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9 सितंबर को मतदान, उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का पूरा शेड्यूल EC ने जारी किया

नई दिल्ली चुनाव आयोग ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति के उप चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 9 सिंतबर को उपचुनाव होंगे. इसी दिन वोटिंग की जाएगी. वहीं, नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त है. साथ ही 9 सितंबर को ही वोटों की गिनती भी की जाएगी. पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को पद से इस्तीफा दे दिया था. धनखड़ ने इस्तीफा देने की वजह स्वास्थ्य कारण बताए थे. स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया था. अब उनके इस्तीफे के बाद ही उप चुनाव कराए जा रहे हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव की अहम तारीखें:     चुनाव आयोग की अधिसूचना – 7 अगस्त, 2025 को जारी होगी.     नामांकन की अंतिम ताीरख- 21 अगस्त, 2025 (गुरुवार)     नामांकन की जांच – 22 अगस्त, 2025 (शुक्रवार)     नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख- 25 अगस्त, 2025 (सोमवार)     वोटिंग – 9 सितंबर, 2025 (मंगलवार)     वोटों की गिनती- 9 सितंबर, 2025 (मंगलवार)     मतदान 9 अगस्त को होगा और वोटों की गिनती भी उसी दिन की जाएगी. बता दें कि 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 को समाप्त होने वाला था। लेकिन धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफे की घोषणा की थी। यदि एक से ज्यादा उम्मीदवारों का नामांकन हुआ तो फिर चुनाव कराना पड़ेगा और ऐसी स्थिति में 9 सितंबर को मतदान कराया जाएगा। 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी। उसी दिन काउंटिंग होगी और शाम तक रिजल्ट आ जाएगा। जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की शाम को अचानक ही पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इसकी जानकारी भी खुद ही एक्स अकाउंट पर लेटर शेयर करके दी थी। इससे पहले वह राष्ट्रपति भवन गए और प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू को इस्तीफा सौंप आए थे। बता दें कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर अब तक कयासों का दौर जारी है। भले ही उन्होंने अपने इस्तीफे में बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला दिया था, लेकिन विपक्ष की ओर से लगातार कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर उन्होंने अचानक पद क्यों छोड़ा है। सरकार के साथ उनके रिश्ते बिगड़ने को लेकर भी तमाम अपुष्ट दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन सरकार या फिर जगदीप धनखड़ की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ कहा नहीं गया है। गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दे पर तीखी राय जाहिर की थी। इसके अलावा बीते कुछ महीनों में विपक्ष के साथ उनके रिश्ते ज्यादा गहराने की भी चर्चाएं चलती रही हैं। कैसे होते हैं उपराष्ट्रपति पद के चुनाव उपराष्ट्रपति कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार, उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए एक निर्वाचक मंडल (Electoral College ) होता है. यह ही लोग वोट करते हैं. चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के तहत होता है. उपराष्ट्रपति के पद के लिए किसी व्यक्ति का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य शामिल होते हैं. कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति तब तक नहीं चुना जा सकता जब तक कि वह:     भारत का नागरिक हो     35 साल या उससे ज्यादा उसकी उम्र हो     राज्यसभा सांसद के रूप में चुनाव के लिए योग्य है. जगदीप धनखड़ ने दिया था इस्तीफा जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. धनखड़ के इस्तीफे से राजनीतिक हलचल मच गई थी. विपक्षी नेताओं ने उनके अचानक इस्तीफे को लेकर अटकलों को हवा दी थी. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी का “संवैधानिक पदों और प्रक्रियाओं, दोनों को कमजोर करने” का रिकॉर्ड रहा है. सुरजेवाला ने कहा था कि धनखड़ के “अचानक और रहस्यमय” इस्तीफे ने कई सवालों के जवाब नहीं दिए हैं. शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भी धनखड़ के इस्तीफे पर संदेह जताया और “पर्दे के पीछे” राजनीति का आरोप लगाया था.  

