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MP के राजा भोज और खजुराहो हवाई अड्डों ने जनवरी से जून 2025 के बीच ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण में देश में शीर्ष स्थान हासिल किया

भोपाल  मध्य प्रदेश के राजा भोज और खजुराहो हवाई अड्डों ने जनवरी से जून 2025 के बीच ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण में देश में शीर्ष स्थान हासिल किया है। इनके साथ राजस्थान का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर भी पहले स्थान पर रहा। तीनों को 5 में से 5 अंक मिले हैं। भोपाल हवाई अड्डे ने यह मुकाम दूसरी बार पाया है। राजा भोज और खजुराहो हवाई अड्डों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दोनों को ग्राहक संतुष्टि के मामले में देश में पहला स्थान मिला है। यह सर्वेक्षण जनवरी से जून 2025 के बीच किया गया था। भोपाल हवाई अड्डे के लिए यह गर्व का क्षण है। उसने दूसरी बार यह स्थान हासिल किया है। इससे पहले 2023 में भी भोपाल हवाई अड्डे को पहला स्थान मिला था। 60 हवाई अड्डों को किया गया था शामिल इस सर्वेक्षण में कुल 62 हवाई अड्डों में से 60 को शामिल किया गया था। जैसलमेर और तेजपुर हवाई अड्डों को शामिल नहीं किया गया। क्योंकि वहां नियमित उड़ानें नहीं थीं। सर्वेक्षण में ग्राहक संतुष्टि को 5 में से अंक दिए गए। इस दौरान औसत स्कोर 4.59 रहा। भोपाल हवाई अड्डे के निदेशक रामजी अवस्थी ने कहा कि हमने यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई नए कदम उठाए हैं। जबलपुर और ग्वालियर एयरपोर्ट को मिला ये स्थान भोपाल एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन में अब बैठने की बेहतर व्यवस्था, चार्जिंग स्टेशन और परिसर में बेहतर वाई-फाई कनेक्टिविटी की सुविधा है। सर्वेक्षण में जबलपुर एयरपोर्ट को 10वें और ग्वालियर एयरपोर्ट को 11वें स्थान पर रखा गया है। एयरपोर्ट ने स्थानीय हस्तशिल्प की दुकानों और मध्य प्रदेश के पारंपरिक उत्पादों की दुकानों के साथ अपनी खुदरा पेशकश का भी विस्तार किया है। फूड कोर्ट में अब अंतरराष्ट्रीय व्यंजन और क्षेत्रीय विशिष्टताएँ दोनों शामिल हैं, जो यात्रियों की विविध प्राथमिकताओं को पूरा करते हैं।

मैहर में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, 6526 क्विंटल की आर्थिक क्षति की वसूली, खरीदी प्रभारी के भू स्वामित्व की नीलामी कर वसूली जायेगी

