News Aazad Bharat

राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने अधिकारियों को निर्देश दिए की नई बन रही सड़कों के निर्माण के साथ ही बिजली पोल लगाने का कार्य भी करें

भोपाल पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा कि सड़कों के निर्माण को तय समय सीमा में पूरा करें। राज्यमंत्री श्रीमती गौर मंगलवार को मंत्रालय में गोविंदपुरा क्षेत्र के सड़कों के निर्माण प्रगति की समीक्षा कर रही थी। राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने अधिकारियों को निर्देश दिए की नई बन रही सड़कों के निर्माण के साथ ही बिजली पोल लगाने का कार्य भी करें, क्योंकि सड़क तो बन जाती है, लेकिन मार्ग पर अंधेरा रहने से जनता को परेशानी होती है। अधिकारियों ने बताया कि जे के रोड का निर्माण कार्य जल्दी पूरा हो जाएगा। सेंट्रल ब्रिज व रेलिंग का कार्य 31 जुलाई तक पूरा हो जाएगा। जेके रोड पर चल रहे निर्माण कार्य में कवर्ड नाली में बड़े-बड़े पत्थर पड़े होने पर राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने नाराजगी व्यक्ति की। राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने नाली सफाई और सड़क पर से मिट्टी और मलवा को हटाने के निर्देश दिए। बिजली के पोल का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा। उन्होंने शटडाउन का टाइम बढ़ाकर कार्य को समय सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए। आनंद नगर फ्लाईओवर के कार्य में देरी पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। अधिकारियों ने बताया कि फ्लाईओवर का कार्य अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। नाली बन चुकी है, दो स्लैब डल चुके हैं, चार बाकी हैं। राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने कहा कि निर्माण कार्य में आ रही बाधा को दूर करे। उन्होंने निर्देश दिए कि बाग सेवानिया रेतघाट में स्विमिंग पूल का काम अभी तक शुरू नहीं होने पर उन्होंने अधिकारियों को इसे जल्द से जल्द शुरू करने का निर्देश दिए।  

जनसुनवाई में आवेदकों ने कलेक्टर को बताई अपनी समस्याएं

जनसुनवाई में आवेदकों ने कलेक्टर को बताई अपनी समस्याएं कलेक्टर ने जनसुनवाई में आए आवेदनों का त्वरित निराकरण करने के अधिकारियों को दिए निर्देश    अनूपपुर कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली ने कलेक्ट्रेट स्थित नर्मदा सभागार में मंगलवार को जनसुनवाई की। जनसुनवाई में आवेदकों ने अपने आवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किए। आवेदनों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए कलेक्टर ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निराकरण करने के निर्देश दिए। जनसुनवाई के दौरान 62 आवेदकों ने अपनी समस्याएं बताई। जनसुनवाई में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री तन्मय वशिष्ठ शर्मा, अपर कलेक्टर श्री दिलीप कुमार पाण्डेय, एसडीएम अनूपपुर श्री कमलेश पुरी, एसडीएम पुष्पराजगढ़ श्री सुधाकर सिंह बघेल सहित विभिन्न विभागों के जिला अधिकारीगणों ने भी आवेदकों की समस्याएं सुनी।     जनसुनवाई में वार्ड नं. 04 कोतमा की श्रीमती गुलाब तिवारी ने पट्टे की भूमि का नक्शा तरमीम कराने, ग्राम परसवार तहसील अनूपपुर के श्री कौशल प्रसाद प्रजापति ने विद्युत ट्रांसफार्मर में सुधार किए जाने तथा अन्य आवेदकों ने भूमि का सीमांकन कराने, दिव्यांग पेंशन दिलाए जाने, समग्र आईडी में सुधार कराए जाने आदि के संबंध में आवेदन दिए।