‘अमेरिका फर्स्ट’ में ट्रंप ने नहीं देखा रिश्ता! इजरायल समेत कई देशों पर 15% टैरिफ लागू

नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत कुल 92 व्यापारिक साझेदार देशों पर टैरिफ लगाया गया है। इन देशों पर 10 से 41 फीसदी तक टैरिफ लगाया गया है। ट्रंप ने अपने इस कार्यकारी आदेश के जरिए उस कहावत को भी चरितार्थ किया है कि बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया.. और इसी क्रम में ट्रंप ने अपने दोस्त नेतन्याहू को भी नहीं बख्शा। अमेरिका ने नई व्यापार नीति के तहत इजरायल पर 15% टैरिफ लगाने का फैसला किया है। वाइट हाउस ने घोषणा की है कि ट्रम्प प्रशासन की नई व्यापार नीति के तहत इजरायल से आने वाले सामानों पर 15 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा। इससे पहले अप्रैल में लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ में इजरायल पर दो फीसदी ज्यादा यानी कुल 17 फीसदी का टैरिफ लगाया गया था। नए आदेश में सीरिया पर 41% तक टैरिफ लगाया गया है, जबकि दक्षिण अफ्रीका पर 30% टैरिफ लगाया गया है। इसके अलावा, कनाडा से आने वाले सामानों पर मौजूदा टैरिफ 25% को बढ़ाकर 35% कर दिया गया है। पाकिस्तान पर 19% टैरिफ आदेश में कहा गया है कि धरती पर मौजूद हर देश से अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर कम से कम 10% टैरिफ तो लगाया ही जाएगा। द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की तरफ से जारी नई लिस्ट में कुल 92 देश शामिल हैं, जो उच्च टैरिफ रेट के अधीन हैं। ट्रंप ने पहले अफ्रीकी देश लेसोथो पर 50% टैरिफ की लगाने की धमकी दी थी लेकिन इस देश से आने वाले सामानों पर 15% टैरिफ ही लगाया गया है। इनके अलावा ताइवान पर 20%, पाकिस्तान पर 19% टैरिफ लगाया गया है। 15 फीसदी टैरिफ के दायरे में कौन-कौन से देश? 15 फीसदी के टैरिफ दायरे में इजरायल के अलावा और जो देश हैं, उनमें आइसलैंड, फिजी, घाना, गुयाना, इक्वाडोर, वेनेजुएला,दक्षिण कोरिया, तुर्की, अंगोला, बोत्सवाना, कैनरुन, चाड, कांगो, जापान, जॉर्डन, मेडागास्कर, मलावी, मॉरीशस. वनातु, जिम्बाव्वे और जाम्बिया आदि शामिल हैं।

मालेगांव धमाके में आरएसएस प्रमुख को जोड़ने की थी कोशिश? पूर्व अधिकारी का बड़ा आरोप

मालेगांव  महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट मामले की जांच करने वाले महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव था और ऐसा करने के लिए कहा गया था। इस मामले में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र ATS के रिटायर्ड इन्सपेक्टर महबूब मुजावर ने कहा कि भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश का उद्देश्य ‘भगवा आतंकवाद’ को स्थापित करना था। उन्होंने सोलापुर में कहा कि अदालत के फैसले ने एटीएस के फर्जीवाड़े को नकार दिया है। शुरू में एटीएस ने मामले की जांच की थी, लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने अपने हाथ में ले लिया था। मुजावर ने एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम लेते हुए कहा, ‘‘इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है।’’ मोहन भागवत को ‘पकड़ने’ के लिए कहा गया था उन्होंने कहा कि वह 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट की जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे, जिसमें छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को ‘पकड़ने’ के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों… लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके।’’ आदेश नहीं माना तो झूठे मामले में फंसाया मुजावर ने कहा कि दरअसल, उन्होंने उनका पालन नहीं किया क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को पकड़ना मेरी क्षमता से परे था। चूंकि मैंने आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिए मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और इसने मेरे 40 साल के करियर को बर्बाद कर दिया।’’ पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनके पास अपने दावों के समर्थन में दस्तावेजी सबूत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भगवा आतंकवाद नहीं था। सब कुछ फर्जी था।’’