मैहर  मैहर में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई देखने को मिली है। यहां खरीफ उपार्जन वर्ष 2024-25 में सेवा सहकारी समिति जरौहा (मनकीसर) ने धान उपार्जन के काम लापरवाही बरती। अनियमितता के कारण धान में आई कुल शार्टेज 6526 क्विंटल की आर्थिक क्षति की वसूली समिति के धान उपार्जन प्रभारी दीपेन्द्र सिंह और खरीदी प्रभारी संजीव तिवारी (राजीव) के भू स्वामित्व में दर्ज आराजी की नीलामी कर वसूली जायेगी। दरअसल, मैहर जिले की कलेक्टर रानी बाटड ने सेवा सहकारी समिति जरौहा द्वारा धान उपार्जन में की गई गड़बड़ी और आर्थिक क्षति को गंभीरता से लेकर राशि वसूली के प्रयास तेज कर दिये हैं। सेवा सहकारी समिति जरौहा में अनियमितता के दोषी उपार्जन केन्द्र प्रभारी दीपेन्द्र सिंह एवं अन्य के विरूद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही जिला उपार्जन समिति के निर्णय के अनुसार कलेक्टर मैहर ने सेवा सहकारी समिति जरौहा को भविष्य में किसी भी उपार्जन कार्य के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। कलेक्टर ने उपार्जन कार्य में संलग्न रहे धान उपार्जन प्रभारी दीपेन्द्र सिंह, खरीदी प्रभारी संजीव तिवारी (राजीव) और आपरेटर अनिल कुमार दहायत को किसी भी अन्य समिति में नियोजन से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। 6 हजार 526 क्विंटल धान पाई गई कम सेवा सहकारी समिति जरौहा द्वारा धान उपार्जन में घोटाले के कारण 6 हजार 526 क्विंटल का धान कमी पाई गई। जिसमें शासन को हुई आर्थिक क्षति की नियमानुसार वसूली का निर्णय भी जिला उपार्जन समिति मैहर ने लिया है। कलेक्टर मैहर रानी बाटड के निर्देशानुसार राजस्व अधिकारियों ने संबंधित दोषियों को कई बार आरआरसी वसूली की नोटिस जारी कर राशि जमा कराने के निर्देश जारी किये गये हैं। राशि वसूली के लिए नीलाम होगी जमीन राशि की वसूली नहीं हो पाने पर राजस्व वसूली के नियमानुसार इन दोषी व्यक्तियों के भू स्वामित्व में दर्ज भूमि को नीलाम कर वसूली करने के निर्देश दिये गये हैं। न्यायालय नायब तहसीलदार वृत्त झिन्ना, तहसील रामनगर ने नीलामी की तिथि 28 जुलाई 2025 नियत करते हुए आम नीलामी की सूचना भी जारी कर दी गई है। दोनों दोषियो की इतनी जमीन होगी नीलाम इसके अनुसार दीपेन्द्र सिंह पुत्र सुरेन्द्र सिंह ग्राम पैपखरा, तहसील रामनगर की पैपखरा स्थित पटवारी हल्का नम्बर 56 की आराजी नम्बर 142/2 रकबा 0.073 हेक्टेयर, 599/1 रकबा 0.808 हेक्टेयर, 192/2 रकबा 0.963 हेक्टेयर, 699/688 रकबा 1.235 हेक्टेयर कुल किता 04 कुल रकबा 3.079 हेक्टेयर में से दीपेन्द्र सिंह का हिस्सा 1/4 अर्थात 0.770 हेक्टेयर भूमि की सार्वजनिक नीलामी की जायेगी। 28 जुलाई को होगी नीलामी इसी प्रकार मैहर जिले के रामनगर तहसील के पैपखरा निवासी संजीव तिवारी पुत्र सौखीलाल तिवारी की ग्राम बेलहाई पटवारी हल्का नम्बर 48 स्थित आराजी नम्बर 25/2 रकबा 0.304 हेक्टेयर भूमि की खुली नीलामी 28 जुलाई सोमवार को तहसील कार्यालय रामनगर जिला मैहर के सभाकक्ष में की जायेगी। आम नीलामी के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए नायब तहसीलदार वृत्त झिन्ना के कार्यालय में सम्पर्क किया जा सकता है।  

रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई

महिलाओं को रात की पाली में कारखानों में काम करने की विशेष अनुमति महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने के लिए सुरक्षा और शर्तों का संस्थानों को पालन करना होगा  रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई भोपाल  पुख्ता सुरक्षा उपायों और विशेष नियम एवं शर्तों को लागू करने की अनिवार्यता के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं को दुकानों, वाणिज्यिक संस्थानों और कारखानों में रात की पाली (नाइट शिफ्ट) में काम करने की अनुमति दी है। संस्थानों में महिला श्रमिकों को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 एवं कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत महिला श्रमिकों को कुछ शर्तों के साथ कार्य करने की अनुमतिदी है। इस संबंध में श्रम विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गए है। दुकानों एवं वाणिज्यिक स्थापनाओं के लिए जरूरी निर्देश दुकानों एवं वाणिज्यिक स्थापनाओं में रात्रि पाली में 9 बजे से सुबह 7 बजे तक कार्य करने के लियेनियोजकों को महिला श्रमिकों की लिखित सहमति लेना अनिवार्य होगा। कम से कम 5 महिला श्रमिक के समूह में ही उन्हें कार्य पर लगाया जाएगा। कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण, शौचालय, वॉशरूम, पेयजल और विश्राम कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इन सुविधाओं तक आगागमन का मार्ग अच्छी तरह से प्रकाशित तथा सीसीटीवी की निगरानी में होगा। जहां 10 या अधिक महिलाएं कार्यरत हों, वहां महिला सुरक्षाकर्मियों (गार्डस) की व्यवस्था करनी होगी एवं विश्राम कक्ष भी उपलब्ध कराया जायेगा। सभी प्रतिष्ठानों को लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना होगा। कारखानों के लिए विशेष शर्तें कारखानों में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई है। रात की पाली में कार्य करने के लिये महिला श्रमिकों की लिखित सहमति अनिवार्य होगी और उन्हें पांच से अधिक समूह में नियोजित किया जाएगा। महिला कर्मचारियों के लिए घर से लाने और ले जाने की परिवहन सुविधा देना नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी। कार्यस्थल पर प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, शौचालय, भोजन व विश्राम कक्ष उपलब्ध होंगे। कार्य स्थल के प्रवेश एवं निकास पर महिला सुरक्षाकर्मी (गार्डस) उपलब्ध होगी। ठहरने की व्यवस्था महिला वार्डन अथवा सुपरवाइजर के नियंत्रण में होगी। रात्रि पाली में सुपरवाइजरी स्टाफ का एक-तिहाई हिस्सा महिलाएं होंगी। पाली परिवर्तन के दौरान कम से कम 12 घंटे का अंतराल जरूरी होगा। कारखानों में लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना अनिवार्य होगा।  

CBI ने SI को गुना से हिरासत में लिया, देवा पारदी कस्टडी मौत केस में पहली गिरफ्तारी

गुना  गुना के बहुचर्चित देवा पारदी कस्टडी डेथ केस में एक बड़ा अपडेट आया है। सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी करते हुए एसआई देवराज सिंह परिहार को हिरासत में ले लिया है। यह मामला 15 जुलाई 2024 का है, जब म्याना पुलिस ने देवा पारदी को एक चोरी के केस में पूछताछ के लिए उठाया था। अगली ही शाम देवा की लाश पोस्टमार्टम रूम में मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच शुरू हुई और अब एसआई देवराज सिंह परिहार की गिरफ्तारी हुई है। बुधवार को सीबीआई की टीम अचानक गुना पहुंची। टीम सीधे एसपी ऑफिस गई। वहां से आरोपी एसआई देवराज सिंह परिहार को अपने साथ लेकर रवाना हो गई। इस गिरफ्तारी से मामले में आगे की कार्रवाई की उम्मीद बढ़ गई है। शादी के दिन देवा की गिरफ्तारी बता दें कि बीलाखेड़ी गांव में रहने वाले देवा पारदी की शादी होने वाली थी। उसकी उम्र 25 साल थी। घर में तैयारियां चल रही थी। उसी शाम बारात गुना शहर के गोकुल सिंह चक्क जाने वाली थी। तभी म्याना पुलिस गांव पहुंची। पुलिस ने देवा और उसके चाचा गंगाराम को बारात में जाने वाले ट्रैक्टर से ही थाने ले गई। पुलिस का कहना था कि उन्हें एक चोरी के केस में पूछताछ करनी है और कुछ सामान बरामद करना है। लेकिन अगली ही शाम एक दुखद खबर आई। परिजनों को जिला अस्पताल से सूचना मिली कि एक पारदी युवक की लाश पोस्टमार्टम रूम में है। जब परिजन वहां पहुंचे, तो उन्हें देवा की मौत की जानकारी मिली। मौत के बाद परिजनों का हंगामा देवा की मौत की खबर से पूरे इलाके में बवाल मच गया। पारदी समुदाय की महिलाएं जिला अस्पताल पहुंची और विरोध प्रदर्शन किया। देवा की चाची और होने वाली दुल्हन ने गुस्से में अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश की। लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचा लिया। महिलाओं ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि म्याना थाने में देवा और गंगाराम की बुरी तरह पिटाई की गई। इसी पिटाई के कारण देवा की मौत हो गई। इसके दो दिन बाद 17 जुलाई को महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और अपने कपड़े तक उतार दिए थे। जांच में जुटी सीबीआई इस मामले की गंभीरता को देखते हुए देवा की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया। कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि एक महीने में आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए। इसी आदेश पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने बुधवार को एसआई देवराज सिंह परिहार को गिरफ्तार किया। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में और भी पुलिसकर्मी शामिल हैं। सीबीआई की कार्रवाई से अब उम्मीद है कि इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होंगी।