कलेक्टर ने जिले के दूर-दराज क्षेत्रों से आए लोगों की सुनी समस्याएं

कलेक्टर ने जिले के दूर-दराज क्षेत्रों से आए लोगों की सुनी समस्याएं कलेक्टर कार्यालय में आयोजित हुई जनसुनवाई शहडोल  कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने आज कलेक्टर कार्यालय के सोन सभागार में आयोजित साप्ताहिक जनसुनवाई में शहडोल जिले के दूर-दराज क्षेत्रों से आए लोगों की समस्याएं व शिकायतें सुनी तथा निराकरण के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। जनसुनवाई में  शहडोल जिले के ग्राम कुदरी निवासी कुवरिया बैगा ने पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा दिलाने, ग्राम दियापीपर निवासी मो. अब्दुला ने  विद्युत कनेक्शन  राशि की रसीद दिलाने, शहडोल वार्ड नम्बर 28 निवासी  राकेश चक्रधारी ने  आधार अपडेट कराने, शहडोल वार्ड नंम्बर 18 निवासी फिरोज खान ने भगवती इंडिया मोटराइजर शो रूम से किये गए कार्यों का परिश्रमिक भुगतान कराने हेतु आवेदन कलेक्टर डॉ केदार सिंह को दिए। जिस पर कलेक्टर ने प्राप्त आवेदनों के निराकरण हेतु संबंधित विभाग के अधिकारी की ओर आवेदन प्रेषित कर शीघ्रता के साथ निराकरण करने के निर्देश दिए। जनसुनवाई में अन्य प्राप्त आवेदनों को कलेक्टर ने संबंधित विभाग के अधिकारियों की ओर प्रेषित कर शीघ्र निराकरण करने के निर्देश दिए।   जनसुनवाई में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सोहागपुर श्री अरविंद शाह, डिप्टी कलेक्टर श्री भागीरथी लहरे सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थें।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन्द्रीय रेल मंत्री श्री वैष्णव के पिताजी के निधन पर शोक व्यक्त किया

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केन्द्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव के पिता श्री दाऊ लाल वैष्णव के निधन पर गहन दु:ख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वैष्णव परिवार के प्रति शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने बाबा महाकाल से दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और शोकाकुल परिजन को यह दु:ख सहन करने का संबल प्रदान करने की प्रार्थना की है। उल्लेखनीय है कि स्व. वैष्णव बीते कुछ दिनों से गंभीर रूप से अस्वस्थ थे और उनका जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज चल रहा था।  

