गायक एमएम कीरवानी के पिता गीतकार शिव शक्ति का 92 वर्ष की उम्र में निधन

हैदराबाद  मनोरंजन जगत से एक बुरी खबर सामने आ रही है। मशहूर संगीतकार एमएम कीरवानी के पिता और गीतकार शिवा शक्ति दत्ता इस दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने 92 की उम्र में आखिरी सांस ली। गीतकार होने के साथ-साथ शिवा शक्ति तेलुगु सिनेमा से बतौर पटकथा लेखक, निर्देशक और निर्माता भी जुड़े हुए थे। कीरवानी तब दुनियाभर में चर्चा का विषय बने थे, जब 'RRR' में उनके गाने 'नाटू-नाटू' ने 'बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग' श्रेणी में ऑस्कर जीतकर इतिहास रच दिया था।  एसएस राजामौली से था खास रिश्ता मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवा ने सोमवार रात हैदराबाद स्थित अपने घर पर आखिरी सांस ली। वह उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। वह 'बाहुबली' और 'RRR' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के निर्देशक एसएस राजामौली के पिता और लेखक विजयेंद्र प्रसाद के बड़े भाई थे। इस दुखद खबर के आने के बाद से इंडस्ट्री से जुड़े लोग और प्रशंसक दिवंगत गीतकार को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। चिंरजीवी समेत कई दिग्गज कलाकारों ने उनके दुख पर शोक व्यक्त किया है।  पवन कल्याण और चिरंजीवी ने जताया शोक अभिनेता और नेता पवन कल्याण ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'शिवा शक्ति दत्ता जी के निधन की खबर से गहरा दुख हुआ। उनके गीतों में संस्कृत और तेलुगू का अद्भुत समावेश देखने को मिलता है। मेरी संवेदनाएं कीरवानी गारू और उनके परिवार के साथ है।' चिरंजीवी ने लिखा, 'शिवा शक्ति दत्ता, एक चित्रकार, संस्कृत भाषा के विद्वान, लेखक, कहानीकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी। उनके जाने की खबर से मैं बेहद हैरान हूं।' कई लोकप्रिय फिल्माें के लिए लिखे गाने शिवा अपने कमाल के गीत लेखन से जाने जाते थे। वह संस्कृत के अच्छे जानकर थे। दक्षिण भारतीय सिनेमा में उन्हें खूब सम्मान मिला और उन्होंने कई सफल फिल्मों के गाने लिखे। पिछले कुछ सालों में उन्होंने कई हिट फिल्मों जैसे 'बाहुबली', 'RRR', 'एनटीआर: कथानायकुडु', 'हनु-मान' और 'साईं' के लिए यादगार गाने लिखे। उनके लिखे गए गानों पर लोगों ने खूब प्यार लुटाया। 'साहोरे बाहुबली' भी शिवा की कलम से ही निकला था। शिवा ने भाई के साथ रखा था फिल्मी दुनिया में कदम शिवा ने अपने छोटे भाई और अनुभवी पटकथा लेखक विजयेंद्र प्रसाद के साथ फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था। उन्होंने साल 1988 में अपना करियर फिल्म जानकी रामुडु से शुरू किया था, जहां उन्होंने लेखक और गीतकार दोनों के रूप में काम किया। उन्होंने 'अर्धांगी' और 'चंद्रहास' जैसी फिल्मों के जरिए निर्देशन में भी हाथ आजमाया, लेकिन ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रहीं। उनके भाई विजयेंद्र प्रसाद 'बाहुबली' समेत कई बड़ी फिल्मों के कहानीकार रह चुके हैं।  