फर्जीवाड़े में फंसी विदेशी अभिनेत्री, दो आधार कार्ड बनवाने पर उठे सवाल

कोलकाता  कोलकाता के जादवपुर से एक 28 साल की बांग्लादेशी अभिनेत्री को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक अभिनेत्री का नाम शांता पॉल है और वह कई सालों से अपनी पहचान छिपाकर भारत में रह रही थी। उसके पास से फर्जी आधार कार्ड और वोटर आईडी भी बरामद की गई हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पॉल बांग्लादेश में कई मॉडलिंग प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं। 2023 से वह जाधवपुर के विजयगढ़ में एक किराए के मकान में रह रही थीं। पार्क स्ट्रीक पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। शांता पॉल के मकान में तलाशी के दौरान उनके कई बांग्लादेशी दस्तावेज भी मिले हैं। इसमें बांग्लादेशी सेकंड्री एग्जामिनेशिन का ऐडमिट कार्ड, बांग्लादेश की एयरलाइन की आईडी शामिल हैँ। इसके अलावा शांता पॉल के पास दो आधार कार्ड पाए गए। एक में पता कोलकाता का है तो दूसरे में बर्धमान का। पुलिस का कहना है कि बर्धमान वाला आधार कार्ड 2020 में जारी हुआ था। हाल ही में पॉल ने थाकुरपुकुर पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज करवाई थी। इसमें उनका अलग ही पता दर्ज करवाया गया था। शांता पॉल अकसर अपना पता बदलती रहती थीं। वहीं शांता का ऐप बेस्ड कैब का भी बिजनेस था। इसी वजह से उनकी संदिग्ध गतिविधियां नजर में आ गईं।पुलिस ने बताया कि शांता पॉल ने भारतीय पहचान पत्रों को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। संदेह है कि इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट हो सकता है। पुलिस पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर ये दस्तावेज कैसे बनवाए गए और इन्हें बनवाने के लिए कौन से कागजात लगाए गए थे। लालबाजार पुलिस ने आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड की जांच करने के लिए UIDAI, चुनाव आयोग और राज्य के खाद्य विभाग से भी संपर्क किया है। जानकारी के मुताबिक शांता पॉल बांग्लादेश के बारीसाल की रहने वाली हैं। वहीं पॉल के पति आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। वह भी पॉल के साथ ही साउथ कोलकाता के फ्लैट में रहते थे। उनसे भी पुलिस पूछताछ कर रही है। साल 2019 में पॉल ने केरल में होने वाले मिस एशिया ग्लोबल कॉम्पटिशन में भी हिस्सा लिया था। वह बंगाली और तेलुगु फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं।

