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अमेरिका ने हटाया समर्थन का हाथ, यूक्रेन को नहीं मिलेगी एयर डिफेंस और मिसाइल सहायता

ह्यूस्टन  ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के अपने भंडार की समीक्षा के बाद यूक्रेन को दी जाने वाली 'सैन्य सहायता' के एक हिस्से को रोक दिया है। इसकी पुष्टि व्हाइट हाउस और पेंटागन ने की है। 'व्हाइट हाउस' की प्रवक्ता एना केली ने कहा, "हमारे देश के मिलिट्री सपोर्ट और दुनियाभर के अन्य देशों को दी जाने वाली सहायता की समीक्षा के बाद अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देने के लिए यह फैसला लिया गया है।" कई अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि यह कदम अमेरिकी सैन्य भंडार के बहुत कम होने की चिंताओं के बीच उठाया गया है। सिन्हुआ के अनुसार पिछले महीने अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने यूक्रेन को तीन साल की मदद, यमन के हौथी समूह और ईरान पर हालिया हमलों के बाद हथियारों के अमेरिकी भंडार की समीक्षा करने का आदेश देते हुए एक ज्ञापन जारी किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समीक्षा में यह पाया गया कि पहले प्लेज्ड किए गए कुछ हथियारों का भंडार बेहद कम था। रक्षा विभाग के पॉलिसी अंडर सेक्रेटरी एल्ब्रिज कोल्बी ने कहा कि पेंटागन इस युद्ध को खत्म करने के अपने लक्ष्य के अनुरूप, यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखने के लिए राष्ट्रपति को मजबूत विकल्प प्रदान करना जारी रखेगा। कोल्बी ने कहा, "इसी के साथ, विभाग इस लक्ष्य को हासिल करने के अपने दृष्टिकोण की सख्ती से समीक्षा और अनुकूलन कर रहा है, ताकि अमेरिकी सेनाओं की तैयारी और प्रशासन की रक्षा प्राथमिकताओं को भी सुरक्षित रखा जा सके।" पिछले सप्ताह हेग में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि यूक्रेन, अमेरिका से पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल प्राप्त करने को लेकर बेहद उत्सुक है। ट्रंप ने कहा, "वह एंटी-मिसाइल मिसाइलें चाहते हैं। हम देखेंगे कि क्या हम कुछ उपलब्ध करा सकते हैं। हमें भी उनकी जरूरत है। हम उन्हें इजरायल को भी दे रहे हैं। ये बेहद प्रभावी हैं, सौ प्रतिशत असरदार। यकीन करना मुश्किल है कि यह कितनी प्रभावी हैं। यूक्रेन को किसी और चीज से ज्यादा इन्हीं की जरूरत है।" एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से अमेरिका ने यूक्रेन को 66 अरब डॉलर से अधिक की सैन्य सहायता और हथियार प्रदान किए हैं।

एलन मस्क की Starlink श्रीलंका में हुई एक्टिव, भारत में इंटरनेट क्रांति की तैयारी?

नई दिल्ली एलन मस्क के स्वामित्व वाली सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक ने बुधवार को श्रीलंका में आधिकारिक तौर पर अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। इस लॉन्च के साथ, श्रीलंका दक्षिण एशिया का तीसरा देश बन गया है, जिसे स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस तक पहुंच प्राप्त हुई है। इसी के साथ श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश के बाद भारत का एक और पड़ोसी देश बन गया है, जिसे यह सर्विस प्राप्त हुई है। स्टारलिंक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट अब श्रीलंका में उपलब्ध है।" स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के करीब पहुंच रहा है। पिछले महीने, कंपनी को दूरसंचार विभाग से एक महत्वपूर्ण लाइसेंस मिला, जो पहली बार आवेदन करने के लगभग तीन साल बाद मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक अगले दो महीनों के भीतर भारत में सेवाएं देना शुरू कर सकता है। स्टारलिंक के लिए भारत में परिचालन शुरू करने का अंतिम चरण भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) से औपचारिक मंजूरी है। एजेंसी ने कंपनी को पहले ही एक ड्राफ्ट लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी कर दिया है। एक बार जब दोनों पक्ष इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर देंगे तो स्टारलिंक को भारतीय बाजार में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए आधिकारिक रूप से मंजूरी मिल जाएगी। स्टारलिंक पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट के नेटवर्क के जरिए इंटरनेट सर्विस प्रदान करता है। कंपनी वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े सैटेलाइट समूह का संचालन करती है, जिसमें 6,750 से ज्यादा सैटेलाइट कक्षा में हैं। कंपनी के अनुसार, स्टारलिंक कम देरी के साथ तेज इंटरनेट प्रदान करता है, जिससे यह सीमित कनेक्टिविटी वाले दूरदराज के क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है। एशिया में स्टारलिंक सेवाएं मंगोलिया, जापान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, यमन और अजरबैजान सहित कई देशों में पहले से ही उपलब्ध हैं। विश्व स्तर पर यह 100 से ज्यादा देशों में यूजर्स को सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें रेजिडेंशियल और रोमिंग दोनों तरह के इंटरनेट प्लान पेश किए जाते हैं।