राजभवन में गुलाब की विभिन्न प्रजातियों का उत्पादन होगा दोगुना

वर्ल्ड रोज कन्वेंशन 2028 वैश्विक संवाद और आतिथ्य का अभूतपूर्व अवसर : राज्यपाल आयोजन, विश्व स्तर पर भारत की बढ़ती साख का प्रतिफल: राज्यपाल मंगुभाई पटेल राजभवन में गुलाब की विभिन्न प्रजातियों का उत्पादन होगा दोगुना भोपाल राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि वर्ल्ड रोज कन्वेंशन 2028 का भोपाल में आयोजन, भारत के लिए ऐतिहासिक और गौरवशाली क्षण है। यह आयोजन विश्व स्तर पर भारत की बढ़ती साख का प्रतिफल है। भारत को विश्वगुरू के रूप में स्थापित करने की ओर बढ़ा कदम है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल 21वें वर्ल्ड रोज कन्वेंशन- 2028 संबंधी बैठक को संबोधित कर रहे थें। इस अवसर पर उन्होंने मध्यप्रदेश रोज सोसायटी के मुख्य संरक्षक के रूप में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसायटी द्वारा भारत को 2028 के आयोजन की मेजबानी के लिए मई 2025 में सौंपे गए ध्वज को ग्रहण किया। कन्वेंशन का आयोजन भोपाल में वर्ष 2028 में 7 से 13 जनवरी तक होगा। बैठक का आयोजन राजभवन के सांदीपनि सभागार में इण्डियन रोज फेडरेशन के तत्वावधान में मध्यप्रदेश रोज सोसायटी द्वारा किया गया था। राज्यपाल पटेल ने कहा कि वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसायटी के ध्वज को ग्रहण करना देश और प्रदेश के लिए अत्यंत गौरव का पल है। यह ध्वज 2028 के ऐतिहासिक आयोजन के गौरवपूर्ण कार्यक्रम की जिम्मेदारी, वैश्विक संवाद और आतिथ्य के अभूतपूर्व अवसर का प्रतीक है। राज्यपाल पटेल ने वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसायटी द्वारा भारत को पहली बार आयोजन की जिम्मेदारी सौंपने के लिए आभार ज्ञापित किया। उन्होंने वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसायटी के पहले भारतीय अध्यक्ष बनने पर सुशील प्रकाश को सम्मानित किया। इण्डियन रोज फेडरेशन और मध्यप्रदेश रोज सोसायटी को आयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि वर्ल्ड रोज कन्वेंशन 2028 का मध्यप्रदेश के भोपाल में आयोजन, प्रदेश को विश्व स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाएगा। आयोजन की मेजबानी सम्पूर्ण मध्यप्रदेश और भोपाल शहर के लिए हर्ष और गर्व का विषय है। आयोजन के लिए रोज सोसायटी द्वारा भोपाल को रोज सिटी के रुप में विकसित करने की जानकारी पर राज्यपाल पटेल ने राजभवन में गुलाब की विभिन्न प्रजातियों के वर्तमान उत्पादन को दोगुना करने की पहल करने के लिए कहा है। राज्यपाल पटेल ने कहा कि गुलाब धार्मिकता और पर्वित्रता का प्रतीक है। यह आत्मीयता और सहृदयता की पहचान है। उन्होंने कहा कि हम सभी आयोजन से जुड़े प्रत्येक कार्य और जिम्मेदारियों को भव्यता और दिव्यता के साथ सम्पन्न करने का संकल्प ले ताकि यह आयोजन दुनियां भर के प्रतिनिधियों के मन में प्रेरणादायी और यादगार अनुभव के रूप में अंकित हो। राज्यपाल पटेल ने मध्यप्रदेश और भोपाल के गुलाब प्रेमियों से आयोजन को सफल बनाने में सहयोग की अपील भी की। बैठक में संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि वर्ल्ड रोज कन्वेंशन 2028 का आयोजन मध्यप्रदेश टूरिज्म को बढ़ाने में भी मददगार होगा। पर्यटन विभाग द्वारा मेहमानों को मध्यप्रदेश दर्शन कराने की योजना भी तैयार की जाएगी। उन्होंने मध्यप्रदेश में इस आयोजन के लिए वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसायटी को धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी का स्वागत उच्च शिक्षा, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन ने किया। राज्यपाल मंगुभाई पटेल का पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. शिवशेखर शुक्ला ने पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया और परिचयात्मक उद्बोधन दिया।बैठक में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसायटी के अध्यक्ष सुशील प्रकाश ने वर्ल्ड रोज कन्वेंशन 2028 की तैयारी, योजना आदि पर आधारित पी.पी.टी. प्रस्तुतिकरण दिया। आभार मध्यप्रदेश रोज सोसायटी के अध्यक्ष एस.एस. गर्दे ने व्यक्त किया।    

फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट से 7 मौतें, अब देशभर के कैथ लैब के डॉक्टरों की परखी जाएगी योग्यता,मृतक के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा

भोपाल  मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की गई दिल की सर्जरी से 7 लोगों की मौत के बाद यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर रूप से लिया गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने पूरे देश की कैथ लैब्स में कार्यरत डॉक्टरों की योग्यता की जांच के निर्देश दिए हैं। परिजनों को 10-10 लाख रुपए दे MP सरकार : NHRC फर्जी डॉक्टर के इलाज से मारे गए लोगों के मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने राज्य सरकार से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने को कहा है। आयोग ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार तथा केंद्र के लिए कई सिफारिशें की हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति ने मध्य प्रदेश के दमोह में मिशन अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में काम करने वाले एक फर्जी डॉक्टर द्वारा किए गए इलाज से लोगों की मौत के मामले की जांच की। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद आयोग ने राज्य सरकार को प्रत्येक मृतक के परिजनों को दस-दस लाख रुपए की अनुग्रह राशि का भुगतान करने को कहा है। आयोग ने सोमवार को यहां बताया कि उसकी जांच समिति ने मामले की जांच के बाद मध्य प्रदेश सरकार तथा केंद्र के लिए कई सिफारिशें की हैं। दोनों से चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है। आयोग ने गत 28 मार्च को एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। संबंधित राज्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने के अलावा अपनी ओर से भी जांच की थी। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार को सिफारिश की है। आयोग ने कहा कि वह इस अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा इलाज के बाद मरने वाले सभी सात मरीजों के परिजनों को राहत के रूप में दस-दस लाख रुपए का भुगतान करे। मानवाधिकार आयोग ने मामले के निपटारे तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की भी सिफारिश की है। साथ ही अधिकारियों को मध्य प्रदेश में कार्यरत सभी कैथ लैब का निरीक्षण करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा राज्य सरकार यह सत्यापित करने के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी करेगी कि सभी डॉक्टर कैथ लैब में काम करने के लिए योग्य हैं या नहीं। जांच समिति ने कुछ अन्य सिफारिशें भी की हैं जिनमें बीमा राशि, सर्जरी से संबंधित जानकारी, भूखंड पर अनधिकृत निर्माण और जांच से जुड़े लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी गई है। उल्लेखनीय है कि इस अस्पताल में उपचार के बाद कई मरीजों की मौत हो गई थी। क्या है मामला? इसी वर्ष मार्च में यह मामला सामने आया था। आयोग ने 28 मार्च, 2025 को एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। इसमें संबंधित राज्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने के अलावा अपनी जांच भी की थी। आयोग को अपनी जांच में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई में कई अनियमितताएं मिली थीं। इसी के आधार पर कई अनुशंसाएं की हैं। आयोग ने अपनी अनुशंसाओं पर चार सप्ताह में कार्रवाई कर अनुपालन रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जांच में लापरवाही करने वाले पुलिसकर्मियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), दमोह के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। इसमें मामले के अंतिम निपटारे तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद करना भी सम्मिलित है। दमोह के मिशन अस्पताल में डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ एन. जान कैम ने लंदन का कार्डियोलॉजिस्ट बताकर कई मरीजों की हार्ट सर्जरी की। मार्च 2025 में हुए इस खुलासे में सात मरीजों की मौत हुई। मामला सामने आने के बाद NHRC ने संज्ञान लिया और राज्य से रिपोर्ट तलब की। जांच में अनियमितताएं, लापरवाही और प्रशासनिक चूक सामने आई। NHRC ने दिए ये निर्देश देशभर में सभी कैथ लैब्स के डॉक्टरों की योग्यता की जांच सभी राज्य सरकारों को आयुष्मान भारत योजना के दुरुपयोग की जांच करने को कहा सात मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की अनुशंसा डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर अलग-अलग FIR दर्ज करने का निर्देश गैर इरादतन हत्या, ठगी, जालसाजी, चिकित्सकीय लापरवाही जैसे मामलों में कानूनी कार्रवाई पुलिस और CMHO द्वारा की गई लापरवाही पर विभागीय कार्रवाई मिशन अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने और संपत्ति की जांच के निर्देश गंभीर सवाल जिनकी होगी जांच     क्या मरीजों को सर्जरी से पहले खतरे और विकल्पों की जानकारी दी गई थी?     क्या अस्पताल ने बीमा कराया था, और क्या परिजनों को उसका लाभ मिला?     भूमि, भवन निर्माण, और अस्पताल संचालन में नियमों का उल्लंघन हुआ या नहीं? व्हिसल ब्लोअर्स की सुरक्षा जो लोग इस आपराधिक कृत्य को सामने लाने में मददगार रहे, उन्हें व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा कानून 2014 के तहत संरक्षण देने की भी सिफारिश की गई है।

हाईकोर्ट ने कहा कि जवाब आने तक सरकार कोई कदम न उठाए, नहीं तो हम अंतरिम आदेश पारित करेंगे

