News Aazad Bharat

स्वास्थ्य के नाम पर ज़हर! मिलावटी हरी सब्जियों से तिल-तिल कर मर रहा है शरीर

भोपाल  स्वस्थ समझकर खा रहे हरी सब्जियों में छुपा हो सकता है कीटनाशकों का जहर! जानिए कैसे ये सब्जियां बन रही हैं बीमारियों की जड़ और क्या है इससे बचने का सही तरीका. सर्दियों में जैसे ही पालक, मेथी, बथुआ और सरसों की बहार बाजार में आती है, लोग इन्हें विटामिन और आयरन से भरपूर सुपरफूड मानकर थालियों में सजाना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब्जियां जिन खेतों से आती हैं, वहां क्या छिड़का जा रहा है? रसायनों से भरी सब्जियां, स्वाद से पहले ज़हर किसानों द्वारा तेजी से उत्पादन बढ़ाने और फसल को कीटों से बचाने के लिए सिस्टमिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है. ये रसायन सीधे पौधे की जड़ों और पत्तियों में समा जाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इनका असर सब्जियों से हटाने के लिए 7–10 दिन का समय देना चाहिए, लेकिन अधिकतर किसान इस निर्देश को नजरअंदाज करते हैं. धीमा जहर: स्वास्थ्य पर घातक असर डॉक्टर मनीष खेडेकर के अनुसार, लंबे समय तक ऐसे कीटनाशक खा लेने से शरीर पर गहरा असर होता है. ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियां पहले आती हैं और बाद में कैंसर, किडनी व लिवर डैमेज जैसे घातक परिणाम सामने आते हैं बच्चों और बुजुर्गों पर असर और भी तेज़ होता है क्या करें? ये हैं सेफ्टी के उपाय सब्जियों को धोएं, भिगोएं और फिर पकाएं जहां संभव हो, जैविक खेती से आई सब्जियां खरीदें खुद छोटे पैमाने पर किचन गार्डन या ऑर्गेनिक फार्मिंग अपनाएं बाजार से आने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों को नमक या सिरके के पानी में भिगोना असरदार हो सकता है प्राकृतिक खेती ही एकमात्र सुरक्षित विकल्प नीम का अर्क, गोमूत्र, जीवामृत, राख जैसे पुराने संसाधन न सिर्फ फसल को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि मानव शरीर के लिए भी पूरी तरह सेहतमंद होते हैं. सरकारें भी अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने लगी हैं, लेकिन जब तक ग्राहक खुद जागरूक नहीं होंगे, बदलाव धीमा ही रहेगा.

बारिश के चलते सब्ज़ियां हुई महंगी, महंगाई की मार से बिगड़ा रसोई का बजट

भोपाल   बीते कुछ दिनों तक लगातार हुई मूसलधार बारिश ने किसानों की सब्जी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. खेतों में फूल-फल लगे हुए फसल लगभग नष्ट हो चुके हैं. जिससे किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गयी है. खेतो में लगा टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी, कद्दू, पालक, बंधा गोभी की फसल बर्बाद हो गये हैं. मक्का व गरमा फसलों को पानी में डूबने से नुकसान हुआ है. पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं. धान के बिचड़े भी पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं. किसान छोटू मुंडा बताते हैं कि पिछले चार दिनों से लगातार हुई वर्षा से धान का बिचड़ा पानी में डूब गया है.  बारिश की शुरुआत के साथ ही शहर में सब्जी महंगी हो गई है, जो 10 दिन में ही दो से ढ़ाई गुना तक कीमत पहुंच गई है। इससे स्थिति यह है कि अब सिर्फ आलू व कद्दू ही सस्ते हैं और अन्य कोई भी सब्जी अब 60 से 80 रुपए किलो कीमत से कम नहीं मिल रही है। अचानक बढ़ी सब्जियों की कीमतें एमपी में आमजन की परेशानी बन गई हैं। जो टमाटर 10 दिन पहले तक 30 रुपए किलो बिक रहा था, अब 80 रुपए किलो कीमत पर पहुंच गया है। रेट बढक़र सीधे हो गए दोगुना भिंडी, लॉकी, पालक, करेला, गोभी और पालक की रेट बढक़र सीधे ही दोगुना हो गई है। वहीं बाजार में गिलकी, शिमला मिर्च और बरवटी 120 रुपए किलो बिक रही है। कहू की रेट भी तीन गुना बढ़ गई लेकिन यह अभी आमजन की पहुंच में है। हालांकि आलू व प्याज की कीमतों में पिछले 10 दिनों में कोई अंतर नहीं आया है। महंगी सब्जियों से ही काम चलाना होगा सब्जी दुकानदारों के मुताबिक जिले में सब्जियां(Vegetables Price Hike) बची नहीं है, बाहर से जिले में आ रही है। बारिश की वजह से बाहर से भी कम ही मिल पा रही हैं, इससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि सब्जी दुकानदारों का कहना है कि डेढ़-दो महीने बाद जिले में स्थानीय स्तर से हरी सब्जियों की आवक बढ़ जाएगी, इससे कीमतें घटने का अनुमान है, लेकिन स्थानीय सब्जियों की आवक होने तक लोगों को महंगी सब्जियों से ही काम चलाना होगा।  किसानों ने बताया कि बहुत मेहनत के बाद खेतों में फसल तैयार हुए थे. लेकिन फसलें बर्बाद हो गयी. किसानों ने सरकार से नुकसान की मुआवजा का मांग करते हुए कहा कि उनकी फसलों को बचाने के लिए उचित कदम उठाया जाये. बाजारों पर दिखा असर : लगातार वर्षा होने से खेतों से सब्जियों की तुड़ाई नहीं होने से मंडी खाली रहे. जिसके कारण किसान समेत सब्जी विक्रेताओं को काफी नुकसान हुआ. वहीं शनिवार को बुकबुका बाजार में सब्जी खरीदने आये ग्राहकों को मन मुताबिक सब्जी नहीं मिलने से निराश घर लौटना पड़ा. हालाकि कुछ सब्जियां जो बाजार में लाये गये थे, उनमें दाग लगा था. कम सब्जी आने से मूल्य में वृद्ध देखी गयी.