समाजसेवी डॉक्टर एमसी डाबर का आज 80 वर्ष की उम्र में निधन, 50 वर्षों से 20 रुपए में गरीबों का इलाज करते थे

जबलपुर प्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. एम.सी. डावर का आज दुखद निधन हो गया। वे वर्षों तक मात्र 2 रुपये में गरीबों का उपचार कर जनसेवा में लगे रहे। उनके निधन की जानकारी मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने एक्स पर साझा की।मध्यप्रदेश के जबलपुर में 50 वर्षों से गरीब और जरूरतमंद मरीजों की सेवा करने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. एमसी डाबर का शुक्रवार (4 जुलाई 2025) सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और जीवन भर केवल 20 रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज किया। डॉ. एमसी डाबर लाखों मरीजों के जीवन में आशा की किरण बने रहे। उनका निधन शहर के लिए अपूरणीय क्षति है।     2 रुपये में गरीबों का इलाज करने वाले सुप्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव, पद्मश्री डॉ. एम.सी. डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। अपने एक्स पर मंत्री राकेश सिंह ने लिखा कि डॉ. एम.सी. डावर जी का जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। डॉ. डाबर जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में क्लिनिक चलाते थे, जहां दूर-दराज से मरीज इलाज के लिए आते थे. भीड़ इतनी होती थी कि रोजाना सैकड़ों मरीज उनके घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे. वे खुद ही मरीजों की जांच करते, दवा लिखते और जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करते थे. उनकी मृत्यु से चिकित्सा जगत और समाज ने एक सच्चे सेवक को खो दिया है. अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर पहुंचने लगे. कई लोगों की आंखें नम थीं. हर कोई यही कह रहा है कि डॉ डाबर जैसा डॉक्टर इस युग में मिलना मुश्किल है. जीवन परिचय: पाकिस्तान से जबलपुर तक का सफर डॉ. डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद वे अपने माता-पिता के साथ भारत आ गए। बहुत कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पंजाब के जालंधर से स्कूल की पढ़ाई पूरी कर वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और 1967 में MBBS की डिग्री प्राप्त की। सेना में सेवा और 1971 की जंग डॉ. डाबर ने 1971 की भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना में चिकित्सक के रूप में सेवा दी। उस समय उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश सीमा पर थी, जहां उन्होंने सैकड़ों घायल जवानों का इलाज किया। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले सेवा छोड़नी पड़ी, जिसके बाद उन्होंने जबलपुर में चिकित्सा सेवा शुरू की। जालंधर से की थी स्कूली पढ़ाई डॉ. एमसी डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में आकर बस गया। मात्र डेढ़ साल की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई जालंधर से की थी। उन्होंने 1967 मध्यप्रदेश के जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। डाबर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर थे। हालांकि खराब सेहत को देखते हुए उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया था। डाबर ने 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। 51 साल से 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे 1972 से वे मध्यप्रदेश के जबलपुर में मात्र 2 रुपये में लोगों का इलाज कर रहे थे। इसके बाद 1997 में 5 रुपये लेने लगे। 2012 में 10 रुपये और मौजूदा समय में 20 रुपये चार्ज करते थे। भारत सरकार ने 2023 में चिकित्सा क्षेत्र में उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। डॉ. डाबर के बारे में एक और रोचक बात थी। वे पिछले 51 साल से रोजाना 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे। उनके पास तीन-तीन पीढ़ियों के मरीज थे। डॉ. डाबर के पास न केवल जबलपुर बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी मरीज आते थे। 2 रुपए से शुरू की सेवा, कभी नहीं रोकी डॉ. एमसी डाबर ने जबलपुर में सस्ते इलाज की शुरुआत 10 नवंबर 1972 को की थी। पहले मरीजों से सिर्फ 2 रुपए शुल्क लेते थे, लेकिन महंगाई बढ़ी तो 1986 में यह फीस 3 रुपए फिर 5 और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 20 रुपए कर दिया, लेकिन कभी लाभ कमाने की कोशिश नहीं की। डॉ. डाबर हमेशा वही पुराना टेबल-कुर्सी और बेड इस्तेमाल करते रहे, जो 1972 में खरीदे थे। वह कहते थे कि सादा जीवन उच्च विचार ही मेरी पूंजी है। दिन में 200 मरीज फिर भी मुस्कान डॉ. डाबर हफ्ते में 6 दिन काम करते थे और रोज़ाना 150 से 200 मरीजों का इलाज करते थे। उनकी सादगी और समर्पण का आलम ये था कि जब 1986 में उन्हें किडनी फेलियर हुआ, तब उनके मरीज मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में दुआ करने पहुंचे। पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान भारत सरकार ने डॉ. डाबर को उनके अद्भुत सेवा कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। 2019 में वे पद्मभूषण के लिए भी नॉमिनेट किए गए। ओपी खरे ने बताया कि ऐसा डॉक्टर दोबारा जन्म नहीं लेता। डॉ. डाबर ने हजारों जानें बचाईं हैं। अंतिम यात्रा, लोगों ने दी श्रद्धांजलि उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार शाम 4 बजे, उनके निज निवास से गुप्तेश्वर मुक्तिधाम के लिए निकलेगी। जबलपुर शहर सहित पूरे मध्यप्रदेश में शोक की लहर है। जबलपुर निवासी रामू साहू पिछले 30 वर्षों से डॉ. डाबर के पास इलाज के लिए आते थे। उन्होंने बताया कि हमारे लिए वे डॉक्टर नहीं भगवान थे। उनकी फीस से ज्यादा तो आज दवाओं की रेट होती है, लेकिन उन्होंने कभी रुपए की चिंता नहीं की। सेवा, सादगी और संवेदना के मिसाल थे डॉ डाबर डॉ. एमसी डाबर सिर्फ एक डॉक्टर नहीं बल्कि सेवा, सादगी और संवेदना के प्रतीक थे। चिकित्सा सेवा जब इतनी महंगी होती जा रही है, ऐसे समय में भी डॉ. डाबर ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। उनके द्वारा दिया गया उदाहरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तंभ रहेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राष्ट्रध्वज जनक पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि पर किया नमन

