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प्रधानमंत्री आवास योजना से हर जरूरतमंद को मिल रहा पक्का घर: उप मुख्यमंत्री का बयान

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के हितग्राहियों को किया हितलाभ वितरण भोपाल  उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों के पक्के आवास के सपने को पूरा कर रही है। योजना से देश में 4 करोड़ पक्के आवास लोगों को मिल चुके हैं आने वाले समय में 3 करोड़ मकान गरीबों को दिये जायेंगे। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने नगर निगम रीवा के टाउन हाल में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के 224 हितग्राहियों को आवास की एक लाख रूपये की प्रथम किश्त के स्वीकृति पत्र सौंपे। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत प्रदेश के 65 हजार से अधिक हितग्राहियों को 1626 करोड़ रूपये की राशि प्रदान की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर से हितग्राहियों को राशि का वितरण किया। इंदौर के कार्यक्रम का संजीव प्रसारण भी किया गया। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से रीवा में 1736 आवास तैयार किये जा चुके हैं। इसी प्रकार पूर्व में 4198 आवास पूर्ण हो गये हैं तथा 224 हितग्राहियों को प्रथम किश्त के तौर पर एक लाख रूपये की राशि प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प है कि कोई भी गरीब कच्चे आवास में न रहे। उनकी संकल्पना को मूर्तरूप देने के उद्देश्य से प्रदेश व जिले में भी गरीबों को पक्के आवास प्रदान किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गरीबों, युवाओं, किसानों व महिलाओं के कल्याण के लिये कृत संकल्पित है। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नीता कोल, अध्यक्ष नगर निगम व्यंकटेश पाण्डेय सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित रहे।  

उज्जैन के गौरवशाली अतीत को लौटाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है सरकार: सीएम डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन में 360 करोड़ रूपए से अधिक के विकास कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण किया उज्जैन के पुराने वैभव को पुनर्स्थापित करने के निरंतर प्रयास जारी : मुख्यमंत्री डॉ यादव उज्जैन के गौरवशाली अतीत को लौटाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है सरकार: सीएम डॉ. यादव उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय का नामकरण सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के नाम से किया जाएगा। उज्जैन शहर का अत्यंत गौरवशाली इतिहास रहा है। उज्जैन आदिकालीन नगरी है और इसके पुराने वैभव को पुनर्स्थापित करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे है। यहां देश के प्रमुख उद्योगपतियों द्वारा उद्योगों की स्थापना की जाएगी। उज्जैन की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नए मार्गों का निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को देवास रोड स्थित क्षिप्रा विहार वाणिज्यिक परिसर में आयोजित कार्यक्रम में यूडीए ,उच्च शिक्षा विभाग और महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के अंतर्गत 360 करोड रुपए से अधिक के विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण करने के बाद सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज हम सबका सौभाग्य है कि उज्जैन में विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमि पूजन संत जनों की उपस्थिती में संपन्न हुआ है। कार्यक्रम में उपस्थित नागरिकों के चेहरे की प्रसन्नता और आंखों की चमक से स्पष्ट प्रतीत होता है कि उज्जैन शहर की चमक दिनो दिन बढती जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत भी विभिन्न विकास कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर,उज्जैन,धार,देवास,शाजापुर को मिलाकर मेट्रो पोलिटन नगरी के रुप में विकसित किया जाएगा। शासन द्वारा युवाओं को रोजगार देने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे है। आने वाले समय में 1 लाख से अधिक पदों पर नियुक्ति की जाएगी। विभिन्न वर्गों की संयुक्त रुप से एक ही परीक्षा के माध्यम से भर्ती की जाएगी और विभागों के रिक्त पदों की पूर्ति की जाएगी। मंगलनाथ, भूखिमाता, गढकालीका, हरिसिध्दी माता मंदिर को और भव्य रुप प्रदान किया जाएगा। इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो लाईन डाली जाएगी। फ्रीगंज के ब्रिज के समानांतर एक नए ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। उज्जैन खगोल कालगणना और विज्ञान की नगरी रही है इसें पुन: उसी स्वरुप में लाने के प्रयास किए जाऐंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम यहां विकास कार्यों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।मुख्यमंत्री ने मंच पर संतों का शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। इस दौरान लोकप्रिय गायिका सुअभिलिप्सा पांडे के द्वारा शिव स्तुति और शिवाष्टक की प्रस्तुति दी गई। विकास कार्यों पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। बहुउदेशीय वाणिज्यिक काम्पलेक्स प्रतिकल्पा का लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नानाखेड़ा स्थित यू डी ए द्वारा निर्मित शहर के पहले 7 मंजिला बहुउदेशीय वाणिज्यिक काम्पलेक्स (प्रतिकल्पा) का फीता कांट कर लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सांसद उज्जैन आलोट अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा, संजय अग्रवाल, राजेश धाकड़, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव एवं अन्य गणमान्य नागरिक और अधिकारीगण उपस्थित थे।  

