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पांच दशक की सबसे भयानक गिरावट डॉलर में आई- भारत और दुनिया पर क्या होगा असर

वाशिंगटन दुनिया की सबसे शक्तिशाली करेंसी यूएस डॉलर जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद से लगातार गिरावट पर है। इस पांच दशकों में सबसे खराब प्रदर्शन है। 2025 की पहली छमाही में इसमें लगभग 11% की गिरावट आई, जो 1973 के बाद से सबसे तेज छमाही गिरावट है और अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर से 13% नीचे है। डॉलर की गिरावट के 3 मुख्य कारण 1. अप्रत्याशित आर्थिक नीतियां ब्लूमबर्ग के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर (जैसे "लिबरेशन डे" टैरिफ) और फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर हमलों ने डॉलर की "सुरक्षित हेवन" छवि को क्षति पहुंचाई है। विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी परिसंपत्तियों की बिकवाली तेज कर दी, जिससे डॉलर इंडेक्स में पहले छह महीनों में 10.8% की गिरावट आई। बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट के तहत टैक्स कट का विस्तार, स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं में कटौती, और कर्ज में $3.3 ट्रिलियन की वृद्धि से राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका। अमेरिकी कर्ज का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात 124% से बढ़कर 2034 तक 134-156% हो सकता है। 2. रेटिंग डाउनग्रेड और निवेशकों का विश्वास घटा मई 2025 में मूडीज ने अमेरिकी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को Aa1 कर दिया, जिसका कारण ब्याज भार बढ़ना और लगातार घाटा बने रहना बताया गया। विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड और इक्विटी में अपनी पोजीशन कम करना शुरू कर दिया। विदेशी निवेशकों के पास अमेरिकी परिसंपत्तियों में $31 ट्रिलियन (इक्विटी: $19 ट्रिलियन, ट्रेजरी: $7 ट्रिलियन, कॉरपोरेट बॉन्ड: $5ट्रिलियन ) का जोखिम है, जिसमें कटौती से डॉलर पर दबाव बढ़ा। 3. ब्याज दरों में कटौती की अटकलें फेड द्वारा 2025 के अंत तक दो से तीन बार ब्याज दरें कम करने की संभावना से डॉलर का आकर्षण कम हुआ है। प्रशासन का दबाव है कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए दरें तेजी से घटाई जाएं। डॉलर के कमजोर होने से आपकी जेब पर क्या पड़ेगा असर गोल्ड : केडिया कमोडिटिज के प्रेसीडेंट अजय केडिया के मुताबिक डॉलर में गिरावट और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के कारण केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। 2025 में सोना रिकॉर्ड ऊंचाई ($3,345/औंस) पर पहुंच गया है । वहीं, अमेरिकी टैरिफ की आशंका से व्यापारियों ने सोना स्विट्जरलैंड से अमेरिका (COMEX) स्थानांतरित किया, जिससे COMEX इन्वेंटरी 300 टन, जो कोविड के बाद सर्वोच्च स्तर है, तक पहुंच गई। दूसरी ओर लंदन में सोने की उपलब्धता कम होने से गोल्ड लीज रेट जनवरी 2025 में 5% तक पहुंच गया, हालांकि अब यह घटकर 1% रह गया है। भारत जैसे देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मई 2025 तक 60.66 अरब डॉलर हो गया, जो एक सप्ताह में $0.48 बिलियन की वृद्धि दर्शाता है। आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1% की