बांग्लादेश में बड़ा सियासी धमाका: शेख हसीना को ICT ने सुनाई 6 माह की जेल

ढाका बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने छह महीने की जेल की सजा सुनाई। स्थानीय मीडिया ने यह खबर दी। ‘ढाका ट्रिब्यून' अखबार ने कहा कि न्यायाधीश मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने यह फैसला जारी किया। इसी फैसले में न्यायाधिकरण ने गैबांधा में गोबिंदगंज के शकील अकंद बुलबुल को दो महीने जेल की सजा सुनाई। प्रधानमंत्री पद से हटने और 11 महीने पहले देश छोड़ने के बाद पहली बार अवामी लीग की नेता को किसी मामले में सजा सुनाई गई है। 

संसद सुरक्षा में सेंध के आरोपी दो युवकों को मिली जमानत, दिल्ली पुलिस ने किया विरोध

नई दिल्ली  संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में बड़ी अपडेट सामने आई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को आरोपियों नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत मंजूर कर दी है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने इन दोनों की जमानत अर्जी का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया। याद दिला दें कि वर्ष 2023 में संसद सत्र के दौरान लोकसभा में घुसकर पीली गैस छोड़ी गई थी और नारेबाजी की गई थी, जिससे संसद की सुरक्षा पर सवाल उठे थे। कोर्ट ने लगाई कुछ शर्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने संसद सुरक्षा में चूक के मामले में आरोपी नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत प्रदान की है, लेकिन इसके साथ कुछ सख्त शर्तें भी लागू की हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दोनों आरोपी जमानत अवधि के दौरान मीडिया से कोई बातचीत नहीं करेंगे और सोशल मीडिया पर भी कोई पोस्ट नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने दोनों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो समान राशि की जमानत के आधार पर राहत दी है। पुलिस ने कोर्ट को क्या बताया? इससे पहले निचली अदालत ने संसद में सुरक्षा व्यवस्था की चूक से जुड़े मामले में आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 21 मई को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। पुलिस ने अदालत में यह तर्क दिया था कि आरोपियों का मकसद 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की भयावह घटनाओं को दोबारा याद दिलाना था।

JP Nadda का बड़ा हमला: हेल्थ फंड का उपयोग नहीं हुआ तो सरकार को जनता से पड़ेगा सामना

बिलासपुर  भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने प्रदेश सरकार को चेताते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रदान की गई आर्थिक सहायता का उपयोग युद्धस्तर पर किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार के पास अब केवल एक वित्तीय वर्ष का समय शेष बचा है, ऐसे में इस राशि का समुचित व त्वरित उपयोग सुनिश्चित होना चाहिए। परिधि गृह बिलासपुर में आयोजित प्रैस वार्ता में जेपी नड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार केवल शाब्दिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी प्रदेश की मदद कर रही है। हमने स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त बनाने के लिए दिल खोलकर सहायता दी है, अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उस पैसे को जमीनी स्तर पर खर्च करे। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने होंगे, ताकि आम जनता को लाभ मिल सके।  जेपी नड्डा ने राज्य सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपील भी की। उन्होंने केंद्र के बजटीय सहयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश को प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पिछले 3 वर्षाें के अंदर एसडीआरएफ के तहत 1736 करोड़, एनडीआरएफ के तहत 1071 करोड़ और एसडीएमएफ के तहत 339 करोड़ प्रदान किए हैं और हाल ही में गृह मंत्री ने पीडीआरआरएफ के तहत 2006 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं। वर्ष 2021 से 2025 तक स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ही आयुष्मान भारत हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत 360 करोड़ 11 लाख रुपए प्रदान किए हैं, जिसमें से केवल प्रदेश सरकार केवल 78 करोड़ ही खर्च कर पाई है। इस योजना के तहत प्रदेश में 73 ब्लॉक लेबल पब्लिक हैल्थ यूनिट बनाए जाने प्रस्तावित हैं, जिनमें से मौजूदा समय में 6 ही बन पाए हैं, जबकि 14 के टैंडर हुए हैं। उन्हाेंने बताया कि इसी प्रकार प्रदेश में 8 क्रिटिकल केयर यूनिट स्थापित होने हैं, जिसमें रोहड़ू, रिकांगपिओ, घवांडल, टांडा, मंडी अस्पताल व पांवटा सहिब शामिल हैं।  जेपी नड्डा ने कहा कि प्रदेश को 15वें वित्तायोग से 521 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिसमें से केवल 128 करोड़ 62 लाख ही खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि गत 25 मई को मुख्यमंत्री उनसे मिलने गए थे। इस दौरान उन्होंने जायका से पैसा दिलवाने का आग्रह किया था, जिस पर गत 30 जून को 1138 करोड़ रुपए केंद्र ने मंजूर किए। इसमें से प्रदेश सरकार को 1024 करोड़ रुपए ग्रांट इन एड दिए गए हैं, जबकि शेष राशि सस्ते लोन पर उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने बताया कि यदि प्रदेश सरकार ने केंद्रीय योजनाएं समय पर लागू नहीं कीं, तो इसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल, नयनादेवी के विधायक रणधीर शर्मा, झंडूता के जीत राम कटवाल, सदर के त्रिलोक जम्वाल व पूर्व मंत्री राजेंद्र गर्ग भी मौजूद रहे।

