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ग्रीन इंदौर मिशन: 50 करोड़ की लागत से गार्डनों का सौंदर्यीकरण शुरू

इंदौर  इंदौर विकास प्राधिकरण ने शहर को हरा-भरा बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। प्राधिकरण दो दर्जन नए गार्डनों को विकसित करने जा रहा है, जिस पर लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बीते साल भी हरियाली महोत्सव और एक पेड़ मां के नाम जैसे अभियानों के तहत ग्रीन बेल्ट और गार्डनों में हजारों पौधे लगाए गए थे, जो अब बड़े होकर हरे-भरे पेड़ों में तब्दील हो चुके हैं। स्कीम 78 में सिटी फारेस्ट बनाया आईडीए ने योजना क्रमांक 78 में मियावाकी पद्धति से गार्डन विकसित किया है। यह इसकी एक सफल मिसाल है। प्राधिकरण केवल पौधारोपण ही नहीं करता, बल्कि रख-रखाव के लिए भी ठेका देता है, जिससे पौधों का जीवित रहना सुनिश्चित होता है। रिंग रोड की हरियाली और सिटी फॉरेस्ट योजना को भी मिलेगा विस्तार प्राधिकरण के सीईओ आरपी अहिरवार के अनुसार, प्राधिकरण ने वर्षों पहले रिंग रोड पर जो चौड़े ग्रीन बेल्ट विकसित किए थे, वह आज भी हरे-भरे हैं, हालांकि मेट्रो प्रोजेक्ट और फ्लाईओवर निर्माण के कारण कुछ स्थानों पर ग्रीन बेल्ट हटाने की भी नौबत आई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद योजना क्रमांक 97 पार्ट-4 में 42 एकड़ भूमि पर सिटी फॉरेस्ट के लिए जमीन मिली है, जिसके लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। हाल ही में प्राधिकरण ने कुमेर्डी में आईएसबीटी के सामने 2100 पौधे लगाए हैं। पिछले वर्ष लगाए गए करीब ढाई लाख पौधे अब 10 से 15 फीट तक ऊंचे हो चुके हैं, जो इस योजना की सफलता दर्शाते हैं। नई टीपीएस योजनाओं में शामिल होंगे बड़े गार्डन क्षेत्र प्राधिकरण के सीईओ आरपी अहिरवार के अनुसार, इस वर्ष भी मां की बगिया और एक पौधा मां के नाम जैसे अभियानों के तहत मानसून सीजन में हजारों पौधे लगाए जा रहे हैं। साथ ही, जो नई टीपीएस योजनाएं घोषित की गई हैं, उनमें बड़ी संख्या में गार्डनों के लिए जमीन आरक्षित की गई है। इन दो दर्जन नए गार्डनों में ही ढाई लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मियावाकी पद्धति के अतिरिक्त अन्य पौधारोपण कार्यों के लिए भी टेंडर बुलाए जा चुके हैं और विभिन्न ठेकेदार फर्मों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ठेकेदार फर्में करेंगी रखरखाव, प्राधिकरण करेगा सख्त मॉनिटरिंग पौधारोपण की सफलता का राज यह है कि प्राधिकरण पौधों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी ठेकेदारों को सौंपता है। पौधे सूखने की स्थिति में फर्म को नए पौधे लगाने होते हैं। इसके अलावा पौधारोपण से पहले गार्डनों और ग्रीन बेल्ट में बाउंड्री, फेंसिंग, बोरिंग और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। प्राधिकरण की टीम लगातार इसकी निगरानी करती है। हाल ही में पर्यावरण दिवस पर सिंदूर गार्डन में 1100 पौधे लगाए गए थे। अब बारिश के मौसम में प्राधिकरण पूरे शहर में बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने जा रहा है। 

सफाई में नंबर 1 इंदौर की नई पहल: ऑन डिमांड कचरा उठाने के लिए लॉन्च होगा मोबाइल ऐप