‘नमस्ते नहीं, नापसंद’: भारत ने ठुकराया F-35 ऑफर, कहा– भरोसा है अपने साथी पर

भारत की दमदार चाल से बौखलाए अमेरिका, ट्रंप बोले– ये पुष्पा स्टाइल नहीं चलेगी! ‘नमस्ते नहीं, नापसंद’: भारत ने ठुकराया F-35 ऑफर, कहा– भरोसा है अपने साथी पर नई दिल्ली अमेरिका की सत्ता में जब डोनाल्ड ट्रंप ने वापसी की तो उन्होंने पूरी दुनिया को टैरिफ की धमकी दी थी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में उनसे मुलाकात की थी. साथ ही भारत शुरू से ट्रेड डील पर बात कर रहा था. लेकिन अब अमेरिका ने यह जगजाहिर कर दिया है कि रूस और भारत की दोस्ती से वह नाराज रहा है. इसके अलावा भारत ट्रेड डील से जुड़ी बातचीत में अमेरिका के सामने झुका नहीं जो ट्रंप प्रशासन के कुंठा का बड़ा कारण बना. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने न्यूयॉर्क में CNBC को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘भारत को लेकर ट्रंप और पूरी ट्रेड टीम बहुत हताश हो गई है. बातचीत की शुरुआत भारत ने की थी लेकिन फिर चीजें खींचती चली गईं.’ वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को कहा कि भारत की ओर से रूसी तेल की खरीद से यूक्रेन में मास्को के युद्ध प्रयासों को बनाए रखने में मदद मिल रही है और यह निश्चित रूप से वाशिंगटन के साथ नई दिल्ली के संबंधों में ‘चिढ़ का विषय’ है. यह दोनों बयान तब आए हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अचानक ऐलान कर दिया कि 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा. किस बात पर तैयार नहीं भारत रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ट्रेड डील के लिए तैयार है. लेकिन उसने एक रेड लाइन खींच दी है, जिसे वह अमेरिका को पार करने नहीं देगा. यह रेडलाइन देश के किसानों को बचाने के लिएबनाई गई है. दरअसल भारत मक्का, सोयाबीन, डेयरी और बादाम के आयात को छूट देने के लिए तैयार नहीं है, जो व्यापार वार्ता में एक प्रमुख अड़चन साबित हुआ. भारतीय वार्ताकारों ने भारतीय बाजारों में बेरोकटोक पहुँच की अनुमति देने की अमेरिकी मांगों पर स्पष्ट रूप से लाइन तैयार कर दी है. किसान संघों ने भी अमेरिका के साथ ऐसे किसी भी समझौते को लेकर सरकार को बार-बार चेतावनी दी थी, जिससे आयात की अनुमति मिलती हो. भारत पर अमेरिका ने लगाया टैरिफ भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक नया मोड़ आ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अचानक ऐलान कर दिया कि 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा. इतना ही नहीं, भारत की ओर से रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भी एक अलग ‘पेनल्टी’ लगाने की बात कही गई है. इस फैसले के ठीक एक दिन बाद अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने न्यूयॉर्क में CNBC को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘भारत को लेकर ट्रंप और पूरी ट्रेड टीम बहुत हताश हो गई है.’ स्कॉट बेसेन्ट ने सीधे तौर पर भारत की रूस से तेल खरीद को अमेरिका के लिए बड़ी चिंता बताया. उन्होंने कहा, ‘भारत बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित रूसी तेल खरीद रहा है और फिर उसे रिफाइन कर बेचता है. ऐसे में वह एक जिम्मेदार वैश्विक खिलाड़ी नहीं माना जा सकता.’ अमेरिकी विदेश मंत्री ने क्या कहा? विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, ‘भारत हमारा रणनीतिक साझेदार है, लेकिन हर मसले पर 100% सहमति होना संभव नहीं.’ उन्होंने माना कि भारत की ऊर्जा जरूरतें बहुत बड़ी हैं और रूस से तेल खरीदना उसकी आर्थिक मजबूरी भी है क्योंकि वहां से तेल सस्ता मिल रहा है. उन्होंने आगे कहा, ‘ निराशाजनक है कि जब दुनिया में तेल के इतने विकल्प हैं, तब भी भारत रूस से इतनी बड़ी मात्रा में खरीदारी करता है. इससे रूस को युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है.’. ‘नमस्ते नहीं, नापसंद’: भारत ने ठुकराया F-35 ऑफर, कहा– भरोसा है अपने साथी पर अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसद टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. भारतीय उत्‍पादों के लिए अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है, ऐसे में ट्रंप की घोषणा का कारोबार पर असर पड़ने की पूरी संभावना है. हालांकि, अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने इस मसले पर बातचीत की मंशा भी जाहिर की है. इन सबके बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिका के पांचवीं पीढ़ी के F-35 फाइटर जेट को खरीदने से इनकार कर दिया है. नई दिल्‍ली ने अपना पक्ष स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि वह ज्‍वाइंट वेंचर के तौर पर 5th जेनरेशन का लड़ाकू विमान डेवपल करना चाहता है. बता दें कि भारत के ऑल वेदर फ्रेंड रूस ने भी पांचवीं पीढ़ी के Su-57 फाइटर जेट मुहैय कराने का ऑफर दिया है. कुछ रिपोर्ट की मानें तो रूस ने टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर और संयुक्‍त रूप से पांचवीं पीढ़ी का विमान डेवलप करने का प्रस्‍ताव दिया है. F-35 फाइटर जेट पर भारत के रुख के बाद ऐसा माना जा रहा है कि रूस का Su-57 पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट डील में फ्रंट रनर हो सकता है. ‘ब्‍लूमबर्ग’ की र‍िपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिकी F-35 फाइटर जेट खरीदने को लेकर इच्‍छुक नहीं है. रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि इस बाबत भारत ने अमेरिका को सूचित कर दिया है कि वह F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान खरीदने का इच्छुक नहीं है. फ़रवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत को ये महंगे लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश की थी. हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि मोदी सरकार घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों के संयुक्त डिज़ाइन और निर्माण पर केंद्रित साझेदारी में ज़्यादा रुचि रखती है. इसका सीधा सा मतलब यह है कि भारत ज्‍वाइंट और टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर के आधार पर डिफेंस डील करना चाहता है. बता दें कि ब्रिटेन की रॉयल नेवी का एफ-35 लड़ाकू विमान तकनीकी दिक्‍कतों के चलते केरल में तकरीबन 37 दिनों तक अटका रहा. इसके अलावा कैलिफोर्निया में एफ-35 जेट क्रैश भी हुआ है. इन दोनों घटनाओं से F-35 की एफिशिएंसी पर गंभीर सवाल उठे हैं. ट्रंप के टैरिफ वॉर से निपटने का तरीका रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका से आयात बढ़ाकर हालात को संतुलित करने की कोशिश कर सकता है. इसमें खास तौर पर प्राकृतिक गैस, कम्‍यूनिकेशन … Read more

महाराष्ट्र में सुरक्षा एजेंसियों का एक्शन, नकली बर्थ सर्टिफिकेट के जरिये रह रहे बांग्लादेशी बेनकाब

