AAP बिहार में लड़ेगी चुनाव, केजरीवाल बोले -India ब्लॉक सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था, अब हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं

पटना  आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने  अहमदाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और गुजरात में पार्टी के विस्तार और कांग्रेस-बीजेपी दोनों पर तीखा हमला बोला. उन्होंने साफ किया कि हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है और आगामी विधानसभा चुनावों में 'AAP' अकेले दम पर मैदान में उतरेगी. केजरीवाल ने ऐलान किया कि बिहार में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा, India ब्लॉक सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था. अब हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं है. विसावदर उपचुनाव में हमने कांग्रेस से अलग लड़कर तीन गुना ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है. यह जनता का सीधा संदेश है कि अब विकल्प आम आदमी पार्टी है. केजरीवाल का कहना था कि हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है, इसलिए विसावदर में हम अलग लड़े. गुजरात में चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. दिल्ली में हार पर कहा, ऊपर-नीचे होता रहेगा. पंजाब में हमारी सरकार दोबारा बनेगी. केजरीवाल ने कहा, पिछले 30 साल से गुजरात में भाजपा की सरकार है. इस राज्य को बर्बाद करने में बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. सूरत में जो बाढ़ आई, वो मानव सृजित बाढ़ है, बीजेपी के भ्रष्टाचार का फल है. युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. किसानों को यूरिया नहीं मिलता है. सभी वर्ग भाजपा से नाराज हैं. फिर भी भाजपा लगातार जीत रही है क्योंकि लोगों के पास विकल्प नहीं था. सब लोग जानते हैं कि कांग्रेस उनकी जेब में है. कांग्रेस पर लोगों का भरोसा नहीं है. केजरीवाल ने आगे कहा, पहले तो कांग्रेस का उम्मीदवार जीतेगा नहीं और जीता तो जीतने के बाद भाजपा में चला जाएगा. लोगों ने मन बना लिया है कि भाजपा के जाने का टाइम आ गया है. आम आदमी पार्टी आज से गुजरात जोड़ो अभियान शुरू कर रही है. चुनाव में 2.5 साल बाकी हैं. हम लोगों के बीच जा रहे हैं. गुजरात के हर घर तक 5-5 बार पहुंचना है. जो युवा भ्रष्टाचार मुक्त विकास देखना चाहते हैं, वो AAP के साथ जुड़ें. गुजरात को तरक्की के लिए अपनी अपनी पार्टी छोड़कर युवा AAP में आएं. हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है, इसलिए विसावदर में हम अलग लड़े. India गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए ही था. गुजरात उपचुनाव का दिया उदाहरण उन्होंने अपने बयान में गुजरात उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन का अनुभव अच्छा नहीं रहा। “गुजरात उपचुनाव के समय तय हुआ था कि कांग्रेस और AAP आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा करेंगे, लेकिन आखिरी समय में कांग्रेस ने उस सीट पर भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया, जहां से AAP पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी। यह राजनीतिक विश्वासघात था। उन्होंने बताया कि इसी कड़वे अनुभव के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया कि भविष्य में वह किसी भी राज्य में गठबंधन की राजनीति से दूर रहेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। बिहार में भी आम आदमी पार्टी अब पूरी तैयारी के साथ अकेले मैदान में उतरेगी। सौरभ भारद्वाज ने कहा- बिहार की जनता हमें स्वीकार करेगी सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पार्टी की नीति साफ है- जनता से जुड़े मुद्दे, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी और रोजगार जैसे बुनियादी सवालों को चुनावी एजेंडे में शामिल करना। उन्होंने भरोसा जताया कि बिहार की जनता आम आदमी पार्टी को एक मजबूत विकल्प के रूप में स्वीकार करेगी।  