श्रद्धा की राह पर हादसा: ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर ट्रक पलटा, तीन कांवड़ियों ने गंवाई जान

देहरादून ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर बुधवार सुबह ताछला के पास कांवड़ियों को ले जा रहा ट्रक सड़क पर पलट गया। इस दर्दनाक हादसे में तीन कांवड़ियों की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल पांच यात्रियों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है। सभी कांवड़िए बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और भंडारे के लिए हर्षिल जा रहे थे। हादसा उस वक्त हुआ जब ट्रक (संख्या UP-13-बीटी-8739) फकोट से आगे ताछला के पास अनियंत्रित होकर पलट गया। वाहन में कुल 19 यात्री सवार थे। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और घायलों को ट्रक से निकालकर फकोट और नरेंद्रनगर अस्पताल में भर्ती कराया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए राहत और बचाव कार्य में तेजी लाने व घायलों को हरसंभव उपचार देने के निर्देश दिए।जिलाधिकारी टिहरी ने बताया कि दुर्घटना स्थल पर युद्ध स्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया और सभी घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी बृजेश भट्ट ने बताया कि पुलिस और एसडीआरएफ के जवानों ने किसी तरह सभी को बाहर निकाला है। 5 घायलों को एम्स ऋषिकेश भेजा गया है अन्य को नरेंद्रनगर उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। थानाध्यक्ष नरेंद्रनगर संजय मिश्रा ने बताया कि फकोट और जाजल के बीच ताछला के पास यह दुर्घटना हुई है। सूचना मिलते ही पुलिस ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया। घायलों की सूची: 01- ईश्वर सैनी पुत्र फूल सिंह सैनी आयु 49 वर्ष 02- अतर सिंह पुत्र यादराम आयु 60 वर्ष 03- रवि पुत्र अतर सिंह आयु 30 वर्ष 04- कुलदीप गिरी पुत्र मुकेश आयु 35 वर्ष 05-झम्मन सिंह पुत्र बुद्धु आयु 70वर्ष 06- बनवारी पुत्र किशनलाल आयु 55 वर्ष 07- मुकेश पुत्र मुरारी लाल मित्तल आयु 59 वर्ष 08- प्रेम सिंह पुत्र सोहन आयु 50 वर्ष। 09- जुगनू पुत्र देवी सिंह आयु 35 वर्ष। 10- तुषार पुत्र सुनील प्रजापति आयु 17 वर्ष। 11- भजन लाल पुत्र बाबूलाल आयु 45 वर्ष। 12- लेखराज पुत्र गोपी सिंह आयु 40 वर्ष 13-टिंकू पुत्र रुद्रप्रकाश आयु 29 वर्ष 14- मूलचंद पुत्र लक्ष्मण आयु 40 वर्ष 15-राहुल पुत्र किन्चित आयु 28 वर्ष 16- नकुल पुत्र राहुल आयु 04 वर्ष ये कुल लोग 16 चोटिल है, जिनका उपचार चल रहा है। मृतकों की पहचान: विक्की पुत्र महेंद्र 30 वर्ष सुनील सैनी पुत्र मूलचंद 45 वर्ष तीसरे मृतक की शिनाख्त प्रक्रिया जारी है।  

कुछ राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया, कैसा रहेगा अगले 5 दिनों के मौसम का हाल?