इंदौर सफाई के मामले में इंदौर एक बार फिर नंबर बन रहा है। वहीं अब इंदौर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के बाद एक और सुविधा मिलने जा रही है। इस सुविधा के तहत लोग अपने मोबाइल में एक एप्लीकेशन के जरिए कचरा गाड़ी बुलवाकर कचरा दे सकेंगे। यह सुविधा घर और संस्थानों सभी के लिए उपलब्ध रहेगी। दरअसल, इस खास ऐप के जरिए लोगों को साफ-सफाई का ऑप्शन दिया जाएगा। इंदौर में शुरू होने वाले इस खास ऐप को 5 अगस्त को लॉन्च किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक जो ऐप लॉन्च किया जाएगा, वह एंड्रॉयड और आईओएस दोनों ही एप्लीकेशन पर काम करेगा। इस ऐप का मकसद सफाई के मामले में इंदौर को और आगे ले जाना है। अब इंदौर में डोर टू डोर ही नहीं ऑन डिमांड भी कचरा किया जाएगा कलेक्ट, फूड डिलीवरी की तरह ही होगा काम कैसे काम करेगा यह ऐप? दरअसल, लॉन्च किया जाने वाला यह ऐप एकदम फूड डिलीवरी ऐप की तरह ही काम करेगा। जिस प्रकार से हम किसी फूड डिलीवरी ऐप पर जाकर फूड आइटम सेलेक्ट करते हैं और अपना एड्रेस डालकर ऑर्डर करते हैं, वैसे ही इस ऐप में भी सफाई के कुछ ऑप्शंस को सेलेक्ट करना होगा और अपने घर व संस्थान का एड्रेस देना होगा। इसके बाद गाड़ियां घर आएंगी और आपका कचरा कलेक्ट करेंगी। दरअसल, यह कचरा रोज़ाना के अलावा इकट्ठा होने वाला एक्स्ट्रा कचरा होगा। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं किया गया है कि इसका चार्ज कितना होगा, लेकिन जल्द ही यह तय किया जा सकता है। यह चार्ज नगर निगम द्वारा लिया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 5 अगस्त को इस ऐप को लॉन्च किया जा सकता है। ये एप्लिकेशन एंड्राइड और आईओएस दोनों के लिए रहेगी। फूड डिलीवरी ऐप की तरह करेगी काम जिस प्रकार आप फूड डिलीवरी ऐप का इस्तेमाल करते हैं। वैसे ही ये ऐप भी काम करेगी। फूड डिलीवरी ऐप पर जिस प्रकार फूड को सिलेक्ट करते हैं उसके बाद ऑर्डर देते हैं। ऑर्डर होने के बाद फूड आपके घर या संस्थान तक पहुंचाया जाता है। उसी प्रकार इस ऐप के माध्यम से आप अपने घर या संस्थान से निकलने वाले कचरे (रोजाना के अलावा) कलेक्शन के लिए गाड़ियां बुला सकते हैं। बड़े संस्थान और बड़े इवेंट के लिए साफ-सफाई का भी ऑप्शन मिलेगा। हालांकि, इसके लिए नगर निगम द्वारा चार्ज लिया जाएगा, लेकिन कितना चार्ज लिया जाएगा ये फिलहाल तय नहीं हुआ हैं। ऐप को दिया ‘क्विक साफ' नाम स्वच्छ भारत मिशन द्वारा तैयार की गई इस ऐप को 'क्विक साफ' (Quick Saaf) नाम दिया है। इंदौर में लोगों के घरों में डोर-टू-डोर कचरा गाड़ी रोजाना आती हैं, जिसमें लोग गिला और सूखा कचरा अलग-अलग डालते हैं। 5 अगस्त को लॉन्च की जा सकती है ऐप 5 अगस्त को नगर निगम परिषद के कार्यकाल के तीन साल पूरे हो रहे हैं। महापौर भार्गव ने बताया कि 5 अगस्त को कार्यकाल पूरे हो रहे हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव से इस विषय में चर्चा की जाएगी। अगर अनुमति मिलती है तो इस ऐप को 5 अगस्त को ही लॉन्च कर दिया जाएगा। इस ऐप की फिलहाल दरें तय नहीं हुई है। दरें एमआईसी में अप्रूवल के लिए आई है। जल्द ही दरें भी अप्रूव हो जाएगी। मगर इस ऐप का इस्तेमाल से लोग अपने घरों और संस्थानों में निकलने वाले एक्स्ट्रा कचरे को देने के लिए गाड़ी बुक कर सकते हैं। बुकिंग पर गाड़ी आपके घर आएगी और घर या संस्थान से कचरा कलेक्ट कर ले जाएगी। बड़े इवेंट या बड़े संस्थानों में साफ-सफाई के लिए भी आप इस माध्यम से टीम को बुला सकते हैं। नवाचार और इनोवेशन से इंदौर नंबर वन महापौर पुष्यमित्र भार्गव से दैनिक भास्कर ने इसे लेकर खास चर्चा की। उन्होंने बताया कि इंदौर नगर निगम अपने नवाचार और इनोवेशन के कारण लगातार देश में नंबर वन हैं। गीले कचरे से बायो सीएनजी बन रही है, सूखे को रिसाइकिलिंग कर रहे हैं, हरे कचरे से प्लेट्स बनाने का काम इंदौर नगर निगम में शुरू हो गया है, लेकिन इस कचरा प्रबंधन को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने लिए अब इंदौर नगर निगम ऑन डिमांड कचरा कलेक्शन भी शुरू करने जा रहा है। क्विक साफ (Quick Saaf) नाम से ऐप हमारा बनकर तैयार हो गया है, जिसकी शुरुआत जल्द होने वाली है। फूड डिलीवरी ऐप पर जैसे खाने की डिलीवरी होती है। उसी तरह डोर-टू-डोर कचरा गाड़ी के अलावा जो कचरा है वह यदि कोई देना चाहता है तो ऐप के माध्यम से घर बुलाकर दे सकता है। वैसे ही किसी बडे़ आयोजन की साफ-सफाई करना है तो ऐप के माध्यम से रिक्वेस्ट भेज सकता है। टीम वहां जाकर साफ-सफाई भी कर देगी। कई नवाचार लाइन में हैं। रोड स्वीपिंग के हो, मिक्स्ड वेस्ट के या प्लास्टिक से फ्यूल बनाना हो। इन्हें हम तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। क्या है इस ऐप का नाम? बता दें कि इंदौर में डोर टू डोर कलेक्शन किया जाता है, यानी गाड़ियां लोगों के घर जाती हैं और वहां से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग इकट्ठा करती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जब महीने या हफ्ते में घर की सफाई की जाती है तो एक्स्ट्रा कचरा निकलता है। ऐसे में इस कचरे को डालना भी बड़ी समस्या बन सकता है। लेकिन इंदौर नगर निगम सफाई के मामले में बेहद ही सक्रिय है। अब एक्स्ट्रा कचरे के लिए लोग गाड़ी बुक कर सकेंगे। बुकिंग करने पर यह गाड़ी आपके घर आएगी और घर से यह कचरा कलेक्ट कर लेगी। यह बड़े इवेंट और संस्थाओं के लिए भी सफाई का अच्छा माध्यम बनेगी। बता दें कि इंदौर में शुरू होने वाले ऐप को क्विक साफ नाम से तैयार किया गया है।