भोपाल के एक्वा पार्क का भी होगा भूमिपूजन

उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन आज  मुख्यमंत्री डॉ. यादव देंगे 152 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यों की सौगात भोपाल के एक्वा पार्क का भी होगा भूमिपूजन भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारा लक्ष्य मछुआ समाज को सम्मान देने के साथ ही तकनीकी नवाचार, सुरक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना है। मध्यप्रदेश अब नीलक्रांति की दिशा में पूरे देश के लिए प्रेरणा बन रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की उपस्थिति में उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन 12 जुलाई शनिवार को आयोजित होगा। यह आयोजन मछुआ समाज को सम्मान, सुरक्षा और समृद्धि के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों को और भी मजबूती देगा। मछुआ समुदाय की सामाजिक समरसता और आधुनिक मछली पालन की दिशा में यह सम्मेलन ऐतिहासिक साबित होने जा रहा है। मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नारायण सिंह पंवार, उज्जैन के प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल, मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री सीता राम बाथम की मौजूदगी में मछुआरों को हितलाभ वितरण और अनेक सौगातें दी जाएंगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव देंगे विकास कार्यों की सौगात     453 स्मार्ट फिश पार्लर (22.65 करोड़)     अंडरवॉटर टनल और एक्वा पार्क (40 करोड़)     इंदिरा सागर जलाशय में 3060 केज फिशिंग (91.80 करोड़)     430 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स, 100 यूनिट्स का वितरण     डेफर्ड वेजेस में 9.63 करोड़ का सिंगल क्लिक अंतरण     उत्कृष्ट मछुआरों एवं सहकारी समितियों का सम्मान सुरक्षा से समृद्धि की ओर – मछुआ समाज के लिए तकनीकी क्रांति राज्य सरकार अब मछुआरों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। इंदिरा सागर जैसे जलाशयों में ड्रोन, GPS और CCTV युक्त आधुनिक कंट्रोल कमांड सेंटर की स्थापना हो रही है। इससे 24×7 निगरानी, नावों की ट्रैकिंग और आपात स्थिति में त्वरित सहायता संभव हो सकेगी। गांधी सागर और इंदिरा सागर में 5 ट्रांजिट हाउस और 2 फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जाएगा। मछुआ भाइयों के लिए सोलर मोबाइल चार्जिंग, बायो टॉयलेट और आपात रात्रि विश्राम की व्यवस्था की जाएगी। भोपाल में FIDF योजना अंतर्गत ₹5 करोड़ की लागत से केवट प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण होगा जिसमें केज कल्चर, बायोफ्लॉक, RAS तकनीक, फिश प्रोसेसिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सामाजिक समरसता का उत्सव निषादराज को समर्पित: राज्यमंत्री श्री नारायण सिंह पंवार उज्जैन की पवित्र भूमि पर होने वाला राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन निषाद समाज के गौरव और उसकी सांस्कृतिक परंपराओं को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नारायण सिंह पंवार ने कहा कि समर्पण, समानता और सेवा के सनातन प्रतीक निषादराज को समर्पित ऐतिहासिक आयोजन है। उन्होंने कहा कि श्रीराम और निषादराज की मित्रता आज भी सामाजिक समरसता की सबसे प्रेरक कथा है। "मछलीघर" से "एक्वा पार्क" तक: भोपाल के लिए यादों और भविष्य का संगम भोपाल के दिल में बसने वाले पुराने मछलीघर की स्मृतियों को नया जीवन देने जा रहा है अत्याधुनिक "एक्वा पार्क" का भूमि-पूजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव वर्चुअली करेंगे। इस 40 करोड़ की महत्वाकांक्षी परियोजना में केंद्र सरकार की 25 करोड़ व राज्य सरकार की 15 करोड़ की साझेदारी है।     समुद्री और मीठे पानी की सैकड़ों मछलियों की प्रजातियाँ यहां देखने को मिलेगी     डिजिटल एक्वेरियम, वॉटर टनल और 3D इंटरेक्टिव जोन     बच्चों के लिए सी-लाइफ लर्निंग सेंटर     पर्यावरण शिक्षा और संरक्षण आधारित कार्यक्रम नीलक्रांति में अग्रदूत बना प्रदेश मध्यप्रदेश में 4.42 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है, जिसमें से 4.40 लाख हेक्टेयर में मत्स्य पालन किया जा रहा है। बीते वर्ष लक्षित मत्स्योत्पादन का 98 फीसदी (3.81 लाख मैट्रिक टन) मत्स्योत्पादन किया गया। प्रदेश में 2595 पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों के 95,417 सदस्य मछली पालन में कर रहे हैं। 1.45 लाख मछुआ किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किए गए देश में अंतर्देशीय राज्यों में मध्यप्रदेश मछुआरों को क्रेडिट कार्ड वितरण में पहले स्थान पर है। प्रदेश में मछलीपालन से 2 करोड़ 75 लाख से ज्यादा मानव दिवसों के रोजगार सृजित किए गए। बीते वर्ष प्रदेश में 217 करोड़ से ज्यादा मत्स्यबीज उत्पादित किए गए, जिससे मत्स्य क्षेत्र में प्रदेश ने आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम आगे बढ़ाए।  

