तेजी से उभरती भारत की अर्थव्यवस्था, वैश्विक स्तर पर दिखा विकास और निर्यात का दम

नई दिल्ली भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत रही है, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक है। साथ ही, इस दौरान देश का निर्यात भी सार्वकालिक उच्चतम स्तर 824.9 बिलियन डॉलर पर रहा है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था आत्मविश्वास के साथ लगातार बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में देश की विकास दर इसी आंकड़े के आसपास रहने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत की विकास दर इस साल 6.3 प्रतिशत और अगले साल 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जबकि भारतीय उद्योग परिसंघ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 6.40 से 6.70 प्रतिशत के बीच रह सकती है। अर्थव्यवस्था के अच्छे प्रदर्शन के कारण देश के निर्यात में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 778.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 6.01 प्रतिशत अधिक है। इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 में देश का निर्यात केवल 466.22 बिलियन डॉलर था, जो बीते एक दशक में देश के निर्यात में निरंतर प्रगति को दिखाता है। एक तरफ देश तेजी से आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है। वहीं, महंगाई दर भी न्यूनतम स्तरों पर बनी हुई है। मई 2025 में खुदरा महंगाई दर 2.82 प्रतिशत पर रही थी, जो कि फरवरी 2019 के बाद खुदरा महंगाई का सबसे निचला स्तर है। इसके अतिरिक्त, भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे प्रदर्शन के कारण पूंजीगत बाजारों पर भी निवेशकों का भरोसा तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की संख्या दिसंबर 2024 तक बढ़कर 13.2 करोड़ हो गई है, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा 4.9 करोड़ पर था। यह बढ़ोतरी इक्विटी बाजारों में बढ़ती सार्वजनिक रुचि और देश की दीर्घकालिक क्षमता में विश्वास को दर्शाती है। अब अधिकतर लोग शेयर बाजार को केवल बड़ी कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी संपत्ति बनाने के एक जरिए के तौर पर देखते हैं।

Nvidia ने छुआ नया शिखर, बनी दुनिया की नंबर 1 मार्केट कैप कंपनी

इंदौर AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) क्रांति की तेज लहर में एक नया चैप्टर जुड़ गया है। ग्राफिक्स और प्रोसेसर चिप निर्माता कंपनी Nvidia ने 3.92 ट्रिलियन डॉलर के ऐतिहासिक मार्केट कैप को छू लिया है। इस उपलब्धि ने कंपनी को दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बना दिया है। इसने Apple के पहले के रिकॉर्ड ($3.915 ट्रिलियन, दिसंबर 2024) को भी पार कर दिया है।   क्यों Nvidia बन गई AI क्रांति की धुरी? Microsoft, Google, Meta और Amazon जैसे टेक दिग्गज AI पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं। Nvidia उनके लिए बुनियादी हार्डवेयर मुहैया करवा रही है। ऐसे में यह Nvidia को AI इकोसिस्टम के लिए बहुत जरूरी बना देती है। Nvidia के GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) कभी गेमिंग के लिए डिजाइन थे, जो कि अब बड़े-बड़े AI मॉडल जैसे GPT, Gemini और Grok को ट्रेन करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कंपनी के प्रोसेसर लगभग सभी प्रमुख AI डाटा सेंटर्स में लगे हुए हैं, जिससे Nvidia AI के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का राजा बन गया है। Nvidia का मार्केट वैल्यू 2021 से अब तक आठ गुना बढ़ चुका है। इसने $500 बिलियन से $3.92 ट्रिलियन तक का सफर तय किया है। बाजार में बड़ी टेक कंपनियों से आगे Nvidia ने बाजार पूंजीकरण के मामले में Microsoft ($3.7 ट्रिलियन), Apple ($3.19 ट्रिलियन), Google की पैरेंट कंपनी Alphabet ($2.3 ट्रिलियन) और Amazon ($2.2 ट्रिलियन) को पीछे छोड़ दिया है। विशेष बात यह है कि Nvidia की यह वैल्यूएशन ब्रिटेन के पूरे स्टॉक मार्केट से भी बड़ी है और कनाडा व मैक्सिको की सभी पब्लिक कंपनियों के कुल मूल्य से अधिक है। चिप किंग से अरबपति बादशाह Nvidia के CEO जेनसन हुआंग की संपत्ति भी कंपनी के साथ आसमान छू रही है। 2025 में नेट वर्थ: $139 बिलियन सिर्फ 2025 में संपत्ति में वृद्धि: $25 बिलियन (Bloomberg Billionaires Index के अनुसार)