गिरावट भारत की विकास दर को 0.3% कम कर सकती है। कच्चा तेल अगर डॉलर कमजोर होता है और रुपया इसके मुकाबले मजबूत है तो इस क्षेत्र को राहत मिलेगी, क्योंकि यह आयात किया जाता है। कच्चे तेल का आयात बिल में कमी आएगी और विदेशी मुद्रा कम खर्च करना होगा। कैपिटल गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान सस्ते होंगे डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती से इस सेक्टर को भी राहत मिलेगी, क्योंकि रुपये की मजबूती से भारत में सस्ते कैपिटल गुड्स मिलेंगे। रुपये मजबूत हो तो इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी लाभ हासिल होगा, क्योंकि सस्ते इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे। रुपये की मजबूती का सकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा। इससे यह सस्ता होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा। फर्टिलाइजर्स की कीमत घटेगी भारत बड़ी मात्रा में जरूरी खाद और रसायन का आयत करता है। रुपये की मजबूती से यह भी सस्ता होगा। आयात करने वालों को यह कम दाम में ज्यादा मिलेगा। इससे इस क्षेत्र को सीधा फायदा होगा। साथ ही किसानों को भी लाभ होगा,उनकी लागत घटेगी जिससे आय बढ़ेगी। सोना वर्सेज डॉलर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ, देश में डेफिसिट स्पेंडिंग के संकट और फेड पर ब्याज में कटौती के दबाव से निवेशकों का डॉलर से मोहभंग हुआ है। यही वजह है कि यूएस डॉलर बियर मार्केट टेरिटरी के करीब पहुंच गया है। हाल के वर्षों में कई देशों ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी कम की है और सोने की हिस्सेदारी बढ़ाई है। ग्लोबल रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी 2025 की दूसरी तिमाही में 23% पहुंच गई जो 30 साल में सबसे ज्यादा है। पिछले छह साल में ग्लोबल रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी दोगुनी हो चुकी है। चीन, तुर्की, भारत और पोलैंड समेत दुनिया के कई देशों के सेंट्रल बैंक तेजी से अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं। चीन के केंद्रीय बैंक ने मई में लगातार सातवें महीने सोने की खरीदारी की। इतना ही नहीं, चीन अपने नागरिकों को भी सोने की होल्डिंग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। साल की दूसरी तिमाही में ग्लोबल रिजर्व में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी 10 परसेंटेज पॉइंट घटकर 44 फीसदी रह गई है जो 1993 के बाद सबसे कम है। रुपये की मजबूती से इन क्षेत्रों को झटका आईटी सेक्टर: रुपये की मजबूती से इस सेक्टर पर प्रतिकूल असर आएगा। कंपनियों को मिलने वाले काम पर आय कम होगी जिससे उनको नुकसान होगा। दवा निर्यात: रुपया मजबूत होने से इस सेक्टर का निर्यात भी घटेगा। हालांकि, भारत बड़ी मात्रा में दवा और उसका कच्चा माल आायत करता है जिसमें उसे थोड़ी राहत मिलगी। कपड़ा क्षेत्र को घाटा: रुपया मजबूत होता है तो इस सेक्टर को निर्यात में काफी नुकसान होता है। टेक्सटाइल निर्यात में भारत वैश्विक रैकिंग में फिलहाल दूसरे स्थान पर मौजूद है। अगर रुपया मजबूत हुआ तो इस सेक्टर को भी काफी नुकसान होगा। पढ़ाई महंगी होगी: रुपया मजबूत होने से विदेशी में पढ़ाई करना महंगा हो जाएगा। साथ ही विदेश यात्रा भी महंगी हो जाएगी।