इशरा का दर्द खत्म, हमीदिया के डॉक्टरों ने बिना ऑपरेशन किया इलाज

भोपाल राजधानी के हमीदिया अस्पताल ने एक बार फिर उम्मीद की नई किरण जगाई है। 15 साल की इशरा खान टीबी और मवाद के कारण अपनी रीढ़ की हड्डी की भयानक बीमारी से जूझ रही थीं, उन्हें अब नई जिंदगी मिली है। इशरा की रीढ़ की हड्डी इतनी खराब हो चुकी थी कि वे चल-फिर नहीं पाती थीं। उनका इलाज लगभग 15 साल से चल रहा था, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हो रहा था। इशरा को भोपाल के कई निजी अस्पतालों में दिखाया गया, लेकिन सब जगह उन्हें निराशा ही मिली। हर जगह ऑपरेशन की सलाह दी गई, जिसमें जान का भी खतरा था। इशरा के पिता रईस खान ने हार नहीं मानी और हमीदिया अस्पताल लेकर आए। यहां डॉक्टरों ने इशरा की गंभीर हालत को देखते हुए बिना किसी बड़े ऑपरेशन के इलाज करने का फैसला किया। यह ऑपरेशन आयुष्मान भारत योजना के तहत निश्शुल्क किया गया।   बिना चीर-फाड़ के निकाला एक लीटर मवाद हमीदिया अस्पताल के डाक्टरों की टीम ने 23 जून 2025 को इशरा का ऑपरेशन किया। इस दौरान उन्होंने बिना किसी बड़ी चीर-फाड़ के इशरा की रीढ़ की हड्डी से एक लीटर से भी ज़्यादा मवाद बाहर निकाला। इसके साथ ही हड्डी को जोड़ने वाली एक खास ''स्क्रू तकनीक'' का भी इस्तेमाल किया गया। यह आपरेशन बहुत मुश्किल था, क्योंकि रीढ़ की हड्डी के पास से नसें गुजरती हैं और ज़रा सी भी गलती से मरीज को लकवा हो सकता था। खास मशीन से किया उपचार डॉक्टरों ने बताया कि इशरा के ऑपरेशन के दौरान एक खास मशीन ''न्यूरो मानिटर'' और ''इंट्रा आपरेटिव एक्स-रे मानिटर'' का इस्तेमाल किया गया, जिससे नसें सुरक्षित रहीं। इस टीम में अस्तिरोग विभाग के डॉ. वैभव जैन, डॉ. सुनीत टंडन, डॉ. आशीष गोहिया, डॉ. राहुल वर्मा, डॉ. अभिषेक निगम, डॉ. ट्विंकल केवल, डॉ. उर्मिला केसरी और डॉ. आरपी कौशल शामिल थे। मेरी बेटी को नया जन्म मिला: पिता रईस खान ऑपरेशन के बाद इशरा के पिता रईस खान ने अस्पताल प्रशासन औरडॉक्टरों का दिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी को नया जन्म मिला है। इस अस्पताल में मेरी बेटी को नई जिंदगी दी है। यह सफल सर्जरी न केवल इशरा के लिए, बल्कि उन सभी मरीजों के लिए एक उम्मीद है जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। हमीदिया अस्पताल की अधीक्षक डॉ. सुनीत टंडन ने कहा कि 'हमीदिया अस्पताल में भी अब अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता के साथ जटिल सर्जरी संभव हैं। यह सर्जरी न केवल इशरा को नया जीवन देगी, बल्कि सीमित संसाधनों वाले मरीजों के लिए भी आशा की किरण बनेगी।' 