टैक्सपेयर्स के लिए राहत, UPS पर भी लागू होंगे NPS जैसे टैक्स बेनिफिट

नई दिल्ली  वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत मिलने वाले कर लाभ आवश्यक परिवर्तनों के साथ यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) पर भी लागू होंगे, क्योंकि यूपीएस, एनपीएस के तहत एक विकल्प के रूप में लाया गया है। वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस उपाय का उद्देश्य यूपीएस को गति प्रदान करना है। ये प्रावधान मौजूदा एनपीएस फ्रेमवर्क के साथ समानता सुनिश्चित करते हैं और यूपीएस का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों को पर्याप्त कर राहत और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा कि यूपीएस को टैक्स फ्रेमवर्क के तहत शामिल करना पारदर्शी, लचीले और कर-कुशल विकल्पों के माध्यम से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट सुरक्षा को मजबूत करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। वित्त मंत्रालय ने 1 अप्रैल, 2025 से केंद्र सरकार की सिविल सेवा में भर्ती होने वाले लोगों के लिए एनपीएस के तहत एक विकल्प के रूप में यूपीएस की शुरूआत को अधिसूचित किया था, जिससे एनपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यूपीएस के तहत शामिल होने का वन-टाइम ऑप्शन मिल गया। इस फ्रेमवर्क को क्रियान्वित करने के लिए, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने 19 मार्च 2025 को पीएफआरडीए (एनपीएस के तहत यूपीएस का संचालन) विनियम, 2025 को अधिसूचित किया। ये विनियम केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तीन श्रेणियों के नामांकन को सक्षम करते हैं। पहली श्रेणी में 1 अप्रैल 2025 तक सेवा में मौजूदा केंद्र सरकार के कर्मचारी शामिल हैं, जो एनपीएस के तहत आते हैं। दूसरी श्रेणी में केंद्र सरकार की सेवाओं में नए भर्ती हुए लोग शामिल हैं, जो 1 अप्रैल 2025 को या उसके बाद सेवा में शामिल होते हैं। तीसरी श्रेणी में केंद्र सरकार के कर्मचारी शामिल हैं, जो एनपीएस के तहत आते थे और जो 31 मार्च 2025 को या उससे पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं या स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त हो चुके हैं या मौलिक नियम 56 (जे) के तहत सेवानिवृत्त हुए हैं और यूपीएस के लिए पात्र हैं या ऐसे ग्राहक के मामले में कानूनी रूप से विवाहित पति या पत्नी जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं और यूपीएस के विकल्प का प्रयोग करने से पहले उनकी मृत्यु हो गई है। वित्त मंत्रालय ने 30 मई को यह भी घोषणा की थी कि केंद्र सरकार के एनपीएस सब्सक्राइबर्स जो 31 मार्च, 2025 को या उससे पहले न्यूनतम 10 साल की क्वालिफाइंग सर्विस के साथ रिटायर हुए हैं, या उनके कानूनी रूप से विवाहित पति या पत्नी अब पहले से दावा किए गए एनपीएस लाभों के अलावा यूपीएस के तहत अतिरिक्त लाभों का दावा कर सकते हैं।

PNB के राहत के बाद अब कई बड़े सरकारी बैंक अपने ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त से छूट दे रहे

