सुब्बा रेड्डी के खिलाफ ईडी का शिकंजा, बेंगलुरु में पांच जगहों पर एक साथ कार्रवाई

बेंगलुरु प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कर्नाटक के विधायक एसएन सुब्बा रेड्डी और उनके परिजनों के खिलाफ विदेशी संपत्तियों को कथित तौर पर छुपाने को लेकर जांच शुरू कर दी है। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (एफईएमए) की धारा 37 के तहत ईडी ने बेंगलुरु के 5 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। विधायक सुब्बा रेड्डी के आवास, उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठान और करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर ईडी तलाशी अभियान चला रही है। यह छापेमारी कथित तौर पर उनके और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने और अवैध निवेश के आरोपों के आधार पर की जा रही है। ईडी के मुताबिक, एसएन सुब्बा रेड्डी और उनके परिजनों पर विदेशी खातों में भारी राशि जमा कराने समेत मलेशिया, हांगकांग और जर्मनी में अचल संपत्तियों में निवेश करने के आरोप हैं। कथित तौर पर इन संपत्तियों और निवेशों को भारतीय अधिकारियों से छुपाया गया, जो फेमा कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। ईडी उनकी अवैध विदेशी संपत्ति की जांच कर रही है। कर्नाटक के अलावा, हरियाणा में भी ईडी की टीमें सक्रिय हैं। ईडी ने हरियाणा में प्रोबो ऐप संचालित करने वाली कंपनी पर शिकंजा कसते हुए 284 करोड़ रुपए की संपत्ति फ्रीज कर दी है। गुरुग्राम और जिंद में ईडी ने प्रोबो मीडिया टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और इसके प्रमोटर्स सचिन सुभाषचंद्र गुप्ता और आशीष गर्ग के ठिकानों पर छापेमारी की। पीएमएलए के तहत यह कार्रवाई की गई। ईडी की जांच का मुख्य उद्देश्य कंपनी की ऐप और वेबसाइट प्रोबो के माध्यम से पूरे भारत में चल रही अवैध सट्टेबाजी और जुए की गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। बता दें कि प्रोबो ऐप और वेबसाइट को ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में पेश किया जाता है, लेकिन वास्तव में यह लोगों को ‘हां या ना’ जैसे सवालों पर पैसे लगाने के लिए प्रेरित करता है, जो जुए और सट्टेबाजी का एक रूप है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें साधारण सवालों के जवाब देकर पैसे कमाने का प्रलोभन दिया गया, लेकिन यह वास्तव में एक सट्टेबाजी योजना थी। इस स्कीम में लोग अधिक मुनाफे की उम्मीद में बार-बार पैसे लगाते रहे और अंततः अपनी रकम गंवा बैठे।  

ED का नया रडार: विजय देवरकोंडा और राणा दग्गुबाती समेत कई सितारों पर जांच शुरू

मुंबई  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तेलंगाना में एक बड़े सट्टेबाजी घोटाले की जांच के तहत 29 फिल्मी हस्तियों, यूट्यूबर्स और इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है।  साउथ फिल्म इंडस्ट्री एक नए विवाद के घेरे में है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तेलंगाना के 29 फिल्मी सितारों, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूबर्स के खिलाफ अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार के आरोप में जांच शुरू की है। इस लिस्ट में मशहूर अभिनेता विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, मंचु लक्ष्मी, और कई अन्य जाने-माने नाम शामिल हैं। मामले की शुरुआत कैसे हुई? इस मामले की नींव मियापुर के एक व्यवसायी फणिंद्र शर्मा द्वारा दर्ज की गई शिकायत से रखी गई। शर्मा ने आरोप लगाया कि दक्षिण भारत के कई प्रमुख फिल्मी सितारे और सोशल मीडिया चेहरों ने अवैध सट्टेबाजी ऐप्स का प्रचार किया है, जिससे हजारों युवा और मध्यम वर्गीय परिवार वित्तीय नुकसान झेल रहे हैं।शिकायत में कहा गया कि इन ऐप्स को प्रचारित करने वाले सितारे उन्हें "आसान कमाई का जरिया" बताकर लोगों को आकर्षित कर रहे थे। इस पर साइबराबाद पुलिस ने 19 मार्च 2025 को 25 प्रमुख हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता, तेलंगाना गेमिंग एक्ट, और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराएं लगाई गईं। अब मामला पहुंचा ईडी तक साइबराबाद पुलिस की एफआईआर के आधार पर अब यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) तक पहुंच चुका है। ईडी ने इसे धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया है और उन सभी हस्तियों के बैंक रिकॉर्ड, प्रमोशन फीस, टैक्स डिटेल्स और अन्य वित्तीय लेन-देन की गहन जांच शुरू कर दी है।सूत्रों के मुताबिक, इन ऐप्स के ज़रिए हजारों करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है, जो वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर अपराधों की श्रेणी में आता है। अधिकारियों का कहना है कि युवाओं को लुभाने के लिए सेलेब्स का प्रभाव जानबूझकर इस्तेमाल किया गया। कौन-कौन हैं जांच के दायरे में? ईडी जिन प्रमुख चेहरों की जांच कर रही है, उनमें शामिल हैं:     विजय देवरकोंडा     राणा दग्गुबाती     प्रकाश राज     निधि अग्रवाल     मंचु लक्ष्मी     अनन्या नागल्ला     प्रणीता सुभाष     एंकर श्रीमुखी     श्यामला     यूट्यूबर हर्षा साई, बय्या सनी यादव, और लोकल बॉय नानी जैसे सोशल मीडिया प्रभावशाली चेहरे। सेलेब्स की सफाई और प्रतिक्रिया इस पूरे मामले पर संबंधित हस्तियों ने अपनी सफाई देना शुरू कर दिया है: विजय देवरकोंडा की टीम ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने केवल A23 नामक कौशल-आधारित गेमिंग प्लेटफॉर्म का प्रचार किया था, जिसका अनुबंध 2023 में समाप्त हो गया था। प्रकाश राज ने बताया कि उन्होंने 2016 में एक ऐप का प्रचार किया था, लेकिन जब उन्हें इसकी प्रकृति समझ में आई तो उन्होंने तत्काल दूरी बना ली। वहीं राणा दग्गुबाती ने कहा कि उन्होंने जो भी प्रचार किया है, वह पूरी तरह कानूनी अनुपालन के तहत था। ईडी की इस कार्रवाई से टॉलीवुड में हड़कंप मच गया है। इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि आमतौर पर ये सितारे युवा पीढ़ी के आदर्श माने जाते हैं। ऐसे में उनके प्रचार से प्रेरित होकर कई लोग इन ऐप्स में फंसते चले गए।  