श्री अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई ,पहलगाम बेस कैंप से आज भक्तों का पहला जत्था बाबा के दर्शनों के लिए रवाना हुआ

जम्मू  जय बाबा भोलेनाथ के जयकारे के साथ अमरनाथ यात्रा 2025 का पहला जत्था बुधवार सुबह पवित्र गुफा के लिए रवाना हो गया. इससे पहले श्रद्धालुओं ने आरती की. इस दौरान भक्तों में जबरदस्त जोश और उत्साह देखा गया. किसी भी खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा के कड़े इतंजाम किए गए हैं. कड़े एवं व्यापक सुरक्षा प्रबंधों के साथ 37 दिन तक चलने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा आज सुबह दो मार्गों से शुरू हो गई. अमरनाथ तीर्थयात्रियों का पहला जत्था क्रमशः नुनवान पहलगाम आधार शिविरों से चंदनवाड़ी और सोनमर्ग की ओर अपनी यात्रा शुरू कर रहा है. तीर्थयात्रियों ने 'हर हर महादेव बम बम बोले' के जयकारों के बीच भगवान शिव के निवास अमरनाथ पवित्र गुफा की ओर अपनी यात्रा शुरू की. अनंतनाग के जिला विकास आयुक्त सैयद फखरुद्दीन हामिद ने नागरिक और पुलिस प्रशासन के अन्य अधिकारियों के साथ सुबह नुनवान आधार शिविर पहलगाम से तीर्थयात्रियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले लगभग 5485 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था कल कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कश्मीर घाटी पहुंचा. इस दौरान चेहरा पहचानने वाली मशीन लगाई गई है. इसी के साथ यात्रा मार्गों पर किसी तरह की उड़ान पर बैन लगाया गया है. स्थानीय मुसलमानों ने अपने बेस कैंपों के रास्ते में तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया. जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार सुबह भगवती नगर बेस कैंप से वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई. कई सुरक्षा व्यवस्थाओं के बीच 5485 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बुधवार को दक्षिण कश्मीर हिमालय में भगवान शिव के 3,880 मीटर ऊंचे गुफा मंदिर की आगे की यात्रा के लिए कश्मीर के दो आधार शिविरों के लिए रवाना हुआ. केंद्रीय मंत्री करंदलाजे यात्रा में शामिल केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने बालटाल बेस कैंप से पवित्र गुफा की ओर अपनी यात्रा शुरू की. बालटाल में केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने एएनआई से कहा कि आज हम सभी भोलेनाथ के दर्शन करने जा रहे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है. भगवान हम सभी का भला करें. यहां का माहौल बहुत खुशनुमा है. लोगों को अच्छा लग रहा है क्योंकि यहां भी विकास कार्य हो रहे हैं.' बालटाल में एक श्रद्धालु मनीषा रमोला ने एएनआई ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं. व्यवस्था वाकई बहुत अच्छी है. बिना उचित दस्तावेज और वैध पहचान पत्र के किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है. यह हमारी सुरक्षा के लिए है. यहां आने का हमारा मकसद पर्यटन नहीं, बल्कि तीर्थयात्रा है. सभी की खुशी और स्वास्थ्य के लिए भगवान से प्रार्थना करती हूं. पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहली अमरनाथ है। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यात्री निवास से पहले जत्थे में 5,469 यात्रियों को रवाना किया गया, वहीं परेड से 423 साधु-संत भेजे गए। देर शाम को बालटाल और पहलगाम में जत्थे पहुंच गए। श्रद्धालु पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। दोनों पारंपरिक रूट से रोजाना 10-10 हजार यात्रियों को पवित्र गुफा के लिए भेजा जाएगा। कठुआ, सांबा, उधमपुर और श्रीनगर के पंथा चौक पर भी जबर्दस्त उत्साह और उमंग के साथ श्रद्धालुओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उपराज्यपाल ने कहा कि भक्तों का उत्साह बता रहा है कि ये यात्रा आतंकवादी घटनाओं से अप्रभावित है और एक बार फिर ऐतिहासिक साबित होगी। आस्था और आत्मखोज की ये यात्रा आतंकी घटनाओं से अप्रभावित हैः उपराज्यपाल उपराज्यपाल ने कहा कि यह पवित्र तीर्थयात्रा आस्था और आत्मखोज की यात्रा है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को आरामदायक यात्रा और गहन आत्मिक अनुभव की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, प्रशासन, जम्मू-कश्मीर के लोग, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने तीर्थयात्रियों के लिए व्यापक व्यवस्था की है। जम्मू शहर एक नई ऊर्जा के साथ जीवंत हो उठा है। तीर्थयात्रियों में उत्साह बहुत है। आतंकवादी घटनाओं से अप्रभावित भोले बाबा के भक्त भारी संख्या में आ रहे हैं और अपनी अपार आस्था का प्रदर्शन कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस साल की यात्रा पिछले वर्षों की तुलना में और भी ऐतिहासिक होगी।   

Al-Qaeda आतंकियों ने 3 भारतीय कर्मचारीयों को किए अगवा, माली में अपहरण की कहानी

नई दिल्ली पश्चिम अफ्रीकी देश माली में हुए आतंकी हमलों के दौरान तीन भारतीय नागरिकों का अपहरण कर लिया गया है. भारत सरकार ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए माली सरकार से तत्काल और सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की अपील की है. विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा जारी बयान के अनुसार, 1 जुलाई को माली के कायेस स्थित डायमंड सीमेंट फैक्ट्री में कुछ सशस्त्र हमलावरों ने मिलकर हमला किया और वहां कार्यरत तीन भारतीय नागरिकों को अगवा कर लिया. अल कायदा से जुड़े संगठन ने ली जिम्मेदारी इस अपहरण की जिम्मेदारी अल-कायदा से जुड़े संगठन 'जमात नुसरत अल-इस्लाम वल मुस्लिमीन' (JNIM) ने माली में हुए अन्य हमलों की जिम्मेदारी ली है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि माली की राजधानी बमाको स्थित भारतीय दूतावास स्थानीय प्रशासन, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सीमेंट फैक्ट्री प्रबंधन के साथ लगातार संपर्क में है. साथ ही, अगवा किए गए भारतीयों के परिवारों को भी हर स्थिति से अवगत कराया जा रहा है. विदेश मंत्रालय की अपील सरकार ने इस घटना को ‘हिंसा का घोर निंदनीय कृत्य’ बताते हुए माली सरकार से हरसंभव प्रयास की अपील की है ताकि भारतीय नागरिकों की जल्द और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हो सके. विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह भारतीयों को हरसंभव सहायता प्रदान करेगा और "अपहृत भारतीय नागरिकों की जल्द से जल्द सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है." सरकार ने माली में रह रहे अन्य भारतीयों को भी सतर्क रहने, सावधानी बरतने और दूतावास से नियमित संपर्क में रहने की सलाह दी है. विदेश मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि विदेशों में भारतीयों की सुरक्षा और भलाई भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.  