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक श्रद्धेय पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज संस्कृति, विरासत, एकता, विविधता सहित मातृभूमि की पहचान को रंगों व प्रतीकों के माध्यम से तिरंगे में समाहित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया जी की पुण्यतिथि है। उन्हें सादर नमन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका योगदान राष्ट्र की स्मृति में सदैव अमिट रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पिंगली वेंकैया जी ने भारत की राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मगौरव बढ़ाने में योगदान दिया। उन्होंने न केवल राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना की, बल्कि इसमें भारतीय सभ्यता और स्वाधीनता संग्राम की भावना को भी बड़ी सुंदरता से पिरोया।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दर्शन, वेद एवं योग के माध्यम से विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले, राष्ट्रऋषि स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रसेवा के संकल्प को साकार करने के लिए श्रेष्ठ जीवन आदर्श की प्रेरणा देकर आपने युवाओं का मार्ग प्रशस्त किया। आपके प्रखर विचार एवं कृतित्व देश की अमूल्य धरोहर हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद न केवल भारत के सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक हैं, बल्कि उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा, वेदांत दर्शन और योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। उनके विचार आज भी युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए प्रेरित करते हैं।  

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज 29 साल के हुए ,’बंजर’ गढ़ा को बना दिया बागेश्वर धाम?