नई दिल्ली  बैंक सेविंग अकाउंट रखने वाले करोड़ों ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। PNB के राहत के बाद अब कई बड़े सरकारी बैंक अपने ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त से छूट दे रहे हैं। इसका सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जिनकी आय सीमित है या जिनका बैंकिंग लेनदेन कम होता है। अगर आपके खाते में तय राशि से कम पैसा है, तो आप पर किसी तरह का कोई जुर्माना नहीं लगेगा।   क्या था न्यूनतम बैलेंस का नियम? बैंकों द्वारा सेविंग अकाउंट्स के लिए एक न्यूनतम राशि निर्धारित की जाती थी, जिसे खाताधारकों को हर वक्त अपने खाते में बनाए रखना होता था। यदि ग्राहक का बैलेंस तय सीमा से नीचे चला जाता, तो उस पर जुर्माना (penalty charges) लगाया जाता था। यह नियम मेट्रो, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के हिसाब से भिन्न होता था। किन बैंकों ने हटाई न्यूनतम बैलेंस की शर्त? स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)     प्रभावी तिथि: 11 मार्च 2020 (पहले से लागू)     घोषणा: सभी सेविंग्स खातों के लिए AMB की अनिवार्यता समाप्त।     पहले की स्थिति: ₹5 से ₹15 तक का जुर्माना और टैक्स लगता था। इंडियन बैंक     प्रभावी तिथि: 7 जुलाई 2025     नया नियम: सभी सेविंग अकाउंट्स पर न्यूनतम बैलेंस चार्ज पूरी तरह समाप्त     बैंक का उद्देश्य: “ग्राहक-केंद्रित पहल” और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना। पंजाब नेशनल बैंक (PNB)     प्रभावी तिथि: 1 जुलाई 2025     नया नियम: न्यूनतम औसत बैलेंस न रखने पर अब कोई जुर्माना नहीं लगेगा।   केनरा बैंक     प्रभावी तिथि: 1 जून 2025     प्रभावित अकाउंट्स:     सामान्य सेविंग अकाउंट     सैलरी अकाउंट एनआरआई अकाउंट     सीनियर सिटीजन और स्टूडेंट अकाउंट     घोषणा: “नो पेनल्टी बैंकिंग” की दिशा में कदम। ग्राहकों को क्या फायदा?     लो-बैलेंस पर कोई पेनल्टी नहीं लगेगी     छोटे खाताधारकों को राहत, खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लिए     बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा  

पतंजलि की मुश्किलें बढ़ीं: HC ने डाबर को बदनाम करने वाले ऐड पर लगाई पाबंदी

नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि पतंजलि कंपनी डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भ्रामक या नकारात्मक विज्ञापन प्रसारित न करे। यह आदेश डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया है। डाबर ने पतंजलि पर आरोप लगाया है कि वह अपने विज्ञापनों के माध्यम से डाबर च्यवनप्राश को गलत तरीके से बदनाम कर रही है और उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही है। दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को डाबर इंडिया को पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ चल रहे विवाद में महत्वपूर्ण अंतरिम राहत प्रदान की है। कोर्ट ने डाबर की याचिका स्वीकार करते हुए अंतरिम राहत की मांग मंजूरी दी है। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की गई है। क्या है मामला? डाबर इंडिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पतंजलि के उन टीवी विज्ञापनों पर आपत्ति जताई थी, जो कथित तौर पर डाबर के च्यवनप्राश उत्पाद को निशाना बना रहे थे। डाबर का आरोप है कि पतंजलि ने डाबर के उत्पाद को साधारण बताकर उसकी छवि खराब करने की कोशिश की है। पतंजलि के विज्ञापन में दावा किया गया कि उसका च्यवनप्राश 51 से अधिक जड़ी-बूटियों से बना है, जबकि हकीकत में इसमें सिर्फ 47 जड़ी-बूटियां हैं। डाबर ने यह भी आरोप लगाया कि पतंजलि के उत्पाद में पारा (Mercury) पाया गया, जो बच्चों के लिए हानिकारक है। डाबर ने क्या कहा? डाबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने दलील पेश करते हुए कहा, “पतंजलि ने भ्रामक और गलत दावा कर यह जताने की कोशिश की कि वही एकमात्र असली आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बनाता है, जबकि डाबर जैसे पुराने ब्रांड को साधारण बताया गया।” सेठी ने यह भी बताया कि अदालत द्वारा दिसंबर 2024 में समन जारी किए जाने के बावजूद, पतंजलि ने एक ही सप्ताह में 6,182 भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए। पतंजलि की दलील पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके उत्पाद में सभी जड़ी-बूटियां आयुर्वेदिक मानकों के अनुसार हैं। उत्पाद पूरी तरह से मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है और उसमें कोई हानिकारक तत्व नहीं पाया गया। डाबर ने यह भी कहा कि वह च्यवनप्राश के बाजार में 61.6% हिस्सेदारी रखता है और पतंजलि का इस तरह का प्रचार एक प्रतिस्पर्धी रणनीति है जो ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है।  

अनिल अंबानी की रिलायंस कम्‍युनिकेशन कंपनी के लोन अकाउंट को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने तगड़ा झटका दिया