बाबा महाकाल की भस्म आरती में शामिल हुए सीएम मोहन यादव और उनकी धर्मपत्नी, किया आशीर्वाद ग्रहण

उज्जैन  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार को उज्जैन में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वे आध्यात्मिक, सामाजिक और विकासात्मक गतिविधियों में शामिल होंगे। सुबह वे श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती के दर्शन करेंगे और भक्त निवास के समीप आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसके बाद वे कालिदास अकादमी में निषाद सम्मेलन को संबोधित करेंगे और नलवा में लाड़ली बहना योजना के तहत लाभार्थियों के खातों में राशि हस्तांतरित करेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती और पूजा-अर्चना सावन मास के दूसरे दिन, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी धर्मपत्नी के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती के दर्शन किए। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों की समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना की। दर्शन के बाद उन्होंने गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की। मंदिर समिति के पदाधिकारी, पुजारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस पवित्र अवसर पर उनके साथ उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने कहा, "बाबा महाकाल की कृपा से मध्यप्रदेश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि हमारा प्रदेश आत्मनिर्भरता, रोजगार, शिक्षा और आध्यात्म के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़े।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि सावन मास बाबा महाकाल की कृपा प्राप्त करने का विशेष समय है और इस पवित्र माह में लिया गया संकल्प जनकल्याण के लिए फलदायी होता है। उज्जैन, जो महाकाल की नगरी के रूप में विख्यात है, से उन्होंने प्रदेश की भावनात्मक और आध्यात्मिक एकता का संदेश भी दिया। कालिदास अकादमी में निषादराज सम्मेलन शनिवार दोपहर करीब 1:30 बजे, मुख्यमंत्री कालिदास अकादमी में आयोजित राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन में शामिल होंगे। इस अवसर पर वे कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का वर्चुअwatertight वर्चुअल भूमि-पूजन करेंगे, जिनमें शामिल हैं: 453 स्मार्ट फिश पार्लर: 22.65 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले ये पार्लर मछुआरों के लिए आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करेंगे। अत्याधुनिक अंडर वॉटर टनल और एक्वा पार्क: 40 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह परियोजना पर्यटन और मत्स्य पालन को बढ़ावा देगी। इंदिरा सागर जलाशय में मत्स्य उत्पादन: 91.80 करोड़ रुपये की लागत से 3060 केजेस के माध्यम से मत्स्य उत्पादन और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री 430 मोटरसाइकिल विद आइस बॉक्स के स्वीकृति पत्र, 100 यूनिट्स का वितरण, 396 केज के स्वीकृति पत्र, फीडमील हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र और उत्कृष्ट कार्य करने वाले मछुआरों व मत्स्य सहकारी समितियों को पुरस्कार वितरित करेंगे। वे मत्स्य महासंघ के मछुआरों को 9.63 करोड़ रुपये के डेफर्ड वेजेस का एकल क्लिक के माध्यम से हस्तांतरण करेंगे और रॉयल्टी चेक भी सौंपेंगे। लाड़ली बहना योजना की राशि हस्तांतरण दोपहर 2:30 बजे, मुख्यमंत्री नलवा में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेशभर की लाड़ली बहनों के खातों में राशि हस्तांतरित करेंगे। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएँ भाग लेंगी। यह योजना मध्यप्रदेश की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके तहत नियमित रूप से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