भोपाल  आरक्षण के आधार पर प्रमोशन की बाट जोह रहे कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया। हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की नई नीति पर सरकार से जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने पूछा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो सरकार ने नई नीति उसी तरह की क्यों बनाई? मौखिक रूप से पीठ ने कहा कि जवाब आने तक सरकार कोई कदम न उठाए, नहीं तो हम अंतरिम आदेश पारित करेंगे। इस पर महाधिवक्ता ने पीठ के समक्ष अंडरटेकिंग दी कि सरकार जवाब पेश होने और अगली सुनवाई तक प्रमोशन प्रक्रिया(Reservation in Promotion) पर किसी तरह से आगे नहीं बढ़ेगी। पीठ ने 15 जुलाई को केस सुनवाई के लिए लिस्टेड करने का आदेश दिया। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सरकार के बनाए नए नियम को भोपाल के समीर कुमार शर्मा समेत अन्य 17 ने याचिका के जरिए चुनौती दी है। हाईकोर्ट में सोमवार को 2025 में राज्य सरकार के प्रमोशन में आरक्षण संबंधी बनाए नियमों के खिलाफ यचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन का आरोप याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने कोर्ट को बताया, याचिकाकर्ताओं ने 2025 के प्रमोशन में आरक्षण संबंधी नियमों को चुनौती दी है। तर्क दिया- 2002 के नियमों को हाईकोर्ट ने आरबी. राय के केस में समाप्त किया है। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया है और याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने कहा, सरकार के पास प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए कोई क्वांटिफिएबल डेटा नहीं है। एम. नागराज और जरनैल सिंह के मामलों में दिए गए आदेशों का पालन भी नहीं किया है। तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश की अवहेलना कर 2025 के नियम बनाए। यह न्याय संगत नहीं है। नोटिस जारी कर मांगा जवाब एक्टिंग चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पहले के और नए प्रमोशन नियम के फर्क के बारे में पूछा। संतोषजनक जवाब न आने पर पीठ ने प्रमोशन (Reservation in Promotion) पर स्टे देने की मंशा जताई। इस पर राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने मौखिक अभिवचन दिया कि अगली सुनवाई तक कोई प्रमोशन नहीं किए जाएंगे। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी के जवाब तलब कर लिया।   ● हाईकोर्ट: मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नियम क्यों बनाए? सरकार पहले सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात को रखती। याचिका का निराकरण कराती फिर आगे बढ़ना चाहिए। ● महाधिवक्ता: यह नियम 2002 के आदेश से अलग है। ● हाईकोर्ट: दोनों नियमों पर तुलनात्मक रिपोर्ट पेश करें। ● महाधिवक्ता: इसके लिए समय चाहिए। ● हाईकोर्ट: जब तक जवाब नहीं आता, तब तक सरकार इस पर आगे नहीं बढ़े। यदि इस पर अभिवचन दिया जाता है तो ठीक है, वर्ना अंतरिम रोक के आदेश पारित किए जाएंगे। ● महाधिवक्ता: जवाब आने तक सरकार प्रमोशन प्रक्रिया पर आगे नहीं बढ़ेगी।

हाईकोर्ट में मिली चुनौती के चलते एक बार फिर अधिकारी, कर्मचारियों में ओहदा बढ़‌ने की नौ साल बाद जागी उम्मीदों पर अघोषित ठहराव की स्थिति

भोपाल  सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को पदोन्नति देने के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक कर ली है। लोक निर्माण विभाग, वाणिज्यिक कर और निर्वाचन आयोग भी कुछ वर्गों के लिए अलग-अलग बैठकें कर चुका है। निर्वाचन में प्रमोशन आदेश भी जारी हुए। स्कूल शिक्षा जैसे कई विभागों ने सहमति लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। उधर जिन विभागों में शासकीय सेवकों की गोपनीय चरित्रावली (सीआर) पूरी करने संबंधी प्रक्रिया अधूरी थी, उनमें भी अतिरिक्त काम हो रहे हैं। इस बीच हाईकोर्ट में मामले को सपाक्स वर्ग के कर्मचारियों की ओर से मिली चुनौती के चलते एक बार फिर अधिकारी, कर्मचारियों में ओहदा बढ़‌ने की नौ साल बाद जागी उम्मीदों पर अघोषित ठहराव की स्थिति बन गई है।  30 जुलाई तक नहीं आया फैसला तो…. 30 जुलाई तक यही हाल रहे तो तब तक बगैर प्रमोशन के 1500 से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। इसके पहले एक से डेढ़ लाख इसी तरह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जब तक कोर्ट से निर्णय नहीं हो जाता तब तक मंत्रालय से लेकर जिला स्तर तक पदोन्नति दिए जाने को लेकर शुरु हुई सीआर लिखने, पदोन्नति के लिए शासकीय सेवकों से सहमति लिए जाने, विभागों में डीपीसी की बैठकें करने जैसी सभी कार्रवाई पर ठहराव की स्थिति बननी तय है। कर्मचारी घोषित तौर पर तो अब कुछ नहीं कह रहे, लेकिन सपाक्स, अजाक्स के पदाधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। 31 जुलाई है डेडलाइन सभी विभागों को पहले चरण के तहत 31 जुलाई तक पदोन्नति देना है। मुख्य सचिव (सीएस) ने जून के अंत में बैठक ली थी। निर्देश एसीएस, पीएस, सचिव व विभागाध्यक्षों को दिए थे। यह भी कहा था कि प्रमोशन संबंधी जितने प्रकरण निपट जाएं, उतने निपटा लें। शेष शासकीय सेवकों के लिए सितंबर-अक्टूबर में बैठकें करें। सरकार ने नौ साल से लंबित पदोन्नति संबंधी मामलों में तेजी लाने के लिए इस वर्ष दो बार डीपीसी करने का निर्णय लिया है। आमतौर पर अगले वित्तीय वर्ष से वर्ष में एक बार ही डीपीसी होगी। इस वर्ष सभी विभागों में पहली डीपीसी की संबंधी प्रक्रिया 31 जुलाई तक पूरी करनी है। कब क्या हुआ     08 अप्रैल 2025 : सीएम ने पहली बार पदोन्नति की घोषणा की।     27 मई 2025 : सीएम ने दोहराया कि पदोन्नति जल्द देंगे।     10 जून 2025 : कैबिनेट में पदोन्नति नियम के प्रस्ताव पर चर्चा।     17 जून 2025 : कैबिनेट में पदोन्नति नियम के प्रस्ताव को मंजूरी मिली।     19 जून 2025 : अधिसूचना जारी।     26 जून 2025 : मुख्य सचिव ने 31 जुलाई की डेडलाइन तय की।