PM मोदी ने घाना जाते ही इस दुर्लभ खजाने के लिए कर लिया बड़ा करार

अक्करा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नैचुरल रिसोर्स से भरपूर अफ्रीकी देशों के साथ संबंधों को नई ऊंचाई देने में जुटे हैं. इसके मद्देनजर पीएम मोदी 2 जुलाई 2025 को वेस्‍ट अफ्रीकी देश घाना पहुंचे. उन्‍होंने राष्‍ट्रपति जॉन ड्रमानी महामा के साथ डेलिगेशन स्‍तर की बैठक की और रणनीतिक और सामरिक तौर पर कई महत्‍वपूर्ण करार किए गए. इनमें सबसे महत्‍वपूर्ण रेयर अर्थ मिनरल्‍स की माइनिंग को लेकर बनी सहमति है. बता दें कि रेयर अर्थ मिनरल्‍स से भरपूर चीन ने रेयर मैग्‍नेट के एक्‍सपोर्ट पर लगाम लगाया है, जिससे भारत के इलेक्ट्रिक व्हिकल (EV) प्रोजेक्‍ट को धक्‍का लगा है. ऐसे में पीएम मोदी और घाना के राष्‍ट्रपति महामा के बीच रेयर अर्थ मिनरल्‍स की माइनिंग पर बनी सहमति अपने आप में ऐतिहासिक है. इसके साथ ही भारत ने अफ्रीका से चीन को करारा जवाब देते हुए रेयर अर्थ मिनरल्‍स पर उसके एकाधिकार को तोड़ने के अभियान की शुरुआत भी कर दी है. इसके साथ ही भारत और घाना ने द्विपक्षीय संबंधों को कॉम्प्रिहेंसिव पार्टनरशिप का दर्जा दिया है, जिससे सहयोग के नए दरवाजे खुलने की संभावना बढ़ गई है. भारत और घाना ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाते हुए इन्हें समग्र साझेदारी (Comprehensive Partnership) में बदल दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रमानी महामा के बीच विस्तृत वार्ता के बाद यह महत्वपूर्ण घोषणा की गई. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भारत अब केवल एक भागीदार नहीं, बल्कि घाना की राष्ट्र-निर्माण यात्रा में एक सहयात्री है.’ यह बयान न केवल भारत की अफ्रीका नीति को मजबूती देता है, बल्कि घाना के साथ उसके ऐतिहासिक संबंधों को भी नई दिशा देता है. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तीन दशकों में घाना की पहली आधिकारिक यात्रा थी. राजधानी अकरा पहुंचने पर घाना के राष्ट्रपति महामा ने स्वयं प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत कर विशेष सम्मान दिया. व्यापार और निवेश में बड़ी छलांग की तैयारी दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों में आपसी व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय कंपनियों ने अब तक घाना में लगभग दो अरब डॉलर (17138 करोड़ रुपये) का निवेश किया है और 900 से अधिक प्रोजेक्‍ट ऑपरेट की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि भारत घाना के साथ फिनटेक (FinTech) क्षेत्र में सहयोग को तैयार है और यूपीआई (UPI) डिजिटल भुगतान प्रणाली साझा करने की पेशकश की है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति महामा की बैठक के बाद दोनों देशों के बीच चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. ये समझौते संस्कृति, पारंपरिक चिकित्सा, खनिज संसाधन और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर हैं. रेयर अर्थ मिनरल्‍स माइनिंग पर करार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि भारत घाना के साथ महत्वपूर्ण खनिजों की खोज (रेयर अर्थ मिनरल्‍स) और खनन में सहयोग करेगा. साथ ही रक्षा और मैरीटाइम सिक्‍योरिटी के क्षेत्र में भी दोनों देश साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे. उन्होंने इसे सुरक्षा के लिए एकजुटता (Security Through Solidarity) का मंत्र बताया. बता दें कि रेयर अर्थ मैटीरियल को लेकर इन दिनों पूरी दुनिया में घमासान मचा हुआ है. चीन के मनमाने रवैये की वजह से कई सेंसिटव इंडस्‍ट्री (खासकर ऑटो और डिफेंस सेक्‍टर) के प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. इसे देखते हुए भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए वेस्‍ट अफ्रीकी देश से चीन को सीधा संदेश भी दिया है. आतंकवाद पर चिंता, ग्‍लोबल पीस पर जोर प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत और घाना आतंकवाद को मानवता का शत्रु मानते हैं और इस खतरे से निपटने के लिए सहयोग और समन्वय को और मजबूत करने का निर्णय लिया गया है. पहलगाम हमले के बाद घाना ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई है. वहीं, पश्चिम एशिया और यूरोप में जारी संघर्षों को लेकर दोनों नेताओं ने चिंता जताई और संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाधान का आह्वान किया. पीएम मोदी ने दोहराया कि यह युद्ध का युग नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि भारत और घाना दोनों वैश्विक दक्षिण (Global South) के सदस्य हैं और दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि हमारी G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को G20 की स्थायी सदस्यता मिली.