किसानों को नहीं मिल रहा हक का पंप, 10 HP के बदले जबरन दिया जा रहा 7.5 HP

भिंड  प्रदेश भर में 10 हार्स पावर (एचपी) के सोलर पंप लगवाने के लिए पंजीयन कराने वाले 62 हजार किसान उलझन में हैं। दरअसल, 90 प्रतिशत अनुदान के साथ सोलर पंप के लिए अप्रैल में पोर्टल पर पंजीयन कराए गए थे। उसके बाद से ही किसानों को कंपनियों के माध्यम से पंप मिलने की प्रतीक्षा थी। हाल ही में ग्वालियर अंचल के भिंड दौरे पर आए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के मंत्री राजेन्द्र शुक्ल की मौजूदगी में अपडेट पोर्टल की शुरुआत करते हुए किसानों को योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने की अपील की थी, परंतु अभी तक विभाग ने 10 एचपी कनेक्शन के लिए कंपनी ही अनुबंधित नहीं की है। ऐसे में जिन किसानों ने पंजीयन कराए हैं, उन पर कंपनियां 7.5 एचपी के कनेक्शन के लिए दबाव बना रही हैं। योजना के अनुसार प्रदेश में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग की सोलर पंप योजना के तहत 10 एचपी तक के सोलर पंप किसानों को दिए जाने हैं। इसकी लागत का 90 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। किसानों ने जमा किए हैं पांच हजार रुपये सरकार ने वादा तो कर दिया लेकिन टेंडर सिर्फ 7.5 एचपी तक के ही किए हैं, जबकि हजारों किसान 10 एचपी का कनेक्शन लेने के लिए पांच हजार रुपये विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन जमा करा चुके हैं। 10 एचपी का सोलर पंप लगाने पर करीब छह लाख रुपये का खर्च आता है। अनुदान मिलने के बाद किसान को महज 58 से 60 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे। इस वजह से किसान कम पावर का कनेक्शन लेने को तैयार नहीं हैं। किसानों का कहना है कि कम क्षमता के सोलर पंप से खेतों में पर्याप्त सिंचाई नहीं हो पाती। उधर विभाग की मुश्किल यह है कि सरकार द्वारा टेंडर प्रक्रिया शुरू कर अभी तक कंपनी तय नहीं की गई है, इसलिए फिलहाल पोर्टल ही बंद रखा गया है। भिंड के पावई बिरगवा के रहने वाले हरेंद्र सिंह भदौरिया ने कहा कि "10 एचपी का सोलर पंप लगाए जाने के लिए पांच हजार रुपये जमा करके पंजीयन कराया था। एक माह से कंपनियां फोन लगाकर 10 एचपी के बजाय 7.5 एचपी का सोलर पंप लेने को कह रही हैं। उनका कहना है कि सरकार ने अभी 10 एचपी के लिए किसी कंपनी को टेंडर ही नहीं दिया है। सरकार ने 10 एचपी पर अनुदान देने की घोषणा की है तो 10 एचपी का ही पंप लगवाया जाए।" किसानों के साथ नहीं होगा धोखा नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग मंत्री राकेश शुक्ला ने कहा कि "किसानों के साथ किसी भी तरह का धोखा नहीं होने देंगे। जिन किसानों ने 10 एचपी के लिए आवेदन किया है, उन्हें 10 एचपी का ही पंप दिया जाएगा। सोलर पंप योजना के तहत फिलहाल प्रक्रिया चल रही है। अगर कोई व्यक्ति इस योजना के नाम पर गुमराह कर रहा है तो उसकी शिकायत दर्ज कराएं, जिससे संबंधित पर कार्रवाई हो सके।" 

मछली घर से नये एक्वा पार्क का सफर, मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज करेंगे एक्वा पार्क का भूमि-पूजन