बारिश के कारण सब्जियों की आवक कम, दाम छु रहे आसमान, रसोई का बजट बिगड़ा

भोपाल  मानसून आते ही सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। हरी सब्जियां बहुत महंगी हो गई हैं। फूल गोभी और गिलकी 120 रुपये प्रति किलो बिक रही हैं। लौकी और पत्ता गोभी 80 रुपये प्रति किलो बिक रही हैं। टमाटर, जो सर्दी और गर्मी में 10 से 20 रुपए प्रति किलो बिकते थे, अब 60 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। आलू और प्याज ही ऐसे हैं जो 30 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। कद्दू भी 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। बारिश के कारण सब्जियों की आवक कम हो गई है। इसलिए दाम बढ़ गए हैं। करेला और गिलकी के दाम सुन हैरान हैं लोग स्कूल टीचर प्रेरणा शर्मा ने बताया कि कुछ दिन पहले बिट्टन हाट में सब कुछ सस्ता था। बैंगन 10 रुपये का ढेर था। टमाटर 20 से 40 रुपये प्रति किलो थे, पर अब 60 रुपये से कम में कुछ नहीं मिल रहा है। करेला और गिलकी 120 रुपये प्रति किलो देखकर वे हैरान रह गईं। फल खरीदने का मौसम सरकारी कर्मचारी पंकज दुबे ने हंसते हुए कहा 'मुझे नहीं पता कि लोगों के लिए यह कितना संभव है, लेकिन मैं सुझाव दूंगा कि यह साल का वह समय है जब सब्जियां खरीदने के बजाय फल खरीदना बेहतर है। आपके पास कई तरह के आम, केले, संतरे, जामुन और कुछ और हैं, और वे बहुत महंगे भी नहीं हैं, सिवाय लीची और निश्चित रूप से अनार और सेब के, जो अभी भी सब्जियों से महंगे हैं। सब्जियों की सप्लाई हुई कम सब्जी विक्रेता राकेश चौरसिया ने बताया कि सब्जियों की सप्लाई कम हो गई है। थोक बाजार में दाम बढ़ने से खुदरा बाजार में भी दाम बढ़ जाते हैं। बिट्टन मार्केट सब्जी व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष हरिओम खटीक ने कहा कि बारिश में सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। बारिश सबसे पहला कारण उन्होंने कहा कि 'सब्जियों की कीमतें आमतौर पर बारिश के मौसम में बढ़ जाती हैं, लेकिन अगर थोक बाजार में कद्दू 20 रुपये प्रति किलो बिकना शुरू हो जाए, तो हम यह कह सकते हैं कि सब्जियों की कीमतें वास्तव में बढ़ गई हैं। जिन क्षेत्रों से सब्जियां भोपाल लाई जाती हैं, उनमें बारिश की मात्रा उनकी कीमतों को तय करने में एक प्रमुख कारक है। भोपाल के आसपास नहीं होती सब्जियां बारिश के मौसम में, भोपाल के आसपास के क्षेत्रों में सब्जियों का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए सब्जियों की स्थानीय आवक बहुत कम हो जाती है। हरिओम खटीक ने बताया कि अब, हमारे पास महाराष्ट्र, रतलाम और मंदसौर की ओर मालवा और मैहर से आपूर्ति हो रही है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि सभी सब्जियों की कीमतें अधिक हैं।  