मुंबई   उद्योगपति अनिल अंबानी की रिलायंस कम्‍युनिकेशन कंपनी के लोन अकाउंट को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने तगड़ा झटका दिया है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उसके लोन खाते को 'धोखाधड़ी' कैटेगरी में डाल दिया. गौर करें तो स्‍टॉक एक्‍सचेंज फाइलिंग में Reliance Communications कंपनी ने कहा कि SBI ने अगस्‍त 2016 से क्रेडिट सुविधाओं के संबंध में रिलायंस कम्‍युनिकेशंस के खिलाफ उसके लोन खाते को 'धोखाधड़ी' कैटेगरी में डाला है. जबकि रिलायंस कम्‍युनिकेशंस दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत दिवालियापन की कार्यवाही से गुजर रही है. रिलायंस कम्युनिकेशंस ने मंगलवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उसके लोन खाते को 'धोखाधड़ी' कैटेगरी में डाल दिया है. अनिल अंबानी के वकील ने कहा कि एसबीआई द्वारा आरकॉम को 'धोखाधड़ी' करार देना आरबीआई के नियमों और अदालती आदेशों का उल्लंघन है. बता दें कि उद्योगपति अनिल अंबानी के वकीलों ने दिवालिया रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि इस कदम ने आरबीआई के दिशा-निर्देशों के साथ-साथ अदालत के निर्देशों का भी उल्लंघन किया है. 2 जुलाई को लिखे पत्र में वकील ने कहा कि एसबीआई का आदेश चौंकाने वाला है. और इसे एकतरफा पारित किया गया है. इसके साथ ही ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. वकील ने कहा कि एसबीआई का आदेश सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के विभिन्न निर्णयों के साथ-साथ आरबीआई के दिशा-निर्देशों का सीधा उल्लंघन है. आरकॉम ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंजों को भेजी गई फाइलिंग में कहा कि एसबीआई 2016 के एक मामले में कथित तौर पर फंड के डायवर्जन का हवाला देते हुए उसके ऋण खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत कर रहा है. वकील ने पत्र में कहा कि एसबीआई ने कारण बताओ नोटिस (एससीएन) की अमान्यता के बारे में अंबानी के संचार का लगभग एक साल तक जवाब नहीं दिया है. इसके साथ ही बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद अपने निर्णय का आधार बनने वाली जानकारी भी प्रदान नहीं की है. वकील ने कहा कि एसबीआई ने अंबानी को अपने आरोपों के खिलाफ दलीलें पेश करने के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया. गौर करें तो एसबीआई ने आरकॉम के अन्य गैर-कार्यकारी और स्वतंत्र निदेशकों को कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया है. वकील ने कहा कि अंबानी भी गैर-कार्यकारी निदेशक थे और आरकॉम के दिन-प्रतिदिन के मामलों में शामिल नहीं थे. वकील ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से इस श्रेणी में रखा गया है. उन्होंने कहा कि अंबानी कानूनी सलाह के मुताबिक मामले को आगे बढ़ा रहे हैं. "बैंक का 20 दिसंबर, 2023 का एससीएन 15 जुलाई, 2024 के संशोधित आरबीआई मास्टर निर्देशों से पहले जारी किया गया था. यह निर्देश उन निर्देशों को पूरी तरह से बदल देता है, जिनके तहत एससीएन जारी किया गया था. और जो अब अस्तित्व में नहीं हैं. ऐसे में बैंक को उस एससीएन को वापस लेने की जरूरत होगी. वकील ने कहा कि "इस कम्युनिकेशन के लिए बैंक की ओर से लगभग एक साल की विस्तारित चुप्पी को देखते हुए हमारे ग्राहक (अंबानी) को यह विश्वास था कि बैंक ने हमारे ग्राहक की स्थिति को स्वीकार कर लिया है. साथ ही मामले को आगे बढ़ाने का इरादा नहीं है."