युवा कांग्रेस चुनाव में अभिषेक परमार और यश घनघोरिया के बीच सीधा मुकाबला

भोपाल   मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस चुनाव के चलते कांग्रेस में सरगर्मी तेज है। सरगर्मी इसलिए भी है क्योंकि इस चुनाव में युवाओं से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता दिख रही है। उनका प्रयास यही है कि उनके लोगों को मौका मिले, वे आगे बढ़ें। नामांकन हो चुका है, मतदान और सदस्यता एक साथ चल रही है। अध्यक्ष पद के लिए 18 दावेदार अध्यक्ष पद के लिए 18 उमीदवार मैदान में हैं। वे अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। युवा कांग्रेस चुनाव में अभिषेक परमार और यश घनघोरिया के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के समर्थक माने जाते हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, विधायक जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, कुणाल चौधरी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं का इन्हें अंदरूनी समर्थन माना जा रहा है। वहीं यश घनघोरिया पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया के पुत्र हैं। अंदरूनी तौर पर इनको भी कई नेताओं का समर्थन है। हालांकि इस चुनाव में वरिष्ठ नेता सामने तो नहीं हैं, लेकिन पर्दे के पीछे उनकी सक्त्रिस्यता बनी है। ऐसे में यह चुनाव और भी रोचक हो गया है। 4 लाख से अधिक हो चुके हैं सदस्य युवा कांग्रेस के लिए चार लाख से अधिक युवा सदस्यता ले चुके हैं। सदस्यता अभी भी जारी है। युवा कांग्रेस में यह पहली बार हो रहा है कि मतदान के साथ ही संगठन की सदस्यता भी चल रही है। सदस्यता और मतदान प्रक्रिया ऑनलाइन है। ऑनलाइन ही 50 रुपए निर्धारित फीस के साथ कोई भी युवा सदस्यता ले सकता है।

चुनाव चिन्ह को लेकर फिर कोर्ट पहुंचेगी शिवसेना, सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई

नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के बीच 'धनुष-बाण' चुनाव चिह्न आवंटन विवाद से संबंधित मामले में 14 जुलाई को विचार करेगा। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत की इस मामले में तत्काल सुनवाई की गुहार पर सहमति व्यक्त की। अधिवक्ता कामत ने गुहार लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित घोषणा अगले सप्ताह कभी भी की जा सकती है। पीठ के समक्ष उन्होंने कहा, “हम कुछ अंतरिम निर्देश चाहते हैं।‌ जैसे एनसीपी मामले में जारी किए गए थे। उन्हें चुनाव चिह्न दे दिया गया है।” पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि दो चुनाव हो चुके हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष इसी तरह की याचिका का उल्लेख किया गया था, जिसे खारिज कर दिया गया। पीठ ने कहा, “भले ही चुनाव अधिसूचित हो जाएं, लेकिन यह आखिरकार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है।” इस पर श्री कामत ने कहा, “नहीं नहीं यह चुनाव चिह्न का विवाद है। मामला दो साल से लंबित है।” पीठ ने फिर पूछा, “अगर यह लंबित है तो कोई समस्या नहीं है, कोई अधिकार (जो मिलना चाहिए) नहीं जाएगा। इतनी जल्दी क्या है।” अधिवक्ता ने कहा कि यह अंततः लोगों की पसंद का सवाल है। शीर्ष अदालत ने इसके बाद कहा कि वह इस मामले में 14 जुलाई को विचार करेगी। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 17 फरवरी, 2023 को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली पार्टी के रूप में मान्यता दी थी। चुनाव आयोग द्वारा तैयार किए गए प्रतीक आदेश के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के साथ संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए इसे 'धनुष और तीर' चुनाव चिह्न आवंटित किया था।  

राहुल गांधी के एक साल के कार्यकाल पर सियासी घमासान, BJP नेताओं ने बताया ‘नाकाम नेता’