पीएम मोदी कोघाना देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से किया गया सम्मानित, दोनों देशों के बीच अहम समझौतों पर हुए हस्ताक्षर

अक्करा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को पश्चिम अफ्रीकी देश घाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया। भारतीय प्रधानमंत्री को यह सम्मान उन्हें उनकी 'प्रतिष्ठित राजनीति और प्रभावशाली वैश्विक नेतृत्व' के लिए दिया गया। घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा ने पीएम मोदी को पुरस्कार प्रदान किया। प्रधानमंत्री मोदी पांच देशों की यात्रा के पहले चरण में घाना पहुंचे हैं। इस दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच बैठक हुई, जिसमें अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घाना के राष्ट्रीय सम्मान मिलने की जानकारी दी और कहा, 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द घाना से सम्मानित होने पर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।' अपने स्वीकृति संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि यह पुरस्कार उनके लिए गर्व और सम्मान की बात है। उन्होंने कहा, 'मैं 140 करोड़ भारतीयों की ओर से विनम्रतापूर्वक यह पुरस्कार स्वीकार करता हूं।' उन्होंने पुरस्कार को भारत के युवाओं की आकांक्षाओं और उज्ज्वल भविष्य, इसकी सांस्कृतिक परंपराओं और विविधता तथा घाना और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों को समर्पित किया। पांच वर्षों में व्यापार दोगुना करने का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों ने अपने संबंधों को व्यापक साझेदारी के स्तर तक विस्तार दिया। वार्ता के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने अगले पांच वर्षों में दोतरफा व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है और भारत घाना की विकास यात्रा में न केवल भागीदार है, बल्कि सह-यात्री भी है। चार समझौतों पर हुए हस्ताक्षर दोनों पक्षों ने संस्कृति और पारंपरिक चिकित्सा समेत कई क्षेत्रों में चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। महामा की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'राष्ट्रपति महामा और मैंने द्विपक्षीय संबंधों को एक व्यापक साझेदारी का दर्जा देने का फैसला किया है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर एकमत हैं कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है तथा इस खतरे से निपटने के लिए आपसी सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय लिया गया। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में घाना का साथ मोदी ने कहा, 'हमने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में घाना के सहयोग के लिए आभार जताया।' प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने पश्चिम एशिया और यूरोप में संघर्षों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और बातचीत एवं कूटनीति के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशने का आह्वान किया। मोदी ने कहा, 'यह युद्ध का युग नहीं है, समस्याओं का समाधान बातचीत और कूटनीति के माध्यम से किया जाना चाहिए।'  

चीनी राष्ट्रपति की BRICS से दूरी, 12 साल बाद पहली बार नहीं होंगे शामिल – उठे कई सवाल

बीजिंग ब्राजील में इसी सप्ताह से होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग हिस्सा नहीं लेंगे। उनकी जगह प्रधानमंत्री ली क्यांग सम्मेलन में भाग लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पांच से आठ जुलाई तक 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने वाला है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी भाग लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओनिंग  ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि प्रधानमंत्री ली ब्राजील में होने वाले सम्मेलन में शिरकत करेंगे। हालांकि, उन्होंने इस सवाल का जवाब देने से परहेज किया कि चिनफिंग ने इस सम्मेलन में शामिल नहीं होने का निर्णय क्यों किया। उन्होंने आगे बताया कि वह अपने 12 साल के कार्यकाल में कभी भी ब्रिक्स सम्मेलन में अनुपस्थित नहीं रहे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। मिस्त्र, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई को शामिल करके इस समूह का विस्तार किया गया है।  

सिंधु जल संधि पर भारत ने दी टेंशन, मुल्क को ‘प्यास’ से बचाने के लिए शहबाज का बड़ा ऐलान