सोयाबीन की फसल से अब जिले के किसानों का मोह भंग, किसान अब मक्का की फसल करने में अधिक रूचि ले रहे

शिवपुरी  सोयाबीन की फसल से अब जिले के किसानों का मोह भंग हो गया है. किसान अब मोटे अनाज यानी मक्का की फसल करने में अधिक रूचि ले रहे हैं. इसकी वजह पिछले कुछ समय में इसकी बढ़ती मांग के साथ ही सोयाबीन की तुलना में इसकी देखरेख आसान होना है. इसी कारण सोयाबीन का रकबा पिछले दो साल में घटकर आधा रह गया है. जिले का किसान वैसे तो बाजरा, मक्का, सोयाबीन, उड़द फसलों की खेती करते हैं, लेकिन अच्छे दाम के मोह में पहले किसान सोयाबीन की खेती सबसे अधिक करते थे. सोयाबीन का कुल रकबा एक लाख 65 हजार हेक्टेयर था. सोयाबीन बाजार में 4 हजार से 4200 रुपये क्विंटल के हिसाब से बिकती है. हालांकि सोयाबीन की फसल में कीड़े लगने का खतरा अधिक होता है, जिससे देखरेख अधिक करना पड़ता है. फसलों को बचाने में भी काफी खर्च करना पड़ता है. एक बीघा में महज दो से ढाई क्विंटल सोयाबीन होता है. कृषि विकास केंद्र शिवपुरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. एमके भार्गव ने बताया, "बीते दो साल में जिले में किसानों की रुचि में बदलाव आया है. किसान अब सोयाबीन की जगह मक्का की फसल अधिक उगा रहे हैं. जिसका परिणाम है कि सोयाबीन का रकबा अब महज 80 हजार हेक्टेयर रह गया है. इसकी वजह ये है कि मक्का की मांग तेजी से बढ़ी है. किसानों को सोयाबीन की फसल के भाव तो अधिक मिलते हैं, लेकिन इसका उत्पादन कम होता है. इसके मुकाबले मक्का के दाम कम मिलते हैं, लेकिन उत्पादन अधिक होता है." उदाहरण के लिए सोयाबीन की एक क्विटंल फसल 4 हजार में बिकती है, जबकि मक्का की दो हजार क्विंटल में बिकती है. लेकिन एक बीघा खेत में केवल ढाई क्विंटल सोयाबीन होता है, वहीं मक्का 8 से 12 क्विंटल तक होती है. ऐसे में उत्पादन अधिक होने से किसान को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है, साथ ही मक्का में कीड़े लगने की टेंशन भी नहीं होती है. 2025 के लक्ष्य से समझें किसका रकबा कितना बढ़ा या घटा फसल रकबा धान 45 हजार हेक्टेयर ज्वार 400 हेक्टेयर बाजरा 7 हजार हेक्टेयर मक्का 85 हजार हेक्टेयर तुअर 1 हजार हेक्टेयर उड़द 25 हजार हेक्टेयर मूंग 3500 हेक्टेयर मूंगफली 1 लाख 90 हजार हेक्टेयर तिल 3200 हेक्टेयर सोयाबीन 80 हजार हेक्टेयर कुल 440100 हेक्टेयर जिले में सोयाबीन का रकबा पहले एक लाख 65 हजार हेक्टेयर था, लेकिन बीते कुछ सालों में रकबा घटकर 80 हजार हेक्टेयर रह गया है. इसकी जगह मक्का का रकबा बढ़कर अब 85 हजार हेक्टेयर हो चुका है. किसानों को मक्का का उत्पादन अधिक मिलता है, साथ ही कीड़ों की चिंता भी नहीं होती है. ये बदलाव केवल शिवपुरी ही नहीं बल्कि अशोक नगर और गुना में भी आया है.