नई दिल्ली  नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी की नियुक्ति को पिछले महीने एक साल पूरे हो गए। कांग्रेस द्वारा बुधवार को इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट के बाद भाजपा नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया में उन्हें इस भूमिका के लिए 'अयोग्य' बताया है। पिछले एक वर्ष में भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं, और इस दौरान राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और विपक्ष की भूमिका पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गुजरात के भाजपा प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने कहा, "पिछले एक साल में देश का राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है। जब लोकसभा चुनाव से पहले 'इंडी' गठबंधन की बैठक हुई थी, तो यह धारणा बनाई गई थी कि भाजपा हार गई है या एनडीए पिछड़ रहा है। लेकिन पिछले एक साल के चुनाव नतीजों ने लोगों के फैसले को स्पष्ट कर दिया है।" उन्होंने कहा, "देश की जनता ने दिखा दिया है कि दोनों पक्षों की राजनीति और विचारधाराओं के बीच क्या फर्क है। उनके सारे नेताओं को लगता है कि तुष्टिकरण की राजनीति से ही डूबती नैया को बचा सकते हैं। इसलिए उनके नेता तुष्टिकरण करने लगे हैं।" पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता निशिथ प्रामाणिक ने कहा, "राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में एक वर्ष पूरा कर लिया है। मुझे लगता है कि जब तक वह यह समझना शुरू करेंगे कि संसद कैसे काम करती है, तब तक उनका पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।" भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, "राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकते, वह गड़बड़ी कर सकते हैं। वह संसद में ठीक ढंग से नहीं बैठ पा रहे हैं।" साल 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी है। भाजपा की 240 और एनडीए की 293 सीटों के मुकाबले 'इंडिया' ब्लॉक 232 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ 52 सीटें जीती थीं। साल 2014 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी।

जयराम रमेश का दावा – हर भारतीय पर 4.8 लाख का कर्ज, मोदी सरकार जिम्मेदार

नई दिल्ली  कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से संबंधित खबरों का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। पिछले दो साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90 हजार रुपए से बढ़कर 4.8 लाख रुपए हो गया है। कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि जनता कर्ज में डूब रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं तथा उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, " "अच्छे दिन" का कर्ज़! मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसका अंजाम आज देश की जनता भुगत रही है।" 'देश पर कर्ज का बोझ मोदी राज में चरम पर है' उन्होंने कहा कि यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है। रमेश ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया, " रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। सरकार कि ओर से आंकड़ेबाजी और विषेशज्ञों का सहारा लेकर असली कमियों को छुपाने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नही कर सकता कि देश पर कर्ज का बोझ मोदीराज में चरम पर है। "   लोगों की आमदनी का 25.7 % हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा- जयराम रमेश उन्होंने कहा कि दो साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90,000 रुपए बढ़कर 4.8 लाख रुपए हो गया है यानी लोगों की आमदनी का 25.7 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा है। कांग्रेस नेता ने दावा किया, "सबसे ज्यादा 55 प्रति कर्ज तथाकथित रूप से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल ईएमआई आदि के लिए जा रहा है, जिसका मतलब है इस महंगाई में परिवारों की आय में उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वे कर्ज लेने पर मजबूर हैं। असुरक्षित कर्ज 25 प्रतिशत पार हो चुका है।'' 'युवाओं के पास नौकरी नहीं है… ' रमेश के अनुसार, सबसे चिंताजनक बात यह है कि मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों का/बाहरी कर्ज 736.3 अरब डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है। उन्होंने दावा किया कि युवाओं के पास नौकरी नहीं है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महंगाई से जनता त्रस्त है और संवैधानिक संस्थाओं को कुचला जा रहा है। 'जनता कर्ज में डूब रही है और PM मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे' कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जनता कर्ज में डूब रही है और प्रधानमंत्री मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। रमेश ने कहा, "सीधा सवाल यह है कि जब सारी सरकारी परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी या निजी भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है तथा हर देशवासी पर 4,80,000 रुपये का कर्ज क्यों हो गया है ?'' 