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज भोपाल में बनने जा रहे अत्याधुनिक मछलीघर एक्वा पार्क का भूमि-पूजन करेंगे। भोपाल सहित पूरे प्रदेश से भोपाल आने वाले पर्यटकों के ज़हन में मछलीघर की एक खास जगह है। वो पुराना मछलीघर जहां स्कूल की पिकनिक होती थी, माँ-पापा के साथ सैर होती थी, और रंग-बिरंगी मछलियों को देखकर चौंकते, मुस्कराते और कभी-कभी डर भी जाते थे। नीली रोशनी में तैरती सुनहरी मछलियाँ मानो कैनवास पर बनी कोई पेंटिंग थीं। वक्त बीत गया और अब मछलीघर अतीत को साथ में समेटे हुए फिर से भोपाल में एक नई पहचान के साथ लौटने जा रहा है। देश के सबसे सुंदर और आधुनिक “एक्वा पार्क” में से एक भोपाल में आकार लेने जा रहा है। एक्वा पार्क में खास क्या है? केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 25 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, राज्य सरकार का इसमें 15 करोड़ रुपये का सहयोग से 40 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना होगी। एक्वा पार्क न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा, बल्कि बच्चों के लिए रोमांच, शिक्षा, शोध और कौतूहल का नया केंद्र भी बनेगा। एक्वा पार्क में समुद्री और मीठे पानी की मछलियों की सैकड़ों प्रजातियां देखने को मिलेंगी। डिजिटल एक्वेरियम, वॉटर टनल, 3D इंटरेक्टिव जोन, बच्चों के लिए सी-लाइफ लर्निंग सेंटर, रिसर्च सेंटर (मछली पालन की पारंपरिक और नवीन तकनीक की डेमोंस्ट्रेशन यूनिट), मत्स्य सेवा केंद्र (मछली पालकों के प्रशिक्षण के लिए), आंत्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट और इनक्यूबेशन सेंटर, कैफेटेरिया (रंगीन मछलियों का प्रदर्शन और मछली से जुड़े गिफ्ट आइटम) एवं पर्यावरण शिक्षा और संरक्षण जैसे कार्यक्रम भी एक्वा पार्क में उपलब्ध होंगे। एक्वा पार्क के जरिए नई पीढ़ी सिर्फ मछलियाँ नहीं देखेगी बल्कि पानी और प्रकृति के प्रति संवेदनशील भी बन सकेगी। इस पार्क का निर्माण भदभदा स्थित मछलीघर में प्रस्तावित है। एक्वा पार्क इतिहास और भविष्य के बीच एक पुल बनने जा रहा है। राजधानी भोपाल के लिए यह केवल एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि स्मृतियों के गलियारे में सैर करने जैसा अनुभव होगा। पुराने मछलीघर में हाथों में गुब्बारा लेकर रंग-बिरंगी मछलियों को देखने वाले लोग अब अपने बच्चों का हाथ पकड़कर उसी जगह फिर लौटेंगे। लेकिन इस बार रोशनी और तकनीक से सजा हुआ एक भव्य “एक्वा पार्क” उनकी नई यादों की शुरुआत करेगा।  

बीएमएचआरसी की लैब को मिली बड़ी जिम्मेदारी, देश के 6 प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल

भोपाल  भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल हुई है। देशभर में चुनिंदा संस्थानों को शामिल कर बनाए गए इंडियन बायोडोसिमीट्री नेटवर्क (IN-BioDoS) में साबीएमएचआरसी की इटोजेनेटिक प्रयोगशाला को शामिल किया गया है। राजधानी के भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल हुई है। देशभर में चुनिंदा संस्थानों को शामिल कर बनाए गए इंडियन बायोडोसिमीट्री नेटवर्क (IN-BioDoS) में साबीएमएचआरसी की इटोजेनेटिक प्रयोगशाला को शामिल किया गया है। इसके तहत यह लैब अब रेडिएशन के कारण होने वाली आपदा की स्थिति में रेडिएशन के असर का वैज्ञानिक आकलन करेगी और गंभीर परिस्थितियों में इलाज करने के लिए सटीक जानकारी देगी। इस उपलब्धि के साथ बीएमएचआरसी मध्य भारत का पहला और इकलौता संस्थान बन गया है, जिसे इस अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेटवर्क में स्थान मिला है।  रेडिएशन से कैसे बचाएगा यह नेटवर्क? देश में परमाणु ऊर्जा, उद्योग और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रेडिएशन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। खासतौर पर चिकित्सा के क्षेत्र में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में रेडियोथेरेपी जैसी तकनीकों के माध्यम से रेडिएशन का व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में यदि कभी किसी जगह पर रेडिएशन का रिसाव हो जाए या किसी को अनजाने में ज़्यादा मात्रा में रेडिएशन लग जाए, तो डॉक्टरों को इलाज शुरू करने के लिए यह जानना जरूरी होता है कि मरीज को कितनी मात्रा में रेडिएशन से प्रभावित हुआ है। बायोडोसिमीट्री वह वैज्ञानिक तरीका है जिससे यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति के शरीर में रेडिएशन की कितनी मात्रा गई है। इस जानकारी से डॉक्टर सही समय पर सही इलाज शुरू कर पाते हैं।  बीएमएचआरसी की प्रयोगशाला का क्या होगा काम?  बीएमएचआरसी के अनुसंधान विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ रविंद्र एम समर्थ ने बताया कि हमारी साइटोजेनेटिक लैब अब रेडिएशन से प्रभावित व्यक्तियों के रक्त नमूनों की जांच कर यह बता सकेगी कि उन्हें कितना नुकसान हुआ है। इस तकनीक का उपयोग खासतौर पर आपातकालीन परिस्थितियों में किया जाएगा जैसे परमाणु संयंत्र में दुर्घटना, अस्पताल में उपकरण की गड़बड़ी या किसी प्रकार की रेडिएशन घटना। यह लैब अब देश की अन्य प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर आम लोगों पर हुए रेडिएशन के असर का वैज्ञानिक आकलन करेगी और जांच व इलाज की दिशा तय करने में मदद करेगी।  देशभर में सिर्फ 6 संस्थानों का चयन  भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र BARC द्वारा शुरू किए गए इस नेटवर्क में देशभर से केवल 6 संस्थानों को चुना गया है। बीएमएचआरसी के अलावा इसमें चेन्नई, दिल्ली, लखनऊ, मंगलूरु और कलपक्कम की प्रयोगशालाएं शामिल हैं। यह सभी मिलकर देश में रेडिएशन से निपटने की वैज्ञानिक क्षमता को बढ़ाएंगी।  कैसे पता चलता है रेडिएशन ने कितना असर डाला  डॉ समर्थ ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को अत्यधिक रेडिएशन का असर होता है, तो इसका सबसे बड़ा प्रभाव शरीर की कोशिकाओं में मौजूद क्रोमोज़ोम पर पड़ता है। रेडिएशन से क्रोमोज़ोम में टूट-फूट, असामान्य जुड़ाव या अतिरिक्त संरचनाएं बन सकती हैं, जो शरीर के लिए खतरनाक साबित होती हैं। बीएमएचआरसी की साइटोजेनेटिक लैब में मरीज के खून के नमूने लेकर विशेष जैविक तकनीकों जैसे डायसेंट्रिक क्रोमोज़ोम अस्से (DCA) और माइक्रोन्यूक्लियस अस्से के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि रेडिएशन से क्रोमोज़ोम में कितनी और किस प्रकार की क्षति हुई है। उदाहरण के लिए, डायसेंट्रिक क्रोमोज़ोम का बनना रेडिएशन के प्रभाव का पुख्ता संकेत होता है, और उनकी संख्या के आधार पर यह आकलन किया जाता है कि मरीज को कितना रेडिएशन डोज़ लगा है। इस वैज्ञानिक पद्धति से समय रहते सटीक इलाज संभव हो पाता है और रेडिएशन से होने वाले गंभीर प्रभावों को रोका जा सकता है।  यह हमारे लिए गर्व की बात  बीएमएचआरसी की निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा बै कि बीएमएचआरसी को इस राष्ट्रीय नेटवर्क में शामिल किया जाना हम सभी के लिए गर्व की बात है। यह संस्थान की वैज्ञानिक क्षमताओं और गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान का प्रमाण है। भोपाल और मध्य भारत के लिए यह सुविधा अब रेडिएशन से जुड़ी किसी भी आपात स्थिति में एक मजबूत सहारा बनेगी।"  

भोपाल में नामकरण को लेकर फिर गरमाई बहस, कोलार रोड को ‘राजा भोज मार्ग’ करने की मांग तेज