‘प्लास्टिक मुक्त जुलाई’ मुहिम दिया मिर्जा को आई पसंद, बताया प्रेरणादायक

मुंबई,  एक्ट्रेस और पर्यावरण संरक्षण समर्थक दिया मिर्जा ने सोमवार को ‘प्लास्टिक मुक्त जुलाई’ मुहिम की सराहना की। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं। उन्होंने इस कार्यक्रम को लेकर एक प्रेरणादायक बात कही। कहा कि मकसद लोगों को पर्यावरण की रक्षा करने के लिए जागरूक करना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। कार्यक्रम युनाइटेड नेशंस हाउस (भारत में मौजूद) में आयोजित किया गया था। दिया मिर्जा ने अपनी पोस्ट में बताया कि हम जितना प्लास्टिक कचरा फैला रहे हैं, उसे संभालने की हमारी क्षमता बहुत कम है, और इस फर्क को जल्दी दूर करना जरूरी है। उन्होंने टाइड टर्नर्स प्लास्टिक चैलेंज की तारीफ की, जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में एक वैश्विक पहल है। इसका मकसद युवाओं को प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है। दिया मिर्जा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “इस मंडे मोटिवेशन में मुझे विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम की याद आ रही है, जो काफी प्रभावशाली था। इसमें बताया गया कि हम जितना कचरा बनाते हैं, उसे संभालने की हमारी ताकत उतनी नहीं है, और यह फर्क लगातार बढ़ता जा रहा है। मैं भारत में संयुक्त राष्ट्र भवन में एक कार्यक्रम में शामिल हुई, जहां लोग टाइड टर्नर्स प्लास्टिक चैलेंज का समर्थन करने के लिए इकट्ठा हुए थे। यह एक वैश्विक अभियान है। इसका मकसद युवाओं को प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर जागरूक करना, उन्हें शिक्षित करना और उन्हें पर्यावरण रक्षक बनने के लिए प्रेरित करना है। दिया मिर्जा ने पोस्ट में आगे कहा, “जिन युवाओं ने बदलाव लाने का बीड़ा उठाया है, उनकी ऊर्जा और लगन बहुत ही प्रेरणादायक थी। अकेले भारत में ही 7 लाख से ज्यादा युवा इस अभियान से जुड़ चुके हैं। यह प्लास्टिक रहित साफ-सुथरे भविष्य की ओर बढ़ने वाला शानदार कदम है।” एक्ट्रेस ने कहा, “हम अब ‘प्लास्टिक मुक्त जुलाई’ की ओर बढ़ रहे हैं, हमें अपनी आदतों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है और यह संकल्प लेना चाहिए कि हम कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करेंगे। हम जो भी सोच-समझ कर फैसला लेते हैं, वह इस समस्या को हल करने में मदद करता है।” उन्होंने बताया कि टाइड टर्नर्स प्लास्टिक चैलेंज टीम ने प्रिंस तलाल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। यह एक बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई। यह सम्मान उन्हें 62 देशों से आई प्रविष्टियों में सबसे बेहतर प्रोजेक्ट होने के लिए मिला। उनके प्रयास से युवाओं में बदलाव आया है। उन्होंने पोस्ट के आखिर में कहा, “चलिए इस बदलाव को जारी रखते हैं!” बता दें कि दिया मिर्जा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की गुडविल एंबेसडर हैं। साथ ही, वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव की तरफ से सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को बढ़ावा देने वाली चुनिंदा प्रतिनिधियों में से एक हैं।  

वाणी कपूर की बेबाक राय, ‘फिल्मों में महिला कलाकारों की भूमिका सीमित, ओटीटी पर असली मौका’