कांग्रेस नेता का विवादित बयान: भारत के राज्य को कहा पड़ोसी देश, बाद में मांगी माफी

नई दिल्ली  कांग्रेस नेता अजय कुमार की सिक्किम को ‘‘पड़ोसी देश’’ बताने संबंधी टिप्पणी की राज्य के राजनीतिक दलों सहित समाज के विभिन्न वर्गों ने कड़ी आलोचना की है। कुमार ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान राज्य को बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के साथ पड़ोसी देश बताया था। हालांकि, इस मुद्दे पर विवाद उठने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मंगलवार को माफी मांगते हुए कहा कि ‘‘उनकी जबान फिसल’’ गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘कल ‘सेल (भारतीय इस्पात प्राधिकरण) 400 करोड़ का घोटाला’ पर अपनी प्रेस वार्ता में जब मैं अपने पड़ोसी देशों के साथ बिगड़ते संबंधों पर बोल रहा था तो मैंने गलती से एक राज्य का नाम ले लिया जिसके लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं क्योंकि यह सिर्फ जुबान फिसलने की वजह से हुआ… भाजपा की विपक्षी दलों के नेताओं की छोटी-छोटी गलतियों पर भी नजर रहती है।’’ सिक्किम के एकमात्र लोकसभा सदस्य इंद्र हंग सुब्बा ने कहा कि कुमार की टिप्पणी ‘‘गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक’’ है और ‘‘राज्य के लोगों का गंभीर अपमान है, जो हमेशा राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा के साथ खड़े रहे हैं’’। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी हमारी, संवैधानिक एकता के बारे में गहरी अज्ञानता को दर्शाती है और पूर्वोत्तर की गौरवशाली पहचान का अपमान करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस महान राष्ट्र से हमारे जुड़ाव पर सवाल उठाने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’ इसी तरह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सिक्किम इकाई ने इस बयान को ‘‘अपमानजनक और अज्ञानता से भरा’’ बताया। भाजपा की सिक्किम इकाई के मीडिया प्रभारी निरेन भंडारी ने कांग्रेस नेता, विशेषकर ऐसे व्यक्ति जो पूर्व में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी और संसद सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं, उनकी ‘‘भारत के इतिहास और भूगोल के बारे में जानकारी की कमी’’ पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को अपने नेताओं को शिक्षित करने और ऐसी शर्मनाक गलतियों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।’’ उन्होंने 1975 से भारत के अभिन्न अंग के रूप में सिक्किम की पहचान के प्रति जवाबदेही और सम्मान का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘सिक्किम के लोग गौरवान्वित भारतीय हैं और राज्य ने राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। इस तरह की टिप्पणी उन लोगों का अपमान करती है, जिनमें से कई ने राष्ट्र की सेवा के लिए अपना खून और पसीना बहाया है।’’ सिटिजंस एक्शन पार्टी (सीएपी) ने भी टिप्पणी की निंदा की और असंतोष व्यक्त किया।  