 इस्लामाबाद  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार पानी के भंडारण के तरीके को मजबूत करेगी। ये फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने का कदम उठाया था। पाकिस्तान की बडे़ पैमाने पर खेती-बाड़ी सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर निर्भर है। अगर इन नदियों के जलस्तर में कमी आई तो पाकिस्तान दाने-दाने को मोहताज हो जाएगा और बूंद-बूंद पानी को तरस जाएगा। पाक पीएम शहबाज शरीफ ने  नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशन्स सेंटर के दौरे के दौरान इस मसले पर बात की। सरकारी न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि दुश्मन जल समझौते के खिलाफ कदम उठाना चाहता है। जियो न्यूज के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने देश में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसे में उन्होंने संभावित विभागों को वाटर स्टोरेज परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। शरीफ ने भारत पर झुंझलाहट निकालते हुए कहा कि देश में पानी की सुरक्षा को लेकर फैसला लेना जरूरी है क्योंकि दिल्ली की मंशा पानी को हथियार बनाने की है। भारत नहीं तोड़ सकता सिंधु समझौता शहबाज शरीफ ने देश का जल भंडारण बनाने की बात कही तो साथ ही भारत पर गुस्सा भी निकाला। उन्होंन कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐलान किया है लेकिन वह इसे एकतरफा तरीके से निलंबित नहीं कर सकता है। शरीफ ने स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि अदालत ने भी साफ किया है भारत को सिंधु जल संधि को एकतरफा निलंबित करने का कोई अधिकार नहीं है। शरीफ ने आगे कहा, 'सिंधु जल संधि पर अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं के बावजूद पाकिस्तान के लिए भारत के इरादे अच्छे नहीं हैं। वह पानी को हमारे खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की तरफ देख रहा है। इस खतरे को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने अपनी प्रांतों की सरकारों के साथ गैर-विवादास्पद जल भंडारण क्षमता परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का फैसला किया है। पहलगाम के बाद शुरू हुआ विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव की शुरुआत 22 अप्रैल के बाद हुई। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 लोगों की बर्बरता से हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ कई स्तरों पर संबंध तोड़ने का फैसला लिया। इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय भी है। ये संधि भारत-पाक में नदियों का पानी बांटती है। भारत ने इस समझौते से हटते हुए पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने की बात कही है। 'हम पानी को स्टोर करने के लिए कोशिशें करेंगे' शहबाज शरीफ ने कहा, "हमारी हुकूमत ने फैसला किया है कि हम अपनी पानी के भंडार बनाएंगे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तानी सरकार पानी को बरतने के तरीके पर काम करेगी और भंडारण इसमें अहम कड़ी होगी, जिसमें डायमर भाशा डैम जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल होंगे। उन्होंने कहा, "हम अपनी ताकत से अगले कुछ सालों में पानी को स्टोर करने की क्षमता तैयार कर लेंगे। इसमें नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का अहम किरदार होगा।" पहलगाम हमले के बाद अब पाकिस्तान को सता रही पानी की चिंता 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए। भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। ये समझौता दोनों मुल्कों के बीच पानी के बंटवारे का अहम जरिया है। पाकिस्तान का मानना है कि पानी के बहाव में किसी भी तरह की रुकावट उसकी खेती के लिए बड़ा खतरा है।  

9 या 22 जुलाई या फिर अगस्त की 5 तारीख को सामान्य दिन से 1.66 मिलीसेकंड से ज्यादा छोटा होगा

वॉशिंगटन  दुनिया आने वाले कुछ दिनों में पृथ्वी के इतिहास के सबसे छोटे दिन का अनुभव कर सकती है। खगोल भौतिकीविदों ने अपनी एक रिसर्च के आधार पर पाया है कि पृथ्वी की घूर्णन गति बीते पांच साल से बढ़ रही है। साल 2020 से पृथ्वी अपनी धुरी पर सामान्य से अधिक तेजी से घूम रही है, इसकी वजह से हम इतिहास के सबसे छोटा दिन अनुभव कर सकते हैं। यानी ये दिन 24 घंटे से कम का होगा। ये सबसे छोटा दिन इसी महीने यानी जुलाई या फिर अगस्त में देखने को मिल सकती है। खगोल भौतिकीविद् ग्राहम जोन्स ने सबसे छोटे दिन के लिए तीन तारीख बताई हैं। यह इस साल 9 जुलाई या 22 जुलाई या फिर अगले महीने अगस्त की 5 तारीख को हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी पर प्रभाव की वजह से ऐसा होगा। यह दिन सामान्य दिन से 1.66 मिलीसेकंड से ज्यादा छोटा होगा। दिन छोटा क्यों हो रहा है? एक सौर दिन ठीक 86,400 सेकंड यानी 24 घंटे तक चलना चाहिए लेकिन पृथ्वी का घूर्णन कभी भी पूरी तरह से स्थिर नहीं रहा है। रिसर्च बताती हैं कि 2020 में किसी अज्ञात कारण से हमारा ग्रह तेजी से घूमने लगा। इससे दिन का समय घट गया है। 2021 में एक दिन दर्ज किया गया जो सामान्य से 1.47 मिलीसेकंड कम था। 2022 में यह 1.59 मिलीसेकंड कम हो गया और फिर 5 जुलाई, 2024 को रेकॉर्ड बना, जब दिन सामान्य 24 घंटों से 1.66 मिलीसेकंड कम रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2025 में 9 और 22 जलाई या 5 अगस्त, वह अनुमानित तारीख हैं, जब चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से सबसे दूर रखती है। यह पृथ्वी प्रभावित करती है और दिन 24 घंटे से कम का हो जाता है। रिसर्च कहती है कि चंद्रमा अरबों वर्षों से पृथ्वी के घूमने की गति को धीमा कर रहा है। 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी पर एक दिन तीन से छह घंटे तक चल सकता था लेकिन चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव ने पृथ्वी पर दिन की लंबाई 24 घंटे की है। दिन का घटना कितनी बड़ी चिंता दिन के कुछ मिलीसेकंड कम होने का सामान्य जनजीवन पर कोई फर्क नहीं होता है लेकिन तकनीक और दूरसंचार की दुनिया में यह मायने रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो करीब 50 अरब वर्षों में पृथ्वी का घूर्णन चंद्रमा की कक्षा के साथ तालमेल बिठा लेगा। तब हमेशा चंद्रमा का एक ही पक्ष दिखाई देगा यानी यह ग्रह के केवल आधे हिस्से पर दिखाई देगा। हालांकि तब तक धरती पर और भी कई बदलाव आ चुके होंगे।  