बड़े पैमाने पर माइक्रोसॉफ्ट में होगी छंटनी, 9000 से अधिक कर्मचारियों के लिए झटका

वाशिंगटन  टेक्नोलॉजी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट (MSFT.O) ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर छंटनी का ऐलान किया है। Seattle Times की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अपने कुल वैश्विक कार्यबल के लगभग 4% यानी कि 9000 के पास कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। यह 2023 के बाद कंपनी की सबसे बड़ी छंटनी मानी जा रही है। जून 2024 तक माइक्रोसॉफ्ट में करीब 2,28,000 कर्मचारी कार्यरत थे। हालांकि, इस नई छंटनी की पुष्टि के लिए कंपनी ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया। बिक्री विभाग पर पड़ेगा मुख्य असर जून में Bloomberg News की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि माइक्रोसॉफ्ट विशेष रूप से सेल्स (बिक्री) विभाग में हजारों कर्मचारियों की कटौती की योजना बना रही है। इससे पहले, मई 2025 में भी कंपनी ने करीब 6,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था। 2023 के बाद सबसे बड़ी छंटनी रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2 जुलाई को पुष्टि की गई Microsoft Lay Off का ये चरण साल 2023 के बाद से टेक दिग्गज कंपनी द्वारा की जाने वाली छंटनी का सबसे बड़ा दौर है. ऐसा माना जा रहा है कि ये छंटनी माइक्रोसॉफ्ट में संगठनात्मक परिवर्तन का हिस्सा है. फिलहाल, कंपनी में इस छंटनी का असर सबसे ज्यादा किस सेक्शन पर पड़ने वाला है इसके बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन तमाम रिपोर्टों के आधार पर ये पता चलता है कि कोडिंग असिस्टेंट जैसे AI ऑपरेटेड उपकरणों का तेजी से इस्तेमाल इससे जुड़े कर्मचारियों को प्रभावित कर सकता है.  Microsoft अपने वर्कफ्लो में एआई को शामिल करने पर अधिक फोकस कर रही है और इस साल की शुरुआत में, Microsoft CEO सत्य नडेला ने साफ किया था कि किस तरह लगभग सभी कोड का 20-30 फीसदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किया गया था. इस बीच हाल ही सामने आया था कि माइक्रोसॉफ्ट के कुछ सेक्शन में अब AI के इस्तेमाल को अनिवार्य बना दिया गया है और इसे सीधे तौर पर उस सेक्शन में काम करने वाले कर्मचारियों की परफॉर्मेंस समीक्षा से जोड़ा गया है.  साल-दर-साल तेज हो रही छंटनी दुनिया भर में माइक्रोसॉफ्ट के साथ करीब 2,28,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और छंटनी की बात करें, तो ये साल-दर-साल बढ़ती जा रही है. इस साल की बात करें, तो मई 2025 में, Microsoft ने लगभग 6,000 नौकरियों में कटौती की थी और जून में 300 कर्मचारी निकाले थे. इससे पहले जनवरी महीने में कंपनी ने अपने कर्मचारियों के 1% की प्रदर्शन-आधारित कटौती की घोषणा की थी. कंपनी में सबसे बड़ी छंटनी साल 2023 में देखने को मिली थी, जब 10,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था.  हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट में सबसे बड़ी छंटनी साल 2014 में की गई थी, जबकि कंपनी ने अपने ग्लोबल वर्कफोर्स में से 18000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था. ये छंटनी कंपनी द्लारा Nokia के डिवाइस और सर्विस बिजनेस के अधिग्रहण के बाद की थी.  क्या बोले माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता?  एएफपी की रिपोर्ट की मानें तो माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता की ओर से बताया गया है कि कंपनी में आवश्यक संगठनात्मक परिवर्तनों को लागू करना जारी है और इस तरह के कदम उसके नियमित कार्यबल मूल्यांकन का हिस्सा हैं. Microsoft प्रवक्ता के मुताबिक, सबसे अच्छे समय में भी, हमने व्यवसाय की रणनीतिक मांगों को पूरा करने के लिए अपने कार्यबल को नियमित रूप से समायोजित किया है. माइक्रोसॉफ्ट अकेली ऐसी कंपनी नहीं है जो इस तरह के फैसले ले रही है। अमेरिका में कई बड़ी कंपनियों ने आर्थिक अनिश्चितता और संचालन लागत में कटौती के चलते 2025 में छंटनियों का सिलसिला तेज किया है। कंपनियां अपनी संरचना को दुबारा व्यवस्थित कर अधिक कुशल बनने की कोशिश कर रही हैं। 

₹2 लाख की FD पर 2 साल में मिलेगा ₹2.29 लाख से ज्यादा, पोस्ट ऑफिस की स्कीम में जबरदस्त फायदा