कर्नाटक की सियासत गरमाई: सिद्धारमैया का दावा – पांच साल तक मैं ही रहूंगा सीएम

बेंगलुरु कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि वह पूरे 5 साल मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उनका यह बयान डीके शिवकुमार और उनके समर्थकों के लिए झटका है, जो मंगलवार तक दावा कर रहे थे कि 100 विधायक उनके साथ हैं। शिवकुमार समर्थकों का कहना था कि यह सबसे सही समय है, जब मुख्यमंत्री बदल दिया जाए। ऐसा नहीं हुआ तो फिर अगले चुनाव में कांग्रेस के लिए जीतना मुश्किल होगा। बुधवार को सिद्धारमैया ने कहा, 'हां मैं मुख्यमंत्री हूं। आखिर आपको कोई संदेह क्यों है?' उनसे पूछा गया कि भाजपा और जेडीएस की ओर से दावा किया जा रहा है कि जल्दी ही बदलाव होना है। इस पर सिद्धारमैया ने कहा कि क्या हमारे हाईकमान ये लोग हैं। एक तरफ सिद्धारमैया ने सीएम पद पर बने रहने की बात कही है तो डीके शिवकुमार का खेमा अब नरम पड़ता दिख रहा है। यहां तक कि शिवकुमार ने अब अपने ही समर्थकों के बयान पर ऐतराज जता दिया है। उन्होंने कहा है कि वह विधायक इकबाल हुसैन को कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे। इकबाल हुसैन ने ही दावा किया था कि हमारे पास 100 विधायकों का समर्थन है, जो चाहते हैं कि डीके शिवकुमार को ही सीएम बना दिया जाए। हुसैन का कहना था कि हमारी यह मांग है और हम इस मसले को हाईकमान के सामने भी रखेंगे। हुसैन को लेकर शिवकुमार ने कहा, 'विधायकों में कोई असंतोष या खींचतान नहीं है। हम सभी विधायकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय कर रहे हैं। मैं इकबाल हुसैन को नोटिस जारी करूंगा। इसके अलावा ऐसे अन्य विधायकों से भी बात करूंगा, जो पार्टी लाइन से अलग बात कर रहे हैं।' दरअसल डीके शिवकुमार गुट की जोर-आजमाइश सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दरबार तक पहुंची थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने तो साफ कहा था कि इस पर फैसला हाईकमान लेगा। फिर मंगलवार को रणदीप सुरजेवाला पहुंचे तो उन्होंने डीके शिवकुमार को साथ बिठाकर मीडिया से बात की और अंत में सब कुछ शांत जैसा करा दिया है।  

पूर्व मंत्री के घर पहुंची पुलिस, अकाली दल के बड़े नेता के बेटे को दबोचा

मोहाली पंजाब की भगवंत मान सरकार ने शिरोमणि अकाली दल के एक और नेता पर शिकंजा कस दिया है। बुधवार सुबह ही अकाली दल के सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री महेश इंदर सिंह ग्रेवाल के घर पर पंजाब पुलिस पहुंच गई। मौके पर महेश इंदर सिंह घर पर नहीं थे, लेकिन पुलिस ने उनके बेटे को हिरासत में ले लिया है। यह ऐक्शन तब हुआ है, जब अकाली दल की ओर से आज ही मोहाली में बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन की तैयारी थी। माना जा रहा है कि अकाली दल के आंदोलन पर नकेल कसने के लिए ऐसा ऐक्शन हुआ है। महेश इंदर सिंह ग्रेवाल के लुधियाना स्थित आवास पर पुलिस पहुंची तो हलचल मच गई। आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे हितेश सिंह ग्रेवाल को हिरासत में लिया है। इसके अलावा ग्रेवाल ने यह आरोप भी लगाया है कि उनके परिवार के लोगों को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया है। उनका कहना है कि पुलिस ने यह ऐक्शन इसलिए लिया है ताकि प्रदर्शन को रोका जा सके। अकाली नेता ने कहा कि हमारा प्रदर्शन लोकतांत्रिक है और यह हमारी अधिकार है। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार हमारे इस अधिकार को भी छीनने की तैयारी में है। पुलिस के इस ऐक्शन पर सुखबीर बादल का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पंजाब में इमरजेंसी लग गई है। ग्रेवाल ने कहा कि यह कुछ और नहीं है बल्कि राजनीतिक रूप से बंदी बनाने की कोशिश है। यह हमें धमकाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की आवाज को कुचलने के लिए पंजाब सरकार पुलिस का इस्तेमाल कर रही है। वहीं पुलिस ने इन दावों को खारिज किया है। लुधियाना के मॉडल टाउन थाने के एसएचओ का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर हम अकाली दल के नेताओं के यहां जा रहे हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे। किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया है और ना ही कोई नजरबंदी है। पुलिस ने कहा कि हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जानने आए हैं कि आखिर अकाली नेताओं का ट्रैवल प्लान क्या है।  