ट्रंप ने दी चेतावनी उधर मस्क को 12 अरब डॉलर से अधिक का लगा झटका

वाशिंगटन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। मस्क ने वन बिग ब्यूटीफुल बिल की आलोचना की थी। इसके बाद ट्रंप ने मस्क पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर सरकारी सब्सिडी बंद हो जाए तो मस्क को अपनी दुकान बंद करके दक्षिण अफ्रीका लौटना होगा। वह न सैटेलाइट बना पाएंगे और न ही ईवी बना पाएंगे। ट्रंप के इस बयान के बाद मंगलवार को टेस्ला के शेयरों में भारी गिरावट आई। इस गिरावट से मस्क की नेटवर्थ 12.1 अरब डॉलर घट गई। दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटो कंपनी टेस्ला के शेयर  5.34% गिर गया। ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक मस्क की नेटवर्थ में  12.1 अरब डॉलर की गिरावट आई। उनकी नेटवर्थ अब 351 अरब डॉलर रह गई है। इस साल उनकी नेटवर्थ में 81.9 अरब डॉलर की गिरावट आई है। कुछ महीने पहले तक ट्रंप के खासमखास रहे मस्क अब उनके विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने यहां तक धमकी दी है कि अगर वन बिग ब्यूटीफुल बिल पारित हुआ तो वह अपनी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे।  टेस्ला के शेयर 5.5% तक गिरे मस्क ने चेतावनी दी कि यदि ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ पारित हो गया तो वह एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू कर सकते हैं और उन सांसदों के खिलाफ पैसा खर्च करेंगे जो इस बिल का समर्थन करते हैं. रिपब्लिकन ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है कि मस्क का ट्रंप के साथ बार-बार झगड़ा 2026 के मध्यावधि कांग्रेस चुनावों में उनके अवसरों को नुकसान पहुंचा सकता है. ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने मस्क की आलोचना पर पलटवार करते हुए कहा, “देश के वित्त की मैं देखभाल कर लूंगा.” ट्रंप और मस्क के विवाद का असर यह रहा कि  टेस्ला के शेयरों में 5.5% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. लंबे समय से टेस्ला के निवेशक और फ्यूचर फंड एलएलसी के लिए पैसे का प्रबंधन करने वाले गैरी ब्लैक ने हाल ही में टेस्ला कार की बिक्री में गिरावट के कारण अपने शेयर बेच दिए. उन्होंने बताया कि वे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कब फिर से निवेश करना है. ब्लैक मानते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन क्रेडिट को खत्म करने से टेस्ला को नुकसान होगा. एक्स पर एक अलग पोस्ट में, ब्लैक ने कहा: "पता नहीं एलॉन मस्क को क्यों नहीं दिख रहा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा लाए गए बिल की खिलाफत करने का उनको कितना नुकसान हो सकता है." ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मस्क को अब तक जितनी सब्सिडी मिली है, उतनी शायद किसी इंसान को इतिहास में नहीं मिली… अब कोई रॉकेट लॉन्च नहीं, कोई सैटेलाइट नहीं, न इलेक्ट्रिक कारें – देश की बहुत बचत होगी.” टेस्ला के लिए चुनौतियां ट्रंप और मस्क की इस जंग से टेस्ला के व्यापार पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब कंपनी ऑटोनॉमस रोबोटैक्सी को लेकर दांव लगा रही है. यह प्रोजेक्ट राज्य और संघीय स्तर की मंजूरी पर निर्भर है. विश्लेषकों का मानना है कि ईवी टैक्स क्रेडिट हटने से टेस्ला की कमाई में 1.2 बिलियन डॉलर तक की गिरावट आ सकती है. स्पेसX के पास करीब 22 बिलियन डॉलर के संघीय अनुबंध हैं, वहीं टेस्ला ने पिछले कुछ वर्षों में करीब 11 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू सिर्फ ग्रीन क्रेडिट बेचकर कमाया है. ये क्रेडिट वह कंपनियां खरीदती हैं जो उत्सर्जन नियमों का पालन नहीं कर पातीं. ट्रंप ने पहले भी संकेत दिया था कि वे मस्क की नागरिकता पर सवाल उठा सकते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे मस्क को देश से निकाल देंगे, तो उन्होंने जवाब दिया, “देखेंगे.” दूसरे अमीरों का हाल  दुनिया के टॉप 10 रईसों में से 8 की नेटवर्थ में गिरावट आई। केवल ऐमजॉन के फाउंडर जेफ बेजोस और फ्रांसीसी बिजनसमैन बर्नार्ड अरनॉल्ट फायदे में रहे। अरनॉल्ट की नेटवर्थ में 7.15 अरब डॉलर की उछाल आई जबकि बेजोस की नेटवर्थ 1.1 अरब डॉलर बढ़ गई। मस्क के बाद सबसे ज्यादा नुकसान में मार्क जकरबर्ग रहे। उनकी नेटवर्थ में 6.44 अरब डॉलर की गिरावट आई। वह 254 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं। इस बीच भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 2.24 अरब डॉलर की तेजी आई। इसके साथ ही उनकी नेटवर्थ 112 अरब डॉलर पहुंच गई। इस साल उनकी नेटवर्थ में 20.9 अरब डॉलर की तेजी आई है। वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 16वें नंबर पर हैं। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ 16.7 करोड़ डॉलर की तेजी के साथ 85.3 अरब डॉलर पहुंच गई। इस साल उनकी नेटवर्थ 6.57 अरब डॉलर बढ़ी है और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 20वें नंबर पर बने हुए हैं।