  मुंबई,  बॉलीवुड एक्ट्रेस वाणी कपूर ने सिनेमा में महिलाओं की बदलती स्थिति पर बात की। उन्होंने कहा कि अब एक नई पीढ़ी की एक्ट्रेस सामने आ रही हैं, जो सिर्फ रोमांटिक या पारंपरिक किरदार ही नहीं निभा रही हैं, बल्कि एक्शन से भरे, दमदार और चुनौतीपूर्ण रोल भी कर रही हैं। उन्होंने ओटीटी पर भी बेबाक राय रखते हुए कहा कि फिल्मों के मुकाबले ओटीटी पर एक्ट्रेस को टैलेंट दिखाने का सही मौका मिलता है। वाणी का मानना है कि यह एक अच्छा बदलाव है, जो दिखाता है कि महिलाएं अब हर तरह की भूमिका में आगे आ रही हैं और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना रही हैं। एक्ट्रेस ने कहा, “आजकल की नई एक्ट्रेस पुरानी सीमाएं तोड़ रही हैं। वह अब ऐसे किरदार कर रही हैं, जो एक्शन, तेज रफ्तार और उत्साह से भरपूर होते हैं। ये किरदार दिखाते हैं कि ताकत और गहराई से भरे भाव, दोनों एक साथ स्क्रीन पर दिख सकते हैं। अब भारतीय एक्ट्रेस बिना किसी डर के एक्शन फिल्मों में लीड रोल निभा रही हैं, जो पहले नहीं होता था। अब इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है और ये बदलाव जरूरी भी है।” वाणी कपूर जल्द ही नेटफ्लिक्स की थ्रिलर सीरीज ‘मंडला मर्डर्स’ से ओटीटी डेब्यू करने जा रही हैं। एक्ट्रेस का मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर एक्ट्रेस को अब पहले से बेहतर और दमदार कहानियों वाले रोल मिल रहे हैं। यहां कलाकारों को आजादी दी गई है, जिसके चलते वे ऐसे किरदार निभा सकते हैं, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाले होते हैं। ओटीटी डेब्यू को लेकर वाणी कपूर ने कहा, “मैं नेटफ्लिक्स पर अपनी पहली सीरीज के लिए कुछ खास और चुनौतीपूर्ण ढूंढ रही थी, और ‘मंडला मर्डर्स’ में मुझे वो मौका मिला। इसमें मैं एक ऐसे रोल में हूं, जो पहले से ज्यादा बोल्ड है। यह रोल मुझे शारीरिक और मानसिक तौर पर चुनौती देता है।” एक्ट्रेस ने कहा, “मुझे ओटीटी बहुत पसंद हैं। यहां एक्ट्रेस को ज्यादा बेहतर और दमदार रोल मिलते हैं, जिनमें हम अपनी अभिनय की असली कला दिखा सकते हैं। फिल्मों में अक्सर कहानी पुरुष एक्टर के इर्द-गिर्द ही घूमती है, जिससे एक्ट्रेस के रोल छोटे या सीमित रह जाते हैं। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर हमें ज्यादा मौके और खुलापन मिलता है, जिससे हम अपने टैलेंट को सही तरीके से दिखा सकते हैं।” ‘मंडला मर्डर्स’ सीरीज का निर्देशन गोपी पुथरन ने किया है। इसे वाईआरएफ एंटरटेनमेंट ने प्रोड्यूस किया है। इस शो में वाणी कपूर के साथ-साथ वैभव राज गुप्ता, सुरवीन चावला और श्रिया पिलगांवकर जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे।  

‘वसुधा’ के एक्शन सीन निभाने की प्रेरणा कुंवर विक्रम सोनी को ‘किल’ से मिली

मुंबई,  टेलीविजन एक्टर कुंवर विक्रम सोनी का शो वसुधा में निभाया एक्शन सीन सुर्खियों में है। छोटे पर्दे पर अभी एपिसोड आना बाकी है लेकिन उनके निभाए दमदार दृश्य की चर्चा खूब हो रही है। अभिनेता ने बताया है कि इसे निभाने की प्रेरणा उन्हें ‘किल’ के किरदारों से मिली। कुंवर ने शो में अपने किरदार ‘माधव’ और इस सीन के बारे में बताया, “यह कोई आम एक्शन सीन नहीं था। इसे वास्तविक दिखना था। ‘माधव’ कोई ट्रेंड फाइटर नहीं है, लेकिन वह जरूरत पड़ने पर डटकर मुकाबला करता है। इसलिए, हर हाव-भाव को स्वाभाविक, सहज और भावनात्मक दिखाना था। हमने ब्लेड कंट्रोल, को-एक्टर के साथ तालमेल और सीन में डूबने पर खूब मेहनत की।” उन्होंने बताया कि ऋतिक रोशन की फिल्म ‘विक्रम वेधा’ और ‘किल’ में लक्ष्य के ‘अमृत’ और राघव जुयाल के किरदारों ने उन्हें प्रभावित किया। अभिनेता ने बताया, “उनके चाकू चलाने का अंदाज तेज और अकल्पनीय था। साथ ही उनके जज्बात शानदार थे और इन्हें मैं भूला नहीं सका।” कुंवर ने बताया कि इस सीन की तैयारी के लिए तीन घंटे तक ट्रेनिंग ली और दो मेन सीन्स के लिए करीब पांच घंटे तक मेहनत की। उन्होंने बताया, “हमने असली चाकू के साथ अभ्यास किया, कैमरा एंगल्स और ब्लॉकिंग को बार-बार ठीक किया और धीरे-धीरे सीन में एक्शन को बढ़ाया। सीन को लेकर डायरेक्टर ने भी खूब मेहनत की। उन्होंने हर एक्शन को बारीकी से निर्देशित किया और यह सुनिश्चित किया कि हर हाव-भाव में भावनाएं भी दिखें।” एक्टर का मानना है कि भले ही माधव का किरदार अन्य की तरह मुश्किल भरा या ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे उसी तरह से निभाने या पर्दे पर पेश करने की कोशिश की। एक्टर ने आगे बताया, “माधव का किरदार उन मुश्किल किरदारों जैसा नहीं है, लेकिन मैंने उसी शांत लेकिन खतरनाक तरीके से पर्दे पर पेश करने की कोशिश की। हमारी कोशिश थी कि यह सीन सहज और दिल से निकलता लगे और हम सफल रहे।” जी टीवी के शो ‘वसुधा’ में कुंवर विक्रम सोनी ‘माधव’ की भूमिका में हैं, जबकि सुभांशी रघुवंशी ‘दिव्या’ का किरदार निभा रही हैं। शो के अपकमिंग एपिसोड में माधव एक खतरनाक एक्शन सीन में चाकू का इस्तेमाल करते हुए दिव्या को अपहरणकर्ताओं से बचाने की कोशिश करते नजर आएंगे।  