नई दिल्ली  बाजार में भले ही बैंकों की एफडी (Fixed Deposit) पर ब्याज दरें घट रही हों, लेकिन पोस्ट ऑफिस की सेविंग स्कीम्स आज भी छोटे निवेशकों को स्थिर और भरोसेमंद रिटर्न दे रही हैं। खास बात ये है कि जहां बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद एफडी की ब्याज दरों में कमी कर दी है, वहीं पोस्ट ऑफिस की टाइम डिपॉजिट (TD) स्कीम पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। RBI ने रेपो रेट घटाया, लेकिन पोस्ट ऑफिस ब्याज दरों पर टस से मस नहीं इस साल फरवरी से जून तक RBI ने रेपो रेट में 1.00% तक की कटौती की है। इसका असर बैंकों की लोन और एफडी स्कीम्स पर साफ दिखा – लोन सस्ते हुए और FD पर ब्याज दरें गिरीं। मगर पोस्ट ऑफिस की टाइम डिपॉजिट स्कीम अभी भी वही आकर्षक रिटर्न दे रही है, जो पहले मिल रहा था। पोस्ट ऑफिस TD पर कितना ब्याज? पोस्ट ऑफिस TD स्कीम को आप बैंक की एफडी जैसा समझ सकते हैं, लेकिन एक बड़ा फर्क है – यहां ब्याज सरकारी गारंटी के साथ तय होता है और बाजार में उतार-चढ़ाव का इस पर असर नहीं होता। ब्याज दरें इस प्रकार हैं: – 1 साल की TD: 6.9% – 2 साल की TD: 7.0% – 3 साल की TD: 7.1% – 5 साल की TD: 7.5% वाइफ के नाम 2 लाख रुपये की TD करें, जानिए 2 साल में क्या मिलेगा? अगर आप अपनी पत्नी के नाम पर पोस्ट ऑफिस की 2 साल की टाइम डिपॉजिट स्कीम में ₹2,00,000 जमा करते हैं, तो मैच्योरिटी पर कुल ₹2,29,776 मिलेंगे। -इसमें ₹29,776 की कमाई सिर्फ ब्याज से होगी। -निवेश राशि: ₹2,00,000 -अवधि: 2 साल -ब्याज दर: 7.0% प्रति वर्ष (कंपाउंडिंग के साथ) -मैच्योरिटी अमाउंट: ₹2,29,776    क्यों बेहतर है पोस्ट ऑफिस TD? -फिक्स और गारंटीड रिटर्न -सरकारी योजना, मतलब जोखिम नहीं -किसी भी उम्र और वर्ग के निवेशकों को एक जैसा ब्याज -न्यूनतम ₹1000 से शुरू कर सकते हैं -कोई अधिकतम सीमा नहीं  