मुंबई  महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य के कैबिनेट मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को बताया कि सरकार ने विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करेगी। इसके साथ ही सभी जिलों को आदेश दिया गया है कि 15 अगस्त तक फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की जांच पूरी कर उन्हें रद्द कर दिया जाए। सरकार ने साफ किया है कि अब किसी को भी फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी सुविधाएं नहीं दी जाएंगी। अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की जाएगी बावनकुले ने कहा कि अब तक जिन अवैध घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है, उन पर भी शिकंजा कसा जाएगा। उन्होंने बताया कि जिनके पास फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट हैं, उनकी पूरी लिस्ट तैयार की जा रही है और उन सभी पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले इन लोगों को पहचान पत्र, स्कूल दाखिला, आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता का भ्रम पैदा कर सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा था। महाराष्ट्र में फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट पर कार्रवाई, अवैध बांग्लादेशियों की पहचान तेज फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनने की प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों, एजेंटों और नेताओं की मिलीभगत सामने आई है। कई मामलों में नगरपालिका या पंचायत कार्यालय के कर्मचारियों ने बिना किसी दस्तावेज सत्यापन के पैसे लेकर प्रमाणपत्र जारी किए। कुछ ने स्कूलों के फर्जी रिकॉर्ड का सहारा लिया तो कुछ ने किराए के पते और जाली पहचान के जरिए यह फर्जीवाड़ा किया। डिजिटल रिकॉर्डिंग और दस्तावेजों की क्रॉस वेरिफिकेशन की कमी ने इस गड़बड़ी को बढ़ावा दिया। अब टास्क फोर्स हर बर्थ सर्टिफिकेट की फील्ड वेरिफिकेशन के जरिए जांच करेगी। कांग्रेस पर बोला हमला बावनकुले ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि संसद में ‘ऑपरेशन महादेव’ को लेकर जो बयान दिए गए, वे सेना और देश के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि जब देश आतंकवादियों पर सख्त कार्रवाई करता है, तो कांग्रेस सवाल उठाने लगती है, जिससे उसकी मानसिकता साफ होती है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कांग्रेस पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब ‘महादेव’ से भी नफरत करने लगी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दी गई जानकारी को पूरी तरह तथ्यात्मक और पारदर्शी बताया। फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस इस सच्चाई को छुपाने की कोशिश कर रही है और पाकिस्तान जैसी भाषा बोल रही है, जिससे उसकी असलियत सामने आ गई है।

अब संपत्ति खरीद के लिए पैन-आधार लिंक जरूरी, OTP से होगी जांच

नई दिल्ली देश में संपत्ति खरीद और पंजीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन की योजना बनाई जा रही है. नए पंजीकरण विधेयक-2025 के मसौदे में प्रस्तावित है कि हर संपत्ति खरीद के समय स्टांप के लिए OTP आधारित सत्यापन अनिवार्य होगा. इससे सभी संपत्तियों की जानकारी आयकर विभाग के पास पहुंच जाएगी. इसके अलावा, बैनामी संपत्ति और भूमि खरीद पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार आधार और पैन नंबर का सत्यापन बैनामे से पहले अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है. ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने नए पंजीकरण विधेयक-2025 का मसौदा तैयार किया है. वर्तमान में संपत्ति खरीदने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड नंबर देना अनिवार्य है, लेकिन इनका सत्यापन नहीं किया जाता. सभी राज्यों के स्टांप एवं निबंधन विभागों के लिए यह आवश्यक है कि 30 लाख रुपये से अधिक के बैनामे की जानकारी आयकर विभाग को प्रदान करें, लेकिन कई मामलों में यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती. इसके परिणामस्वरूप, बैनामी संपत्तियों का पता लगाना कठिन हो जाता है. खरीदार का रिकॉर्ड खंगाला जाएगा इस प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद, आयकर विभाग का एआई आधारित प्रणाली यह मूल्यांकन करेगी कि खरीददार कौन है, उसकी पिछले पांच से छह वर्षों में वार्षिक आय कितनी रही है, और उसने कुल कितनी संपत्तियां खरीदी हैं. यदि किसी व्यक्ति द्वारा उसकी शुद्ध आय से अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदी जाती है, तो यह प्रणाली स्वतः नोटिस जारी करेगी. इससे संदिग्ध मामलों की पहचान और त्वरित समाधान में सहायता मिलेगी. आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नई व्यवस्था के तहत संपत्तियों का संपूर्ण विवरण हमारे पास उपलब्ध रहेगा. किसी भी भूमि या संपत्ति की खरीद से पूर्व, खरीदार और विक्रेता के पैन कार्ड का ओटीपी के माध्यम से सत्यापन किया जाएगा, जिसके बाद आधार नंबर से भी इसकी पुष्टि की जाएगी. सत्यापन के बाद सभी रजिस्ट्रार अपने अधिकृत मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी के माध्यम से बैनामे को मंजूरी देंगे. जैसे ही रजिस्ट्रार द्वारा पोर्टल पर बैनामे को ओटीपी से सत्यापित किया जाएगा, उसकी एक डिजिटल कॉपी हमारे पास उपलब्ध हो जाएगी, जिससे खरीदने और बेचने वाले का रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा. वर्तमान में, आयकर विभाग और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के पास बैनामी संपत्तियों से संबंधित तीन लाख से अधिक शिकायतें लंबित हैं. उत्तर प्रदेश में पैन आधारित सत्यापन की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. दान-गिफ्ट पर नजर नई प्रणाली के तहत दान और गिफ्ट में दी गई संपत्तियों पर निगरानी रखी जाएगी. विभाग के पास ऐसी कई शिकायतें आई हैं, जिनमें यह पाया गया है कि किसी व्यक्ति के नाम पर संपत्ति खरीदी गई और कुछ वर्षों बाद उसे दान या गिफ्ट के रूप में किसी अन्य व्यक्ति को सौंप दिया गया. इन मामलों की जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि संपत्ति के वास्तविक खरीदार वही व्यक्ति था, जिसे बाद में संपत्ति का दान या गिफ्ट दिया गया.