‘झुमका गिरा रे’ गाने पर दीपिका चिखलिया का डांस, फैंस भी लुटा रहे प्यार

मुंबई, रामायण फेम अभिनेत्री दीपिका चिखलिया सोशल मीडिया पर अक्सर खूबसूरत पोस्ट शेयर करती रहती हैं। उन्होंने सोमवार को एक लेटेस्ट वीडियो शेयर किया, जिसमें वह 1966 में आई फिल्म ‘झुमका गिरा रे’ के गाने पर डांस करती नजर आईं। अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर ये वीडियो शेयर किया, जिसमें वह ‘झुमका गिरा रे’ गाने पर डांस कर रही हैं। दीपिका पीले रंग की सिंपल कुर्ती पहने हुए गाने के बोल के साथ शानदार एक्सप्रेशन भी दे रही हैं। इस डांस को उनके प्रशंसक काफी पसंद कर रहे हैं और वीडियो पर खूब प्यार लुटा रहे हैं। बता दें, यह गाना साल 1966 में आई फिल्म ‘मेरा साया’ का है, जिसको गायिका आशा भोसले ने गाया है। इसके लिरिक्स राजा मेहदी अली रजा खान ने दिए है। गाने में अभिनेत्री साधना के साथ प्रेम चोपड़ा, सुनील दत्त, अनंत बलवंत धूमल, मोहम्मद उमर मुकरी, के.एन. सिंह और अनवर हुसैन भी थे। हिंदी थ्रिलर फिल्म ‘मेरा साया’ राज खोसला के निर्देशन में बनी थी। फिल्म में सुनील दत्त और साधना मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म खोसला और साधना की दूसरी सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म थी। फिल्म 1964 की मराठी फिल्म ‘पछाड़ाग’ (द चेज) की रीमेक थी। जिसने बॉक्स ऑफिस पर काफी कमाल किया था। दीपिका के वर्कफ्रंट की बात करें, तो उन्हें स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग का बड़ा शौक था। बाल कलाकार के तौर पर उन्हें एक बंगाली एक्टर ने फिल्म में लेने का ऑफर भी दिया था, लेकिन उनके माता-पिता ने इसकी इजाजत नहीं दी। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह ग्रेजुएशन के लिए मुंबई गईं, तो उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ एक्टिंग करने का भी फैसला लिया। उन्होंने 1983 में रिलीज हुई ‘सुन मेरी लैला’ समेत कई फिल्मों में काम किया। उन्होंने सागर आर्ट्स के तहत ‘विक्रम और बेताल’ जैसे सीरियल्स में भी काम किया, लेकिन लोकप्रियता उन्हें रामानंद सागर के ‘रामायण’ में निभाए गए सीता माता के किरदार से हासिल हुई। इस किरदार के लिए दीपिका को कई स्क्रीन टेस्ट देने पड़े थे। कई राउंड्स के बाद उनका सेलेक्शन हुआ था।  

