल में शामिल होने का निर्णय लिया है। संगठन के अनुसार, बैंकिंग और अन्य वित्तीय क्षेत्रों में हड़ताल पूरी तरह से सफल रहेगी। हड़ताल पर 15 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी बैंक कर्मचारियों के यूनियन ने दावा किया है कि इस हड़ताल में 15 करोड़ से ज़्यादा कर्मचारी भाग लेंगे। वे सरकार की "प्रो-कॉर्पोरेट आर्थिक सुधारों और एंटी-लेबर नीतियों" का विरोध करेंगे। इसका मतलब है कि कर्मचारी सरकार की उन नीतियों से नाराज़ हैं जो कंपनियों को फायदा पहुंचाती हैं और श्रमिकों के खिलाफ हैं। कर्मचारी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।