छतरपुर बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज अपना 29वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके बर्थडे को खास बनाने के लिए दूर-दूर से भक्त गढ़ा ग्राम पहुंच रहे हैं। हालांकि, कल हुए हादसे के बाद उन्होंने अपना जन्मदिन बेहद साधारण तरीके से मानाने का फैसला किया है।  भक्तों से उपहार के बदले मांगी ईंट पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने जन्मदिन पर भक्तों से उपहार के बदले ईंट मांगी है। बता दें कि बागेश्वर धाम में कैंसर अस्पताल बन रहा है। इसके निर्माण के लिए उन्होंने सहयोग में एक-एक ईंट भेंट करने की अपील की है।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी दी बधाई  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी पंडित धीरेंद्र शास्त्री को जन्मदिन की बधाई दी है। सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, पूज्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। श्री बजरंग बली जी से प्रार्थना है कि सनातन संस्कृति की सेवा के लिए आप सदैव ऊर्जावान रहें, उत्तम स्वास्थ्य के साथ आप दीर्घायु हों।” बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्मदिन आज, 29 साल के हुए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, वही राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बागेश्वर बाबा को दी जन्मदिन की बधाई, सीएम भजनलाल ने कहा- बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर परम पूज्य पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के जन्मदिवस पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, श्री बालाजी महाराज की कृपा से आप सदैव स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों एवं अपने दिव्य सत्संग, प्रवचनों व आध्यात्मिक मार्गदर्शन से समाज को सत्य, धर्म और सेवा के पथ पर अग्रसर करते रहें 'बंजर' गढ़ा को पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कैसे बना दिया बागेश्वर धाम तरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को हुआ था। शास्त्री अपनी उम्र के 30वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। बागेश्वर धाम में गुरु के जन्मदिन पर हर साल हजारों की संख्या में उनके भक्त आते हैं। साथ ही भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। इस बार भी तैयारी भव्य थी लेकिन टेंट गिरने की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई। इसके बाद धाम में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। मगर बागेश्वर धाम में भक्तों की भीड़ कम नहीं हुई है। गढ़ा में भक्तों का मेला लगा हुआ। भारी बारिश के बीच भी वहां भक्त डंटे हुए हैं। आइए आपको बताते हैं कि इतने कम दिनों में बागेश्वर सरकार यह प्रसिद्धि कैसे हासिल की। साथ ही गढ़ा और उसके आसपास के अर्थव्यवस्था को उन्होंने पूरी तरह से बदल दिया है। कहां है गढ़ा गांव दरअसल, जब आप छतरपुर से खजुराहो की ओर नेशनल हाइवे पकड़कर आगे की ओर बढ़ेंगे। करीब 10 किमी आगे बढ़ने के बाद गढ़ा के लिए रास्ता जाता है। हाइवे से सटा एक मुख्य द्वार बना है, जिस पर बागेश्वर धाम जाने का रास्ता लिखा हुआ है। यही से