फिल्म ‘मासूम’ की सिक्वल लेकर आ रहे हैं शेखर कपूर

मुंबई,  चार दशक पहले आई फिल्म ‘मासूम’ की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए निर्माता शेखर कपूर ‘मासूम – द नेक्स्ट जेनरेशन’ लेकर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर हाल ही में मूल फिल्म के पोस्टर के साथ साझा एक भावुक पोस्ट में उन्होंने अपनी यात्रा और इस कहानी के प्रति अपने निजी जुड़ाव को याद किया। शेखर कपूर ने लिखा कि यह फिल्म घर और पहचान के सवालों के बारे में है और इसे गढ़ने में उन्हें पूरे दस साल लगे ताकि यह मूल फिल्म जितनी सरल हो लेकिन उतनी ही गहरी और अर्थपूर्ण भी। कपूर ने माना कि यह सीक्वल उनके अपने जीवन में हमेशा मौजूद रही पहचान की खोज से प्रेरित है, जो उनके लिए बेहद निजी रही है। इसी विषय पर 1983 की ‘मासूम’ में नजर आई दिग्गज अभिनेत्री शबाना आज़मी ने भी हाल ही में बात की। उन्होंने कहा कि शेखर कपूर को पहचान का सवाल हमेशा उलझाता रहा है और वह लंबे समय से इसे समझने की कोशिश करते रहे हैं। शेखर कपूर ने एक हालिया स्क्रिप्ट नैरेशन का अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब उन्होंने फिल्म उद्योग के अपने करीबी दोस्तों को यह कहानी सुनाई तो हर किसी की आंखों में आंसू आ गए और उनकी अपनी आंखें भी भर आईं। उन्होंने कहा कि अब, जब वह दोबारा निर्देशक की कुर्सी पर लौट रहे हैं, तो वे आशीर्वाद चाहते हैं कि इस कहानी की सच्चाई को उसी सरलता से कह सकें और एक बार फिर परिवार, घर और पहचान के नजरिए से भावनाओं की गहराइयों में उतर सकें। ‘मासूम – द नेक्स्ट जेनरेशन’ के साथ शेखर कपूर सिर्फ एक सीक्वल नहीं बना रहे हैं, बल्कि उस भावना और ईमानदारी को फिर से जीना चाहते हैं जिसने दशकों पहले लोगों के दिलों को छुआ था। इस बार उनके साथ उनकी बेटी कावेरी कपूर भी हैं, जो फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। पद्म भूषण से सम्मानित और विश्व सिनेमा में अपनी अलग पहचान रखने वाले शेखर कपूर इस नई फिल्म के जरिए एक ऐसी कहानी कहना चाहते हैं जो घर, परिवार और पहचान जैसे सार्वकालिक सवालों को नए दौर के नजरिए से फिर से देखने का अवसर दे। बता दें कि फिल्म ‘मासूम’ ने परिवार, प्यार और गहन भावनाओं के सरल मगर असरदार चित्रण से लाखों दर्शकों का दिल छू लिया था। एक बार फिर निर्माता शेखर कपूर इसी तरह की कहानी दर्शकों के लिए लेकर आ रहे हैं।  

‘तन्वी द ग्रेट’ को मिला ‘स्टैंडिंग ओवेशन’ तो गदगद हुए अनुपम खेर, बोले- ‘40 साल के करियर में सबसे यादगार पल’

मुंबई, फिल्म निर्माता-अभिनेता अनुपम खेर की अपकमिंग फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने को तैयार है। खेर ने रविवार को सोशल मीडिया पर फिल्म से जुड़ा पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि शनिवार को स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान नेशनल डिफेंस अकादमी में ‘तन्वी द ग्रेट’ के लिए खड़े होकर तालियां बजाई गईं, जो उनके लिए यादगार पल बन गया है। इंस्टाग्राम पर अनुपम खेर ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह अपने जज्बात बयां करते नजर आए। उन्होंने कैप्शन में लिखा, “नेशनल डिफेंस अकादमी में ‘तन्वी द ग्रेट’ के लिए खड़े होकर तालियां बजाई गईं। एक अभिनेता और मनोरंजनकर्ता के रूप में मेरे 40 साल के करियर में यह मेरे जीवन का सबसे यादगार पल है।” उन्होंने आगे बताया, “भारत में ‘तन्वी द ग्रेट’ की पहली स्क्रीनिंग नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़कवासला में थी, एक ऐसी जगह जहां युवा कैडेट्स को हमारे सशस्त्र सेवा अधिकारी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। एकेडमी (एनडीए) के कमांडेंट वाइस एडमिरल गुरचरण सिंह ने कैडेट्स से फिल्म के बारे में अपनी राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने को कहा, तो एनडीए के हबीबुल्लाह ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोग तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खड़े हो गए। यह मेरे लिए एक बहुत ही भावुक और कभी न भूल पाने वाला पल था।” खेर ने आगे बताया, “मैंने और टीम ने फिल्म बनाने में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन इस पल ने सारी मेहनत को सार्थक कर दिया। भले ही फिल्म का भविष्य अनिश्चित हो, लेकिन 2500 से अधिक कैडेट्स और अधिकारियों का उत्साह और समर्थन ब्लॉकबस्टर अनुभव रहा। सभी लोगों के प्रति आभार।” खेर ने शनिवार को पोस्ट के जरिए फैंस को जानकारी दी थी कि ‘तन्वी द ग्रेट’ की नेशनल डिफेंस एकेडमी कैडेट्स और ऑफिसर्स के लिए स्क्रीनिंग होगी। वहीं, शनिवार को फिल्म का पहला गाना भी रिलीज होगा। अनुपम खेर के निर्देशन में तैयार फिल्म में ऑस्कर विजेता एमएम कीरावानी ने संगीत दिया है। फिल्म का निर्माण अनुपम खेर स्टूडियोज ने एनएफडीसी (राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम) के साथ मिलकर किया है। ‘तन्वी द ग्रेट’ में अनुपम खेर के साथ ही इयान ग्लेन, बोमन ईरानी, जैकी श्रॉफ, अरविंद स्वामी, पल्लवी जोशी, करण टैकर, नासिर और शुभांगी भी अहम भूमिकाओं में हैं। ‘तन्वी द ग्रेट’ 18 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।  