भोपाल  राजधानी भोपाल स्थित भोज मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कमलाकर सिंह ने शहर के कोलार रोड को 'राजा भोज मार्ग' के रूप में चिह्नित करने वाले साइनबोर्डों को दोबारा लगाने की मांग उठाई है.  कमलाकर सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि साल 2008 में लिए गए निर्णय के अनुसार इस सड़क पर फिर से नामपट्ट और साइनबोर्ड लगाए जाएं. राजा भोज 1010 से 1055 में अपनी मृत्यु तक मालवा क्षेत्र के परमारकालीन राजा थे.  सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र भेजकर कोलार रोड का नाम 'राजा भोज मार्ग' रखने का अनुरोध किया था, जिस पर सहमति हो गई थी.  उन्होंने आगे कहा कि चूंकि इस सड़क को छह लेन का बनाया गया था, इसलिए राजा भोज का नाम कहीं भी दिखाई नहीं देता, क्योंकि साइनबोर्ड या तो क्षतिग्रस्त हो गए थे या गलत जगह पर लगे थे. 

विगत 5 माह में एक करोड़ से अधिक हितग्राहियों का हुआ ई-केवायसी

भोपाल खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि भारत सरकार के निर्देशानुसार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत सभी पात्र हितग्राहियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिये ई-केवायसी करवाई जा रही है। गत 5 माह में एक करोड़ से अधिक हितग्राहियों की ई-केवायसी कराई जा चुकी है और अब लगभग 20 लाख नवीन पात्र हितग्राहियों को पात्रता पर्ची दी जा सकेगी। इन नवीन हितग्राहियों को पात्रता पर्ची जारी करने के लिये विंडो ओपन किया जा रहा है। आयुक्त खाद्य श्री कर्मवीर शर्मा ने जानकारी दी है कि प्रदेश की लगभग 27 हजार उचित मूल्‍य दुकानों पर लगाई गई पीओएस मशीन से पात्र हितग्राहियों के ई-केवायसी करने की व्‍यवस्‍था के अतिरिक्‍त वृद्ध, बच्‍चों के तथा हितग्राही द्वारा घर बैठे ई-केवायसी करने की सुविधा भारत सरकार के मेरा ई-केवायसी एप से फेस एथेंटिकेशन द्वारा करने की सुविधा दी गई है। सभी हितग्राहियों को ई-केवायसी कराने के लिये प्रतिमाह 2 से 3 बार SMS किए गए। उचित मूल्‍य दुकानो पर इस संबंध में सूचना प्रदर्शित की गई। समाचार पत्रो में ई-केवायसी कराने के लिये समाचार प्रकाशित कराए गए। ई-केवायसी करने विशेष अभियान चलाया गया ई-केवायसी करने विशेष अभियान चलाया गया‍। अभियान के तहत ई-केवायसी से शेष हितग्राहियों की सूची स्‍थानीय निकाय, खाद्य विभाग एवं जिला प्रशासन को उपलब्‍ध कराई गई। ग्राम एवं मोहल्‍ले में कैम्‍प लगाए गए। दिव्‍यांग/वृद्ध की घर-घर जाकर ई-केवायसी की गई। कैम्‍प में उचित मूल्‍य दुकान के विक्रेता एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग/नगरीय निकाय के अमले को लगाया गया। हितग्राही के ग्राम में ही पीओएस मशीन के माध्‍यम से ई-केवायसी किए गए। वर्तमान में सम्मिलित हितग्राहियों में से मृत/अस्तित्‍वहीन/दोहरे/अपात्र पाए जाने वाले हितग्राहियों का चिन्‍हांकन किया गया। जिन पात्र हितग्राहियों के आधार डाटा अपग्रेड नहीं थे, उनको केम्‍प में भेजकर अपग्रेड कराया गया। अभियान की लगातार मॉनिटरिंग की गई। विभाग द्वारा ई-केवायसी के लिये किए गए इन प्रयासों के फलस्‍वरूप विगत 5 माह में 1 करोड़ से अधिक पात्र हितग्राहियों के ई-केवायसी कराए गए। अभी तक 90 प्रतिशत हितग्राहियों के ई-केवायसी किए जा चुके है। कुल पात्र हितग्राही 5 करोड़ 32 लाख हैं। खाद्य सुरक्षा अधिनियम अंतर्गत 29 श्रेणी के 20 लाख नवीन पात्र हितग्राहियों को जोड़ने हेतु कुशन प्राप्‍त हो सका है। ई-केवायसी होने पर SMART-PDS अंतर्गत पात्र परिवारों को राशन का वितरण करने में सुविधा होगी।