कोर्ट ने शहर में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या और ट्रैफिक सिग्नलों की खराब स्थिति पर भी चिंता जताई, मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को

 इंदौर  इंदौर शहर के बदहाल ट्रैफिक को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह और निगमायुक्त शिवम वर्मा से व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा है, ताकि इस समस्या का समाधान निकल सके। कोर्ट ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव से कहा है कि वे सुनवाई के दौरान न्यायमित्र के रूप में उपस्थित रहें और कोर्ट का सहयोग करें। शहर में लगातार बढ़ रही ई-रिक्शा की संख्या को लेकर भी कोर्ट ने शासन को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में ई-रिक्शा संचालन के लिए राज्य सरकार और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) के पास कोई नीति नहीं है। ई-रिक्शा की संख्या, मार्ग और किराए पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने ध्वस्त हो चुकी शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर शासन और पुलिस विभाग से बिंदुवार विस्तृत जानकारी मांगी है। कोर्ट ने यह आदेश राजलक्ष्मी फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका में दिया है। दो जुलाई को याचिका में बहस के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था जो  देर शाम जारी हुआ। याचिका में शहर की बिगड़ती यातायात व्यवस्था को लेकर कहा है कि रात के वक्त एक भी चौराहे पर यातायात सिग्नल चालू नहीं रहते। चौराहों पर लगे सिग्नल बंद कर दिए जाते हैं। दुर्घटना रोकने को कोई इंतजाम नहीं दुर्घटना संभावित क्षेत्र तो चिह्नित कर लिए गए, लेकिन यहां दुर्घटना रोकने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। हालत यह है कि चौराहों से सुबह और शाम को निकलना मुश्किल है। दुकान से ज्यादा सामान तो दुकानदार बाहर रखते हैं। शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे नियंत्रित करने की कोई नीति नहीं है। मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इन बिंदुओं पर मांगी जानकारी     शहर में प्रमुख चौराहों पर कितनी ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं और कितनी काम कर रही हैं।     मार्ग चौड़ीकरण के माध्यम से कितने लेफ्ट टर्न बनाए गए हैं।     मुख्य और साइड लेन सड़कों पर रोड मार्किंग की गई या नहीं।     शहर में प्रमुख चौराहों पर यातायात पुलिसकर्मियों की तैनाती।     दुर्घटना, ब्लैक स्पाट की पहचान के लिए क्या किया।     पिछले पांच वर्ष के दौरान कितने स्पीड ब्रेकर, पार्किंग जोन, फुट ओवर ब्रिज बनाए।     दुकानों के बाहर सड़क और फुटपाथ पर सामान रखने वाले दुकानदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की। ज्यादातर जगह तो दुकानदार दुकान के क्षेत्रफल से ज्यादा फुटपाथ इस्तेमाल कर रहे हैं।     सार्वजनिक स्थानों पर ठेले, गुमटियों को हटाने के लिए क्या कार्रवाई की और पिछले पांच वर्ष में कितने चालान बनाए।     हेलमेट नहीं पहनने वाले और लाल लाइट का उल्लंघन करने वाले कितने दोपहिया वाहन चालकों के चालान बनाए।     ऐसे दो पहिया वाहन जिन पर दो से अधिक यात्री यात्रा करते हैं वह भी बगैर हेलमेट के, उन्हें नियंत्रित करने के लिए क्या योजना है। यह भी बताएं कि पुलिस सख्ती क्यों नहीं बरतती। बीआरटीएस में निजी वाहन नहीं चलेंगे कोर्ट ने तीन पेज के आदेश में स्पष्ट किया है कि जब तक बीआरटीएस चालू है, तब तक इसमें केवल आईबस, एंबुलेंस और पुलिस वाहन ही चलेंगे। निजी वाहनों को बीआरटीएस का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।