आखों की गुस्ताखियां का गाना ‘अलविदा’ को बेहद पसंद करती हैं शनाया कपूर

मुंबई, बॉलीवुड अभिनेत्री शनाया कपूर का कहना है कि फिल्म आखों की गुस्ताखियां का उनका सबसे पसंदीदा गाना ‘अलविदा’ है। फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' से संजय कपूर और महीप कपूर की बेटी शनाया कपूर बॉलीवुड में अपना डेब्यू कर रही हैं।विशाल मिश्रा द्वारा कंपोज़, लिखा और गाया गया ‘अलविदा’ रिलीज कर दिया है।इस गाने में शनाया का एक नाज़ुक और इमोशनल अवतार भी देखने को मिलता है,जहां वह अपने किरदार सबा की भावनाओं को बेहद ईमानदारी और नज़ाकत के साथ निभा रही हैं। शनाया कपूर ने कहा, ‘अलविदा’ फिल्म आंखों की गुस्ताखियां का मेरा सबसे पसंदीदा गाना है। विशाल मिश्रा की कंपोज़िशन में कोई जादू है ,जो सादगी के साथ इमोशन्स को छू जाती है। मैं तो इसे लूप में सुन रही हूँ! गौरतलब है कि विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की रोमांटिक फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' इस साल की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है। यह फिल्म ज़ी स्टूडियोज़ और मिनी फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत की गई है और मंसी बागला, वरुण बागला और ओपन विंडो फिल्म्स ने इसे प्रोड्यूस किया है। फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' 11 जुलाई को रिलीज होगी।  

15,000 करोड़ की संपत्ति पर कानूनी जंग, सैफ अली खान के केस में दोबारा सुनवाई का आदेश