फुल चार्ज पर 142Km तक दौड़ेगा हीरो का सबसे सस्ता इलेक्ट्रिक स्कूटर

नई दिल्ली हीरो मोटोकॉर्प की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ब्रांड विडा ने अपना सबसे सस्ता इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने इसका नाम विडा VX2 रखा है। कंपनी के दावे के मुताबिक, ये फुल चार्ज पर 142 किलोमीटर तक दौड़ेगा। खास बात ये है कि इसे बैटरी रेंटल प्रोग्राम 'बैटरी एज ए स​र्विस' (BAAS) के साथ पेश किया है। इसकी शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत 99,490 रुपए है। वहीं, BAAS प्रोग्राम (बैटरी की कीमत शामिल नहीं) के साथ इसकी शुरुआती कीमत सिर्फ 59,490 रुपए है। ये इलेक्ट्रिक स्कूटर TVS आईक्यूब, बजाज चेतक, ओला S1 और एथर रिज्टा को टक्कर देगा। बैटरी एज ए स​र्विस (BAAS) एक बैटरी रेंटल प्रोग्राम है। इसकी शुरुआती सबसे पहले MG मोटर इंडिया ने विंडसर ईवी के साथ की थी। इसमें आपसे बैटरी के इस्तेमाल (प्रति किलोमीटर) के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं। कंपनी का कहना है कि VX2 को बैटरी रेंटल प्रोग्राम के साथ खरीदने पर आपको 96 पैसे/किलोमीटर चार्ज देना होगा। इसमें बैटरी का परफॉर्मेंस 70% कम हो जाता है तो, कंपनी इसे फ्री में बदलकर देगी। इसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने की उम्मीद है। विडा VX2 के फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस इस स्कूटर के डिजाइन की बात करें तो ये मॉडर्न, प्रैक्टिकल और फैमिली-फ्रेंडली है, जो इसे सिटी राइडर्स और घरेलू इस्तेमाल के लिए परफेक्ट बनाता है। ई-स्कूटर EICMA-2024 में पेश किए गए विडा Z कॉन्सेप्ट का प्रोडक्शन वर्जन है। ये विडा V2 से मिलता-जुलता है। इसे 7 कलर ऑप्शन नेक्सस ब्लू, मैट वाइट, ऑरेंज, मैट लाइम, पर्ल ब्लैक और पर्ल रेड में खरीद पाएंगे है। मेटैलिक ग्रे और ऑरेंज सिर्फ प्लस वैरिएंट में ही मिलेंगे। इसमें दोनों तरफ 12-इंच के एलॉय व्हील दिए है। सेफ्टी के लिए इसमें डुअल टेलिस्कोपिक फोर्क्स और रियर में एडजस्टेबल सिंगल मोनोशॉक एब्जॉर्वर दिया गया है। ब्रेकिंग के लिए प्लस वैरिएंट के फ्रंट में डिस्क और रियर में ड्रम ब्रेक दिए गए हैं। गो वैरिएंट में दोनों ओर ड्रम ब्रेक मिलते हैं। प्लस वैरिएंट में सीट के नीचे 27.2-लीटर और गो में 33.2-लीटर का स्पेस मिलता है। इलेक्ट्रिक स्कूटर में LED हेडलैम्प, LED टेललाइट और LED DRLs इसे प्रीमियम लुक देते हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटर में परफॉर्मेंस के लिए परमानेंट मैग्नेट सिंक्रोनस मोटर दी गई है, जो 6kWh की पावर और 25Nm का टॉर्क जनरेट करती है। प्लस वैरिएंट में 3 राइड मोड- इको, राइड और स्पोर्ट्स मिलते हैं। वहीं, गो में स्पोर्ट्स मोड नहीं है। ये सिर्फ 4.2 सेकेंड में 0 से 40kmph की स्पीड पकड़ सकता है। वहीं, प्लस में 3.1 सेकेंड लगते हैं। इसकी टॉप स्पीड 80kmph है। इलेक्ट्रिक स्कूटर की मोटर को पावर देने के लिए गो वैरिएंट में 2.2kWh का सिंगल रिमूवेबल बैटरी पैक दिया गया है, जिसे फुल चार्ज करने पर 92km की IDC रेंज मिलती है। कंपनी के अनुसार, रियल वर्ल्ड कंडीशन में इको मोड में 64km और राइड मोड में 48km की रेंज मिलेगी। प्लस वैरिएंट में 3.4kWh के दो रिमूवेबल बैटरी पैक दिए गए हैं, जिन्हें फुल चार्ज करने पर 142km की IDC रेंज मिलती है। फास्ट चार्जर से 0-100% चार्ज होने में 120 मिनट लगते हैं।  

देश का सबसे बड़ा बैंक 1 जुलाई को ही शुरू हुआ था, जानिए क्या था मकसद और अब कहां-कहां तक फैल गया