बिहार भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति बैठक, एक बार फिर आएगी NDA सरकार : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

पटना भारतीय जनता पार्टी की राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पटना पहुंचे। बिहार के दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वह राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमारी चुनावी घोषणा पत्र को उठाकर देख लीजिए, हमने जो कहा है, वह किया है। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में चार साल शेष है। अभी बहुत काम होना बाकी है। बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार आएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि हमलोगों का सौभाग्य है कि हमें विश्व की सबसे विश्वसनीय राजनीतिक पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में काम करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि बिहार आने से पहले मुझे शंघाई रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने का अवसर मिला। बैठक के दौरान जो बैकग्राउंड लगाया गया था, उसमें इस बार नालंदा विश्वविद्यालय का चित्र लगाया गया था। भारत और चीन के बीच का जो सांस्कृति क्षेत्र है, वह बिहार की धरती से जुड़ा है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने ऐसा कहा भाजपा सूत्रों की मानें तो आज की बैठक पर सबसे ज्यादा फोकस बिहार विधानसभा चुनाव है। पीएम मोदी के कार्यकाल के 11 साल पूरे हो चुके हैं। भाजपा अब लोगों के घर घर जाकर एनडीए सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए लोगों के बीच जाएगी। इसके अलवा 15 जुलाई से बूथ सशक्तिकरण कार्यक्रम को लेकर भी कार्ययोजना बनाई जा रही है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता एनडीए सरकार के एक-एक काम को बिहार के घर-घर तक ले जाएगा। उन्होंने भी दावा किया कि फिर एक बार एनडीए की सरकार आएगी।

महाराष्ट्र में कांग्रेस को बड़ा झटका, राहुल गांधी के करीबी नेता कुणाल पाटिल ने छोड़ी पार्टी

मुंबई  भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महाराष्ट्र इकाई के नए अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने कार्यभार संभालते ही विपक्षी कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया. रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुणाल पाटिल ने हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. कुणाल का कांग्रेस छोड़ना उत्तर महाराष्ट्र और धुले में ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कुणाल पाटिल की गिनती लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में होती थी. कुणाल पाटिल धुले ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. हफ्तेभर पहले कुणाल पाटिल की रवींद्र चव्हाण के साथ सीक्रेट मीटिंग की खबर आई थी. तब ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि कुणाल सीएम देवेंद्र फडणवीस और रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि, तब कुणाल पाटिल ने बीजेपी में जाने की अटकलों को खारिज कर दिया था. मुलाकात की बात स्वीकार करते हुए कुणाल पाटिल ने कहा था कि वह अपने निजी काम के सिलसिले में रवींद्र चव्हाण से मिले थे. अब कुणाल बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी पर तंज करते हुए कहा कि कांग्रेस का जनता से जुड़ाव कम हो गया है. धुले में कुणाल पाटिल का मजबूत प्रभाव कुणाल पाटिल का धुले के साथ ही उत्तर महाराष्ट्र के आसपास के जिलों में भी मजबूत प्रभाव माना जाता है. उनकी पहचान सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है और युवा वर्ग के बीच उनका अपना आधार है. कुणाल का पार्टी छोड़ना, बीजेपी में शामिल होना विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव करीब हैं और बीजेपी ने अब दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं. रवींद्र चव्हाण के महाराष्ट्र बीजेपी की कमान संभालने के बाद दूसरे दलों से नेताओं के बीजेपी में आने का सिलसिला और तेज होने के आसार हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी रवींद्र चव्हाण पहली फडणवीस कैबिनेट में मंत्री थे. वह एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में भी मंत्री थे. ठाणे जिले के डोंबिवली से आने वाले चार बार के विधायक रवींद्र चव्हाण की इमेज मुश्किल मसलों के त्वरित समाधान निकालने वाले नेता की है.