201 देशों में 120 ईसाई बहुल, मात्र दो हिंदू बहुल देश – आंकड़े बता रहे धार्मिक संतुलन की कहानी

नई दिल्ली भारत में कई नेता अकसर बदलती हुई आबादी का मसला उठाते रहे हैं। हाल ही में तमिलनाडु के गवर्नर और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने भी यह मसला उठाया था। हिमंत बिस्वा सरमा का तो कहना है कि 2041 तक असम में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। इसके अलावा राज्यपाल एन. रवि ने भी असम, पश्चिम बंगाल, यूपी और बिहार के कुछ सीमांत इलाकों को लेकर चिंता जाहिर की। लेकिन दुनिया भर में ऐसी चर्चाएं और चिंताएं अकसर जाहिर की जाती रही है। अब प्यू रिसर्च के एक सर्वे में आया है कि 2010 से 2020 की अवधि में दुनिया में ईसाई बहुल देशों की संख्या में कमी आई है। ईसाई बहुल देशों की संख्या दुनिया में 2010 में 124 थी, जो 2020 में घटकर 120 पर आ गई है। इसकी वजह यह है कि कई देशों में ईसाई आबादी का अनुपात कम हुआ है। जनसंख्या वृद्धि दर में कमी और अपने धर्म को छोड़कर नास्तिक बनना या किसी और मजहब को स्वीकार करना इसकी अहम वजह है। जिन देशों में ईसाई आबादी अब बहुसंख्यक नहीं रही है, वहां कमी का कारण यह है कि बड़ी संख्या में लोगों ने धर्म को छोड़ दिया। ये लोग खुद को अब किसी भी धर्म से नहीं जोड़ते हैं। ये खुद को नास्तिक, अज्ञेयवादी अथवा अनीश्वरवादी मानते हैं। कुल मिलाकर ईसाई देशों की संख्या में 10 सालों के अंतराल में ही बड़ी कमी आ गई और 4 देश नक्शे से घट गए। कुल 5 फीसदी देश दुनिया के ऐसे हैं, जहां बहुसंख्यक आबादी किसी भी धर्म को ना मानने वालों की है। अब बात करते हैं कि आखिर वे कौन से देश हैं, जहां की अब बहुसंख्यक आबादी ईसाई नहीं रही। इन देशों में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे जैसे बड़े देश हैं। अब यूके में ईसाई आबादी 49 फीसदी ही बची है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में 47 फीसदी, फ्रांस में 46 और उरुग्वे में 44 फीसदी ही ईसाई जनसंख्या बची है। उरुग्वे में किसी भी धर्म को ना मानने वालों की संख्या 52 फीसदी हो गई है। एक और तथ्य यह है कि नीदरलैंड में भी बहुमत (54 फीसदी) अब किसी मजहब को न मानने वालों का है। इसके अलावा न्यूजीलैंड में यह नंबर 51 पर्सेंट है। हिंदुओं का दुनिया में क्या हाल, बहुमत वाले सिर्फ 2 देश दुनिया के 201 मान्यता प्राप्त देशों में अब 120 ही ईसाई बहुल बचे हैं। इसके अलावा सिर्फ दो देश ही हिंदू बहुल हैं। इन देशों में एक भारत है और दूसरा नेपाल। दिलचस्प फैक्ट है कि 95 फीसदी हिंदू आबादी अकेले भारत में ही बसती है। इसके अलावा बाकी 5 फीसदी जनसंख्या पूरी दुनिया में बिखरी हुई है। यही नहीं दुनिया की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 15 फीसदी है। कुल मिलाकर दुनिया के 60 फीसदी देश अब भी ईसाई बहुल है। हालांकि आने वाले दशकों में इस स्थिति में और बदलाव हो सकता है। कुछ और देश ईसाई बहुल होने का तमगा खो सकते हैं।