नई दिल्ली मानसून लगभग पूरे देश में पहुंच चुका है। मानसून की एंट्री के साथ ही कई राज्यों में जोरदार बारिश भी देखी जा रही है। खासकर पहाड़ी राज्यों में कहर बरसा रहे मानसून से बाढ़ की स्थिति बन गई है। आईएमडी ने भी कुछ राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। IMD के अनुसार, राजस्थान में बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हाल भी अभी सुधरते हुए नजर नहीं आ रहे है। ऐसे में आइए जानते है कि अगले पांच दिनों में कैसा रहेगा आपके यहां का मौसम…   स्काईमेटवेदर के अनुसार, अगले 24 घंठे की करें तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, कोंकण और गोवा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ जगहों पर भारी बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, बंगाल, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ इलाकों में भारी बारिश और अधिकतर जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। इधर, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, सौराष्ट्र और कच्छ, राजस्थान, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, दिल्ली और केरल में हल्की से मध्यम बारिश के अनुमान लगाए जा रहे है। हालांकि सभी जगहों पर आसमान में बादल बने रह सकते है। कैसा रहेगा अगले पांच दिन का मौसम IMD के अनुसार, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के कई इलाकों में भारी बारिश होने का पूर्वानुमान है। वहीं, उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में मानसून के सक्रिय रहने की बात कही गई है। इधर, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और झारखंड में भी भारी बारिश का पूर्वानुमान है लेकिन कुछ इलाकों में हल्की बारिश भी रह सकती है।

सीएम पेमा खांडू का बड़ा दावा – अरुणाचल प्रदेश बना भारत का टॉप कार्बन सिंक

ईटानगर भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश देश का सबसे बड़ा कार्बन सिंक बनकर उभरा है। इस बात की जानकारी अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने खुद दी है। उन्होंने बताया कि हिमालय की गोद में बसा अरुणाचल प्रदेश भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य में अहम भूमिका निभा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने अरुणाचल प्रदेश को भारत का सबसे बड़ा कार्बन सिंक बताया। साथ ही कुछ डेटा भी शेयर किया है, जिसमें वन क्षेत्र, कार्बन अवशोषण और नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य के बारे में बताया गया है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने एक्स पर लिखा, “भारत का सबसे बड़ा कार्बन सिंक: अरुणाचल प्रदेश। यहां 79 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जो भारत के कुल कार्बन अवशोषण में 14.38 प्रतिशत योगदान दे रहा है। इसके अलावा, यहां 1,021 मिलियन टन कार्बन स्टॉक है, जो देश में सबसे अधिक है। हिमालय की गोद में बसे अरुणाचल प्रदेश की 2070 तक भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य में बेहद अहम भूमिका है।” राज्य के घने जंगल और जैव-विविधता न केवल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रख रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश की यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं असम, नागालैंड, म्यांमार,भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। अरुणाचल प्रदेश, अपने विशाल वन क्षेत्र और कई हजार वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र के साथ भारत के पर्यावरणीय संतुलन का आधार है। यहां के जंगल न केवल कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देते हैं। हालांकि, इस क्षेत्र पर चीन और ताइवान के दावों के कारण भू-राजनीतिक चुनौतियां भी हैं।  

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने घोषणा की कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा की संस्था चलती रहेगी