‘छोटी घटना’ कहकर TMC ने दिखाया असली चेहरा, तरुण चुघ बोले – बेटियों का अपमान बर्दाश्त नहीं

नई दिल्ली  कोलकाता गैंगरेप मामले पर टीएमसी नेताओं द्वारा लगातार विवादित बयान दिया जा रहा है और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के बाद मानस भुनिया ने कोलकाता गैंगरेप को 'छोटी घटना' बताया। टीएमसी नेता के इस बयान पर भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि ममता सरकार के एक मंत्री ने बंगाल की बेटियों का अपमान किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने बुधवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, "बंगाल में बेटियों के खिलाफ अपराध लगातार हो रहे हैं और ऐसे जघन्य कृत्य को 'छोटी घटना' बताकर ममता सरकार के एक मंत्री ने बंगाल और भारत की बेटियों का अपमान किया है। इस तरह के बयान से ममता सरकार की बेटियों की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता सबके सामने आ गई है। अपराधी पर पहले से चार एफआईआर दर्ज थे, इसके बावजूद उसे कॉलेज में नौकरी दी गई। ये सोची समझी साजिश है। ममता सरकार अपराधियों की संरक्षक बन गई है। इस मामले में आरोपी के अलावा कॉलेज के प्रबंधक की भी जांच होनी चाहिए। बंगाल की जनता इस लूटेरी और अपराधी सरकार को कठोर सजा देगी।" कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के ‘आरएसएस’ पर टिप्पणी को लेकर तरुण चुघ ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के नेता तानाशाही सोच से गहराई से प्रभावित हैं। इसलिए वे प्रतिबंध, आपातकाल, देश को जेल में बदलने, नेताओं को गिरफ्तार करने, संविधान को दबाने, लोकतंत्र पर हमला करने और संस्थाओं का अपमान करने की बात करते हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस में एक नया फैशन शुरू किया है।" उन्होंने आगे कहा, "आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी और समाज को जोड़ने वाले संगठन पर प्रतिबंध की बात करना कांग्रेस की राष्ट्रविरोधी और सनातन विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। आरएसएस ने समाज को जोड़ा है और वे समाज में सेवा का पर्याय बने हैं। गांधी परिवार और कांग्रेस की चार पीढ़ियों ने हमेशा भारत की सनातन ताकत को कुचलने का प्रयास किया है। उन्होंने आरएसएस को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए, लेकिन संघ प्रखर राष्ट्रवाद, देशभक्ति और सेवा कार्यों के कारण एक नायक के रूप में स्थापित है।" तरुण चुघ ने केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, "पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रोत्साहन योजना युवाओं के लिए आशा की नई किरण बनी है। ये केवल आंकड़ों की बात नहीं है बल्कि भारत के आत्मनिर्भर भविष्य की बुनियाद है। पीएम मोदी ने युवाओं के सपनों को नई उड़ान देने का ऐतिहासिक काम किया है।"