नईदिल्ली  आज 1 जुलाई है और ये दिन देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का फाउंडेशन-डे (SBI Foundation Day) भी है. जी हां, भारतीय स्टेट बैंक (SBI)का इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना है और इसकी शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है. इसकी नींव उस समय पड़ी थी, जब देश में अंग्रेजों का शासन यानी ब्रिटिश रूल था और अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में शामिल होने के साथ ही फॉर्च्यून-500 कंपनियों में एक है. सबसे खास बात ये कि इसकी शुरुआत के समय इसका नाम एसबीआई नहीं बल्कि कुछ और था. आइए जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई?  कब पड़ी SBI की नींव?  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी पर गौर करें, तो SBI की नींव 19वीं शताब्दी के पहले दशक में पड़ी थी, लेकिन किसी और नाम से. तारीख थी 2 जून 1806 और इसी दिन कोलकाता (पहले कलकत्ता) में बैंक ऑफ कलकत्ता (Bank of Calcutta) अस्तित्व में आया था. उस समय देश में ब्रिटिश राज था. इसकी शुरुआत के करीब 3 साल बाद बैंक को अपना चार्टर प्राप्त हुआ और 2 जनवरी 1809 में इसका नाम बदलकर Bank of Bengal कर दिया गया. बदलाव का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा और इसका नाम आगे भी बदलता रहा.  ऐसे बना 'इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया' 1809 में 'बैंक ऑफ बंगाल' नाम मिलने के बाद देश में आगे के कुछ सालों में उस समय के हिसाब से बैंकिंग सेक्टर्स में तेजी आने लगी. ये तारीख थी 15 अप्रैल 1840, जब बंबई (अब मुंबई) में बैंक ऑफ बॉम्बे (Bank Of Bombay) की नींव पड़ी थी और इसके बाद तीन साल बाद 1 जुलाई 1843 को बैंक ऑफ मद्रास (Bank Of Madras) अस्तित्व में आया था. इतिहास को खंगालें, तो देश के इन तीनों ही बैंकों को दरअसल, ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के फाइनेंशियल काम-काज की देखरेख के लिए खोला गया था. लेकिन इनमें प्राइवेट सेक्टर्स के लोगों की रकम भी जमा रहती थी. लंबे समय तक ये बैंक काम करते रहे और फिर 27 जनवरी 1921 में बैंक ऑफ मुंबई और बैंक ऑफ मद्रास का विलय बैंक ऑफ बंगाल में हो गया. इस बड़े मर्जर के बाद भारत में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India) का उदय हुआ.  ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की स्थापना 1 जुलाई 1955 को हुई थी. वर्तमान में एसबीआई के पास देश में 22,000 से अधिक शाखाएं और 62,000 से ज्यादा ATM हैं इसकी स्थापना के पीछे मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों की बैंकिंग सेवाओं को दुरुस्त करना था गांवों में निजी बैंकों की पहुंच बहुत कम थी. हर साल 1 जुलाई को SBI अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अपने कार्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें कर्मचारी, ग्राहक और समुदाय हिस्सा लेते हैं. यह दिन बैंक की उपलब्धियों, ग्राहक सेवा और सामाजिक योगदान को सेलिब्रेट करने का अवसर होता है SBI की कहानी सिर्फ 1955 से शुरू नहीं होती है, औपनिवेशिक काल से शुरू होती है, जब 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना हुई, जो बाद में बैंक ऑफ बंगाल बन गया. इसके बाद, बैंक ऑफ बॉम्बे (1840) और बैंक ऑफ मद्रास (1843) की स्थापना हुई.  इन तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को 1921 में मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली की आवश्यकता महसूस की. साल 1955 में 1 जुलाई को इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और इसे भारतीय स्टेट बैंक के रूप में पुनर्गठित किया गया. यह कदम भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए उठाया गया था. आजादी के बाद ऐसे बना SBI गौरतलब है कि बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास, इन तीनों ही बैंकों को 1861 में करेंसी छापने और जारी करने का अधिकार मिल गया था और विलय के बाद भी इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के जरिए ये काम जारी रहा. फिर जब देश को आजादी मिली, तो ब्रिटिशों की गुलामी से निकलने के बाद भी Imperial Bank Of India का काम जारी रहा, बल्कि इसमें विस्तार भी होता नजर आया. साल 1955 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया को पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत अधिग्रहित किय और इसके नाम में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला. 30 अप्रैल 1955 को इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) यानी एसबीआई (SBI) कर दिया गया. आरबीआई द्वारा नया नाम दिए जाने के बाद 1 जुलाई 1955 को आधिकारिक रूप से SBI की स्थापना की गई. इसी दिन एसबीआई में पहला बैंक अकाउंट भी खोला गया था. इसके तहत देश में संचालित इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के 480 ऑफिस SBI Office में बदल गए. इनमें ब्रांच ऑफिस, सब ब्रांच ऑफिस और तीन लोकल हेडक्वाटर मौजूद थे. इसके बाद से देश में बैंकिंग सेक्टर लगातार ग्रोथ करता चला गया. 1955 में बी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट को पारित किया गया था और अक्टूबर में एसबीआई के पहले सहयोगी बैंक के रूप में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद सामने आया. इसके बाद 10 सितंबर 1959 को THE STATE BANK OF INDIA (SUBSIDIARY BANKS) ACT, 1959 लाया गया.  https://indiaedgenews.com/sbis-balance-sheet-is-amazing-the-size-of-the-bank-is-more-than-the-gdp-of-175-countries/ आज Top-10 कंपनियों में SBI शामिल  आजादी से पहले हुई शुरुआत और आजादी के बाद मिले नाम के साथ एसबीआई का दायरा समय के साथ बढ़ता ही चला गया. साल 2017 में एसबीआई में स्‍टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्‍टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्‍टेट बैंक ऑफ त्रवाणकोर (SBT), स्‍टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH) और स्‍टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH) का विलय कर दिया गया. यह विलय 1 अप्रैल 2017 को हुआ. विलय के बाद SBI एक ग्लोबल बैंक के रूप में उभरा. इसकी ब्रांचों की संख्या 22,500 हो चुकी थी. आज मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया Top-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल है और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन (SBI Market Cap) 7.32 लाख करोड़ रुपये हो गया है.  SBI की स्थापना के पीछे उद्देश्य था देश के कोने-कोने में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना. … Read more