अगस्त में 15 दिन बंद रहेंगे बैंक, लॉन्ग वीकेंड में इतने दिन बंद रहेंगे बैंक, देखें लिस्ट

हर महीने की तरह अगस्त 2025 में भी बैंक कई दिनों के लिए बंद रहेंगे. अगर आपके पास कोई जरूरी बैंक का काम है, जैसे पासबुक अपडेट कराना, कैश जमा करना, ड्राफ्ट बनवाना या लॉकर एक्सेस करना, तो अभी से उसकी प्लानिंग कर लेना अच्छा रहेगा.रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की छुट्टियों की लिस्ट(RBI Bank Holidaylist) के अनुसार, अगस्त महीने में कुल 15 दिन बैंक बंद रहेंगे. इनमें कुछ दिन वीकेंड यानी शनिवार और रविवार की छुट्टियां हैं, जबकि कुछ छुट्टियां राज्य विशेष त्योहारों और आयोजनों के कारण हैं. हर राज्य की बैंक छुट्टियां एक जैसी नहीं होतीं, इसलिए ये जानना जरूरी है कि आपके शहर में किस-किस तारीख को बैंक बंद (State-Wise Bank Holiday List) रहेंगे. शनिवार और रविवार की छुट्टियां हर हफ्ते के रविवार को सभी बैंक बंद रहते हैं. इसके अलावा, हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को भी बैंकों में छुट्टी होती है. अगस्त 2025 वीकेंड की छुट्टियां कब-कब रहेंगी? अगस्त 2025 में रविवार को बैंक हमेशा की तरह बंद रहेंगे. इस बार 3, 10, 17, 24 और 31 अगस्त को रविवार है. इसके अलावा, 9 अगस्त को दूसरा शनिवार और 23 अगस्त को चौथा शनिवार होने के कारण भी बैंक बंद रहेंगे. अगस्त 2025 में त्योहारों की वजह से कई दिन  बंद रहेंगे बैंक  अगस्त में कई बड़े त्योहार आने वाले हैं जैसे रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी. इन्हीं त्योहारों के चलते अलग-अलग राज्यों में बैंक बंद रहेंगे. 8, 9, 13, 15, 16, 19, 25, 27 और 28 अगस्त को अलग-अलग राज्यों में बैंक बंद रहेंगे. जैसे – 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर यूपी, राजस्थान, एमपी समेत कई राज्यों में बैंक बंद रहेंगे.15 अगस्त को पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस के साथ-साथ गुजरात और महाराष्ट्र में पारसी न्यू ईयर की छुट्टी होगी.16 अगस्त को जन्माष्टमी के चलते बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, तेलंगाना जैसे राज्यों में बैंक बंद रहेंगे.27 और 28 अगस्त को गणेश चतुर्थी और इसके अगले दिन महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, ओडिशा जैसे राज्यों में बैंक बंद रहेंगे. छुट्टियों की तारीखें राज्य और वहां मनाए जाने वाले त्योहारों पर निर्भर करती हैं, इसलिए बैंक जाने से पहले  हॉलिडे लिस्ट जरूर चेक करें. अगस्त 2025 की छुट्टियों की पूरी लिस्ट इस बार अगस्त में कुल 15 छुट्टियां होंगी, जिनमें से करीब 7 दिन वीकेंड की छुट्टियां हैं और बाकी राज्य/त्योहारों के हिसाब से हैं.     3 अगस्त 2025 रविवार को देशभर में सभी बैंक बंद रहेंगे.     8 अगस्त 2025 को तेंगना पोर्निमा और झूलन पूर्णिमा के मौके पर ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बैंक बंद रहेंगे.     9 अगस्त को दूसरा शनिवार होने की वजह से देशभर में बैंकिंग सेवाएं बंद रहेंगी.     10 अगस्त 2025 रविवार को देशभर में सभी बैंक बंद रहेंगे.     13 अगस्त को केरल में ओणम पर्व की छुट्टी के कारण बैंक बंद रहेंगे.     15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर पूरे देश में बैंक अवकाश रहेगा.     16 अगस्त को पारसी नववर्ष (नवरोज) के चलते महाराष्ट्र और गुजरात में बैंक बंद रहेंगे.     17 अगस्त 2025 रविवार को देशभर में सभी बैंक बंद रहेंगे.     19 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहेंगी.     23 अगस्त को चौथे शनिवार की वजह से पूरे देश में बैंक बंद रहेंगे.     24 अगस्त 2025 रविवार को देशभर में सभी बैंक बंद रहेंगे.     25 अगस्त को जन्माष्टमी के कारण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, दिल्ली समेत कई राज्यों में बैंक बंद रहेंगे.     27 अगस्त को श्री नारायण गुरु जयंती के चलते केरल में बैंक अवकाश रहेगा.     28 अगस्त को थिरुवोनम (ओणम का प्रमुख दिन) पर केरल में एक बार फिर बैंकिंग सेवाएं बंद रहेंगी.     31  अगस्त 2025 रविवार को देशभर में सभी बैंक बंद रहेंगे. राज्य के अनुसार छुट्टियां अलग-अलग हो सकती हैं. पूरी लिस्ट आप RBI की वेबसाइट या अपने स्थानीय बैंक ब्रांच से भी चेक कर सकते हैं. बैंक हॉलिडे के दिन क्या ऑनलाइन बैंकिंग काम करेगी? हाँ, छुट्टी के दिन भी नेट बैंकिंग, UPI, मोबाइल बैंकिंग और ATM जैसे डिजिटल साधन चलते रहेंगे. आप फंड ट्रांसफर, बैलेंस चेक, बिल पेमेंट जैसे काम आराम से कर पाएंगे.हालांकि, NEFT और RTGS जैसे ट्रांजैक्शन में थोड़ी देरी हो सकती है और चेक क्लीयरेंस, KYC अपडेट, लॉकर विज़िट जैसे काम के लिए ब्रांच जाना ज़रूरी होता है, जो छुट्टी वाले दिन नहीं हो पाएगा. अब भले ही डिजिटल बैंकिंग आम हो गई हो, लेकिन बहुत से ऐसे काम हैं जो बिना बैंक जाए पूरे नहीं होते. इसलिए अगर आप किसी जरूरी बैंकिंग काम की प्लानिंग कर रहे हैं जैसे लोन प्रोसेसिंग, फिक्स्ड डिपॉजिट, ड्राफ्ट बनवाना या चेक क्लियरेंस तो बेहतर होगा कि छुट्टियों की लिस्ट देखकर काम पहले ही पूरा कर लें.वरना छुट्टी के चलते आपको फालतू की दौड़भाग और देरी का सामना करना पड़ सकता है.