जबलपुर बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और उनके परिवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने संपत्ति मामले में दो दशक पहले दिए गए ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और मामले में फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। सैफ अली और उनके परिवार को भोपाल के पूर्व शासकों की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति विरासत में मिली थी। जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच ने 30 जून को दिए अपने आदेश में ट्रायल कोर्ट के फैसले और डिक्री को खारिज कर दिया, जिसमें पटौदी (सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और उनकी दो बहनों सोहा और सबा) को संपत्तियों का मालिक माना गया था। एक साल में सुनवाई पूरी करने के आदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को एक साल के भीतर इस मामले की सुनवाई पूरी करने और फैसला देने के लिए हरसंभव प्रयास करने का निर्देश दिया। नवाब हमीदुल्लाह भोपाल रियासत के अंतिम शासक नवाब थे। उनकी और उनकी पत्नी मैमूना सुल्तान की तीन बेटियां – आबिदा, साजिदा और राबिया – थीं। साजिदा ने इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की और भोपाल की नवाब बेगम बन गईं। उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी ने शर्मिला टैगोर से शादी की। मंसूर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे। नवाब हमीदुल्लाह की सबसे बड़ी बेटी आबिदा के पाकिस्तान चले जाने के बाद, साजिदा ही इन संपत्तियों की मालिक बन गईं। बाद में, उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी इन संपत्तियों के उत्तराधिकारी बन गए। इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है, जो सैफ अली और उनके परिवार को विरासत में मिलीं। दो अपीलें – एक बेगम सुरैया राशिद एवं अन्य द्वारा और दूसरी नवाब मेहर ताज साजिदा सुल्तान एवं अन्य द्वारा दायर की गईं, जो सभी दिवंगत नवाब हमीदुल्लाह के उत्तराधिकारी हैं। इन अपील में कहा गया कि निचली अदालत ने शाही संपत्ति के अनुचित विभाजन के खिलाफ उनके मुकदमों को खारिज कर दिया। अपनी दलीलों में उन्होंने कहा कि भोपाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के 14 फरवरी, 2000 के फैसले और डिक्री ने उनके मुकदमों को अनुचित तरीके से खारिज कर दिया। उनके वकीलों ने दलील दी कि नवाब की निजी संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार उनके और प्रतिवादी सैफ अली, शर्मिला और 16 अन्य उत्तराधिकारियों के बीच होना चाहिए था। जस्टिस द्विवेदी ने कहा, ‘‘मामले को नए सिरे से तय करने के लिए ट्रायल कोर्ट को वापस भेजा जाता है।’’ अदालत ने आदेश दिया, ‘‘यदि जरूरी हो, तो ट्रायल कोर्ट बाद के घटनाक्रम और बदली हुई कानूनी स्थिति को देखते हुए पक्षों को आगे सबूत पेश करने की अनुमति दे सकती है।’’ जस्टिस द्विवेदी ने कहा, ‘‘मेरा विचार ​​है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के अन्य पहलुओं पर विचार किए बिना ही मुकदमों को खारिज कर दिया, वह भी उस फैसले पर भरोसा करते हुए जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया है। इस प्रकार, मेरी राय में, विवादित फैसले और डिक्री को खारिज किया जाना चाहिए और इसलिए इसे रद्द किया जाता है।’’  

परेश रावल वेब सीरीज में गालियां और सेक्स सीन दिखाए जाने पर भड़के

मुंबई एक्टर परेश रावल फिर से कॉमेडी फ्रेंचाइजी फिल्म ‘हेरा फेरी 3’ में बाबू भैया के किरदार में वापसी करने जा रहे हैं. जिसके बाद से उनके फैंस काफी खुश हैं. वहीं, अब परेश रावल ने हाल ही में वेब सीरीज के कंटेंट को लेकर बात किया है. बता दें कि हाल ही में अपने इंटरव्यू में कंटेंट को संस्कारी कैसे बना सकते हैं? इस सवाल पर परेश रावल ने कहा- ‘मैं आपको एक चुटकुला सुनाता हूं, एक औरत ने पुलिस स्टेशन में कंप्लेन की कि भैया मेरे सामने वाली बिल्डिंग में एक आदमी नंगा घूम रहा है. पुलिस वाला आया खिड़की से देखकर बोला कि मैडम कहां है दिख तो नहीं रहा, तो बोली कि अरे स्टूल पर चढ़ के देखो ना.’ परेश रावल ने आगे कहा- ‘आपको जहां नंगा, गंदगी देखनी है तो आपको मिल ही जाएगी, स्टूल पर चढ़कर मिल जाएगी. आप मत देखो ना. जो समाज में है, जो कंटेंट आते वही प्रतिबिंब है समाज का. हमको सेंस ऑफ प्रपोशन, हमारी विवेक बुद्धि, जुडिशियसली उसका यूज करना चाहिए. जो समाज में होता है हर चीज दिखाने के लायक नहीं होती, सजेस्टिव भी हो सकती है.’ एक्टर ने आगे कहा कि- ‘बाद में इसलिए बोलता हूं लोग काफी ऊब भी गए थे कि हर दूसरी तीसरी सीरीज में गालियां आती थीं, सेक्स सीन आते थे. बेमतलब के आते थे, कोई लेना देना नहीं है. तो लोगों को लगा इसकी वजह से लोग अट्रैक्ट होते हैं, लोगों की टीआरपी वगैरह जो भी कुछ बढ़ती, यही था. लेकिन लोग थक गए लेकिन मेकर्स नहीं थके तब जाकर गवर्नमेंट को उतरना पड़ा.’