मानसून की पहली बारिश ने आम आदमी की जेब पर भारी बोझ डाल दिया, सब्जियों के बढ़े दाम बिगाड़ रहे रसोई का बजट

जबलपुर  मानसून की पहली बारिश ने जहां एक ओर गर्मी से राहत दिलाई है, वहीं दूसरी ओर इसने आम आदमी की जेब पर भारी बोझ डाल दिया है। लगातार हो रही वर्षा के कारण स्थानीय सब्जियों की पैदावार लगभग ठप पड़ गई है या फिर खराब हो चुकी है, जिससे मंडियों में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों से आने वाली सब्जियों पर निर्भरता बढ़ने के कारण कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे रसोई का बजट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। टमाटर, भिंडी और करेला हुए महंगे बाजार में सब्जियों की कीमतों में सबसे बड़ा उछाल टमाटर में देखने को मिला है। जो टमाटर पिछले हफ्ते तक 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, अब वह 40 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके फुटकर दाम में और तेजी आ सकती है। इसी तरह, भिंडी के दामों में भी जबरदस्त उछाल आया है। दो दिन पहले तक जिसे 20 रुपये किलो में कोई पूछने वाला नहीं था, वही भिंडी अब 30 रुपये से 35 रुपये प्रति किलो बिक रही है। करेला भी 45 रुपये से 50 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया है, जिससे यह आम आदमी की थाली से दूर होता जा रहा है। लहसुन, अदरक और धनिया के भी दाम बढ़े सब्जियों के साथ-साथ मसालों ने भी उपभोक्ताओं को रुला दिया है। पिछले दो दिनों में लहसुन के दाम में 20 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह अब 110 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रहा है। अदरक 45 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है और धनिया के दामों में भी तेजी बनी हुई है। थोक कारोबारियों का अनुमान है कि अगले हफ्ते तक बाजार में सब्जियों की कीमतें और बढ़ने की संभावना है। बाहरी राज्यों से आवक और बढ़ती कीमतें वर्तमान में जबलपुर में टमाटर की अधिकांश आवक कर्नाटक से हो रही है। थोक बाजार में 24 रुपये से 26 रुपये प्रति किलो खुलने के बावजूद, फुटकर बाजार में पहुंचते-पहुंचते टमाटर 35 रुपये से 45 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रहा है। यह दर्शाता है कि परिवहन लागत और बिचौलियों का मुनाफा भी कीमतों को बढ़ाने में एक बड़ा कारक है। आलू-प्याज भी हुए महंगे स्थिर समझे जाने वाले आलू और प्याज की कीमतों में भी मानसून के कारण 5 रुपये से 10 रुपये प्रति किलो की तेजी दर्ज की गई है। ये दोनों सब्जियां अभी 20 रुपये से 25 रुपये प्रति किलो पर बनी हुई हैं, लेकिन थोक कारोबारियों के अनुसार अगले कुछ दिनों में इनके फुटकर भाव में 5 रुपये तक की और तेजी संभावित है। प्रतिदिन कृषि उपज मंडी में लगभग 20 गाड़ी प्याज मैहर और खंडवा से आ रही है, जबकि आलू जी-4 की आवक प्रयागराज से और मिलिट्री आलू की आवक आगरा से लगभग 20 से 22 गाड़ी हो रही है।