रौनक की शुरुआत हो जाती है। कुछ साल पहले तक सुनसान रहने वाले इस जगह पर अब कई होटल और मार्केट खुल गए हैं। साथ ही सवारी गाड़ियों की भीड़ रहती है जो श्रद्धालुओं को धाम तक लेकर जाते हैं। यहां से गढ़ा गांव की दूरी करीब चार से पांच किमी है। गढ़ा गांव के लोग पहले पूरी तरह से खेती पर आश्रित होते थे। पहाड़ी इलाका होने की वजह से गर्मियों में भीषण पानी की किल्लत होती थी। साथ ही जमीन भी पथरीली है। गढ़ा गांव में ही धीरेंद्र शास्त्री का पैतृक गांव पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पैतृक घर भी गढ़ा में ही है। परिवार पूजा पाठ से ही जीवकोपार्जन करता था। आर्थिक स्थिति परिवार की ठीक नहीं थी। गांव में इनका खपरैल घर था। अब उसकी जगह पर पक्का मकान है। हालांकि छोटा ही है, जहां उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं। गांव से कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद पहाड़ी के करीब ही बालाजी का मंदिर है। जहां धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा गुरु की समाधि है। बालाजी का मंदिर अब भव्य बन रहा है। मंदिर के आसपास अब सैकड़ों एकड़ जमीन में धाम फैल गया है, जिसे बागेश्वर धाम कहते हैं। ऐसे बढ़ा बागेश्वर धाम दरअसल, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुरुआती दिनों मंदिर या फिर आसपास के गांवों में ही कथा सुनाते थे। साथ ही लोगों की पर्ची निकालते थे। धीरे-धीरे इनकी प्रसिद्धि बढ़ी और लोगों की भीड़ जमा होने लगी। कोविड के बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जिंदगी में 360 डिग्री का बदलाव हुआ। उनकी कथाओं की गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी। मध्य प्रदेश की सीमा को लांघकर वह देश और विदेश के अलग-अलग कोनों में जाकर कथा सुनाने लगे। इसके साथ ही बागेश्वर धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ने लगी। तेजी से उस इलाके की तस्वीर बदलने लगी। बदल गई इलाके की अर्थव्यवस्था पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जिंदगी में जितने बदलाव आए हैं, उतने ही बदलाव गढ़ा और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिला है। गढ़ा, बागेश्वर धाम और उसके आसपास के इलाकों में हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिल गया है। गांवों में होम स्टे खुल गए हैं। हजारों की संख्या में धाम में दुकान हैं। इसके साथ ही अब बड़े-बड़े होटल भी खुल रहे हैं। हजारों लोगों हर दिन धाम आते हैं औसतन 10-20 लाख से अधिक का कारोबार होता है। सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बाहर से भी लोग आकर यहां व्यापार कर रहे हैं। खपरैल घर से फाइव स्टार होटल तक का सफर वहीं, बागेश्वर धाम सरकार का बचपन खपरैल घर में बीता है। अब वह जब कथाओं के लिए जाते हैं तो भक्त फाइव और थ्री स्टार होटल में उन्हें ठहराते हैं। अंबानी के घर लग्जरी प्राइवेट जेट से जाते हैं। हालांकि धाम पर होते हैं तो अभी भी वह मंदिर के करीब बने सामुदायिक भवन के ही एक कमरे में ठहरते हैं। जन्मदिन के मौके पर उन्हें बधाई देने का सिलसिला जारी है। अब बागेश्वर धाम पर सिर्फ आम नहीं, खास श्रद्धालुओं का भी तांता लगा रहता है। 