डिबॉक इंडस्ट्री और नेचुरो इंडिया बुल कंपनी के मालिक के ठिकानों पर ED की रेड

जयपुर जयपुर में ईडी ने डिबॉक इंडस्ट्रीज और नेचुरो इंडिया बुल कंपनी पर छापामारी की। रेड के दौरान नकदी के अलावा करीब 100 करोड़ रुपये कीमत वाली लग्जरी कारें भी सीज की गईं। इनमें रोल्स रॉयस, बेंटले, मर्सडीज, लैंडक्रूजर जैसी महंगी कारें शामिल हैं। कई ठिकानों पर छापामारी हुई। इसमें कंपनी के संचालक मुकेश मनवीर का घर भी शामिल था। संचालक पर 100 करोड़ से ज्यादा के घोटाले का आरोप है। ये छापामारी वैशाली नगर, लोहिया कॉलोनी, टोंक, कोटा सहित कई ठिकानों पर हुई, लेकिन रेड का केंद्र बिन्दु जयपुर में मुकेश मनवीर का घर ही था। ईडी के मुताबिक संचालक के घर से 78 लाख रुपये की नकदी समेत 100 करोड़ रुपये की कीमत की कारें सीज की गई हैं। ई़डी की ये कार्रवाई मुकेश के अलावा कंपनी के अन्य शीर्ष नेतृत्व वाले कर्मचारियों के साथ भी हो रही है। जानकारी के मुताबिक कंपनी के प्रमोटर्स गौरव जैन, ज्योति समेत कई अन्य पर भी ईडी कार्रवाई कर रही है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अपने आपको टेलीफोन एडवायजरी कमेटी में बतौर सदस्य बताता है। उसने अपने ऑफिस के बाहर एक पोस्टर लगा रखा है, जिसमें उसने अपने आपको एडवाइजर होने का दावा किया है। उसके राजनीतिक संबंध भी रहे हैं। फिलहाल 100 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है और ईडी जांच-पड़ताल में जुटी हुई है। मुकेश इससे पहले चुनाव भी लड़ चुका है। उसने साल 2019 में लोकसभा का चुनाव शिवसेना के प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था। उस दौरान चुनाव प्रचार में बॉलीवुड अभिनेत्री राखी सावंत भी शामिल हुई थीं। हालांकि मुकेश को इस चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा था। उसे महज 4900 वोट मिल थे, मतलब इतने कम वोट की जमानत तक जब्त हो गई थी। कंपनी के शेयर का दाम पंहुचा आसमान पर  ईडी जांच में सामने आया है कि डिबॉक कंपनी ने फर्जी फर्म और निदेशक बनाकर कंपनियों को शेयर बाजार में लिस्ट कराया था. इसके बाद छह महीनों में शेयर के दाम 8 रुपये से 153 रुपये तक पहुंचा दिए गए. इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी के मामला सामने आया है. आरोपी ने इस काली कमाई को रियल एस्टेट, होटल, रिसॉर्ट, वेडिंग बैंक्वेट हॉल और बहुमंजिला आवासीय योजनाओं में निवेश किया. टोंक रोड, चाकसू में एक बड़ी हाउसिंग स्कीम भी प्लान की गई थी. चुनाव भी लड़ चुका है आरोपी  गौरतलब है कि आरोपी मुकेश महावर 2019 में टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से शिवसेना के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुका है. उस चुनाव में प्रचार के लिए अभिनेत्री राखी सावंत भी पहुंची थीं, लेकिन मुकेश को सिर्फ 4,900 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई थी. फिलहाल ईडी की टीम इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है.