पीएम मोदी और ओडिशा सीएम मोहन माझी की बैठक, राज्य के विकास पर हुई चर्चा

नई दिल्ली ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास से जुड़े कई अहम मुद्दों पर बातचीत की। पीएम मोदी से सीएम माझी की यह मुलाकात ओडिशा में विकास कार्यों को गति देने और केंद्र-राज्य सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मुख्यमंत्री माझी ने मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री का आभार जताया। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं ओडिशा के विकास के लिए उनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभारी हूं।” उन्होंने बताया कि बैठक में ओडिशा के विकास के रोडमैप, भविष्य की योजनाओं और केंद्र-राज्य के बीच बेहतर तालमेल पर चर्चा हुई। माझी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर एक समृद्ध ओडिशा और विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बैठक में ओडिशा में चल रही और प्रस्तावित परियोजनाओं पर जोर दिया गया। इस मुलाकात के दौरान सीएम माझी ने प्रधानमंत्री मोदी को राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से लागू करने की योजना के बारे में बताया। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से ओडिशा के लिए और अधिक सहयोग की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मुलाकात को सकारात्मक बताया और ओडिशा की प्रगति के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। दोनों नेताओं ने यह सुनिश्चित करने पर सहमति जताई कि केंद्र और राज्य मिलकर जनता के कल्याण और विकास के लिए काम करेंगे। इस मुलाकात को ओडिशा में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।