भोपाल में तहसीलदार और प्रभारी तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों और प्रभारी नायब तहसीलदारों के ट्रांसफर हुए

भोपाल   नए पदोन्नति नियमों को लेकर सपाक्स कर्मचारी व सामाजिक संस्था ने कोर्ट जाने की खुली चेतावनी दे दी है। इससे पहले जिलों में सांसद व विधायकों से मुलाकात करेंगे। नियमों में विसंगतियों के बारे में बताएंगे। ये चेतावनी नार्मदीय भवन में हुए सपाक्स अधिकारी कर्मचारी संस्था के राज्य स्तरीय अधिवेशन में लिए निर्णय के बाद दी गई। कहा गया कि अधिकारियों ने 2019 जैसी गलती दोहराई है। बैठक में सपाक्स संथा के अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर, सचिव राजीव खरे, सपाक्स समाज के अध्यक्ष केएल साहू अध्यक्ष, कर्मचारी नेता सुधीर नायक, उमाशंकर तिवारी, अजय जैन, आरबी राय, आलोक अग्रवाल, अनुराग श्रीवास्तव, डीके भदोरिया, रक्षा चौबे, राकेश नायक, आशीष भटनागर सहित विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे। -आरक्षित वर्ग के उन कर्मचारियों, अधिकारियों को पुन: पदोन्नति दी जा रही, जिन्हें हाईकोर्ट ने 2006 में पदावनत करने को कहा था। -शासन की लंबित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश दिए थे। इस पर आरक्षित वर्ग के कर्मियों को पदावनत नहीं किया गया। इसी आधार पर उनकी पदोन्नति भी नहीं हो सकती, लेकिन किए जाने के प्रावधान कर दिए। हुजूर में पारे तहसीलदार और अनुराग त्रिपाठी अपर तहसीलदार होंगे। कोलार में यशवर्धन सिंह तहसीलदार और एनएस परमार अपर तहसीलदार होंगे। बैरसिया में भूपेंद्र कैलासिया अपर तहसीलदार की भूमिका में रहेंगे। वहीं, बैरागढ़ में खूनी प्रसाद पडोले को अपर तहसीलदार की जिम्मेदारी दी गई है। गोविंदपुरा में तहसीलदार सौरभ वर्मा और अपर तहसीलदार राजेश गौतम रहेंगे। टीटी नगर की कमान कुनाल रावल और अपर तहसीलदार सुनीता देहलवार होंगी। एमपी नगर में दीपक कुमार द्विवेदी तहसीलदार और अंकिता यदुवंशी को अपर तहसीलदार की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, शहर वृत्त में तहसीलदार करुणा कंडोतिया और अपर तहसीलदार दृष्टि चौबे की पोस्टिंग की गई है। दंडोतिया अब तक बैरसिया में पदस्थ थीं। नायब तहसीलदार भी पदस्थ किए कोलार में अतुल शर्मा, बैरसिया में राजेंद्र त्यागी, बैरागढ़ में दिनकर चतुर्वेदी, गोविंदपुरा में दिनेश कुमार साहू, टीटी नगर में निधि तिवारी और एमपी नगर में दुर्गा पटले को नायब तहसीलदार के तौर पर पदस्थ किया गया है। सिंह को भू-अभिलेख की जिम्मेदारी भू-अभिलेख की प्रभारी अधीक्षक पहले दुर्गा पटले थीं। जिन्हें एमपी नगर वृत्त में भेजा गया है। ऐसे में यह जिम्मेदारी अब अशोक सिंह को दी गई है। प्रभारी नायब तहसीलदार रामजी तिवारी को एडीएम उत्तर ऑफिस में अटैच किया गया है। नायब तहसीलदार अनामिका सराफ प्रसूति अवकाश पर है। उन्हें लौटने पर जिम्मेदारी दी जाएगी। इसी तरह प्रभारी नायब तहसीलदार मो. इदरीश खान को टीटी नगर, परिविक्षाधीन नायब तहसीलदार तरुण श्रीवास्तव को भू-अभिलेख ऑफिस में अटैच किया गया है। शुभम जैन को हुजूर कार्यालय में भेजा गया है। प्रभारी नायब तहसीलदार राकेश पिप्पल, मिट्‌ठूलाल पंवार, प्रेमप्रकाश गोस्वामी को भी अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।

राजा रघुवंशी हत्याकांड में मेघालय की अदालत ने 3 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा

इंदौर  राजा रघुवंशी हत्याकांड के तीन आरोपियों को शिलॉन्ग (Shillong Court) की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. मुख्य तीन आरोपियों आकाश राजपूत, विशाल सिंह चौहान और आनंद कुर्मी की गुरुवार को हिरासत खत्म हो रही थी. इस वजह से शिलॉन्ग पुलिस ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट में पेश किया. वहीं, राजा रघुवंशी की हत्या के मास्टरमाइंड सोनम रघुवंशी और उसके प्रेमी राज कुशवाह की हिरासत शुक्रवार को खत्म होगी, फिर पुलिस उन्हें भी कोर्ट में पेश करेगी. लोक अभियोजक तुषार चंदा ने बताया, 'अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत 14 दिन के लिए बढ़ा दी है।' चौहान, राजपूत और कुर्मी मध्यप्रदेश के निवासी हैं। हत्या की साजिश रचने की आरोपी रघुवंशी की पत्नी सोनम और उसके प्रेमी राज कुशवाह भी न्यायिक हिरासत में हैं। राजा रघुवंशी ने 11 मई को इंदौर में सोनम से शादी की और 20 मई को हनीमून के लिए मेघालय आए थे। वह 23 मई को शिलांग से लगभग 65 किलोमीटर दूर सोहरा में लापता हो गए थे। दो जून को उनका क्षत-विक्षत शव एक झरने के पास खाई में मिला। इंदौर के तीन अन्य लोगों एक प्रॉपर्टी डीलर, एक फ्लैट मालिक और एक सुरक्षा गार्ड को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन पर जांच में बाधा डालने और इंदौर के उस फ्लैट में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप लगे हैं जहां सोनम तथा उसका प्रेमी राज कुशवाह राजा रघुवंशी की हत्या के बाद ठहरे थे।