धर्मशाला तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को घोषणा की कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा की संस्था चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि गदेन फोडरंग ट्रस्ट को ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार होगा। गदेन फोडरंग ट्रस्ट की स्थापना तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने और तिब्बती लोगों के साथ-साथ अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए की गई थी, चाहे उनकी राष्ट्रीयता, धर्म या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। धर्मशाला के पास मैकलियोडगंज में तीन दिवसीय बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान दलाई लामा ने यह महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, “24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की बैठक में मैंने तिब्बत के अंदर और बाहर रहने वाले तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत से जुड़े लोगों के सामने यह स्पष्ट किया था कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखने का फैसला लिया गया है।” तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार केवल गदेन फोडरंग ट्रस्ट को होगा। 6 जुलाई को 90 वर्ष के होने जा रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने धर्मशाला के मैकलियोडगंज में एक बौद्ध सम्मेलन के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने बताया कि 1969 में उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखने का फैसला तिब्बती लोगों और संबंधित समुदायों को करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 90 वर्ष की आयु के आसपास वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं, तिब्बती जनता और बौद्ध धर्म के अनुयायियों से इस पर चर्चा करेंगे। हालांकि, पिछले 14 वर्षों में तिब्बती आध्यात्मिक नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, गैर-सरकारी संगठनों, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया, रूस के बौद्ध गणराज्यों और चीन के बौद्धों ने उन्हें पत्र लिखकर दलाई लामा की संस्था को जारी रखने की मांग की। खासकर तिब्बत में रहने वाले लोगों ने भी विभिन्न माध्यमों से यही अपील की। इन सभी अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए दलाई लामा ने पुष्टि की कि उनकी संस्था भविष्य में भी चलेगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि सितंबर 2011 में दिए गए बयान के अनुसार, भविष्य के दलाई लामा को मान्यता देने की जिम्मेदारी केवल उनके कार्यालय और गदेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी। यह ट्रस्ट तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए बनाया गया है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपनी संस्था और पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर स्पष्ट बयान दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गदेन फोडरंग ट्रस्ट को होगा। किसी अन्य व्यक्ति या समूह को इसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होगी। दलाई लामा ने कहा कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं और शपथबद्ध धर्म रक्षकों के परामर्श से होगी। यह प्रक्रिया दर्शन, संकेत और आध्यात्मिक अनुष्ठानों पर आधारित होगी, जैसा कि तिब्बती परंपरा में होता है। उन्होंने जोर दिया कि दलाई लामा का पुनर्जन्म नियुक्त नहीं किया जाता, बल्कि इसे पवित्र प्रक्रिया के जरिए मान्यता दी जाती है। इस प्रक्रिया में केवल दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी की पहचान कर सकते हैं।  

भारतीय सेना, भूटान की इस परिवर्तनकारी पहल में हर संभव सहयोग करती रहेगी: थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी

नई दिल्ली भारत के थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी भूटान की आधिकारिक यात्रा पर हैं। बुधवार को वह भूटान के जम्तशोलिंग स्थित ग्यालसुंग अकादमी पहुंचे। इस अवसर पर उन्हें भूटान के सैन्य अधिकारियों ने पंचम राजा की दूरदर्शी राष्ट्र निर्माण एवं युवा सशक्तीकरण योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जनरल द्विवेदी ने भारत और भूटान के बीच की गहरी और ऐतिहासिक मित्रता को दोहराते हुए आश्वस्त किया कि भारतीय सेना, भूटान की इस परिवर्तनकारी पहल में हर संभव सहयोग करती रहेगी। जनरल द्विवेदी ने अकादमी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान भूटान के युवाओं के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने अकादमी की आधुनिक अधोसंरचना एवं भावी योजनाओं की भी प्रशंसा की, जो कि महामहिम राजा के भव्य दृष्टिकोण को साकार करेंगी। इससे पूर्व, भूटान के महामहिम राजा और महामहिम रानी ने ताशीछो जोग में जनरल उपेंद्र द्विवेदी को आमंत्रित किया। यहां राजा का कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और कई मंत्रालय है। भारतीय सेनाध्यक्ष का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। अपने चार दिवसीय आधिकारिक दौरे के दौरान, सेना प्रमुख ने ताशीछो जोग स्थित नेशनल मेमोरियल चोर्टेन में भूटान के तीसरे राजा महामहिम जिग्मे दोरजी वांगचुक को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने यहां एक प्रभावशाली गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण भी किया। भारतीय सेनाध्यक्ष ने यहां रॉयल भूटान सेना के मुख्य परिचालन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग से भी मुलाकात की है। थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सोमवार को भूटान की आधिकारिक यात्रा पर रवाना हुए थे। सेनाध्यक्ष का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। यह यात्रा भारत और भूटान के बीच लंबे समय से चले आ रहे गहरे व विश्वासपूर्ण रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना है। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि जनरल द्विवेदी की यह यात्रा भारत-भूटान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी और पारस्परिक विश्वास को दर्शाती है। भारतीय सेना के मुताबिक यह दौरा भारत की अपने पड़ोसी देश भूटान के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराता है। सेना प्रमुख का यह दौरा दोनों राष्ट्रों के बीच पारंपरिक मित्रता तथा सहयोग को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। गौरतलब है कि इसी वर्ष रॉयल भूटान सेना के मुख्य परिचालन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए थे। उनकी भारत यात्रा के दौरान भारत ने भूटान को रक्षा तैयारियों में मदद देने की बात की थी।